Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 70
________________ कोडि-सहस्से कोडि-सए य तह एत्तिए चेव ।। [७०८] एतेसिं मज्झाओ एगे निव्वडइ गुण-गणाइण्णे । सव्वुत्तम भंगेणं तित्थयरस्साणुसरिस गुरू || [७०९] से चेय गोयमा ! देयवयणा सूरित्थ नायसेसाइं । तं तह आराहेज्जा जह तित्थरे चउव्वीसं ।। [७१०] सव्वमवी एत्थ पए दुवालसंग सुयं भाणियव्वं । भवइ तहा वि मिणमो समाससारं परं भण्णे । [तंजहा] || [७११] मुणिणो संघं तित्थं गण-पवयण-मोक्ख-मग्ग-एगट्ठा । दंसण-नाण-चरित्ते घोरुग्ग-तवं चेव गच्छ-नामे य ।। [७१२] पयलंति जत्थ धग धगधगस्स गुणा वि चोयए सीसे । राग-द्दोसेणं अह अनुसएण तं गोयम न गच्छं ।। [७१३] गच्चं महानुभागं तत्थ वसंताण निज्जरा विउला । सारण-वारण-चोयणमादीहिं न दोस-पडिवत्ती ।। [७१४] गुरुणो छंदणवत्ते सुविनीए जिय-परीसहे धीरे । न वि थद्धे न वि लुद्धे न वि गारविए न वि गहसीले ।। [७१५] खंते दंते मुत्ते गुत्ते वेरग्गं-मग्गमल्लीणे । दस-विह सामायारी आवस्सग संजमुज्जुत्ते ।। अज्झयणं-५, उद्देसो = [७१६] खर-फरुस-कक्कसानिट्ठ-8-निहर-गिराए सयहत्तं । निब्भच्छण-निद्धडणमाईहिं न जे पओसंति ।। [७१७] जे य न अकित्ति-जणए नाजस-जणए नकज्जकारी य । न य पवयण-उड्डाहकरे कंठग्गय-पाण-सेसे वि ।। [७१८] सज्झाय-झाण-निए धोरतव-चरण-सोसिय-सरीरे | गय-कोह-मान-कइयव दूरुज्झिय राग-दोसे य ।। [७१९] विनओवयारकुसले सोलसविह-वयण-भासणे कुसले । निरवज्ज-वयण-भणिरे न य बहु-भणिरे न पुणऽभणिरे [७२०] गुरुणा कज्जमकज्जे खर-कक्कस-फरुस-निहरमनिहूँ । भणिरे तह त्ति इत्थं भणंति सीसे-तयं गच्छं [७२१] दूरुज्झिय-पत्ताइसु ममत्तए निप्पिहे सरीरे वि | जाया-मायाहारे बायालीसेसणा कुसले [७२२] तं पि न रूव-रसत्थं भुजंताणं न चेव दप्पत्थं । अक्खोवंग-निमित्तं संजम-जोगाण वहणत्थं [७२३] वेयण-वेयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए । तह पाण-वत्तियाए छटुं पुण धम्म-चिंताए [७२४] अपव्व-नाण-गहणे थिर-परिचिय-धारणेक्कमुज्जुत्ते । = = = = दीपरत्नसागर संशोधितः] [69] [३९-महानिसीह

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