Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 74
________________ [७७५] दढचारित्तं मोत्तुं आयरियं मयहरं च गुण-रासिं । अज्जा अज्झावेइ तं अनगारं न तं गच्छं । [७७६] घन-गज्जिय हय-कुहुकुहय-विज्जु-दुगेज्झ-मूढ-हिययाओ । होज्जा वावारियाओ इत्थी रज्जं न तं गच्छं [७७७] पच्चक्खा सुयदेवी तव-लद्धीए सुराहिव-नुया वि । जत्थ रिएज्जेक्कज्जा इत्थीरज्जं न तं गच्छं [७७८] गोयम! पंच-महव्वय गुत्तीणं तिण्हं पंच-समिईणं । दस-विह-धम्मस्सेक्कं कहवि खलिज्जइ न तं गच्छं [७७९] दिण-दिक्खियस्स दमगस्स अभिमुहा अज्ज चंदणा अज्जा | नेच्छड़ आसन-गहणं सो विनओ सव्व-अज्जाणं [७८०] वास-सय-दिक्खियाए अज्जाए अज्ज-दिक्खिओ साहू । भत्तिब्भर-निब्भराए वंदन-विनएण सो पुज्जो [७८१] अज्जिय-लाभे गिद्धा सएण लाभेण जे असंतुट्ठा । भिक्खायरिया-भग्गा अन्नियउत्तं गिराहिंति [७८२] गय-सीस-गणं ओमे भिक्खायरिया-अपच्चलं थेरं । गणिहिंति न ते पावे अज्जियलाभं गवेसंता [७८३] ओमे सीस-पवासं अप्पडिबद्धं अजंगमत्तं च । अज्झयणं-५, उद्देसो = = = = = न गमेज्ज एगखित्ते गणेज्ज वासं निययवासी [७८४] आलंबणाण भरिओ लोओ जीवस्स अजउकामस्स | जं जं पेच्छइ लोए तं तं आलंबनं कुणइ [७८५] जत्थ मुणीण कसाए चमढिज्जंतेहिं पर-कसाएहिं । नेच्छेज्ज समुद्रुउं सुनिविट्ठो पंगुलो व्व तयं गच्छं [७८६] धम्मंतराय-भीए भीए संसार-गब्भ-वसहीणं । नोदीरिज्ज कसाए मुनी मुणीणं तयं गच्छं [७८७] सील-तव-दान-भावन चउविह-धम्मतराय भय-भीए । जत्थ बहू गीयत्थे गोयम गच्छं तयं वासे [७८८] जत्थ य कम्मविवागस्स चेद्रियं चउगईए जीवाणं । नाऊण महवरद्धे वि नो पप्पंति तं गच्छं [७८९] जत्थ य गोयम ! पंचण्हं कहवि सूणाण एक्कमवि होज्जा | तं गच्छं तिविहेणं वोसिरिय वएज्ज अन्नत्थ [७९०] सणारंभ-पवित्तं गच्छं वेसज्जलं च न वसेज्जा । जं चारित्त-गुणेहिं तु उज्जलं तं निवासेज्जा [७९१] तित्थयरसमे सूरी दुज्जय-कम्मट्ठ-मल्ल-पडिमल्ले । आणं अइक्कमंते ते कापुरिसे न सप्पुरिसे दीपरत्नसागर संशोधितः] [73] [३९-महानिसीह = = = =

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