Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 67
________________ [६८८] लीलायऽलसमाणस्स निरुच्छाहास्स धीमणं । पेक्खो वक्खीए अन्नेसुं महानुभागाणं साहुणं ।। [६८९] उज्जमं सव्व-थामेसुं घोर वीर - तवाइयं । ईसक्खा-संक-भय-लज्जा तस्स वीरियं समुच्छले ।। [६९०] वीरिएणं तु जीवस्स समुच्छलिएण गोयमा । जम्मंतरकए पावे पाणी हियएण निट्ठवे || [६९१] तम्हा निउणं मइ भाले गच्छं संमग्गपट्ठियं । निवसेज्ज तत्थ आजम्मं गोयमा संजए मुणी || [ ६९२] से भयवं कयरे णं से गच्छे जे णं वासेज्जा ? एवं तु गच्छस्स पुच्छा जाव णं वयासी । गोयमा! जत्थ णं सम-सत्तु-मित्त पक्खे अच्चंत - सुनिम्मल- विसुद्धंत करणे आसायणा- भीरू सपरोवयारमब्भुज्जए अच्चंत - छज्जीव- निकाय - वच्छले सव्वालंबन - विप्पमुक्के अच्चतमप्पमादी सविसेस-बितियसमय-सब्भावे रोद्दट्ट-ज्झाण-विप्पमुक्के सव्वत्थ अनिगूहिय-बल-वीरिय- पुरिसक्कार-परक्कमे, एगंतेणं संजती-कप्प-परिभोग-विरए एगंतेणं धम्मंतराय - भीरु एगंतेणं तत्त - रुई एगंतेणं जहा सत्तीए अट्ठारसण्हं सीलंग-सहस्साणं आराहगे सयलमहन्निसानुसमयमगिलाए जहोवइट्ठ- मग्ग- परूवए बहु-गुण-कलिए मग्गट्ठिए सपरोवयारमब्भुज्जए अच्चतं अखलिय-सीले महायसे महासत्ते महानुभागे नाण- दंसण-चरण-गुणोववेए गणी I अज्झयणं-५, उद्देसो [६९३] से भयवं! किमेस वासेज्जा ? गोयमा! अत्थेगे जे णं वासेज्जा अत्थेगे जे णं नो वासेज्जा? से भयवं! केणं अट्ठेणं एवं वच्चइ अत्थेगे जे णं वासेज्जा, अत्थेगे जे णं नो वासेज्जा ? गोमा ! अत्थेगे जे णं आणाए ठिए जहा णं गोयमा ! अत्थेगे जे णं आणा विराहगे । जे णं आणा-ठिए से णं सम्मद्दंसण-नाण-चारित्ताराहगे । जे णं सम्मद्दंसण - नाण-चरित्ताराहगे से णं गोयमा ! अच्चत-विऊ सुपवरकम्मुज्जए मोक्खमग्गे, जे य उ णं आणा - विराहगे से णं अनंतानुबंधी कोहे से णं अनंतानुबंधी माने से णं अनंतानुबंधी कइयवे से णं अनंतानुबंधी लोभे, जेणं अनंतानुबंधी कोहाइ कसाय-चउक्के से णं घनराग-दोस-मोह-मिच्छत्त-पुंजे । जे णं घन-राग-दोस-मोह-मिच्छत्त-पुंजे से णं अनुत्तरे घोर-संसारे समुद्दे, जे णं अनुत्तर-घोर-संसार-समुद्दे से णं पुणो पुणो जम्मं पुणो पुणो जरा पुणो पुणो मच्चू, जे णं पुणो पुणो जम्म-जरा-मरणे से णं पुणो पुणो बहू भवंतर - परावत्ते, जे णं पुणो पुणो बहू भवंतर - परावत्ते से णं पुणो पुणो चुलसीइ-जोणि-लक्खमाहिंडणं । जे णं पुणो पुणो चुलसीइ-जोणि- लक्खमाहिंडणं से णं पुणो पुणो सुदूसहे घोर - तिमिसंधयारे रुहिर-चिलिच्चिल्ले वसा-पूय-वंत-पित्त-सिंभ- चिक्खल्ल-दुग्गंधासुइ-चिलीण-जंवाल-केस किव्विस खरंट पडिपुन्ने अनिट्ठ-उव्वियणिज्ज-अघोर-चंडमहारोद्ददुक्खदारुणे गब्भ-परंपरा-पवेसे, जे णं पुणो पुणो दारुणे गब्भ-परंपरा-पवेसे से णं दुक्खे से णं केसे से णं रोगायंके से णं सोग-संतावुव्वेयगे जे णं दुक्ख-केसरोगायंक-सोग-संतावुव्वेयगे से णं अनिव्वुत्ती, जेणं अनिव्वुत्ती से णं जहिट्ठ- मनोरहाणं असंपत्ती, जेणं जहिट्ठमनोरहाणं असंपत्ती से णं ताव पंचप्पयार - अंतराय - कम्मोदए । जत्थ णं पंचप्पयार-अंतराय-कम्मोदए तत्थ णं सव्व-दुक्खाणं अग्गणीभूए पढमे ताव दारिद्दे, जे णं दारिद्दे से ँ अयसब्भक्खाण अकित्तीकलंकरासीणं मेलावगागमे । [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] [66] [३९-महानिसीहं]

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