Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 29
________________ सन्निविट्ठियाणिवण्णचक्कमिय-निरिक्खिज्जमाणी वा दिप्पंत-किरण-जाल-दस-दीसी-पयासिय-तवंततेयरासी-सूरिए वि तहा वि णं पासेज्जा सुण्णंधयारे सव्वे दिसा भाए | जाव णं रागंधत्ताए न गणेज्जा सुमहल्लगुरु-दोसे-वय-भंगे नियम-भंगे सील –खंडणे संजमअज्झयणं-२, उद्देसो-३ विराहणे परलोग-भए-आणा-भंगाइक्कमे अनंत-संसार-भए पासेज्जा अपासणिज्जे, सव्व-जन-पयड-दिनयरे वि णं मन्निज्जा णं सुण्णंधयारे सव्वे दिसा भाए [जाव णं भवे न गणेज्जा सुमहल्लगुरुदोसे वय-भंगे सील-खंडणिज्जा] ताव णं भवेज्जा अच्चंत-निब्भट्ठ-सोहग्गाइसए विच्छाए रागारुण-पंडुरे दुईसणिज्जे अनिरिक्खणिज्जे वयण-कमले भवेज्जा, जाव णं अच्चंत निब्भट्ठ-सोहग्गाइसए विच्छाए रागारुण-पंडुरे दुईसणिज्जे अनिरिक्खणिज्जे वयण-कमले भवेज्जा ताव णं फुरुफुरेज्जा सणियं सणियं बोंद-पुड-नियंबवच्छोरुह-बाहुलइ-उरु-कंठ-पएसे, जाव णं फुरफुरेंति बोंद-पुड-नियंब-वच्छोरु-बालइ-उरु-कंठप्पएसे ताव णं मोट्टायमाणी अंगपालियहिं निरुवलक्खे वा सोवलक्खे वा भंजेज्जा सव्वंगोवंगे जाव णं मोट्टायमाणी अंगपालियाहिं भंजेज्जा सव्वंगोवंगे ताव णं मयणसरसन्निवाएणं जज्जरियसंभिन्ने सव्वरोम-कूवे तनू भवेज्जा, जाव णं मयण-सर-सन्निवाएणं विद्धसिए बोंदी भवेज्जा ताव णं तहा परिणमेज्जा तनू जहा णं मनगं पयलंति धातूओ, जाव णं मनगं पयलंति धातूओ ताव णं अच्चत्थं वाहिज्जंति पोग्गल-नियंबोरुबाहुलइयाओ, जाव णं अच्चत्थं वाहिज्जइ नियंबो ताव णं दुक्खेणं धरेज्जा गत्त-जटुिं । जाव णं दुक्खेणं धरेज्जा गत्त-जडिं ताव णं से नोवलक्खेज्जा अत्तीयं सरीरावत्थं, जाव णं नोवलक्खेज्जा अत्तीयं सरीरावत्थं ताव णं दुवालसेहिं समएहिं दर-निच्चेटुं भवे बोंदी, जाव णं दुवालसेहिं दर-निच्चेटुं भवे बोंदी ताव णं पडिखलेज्जा से ऊसासा-नीसासे, जाव णं पडिखलेज्जा ऊसासा-नीसासे ताव णं मंद मंदं ऊससेज्जा मंद मंदं नीससेज्जा, जाव णं एयाइं एत्तियाइं भावतरं अवत्थंतराइं विहारेज्जा ताव णं जहा गहग्घत्थे केइ परिसे इ वा इत्थि इ वा विसंतुलाए पिसायाए भारतीए असंबद्धं संलवियं विसंख्लंतं अव्वत्तं उल्लवेज्जा । एवं सिया णं इत्थीयं विसामावत्त-मोहण-मम्मणुल्लावेणं पुरिसे, दिट्ठ-पुव्वे इ वा अदिट्ठ पुव्वे इ वा, कंतरूवे इ वा अंकतरूवे इ वा गय जोव्वणे इ वा पडुप्पन्न जोव्वणे इ वा, महासत्ते इ वा हीनसत्ते इ वा, सप्पुरिसे इ वा कापुरिसे इ वा, इढिमते इ वा, अणिढिमते इ वा, विसयाउरे इ वा निविण्णकामभोगे इ वा, समणे इ वा माहणे इ वा जाव णं अन्नयरे वा केई निंदियाहम-हीन-जाईए इ वा, अज्झत्थेणं ससज्झसेणं आमंतेमाणी उल्लावेज्जा जाव णं संखेज्ज-भेदभिन्नेणं सरागेणं सरेणं दिट्ठीए इ वा पुरिसे उल्लावेज्जा निज्झाएज्ज वा ताव णं जं तं असंखेज्जाइं अवसप्पिणी-ओसप्पिणी-कोडी-लक्खाइं दोसुं नरय-तिरिच्छासं गतीसुं उक्कोस-द्वितीयं कम्मं आसंकलियं आसिओ तं निबंधेज्जा, नो णं बद्ध-पुढे करेज्जा, से वि णं जं समयं पुरिसस्स णं सरिरावयव-फरिसणाभिमुहं भवेज्जा नो णं फरिसेज्जा, तं समयं चेव तं कम्म-ठिइं बद्ध-पुटुं करेज्जा नो णं बद्ध-पुट्ठ-निकायं ति । [३८८] एवायसरम्मि उ गोयमा संजोगेणं संजुज्जेज्जा से वि णं संजोए पुरिसायत्ते पुरिसे वि णं जे णं न संजुज्जे से धन्ने जे णं संजुज्जे से अधन्ने । [३८९] से भयवं केणं अटेणं एवं वुच्चइ जहा पुरिसे वि णं जे णं न संजुज्जे से णं धन्ने जे णं संजुज्जे से अधन्ने ? गोयमा ! जे य णं से तीए इत्थीए पावाए बद्ध-पुट्ठ-कम्म-ट्टिइं चिट्ठइ, से णं पुरिस-संगेणं निकाइज्जइ तेणं तु बद्ध-पुट्ठ-निकाइएणं कम्मेणं सा वराई, तं तारिसं अज्झवसायं पडुच्चा [दीपरत्नसागर संशोधितः] [28] [३९-महानिसीह

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