Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 32
________________ [४०३] एत्थं च गोयमा ! जं इत्थीयं भएण वा लज्जाए वा कुलंकुसेण वा जाव णं धम्मसखाए वा तं वेयणं अहियासेज्जा नो वियम्म समायरेज्जा, से णं धन्ना से णं पन्ना से य णं वंदा से णं पुज्जा से णं दद्वव्वा से णं सव्व-लक्खणा से णं सव्व-कल्लाण-कारया से णं सव्वुत्तम-मंगल-निहि से णं सुयदेवता से णं सरस्सती से गं अंबडंडी से णं अच्चुया से णं इंदाणी से णं परमपवित्तुत्तमा सिद्धी मुत्ती सासया सिवगइ त्ति । अज्झयणं-२, उद्देसो-३ [४०४] जामित्थियं तं वेयणं नो अहियासेज्जा वियम्मं वा समायरेज्जा, से णं अधन्ना से णं अपन्ना से णं अवंदा से णं अपज्जा से णं अदट्ठव्वा से णं अलक्खणा से णं भग्ग-लक्खणा से णं सव्व अमंगल-अकल्लाण-भायणा, से णं भट्ठ-सीला से णं भट्ठायारा से णं परिभट्ठ-चारित्ता से णं निंदनीया से णं गरहणीया से णं खिंसणिज्जा: छणिज्जा से णं पावा से णं पावा-पावा से णं महापावा-पावा से णं अपवित्ति त्ति ।। ___ एवं तु गोयमा चडुलत्ताए भीरुत्ताए कायरत्ताए लोलत्ताए उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ वा अणप्प-वसओ वा आउट्टियाए वा, जमित्थियं संजमाओ परिभस्सिय दूरद्धाणे वा गामे वा नगरे वा रायहाणीए वा वेस-ठगहणं अच्छड्ढिय-पुरिसेणं सद्धिं वियम्म समायरेज्जा भूओ भूओ पुरिसं कामेज्ज वा रमेज्ज वा अहा णं तमेव दोयत्थियं कज्जं इइ परिकप्पेत्ता णं तमाईवेज्जा, तं चेव आईवमाणी पस्सियाणं उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ वा अणप्पवसओ वा आउट्टियाए वा । केइ आयरिए इ वा सामण्ण-संजए इ वा राय-संसिए इ वा वाय-लद्धिजत्ते इ वा तवोलद्धिजुत्ते इ वा जोगचुण्णलद्धिजुत्ते इ वा विण्णाणलद्धिजुत्ते इ वा जुगप्पहाणे इ वा पवयणप्पभावगे इ वा, तमत्थियं अन्नं वा रामेज्ज वा कामेज्ज वा अभिलसेज्ज वा भुजेज्ज वा परिभुजेज्ज वा जाव णं वियम्मं वा समायरेज्जा, से णं दुरंत-पंत-लक्खणे अहन्ने अवंदे अदहव्वे अपवित्ते अपसत्थे अकल्लाणे अमंगले निंदणिज्जे गरहणिज्जे खिंसणिज्जे कुच्छणिज्जे, से णं पावे से णं पाव-पावे से णं महापावे-से णं महापाव-पावे से णं भट्ठ-सीले से णं भट्ठायारे से णं निब्भदुचारित्ते महा-पाव-कम्मकारी | जइ णं पायच्छित्तमब्भुटेज्जा तओ णं मंदरतुंगेणं वरेणं सरीरेणं उत्तमेणं संघयणेणं उत्तमेणं पोरुसेणं उत्तमेणं सत्तेणं उत्तमेणं तत्त-परिणाणेणं उत्तमेणं वीरियसामत्थेणं उत्तमेणं संवेगेणं उत्तमाए धम्म-सद्धाए उत्तमेणं आउक्खएणं तं पायच्छित्तमनुचरेज्जा, ते णं तु गोयमा ! साहूणं महानुभागाणं अट्ठारस-परिहार-ढाणाइं नव-बंभचेर-गुत्तीओ वागरिज्जति | [४०५] से भयवं! कि पच्छित्तेणं सुज्झेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगे जे णं सुज्झेज्जा अत्थेगे जे णं नो सुज्झेज्जा, से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुच्चइ ? जहा णं गोयमा ! अत्थेगे जे णं सुज्झेज्जा, अत्थेगे जे शं नो सुज्झेज्जा, गोयमा ! अत्थेगे जे णं नियडी-पहाणे सढ-सीले वंक-समायारे, से णं ससल्ले आलोइत्ताणं ससल्लेण चेव पायच्छित्तमनुचरेज्जा से णं अविसुद्ध-सकलुसासए नो सुज्झेज्जा | अत्थेगे जे णं उज्जू पद्धर-सरल-सहावे जहा-वत्तं नीसल्लं नीसंकं सुपरिफुडं आलोइत्ताणं जहोवइटुं चेव पायच्छित्तमनचिद्वेज्जा से णं निम्मल-निक्कलस-विसद्धासए वि सज्झेज्जा, एतेणं अद्वेणं एवं वच्चइ जहा णं गोयमा! अत्थेगे जे णं सुज्झेज्जा, अत्थेगे जे णं नो सुज्झेज्जा । [४०६] तहा णं गोयमा ! इत्थीयं नाम पुरिसाणं अहमाणं सव्व-पाव-कम्माणं वसुहारा तमरय-पंक-खाणी सोग्गइ-मग्गस्स णं अग्गला नरयावयारस्स णं समोयरण-वत्तणी, अभूमयं विसकंदलिं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [31] [३९-महानिसीह

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