Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 28
________________ [३८७] से भयवं केणं अटेणं एवं वच्चइ जहा णं नो इत्थीणं निज्झाएज्जा, नो नमालवेज्जा, नो णं तीए सद्धिं परिवसेज्जा, नो णं अद्धाणं पडिवज्जेज्जा ? गोयमा ! सव्व-प्पयारेहिं णं सव्वित्थीयं अच्चत्थं मउक्कडत्ताए रागेणं संधुक्किज्जमाणी कामग्गिए संपलित्ता सहावओ चेव विसएहिं अज्झयणं-२, उद्देसो-३ बाहिज्जइ । तओ सव्व-पयारेहिं णं सव्वत्थियं अच्चत्थं मउक्कडत्ताए रागेणं संधुक्किज्जमाणी कामग्गीए संपलित्ता सहावओ चेव विसएहिं बाहिज्जाणी, अनुसमयं सव्व-दिसि-विदिसासुं णं सव्वत्थ विसए पत्थेज्जा जावं णं सव्वत्थ-विसए पत्थेज्जा, ताव णं सव्व-पयारेहिं णं सव्वत्थ सव्वहा परिसं संकप्पिज्जा जाव णं पुरिसं संकप्पेज्जा ताव णं सोइंदियोवओगत्ताए चक्खुरिंदिओवओगत्ताए रसणिंदिओवओगत्ताए घाणिदिओव-ओगत्ताए फासिंदिओवओगत्ताए । जत्थ णं केइ पुरिसे कंत-रूवे इ वा अकंत-रूवे इ वा पडुप्पन्नजोव्वणे इ वा अपडुप्पन्न-जोव्वणे इ वा गय-जोव्वणे इ वा, दिट्ठ-पुव्वे इ वा अदिट्ठ-पुव्वे इ वा, इढिमंते इ वा अणिढिमंते इ वा, इढिपत्ते इ वा अणिड्ढी पत्ते इ वा, विसयाउरे इ वा निविण्ण-काम भोगे इ वा उद्धय-बोंदीए इ वा अनुद्धयबोंदीए इ वा महासत्ते इ वा हीन-सत्ते इ वा महा-पुरिसे इ वा कापुरिसे इ वा, समणे इ वा माहणे इ वा अन्नयरे इ वा, निंदियाहम-हीन-जाईए वा, तत्थ णं इहा पोह-वीमंसं पउंजित्ताणं जाव णं संजोग-संपत्तिं झाएज्जा, जाव णं संजोग-संपत्तिं परिकप्पे ताव णं से चित्ते संखद्दे भवेज्जा. जाव णं से चित्ते संखद्दे भवेज्जा भवेज्जा ताव णं से चित्ते विसंवएज्जा, जाव णं से चित्ते विसंवएज्जा ताव णं से देहे मएणं अद्धासेज्जा, जाव णं से देहे मएणं अद्धासेज्जा ताव णं से दरविदरे इह-परलोगावाए पम्हसेज्जा, जाव णं से दर-विदरे इह-परलोगावाए | ताव णं चिच्चा लज्जं भयं अयसं अकित्तिं मेरं उच्च-ठाणाओ नीय-द्वाणं ठाएज्जा, जाव णं उच्च-ठाणाओ नीय-ढाणं ठाएज्जा ताव णं वच्चेज्जा असंखेयाओ समयावलियाओ, जाव णं नीइंति असंखेज्जाओ समयावलियाओ ताव णं जं पढम समयाओ कम्मट्टिइं तं बीयसमयं पडुच्चा तइया दियाणं समयाणं संखेज्जं असंखेज्जं अनंतं वा अनुक्कमसो कम्मठिइं संचिणिज्जा, जाव णं अनकमसो अनंतं कम्मठिइं संचिणइ ताव असंखेज्जाइं अवसप्पिणी-ओसप्पिणी-कोडिलक्खाई जावएणं कालेणं परिवत्तंति, तावइयं कालं दोसुं चेव निरयतिरिच्छासुं गतीसुं उक्कोस-द्वित्तयं कम्म आसंकलेज्जा, जाव णं उक्कोसद्वितीयं कम्ममासंकलेज्जा ताव णं से विवण्ण-जुइं विवण्ण-कंतिं वियलियलावण्ण-सिरीयं निन्नद्वदित्ति-तेयं बोंदी भवेज्जा, जाव णं च्य-कंति-लावण्ण-सिरियं नित्तेय-बोंदी भवेज्जा ताव णं से सीएज्जा फरिसिदिए, जाव णं सीएज्जा फरिसिदिए ताव णं सव्वट्ठा विवड्ढेज्जा सव्वत्थ चक्खुरागे, जाव णं सव्वत्थ विवड्ढेज्जा चक्खुरागे ताव णं रागारुणे नयन-जुयले भवेज्जा जाव णं रागारुणे य नयनजुयले भवेज्जा ताव णं रागंधत्ताए न गणेज्जा सुमहंत-गुरु-दोसे वयभंगे, न गणेज्जा सुमहंत-गुरु दोसे नियम-भंगे, न गणेज्जा सुमहंत-घोर-पाव-कम्म-समायरणं सील-खंडणं, न गणेज्जा सुमहंत-सव्व-गुरु-पाव-कम्म-समायरणं संजमविराहणं, न गणेज्जा घोरंधयार परलोग-दुक्खभयं, न गणेज्जा आयई, न गणेज्जा सकम्म-गणट्ठाणगं, न गणेज्जा ससुरासुरस्सा वि णं जगस्स अलंघणिज्जं आणं, न गणेज्जा अनंतहुत्तो चुलसीइजोणिलक्ख-परिवत्त-गब्भ-परंपरं अलद्धणिमि-सद्ध-सोक्खं चउगइ-संसार-दुक्खं, न पासिज्जा जं पासणिज्जं न पासिज्जा जं अपासणिज्जं, सव्व-जन-समूह-मज्झ[दीपरत्नसागर संशोधितः] [27] [३९-महानिसीह

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