Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: DeepratnasagarPage 26
________________ [३५६] कुंथूणं सय-सहस्सेणं तेलियं नो पलं भवे अज्झयणं-२, उद्देसो-३ - - - - - - - - - - - = एगस्स केत्तियं गत्तं किं वा तोल्लं भवेज्ज से [३५७] तस्स वि पायतल देसेणं फरिसिओ तमवत्थंतरं पुव्वुत्तं गोयमा ! गच्छे पाणी तो णं इमं सुणे [३५८] भमंत-संचरंतो य हिंडि नो मइले तनुं न करे कुंथू खयं ताणं न यावासी य चिरं वसे [३५९] अह चिढ़े खणमेगं तु बीयं नो परिवसे खणं अह बीयं पि विरत्तेज्जा ता बज्जेयं त् गोयमा [३६०] रागेणं नो पओसेणं मच्छरेणं न केणई न यावि पुव्ववेरेणं खेड्डातो कामकारओ [३६१] कुंथू कस्सइ देहिस्स आरुहेइ खणं तनुं वियलिंदी भूण-पाणे जलंतग्गी वावी विसे [३६२] न चिंतेवं जहा मे स पुव्ववेरी हवा सुही ? । ता किंची खेम-पावं वा संजणेमि एयस्स ऽहं ? || [३६३] पुव्व-कड-पाव-कम्मस्स विरसे भुंजंतो फले तिरि-उड्ढाह-दिसानुदिसं कुंथू हिंडे वराय से [३६४] चरंतेवमबाहाए सारीरं दुक्खमानसं कुंथू वि दूसहं जण्णे रोद्द-दृ-ज्झाण-वड्ढणं [३६५] ता उ सल्लमारभेत्ताणं मन-जोगं अन्नयरेण वा समयावलिय-मुहुत्तं वा सहसा तस्स विवागयं [३६६] कह सहिहं बहु-भव-उगहणे दुहमनुसमयमहण्णिसं घोर-पयंड-महारोदं ? हा-हा-कंद-परायणा ! [३६७] नारय-तिरिच्छ-जोणीसु अत्ताणासरणा वि य एगागी ससरीरेणं असहाया कडु-विरसं घनं [३६८] असिवण-वेयरणी जंते करवत्ते कूडसामलिं कुंभी-वायासा-सीहे एमादी नारए दुहे [३६९] नत्थंकण-वह-बंधे य पउलक्कंत-विकत्तणं सगडा-कड्ढण भरुव्वहणं जमला य तण्हा छुहा [३७०] खर-खुर-चमढण-सत्थग्गी खोभण-भंजणमाइए परयत्तावस-नित्तिंसे दुक्खे तेरिच्छे तहा [३७१] कुंथू-पय-फरिस-जणियं पि दुकखं न अहियासिउं तरे ता तं मह-दुक्ख-संघट्ट कह नित्थरिह सुदारुणं [३७२] नारय-तेरिच्छ-दुक्खाओ कुंथू-जाणियाउ अंतरं मंदरगिरि-अनंत-गुणियस्स परमाणुस्सा वि नो घडे दीपरत्नसागर संशोधितः] [25] [३९-महानिसीह = = = = = = = = = =Page Navigation
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