Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
जीयामिगम
१३०
पृथिवी विषयकान्तरमकरणवदेव ज्ञातव्यम् किचिदन्यया वा ? तत्राह - 'नगर' इत्यादि, 'नवर' जीसे जं वाइल्लं तेण वगोदही संबंवेगो बुद्धीए' नवरं यस्याः पृथिव्याः यद्वाल्यं कथितं तेन बाहल्येन घनोदधिः संबन्धरितव्यो बुद्धचा ।
यस्याः पृथिव्या यावत्परिमितं भवति तेन बाहल्येन सह वनोदधि वाहत्य स्य सम्बन्धः स्वयुद्धचा कर्त्तव्यः, यथा - यस्याः पृथिव्या यद् वारल्यं भवति तस्मिन् बाल्ये घनोदधि वाल्यं सर्व पृथिवीगत घनोदधि वाल्यस्व विंशतिसहस्र जनपरिमितत्वेन सर्व पृथिवी वाटल्य घनोदधेविंशतिसहस्रयोजनक वाढल्य प्रक्षेपणीयमिति भावः । तदेव मूत्रकारः स्वयं मदर्शति- 'सक्करप्पमाए' प्रकरण कहा है उसी प्रकार घालुकावा से लेकर अधः सप्तमी पृथिवी पर्यन्त का भी यथोक्त कम से अन्तर जानना चाहिये इस पर प्रश्न होता है कि क्या शर्कराप्रभा के जैसा ही अन्तर कहना चाहिये अथवा कुछ अन्तर से ? इस पर कहते है- 'नवरं जीसेजं पाहल्लं तेण घणोदही संबंध बुद्धीए' यहां अन्तर यह है कि जिस पृथिवी का जितना चाहल्य मोटापन कहा गया है उसमें घनोदधि का बाहल्य मोटापन अपनी बुद्धि से मिला देना चाहिए
अर्थात् जिस पृथिवी का जितना प्रमाण का वाटल्य होता है उसमें घनोदधि का बाल्य जो सब पृथिवियों के घनोदधि का प्रमाण पीस हजार योजन का होता है वह बीस हजार योजन मिला देना चाहिये । किस पृथिवी का घनोदधि सहित कितना कितना प्रमाण है ? इस बात को सूत्रकार कहते हैं- 'सक्क पभाए' इत्यादि ।
કહ્યુ છે, એજ પ્રમાણે વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીથી લઇને અધસપ્તમી પૃથ્વી પન્ત નું અંતર પણ પૂર્વોક્ત ક્રમ પ્રમાણે સમજવુ'. આ સંબંધમાં પ્રશ્ન એ ઉપસ્થિત થાય છે કે શુ શરપ્રભા પૃથ્વના અતર પ્રમાણેનું જ અંતર देवानु छे ? ४ ३४ ३२२ छे ? या संधमा सूत्रार 'नजर' जीसे जं बाहल्ल' तेण वर्णोदी संबधेयत्रो बुद्धीए' या संमधभां अंतर २३२ એ છે કે જે પૃથ્વીનું જેટલું. બાહુલ્ય મેટાપણું કહેલ છે, તેમાં ધનાધિનુ બાહુલ્ય મેટાપણુ પોતપોતાની બુદ્ધીથી મેળવી લેવુ' જેઈએ. અર્થાત્ જે પૃથ્વીનું જેટલા પ્રમાણુનુ ખાતુલ્ય થાય છે, તેમાં ઘનેાધિનું બાહુલ્યું કે જે બધી પૃથ્વીાના ધનેાધિનું પ્રમાણ વીસ હજાર ચૈાજનનુ થાય છે. તે વીસ હજાર મેળવી દેવુ જોઇએ. કઈ પૃથ્વીનુ ઘનેાદિષ હિન કેટલુ કેટલું પ્રમાણ हे ? मे संभंधमां सूत्रार स्वयं हे 'सक्कर पभाए' त्यिाहि
3=
ܝܬܒ܂
55