Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
४०५
जीवामिगमले जीवाः 'किंणाणी अण्णाणी' किं ज्ञानिनो भवन्ति, अथवा अशानिनो भवन्तीति ज्ञानद्वारे प्रश्ना, भगवानाह-'गोयमा' हे गौतम ! 'नाणी वि अन्नाणी वि' ते पक्षिणो जीवा ज्ञानिनोऽपि भवन्ति तथा-अज्ञानिनोऽपि भवन्ति, तिणि नाणाई तिपिण
अण्णाणाई भयणाए' तत्र ये ज्ञानिन स्तेषां त्रीणि ज्ञानानि भवन्ति, तद्यथा-मतिकानं __ श्रुतज्ञानमवधिज्ञानञ्च, तत्र ये अज्ञानिनो भवन्ति तेषां त्रीणि अज्ञानानि भवन्ति मत्य
ज्ञानं श्रुताज्ञानं विभङ्गज्ञानश्चभजनया-विकल्पेनेति। तथाहि-ये शानिनस्ते द्विशानिन त्रिज्ञानिनो वा। येचाज्ञानिनस्तेऽपि द्वन्यज्ञानिन स्यज्ञानिनोवेति भजना। योगद्वारे प्रश्नमाह-'तेणं भंते' इत्यादि, 'ते णं भंते ! जीया' ते पक्षिणः खल भदन्त ! जीवाः किं मणजोगी, वइजोगी फायजोगी' किं मनोयोगिनो भवन्ति वचोयोगिनो दृष्टि भी होते है और सम्माधि' मिश्रदृष्टि भी होते हैं। तेणं मंते ! जीवा किं णाणी अण्णाणी' हे सदन्त ! वे जीव क्या ज्ञानी होते हैं ? या अज्ञानी होते है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम! वे जीव 'नाणी वि अन्नाणी विज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं। 'तिनिणाणाई तिन्नि अन्नाणाई लयणाए' इनरें जो ज्ञानी होते है उनके तीन ज्ञान होते हैं-मतिज्ञान, श्रुतज्ञाल और अवधिज्ञान और जो अज्ञानी होते हैं उनके तीन अज्ञान होते हैं मतिअज्ञान, श्रुतप्रज्ञान और विभंगहान वे ज्ञान और अज्ञान इनमें भजना से होते कहे गये हैं। अर्थात्-जो ज्ञानी होते है उनके दो ज्ञान अथवा तीन ज्ञान होते है। जो अज्ञानी होते हैं उनके दो अज्ञाल अथवा तीन अज्ञान होते हैं यह अजना है। 'लेणं भंते ! जीवा किंमणजोगी बहजोगी, कायजोगी' दीवि' भिथ्याष्टिपण५५ डाय छे भने 'सम्मामिच्छादिट्ठी वि' भित्र दृष्टिवाणा डाय छे. 'वे णं भते जीवा कि' णाणी अण्णाणी' 3 लगवन् તે જ શું જ્ઞાની હોય છે? કે અજ્ઞાની હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभु ४९ छ है 'गोयमा' हे गीतम! तेवा ! 'नाणी वि अण्णाणी वि' ज्ञानी ५ हाय है, मन अज्ञानी ५ डाय छे. 'तिन्नि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए' मामा २॥ ज्ञानी हाय छ, तमान भतिज्ञान, श्रुतज्ञान અને અવધિજ્ઞાન એ ત્રણ જ્ઞાન હોય છે. અને જેઓ અજ્ઞાની હોય છે, તેઓને મતિઅજ્ઞાન, શ્રતઅજ્ઞાન અને વિર્ભાગજ્ઞાન એ ત્રણ અજ્ઞાન હોય છે આ રીતે જ્ઞાન અને અજ્ઞાન તેઓને ભજનાથી હોય છે તેમ સમજવું. અર્થાત જેઓ જ્ઞાની હોય છે, તેઓને બે જ્ઞાન અથવા ત્રણ જ્ઞાન હોય છે, અને જેઓ અજ્ઞાની હોય છે, તેઓને બે અજ્ઞાન અથવા ત્રણ અજ્ઞાન હોય છે. આ રીતે सपना छे. ते ण भते ! जीवा कि' मणजोगी वइजोगी कायजोगी' हे सगवन