Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 838
________________ ८१५ जीवाभिगमसूत्र कंत्रास्थानीयाः, 'जायरूपमईयो ओहाडणीओ' जातरूपं-मुवर्णविशेषः तन्मयः अवघाटिन्यः आच्छादनहेतु कंचोपरि स्थाप्यमान महाममाण किलिंच स्थानीया 'वइरामईओ उरि पुंछणीओ' बज्रमय्यो वजानात्मिका अवघाटनीनामुपरि पुंछन्यः निविडतरच्छादन हेतुश्लक्ष्णतरतुणविशेषस्थानीयाः, तत्र-अवघाटनी महती, क्षुल्लिकातु पुच्छनी, इत्येव उभयोर्मेदः 'सबसेए स्ययामए छायणे' सर्वश्वेतं रजतमयं छादनम् सश्वेतं रजतमय पुंछनीनामुपरि कवेल्लुकानामध आच्छादनमिति ॥ 'सा णं परमवरवेश्या' सा खल्लु उपर्युक्ता पदमवरवेदिका 'एगमेगेणं हेमजालेणं' एककेन हेमजालेन सर्वात्मना हेममयेन लम्बमानेन लम्बमानेन दामसमूहेनेत्यर्थः 'एगमेगेणं गदक्ख नालेण' एकैकेन गवाक्षजालेन-गवाक्षाकृति रत्नविशेषदामसमूहे न 'एग गेण खिखिणो जालेग' एकैकेन किंकिणी जाछेन, किंकिण्या-क्षुद्रघण्टिकाः, तथा चैकैकेन शुदघण्टिका जाले. नेत्यर्थः 'एगयेगेणं सुत्ताजालेणं' एकैकेन मुक्तानालेन मुक्ताफलमयेन दामसमहेन 'एगमेगेगं मणिजालेणं' एकैकेन मणिमालेन मणिमयेन दामसमूहेन है। ढक्कन है वे जालरूप की बनी हुई है 'वहरामहओ उपरि पुंछणीओ इन ढक्कनों के ऊपर जो पुञ्छनी है-ढक्कनों के छेदों को बंद करने के लिये जो उनके ऊपर इलक्षणतर तृणविशेष के स्थानापन्न और ढक्कन है । जैसा कि घास के छापराओं के उपर बने रहते है-वे वज्र. रत्न की है अपघाटनी बडी होती है औ पुंछनी इसी प्रकार की छोटी होती है यही इन दोनों में अन्तर है। 'सबसेए रययामए छायणे' पुंछ. नीयों के उपर और कवेल्लमों के नीचे जो आच्छादन है वह रजत मय-चांदी का बना हुआ है । ऐसी यह वेदिका है 'सा णं पउमवरवेश्या एगमेगेणं हेमजालेणं एगमेगे णं गवखजालेणं एगमेगेणं खिखिणिजा लेणं एगमेगेण मुत्ताजालेणं, एगमेगेणं मणिजालेणं एगमेगेणं कणघजा'जातरूवमयीओ मोहाउणीओ' ४ासाने isq1 माटे तेना 6५२२ अपरिनि ढांय त त३५ २(नानी मनदी छे. 'वइरामइओ उवरि पुछणीओ' એ ઢાંકણની ઉપર જે પુચ્છની ઢાંકણુના છિદ્રોને બધ કરવા માટે તેના ઉપર જે લગતર તૃણ વિશેષના સ્થાને બીજા ઢાંકણું છે જેમ ઘાસના છાપરાઓ ઉપર બનાવેલા હોય છે તે જ ર ના છે. અવઘાટણ મોટી હોય છે, અને પછી તેનાજ જેવી નાની હોય છે. એટલું એ બન્નેમાં અંતર-જુદાઈ छ. 'सबसेए रययामए छायणे' योनी ९५२ भने ४वेनी नीयरे આચ્છાદન ઢાંકણું છે તે રજતમય ચાંદીના બનેલા છે. એવી તે વેદિકા છે. 'मा णं परमवरवेडया एगमेगेणं हेमजालेगं एगमेगेणं गवक्खजालेणं एगमेगेणं खिखिणिजालेण एगमेगेण मुचीमालेण एगमेगेणं मणिजालेण एगमेगेण कणय

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