Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
८८३
भPPORT
प्रमेयधोतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.५३ वनपण्डादिकवर्णनम् सुसंपउत्तस्स' आकोणवरतुरगसुसंधयुक्तस्य, आकीर्णा गुणैाप्ता आकीर्ण: जातीया वा ये वरा:-प्रधानास्तुरगा घटकास्ते सुष्टु-अतिशयेन सम्यमयुक्ताः योनिता यस्मिन् स आकीर्णवरतुरगसंमयुक्तस्तस्य, तथा-'कुमलनरछेयसारहिसु. संपरिंगडियस्स' कुशकनरच्छेकसारथिमुसंपरिगृहीतस्य, सारथि कर्मणि-अश्वचालन कार्य ये कुशला निपुणास्तेषां मध्ये अतिशयेन छे को दक्षस्तेन सारथिना सुष्ठुसम्यक् परिगृहीतस्य 'सरसय वत्तीसत्तूणपरिमंडियस्स' शरशतद्वात्रिंशत्तोणपरिमण्डितस्य, शराणां शतं प्रत्येकं येषु तानि शरशतानि, तानि च तानि द्वात्रिंशत्तूणानि च बाणाश्रयाः, इति शरशतद्वात्रिंशत्तूगानि तैमण्डितस्य, अधमर्थः-एवं खलु तानि द्वात्रिंशच्छरशतभूतानि तूणानि रथस्य सर्वतः पर्यन्तेषु अवलम्बितानि संग्रामाय उपकल्पितस्यातीव मण्डनानीव भवन्ति, 'सकंकड़बडिसगस्स' सकङ्कटा वतंसकस्य, कङ्कटं कवचं सहकङ्कटं यस्य स सकङ्कट:' साङ्कटः अवतंसा-शेखरो यस्य स सकङ्कटावस: तस्य, तथा-'स चाबसरपहरणभरियस्ल' स चापशरमहरणावरणभृतस्य, सह चापं येषां ते स चापाः ये शरवाणा: यानि च कुन्तमल्लिचढाई गइ हो 'आइण्णवरतुरगसुसंपउत्तम' अकीर्ण-गुणों से व्याप्त ऐसे श्रेष्ठ घोडे जिसमें अच्छी तरह से जूने हुए हों 'कुसलणरछेय सारहि सुसंपरिगहियरल' अश्वसंचालन रूप कार्य में कुशल ऐसे पुरुषों के बीच में जो दक्ष हैं ऐसे सारथि ले जो युक्त हो 'सरसपत्तीस तोरणपरिमंडितस्स' जिन में प्रत्येक में सौली बाण हो ऐसे ३२ बत्तीस भाथों से जो युक्त हो 'सकंफाडवडिलगल' बकतर सहित मुकुट जिसका हो 'सचावसरपहरणभरियरस' धनुषसहित वाण जिस में भरे हुए हो. तथा-कुंत-भाले-आदि प्रहरण, एवं कवच खेटक आदि आयुधों से जो परिपूर्ण हो। 'जोहजुद्ध सन्जस्स' तथा योद्धाओं के युद्ध के निमित्त जो सजाया गया हो ऐसे रहवरस्ल' संग्रामस्थ के जप कि वह 'रायं पाम मावी हाय 'आइण्णवरतुरगसुसंपयुत्तस्स' माघी गुथी व्यास मेवा उत्तम तीन घोडासा मा सारीतनतरवामां मावा हाय, 'कुसलगर छपसारहि सुसंपरिगहियस्स मय सयातनना आयमा यतु२ ५३षामा २ भात तर डाय सेवा सारथिथी२ त हाय, 'सरसवत्तीसतोण परिमांडित स्स'मा हरेमा सो सोमाय हाय सेवा मत्री माथामाथी युति हाय सककडवडिंसगरम' तर सहित भुशुटो ना हाय 'सचापसरपहर. भारयस्स' धनुष सहित माणे। मां सरेसा डाय, तथा त-माता विगैरे
डाय, 'जोहजुद्ध प्रहर। मन अक्य जेट विगैरे मायुधाथी २ परि सन्जरस'' तथा योद्धामान युद्ध भाट २२ सयाम माव्या हाय, मेवा