Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 892
________________ ८६६ जीवामिगमसूत्रे पिहरासह दा' चीनपिष्टराशिरिति वा चीनमिति रक्तवर्णो धान्यविशेषः तस्या पिष्टं चूर्ण तस्य राशि:- पुञ्ज इति वा 'जायसुपणकुसुमेह वा' जपाकुसुममिति वा 'किं सुयकुसुमेह व किंशुककुसुममिति वा, कि शुकः - पकाशवृक्ष स्तस्य पुष्पम् 'पारिजायकुसुमेह वा' पारिजातकुसुममिति वा 'रत्तुप्पले वा' रक्तोत्पलमिति वा 'रचासोएड वा' रक्ताशोक इति वा 'रत्तकणवीरेइ वा' रक्तकणवीर इति वा 'रक्तबंधुजीवेइ दा' रक्तबन्धुजीवक इति वा, 'भवेयारूवे सिया' भवेत्तृणानां मणीनां च एतावद्रूपः किं रक्तो वर्णावास इति गौतमस्य वाक्यम् । भगवानाह - 'हे गौतम! 'नो इट्टे समड़े' नायमर्थः समर्थः 'तेसि णं लोहियगाणं तणाण य कम्बल होता है 'चीनपट्टगसीह वा' जैसी लाल चीन पिष्ट राशि होती है अर्थात् चीन नोमका लालरंगका धान्यविशेष को कहते हैं उसका पीष्ट आटा जैसा होता है 'जायसुणकुसुमेह वा' जैसा लाल जासूसका फूल होता है । 'किंकुसुमेह वा' जैसा लाल 'किंशुक - पलाश का पुष्प होता है 'पारिजाय कुसुमेह वा' जेसा लाल पारिजातक का कुसुम होता है 'रत्तुप्पले वा' जैसा लाल रक्तोत्पल होता है। 'रत्तासोएइ चा' जैसा लाल रक्ताशोक होता है 'रत्तणवीरेह वा' जैसी लाल रक्त कनेर होती है 'रक्तबंधुजीवे वा' और जैमा लाल रक्त बंधुजीवक होता है तो 'भवेएयाहवेसिया' क्या ! हे भदन्त ! उन तृण और मणिओं का ऐसा ही लाल वर्णन होता है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री करते है- 'गोमा ! जो हण्डे बडे हे गौतम! यह अर्थ समर्थ नहीं है क्यो कि 'लेसि णं लोलियगाणं तणाणय नणणय' उन रक्त तृण एवं होय थे. 'किमिरागेइवा' भिरा ये साल होय हे 'रत्त कंबलेइवा' सास श्रमण रंग नेवासास हाय हे 'चीन विट्ठरासीइवा' थीन नामना धान्य विशेषनो पिष्ट बोट वो साल साथ छे, 'जायसुरण कुसुमेइवा' नेवासास रंग लसुना पुष्पा होय हे 'किं सुयकुसुमेइवा' विशु पाश भारानु युष्य सुनो रंग युष्य ने सास होय हाय है, 'पत्ता सोडवा सस रंग सासरे सास से छे 'पारिजाय कुसुमेवा' पारितउनु 'तुम्पले ईवा' सुतोत्यस साल भजनो रंग वा व सास २,ताश होय छे, 'रत्तकणवीरेइवा' लेवे होय छे, 'रत्तत्र धुजीवेदवा भने नेवासा रंग सास धुलवाना होय छे 'भवेयारूवेसिया' से लगवन् शु ं से तृथे। भने મચિાના રંગ એવેાજ લાલ હાય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે 'गोयमा ! णो णट्टे समट्टे' हे गौतम! अर्थ सभ्य नथी. भट्ठे 'तेसिणं लोहियमाण तणाणय मणीणय' से सास तृषो भने भथियोनो सास रंग 'एत्तो व हे "

Loading...

Page Navigation
1 ... 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929