Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवामिगमस्त्र 'मल्लियपुडाण वा' मल्लिकापुटानां वा, मल्लिका 'मोघरा' इति लोकमसिद्धा 'णो मल्लियपुडाण वा' नवमल्लिका पुटानां वा 'वासंतियपुडाण वा' वासन्तिकपुटानां वा सुगन्धयुक्ता लताविशेष: 'केयई पुडाण वा' केतकीपुटानां वा, केतकी 'केवडा' लोकामसिद्धा, 'कप्पूरपुडाण वा' कर्पूरपुटानां वा, 'अणुवायसि' एतेषां कोष्ठपुटादीनामनुचाते आघायकविवक्षितपुरुषाणामनुकूले वाते वाति सति 'उभिज्जमाणाण य' उद्धिमानानां समुद्घाटयमानानाम् च शब्दः सर्वत्रापि समुच्चये, 'णिभिज्जमाणाण य' निभिधमानानाम् अतिशयेन भिधमानानां त्रोटयमानानाम् 'कोटेजनमाणाण वा' कुटयमानानां वा, पत्र पुटैः परिमितानि यानि कोष्ठादि गन्धद्रव्याणि तानि अपरिमेये परिमाणोपचाराल कोष्ठपुटानीत्युच्यन्ते तेषां कुटयमानानाम् उदूखलादी कुटधमानानामिति । 'रुविजमाणाण वा' इति इक्ष्णखंडी क्रियमाणानाम् 'उकिरिज्जमाणाण बा' उत्कीयमाणानाम्-कोप्ठादिकपुरानां कोष्ठादिद्रव्याणां वा उत्कीयमाणाहै 'सल्लियपुडाण वा' जैसी गन्ध मल्लिका-घोघरा के-पुष्प पुरों की होती है 'णोमल्लियपुडाण वा' जैसी गन्ध नषमल्लिकाके पुष्पपुटों की होती है 'वासंतियपुडाण वा' जैली प्रवासन्तिलता के पुष्पपुटों की होती है 'केयईपुडाण वा' जैसी भन्ध केण्डे के पुटों की होती है 'कापूरपुडाण वा' जैसी गन्ध कपूर के पुटों की होती है इन समस्त ' पुटों की गन्ध 'अणुवायलि' जय कि अनुकूलवायुचल रही हो-अर्थात्
आघायक पुरुष जिस तरफ बैठे हो उसी तरफ इनकी गन्ध को लेकर हया यह रही हो और ये समस्त गन्ध पुट 'उभिजमाणोण य णि. भिज्जमाणाण य छोटेजमाणाणण' उल्ल समय उद्घाटित उघाडे जा रहे हो, अतिशय रूप से लोडे जारहे हो ऊखल आदिमे कूटे जा रहे हो 'संविज्जमाणाण का' छोटे २ इनके टुकडे शिये जा रहे घो, किरिज्ज. पानी की आय हाय छे. 'वासतिय पुडाणवा' वासति सताना पु०५ धुटे। नी वी काय छे. 'केयइपुडाणवा' पाना सुटानी २वी गाय छ 'कप्पूरपुडाणवा' पूरना पुटानी वीडय छ, । सधान टोनी ५ 'अणुवायखि' स्यारे मनु वायु दाता डाय अर्थात् पास सनार ५३५ २ તરફ બેઠે હોય એ તરફની હવા ચાલી રહી હોય અને આ સઘળા ગંધ પુટો 'उभिज्जमाणाणय णिभिज्जमाणाणय कोटेजमाणाणय' से समय 6वामा આવેલ હોય તેલંઘપુને અતિશય પણુથી તાડવામાં આવતા હોય ખાડણિયા विगेरभां मांडवामा सावता हाय 'नविजमाणाणवा' नाना नाना तेना २४ ४२राता डाय 'उक्किरिज्जमाणाणवा' तन 6५२ मामा माता काय