Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जोवाभिगमने जलान्तः पतिविम्वितानामावलिः-पंक्तिरिति चन्द्रावलिः । 'सारदीय रलाहएइ पा' शारदीय बलाहक इति वा, शारदीय:-शरत्कालसम्बन्धी वकाहको मेघ इति शारदीय बलाहक इति, 'धंधोयरुप्प पट्टे या' ध्मावधीतरूप्यपट्ट इति वा, माट: -अग्निसण निर्मलीकृतो धौतो भूमिखरण्डित हस्तसंमार्जनेन निशितीकतो यो हप्यरहो रजतपत्रम् स मातधौतरूप्यपट्टः । अथवा ध्मातेन- अग्निसंयोगेन यो धौता-शोधितो रूप्यपट्टः । 'सालिपिट्ठरासीति वा' शालिपिष्टराशिरिति वा, शालीनां तण्डुलानां पिष्टं क्षोदरस्य राशिः पुञ्ज इति वा, शालिपिटराशिरिति । 'कुंदपुष्फगमोति वा, कुन्दपुष्पगशिरिति चा, कुन्दपुष्पं लोकप्रसिद्ध वस्य राशि:समुदाय इति कुन्दपुष्पराशिरिति 'कुमुपरासीति वा कुमुदरा शिरिति वा, कुशुदा -चन्द्रविकाशि कमलाना राशिरिति कुमृदराशिगिति 'मुक्कछि बाडीति का शुष्कछिवाडी इति वा, छेवाडी नाम वल्लादि फलिका या च क्वचिदेशविशोपे शुष्का सती शुक्ला भवति इति तदुपादानम् । पेहुण मिजाति वा' पेहमिंजेति वा की पंक्ति जैसी सफेद होती है। 'सारवीचयलाह पइ वा' शारदीय शरस्काल सम्बन्धी-बलाहक-मेघ जैमा घवल होता है 'धंतोयसर. पट्टे वा' मात अग्नि के संपर्क से निर्मल किया गया पश्चात्-धौत राख आदि से मांजर और हाथ आदि से साफ कर निर्मल किया गण ग्जत पट्ट जैसा सफेद होता है 'मालिपिहानीति वा' चावल की चूर्ण शिजी मफेद होती है 'कुंद पुप्फगनीति दा' कुंद पुष्पगशि जैमी सफेद होती है 'कुमुपरामीति का कुमुद श्वन कमल की राशि जैमी मफे होनी है 'सुकाछिबाडीति वा सेमकी फली का नाम छिवाडी है या सुग्व जाने पर लफेद रो जाती है अतः शुरुकाछियाडी के जैसी सफेद हती है 'पेहुणमिजाति वा पेडण-मयूर पीच्छ के मध्यवर्ती मिञ्ज। जैलो अतीयधवल होती है 'बिसेति वा' पिम मृगाल जैमा स३ सय 2, 'सारदीयपलाहए तिवा' २२ जना पल है. मेघा पा र ), 'धत धोयह पाइजा' भात मनिना योगयी निम ४२१mi 24 सन તે પછી રાખ વિગેરેથી મજીને હાથ વિગેરેથી સાફ કરી નિર્મળ બનાવેલ याही 24 सह हाय छ, 'सालिपिगसीतिबा' यामान खोटो सहि हाय छ, 'कु'फास तिवा' १६ १८५ने। सभू । सई हाय छे. 'सक्कछिवाडी तिवा' सेमनी ५सीन 1ि 33 छे ते स तय त्यारे से 25 लय छ तशी सु2 छिी २वी २३४ डाय छे 'पेहुण मिजा pવા પણ મેરના પીછાની મદમાં રહેલ મિંજા જેવી સફેદ હોય છે, 'बोसेइवा' जिस भृयाल व स३६ हाय छे, मिणालिएतिवा' भृणालिन