Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 839
________________ प्रद्योतिका टीका प्र०३ उ. ३ खु. ५२ जंगत्याः पद्मवर वेदिकायाश्चवर्णनम् ८२३ ' एगमेगेणं कणयजालेन' एकैकेन कनकजालेन वनकं पीतसुवर्णविशेषः तन्मयेन दामसमूहेन 'एगमेगेणं रयणजाले' एकैकेन रत्नजालेन 'एममेगेणं पउमजालेणं सव्वरयणामएणं' एकैकेन पद्मजालेन सर्वरत्नमयेन सर्वरत्नमय पद्मालय दाम समूहेन 'सओ समता संपरिक्खित्ता' सर्वतः सर्वासु दिक्षु समन्तात् सर्वासुविदिक्षु परिक्षिप्ता- सम्यक्परिवेष्टिता । ' ते णं जाला तवणिज्जलंबूनगा' तानि खलु जालानि दामसमूहरूपाणि हेमजालादीनि तपनीयलंबूसकानि, तपनीयमारक्तं सुवर्ण तन्मयो लंबूको दाम्नामग्रिमभागे मण्डनविशेषो येशं तानि तपनीयलम्बूकानि 'सुवण्णपयरगमंडिया' सुवर्णमतरव मण्डितानि, पार्श्वतः सामस्त्येन लेणं एगमेगेणं रथघजालेणं एगसेगेणं पडमबरजोलणं सग्घरयणाम एणं सव्वतो समता संपरिक्खित्ता' वह पद्मवर वेदिका भिन्न भिन्न स्थानों में एक एक हेमजाल से लटकते हुए सुवर्णमय मालासह से एक एक गवाक्ष जाल से लटकते हुए गवाक्ष की आकृति वाले रत्नविशेष की मालासमूह से एक एक लटकते हुए क्षुद्रघंटिका जाल से एक एक लटकते हुए चडेर घंटिका जाल से लटकते हुए मुक्ताफलमय दामसमूह से, एकएक लटकते हुए कनकजाल से पीत सुवर्णमय दामसमूह से एकएक लटकते हुए रत्नजाल से - रत्नमयदामसमूह से एक एक सर्वरत्नमय कमलों की माला के समूह से सर्वदिशाभों में और विदिशाओं में व्याप्त हो रही है । परिवेष्टित बनी हुई है । 'तेणं जाला नवणिज्जलं बूगा' ये सब दामसमूहरूप जाल तपनीय सुवर्ण के लंबूसक वाले है। अर्थात ये हिमादि के जाल अग्रभाग में तपनीय आरक्त-सुवर्ण के - जालेगं एगमेगेगं रययजा लेण एगमेगेण परमवरजालेण सव्वरयणा मरणं सव्वश्र खमना सपरिक्खित्ता' को पझर वेहि लुगा स्थानास भेटले हे. ४ એક બાજુ હેમજાલથી લટકતા સુષુમય માળા સમૂહથી કઇ બાજુ ગવાક્ષ જાક્ષથી લટકતા ગવાક્ષના આકારવાળા રન વિશેષની માલા સમૂહથી કેઈ ભ જુ એક એક લટતી ક્ષુદ્ર નાની નાની ઘટિકાજાલથી ઘડિસે.ના સમૂહથી કોઈ માજી એક એક લટકતા માટી માટી ઘટિકાજાળથી, લટકતા ચુકતાફળમય માયા વાળા દામ સમૂડાની માળાએથી એક એક લટકતા કમળજાલથી કમળાના સમૂહથી પીતર સુવણુ મય માળ એના સમૂડથી એક એક લટકતા રત્નજાળથી રત્નમય માળાઓના સમૂહેાથી એક એક સ રત્નમય કળાની માળાના સમૂડીથી સર્વ દિશાએથી અને વિદિશાએથી વ્યાપ્ત થઇ રહી છે. પરિવષ્ટિત વીંટળાયેલી રહે છે. 'ते ण' जाला नवणिजलंबूसगा' मा मधा हान सभूडु ३५ ला तपा

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