Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टोका प्र. ३ उं. ३ खू. २८ स्वस्तिकादि विमाननिरूपणम्
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'ए महालया गोयमा ! ते विमाणा पनता' एतावन्महान्ति खलु गौतम । तानि विमानानि प्रज्ञप्तानि - कथितानि इति । ' अस्थि णं भंते ! विमाणाई' सन्ति खल मदन्त । तानि विमानानि 'अचीणि' अर्चिषि - अचिर्नामानि तथा - 'अचिरावत्ताई' अर्चिरावर्त्तानि 'तहेव जाव अच्चु नरवर्डिसगाई' अर्चिरूत्तरावतंसकानि किम् ? अत्र यावत्पदेन अर्चिःप्रमाणि, अर्चिःकान्तानि, अर्चिर्णानि, अर्चिर्लेश्यानि, अर्चि
मानि, अचिः शृङ्गाराणि, अचिःकूटानि पर्विशिष्टानि इत्येतेषां ग्रहणं भवतीति । भगवानाह - 'हंता' इत्यादि, 'हंता गोयमा' हन्त गौतम ! 'अस्थि' सन्ति दे गौतम | अचिरादिनामकानि विमानानि यथोक्तनामगुणविशिष्टानि विद्यन्ते इति ।
'ते विमाणा के महालया पद्मत्ता' तानि अचिनमकादीनि विमानानि कियमेहन्ति-कियत्प्रमाणक महत्त्वयुक्तानि मज्ञानि कथितानीति प्रश्नः, भगवानाह - ' एवं जहा' इत्यादि, 'एवं जहा सोत्थियाईणि' एवं यथा स्वस्तिकादीनि सूर्योद
'अस्थि णं भंते । विमाणाह" हे भदन्त ! क्या ये विमान है 'अच्चीणि'' अर्चि 'अचिरावत्ताह' अदिरावर्त 'तहेब जाव अच्चुत्तरावडिंसगाई' उसी प्रकार यावत् अर्चिः प्रभ, अर्चि कान्त, अर्चिवर्ण, अर्चिलेश्य अर्ध्विज अर्चिः श्रंग, और अर्चिः कूट अविशिष्ट, अर्विरुत्तरावतंसक, ये विमान है क्या ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'हंता गोयमा ! अस्थि' हां गौतम ! ये विमान है 'ते विमाणा के महालया पण्णत्ता' हे भदन्त ! ये अर्चि अविरावर्त आदि विमान कितने बड़े कहे गये हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं - ' एवं जहा सोत्थिद्यानि' हे गौतम! जैसा कथन स्वस्तिक आदि विमानों की महत्ता के सम्बन्ध में किया गया है, बेसा
श्रीगौतमस्वाभी अनुश्रीने पूछे थे 'अस्थि णं' भ'वे ! विमाणाइ" से लगवन् शु' मा विभानो छे ? 'अच्चीणि' अर्थ जच्चिरावचाई' अर्थिशवत' 'तहेव जाव अच्चुत्तरवडि 'सगाई' मेन प्रभाषे यावत् सर्यिःप्रल, सशिांत अर्थिवर्थ, मयि बेश्य, अश्विन, अर्थिग अने अर्थिछूट, अर्थि:शिष्ट, અર્ચિત્તરાવ'તસગ્મા વિમાને છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે 'हता गोयमा ! अस्थि' हा गौतम ! या विमाना हे 'ते विमाणा के महालया पण्णत्ता' हे भगवन् मा अयि:यि रावत विगेरे विमानो ऐसा भेटा है ? श्या प्रश्नना उत्तरमां प्रभु हे छे 3 ' एवं ' जड़ा खोत्थियाणि' हे गौतम! स्वस्ति