Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रद्योतिका टीका प्र. ३. उ. ३ . २८ स्वस्तिकादि विमाननिरूपणम्
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सप्त- नव-नव-गुणं क्रमेण कर्त्तव्यम् इति । पूर्वोक्तं क्षेत्रं कियत्परिमितं भवेदिश्याह'सीयालीस सहस्सा' इत्यादि, सप्त- चत्वारिंशत्सहस्राणि, देश, योजनानि एकस्य योजनस्यैकविंशति स्त्रिषष्टिभागाः (४७२६३३) इयत्परिमितं भवति वत्तु कदा भवतीत्याह - 'कक्कडसाइम्मि' कर्कटादौ कर्कसंक्रान्ते रादौ प्रथमदिने भत्रति जम्बूद्वीपे सर्वाभ्यन्तरमण्डले गते सूर्ये सर्वोत्कृष्टे दिवसे 'पेच्छवरारा' मनुष्याः सूर्यप्रेक्षन्ते 'एयं दुगुणं काउ' एतत् क्षेत्रं द्विगुणं कृत्वा उदय-क्षेत्र मस्तक्षेत्र चेति द्वयमाश्रित्य प्रत्येकावकाशान्तरापेक्षया क्रमशः 'विपण सत्तमाईहि' त्रि-पश्च
जितने दूर क्षेत्र में पूर्वदिशा में सूर्य उगता है और जितने दूर क्षेत्र में पश्चिम दिशा में सूर्य अस्त होता है उतने प्रमाण के दोनों क्षेत्रों में प्रत्येक क्षेत्र को 'तिपण सत्तनव गुणं' अर्थात् क्रम से तीन पांच खात और नव से गुनाना चाहिये, वह पूर्वोक्त सूर्योदय और सूर्यास्त के अन्तरालका क्षेत्र कितना होता है जिसको तीन आदि से गुनाया जाय उस क्षेत्र का प्रमाण इस प्रकार है 'सीयालीस लहस्सा' इत्यादि, सैंतालीस हजार दो सौ तेसठ योजन और एक योजन के इक्कीस साठिया भाग (४७२६३३) एक सूर्योदय और सूर्यास्त में एक क्षेत्र का प्रमाण हुआ । यह प्रमाण कब होता है उसके लिये कहते हैं- 'कक्कडमाइस्मि' कर्क, संक्रान्ति के आदि- प्रथम दिन में सूर्य जब सर्वाभ्यन्तर मण्डल में प्रवेश करता है उस समय सर्वोत्कृष्ट - सब से बडा दिन होता है इस दिन सूर्योदय सूर्यास्त के क्षेत्र का इतना प्रमाण होता है । 'एवं दुगुणं कार्ड' अर्थात् इस उदय क्षेत्र और अस्त क्षेत्र ये दो होने से उपर्युक्त क्षेत्र को જેટલે દૂરના ક્ષેત્રમાં પૂર્વાદિશામાં સૂર્ય ઉગે છે. અને જેટલા દૂરના ક્ષેત્રમાં પશ્ચિમ દિશામાં સૂર્ય આથમે છે. એટલા પ્રમાણના અન્ને ક્ષેત્રામાં દરેક क्षेत्रने 'तिपणखत्तनव गुणं' अर्थात् उमश्री त्र, पांच, सात, अने नवथी ગુણવા જોઇએ આ પૂર્વોક્ત સૂર્યોદય અને સૂર્યાસ્તના અંતરાલનું ક્ષેત્ર કેટલુ હોય છે ? જેને ત્રશુ વિગેરેથી ગુણુવામાં આવે એ ક્ષેત્રનુ પ્રમાણ આ પ્રમાણે छे. 'सीयालीस सहस्सा' इत्यादि सुडतालीस सुन्तर से। त्रेसह योनन भने ५४ योगनना ओवीस साहिया लाग (४७२६३१ !) ये सूर्योदय भने સૂર્યાસ્તમાં એક ક્ષેત્રનું પ્રમાણ થયું. આ પ્રમાણે કયારે થાય છે ? તે સબંધમાં उडे छे है 'कक्कड़माइम्मि' ४, अन्तिना पहले हिवसे सूर्य न्यारे सर्वाभ्यन्तर મડલમાં પ્રવેશ કરે છે, તે વખતે સત્કૃષ્ટ અર્થાત્ સૌથી માટે દિવસ હાય छे. ते हिवसे सूर्योदय सूर्यास्तना क्षेत्र खेटर्स प्रभाष छे 'ए' दुगु काउ' અર્થાત્ ઉદયક્ષેત્ર અને અસ્તક્ષેત્ર આ મેહાવાથી ઉપરાક્ત ક્ષેત્રને ખમણુ