Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेययोतिका टीका प्र.३ उ.३ २.५१ छीपसमुद्रनिरूपणम्
७२७ हे आयुष्मन् ! अस्सि विरियलोए' इत्यनेन स्थानं कथिरम् 3 संखेज्जा' इत्यनेन संख्या कथि 31, 'दुगुणा दुगुणं' इत्यादिना प्रमाणं कथितम्, 'सठाणओ' इत्यादिना संस्थान कथितमिति ।
सम्मति-आकारभावमत्यत्रता विवक्षुरिदमाह-'तत्य ' इत्यादि,
'तत्थ णं अयं जंबुद्दोवे णासं दीवे' तत्र-तेषु द्वीपसमुद्रेषु मध्ये खलु अयं यत्र वसामो वयं स जम्बूद्वीपो नाम द्वीपोऽस्ति । स कधं भू: ? तबाह-'दीयस मुद्दाण' इत्यादि, 'दीव समुदाणं अमित रिए' सर्व द्वीपसमुद्राणां सर्वाभ्यन्तरक'; सर्वा मना सामस्त्येन अभ्यन्तरः सर्वाभ्यन्तरः सर्वाभ्यन्तर एव सभ्यन्तरकः, तथाहिसर्वेऽपि शेपा द्वीपसमुद्राः जम्बुद्वीपादारभ्यागरकथितप्रकारेण द्विगुणद्विगुण विस्तरास्ततो भवति जम्बूद्वीपो द्वीपः सर्वाभ्यन्तरका, अनेन जम्बूद्वीपस्यावस्थान कथितमिति । इममेव वर्णयति-'सबखुड्डाए' इत्यादि, अयं जम्बूडीयो द्वीपः 'सखुडूडाए' सर्वक्षुल्कका सर्वेभ्योऽपि द्वीपसमुद्रेभ्यः क्षुल्लको घुरिति सर्व इस सूत्रपाठ द्वारा द्वीपसमुद्रो की संख्या प्रकट की है । 'दुगुणा दुगुणं' इस सूत्रपाठ द्वारा उनका प्रमाण बतलाया गया है 'संठाणो' इस पद द्वारा उनका संस्थान कहा गया है 'तत्य र्ण अयं जंबुद्दीचे णामं दीवे दीवसमुदणं अभिनरिए सव्वखुड्डाए चट्टे तेल्ल पूयसंठाण संठिते घट्टे रहचकवाल संठाणसंटिते बटूटे' उन द्वीप समुद्रो के वीच में सघले पहिला जम्दी नामका द्वीप की जिसमें हमलोग रहते हैं इसीलिये इसे 'दीवसमुदणं अमिलरिए' इन्न पद से विशे पत किया गया है क्योंकि समस्त द्वोपनमुद जम्बूद्वीप से लगाकर ही आगमोक्त प्रकार के अनुसार हुने २ विस्तार वाले प्रकट किया है। अब जम्बूदीप का वर्णन करते है। 'सव्वखुड्डाए' यह जम्बू दीप सबसे छोटा है। 'सच. खुइडाए' इस पद के द्वारा यह समझाया गया है। कि यह जम्वदीप दुगुण' मा सूत्र५४ ६२६ तेभ प्रभ ए मताanvi मावस छे. सटाणो' से ५४ द्वारा तन संस्थान 'तत्थ ण सय जवुहोवे णाम दीवे दीवसमुदाण अम्भितरिए सव्व बुड्डाए बट्टे तेल्लापूयस ठाणस ठिते वट्टे रहचक्कव लस ठाणस ठिवे व मेद्वीप समुद्रोमा सोथी पक्षद्वीप नामना द्वीप हे रेभा मापणे २७-ये छीये ते तने दीवसमुदाण अभितरिए' से पहथी વિશેષિત કરેલ છે. કેમકે સઘળા દ્વિપ અને સમુદ્રો જબૂદ્વીપથી આરંભીને જ આગમત પ્રકાર પ્રમાણે બમણ બમ વિસ્તારવાળા બતાવેલ છે.
दीनु वन ४२वामा मात्र छे. 'सव्वखुदाए' 241 मृद्धी सोयी नानी छे. 'सबखुड्डाए' मा ५६ ६२१ मे समन्तामा माव्यु छ ३