Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयधोतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.३८ एकोहक मनुजीनामाकारादिक इ ५९९ संघया, तत्र-सु-सुष्टु अतिशयेन निर्मिते-रचिते सुग्ढे-मांसलतयाऽनुपलक्ष्ये ये जानुमण्डले ताभ्यां सुबद्ध दृढस्नायुक्त्वादश्लथः संघि:-जानुपन्धिभागो यासां तास्तथा, 'कलिक्खंभातिरेग संठिय णिवण सुकुमाल मउय कोमन्छ अहिरल समसंहित सुनात वट्टपीवर गिरतरोरू' कदलीस्तम्मातिरेक संस्थित निगमकुमार मृदुककोमलाविरलसमसंहत सुजातवृत्तपीचरनिरन्तरोरवः तत्र कदलीस्तम्भाभ्यामतिरेकेण अतिशायितया कदलीस्तस्मसंस्थानापेक्षयाप्यतिशयेन सौन्दर्ययुक्त संस्थितं ययोस्ती निर्बणी-विस्फोटकादिक्षतवजितो अतएन सुझुपारी चिकणौ मृदुकौ-मार्दवगुणसंपन्नी, अतएव कोमलौ-वहिर्भागापेक्षय पेशको अवि. रलो-परस्परासन्नौ समौ प्रमाणतस्तुल्यो सन्तौ संहती-समश्रेणिस्थिती सुजातीमुनिष्पन्नौ-जन्मजावदोषजितौ वृत्तौ-वर्तुलौ पीवरौं पुष्टी निरन्तरों परस्परनिर्विशेषो-ऊरू यासां तास्तथा, 'अट्ठावयवीची पटसंठिय-पसत्य वित्पिन्न पिहु. सुन्दर लगने वाला होता है 'सुणिम्मिथ यूहजाणु मंडल सुबद्ध संधी' इनकी संधि सुनिर्मित एवं सुगढ-अनुपलक्ष्य उपर ले नहीं दीखने वाले जानु मण्डल से सुषद्ध होती है-दृढस्नायु युक्त होने से अशिथिल होती है 'कलिक्खंभातिरेक संठिय निव्वण सुकुमालयउय क्षोमल अविरल समसहित सुजात वह पीचर णिरंतरोरू' इन के दोनों उरू हदली स्तम्भ के जैसे आकार वाले होते हैं, रिव्रण-विस्फोटक-फोडे आदि से रहित होते हैं सुकुमार सुहाले होते हैं, मृदु होते कोमल होते हैं अविरल होते हैं-परस्पर निकट-पास पाल में होते है सम होते हैं-प्रमाण में बराबर होते हैं सहित होते हैं जुटे हुए होते है सुजान-सुनिन्नवृत्त गोल आकार के होते हैं पीवर-पुष्ट होते हैं और आपल में नि: शेष-समान-एफ से-होते हैं । 'अट्टाक्यवीची घट्ट संठिय पथ विधि गूहजाणुमदल सुबद्धसंधी' तमानी सधी सुनिमित मने सुगूढ मेट 6u.था ન દેખાય તેવા જાનુ મંડલથી સુબદ્ધ હોય છે. દેઢ સ્નાયુ યુક્ત હોવાથી અશિથિલ हाय छे. 'कयलिख भातिरेक संठियनिव्वण सुकुमालमउय कोसल रिल समसहितसुजातवट्टपीवरणिरतरोरू' माना गन्ने ७३॥ (घ) ना સ્તંભન જેવા આકારવાળા સુંદર હોય છે, નિર્વાણ વિટક એટલે કે ફલ્લા વિગેરે વિનાના હોય છે. સુકુમાર અને શોભાયમાન હોય છે મદુ કેમળ હોય છે. અવિરલ હોય છે પરસ્પર એક બીજાની નજીક નજીક હોય છે. સમ કહેતાં સરખા હોય છે. પ્રમાણસરના હોય છે. સહિત હોય છે. એક બીજાને લાગે છે. સુજાત અને સુપિન્ન હોય છે ઘર નામગોળ આકારના કાય છે, પીવર પુષ્ટ હોય છે. અને આપસમાં નિર્વિશેષ સરખા એક જેવાજ