Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
जीवामिगमले ६७६ मुकाल:-उपवादि रहितः कालः 'दुकालाइ वा दुकाउ इति पा ले रहवः कालः, 'मुभिक्खाइ वा भिक्ष इति जा, सायादिनिप्पत्तिरूपः, 'दुमिकालाइ वा दुर्मिक्ष इखि वा-सस्थायभावरूपः, 'अप्पग्याइ वा अल्पाघ इति वा-अरगमूल्येन वस्तु. माप्तिः, 'महग्याइना' महार्घ इति वा, बहुमूल्येन वस्तु पाप्तिः 'कयाइ बा' क्रयाक्रयणकमिति वा, मूल्येन दस्तुन आदानम् 'महाविक्काइ वा महाविक्रय:-महाविक्रयणकमिति वा, वहुमूल्येन वस्तुनः पदानम् 'सगिहीई वा' सनिधिरितिवा 'संचयाइ वा संचघ इति वा, सत्यपि वस्तुनि पुनस्तस्य संग्रणम्, 'निधीदवा' निधिरिति वा, बहुमूल्यवस्तुस्थापनम् 'निहाणाहवा' निधानमिति वा, भूम्याद्यन्तः स्थापितधनादिकम् 'चिरपोराणाइ वा चिरपुराणमिति चा, चिरपतिष्ठिात्न पुराणं चिरकालस्थापितम् । अतएव 'पहीणसामियाइ वा' प्रही स्वामिकमिति वा महीण:होती है और वृष्टि में घनी वृष्टि होती है इसी तरह 'सुकालाइ वा' उस एकोहक छीप में सुकाल रहता है यश 'दुकालाइ वा दुष्काल होता है। 'सुभिक्खाह का' सूभिक्ष धान्यादि की निष्पत्ति रूप होता है या 'दुभिक्खाइ वा दुर्भिक्ष धान्यादि की निष्पत्ति का अभाव रूप होता है। 'अप्पग्धाइ वा वस्तुऐं अल्प मूल्य में मिलती है ? 'महरघाइ वा' बहुत मूल्य में मिलती है ? 'कयाइ महाविक्कयाइ वा वहां वस्तुओं की खरीदी होती है ? या बहुत अधिक विक्री होती है ? 'सणेहीइ वा' लोगों के वहां भोग्य पदार्थों का संग्रह होता है ? 'संचयाइ वा वहां के लोग वस्तुओं के होते हुए फिर आगे के लिये संचय करते है ? 'निधी वा बहु मूल्य घस्तुओं का संग्रह होता है ? 'निहाणातिवा' लोग वहां द्रव्य को जमीन में गाढकर रखते है ? 'चिरपोराणाइया' यहां पर लोग ગ્રહણ કરાયા છે. વર્ષાકાળમાં સામાન્ય રીતે વરસાદ થાય છે ? અને વર્ષો
mमा धारे प्रमाथी १२साह थाय छ ? शत 'सकालाइवा' से मेछ। ३४ द्वीप सुट २९ ? अथवा 'दुक्कालाइवा' हुण हाय छे १ 'सुभि क्खाइमा धान्यादी पत्ति ३५ सु डाय छ १ 'दुभिक्खाइवा' धान्याहिनी उत्पत्तिना मला१३५ हुण डाय छ ? 'अप्पग्बोइवा' वस्तु मह५ भूव्यथा सोधी भणे छ ? अथवा 'महग्याइवा' मुख्यथा (भांधी) भजे छ ? 'कया इमहाविकयाइवा ci पस्तुशानी परी थाय छे १ अथ पधारे प्रभाथी क्या थाय छे १ 'सणेहीइवा' साली त्यां साम्य पहानी संग्रह रे ? 'सचयाइवा' त्यांना
सोडावा छमविष्य माटे सयय ४२ छ। 'निधीइवा मधिः भृश्यवाणी परतुमाना सह थाय छ १ 'निहाणातिवा' त्यां स धनने ४मी माटे छे ? 'चिरपोराणाइवा त्यांना पांस