Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेययोतिका टीका प्र.३ उ.३ २.४४ हयकर्णद्वीपनिरूपणम्
७०३ विष्कम्भ:-आयामविष्कम्भो भवति 'तस्स तत्तियो चेव ओगाहो' तस्य चतुष्क स्याऽवगाहस्तावक एव भवति । तत्र 'पढमाईण परिरओ' प्रथमादीनां चतुष्काणां यावस्परिमितः परिरया-परिधिर्भवति 'सेसा णं जाण अहिओ' शेषाणां प्रथमादिभ्योऽग्रेऽतनानां परिरयोऽधिको भवति, अयं भावः-पूर्वपूर्वपरिरयपरिमाणे उत्तरोत्तरपरियपरिमाण प्रत्येकं षोडशोत्तरत्रिशत प्रक्षेपेणाधिकं भवतीति 'जाण' जानीहि । 'सेसा जहा एगोरुयदीवस्स' शेषा अवशिष्टा वक्तव्यता यथा-येनप्रकारेण एकोरुकद्वीपस्य कथिता तथैव सर्वेषां द्वीपानां ज्ञातव्येति । कियत्पर्यन्तमित्याह-'जाव सुद्धदंत दीवे' यावत्-द्वितीयचतुष्कगत हयकर्ण द्वीपादारभ्य सप्तमचतुष्कगताऽष्टाविंशतितमशुद्ध दन्त द्वीपश्यन्तम् एकोरुकद्वीपबद् ज्ञातव्यमितिभावः । ___ एतेषामेव द्वीपानामवगाहायामविष्कम्भपरिरय (परिक्षेप) परिमाणसंग्रह गाथा आहअर्थात् जिस चतुष्क का जितना विष्कम्भ है उस चतुष्क की उतनी ही अवगाहना है 'पढवाइयाण परिरओ जाण सेसाणअहिओउ' प्रथम आदि चतुष्कों का परिक्षेप जितना कहा गया है उनके परिक्षेत्र प्रमाण में अधिकता होती जाती है इसका तात्पर्य यह है कि पूर्व पूर्व के चतुष्क के परिधि परिमाण में प्रत्येक में तीनसो सोलह मिलाने से आगे का परिधि परिमाण अधिक अधिक होता जाता है यही माद 'पदमाइयाणपरिरओ, लेसा णं जाण अहि. ओउ' इस गाथाई से प्रकट होता है 'सेसा जहा एगोख्यदीवस्स जाव सुद्धदन्तीवे' शेष सब द्वीपों की वक्तव्यताएकोरुक द्वीप के जैसी समझ लेनी चाहिये, अठाइसा शुद्धदना द्वीप तक इन द्वीपों के अवगाह आयाम विष्कम्भ, और परिरथ परिधि-इनके परिमाण की संग्रह गाथाएं तस्स तत्तिओ चेव' मात्र यतु । २a (qozr , ते यानी मेटली ११ अमाना है. 'पढमाइयाण परिरओ जाण सेसाण अहिओउ' ५। विगैरे ચતુર્કને પરિક્ષેપ એટલે કહેલ છે, તેના પરિક્ષેપ પ્રમાણમાં અધિકપણું થતું જાય છે.
આનુ તાત્પર્ય એ છે કે પહેલાના ચતુષ્કની પરિધિના પરિમાણમાં દરેકમાં ૩૧૬ વણસે સેળ મેળવવાથી આગળની પરિધિનું પરિમાણ વધારે વધારે थतु य छ, मे मा 'पढमाइयाण परिरओ सेसाणं जाण अहिओउ' मा
यथा याय छे. 'सेसा जहा एगोरुयदीवस्स जाव सुद्धदत दीव' शेष सधा દ્વિીપનું કથન એકેક દ્વીપના કથન પ્રમાણેનું સમજી લેવું અઠયાવીસમા શકદંત દ્વીપ પર્યત આ દ્વીપેની અવગાહના, આયામ, વિન્કંભ અને પરિ२य परिधिना परिमारानी सब गाथा-सा मा प्रमाणे छे. 'पढमम्मि तिन्नि उ