Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवामिगमसूत्र ७३० देवसाहस्या-कियत्संख्यकानि देवसहरमाणि प्राप्तानि-कयितानीतिप्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्पादि, 'मोयमा' हे गौतम! 'चमरस्सणं अमरिदस्स असुररन्नो' चमरस्य खल्ल असुरकुमारेन्द्रस्य असुरकुमारराजस्य 'अभितरपरिसाए' अभ्यन्तरदि-प्रथमसभायां समिताभिधानायाम् 'चउवीस देव. साहस्सीयो पानत्ताओ' चतुर्विंशति:-चतुर्विंशतिसंहसका देवसाहस्यः देवसहस्राणि प्रज्ञप्तानि-शयितानि तथा-'मझिझियाए परिसाए' साध्यमिकायां द्वितीयस्यां चण्डाभिधानायां पदि 'अठ्ठावीसं देवसाहरसीनो पन्नत्ताओ' अष्टाविंशतिसंख्यका देवसाहस्यः-देवसहस्त्राणि घज्ञप्तानि-कथितालि 'वाहि. रियाए परिसाए बत्तीसं देवसाहरुटीयो पनत्ताओ' बाह्यायां तृतीयस्यां जाताभिधानायां पर्षदि-सभायां हानिशत्संख्यका देवसाहत्यः-देवसहस्राणि प्रज्ञप्तानीति ॥ 'चमरस णं भंते ! चमरस्य खलु भदन्त ! 'असुरिंदस्स असुररणों' अमरकुमारेन्द्रस्य असुरक्छुपारराजस्य 'अभितरियाए परिसाए' आभ्यन्तरिझायां प्रथमायां अमिताभिधानायां पर्पदि 'कइ देविसया पन्ना कति-झियत्संख्यकानि 'बाहिरिथाए परिसाए कह देवसाहसीओ पन्नताओं वाय परिषदा में कितने हजार देव है ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु श्री कहते है-'गोयमा! चमरस्त णं असुरिंदरल असुररनो' हे गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की 'अमितपरिसाए' आभ्यन्तर परिषदा में 'चउबीसं देव साहस्सीओ पन्नताओ' चोख २४ हजार देव कहे गये है। 'मज्झमि. याए पदिसाए अट्ठावीसं देव लाइस्लीओ पन्नताओ द्वितीय माध्यमिक सभा में अठाइल २८ हजार देव कहे गये है। 'बाहिरिचाए परिसाए बत्तीस देव साहस्सीओ बाह्य परिषदा वत्ती ३२ हजार देव कहे गये है। 'चमरक्षणं भंते ! असुरिंदरुल अलुर रन्नो अस्तिरियाए परिसाए पन्नताओ' मध्यम परिषद्यामा टस स२ हेवा हे छ १ 'बाहिरियाए परिसाए कह देव साहस्धीओ पन्नत्ताओ' या परिषदमा टसा १२ हेव। २७ छ. मा प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री ४३ छ, 'गोयमा ! चमरस्स ण अमरिंदस्व असररन्नो' गौतम! मसुरेन्द्र मसु२२।४ यभरनी 'अभितरपरिसाए' भयन्त२ परिषदामा 'चउनीस देव साहस्सीओ पन्नत्ताओ' २४००० यापीस डलर हेवे। हाछे 'मज्झमियाए परिसाए अट्ठावीस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' मील मध्यम परिषतामा म४यावीस तर हेवे! ह्या छ 'वाहिरियाए परिसाए बत्तीस' देव साहस्सीओ' या परिषदाम 3२००० मत्रीस १२ । ह्या .
'चमरस्स ण असुरिंदस्त असुररन्नो अभितरियाए कति देविसया पण्णत्ता' હે ભગવન અસુરેન્દ્ર અમુરરાજ ચમરની આક્યતર પરિષદામાં કેટલા સે