Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवामिगमत्र हन्त गौतम ! सन्ति एकोरुक द्वीपे शालिव्रीहि यवादिकाः, किन्तु 'नो चेव गं तेसिं मणुयाणं परिमोगत्ताए हव्वमागच्छंति' नैव खल्ल ते शाल्यादयः तेषा. मेकोरुकमनुजानां परिभोगतया-उपभोगाय कदाचिदपि आगच्छन्तीति । 'अस्थि ण भंते ! 'एगोरुय दीवे दी' अस्ति खल्ल भदन्त ! एकोरुक द्वीपे द्वीपे 'गत्ताइ वा' गर्ता इति वा, गती अप्रमती खड्डा, 'दरीइ वा' दरी इति वा, दरी मूपिकादिककृता लषी खड्डा, 'घसीइ वा' घसी इति वा, घसी-भूमिरजः 'भिगुत्ति वा भृगुरिति था, पर्वत शिखररूप प्रपातस्थानम् 'ओवाएइ वा अवपात इति वा, अपानो निम्ना भूमिः यत्र जनः स प्रकाशेऽपि पतति, 'विसमेइ चा' विषममिति वा, विषमम्-उच्चनीचत्वेन दुरारोहावरोस्थानम्, 'विज्जलेइ वा' विजलमिति बा, बिजलें शुकमायकदमस्थानम्, 'धूलीइ वा' धूलिरिति वा होते हैं क्या ? तिल होते हैं क्या ? इक्षु होते है क्या ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-हता अस्थि' हा गौतार! ये व वहां होते हैं। किन्तु 'णो चेव
तेलि मणुष्याणं परिमोत्ताए हवागच्छति' वे वहां के मनुष्यों के खाने आदि के काम में नहीं पाते हैं 'अस्थि णं भंते ! एगोरुय दीवे दीये भत्ताइ वा दी हया घसीह का, भित्ति बा, ओवाएइ वा, विस मेइ बा, बिज्जलेह था, रेणूह वा, पंकेइ वा चलणीइ बा हे भदन्त ! उस एकोहक छीप में बडे २, गत्त-खड़े-होते हैं क्या दरी-मूषिकों द्वारा किये गये छोटे २, गड़े-चिल-होते हैं क्या ? घसी फटी हुई लकीर बाली भूचि होती है क्या ! भृगु-पर्वत-शिखरादि उच्चप्रदेशहोते हैं क्या ! अनपात-ऐसे भी स्थान होते हैं क्या! कि जहां पर मनुष्य प्रकाश में भी गिर पड़े ! विषम ऐसे भी स्थान होते हैं क्या ! कि जहां अनुष्य का चढना उतरना कठिन होता है ऐसे भी स्थान
या प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री ४७ छ 'हता अस्थि' गौतम । म। मधुर त्यां डाय छे. परंतु ‘णो चेत्र णं वेसि सणुयाण परिभोगत्ताए हव्वमागच्छ नि' ते धान्यो त्यांना मनुध्ये न! म'डार माहिना अममा माता नथी. 'अत्थि ण भते! एगोरुयदीवे दीचे गत्ताइवा, दरीइवा, घलीइवा, भिगुत्ति वा ओवाएइवा, विसमेइवा,' है गन । यो३४ द्वीपमा भोट माटा ગર્તા ખાડા હોય છે ? દરી ઉંદરડાઓ દ્વારા કરવામાં આવેલ નાના નાના ખાડા હોય છે? અર્થાત્ નાના દરે હોય છે? ઘસેલી અર્થાત ફાટેલી તરાડવાળી જમીન હોય છે? પર્વત શિખર વિગેરે ઉંચા પ્રદેશો હોય છે. આવપાત એવા સ્થાને હોય છે? કે જ્યાં મનુષ્ય પ્રકાશમાં પણ પડી જાય ? વિષમ એવા સ્થાને હોય છે? કે જ્યાં મનુષ્યને ચઢવા ઉતરવાનું કઠણ બને ? જ્યાં થાડી