Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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नीवाभिगमसूत्र चन्द्रोपराग इति वा, सूर्योपराग इति वा चन्द्रपरिवेष इति वा सूर्यपरिवेष इति वा भतिचन्द्र इति वा पतिसूर्य इति वा इन्द्रधनुरिति वा उदकमत्स्य इति वा अमोघ इति वा कपिइसितमिति वा प्राचीनवात इति वा प्रतीचीनवान इलि वा यावर शुद्धचात इति वा ग्रामदाह इति वा नगरदाह इति वा यावत् सन्निवेशदाह इति वा प्राणक्षय जनक्षयकुलक्षयधनक्षयव्यसनभूतानार्या इति वा ? नायमर्थः समर्थः ॥२०४०॥
टीका-'अस्थि णं भंते !' इत्यादि, 'अस्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे पं दीवे' अस्ति खलु भदन्त ! एकोहकद्वीपे खल द्वीपे 'इंदाह'इदा' इन्द्र सह इति वा तत्र महः प्रतिनियत दिवसमावी उत्सवः इन्द्रमधिकृत्य संपायमान उत्सव इन्द्रमह इति एवमग्रेऽपि स्कन्दोत्सवादयो ज्ञातव्याः । 'खंदमहाइ वा स्कन्दमह इति वा सत्र स्कन्दः कार्तिकेयस्तस्योत्सव इत्यर्थः 'रुद्दमहाह वा' रुद्रमहइति को रुद्रो यक्षाधिपतिस्तस्य महः उत्सवः । 'सिक्महाइ चा' शिवमह इति वा 'वेसमण महाइ वा' वैश्रमणः कुवेर उत्तरदिग्लोकपालस्तस्योत्सवः । 'मुगुंदमहाइ वा मुकु
'अस्थि णं भंते ! एगोरुप दीवे २, इंद भाइचा'-इत्यादि।।
टीकार्थ-हे भदन्त ! एकोरुक द्वीप में 'इंद महाइथा' इन्द्र मोहत्सव अमुक प्रकार होने वाले उत्सव का इन्द्रमहोत्लय नाम है यह जो उत्सव इन्द्र को लक्ष्य करके किया जाता है उसका नाम इन्द्र मह है। इसी तरह से आगे के उत्सव समझ लेना चाहिये 'खंदमहार या' कातिकेय का नाम स्कन्द है इस स्कन्द को लक्ष्य करके किये गये उत्सव का नाम स्कन्दोत्सव है 'रुद्दमहाहवा' यक्षों के अधिपति का नाम रुद्र है इस रुद्र को लक्षित करके किये गये उत्सव का नाम रुद्रोत्सव है। 'सिव महाइ वा' शिव नाम महादेव का है इस महादेव-शाङ्कर-को लक्षित कर के किये गये उत्सव का नाम शिवोत्सव है 'धेसमण महाए वा' बश्रमण नाम कुवेर का है यह उत्तर दिशाका एक लोकपाल है इस कुवेर को लक्षित कर होने वाले उत्सव का नाम वैश्रवणोत्सव हे
बत्थि णं भते ! एगोश्य दीवे दीवे इंद महाइवा' त्याह
अर्थ-भगवन् मा ३४ द्वीपमा 'इंद महाइवा' 'महोत्सव भभु પ્રકારના ઉત્સવનું નામ ઈદ્રમહોત્સવ છે. આ ઉત્સવ ઈન્દ્રને લય કરીને કરવામાં આવે છે. એ જ પ્રમાણે આ પછીના ઉત્સના સંબંધમાં પણ સમજી લેવું જોઈએ. सद महाइवा' ति ध्यतुं नाम २४ छे. मा २४ने उद्देशाने ४२वीमा भावनात्सतुं नाम २४४ महोत्सव छे. 'रुद्दमहाइवा' यान। मधिपतिर्नु નામ રૂદ્ર છે. આ રૂદ્રને ઉદ્દેશીને કરવામાં આવેલા ઉત્સવનું નામ રૂદ્ર મહોત્સવ छ. 'सिवमहाइवा' शिवनाम महावर्नु छे. भा महादेव श४२२. जशीन