Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जौवाभिगमसूत्रे
संस्थिताः, हर्म्य शिखररहितं धनिनां गृहं तत्सदृशाः ' गवक्खसंठिया ' गवाक्षसंस्थिताः गवाक्षो हम्जाले तादृशा: 'बाळग्गपोतियसंठिया' वालाग्रपोतिकसंस्थिताः तत्र वालाग्रपोतिका नाम जलस्योपरिमासादः 'वळभीसंठिया' वलभी संस्थिताः, तत्र वळमी छदिराधारस्तत्मधानकं गृहम्, 'अण्णे तत्थ वहवे वरभवण सणासण विसिद्धठाणसंठिया' अन्ये तत्र वहवो नरभवनशयनासन विधिष्टसंस्थानसंस्थिताः 'सुहसीयलच्छाया' शुभशीतलच्छायाः शुभा शीतला छाया येषां से तथा, 'ते दुमगणा पण्णत्ता समाउसो' ते द्रुमगणाः- कल्पवृक्षाः यथोक्त वर्णित स्वरूपाः मज्ञप्ताः कथियाः हे श्रमणायुष्मन् । 'अत्थि णं भंते ! एगोरूय गवक्खसंठिया, वालगपोइयसंठिया, बलभीसंठिया' कोई २, वृक्ष अटारी - महल के उपर के भाग जैसे आकार वाले होते हैं कोई २, वृक्ष राजमहल के जैसे आकार वाले होते हैं कोई वृक्ष शिखर विहीन धनिकों के गृह के जैसे आकार वाले होते हैं कोई २, वृक्ष गवाक्ष झरोंखे-के जैसे आकार वाले होते हैं, कोई २, वृक्ष वालाग्रपोतिका-जल के ऊपर बने हुवे प्रासाद के जैसे आकारवाले होते हैं, कोई कोई वृक्ष वलभीछज्जे के जैसे आकार वाले होते हैं' 'अण्णे तत्थ वहवे वरभवणसयणासण विसिह ठाणसंठिया' और भी जो वहां वृक्ष होते हैं वे भी कितने क श्रेष्ठभवन के जैसे विशिष्ट आकार वाले, कितनेक शयन के जैसे विशिष्ट आकार वाले, कितनेक आसन के जैसे विशिष्ट आकार वाले होते हैं 'सुहसीयलच्छाया' इन वृक्षों की छाया शुभ और शीतल होती है 'ते दुमगणा पण्णत्ता०' हे श्रमण आयुष्मन् ! इस प्रकार के आकार 1 पोइस ठिया वलभीस ठिया' अर्थ हैं। वृक्षो अटारी भाडेनां उभरना लाग જેવા આકારવાળા હૈાય છે. કાઇ કાઇ વૃક્ષા રાજમહેલના આકાર જેવા આકારવાળા હાય છે. કાઈ કાઇ વૃક્ષેા શિખર વગરના ધનવાનેાના ઘરના જેવા આકારવાળાં હાય છે. કેાઈ ફાઈ વૃક્ષે ગવાક્ષ અરૂખાના જેવા આકારવાળા હાય છે. કાઈ ફાઈ વૃક્ષેા વાલાપેતિકા પાણીની ઉપર બનાવેલા પ્રાસાદ સહેલના જેવા આકારવાળા હાય છે. કૈઇ કોઇ વૃક્ષેા વલભીછજાના જેવા आहारवाणा होय . 'अण्णे तत्थ बहवे वरभघणसयणासण विविध संठाण सठिया' मील यागु त्यां ने वृक्ष होय छे. ते अधा या डेटलाई उत्तम ભવનેાના જેવા વિશેષ પ્રકારના આકરવાળા કેટલાક શયનના જેવા વિશેષ પ્રકારના આકારવાળા, કેટલાક આસનના જેવા વિશેષ પ્રકારના આકારવાળા होय छे. 'सुहसीयलच्छाया' मा वृक्षानी छाया शुल भने शीतल हाय है. 'वे दुमगणा पण्णत्ता' हे श्रम आयुष्मन भाषा प्रहारना भारवाणा भा