Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवामिगमपुत्रे
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यस्तमितक्षेत्रप्रमाणमधिकृत्य यावत्ममाणेन महान्ति कवितानि तावत्ममाणान्येव अर्चीप, इत्यादि विमानान्यपि महान्ति चाध्यानि । 'बरं एवतियाई पंच ओवासंतराई' नवरं - केवलम् अत्रायं विशेषः । एतावत्कानि अत्र एतावतप्रमाणानि पश्चावकाशान्तराणि सन्ति, स्वस्तिकादिविमानमृगेतु त्रीणि अवकाशान्तराणि प्रोक्तानि । 'अत्येगइयस्स देवस्स पुगे विकमे सिया' अस्त्वेककस्य देवस्यैको विक्रमः - परिभ्रमणं स्याद् 'सेसं तं चेव' शेषं तदेव, शेषं शेपसूत्रं तदेव- पूर्वसूत्र. देवाख्येयं यावत् 'एमहालपाणे गोयमा ! ते चिमाणा पनवा' एतावत्ममाणकानि गौतम । विमानानि प्रज्ञनानीति पर्यन्तम् ।
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ही कथन इन विमानों की महत्ता के सम्बन्ध में भी कर लेना चाहिये, परन्तु अन्तर इतना है कि 'एवतिशई पंच ओवासंत' यहां पूर्वो क्त प्रमाण वाले पांच अवकाशान्तर होने से जितना क्षेत्र रूप विक्रम ग्रहण किया गया है उतने क्षेत्र को पांच गुणा करने पर 'अत्थे यस्त देवरस एगे कि' इस तरह का इतना क्षेत्र किसी एक देव का एक विक्रम रूप होता है 'सेसं तं चेव' बाकी सन पूर्व की तरह व्याख्यात कर लेना चाहिये अर्थात् एक बार में पूर्वोक्त प्रमाण क्षेत्र तक घूमने की शक्ति वाला कोई एक देव अपनी उत्कृष्ट आदि पूर्वोक्त विशेषणों वाली गति से निरन्तर कम से कम एक दिन तक दो दिन तक और अधिक से अधिक छह मास तक चलता रहे, तब भी वह देव अर्चिः आदि विमानों में से किसी एक विमान को उल्लङ्घन कर उसके पार जा વિગેરે વિમાનાની મહત્ત ના સોંધમાં જે પ્રમાણેનુ કથન કરવામાં આવેલ છે, એજ પ્રમાણેનુ કથન આ વિમાનેાની મહત્તાના સબંધમાં પણ કરી लेवु लेामे. परंतु मे मन्नेसो सोटसु मंतर हे 'एवतियाई' पंच भोषास तराइ " मडियां पूर्वोक्त प्रभावाजा पांथ अवशान्तर होवाथी જેટલા ક્ષેત્રરૂપ વિક્રમ ગ્રહણુ કરેલ છે. એટલા ક્ષેત્રને પાચ ગણુ કરવાથી 'अत्थे गइचस्व देवस्स एगे विकमे' मा प्रभाशेतु मासु क्षेत्र है ४ हेव ना मे विभशक्ति होय हे 'सेस' त' चेव' मीनु सणु' उधन पडेला પ્રમાણે કહી લેવુ જોઇએ. અર્થાત્ એક વારમાં પૂર્વોક્ત પ્રમણના ક્ષેત્ર સુધી એળંગવાની શક્તિ વાળા કોઈ દેવ પેાતાની એ ઉત્કૃષ્ટ આદિ પૂર્વોક્ત વિશેષણાવાળી ગતિથી દરાજ આછામાં એાછા એક દિવસ સુધી અથવા એ દિવસ સુધી અને વધારેમાં વધારે છ માસ સુધી ચાલ્યા કરે તે પણ તે દેવ અર્ચિ વિગેરે વિચાના પૈકી કૈાઇ એક વિમાનને એળગીને તેને પાર