Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
飯
जीवामि गम कच्छन्तीति । सम्प्रति नरकेषु तथा प्रस्तावात् तिर्यगादिषु च उत्तरवैक्रियावस्थान- फाक्रमाह- 'भिन्नमुहुतो नरएस होइ' भिन्नमुहूर्ती नरकेषु भवति - भिन्नः - खण्डो इति भिन्नमुहूर्तः, अन्तर्मुहूर्त मित्यर्थः तथा च नरके पूत्कर्षतो विकर्षणा थितिकालो नारकsणामन्तसुंहूर्त्त भवतीति । 'तिरियमणुपसु चत्तारि' विर्यमनुष्येषु चत्वारि तिर्यङ् मनुष्येत्कर्षतो विकुर्वणा स्थितिकालयत्वारि बन्द - 'हनि, 'देवेसु अद्धमासो' देवेपूत्कर्षतो विकुर्वणास्थितिकालोऽर्द्धमास - यावज्ञ पति- 'उको विकुन्त्रणा भणिया' उत्कृष्ट विकुर्वणा तीर्थकरैर्मणिता इति । सम्मति करकेषु आहारादि स्वरूपमाह - 'जे पोग्गला' इत्यादि, 'जे पोग्गला अणिट्ठा मयमा सो तेर्सि होइ आहारो' ये पुद्गला अनिष्टा अकान्ता अमिया अमनोग्रा तरह जो और भी अत्यन्त क्रूरकर्म करने वाले मनुष्य है वे भी प्रायः करके सप्तम नरक-तमस्तमा पृथिवी में जाते है ।
-
-- अब नरकों में और प्रसंगवश निर्यगादिकों में उत्तर वैक्रिय के अवस्थानकाल का सूत्रकार कथन करते हैं- 'भिन्नमुहुत्तो नरएस होइ' नकों में नारक जीव की उत्तर विकुर्वणा की स्थिति का काल उत्कृष्ट अर्थात् एक अन्तर्मुहूर्त्त का है 'तिरियमणुस्सेसु चत्तारि ' -: तिर्यञ्च और मनुष्यों में विकुर्वणा का स्थिति फाल चार अन्तर्मुहूर्त का हे 'देवेषु श्रद्धमासो' देवों में विकुर्वणा का स्थिति काल उत्कृष्ट से अर्धकुमाल तक का है। 'उक्कोलविणा भणिवा' इस तरह का यह विकु र्वणा का उत्कृष्ट से स्थिति फाल तीर्थकरों ने कहा है। अब सूत्रकार २ नरफी में आहार आदि के स्वरूप का कथन करते है- 'जे पोग्गला अणि
१६४
छ
તથા એજ પ્રમાણે બીજા પણુ જે અત્યંતક્ર કર્યાં કરવાવાળા મનુષ્યેા છે, તેઓ પણ ઘણા ભાગે સાતમી નરક-તમસ્તમા નામની પૃથ્વીમાં જાય છે.
હવે સૂત્રકાર નરકામાં અને પ્રસંગવશાત્ તિગૂ વિગેરેમાં ઉત્તર વૈક્રિય +ना अवस्थान अजनुं स्थन ४रे छे. 'भिन्न मुहुच नरएस होई' नराभां नार४ જીવની ઉત્તરવિક જ્ઞાની સ્થિતિના કાળ ઉત્કૃષ્ટની ભિન્ન મુહૂત અર્થાત્ એક अतभुतनी छे. 'तिरिय मणुस्खेसु चत्तारि' तिर्यय भने मनुष्योभां विधु
थाना स्थितिण यर अतर्मुहूर्त है. 'देवेसु अद्धमासो' हेवाभां विड्पंधाना स्थितिक्षण उत्सृष्टथी अर्धा भास सुधीना छे. 'उकोस विकुव्त्रणा भणिया' मा प्रभा मा उत्कृष्टथी विधुर्वखाना स्थितिाण तीर्थ उरे अडेस छे. હવે સૂત્રકાર નરકામાં આહાર, વિગેરેના સ્વરૂપનું કથન કરે છે. ને जोगाला अणिट्ठा नियमा सो तेखि होई आहारो' हे गौतम! नरोमां ने