Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.२ सू.२१ नारकाणां नरकभवानुभवननिरूपणम् ३६५ रिति वा 'तुसागणीइ वा तुषाग्निरिति वा 'तत्ताई' इत्थंभूतानि यानि स्थानानि मनुष्यलोके तानि तप्तानि बलि संपत स्तप्तीभूतानि तानि च कानिचित् अय आकर प्रभृतीनि कदाचिदुष्ण स्पर्शमात्राण्यपि संभवन्ति ततो विशेष प्रतिपादनार्थमाह-'समजोइभ्याई' ज्योतिः समभूतानि प्रखरवनिसंपर्कात् साक्षादग्निवर्णानि जातानि, एतदेव सादृश्येन दर्शयति-'फुल्लकिसुयसमाणाई' फुल्लकि शुकसमानानि प्रफुल्लपलाशकुसुमतुल्यानि 'उक्कासहस्साई विणिम्मुयमाणाई' उल्कासहस्राणि विनिर्मुच्यमानानि ये मूलाग्नितो वित्रुटय अग्निकणाः प्रसर्पन्ति ते उल्का इति कथ्यन्ते तासां साहस्रोणि प्रमुञ्चन्ति, 'जालासहस्साई पमुच्चमाणाई' ज्वालासहस्त्राणि प्रमुच्यमानानि 'इंगालसस्साई पविक्खरमाणाई अङ्गार 'तुलाचणीहवा तुषकी अग्नि इत्यादि' 'तत्ताई ये सब स्थान मनुष्य लोक में बहि के संपर्क से संतप्तषने हुए रहते हैं. इनमें कितनेक लोहे के गलाने के भट्टे आदि रूप स्थान-उष्ण स्पर्श मात्र वाले भी होते है, अतः इनकी विशेषता दिखलाते हैं वे स्थान और वे अग्नि किस प्रकार के होते हैं ? तो कहते हैं-'लमजोइभूयाई ये साक्षात् अग्नि केही स्थानापन्न हो रहे है। इनका जो वर्ण है वह 'फुल्लकिसुयसमाणाई' फूले हुए किंशुक पलास के फूल जैसे लाल २ प्रतीत होता है 'उक्का खहरुलाई विणिमाघमाणाई' जो हजारों उल्काओं (मूल अग्नि से टूट टूट कर स्फुलिंग को निकाल रहे) 'जाला सहस्लाई पमुच्चमा. णाई थे स्थान हजारों ज्वालाओं का ही मानों वमन कर रहे हैं 'इंगाल सहरुलाई परिक्वरमाणाई' हजारों अंगारों को ही अपने गणीइ वा' तनी AS 'तुसागणीइ वा' तुषनी मन त्याहि 'तत्ताई' मा બધા સ્થાને મનુષ્યલકમાં અગ્નિના સંપર્કથી તપેલા રહે છે. આમાં કેટલાક લેઢાને ઓગાળવાના ભઠા વિગેરે રૂપ સ્થાને ઉષ્ણુ સ્પર્શ માત્ર વાળા પણ હોય છે. તેથી તેની વિશેષતા બતાવતાં તેવા સ્થાને અને તેવી અગ્નિ કેવા
आना हाय छे ! मताव छे. 'समजोइभूयाई त थानो साक्षात् भनिना स्थानापन डाय छे. तो वर्ष , ते 'फुल्लकिमयसमाणाई" al કિંશુક–પલાશને ફૂલે જેવા અર્થાત્ કેસુડાના જેવા લાલ લાલ દેખાય છે, 'उक्कासहस्साई बिणि मुयमाणाई" रे | Gets (भूण निकी छूटेसा ति) मनोने महा२ ४९ छे. 'जालासहस्साई पमुच्चमाणाई' આ સ્થાને હજારે જવાલાઓને જ જાણે વમન કરતા ન હોય તેવા લેય છે, 'इंगालसहस्साई' पविक्खरमाणाई' 8 मारामान पातानी माया