Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ. २ . १९ नारकाणामुच्छ्वासादिनिरूपणम् कलेस्साओ पन्नताओ' 'नैरयिकाणां कवि-कियत्संख्यकाः लेश्याः प्रज्ञप्ताःकथिताः ? इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' हत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'एक्का काउलेस्सा पत्ता' एका एकैव कापोतलेश्या प्रज्ञप्ता रत्नप्रभा नारक जीवानामेका कापोतलेश्या भवतीति । 'एवं सकरप्पभाष वि' एवं शर्कराप्रभायामवि' यथा रत्नममा नारकाः कापोसलेश्यावन्तस्तथैव शर्कराममा नारका अपि कापोतले यान्तो भवन्तीति । 'बालुरप्पभाए पुच्छा' व'लुकाममायां पृच्छा हे भदन्त ! बालुकाप्रभायां तृतीयनस्वष्टथिव्यां नारकाणां कतिलेश्या भवन्तीति पृच्छया संगृह्यते मनः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! दो लेस्साओ पन्नताओ' वालुकाममा नारकाणां द्वे लेये भवतः 'लं जहा ' तद्यथा'नीललेस्सा काउलेस्ता व' नीललेश्या कापोतलेश्या च 'तत्थ जे काउलेस्सा वे बहुतरणा' तत्र यो पर्मिध्ये ये कालेश्यास्ते बहुत अधिक उपरितन इस रत्नप्रभा पृथिवी के नैरों को कितनी लेइयाएं कही गई है ! उत्तर में प्रभु करते हैं-'गोयला एक्का काउलेस्सा पन्नसा' 'हे गौतम! रत्नप्रभा पृथिवी के नैरमिकों के केवल एक ही कापोत लेश्या कही गई है - ' एवं क्रप्पभाए वि' इसी प्रकार से शर्कराप्रभा के नारकजीवों के भी केवल एक कामेत बेश्या ही होती है 'बोलु. यप्पभाए पुच्छा' हे भदन्त ! बालुकाप्रभा के नेरयिकों के कितनी लेश्याएं होती है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं- 'गोयना ! दो बेस्साओ पन्नत्ताओ' 'हे गौतम! बालुकाप्रमा के नैरविकों के दो लेश्याएं होती है-' तं जहा' जैसे- 'नील येस्ला काउलेस्सा व' 'नील लेश्या और कापोत लेश्या' 'तत्थ जे कारबाला से बहुतरा' इनमें जो कायोत लेश्या वाले ही वे अधिक है- क्योंकि उपरितन मस्तटवर्ती नारकों को
ण' कइ लेखाओ पन्नताओ' हे गन्न मानिसला पृथ्वीना नैरयिाने કેટલી લેયાએ કહી હૈ ? આા પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ ગૌતમસ્વામીને ગૃહે છે કે 'गोयमा ! एक्का काउलेस्सा पण्णत्ता' हे औतम ! नया पृथ्वीना नैरयिठाने ठेवणो यो बेश्या ही छे 'एव' सक्करप्पभाए वि' से प्रभा શર્કરાપ્રભા પૃથ્વીના નારજીને પણ કેળ એક કાપેાત લેશ્યાજ હાય છે. 'वालुयप्पभाए पुच्छा' हे 'लहत वामाला पृथ्वना नैरयिठाने हेरली देश्याम होय हे ? आा अनवा उत्तरमां है 'गोयमा ! दो लेस्सा ओ पन्नत्ताओ' हे गौतम! वासु अला पृथ्वीना नैरयिोने में बेश्य थे। होय है. 'त' जहा' ते या प्रमाणे छे 'नीललेस्सा का उल्लेस्टा य' नीलसेश्या मने तोश्या, ' तत्थ जे काउल्लेस्सा से बहुतरा' सभां ने प्रयत