Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
आठवाँ अध्ययन : मल्ली]
[२११
उसी समय राजकुमारी अपने पिता कुम्भराज को प्रणाम करने गई। मगर कुम्भ चिन्ता में ऐसे निमग्न थे कि उन्हें उसके आने का भान ही नहीं हुआ। तब कुमारी मल्ली ने गहरी चिन्ता का कारण पूछा। कुम्भराज ने उसे समस्त वृत्तान्त कह सुनाया।
मल्ली कुमारी ने इसी प्रसंग के लिए अपनी प्रतिमा बनवाकर सारी तैयारी कर रक्खी थी। पिता से कहा-'आप चिन्ता त्यागिए और प्रत्येक राजा के पास गुप्त रूप से दूत भेज कर कहला दीजिए कि आपको ही मल्ली कुमारी दी जाएगी। आप गुप्त रूप से सन्ध्या समय राजमहल में आ जाइए। उन सब को जालीदार गहों में अलग-अलग ठहरा दीजिए।
कुम्भ राजा ने ऐसा ही किया। छहों राजा मल्ली कुमारी का वरण करने की लालसा से गर्भगृहों में आ पहुँचे। प्रभात होने पर सबने मल्ली की प्रतिमा को देखा और समझ लिया कि यही कुमारी मल्ली है। सब उसी की ओर अनिमेष दृष्टि से देखने लगे। तब मल्ली कुमारी वहाँ पहुँची और प्रतिमा के मस्तक के छिद्र को उघाड़ दिया। छिद्र को उघाड़ते ही उसमें से जो दुर्गन्ध निकली वह असह्य हो गई। सभी राजा उससे घबरा उठे। सबने अपनी-अपनी नाक दबाई और मुँह बिगाड़ लिया। विषयासक्त राजाओं को उबुद्ध करने का यही उपयुक्त अवसर था। मल्ली कुमारी ने नाक-मुंह बिगाड़ने का कारण पूछा। सभी का एक ही उत्तर था-असह्य बदबू।
तब राजकुमारी ने राजाओं से कहा-देवानुप्रियो! इस प्रतिमा में भोजन-पानी का एक-एक पिण्ड डालने का ऐसा अनिष्ट एवं अमनोज्ञ परिणाम हुआ तो इस औदारिक शरीर का परिणाम कितना अशुभ, अनिष्ट और अमनोज्ञ होगा? यह शरीर तो मल, मूत्र, मांस, रुधिर आदि की थैली है। इसके प्रत्येक द्वार से गंदे पदार्थ झरते रहते हैं। सड़ना-गलना इसका स्वभाव है। इस पर से चमड़ी की चादर हटा दी जाए तो यह शरीर कितना सुन्दर प्रतीत होगा? यह चीलों-कौवों का भक्ष्य बन जाएगा। इसका असली बीभत्स रूप प्रकट हो जाएगा तो मल-मूत्र की इस थैली पर आप क्यों माहित हो रहे हैं ?
इस प्रकार सम्बोधित करके मल्ली कुमारी ने पूर्वजन्मों का वृत्तान्त उन्हें कह सुनाया। किस प्रकार वे सब साथ दीक्षित हुए थे, किस प्रकार उसने कपटाचरण किया था, किस प्रकार वे सब देवपर्याय में उत्पन्न हुए थे, इत्यादि सब कह सुनाया।
मल्ली द्वारा पूर्वभवों का वृत्तान्त सुनते ही छहों राजाओं को जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हो गया। सब संबुद्ध हो गए। तब गर्भगृहों के द्वार उन्मुक्त कर दिए गए। समग्र वातावरण में अनुराग के स्थान पर विराग छा गया। उसी समय राजकुमारी ने दीक्षा अंगीकार करने का संकल्प किया।
___ तीर्थंकरों की परम्परा के अनुसार वार्षिक दान देने के पश्चात् मल्ली कुमारी ने जिन-प्रव्रज्या अंगीकार कर ली। जिस दिन दीक्षा अंगीकार की उसी दिन उन्हें केवलज्ञान-दर्शन की प्राप्ति हो गई। तत्पश्चात् जितशत्रु आदि छहों राजाओं ने भी दीक्षा अंगीकार कर ली। अन्त में मुक्ति प्राप्त की।
भगवती.मल्ली तीर्थंकरी ने भी चैत्र शुक्ला चतुर्थी के दिन निर्वाण प्राप्त किया।
प्रस्तुत अध्ययन खूब विस्तृत है। इसमें अनेक ज्ञातव्य विषयों का निरूपण किया गया है। उन्हें जानने के लिए पूरे अध्ययन का वाचन करना आवश्यक है। यहाँ अतिसंक्षेप में ही सार मात्र दिया गया है।