Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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२२०]
[ज्ञाताधर्मकथा
विमान में देव-पर्याय से उत्पन्न हुए।
___ २३–तत्थणं अत्थेगइयाणं देवाणं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नता।तत्थ ण महब्बलवजाणं छण्हं देवाणं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाइं, ठिई महब्बलस्स देवस्स पडिपुण्णाइं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नता।
उस जयन्त विमान में कितनेक देवों की बत्तीस सागरोपम की स्थिति कही गई है। उनमें से महाबल को छोड़कर दूसरे छह देवों की कुछ कम बत्तीस सागरोपम की स्थिति और महाबल देव की पूरे बत्तीस सागरोपम की स्थिति हुई। पुनर्जन्म
२४-तए णं ते महब्बलवजा छप्पिय देवा जयंताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विसुद्धपिइमाइवंसेसु रायकुलेसु पत्तेयं पत्तेयं कुमारत्ताए पच्चायाया। तंजहा
पडिबुद्धि इक्खागराया १, चंदच्छाए अंगराया २, संखे कासिराया ३, रुप्पी कुणालाहिवई ४, अदीणसत्तू कुरुराया ५,
जियसत्तू पंचालाहिवई ६। तत्पश्चात् महाबल देव के सिवाय छहों देव जयन्त देवलोक से, देव संबन्धी आयु का क्षय होने से, देवलोक में रहने रूप स्थिति का क्षय होने से और देव संबन्धी भव का क्षय होने से, अन्तर रहित, शरीर का त्याग करके अथवा च्युत होकर इसी जम्बूद्वीप में भरत वर्ष (क्षेत्र) में विशुद्ध माता-पिता के वंश वाले राजकुलों में, अलग-अलग कुमार के रूप में उत्पन्न हुए। वे इस प्रकार(१) प्रतिबुद्धि इक्ष्वाकु वंश का अथवा इक्ष्वाकु देश का राजा हुआ। (इक्ष्वाकु देश को कौशल
देश भी कहते हैं, जिसकी राजधानी अयोध्या थी)। (२) चंद्रच्छाय अंगदेश का राजा हआ, जिसकी राजधानी चम्पा थी। (३) तीसरा शंख काशीदेश का राजा हुआ, जिसकी राजधानी वाणारसी नगरी थी। (४) रुक्मि कुणालदेश का राजा हुआ, जिसकी नगरी श्रावस्ती थी। (५) अदीनशत्रु कुरुदेश का राजा हुआ जिसकी राजधानी हस्तिनापुर थी।
(६) जितशत्रु पंचाल देश का राजा हुआ, जिसकी राजधानी कांपिल्यपुर थी। मल्ली कुमारी का जन्म
२५-तएणं से महब्बले देवे तिहिं णाणेहिं समग्गे उच्चट्ठाणट्ठिएसुगहेसु, सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु, जइएसु सउणेसु, पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पिंसि मारुतंसि पवायंसि,