Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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द्वितीय श्रुतस्कन्ध : द्वितीय वर्ग]
[५३३ . एवं खलु निक्खेवओ अज्झयणस्स।
शुंभा देवी जब नाट्यविधि दिखला कर चली गई तो गौतम स्वामी ने उसके पूर्वभव के विषय में पृच्छा की। भगवान् ने उत्तर दिया-श्रावस्ती नगरी थी। कोष्ठक नामक चैत्य था। जितशत्रु राजा था। श्रावस्ती में शुंभ नाम का गाथापति था। शुभश्री उस की पत्नी थी।शुभा उनकी पुत्री का नाम था। शेष सर्व वृत्तान्त काली देवी के समान समझना चाहिए। विशेषता यह है-शुभा देवी की साढ़े तीन पल्योपम की स्थिति-आयु है। हे जम्बू! दूसरे वर्ग के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ है। उसका निक्षेप कह लेना चाहिए।
२-५ अज्झयणाणि
[२-३-४-५]
५०-एवं सेसा वि चत्तारि अज्झयणा।सावत्थीए।णवरं-माया पिता सरिसनामया।
शेष चार अध्ययन पूर्वोक्त प्रकार के ही हैं। इसमें नगरी का नाम श्रावस्ती कहना चाहिए और उनउन देवियों (पूर्वभव की पुत्रियों) के समान उनके माता-पिता के नाम समझ लेने चाहिए। यथा-निशुंभा नामक पुत्री के पिता का नाम निशुंभ और माता का नाम निशुंभश्री। रंभा के पिता का नाम रंभ और माता का नाम रंभश्री। निरंभा के पिता निरंभ गाथापति और माता निरंभश्री। मदना के पिता मदन और माता मदनश्री।
पूर्वभव में इन देवियों के ये नाम थे। इन्हीं नामों से देव भव में भी इनका उल्लेख किया गया है।
॥ द्वितीय वर्ग समाप्त ॥