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আঘাত
॥४५९॥
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सामान्यथी आयुकर्मनो बन्ध एक प्रकारनो के चार प्रकारना आयुमाथी कोइ पण एकनो बन्ध होय पण वे अथवा त्रण साये बन्धावानो अभाव होवाथी एक बन्ध जाणवो-18 सूत्रम् नाम कर्मनां आठ बन्धस्थान छे. (१) २३ प्रकृति तिर्यंच गतिने योग्य बांधतां थाय छे. ते नीचे प्रमाणे तिर्यंच गति, १ एकेंद्रिय जाति १ औदारिक तेजस |
॥४५९॥ कार्मण शरीरो ३ हुंड संस्थान १ वर्ण गंध रस स्पर्श ४ तिर्यग गतिने योग्य अनुपूर्वी १ अगुरु लघु १ उपघात १ स्थावर १ बादर सूक्ष्ममांथी १ कोइ पण एक, अपर्याप्तक १ प्रत्येक साधारणमांथी एक १ अस्थिर १ अशुभ १ दुर्भग अनादेय १ अयश कीर्ति नाली निर्माण १ एम फुल २३ छे तेनो बन्ध एकेंद्रिय अपर्याप्ताने योग्य मिथ्यादृष्टिने बांधतां होय छे.
(२) ते त्रेवीशमां पराघात अने उच्छ्वास मळी एम २५पर्याप्ता एकेंद्रियने वन्ध जाणवो.[अपर्याप्ताने बदले पर्याप्ताने २५ प्रकृति लेवी. (३) एमां आतप अथवा उद्योत एक प्रकृतिनो बन्ध मेळवतां २६ थाय पण साधारणनी जग्याए प्रत्येक अने मूक्ष्मनी जग्याए बादर लेवी.
(४) देवगतिने योग्य बांधतां २८ प्रकृतिनो बन्ध नीचे मुजब छे. देवगति १ पंचेंद्रिय जाति १ वैक्रिय तेजस कार्मण त्रण शरीर | ३ समचतुरस्र संस्थान १ अंगोपांग १ वर्ण विगेरे चतुष्टय, ४ अनुपूर्वी १ अगुरुलघु १ उपघात १ पराघात १ उच्छवास १ प्रशस्त विहायोगति १ त्रस । बादर १ पर्याप्त १ प्रत्येक १ स्थिर अस्थिरमांथी एक, १ शुभ मुभग १ सुस्वर । आदेय १ यशःकीर्ति १ अथवा अयश-कीति निर्माण टीकामां शुभ अशुभमा कोइ पण एक होय छे, एम लख्युं छे. टीपणमां एकली शुभ लीधी
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