Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Author(s): Bhadrabahu, Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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आचा०
॥। १०८८ ॥
महिना अने साडासात दिवस पहेलां महावीर स्वामि माताना उदरमां आव्या हता तेने जैनमतमां प्रभुनुं पवन थयुं विगेरे चाचतो कहे छे. जैनोमां दरेक तीर्थकरनां पांच कल्याणक छे एटले च्यवन जन्म दिक्षा केवळज्ञान अने मोक्ष छें महावीर प्रभुने एक माताना गर्भमांथी बीजी माताना गर्भमां मुक्या तेने गर्भापहार कहे छे हुंकाणमां समजावा प्रथम चंद्रनक्षत्र कहे छे.
महावीर प्रभुने च्यवन गर्भामहार "जन्म दिक्षा केवळज्ञान एं उत्तराफाल्गुनीमां थयां छे अने भगवाननो मोक्ष स्वाति नक्षत्रमां थयो छे. ते विस्तारथी पछीना सूत्रमां छे.
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समजे भगवं महावीरे इमार ओसप्पिणीए सुसम सुसमाए समाए बीइकंताए समाए वीकंताए सुसमदुस्समाए समाए वी - कंताएं दूसमसुसम ए समाए बहु विताए पनिहतरीए वासेहिं मासेंहि व अद्वनमेहिं सेसेदिं जे से गिम्दाणं उत्थे मासे अह पक्खे आसाढमुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स द्वीपक्खेण हन्युतराहिं नक्खत्तेणं जोगमुत्रा गएणं महाविजयसि - द्धत्थपुप्फुत्तरवरपुंडरी य दिसासावत्थिपत्रद्धमाणाओं महाविमाणाओ वीसं सागरोवमाई आउयं पाळईशा आउक्खणं टिक्खणं भवक्खणं चुए चइता इह खलु जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे दाहिणभरहे दाहिणमाहकुंड पुर संनिवे संमि उसभदत्तस्स महाणस्स को डालसगोत्तस्स देवाणंदाए माहणीए जालंधरस्स गुत्ताए सीहुमंत्रभूएणं अप्पाणेण कुच्छिसि गर्भ वक्कते; समणे, भगवं महावीरे तिन्नःणो गए या त्रि हुत्था, चइस्लामिति जाणऱ चुएमिचि जाणा चयमाणे न याणे, मुहुमे णं से काले पन्नत्ते तत्रो णं समणे भगवं महावीरे हियाणुकेपणं देवेयं जीयमेय तिकट्टु जे से वासागं तच्चे मासें पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्स णं आसोयबहुलस्स तेरसी पक्खेणं इत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं वासोहि
सूत्रमू
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