Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Author(s): Bhadrabahu, Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 861
________________ सत्रम १०७४॥ 18/ए प्रमाणे वे अणुकथीत्रण अणुक विगेरे छे. क्षेत्रना एक प्रदेशमा रहेल तेनाथी वे पृदेश अवगाहमा रहेलुं छे, तथा काळथी एक | समयनी स्थितिवाळाथी बे समयनी स्थितिवाद्धं विगेरे छे, भावथी क्रम पर ते एक गुण. काळ्थी चे गणुं कालू विगेरे छे. ए आचा० प्रमाणे वधा रंगमा जाणवू. ॥१०७४। "बहु पर" ते बहुपणे पर एटले एकथी बीजु बहु होय ते जाण जेमके ___. जीवा पुग्गल समया दन पएसा य पजवा चेव । थोवाणंनाणंता विसेसअहिया दुबेणऽता ॥१॥ जीव सौथी थोडा छे तेवी पुद्गलो अनंतगुणा छे, तेनाथी समयो द्रव्यना प्रदेशो अने तेनां पर्यायो अनंत तथा विशेष अधिक छे. फक्त वेभां अंनंतगणा छे.. 8 प्रधानपर ते वे पगवाळामां तीर्थकर छे तथा चोपगामा सिंह विगेरे अने अपदमा अर्जुन, ‘सुवर्ण, फणस विगेरे झाडो छ, ए प्रमाणे क्षेत्रकाळ भाव पर विगेरेने पण तत्पर विगेरे छ प्रकारे क्षेत्र विगेरे प्रधानपणाथी पहेलांनी माफक पोतानी बुद्धिए. योजवां सामान्यथी तो जंबूद्वीपक्षेत्रथी पुष्कर विगेरे क्षेत्रो पर छे तथा काळ पर ते वरसादनी रुतुथी शरद रुतु छे, भावपर औंदयि15/ कथी औपशमिक विगेरे छे. हवे सूत्रानुगममां सूत्र उच्चार, जोइए ते आ छे. परकिरियं अज्झत्थिय संसेसियं नो तं सायए नो तं नियमे, सिया से परो पाए आमजिज्ज वा पमज्जिज्ज वा नो तं सायए नो त नियमे । से सिया परो पाया: संवाहिज्ज वा पलिमदिज्ज वा नो तं सायए नो त नियमे । से सिया परो पायाई कुसिज्ज वा रइज्ज वा नो तं सायए नो त नियमे । से सिया परो पायाई तिल्लेण वाय० वसाए वा वा मक्खिज़ . PATROCCORRENCEO-ORG

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