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रमा सर्व भूतो छे. अने अपारसत्रम
समान पण जुदी जुदी
रीरालाक छे. विगेरे स्वीका
आचा०
द्वावेव पुरुषौ लोके, क्षरश्चाक्षर एव च । क्षरः सर्वाणि भूतानि, कूटस्थोऽक्षर उच्यते ॥१॥
बेज पुरुषो लोकमां पूर्व दृता, एक क्षर (नाशवंत) बीजो अक्षर [अनाशवंत] तेमां क्षरमां सर्व भूतो छे. अने अक्षर ते कूटस्थ ॥७३७॥ कहेवाय छे. आ प्रमाणे परमार्थने नहीं जाणनारा लोक छे. विगेरे स्वीकारवा वडे विवाद करता जुदी जुदी वाणी काढे छे तेज8/७३७॥
प्रमाणे आत्माने पण जुदी जुदी रीते बतावे छे जेमके सारं कर्यु, ते सुकृत माने अथवा दुष्कृत माने एम क्रियावादीओ माने छे. ल एटले कोइ वोले के सर्व संगनो त्याग करवाथी महाव्रत ग्रहण कयु, ते सारं कर्यु. तथा बीजा बोले छे के हे भाइ ! आ सरळ मृग
लोचनवाळी स्त्रीने पुत्र उत्पन्न कर्या विना तें त्यागी, ते खोटुं कर्यु. तथा जे दीक्षा लेवा तैयार थयो होय, तेने कहे, के आ कल्याण
छे. तेनेज बीजो कहे के आ तो पाखंडीओना जाळमां फसाएलो कलीव छे! गृहाथम पाळवाने असमर्थ छे! विना पुत्र दीक्षा लीधी & तेथी पापरुप छे तथा आ साधु छे, असाधु छे एम पोतानी मतिए कल्पना करी इच्छानुसार बोले छे तथा सिद्धि छे अथवा सिद्धि ।
नथी, अथवा नरक छे अथवा नथी ए प्रमाणे वीजुं पण पोताना आग्रह प्रमाणे पकडी विवाद करे छे ते बतावे छे के आ पूर्व बनावेलुं लोक विगेरेने आश्रयी जुदं जुदं माननारा ते विप्रतिपन्न वादीओ छे ते कहे छे.
इच्छंति कृत्रिमं सृष्टि-वादिनः सर्व मेव मितिलिङ्गम् । कृत्स्नं लोकं माहेश्वरादयः सादि पर्यन्तम् ॥ १॥ सृष्टिना वादीओ माहेश्वर विगेरे बधंज मितिलिंग अने कृत्रिम माने छे, अने वधा लोकने सादि पर्यंत माने छे.
नारीश्वरजं केचित, केचित् सोमानिसंभवलोकं । द्रव्यादि षइविकल्पं, जगदेतत्केचिदिच्छन्ति ॥ २॥ नारी तथा इश्वरथी उत्पन्न भएलं माने छे, केटलाक मतवाळा सोमानिथी लोक उत्पन्न थयेलं माने छे. तथा द्रव्यगुण विगेरे
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