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ते कहे छे, एटले गाम विगेरेनी बहार स्वाध्याय करवा अथवा स्थडील जवा जाय तो पण बधां उपकरण लेइ जाय, आ बीजु मूत्र आचा० छे, तेज प्रमाणे बीजे गाम जाय तो पण लेइने जांय, ए त्रीजुं सूत्र छे. हवे गमनना अभावनां निमित्त कहे छे.
है। सूत्रम् से भिक्खू० अह पुण एवं जाणिज्जा-तिव्वदेसियं वासं वासेमाणं पेहाए तिव्वदेसियं महियं संनिचलमाणं ॥८८८॥
॥८८८॥ पेहाए महवाएण वा रयं समुध्धुयं पेहाए तिरिच्छसंपाइमा वा तसा पाणा संथडा संनिचयमाणा पेहाए से एवं नच्चा नो सव्वं भंडगमायाए गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पर्विसिज्ज वा निक्खमिज्ज वा बहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा निक्खमिज्ज वा पविसिज्ज वा गामाणुगामं दृइन्जिज्जा ॥ (मू० २०) ते भिक्षु कदी आईं जाणे के अहीं लंबाण क्षेत्रमा झाकळ पडे छे, अथवा धुमस पडे छे, अथवा वंटोळीयो वाइने धुळ घणी उडे छे, अथवा तीरछां-पतंगीयां विगेरे झीणां जंतुओ उडीने शरीर साथे आथडे छे, तो ते साधु पूर्व त्रण सूत्रमा बतावेल उपधि | लइने जाय आवे नहि, तेनो परमार्थ आ छे, के जिनकल्पीनो आ कल्प छे के ज्यारे बहार नीकळे त्यारे प्रथम उपयोग दे के वर्षाद
झाकळ के धुमस वरसे छे के वरसवानो छे ? जो प्रथम जाणे तो न नीकळे. कारण के तेनी शक्ति एवी छे के छमास सुधी पण साठल्लोमात्र (झाडो पेशाब) रोकी शके, अने स्थविरकल्पी पण उपयोग दे, अने जाण्या पछी कारण होय तो नीकळे खरो. पण पोतानी बिधो उपधि लेइने न नीकळे, प्रथम बतावी गया के अधम कुलोमांगोचरी विगेरे माटे जQ आवq नहि. पण हवे अनिंदनीक कुलोमां पण दोषोना देखवाथी त्यां जवानो निषेध छे, ते बतावे छे.
से भिक्खू वा २ से जाई पुण कुलाई जाणिज्जा तंजहाखतियाण वा राईण वा कुराईण वा रायपेसियाण वा राय
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