Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Author(s): Bhadrabahu, Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 827
________________ 2 घरमां जवु आवg. बळी- . आचा०४ से भि. जोव समणे सिया से परो आहई अंतो, पडिग्ग्रहगंसि सीओदगं परिभाइत्ता नीही दलइज्जा, तहप्प० पडिग्गहगं सूत्रम परहत्थंसि वा परिपायंसि वा अफासुय जाव नो प०, से य आहच पडिग्गहिए सिया खिप्पामेव उदगंसि साहरिज्जा, ॥१०४२॥ से पडिग्गहमायाए पाणं परिदृविज्जा, ससिणिद्धाए वा भूमीए नियमिज्जा । से० उदउल्लं वा ससिणिद्धं वा पडिग्गई नो १०४२॥ आमज्जिज्ज वा २अह पु० विगओदए मे पडिग्गहए छिन्नसिणेहें तह० पडिग्गहं तओ० सं०. आमज्जिज्ज वा जाव पायाविज वा से मि० गाहा. पविसिउकामे पडिग्गहमायाए गाहा. पिंड. पविसिज्ज वा नि० एवं बहिया विहाभूरमी वा गामा० दुइज्जिज्जा, तिव्वदेसीयाए जहा विइयाए वत्थेसणाए नवरं इत्थ पडिग्गहे, एवं एलु तस्स० नं सबढेहि सहिए सया जएजासि (सू० १५४ ) तिबेमि ॥ पाएसणा सम्मत्ता ॥२-१-६-२। ज्यारे ते भिक्षु गृहस्थना घरमा गोचरी पाणी.माटे गयेलो होय, ते समये पाणी यांचतां कदाच ते गृहस्थ भूलथी अथवा द्वेष | * बुद्धिथी अथवा भक्तिना कारणे अथवा विमर्प पाणाथी घरमां रहीने बीजा पात्रांमां के पोताना वासणा थंडं पाणी जुदु लइने बहार काढीने वहोरावे, ते समये ते, काचं पाणी पारका (गृहस्थ) ना हाथमां के वासणमां जाणे तो अप्रासुक जाणीने न ले, पण कदाच भूलथी के ओचीतु गृहस्थे नांखी दी, होय तो तेज समये पाणी आपनार गृहस्थना वासणमांज पार्छ नांखी देवू, पण कदाच ते न ले तो, कुवा विगेरेमा ज्यां ते जातीनुं पाणी होय त्यां परठववानी विधिए परठवचं, पण तेवा पाणीनो अभाव होय 2 अथवा दूर होय तो ज्यां छाया होय के खाडो होय त्यां परठवg अथवा जो बीजो घडो होय, तो ते घडो के पाणीनुं वासण कोइने ||

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