Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Author(s): Bhadrabahu, Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 848
________________ आचा० ॥१०६१॥ तहप्पगारंसि थं" उच्चारं नो बोसि• ॥ से भि से जं०' बहवे समणमा' कि० व० अतिही समुद्दिस्म पांणाई भूयाई जीवाई सत्ताई जांब उद्देसियं चेएइ, तह० थंडिलं पुरिसंतरगड जांव बहियाअनीहर्ड अन्नयरंसि वा तह० थंडिलंसि नो उच्चारपासंवर्ण०, अद पुण एवं जाणिजा - अपुरिसंतरगडं जात्र बडिया नीहडं अन्नयरंसि तहप्पगारं० थं० उच्चार० बोसि० ॥ षे० जं० अस्सिपडियाए कयं वा कारियं वा पामिखियं वा छन्नं वाघ वा मठ्ठे वा लित्तं वा संमहं वा संपधृवियं वा अन्नयरंसि वा तह० थंडि० नो उ० ॥ से भि० से जं पुण थं० जाणेज्जा, इह खलु गाहावर वा गाहा० पुत्ता वा कंदाणि वा जाव हरियाणि वा अंतराओ वा वाहिनीहरंति बहियाओ वा अंती साहरंति वा अन्नयरंसि वा नह० थं० नो उच्चा० ।। से भि ं से जं पुण० जाणेज्जा — खंधंसि वा पीढंसि वा मंचंसि वा मालंसि वा अहंसि वा पासायास वा अन्नयरंसि वा० थं० नो उ० ॥ से भि० से जं पुण० अनंतर हियाए पुढवीए ससिणिद्धार पु० ससरक्खाए पु० मट्टियाए मकडाए चित्तमंताए सिलाए चित्तमंताए लेलुयाए कोलावासंसि वा दारुयंसि वा जीवपइद्वियंसि वा जाब मक्का संताणयसि अन्न० तह० थं० नो उ० ॥ ( सू० १६५ ) कोड साधु कोइ वखते टट्टी पेसाव करवानी ताकीदे पीडातो' होय अने रस्तामां तेवी छुटनी जग्या न मळे तो तेणे कुंडी अथवा ते योग्य साधनं समाधि माटे मेळवी तेमां स्थंडिल जइ परठवी आवकुं. पण जो पोनानी पासे हाज़र न होय तो बीजा' 'साधु पासे याच अने तेनी प्रतिलेखना विगेरे करीने ने उपयोगमां लें, आथी एम सूचत्र्युं के स्थंडिल पेसावने रोकवा नहि,, बळी शंका याय पहेलांज वने त्यां लगी साधुए नीकळवु, अने ज्यां स्थंडिल जाय त्यां प्रथम देखे के इंडा के नानाजंतु कीडीओ सूत्रम् ॥ १०६१ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890