________________
सूत्रम्
चा०
धुताख्य नामर्नु छटुं अध्ययन, 1 पांचमु अध्ययन कहां, हवे छई अध्ययन कहे छे, तेनो आ प्रमाणे संबंध छे. गया अध्ययनमा लोकमां सारभूत संयम अने ॥६४१॥ मोक्ष बताव्यो छे, अने ते निःसंगता सिवाय संयम न होय, तथा कर्म दूर कर्या विना मोक्ष न थाय. तेथी कर्म दूर करवा आ
धुत ते कर्म धोवानुं वताववा कहे छे, आ संबंधे आवेला धुत नामना अध्ययनना चार अनुयोग द्वार थाय छे, तेमां प्रथम उपक्रम छे. ते उपक्रममा अर्थाधिकार बे भेदे छे, अध्ययननो अर्थ अधिकार अने उद्देशानो अर्थाधिकार छे, तेमां अध्ययननो अर्थाधिकार १ला अध्ययनमा कहेल छे, अने उद्देशानो अधिकार कहेवा नियुक्तिकार कहे छे,
पढमे नियगविहणणा, कम्माणं वितियए तइयगंमि । उवगरणं सरिराणं चउत्थए गारवतिगस्स ॥२५०॥ पहेला उद्देशामां. पोताना जे सगां छे, तेओनुं विधून न (मोह त्याग) करवो जोइए. बीजा उद्देशामां घातिकर्मने दूर करवां, ६ त्रीजामां उपकरण शरीरने, अने चोथामां त्रण गारवने दूर करवा तथा उपसर्ग के सन्मान थाय, तोपण रागद्वेश न करवो, तथा त साधुओए (पूर्वे) ते प्रमाणे कर्म विगेरे धोयां छे, ते आ पांचमा उद्देशामां बतावे छे. आ प्रमाणे अर्थाधिकार बतावीने निक्षेपो P कहे छे, ते त्रण प्रकारनो छे, ओघ निष्पन्नमा अध्ययन छे, नाम निष्पन्नमां धुत नाम छे तेना चार प्रकारे निक्षेपा छे, तेमां सुग[ मनाम स्थापना छोडीने द्रव्य अने भाव बताववा अडधी (पूरी) गाथा कहे छे. . .
उवसग्गा सम्माणयविहुआणि पंचमंमिउद्देसे । दव्वधुयं वत्थाई, भावधुयं कम्म अविहं ।।२५१।।
ASHISHESAECERIES
64GAAA
AD