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आवश्यकनियुक्तिः
क्षेत्रविमानसिद्धालयाः समाः । कालसमवायो नाम समय: समयेन समः, अवसर्पिण्युत्सर्पिण्या समेत्यादि । भावसमवायो नाम केवलज्ञानं केवलदर्शनेन सममिति ।
___ गुणा रूपरसगन्धस्पर्शज्ञातृत्वदृष्टत्वादयस्तेषां समानतां जानाति । अथवौदयिकौपशमिकक्षायोपशमिकपारिणामिका गुणास्तेषां समानतां जानाति । पर्याया नारकत्वमनुष्यत्वतिर्यक्त्वदेवत्वादयस्तेषां समानतां जानाति । द्रव्याधारत्वेनापृथ-.. ग्वर्तित्वेन च गुणानां समवायः ।
पर्यायाणां उत्पादविनाशध्रौव्यत्वेन समवायो भावसमवायो गुणेष्वन्तर्भवति । क्षेत्रसमवाय: पर्यायेष्वन्तर्भवति । कालसमवायो द्रव्यसमवायेऽन्तर्भवतीति । द्रव्यसमवायं गुणसमवायं पर्यायसमवायं च यो जानाति तेषां सिद्धिं सद्भावं निष्पन्नं परमार्थरूपं च यो जानाति तं संयतं सामायिकमुत्तमं जानीहि । अथवा द्रव्याणां समवायं सिद्धि, गुणपर्यायाणां च सद्भावं यो जानाति तं सामायिक जानीहि ।
प्रथम नरक का सीमंतक बिल, मनुष्य क्षेत्र (नई द्वीप), प्रथम स्वर्ग का ऋजुविमान
और सिद्धालय में समान हैं अर्थात् ये सभी पैंतालीस लाख योजन प्रमाण हैं । काल की सदृशता काल-समवाय है, जैसे समय समय के समान है, अवसर्पिणी उत्सर्पिणी के समान है इत्यादि । भावों की सदृशता भाव-समवाय है; जैसे केवलज्ञान केवलदर्शन के समान है ।
रूप-रस-गंध और स्पर्श तथा ज्ञातृत्व और दृष्टत्व आदि गुणों की समानता को जो जानते हैं वे गुणों के समवाय को जानते हैं । अथवा जो औदयिक,
औपशमिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक गुण हैं उनकी समानता को जानना गुण समवाय है । नारकत्व, मनुष्यत्व, तिर्यक्त्व और देवत्व आदि पर्यायें हैं, इनकी समानता को जानना पर्याय समवाय है । अर्थात् जो द्रव्य के आधार में रहते हैं और द्रव्य से अपृथग्वर्ती हैं-कभी भी उनसे पृथक् नहीं किए जा सकते हैं अत: अयुतसिद्ध हैं, यह गुणों का समवाय है ।
उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य रूप से पर्यायों का समवाय होता है। ऊपर में जो द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव समवाय कहे गए हैं उनको द्रव्य, गुण और पर्यायों के अन्तर्गत करने से द्रव्य, गुण और पर्याय नाम से तीन प्रकार के समवाय माने जाते हैं । सो ही बताते हैं कि भाव समवाय गुणों में अन्तर्भूत हो जाता है । क्षेत्र समवाय गुणों में अन्तर्भूत हो जाता है । क्षेत्र समवाय पर्यायों में, काल समवाय द्रव्य-समवाय में अन्तर्भूत हो जाता है । इस तरह जो मुनि द्रव्य समवाय, गुण समवाय और पर्यायसमवाय को जानते हैं, इनकी सिद्धि को
१.
क सिद्धं ।
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