Book Title: Aavashyak Niryukti
Author(s): Fulchand Jain, Anekant Jain
Publisher: Jin Foundation

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Page 284
________________ विश्वप्रसिद्ध तीर्थ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) के चन्द्रगिरी पर्वत पर चन्द्रगुप्त बसदि में उत्र्तीण मयूरपिच्छिधारी दिगम्बर जैन मुनि संघ इस अंकन में ईसापूर्व चतुर्थ सदी के चतुर्थ श्रुतकेवली गोवर्धनाचार्य ने जब बारह हजार मुनियों के विशाल संघ सहित दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान किया तब मार्ग में कोटकपुर (बंगाल) के सोमशर्मा पुरोहित के बालक भद्रबाहु की अतिशय प्रतिभा से प्रभावित हो उसे आगमों की शिक्षा व बाद में श्रमण दीक्षा के उद्देश्य से अपने साथ ले जाते हुये। यही बालक बाद में पंचम व अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के रूप में प्रसिद्ध हुये, इन्होंने इसी क्षेत्र में साधना की और यहीं आपकी समाधि हुई। भद्रबाहु गुफा में आपके चरण चिन्ह अंकित हैं। आचार्य भद्रबाहु के शिष्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने भी यहीं साधना सम्पन्न की। Sramana Avasyaka Niryukti Published by Jina Foundation A 93/7 A, Jain Mandir Campus, Behind Nanda Hospital Chattarpur Extn., New Delhi-110074 ISBN 819096860-2 ITA 9ll7881901968607 / / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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