Book Title: Aavashyak Niryukti
Author(s): Fulchand Jain, Anekant Jain
Publisher: Jin Foundation

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Page 274
________________ आलोचण णिंदण आलोचणं दिवसियं आलोयणाय करणे आवासय णिज्जुत्ती वोच्छामि आवासय णिज्जुत्ती एवं आवासयं तु आवसएसु आवेसणी सरीरे आसणे आसणत्थं च आसाए विप्पमुक्कस्स आलोचिय अवराहं इ इरियागोयर सुमिणा उ उज्जोवो खलु दुविह्मे उसे णिसे उट्ठिदं उट्ठिद उट्ठिद उप्पण्णो उप्पण्णा उवज्झाय- णमोक्कारं ए एगपदमस्सिस्स वि एमेव कामतंत् एवं गुणो महत्थो एवं गुण जुत्ताणं एवं दिवसियराइय एसो पंच णमोयारो एसो पच्चक्खाओ क कदि ओदि कदि सिरं काउस्सग्गं मोक्खपहदेयसं काउस्सग्गणिजुत्ती काउस्सग्गो काउस्सग्गी काऊ णमोक्कार Jain Education International नुक्रमणिका १२२ ११८ ९८ २ १८९ १८४ ७ ९७ १८७ टिप्पण १२७ ५१ १६० १७२ १२१ टिप्पण १५२ ८२ १६९ १२ टिप्पण १३ १३४ ७६ १५१ १८२ १४८ १ For Personal & Private Use Only २०९ ९९ ९६ ७२ १४९ १४६ ४ ७२ १४८ ९७ १०२ ४२ १२९ १३८ ९८ ८ १२३ ६१ १३५ ८ १३० ९ १०९ ५७ १२२ १४४ १२० www.jainelibrary.org

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