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आवश्यक नियुक्तिः
कथं प्रतिक्रमणे चत्वारि क्रियाकर्माणि, आलोचनाभक्तिकरणे कायोत्सर्ग एकं क्रियाकर्म तथा प्रतिक्रमणभक्तिकरणे कायोत्सर्गः द्वितीयं क्रियाकर्म तथा वीरभक्तिकरणे 'कायोत्सर्गस्तृतीयं क्रियाकर्म तथा चतुर्विंशतितीर्थंकरभक्तिकरणे शांतिहेतोः कायोत्सर्गश्चतुर्थं क्रियाकर्म ।
कथं च स्वाध्याये त्रीणि क्रियाकर्माणि श्रुतभक्तिकरणे कायोत्सर्ग एकं क्रियाकर्म तथाऽऽचार्यभक्तिक्रियाकरणे द्वितीयं क्रियाकर्म तथा स्वाध्यायोपसंहारे श्रुतभक्तिकरणे कायोत्सर्गस्तृतीयं क्रियाकर्मैवं जातिमपेक्ष्य त्रीणि क्रियाकर्माणि भवंति स्वाध्याये शेषाणां वंदनादिक्रियाकर्मणामत्रैवान्तर्भावो द्रष्टव्यः । प्रधानपदोच्चारणं कृतं यतः पूर्वाहणे दिवस इति एवमपराह्णे रात्रावपि द्रष्टव्यं भेदाभावात् ।
अथवा पश्चिमरात्रौ प्रतिक्रमणे क्रियाकर्माणि चत्वारि स्वाध्याये त्रीणि वंदनायां द्वे, सवितर्युदिते स्वाध्याये त्रीणि मध्याह्नवंदनायां द्वे एवं पूर्वाहणंक्रिया
प्रतिक्रमण में चार कृतिकर्म कैसे होते हैं ?
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आलोचना 'भक्ति (सिद्धभक्ति) करने में कायोत्सर्ग होता है - वह एक क्रियाकर्म हुआ । प्रतिक्रमण भक्ति के करने में कायोत्सर्ग होता है - वह दूसरा क्रियाकर्म हुआ । वीर भक्ति के करने में जो कायोत्सर्ग है - वह तृतीय क्रियाकर्म हुआ तथा चतुर्विंशति तीर्थंकर भक्ति के करने में शान्ति के लिए जो कायोत्सर्ग है – वह चतुर्थ क्रियाकर्म है । इस तरह प्रतिक्रमण में चार क्रियाकर्म हुए । स्वाध्याय में तीन कृतिकर्म कैसे हैं ? -
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स्वाध्याय के प्रारम्भ में श्रुतभक्ति के करने में कायोत्सर्ग होता है - वह एक कृतिकर्म है तथा आचार्य भक्ति की क्रिया करने में जो कायोत्सर्ग है, वह दूसरा कृतिकर्म है । तथा स्वाध्याय की समाप्ति में श्रुतभक्ति करने में जो कायोत्सर्ग है, वह तृतीय कृतिकर्म है । इस तरह जाति की अपेक्षा तीन क्रियाकर्म स्वाध्याय में होते हैं । शेष वन्दना आदि क्रियाओं का इन्हीं में अन्तर्भाव हो जाता है ।
यहाँ 'प्रधान' पद का ग्रहण किया है, जिससे पूर्वाह्न करने से दिवस का और अपराह्न करने से रात्रि का भी ग्रहण हो जाता है । क्योंकि पूर्वाह्न से दिवस में और अपराह्न से रात्रि में कोई भेद नहीं है ।
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अथवा पश्चिम रात्रि के प्रतिक्रमण में क्रियाकर्म चार, स्वाध्याय में तीन और वन्दना में दो, सूर्य उदय होने के बाद स्वाध्याय के तीन, मध्याह्न वन्दना के दो - इस प्रकार से पूर्वाह्न सम्बन्धी क्रियाकर्म चौदह होते हैं । तथा अपराह्न
क तथा महावीर० ।
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