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नंग ६२-धू सिद्धान्त कौमुदीव्याख्याने वैयाकरण सिद्धान्तरत्नाकरे पूर्वार्द्धम (अपूर्ण) पत्राणि २५० नष्टपत्राणि - उन्ह
२२६+२५०
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साघु मात्रफलकवानावचिनियानेनाभिधानपानिमुलंसुमनांनाउसारेशायज्पमित्यामाना वतापायोनियरिगानस्पभाष्येप्रत्याख्यानानेपाननाम्यभिधानमधमेनियनेनधुनिनवाई महत्तइन्याकयूपन्नतिभावाशत्पडनाशनाचठन्यनावशनहानयनातनवक्रयाकमेनिमितिमा वापानानंदइनिावानंदामनानायकमाधिकचित्रपथशनयायुक्तांनथेनिश्यकयर्दननसम नेलतगासवानाअय्यर्थकश्वामिनक्रमातथाकमिति जिज्ञासायामाहाईसिनतमवदिति कियायायुकमिनिस्पर्शनादिक्रियाजन्य मयोगादिपलेनयुक्नमिन्यधाननईमनानीसिनयाँ २४यग्रहरीयध्धात्याय्यफलाश्रया कमन्वस्त्रयितुयुक्तवानरानचराशाकोतरीन्येसिनला
नासिनत्वयोर्विमातिवाचवागाकारानन प्रकारकबीसिद्धपतइपादानमिनिवार्यपकरणादि नैवयोबधिसंभवेसनवीच्यतावछोडककोटिप्रवेशमा कारबोधानययोगेपिज्ञाविधाववाधिशाडादवनयोगवश्यकलात तथाहिनेमागावर्कवार
प्रवेशेगोरवालाहबोधभानाभावाचतिचा चेन्न
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सिस्स यनान्यत्रमासाकस्पवारसायनामितिमोशायादानत्वेयानाधायकईगसिततममिन्याव १३० वश्वातनश्चय्योदासीनयोसंग्रहायनथासक्तन्यपिहिाधर्माननादिशहवनरयदार्थपनियोनि 239 मध्यमेवानीसितशहेननगधर्किलीसितभिन्नमदासीनभूयात्याशयेनौदाहरटिशामिति
यास्पशननांतरीयकमिन्येतडदासीनोउदासीनंचनायेताबविषयनहाकूलकपुनीत्यवेतन नदसंभवारा ऋयित्वासाहेयमार्यशभावनाविधमिलियत्वेनविवत्तापामनुस्यसिततमत्वेन नपूर्वस्यायेनडदाहरगामिनिभावानी संग्रहांध्यातायुक्तमित्यारंभादेवशमान
अकपिउनयर्यायोऽपितशहाश्रीयतेनाप्रधानयोपोरब्यभाष्यलधारयानावात्र न्यथाबालागस्पयुएनीपत्रवानगोस्पोषिपुत्रविशेषत्वेनोयानस्पकमत्वपूसंगानचन स्पाकारकत्वानदोषाएवमपिपसिनाकांस्यपायांदोग्धतिकरणाधिकरणायोरतिप्रसंगानति राम. योस्ताँडेनकरोना न्यादिखकाश हादियरिगगा नाताकेनाकथिइन्यतायामाहाअपादा३३०
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नहपानथादापनमगाकरगचपावसावा
कर नादिविशेषैरिनिअपादानंसेपदानमधिकर्मकरांकन हतारिन्येताभिरिन्यर्थशव्यापकीमतकारकन्वे HTTA ष पनानासाहकासकामानवजासायनशानी न्युजनातिप्रसंगा १२
नवयातनश्ववादयान व्यापारविषयीनत्यजनदानीगाकरगादिनन्यफलानायस्यगवा देरनोसिनकर्मवेनमयादेशिसनकर्मवेनचसिद्ध मतिव्यथामदात्रीअनस्वगमयभिग कुलमित्यत्रकठसिनतमामयवसिइत्वाङ्गतबहीतिरत्रंनियमाचामतिसिद्धानइतिवेतानान माघासामनीयादितिवन्ध माजविवज्ञायांवरीबाधनार्थतदारभारातथाचंषशवबंधमा अमिहहितीया तिननावमा अपिएनसून खनालस्थानका मोवसहानुरोधनप्रकनस्तत्रीन नरवर्तिनीनवितण्यर्थनायोमैत्रघकरोतीतिनप्रयोगाविधत्वविदहवाशक्रियान्वयित्वे । यमार्थ मेवानयाहिाकथिन स्पेस्तितमानिमितस्यकारकस्यकूर्मसत्तादिस्यान हिंडेहादिसंबाल
त्यगासवम्पियःकर्मकदोहनमर्थइदिनमाातंत्रकरणरुपकलाश्रयपयःकर्मकत्यातनाभयंगवास हनामनिवोधायुन्नान्यत्वेपोदानमत्तरादिदोभाया
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240
विसंवन्धत्वे
अवशोधपत्रसामि। सिरसनविवज्ञायांन गो ययोदोग्यानिषधोनॉमिजीवएवेन्पाजायदात्वयादानन्वनापाहानत्वत्वेनवावि
वत्तानतायेचमीयदाययाविशेषन्निनदाडकारकत्वावधवायदानुगो कमेन्वावधित्वयोगये
हिवतानदाध्यदान सतीबाधित्वाकर्मसंज्ञाभवतिनिधाचाकडारसभाध्यमयाहानमनरागी तगवीन दाधीत वाधलगानिष्ठययतरानुकूलव्याचारानकूलागोधनिष्ठापरीनिबोधताका
मागतिकमा कविदित्वान्छिनडीमततमस्ययादेयात्रमितकारांगवादिकंन कर्मसनमित्यतिनयपशषत्वविवक्षायाकमवाभावयितत्रिमित्रस्यगायपदिग्धिानकमत्र मस्येवा सत्यपियस कमत्वेनधारीचकरराधिकगायोःशेषत्वविक्तार्यानकर्मसंज्ञाया की स्पयामागाययादीग्धानिाएनबूमर्वयोगनिमितमश्वविधावितिवार्तिकालब्धमिनिभावाएतदेवक लतोन्याचशेकमवायुज्यनानिमिततमेनेत्यानवनियारयादियानधान्तरकर्मशासी राम माममिन्पायरिगानभितितेननपटनीत्यादीनानिप्रसंगइतिभावडिलानोदनपचनानिय २४०
मुप३
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कर्मत्वविन्दायां द्वितीयेवेत्या दुतन्त ॥ पय सोऽविव न्हायां गोरे वाघित्वेप्सिततमले विवन्दायात द्राव्यमितीहत्यकैयट विरोधात् क डारसूत्रे गां दो ग्धीत्यत्र पयः शब्दप्रयोगाभा वा मनोरमा दौतत्प योगाभ्युपगमो निर स्तः। भाष्यकै यट्यो स्तूपयोगनिमित्रं ग् वादि कमी प्रितमेव न त्वीशिततमम् । नापिद्देष्य मुदासी नंदा। अतोऽपो प्राकूर्मसंज्ञा नेनविधीयत इति स्थितम्। तथाहि । एतेन कर्मसंज्ञा सर्वा सिद्धाभवत्यकथिते नात त्रैसित स्प किं स्यात्पयोजनं कर्म संज्ञा याः ॥ १॥ कथितं कर्मेत्येतावता सूरात राडुलान्यवतिविषं भु गांदोग्य पयइत्या दो सर्वत्र कर्मसंज्ञा सिद्धेः कर्तुरीप्सिततमंतथ न्तमिति सूत्रइये व्यथीमेत्यस्पश्लेाक स्पार्थः । तने त्याहा तरे ए श्लेोकेनाय तु कथितं पुरस्तादी सित युक्त वत स्पसिद्ध्यर्थम् । ईप्सित
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सि.र २४०
मेवनुयत्स्यात्तस्पभविष्यत्य कथिते नेति ॥२॥ यवेभ्यो गां वारयतीत्यवेक्षि तिनय वादिनायुक्तं यद्रवादिकंतस्प कर्मसंज्ञार्थं कर्तुरीपितत म मित्या स्वव्यम् । वा ररणार्थीना मित्यस्पकर्मसंज्ञायाश्च विषयवि भागार्थ मितियावत् । श्रन्यथा गोः कथितत्वेनाsकथितं कर्मेत्य स्पाप्राशावपादानसंज्ञास्यान्नकर्मसंज्ञा । तस्मिन्नास्वे द्वेष्यो दासीनयोः कर्म तानसिध्यतीतितथा युक्तं वेत्यारम्भरणीयम नवतयो रकथित मित्पने नैवसिद्दौ किंते नैतिवाव्यम् ईशितत्वाभा वात् दुहादिपरिगणनाइ । इतरथान्ट स्पट गोतीत्यादावतिप्रस तर वान्तभी वितरपर्थतायां मैत्रचे टंकरोती तिना पानी यमाहादि वहिति धातुसेव वतिस्पक संज्ञा विधायक विरे हातात स्मात्रेण टंकरोतीतितीव साघुर्भाष्यमत इत्यव वेयन् । राम
२४०
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सिर
२४० रेप्सितमेवेत्येवशद स्वीप्सा प्रकर्षाभाव सूचना या ईति पकर्मता सिद्धये कथितं वेति सूत्रमितियावत्। तदेव भाष्यादिपर्यालोचना २ यामस्यापि द्वितीयायाः कर्मत्वमेवार्थेन संवन्धइति नव्या धुन्ति भष्पिविरुद्धेत्यवधेयम्॥ ( शोध पत्रंसा वैद्विशत्पुनरेव वा शत्र पत्रा टटस्थ प्रथमप
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राम २४०
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नवकर्मशीनिस्सवेडहिपच्योर्बहुलंसकर्मकयोरितिवनयमिनिवार्तिकेउटुंबरठफलंय च्यतनिभाय्योदाहसमाहायरतस्यकर्टवविवत्तापामन्यनमप्रत्रिवचनमिनिकैय्यटनया यायान्यत्वाजायचिरत्रविधयेद्दिकमकोरत्तस्पाकभतरायलयाकासंभवाइटही कथित कर्मतस्यैक्चयदाकरीवविवशानदायकर्मवडोवतितेनैवगौशामतत्वतोयन्यूसेनदेवच हरदातादिभिरस्मिन्सचेंगीतमाधवोविजयतः कषतमयमुघडयतम्यचारत्याहत्यात दृभिप्रायरोपदाहत मितिभावाभाध्यकारीस्विहस्त्रेयघप्फभयूसाधारशास्तथावकारासतना ममिनिस्त्रेषपधिरितिभाषमागरोनायंडहादरनिस्पष्टमेवादिधननाडुलानित्यस्तंडला चिलीदयन्त्रोदनंनिर्वतयनिनिडुलानामोदनंपवतीत्यस्पतालविकारमोदनभित्पीत्वादिका पघि रयोगवछोनिचव्याव्यातबाराकानिस्तत्रे चावधितशशेषप्रधानवाचीतनदायोपित नांकास्पयाध्यादग्विीन्यत्रीनिषसँगाकरसाधिकरतायोकपचेत्यादिश्वकाशनियत्रकर्मसंतान
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इत्थंवैौदनंनैत्रंपचति मैत्रइति न व्यमते साधुन मान्य है र र तादिमते । ९ सिर.स समोइदा दियू रिगरा। नादिनिवेदना हरदत्तेनायिय चेर्नडुहादित्वमित्यस् चौएवं पई २४१ हादित्वमिति मुख्यमनन्वेन नव्यानी गोड यह मा त्रयरे व्यवधेयं। दंडयती निघण्य 24 हादिषुभाध्य बना नपठितस्तयायिगगः शतं देयतामिति भाग्य प्रयोगशाद्विकर्म करवा चहा दिरेव नन्पादि गोगोकर्मशिलट्प्रयोगात चिनश्च राजानो हिरन ४ रापे भवतीतिवाका शेषे शाशन स्यैव प्राधान्यादितिभावः । शन जयतीति त्रिभिभवेय जिज यइतिप्रसाद नोनात स्याकर्म कन्वान्नाय घाधिक हि या चिरुधिप्रविभित्तिचिन नीव हिहरत एका दरी वेह हो दी व्यर्थ जागरा ड्राय को रस्तथापि ना वो हरने वायाँ तिवार्तिक स्वचकारे शापिठिताधिजयन्यादयः समुचीयन इतिकै पर पास का घनदमत्रांशिक मिति भावः यनिबंधनेति नास्त्रेऽहमयी दम बोध बोधइति द्विययीयस्य वोदेद्दिक राम मकत्वेनभाष्यप्रये। गोत्रलिंग मिति भावः श्रतएव स्थास्तु स्रम खो जगाद मारीचमु २४१
मा३
स्मे १
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नार्थ २
वचनं महार्थमितिभत्रायुडा नुथाच नाथ त्यादयोबह वो द्दिकर्मका ज्ञेयाः । बलिंभितनइति प्रार्थनाउन यो याच्यर्थे नत्र पार्थको भित्तिरिनिभावः । एवै ग्राहक तक्र ामिन्पय्फ दाहापीय तुम हिनद्दिकमी मानाभावादि नादडियययस्यग्र है विकर्म कन्वान या या ग गः शतमित्यत्र दंडिग्री हाथी ननियाहार्थइनिग समुदायादे कंशन या गुणानुरोधेन प्रधाना हतेर न्याय्यत्वा दिति के व्यतया स्वाक्या उग्रहशावान चनिग्रहपूर्वकयह प्रथ के व लग्र हसाय हा थइनिन तयोः ययी यते तिवाच्या इंडिश्च ग्रहणार्थी ननियहा थइतिभवने चे खने विरोधात च्याग्रह पूर्व कोच के वलय प्रयोगस्य सर्वानुभवसिद्धत्वेन तयो पर्यायत्तया निबंधन ज्ञायक स्पा संबद्ध वापते नोपपयीत्व मंगी कुमतिल ल्प प्रक्रमेचीत्या स्वातावतारे या हे रस्तथा माचे रूपा जेदीयश्व संग्रहइति माधवेन येना अभी ह सत्र के चिद्दिकर्मकत्वेन सगृहीताः॥ तार निकमसमुद्रीमानि वहुवेदी मा चेयं नित्याजपति
४
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सिरसवाकोयदेवदनादायपतिशास्त्रार्थशिष्यानानवगनिबुद्दीनिस्वेता सिद्धिानिहलपेषशादेखम २४ सोयुनहेमतिचित्रोकरभावानस्यविषयवानांतत्रयाहे हिकर्मकंवंबहवोंनेतिअन
एवझायामनियाहिनगेधमाल्यमिलिसिदान्यन्यथारायतकर्वश्वकमाइनिवार्षिकोत्ययोज्यधे मुरुयेकर्मशित स्थानाननश्वजययागंधमाल्ययनियाहिनामिन्येवस्थानबंडवाहिनासहीत जययायनिग्राहितैर्गधमाल्येययेनिवियहप्रयोज्यकारीधेवयान्ययंदाथैबडबीहाबुक्लन्यास जापानिपराविषयाभरतबहंधमाल्यकमकप्रतियहांतकवामितिवोधान्यपदाथार विविविशेषयाविशेष्यभाववैधरीत्यनायका भावविवनामाप्रामानंद तिववध्यर्थ बडबीघभ्फयुगमादतिदिदिशाइनि कुरुपंचालादिरवरनिनाधिशी-खोसोमिनिनव्यर्थ नवोदाहरतिकरूनिनिनिागौदोहमति भाववाचीहिमासादिवाकालवाविवेनाप्रसिडइतिनस्य राम कालनाम्यवासिद्धिाअन्धायमानश्यधिस्यादितिभावाचानुदेशकालोभावेभ्योऽकर्मकथा१४२
घ१२
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नयोगेहितीयेनिकेचिदिन्मक्रतत्रकेदिन्फनिमन्मतमसमंजसमितिसूचनायाासिनव्यत्रासिनः स्वासः आस्यतेवामासइयादोहिनीयामात्रविधीकर्मसज्ञायमुक्तकायारानस्सरितितयाध्वागत
बनाविशेषित निन्ननाचापरोदोषजन्मताअन्यथाऽध्वानस्वायनानिस्योराअतरवत व्यवनप्रासदकोशादिनियतपरिमाशाएवाचतरनिसिद्धातइत्पाशयेनोदाहरतिक्रिोशमिति गानडादायत्येवसानंभलगाशहकर्मकारामिनि हकमशरकताकमव्यतिहारहतिवन्न क्रयायरसकिंगकारक्यशक्षकमेकारकमेवामिनिकर्महरासामथ्यानाअन्यथागनिबडिय पवमानशाकर्मकायामित्यवत्रयाताकत्रिमे कार्यसंप्रत्ययावासावितिाहतमासाँचोभा निय कत्यथोनियमामिस्त्रमिनिलामनिवतिस्भाव्यतारापयामायादकभाकाग न्याधर्थकधातनामेवाय्यूशनकयटोप्येवनाहा अनरवयंचादानापाड्यानभायात विरेवापमितिनव्या प्रवत्तीयरलायजीव्यत्वानरंगवाचकासननममितिबाधित्वाकरस
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वि१
ज्ञायांत्रा प्रायांनद्वाधनार्थेये प्रतिप्रसूर्वेधिर्ननियमगल सेभेदाभावादितिन व्याशयः शाहं प्राधान्य राम र्थस्यैवेतिननिबंधन कर्म चक संज्ञाबाधितुं नेष्टे । कान्यथोदना देर पिक में न्वानाय ते विकि त्यादेरार्थप्राधान्यमादाय कार्टचस्थ वरित्वात् किचैवेशनः पुरुषदा व प्रधानादेव त्या३ धानादिनिभावलीगा व्याकृतानस्मान्नियमार्थमितिभाष्य के प्राकरे व रमणीयानचैवंग त्याद्यर्थादिभ्यासनिपदिकर्म भवति प्रयोज्य एवेतिविपरीत निममः करः कर्मणाइति वार्तिका सत्रे कर्म करायचेत्तितिका शत्रु नगमयहि निस्कि ४ नाक गमन दिय यि काय दभिन्ना का प्रेरणा सःश्रीहरि मैगनिरित्यर्थः नन्वेवंशत्रूणां कर्म करिशिनन मचाभावात्स्वर्गस्य कर्मचन स्यादिनिवेनानागति बुद्दी निकमत्वस्य बहिरंग वेनत नः पूर्वमेव धान्वर्थ व्यायारमात्रप्रयुक्त वर्ग कर्मत्वस्य निर्बाधित्वात् यद्दा कुर्मसे ज्ञायां कर्मपदस्व राम नेत्रमात्रे लाल शीकमितिन देोषः। नचयचैवशक्ति मात्रै शक्तित्रैवकथैल सशोतिवाच्यसंज्ञान २४३
कर्त
सिस्तु २४३
243.
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तस्यसंज्ञा रानु हितस्वनःसंकेनितोयहिनाजमहिनखनंनदपपगमोहिमायादेवदनेनेतिनियमन ) कर्मसंज्ञायानिवर्जनात्ययान्यस्पकरीत्या नवीधमिनित निबंधन टेनीपैभवात हरियाहार क्रियायास्वातत्र्यात्प्रेषणकिमतीगतमानियमावमसत्तायास्वधमाभिधीयतेइतास्वधर्मती पनिनेत्यर्थानावद्योरिनिमायामपिगतिविधिएवेनिगन्यथीत्वाकर्मीलगाया तानियतापश्प्रेरकनिस्सनरवावाहपनिवलीवोन्यवानइतिभाध्यादाहरगोनस रतीनिन्यायाधीकारादितिभावाननिषेधातिप्रयोज्य कमेनिवाच्यामितिनात्याधाshal नियतामाजिनायतासनतनाचसारथाश्रादयुतीति निगरमाचलनार्थभ्यातिपरस्मैयद मेवेती हनियमानपूर्वनेने प्रतिषेधोवाच्य फूलनिनोचनियदपमालभवन्पवेनिवालामा रिनिवाधिदेवमस्मिच रादिशयनीयसयतहानप्रापः।
यवानाचननवादिसाबोध्याजव्यनिप्रमानिलियोनामत्या
की
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सिम्म धानर्थकस्पैवामित्वनाचिनार्थकस्पेनिमितीदवानास्मरपन्य नवनगल्महत्यत्रोपरावितिस १४४ भाष्योदाहरणादेवकर्मनावोध्याशिवाययंतीनिाश करोनानिशवरकलह तिकरीत्यर्थ
क्यातनोहेनममिवाधावतिाएनेनशहाययतिसैनिकरिनितिवर्मप्रयोगोनिरस्तायांचा
अपकंदशहायनानेफकाश्रग्रहहशोकमन्चविहितप्तबापतनावनिवेधानिमलभान दिद लोकशक्रियत्वान्यामावपिनादकसंवार्थानभ्ययगमानिषेधोमुधैवाशबायतियहसासन्य" गैवाशोतकशक्षकर्मकावासिहोत्यसखया नव्यधीशवकर्मकविद्यार्थत्वेवाग्रेहेरयेवा प्रादानार्थकत्वेतपपिलधाकरमत्तग्राहेिटिकमकवस मनताविहरदनादीनामसम्म तोश्रतएवायाचिनारनहिदेवदेवमदिखनोंग्राहयितशशाकेतपत्रबेधापनामनिव्हर्थिक बनवग्राहिव्याख्याताहरनावामानाजायोपनियाहिनेक्विनासंधादयतमाथि राम तसनेतदिहाय्पसंख्याशापरव्या प्रामाशिकमेवेन्पामभाववाहकोगित्पादिग्रहामिई २४४
SL
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घास्वस्यभा४
नानुवर्तने तिनोभयत्र विभाषेयं । तत्रपदाचावकर्मकौतदाप्राप्नुयदानुचौर्यामतनावार्थ कौतदान्वप्राप्रतिननानंनरस्येति न्यायेन यायचन्यादिवन्प्रयोज्यस्य कर्मन्ननिनौशा प्रायो विकल्प नतद्दिधाना थी मदमस्त अकर्मक योक्ता कर्तरी नितममितिनित्यमेवकर्मत्वम स्वितिवाच्या नवैति विभाषे भयत्र विभाष्यकृता ग शिति चैननन्या कये। ददाहरणविहारयति पुनावाकालः विकारयति से धवान दिति। श्रभिवादयते रप्राप्नदर्शपने प्राप्ता वयविकल्पभिवादयते दर्शयते देवभिन पापले कर्तृगामिनि चश्चेत्यात्मनेपदधिशाकुर
ख्य कम त्वकिं त्वा धार त्वमेवान स्वनिरूपकत्व संबंधेनाधिनायनादिरूप धान्यर्थन् मिनिविशनेय दिश क शि वायदे इत्पातिप्रसंगमा क्या है। मिनी संघान वस् तिनेरल्या चतर चेन पूर्व नियाने कर्तव्यविपरीतोचा शांकुश नसताता है द्योतवि पर सोपदेव दर्शयतिदेवं तं न विशेश्चेतिनित्यं कर्मसम्मू भाष्येतु अध्यारोचितप्रेषद्वितीयक न्यायादयिते मृत्याममत्येव राजे युदाह त्यसौर शा त्यात्मनेपदमित्युक्त न
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कर्म भद
व्यमतखण्ड नाव सरे तत्रैव स्फुटयिष्यामः (१४
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सि·स्तु वत्तितइतिभाका कविनेति समर्थस्त्रेएश्वर्थेष्वभिनिविष्टानामितिभाष्पप्रयोगोत्रलिंगेरितिभावः वसतैरितिग्वस निवासइत्यस्यया हशान तुर्वसाधा इन्यस्य लुखिकरणास्येतिरुचपित शयानिर्देशशी स्नेति कथंन केति सत्रह रिदिन मुघोषित अ रुनन्त विनफदा हरश मितिचेत्।। वशे । इयस्य प्रतिषेधइति हिवार्तिका तत्रार्थ शनि त्रिबाची भोजननिनिवाचिभीनेत्पर्थइति व्याख्याभिप्रायेो हन्यमूलास्थित्पर्थ स्वनेन्यू थइति व्याख्यात रेवतत्र त्याज्योषितइत्यत्र भोजन निवृत्तिरधिकी निज्ञे मा उपयद विभक्ति माहा उभसवैति उभसर्व पोस्त सौत्र भसर्वन सौ नंदनया गेहिनी या कार्यत्यर्थः । प्रकृतिद्दित्वा नसरितद्दित्व निर्देशन शहादय जून कृतः अनुकरण शह विना संख्यावाचिन्वानाच अश है नोभयश होल त्याने केवलान सिल असंभवात्राभ्यां विहितोयस्ता सलितिवायाराम यातथाधिक योगद्वितीया कार्येत्यर्थः प्रकृतिवदनु करणामित्यनिदेशा त्यो लुका विम२४५
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तिकोनिर्देशागयत्नधिगित्यविमतिको निर्देशागवित्ययमाहेतिवादनिपञ्चातबादशतेलोयशाक त्यस्पतिवद्दाशनिकेनश्वापत्तियसंगाजधायगोतस्वैनिशक्याधिकिदिन्यत्रक स्पैचदइन्पनापने रितिनव्याहषयांच्क्रुगतनाधिगित्पविभक्तिकानिश इत्यनावानेवाचायथनवगवियपमाहे पविधमानेमा मध्याहत्यास्मडक्तरीत्योयिसम्पप्राचार्ययमशुद्धीकधीमयुकन्यादानली सम्मानियदि केनिसवेलनविभक्ति कविविशष्यमतस्पत्यस्पूनापन विभक्किमित्यादिहानव रदर्शनास्वयमपिनत्रनदंगाकाराच्चानथाध्ययध्यधास्याडितसनकानेपर्यंधासासामा इनिहनदिवचनेधिनियाबरनेवि समहिनीयाकार्यत्पथी उभयन्वरममिनिहिमसबाट
इयेयापर्थनाघादित्वातसिषयथहिनीयाएवमन्पन्नायूछाअदमधेर्योभसर्वनसाशि AQत्रयरसाहपानासलवरधनानत्वाधादिभ्यत्तस्निास्वच्छभयनन्यादौनसेवेन्यनेननसिला शोदष्यानिनयंत्रसंज्ञायोनसेनसिलादशाभावलत्रनहिनायानसेश्वेन्पत्रविसर्वनामबद्ध लख
अपायनेरितसिम e roinoon
गोपाइत्यर्थः या त्यपुरहियादागा
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क्
246
सिरख इत्यनुवर्तनाहिताधिका भक्तमितिनस्पतिं द्यतेत्यथी प्रथमार्थेद्दितीयानि मामक्तइत्पूर्थ २४६ इत्यपि केचित् कथविनिहताना धीराभवतिचाच्या संबोधनय देक्रियान्वयीति प्राि रूपिनलेन कारकविभक्ते बलीयसी त्वात्प्रथमेव भवतिञ्च क्रियापदेव चिद्युचिम यासंबोध्यक निषिद्धाचरसा स्थान घने तिबोध पत्र संबोधनपु कारक वा चीत्य नरंगल्या प्रथमेति केचिदशन चिंत्या देवप्रसादेन्यादा व चित्र स्पेव वास्तव कूलपिक्रम त्वां भजे गर्छन चैवाः ६ स त्वादितव्याः६६घटित्तन्न्पुरुषा एतदृपि सदर मितिब
तत्रापिमच वेन्सीपर्वक्रियापदाध्याहारात दयेक्षयाकृतं वाचिन्व संबोधन यह स्या स्यति कश्चिद्रवीतिन दर्पितातथात्वेचे चोगम न्यादी वे कनिङ्गाक्यमितियारिभाषिक सूमानवाका त्वाभावादपदे डोहरा ने नेत्यत्रैवामं चितनिघतानायते तस्माद्य चित्सबोध्यत्व स्वनिष्ठ राम राम ज्यत्वा पाद्यचिचसं बोध्यन्वलत्पकर्त्तनाम्याद्यचिचसेनाभ्यत्वमेवप्रकृन क्रियान्वयएवावश्यैवाव्य २४६
तश्
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ह५ निप्रायकत्वानरापहतेचसाक्षादिकशक्ष्योगाभावाचहितीयेन्यामानावराउपर्युयरीतिअथकथ उपर्युयरिबुद्धीनीचरंती वरबुद्धयइतिापनियदोतस्पज्यर्यध्यधसइत्यनेनहमधिर्वचनस्यवाति केयहादिहचवीसादिवचनवोन्नहिनीयाउपरिबदीना मुनानबुद्धीनामपरीश्वरबद्दयतिच्या
याननाम्रौडितानचाभावादातनिरूपितत्वंदिनीयाथीलोकनि यिनीयरितनवावशिष्टदेश निरूपितोयरितनत्वविशिष्टततद्देशाधिकरशिकौरिकर्तिकाक्रियेनिबाधे अभितः परिततिाएतच्चान्य वापिन्यतइत्यस्यपूर्यचरतमितियांकावसानलभायामिनातिवानिकस्पयन्पेकमेवयठितवान हिषयत्वेवचनानर्थ क्याक्रियाविशेषशाहिनीयामात्रविधायकभिदेततोपत्रायिदृश्यना निवचनीय नेशोभनपचनीन्यवावलिरुत्पनिरुपफलशालित्वेनकमवानविंशषशास्यायिकर्मत्वात्कर्मण्यवाह निहरदतादेयश्राद्धानबानाहशनियममानाभावानराशोभनयच्यतेचैत्रैगन्यत्रकमरिगलकारीयतेश्वोकि
Emमिराशामनयाकरपघागधष्ठावनत्रीदनस्यारन्यांदोमायकमरायवतभ्यामगभाद
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सिरसचिसखस्वयिनिशेतश्त्याद्यकर्मकवानुमताहशमुख्यकर्मधासंभवायथाकथंचितसंभवतेयाम २४७ कर्मकन्वव्याचातानधाकर्मकयुक्रियाविशेषणात्याहिनीयानवे याकरता नामसम्मानमवस 217वानइत्यत्रायपथमानमवूखखयदामनिवाच्यात प्रत्नपूर्वमीयलामकूलमितिस्त्रेपनीय
वर्तपत्राकर्मकस्यापिटोयोगक्रियाविशेषगास्पकर्मवाद्वितीर्यातत्वमित्येवरमहंत्रिग्रंथावगे शोधपत्रमे धातिस्माक्रियविशषशास्यकमवअनिष्टत्वान्मानाभावाचद्वितीयामात्रविधानाधतहचलमांना कम्प कमिन्यामानावनागभितममिनियोभभ्याचेतितासलोनिहयितत्वावा सबंधोहिनीयाधः। बधाहझामनविषयकारवदनिबाधाबुमानितनैतियों
नातापाहपतिक्रियाविशेषणात्वाइयसगानक मप्रवचनीयानित्वहितायाथाबुभुतिननिकिचित्करकाप्रतिभा भावप्रतियोगिनीतिबाधाम राम चाभाव समिहितबुर्तितनिष्टरवरगावातरोनशायरस्परसा चाँदव्ययसनावैवरामलम २४७
समयानिकषाशासामाय्यवचनावव्ययादिनायाथाश्ववरातिविशाहनीयाथाविषयत्वास व्यः४
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शोदाशरथीइन रहने। नान्यामिति तवममचमध्येहरिरित्यर्थः। कथंत हिलोऽनं तराइ म स्वयाश्व वातराश्चिद्विद्यते नवे तिभाव्य उच्यते मध्यत्व निरूपेनमवधि त्वयया निशान
तस्य सत्र संबंध सामान्येव भवति। युक्त यहरणादिनि के पालत धान्यइति हितुहेतुमङ्गा वादि संबधोत्पत्यर्थ तथाच हा क्रियाया घोन को नायसे बधस्य न वाचकानापि क्रियायदायी संबंधस्यभेद कर उक्त इति। कर्मप्रवचनीयसंज्ञइत्यर्थः। गुरु सूज्ञा कर या मन्वधन्वाय कर्म कियाप्रोक्त वनइति। बाहुलका इते रवा श्रनीय रावद क्रियापदसत्रिधननिष्ठविशेष तिन व्रत सदसंनिधौ च संप्रति निहेतुहेतुमङ्गावटि संब ध्रुविशेषेधो नये नितेएनत्संज्ञा स्मरिति निर्ग लिनोर्थ । गन्य सी सेज्ञाय वा दई निमनुजय मननु द्याव दित्यत्रप्रन्या योगाभावेन क्रियायोगाभावादेनयोः संज्ञयोः प्रावाभावात्कार्य तदय वा दत्त्वमस्याः संज्ञा याइति चेन्न । गम्पमाननिशमन क्रियामयेत्यनयात्रा निरस्तीतिसंभावना मात्रा मूलस्पन बाधवा
घ्य २
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सिरस
२४८
218
इन्हें
नानचेवंकमन्वा विहिनीयासिहौकिमनयासंततिवाच्याजपस्पानिशमनप्रयुक्तहेतुत्वाख्यसब धमात्रविवत्तायोकमत्वाभावनषेधारतीयायावापामायतदारंभातानचवमायनयमनानू शम्यदेवामावर्षदित्यर्थविगंमाल्ल्यनोयेयंचयपवादावियसज्ञातिवाच्यायवल्यावतार्य जनितविशेषघोतकाभावनत्रवन्दकपगमात्मन्दनाववताभावाचायनासंबंधवि शषघोतकत्वेनगन्यायसंगसंज्ञयो प्रतिनीलानिमन मिनिधायगफपसर्गसहायवाद इनि प्रक्रियामलेरतप्रतिसिंचतीत्येवयरलोभक्काकश्चिद्याचस्यानिचिन्याअस्मदीत्यैवसले यफतावन्पथाव्याख्यानस्यायनात्यानकिंचतंवत्तामन्यत्रापिसेवायांअचर्थत्वाबाधायप्रत्या दानासबंधविशषघातकृत्वावपकुवेतत्राधिगत्यसंगसंज्ञयोरातिरेवाप्रपिचहत्तवर्तन त्पादकासवतीपत्र सबधसामान्यघातकप्रन्यादियोगीतापासिंध्यत्तस्वनियामन्चयोवा राम च्यातथाचकथतयो संजयीप्राधिनस्मानभावमापासुध्यय तस्वतधामन्चयोवा राम
नामावनामात्रेसाहवरवल्यपसर्गसंज्ञापवादरफल २४८
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मिनिबोधविकतकहतिकारखदधियरीअनर्थकाविन्यत्रैवैतहलंयताअन्वर्थन्वस्पनवस्त्र
हवानाश्रितवादिनिदिकासामेध्यातितिाअतएव देवत्वंशाइबोधविषपाहतमितिभावाल वा गोत्यमित्या नाहियांवीसांघारनीयानदीमचिनिइहपरस्पराविनाभावरूपसाहित्यहितीया
र्थमनुनियनिअतरवसहरने प्रधानइनिनृतीयार्थएवेहयतोनकरीकरगोरामेराशरगावली अचहनइन्पत्रकारकविमनरंतरंगवेनास्यासेज्ञाया फलाभावानानाविधनांगविकाइनित नायाथाकर्मप्रवचनीय युनहितीयन्यस्याननरस्पेनिन्यायेनाप्रधानन्टेनीयोमात्रबाधकल्चोक यूग्रमादित्पाशयेनाहानघासहतिावत्यातहतियस्माधिकामिन्यनेनालगोपाहतप्रतीतिविक्षस बधिधोननमधामसंबधोलत्पलतयाभावरूपप्रत्पादिघान्यामकावलपत विषयविषयिभावप्रन्यादिधात्याकाचप्रकारमानइन्यथालतमाहार
निालस्मीरयभागस्य हरितासहयानिक्रियाजनिता स्वस्वामिभावारतरत्तपतीनिइिनिशभकियायामेवान्चानावासोळे
संवन्धः२
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किसान हिर्वचनेनैवघोतिनाकुमरायेववतद्वितीयाकर्मप्रक्कनीयसंज्ञाफलंदयसरीवाभावात्वत्वाभावास
नदधमेवललगादयाविषयत्वेनोपात्रारतिमाञ्चःवस्तुनखसंबंधमात्रमेवहिनीया इत्फक्रीकिंचा विसंवतंपनिश्यामनाहतपतिफलानीत्यादौमाग्निक्रियाजनिनसबंधतिशेषघोतकत्वमेव । श्यावाच्यानचात्रकर्मणिहितीयाचा प्रसनिलिोस्व स्थिनमालकास्यानुषांगिक प्रयोजनानमार प्याह
ज्यसर्गत्वाभावाचूषत्वमिनिाइहहरियरात्पवयंचम्पयाडि-निनयंधमार्जनार्थकेनायेनसाह चीनाशस्यैवपरस्तूत्रग्रहगोलायूरिषिंचती निउपसर्गासनोनीत्यादिनाघाममाभिव्यदिश निकाममभागः स्यादित्यूची प्रावस्तुमामिनियठिन्वामीयामयादिन्यथा अभिवस्थान सकर्मक स्वातवममभागइन्पर्थत ययवसानादभागतिर्सनानिधान्यायसंगनाडम्या मनिष कुन शागतीतिइहप्रजयतिबज्ञपति विद्याननई पोदेरथविशेषघातकत्वदधिययासंदभावमा राम, शानधधात्यर्थमात्रघोनेकत्वेनात्वर्थवज्ञापेवेनिभावायदान्यरत्तसंयनये कुतशतियदीपजाया २४४
त्पादौर
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एकंशोधपत्रमत्र३
वातिरितिसौवकारेापूजायामित्पनुष्यतरतिभाववानिदैवानिनि गदेवसंवेअतिक्रमणासमान - कलकाकनककामोत्सर्थीपूजार्यान्वक्षमनिमितभवते कराहायीहवीचंबनकियाज निनानिक्रियाजनिवासेबेधविशेषमतियोतयतित्रापेतसाअंतति राममनिकोनोपंत संचा सासयोगश्चात्पतसयोनिरंतरसनिक इतियावताहितीयास्पारिनिासंनिहितत्वाकालाक्षवा विभपामेवानूचेह खरयग्रहांधावांकालापतसयोगेचैत्यूवसमासूविधौबहुवचनानिई शेन द्वितीयाविधोखलयविधिनैतिज्ञापनातामा सम्पहिरितिषष्ठोशपूतिषष्टीनछत्तोपयोग पन्नावरही भोजनमित्यवसमासूनिवर्तकशीपनामाससहिनावाशेवानिवती कर्मयोगले चाहेरहीमोग्लामसलतमासनियतकत्वानस्पेतिन व्यातिनावपार्थनारखधस्या विहिरहोर उत्पन्नवाचायनीबाधकाभागातरवानागावयथेचयनोभसमित्य परचीनियममुखेनापियनितयास्त्रस्पामभकपागमन्भाध्यकारागारनिरिका॥इति
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तिपादय ६
240
सेल द्वितीय॥ ॥ स्वतंत्रः ननु किमि च त्वंन तावन्कृत्याश्रम योग कृति बीजमंकुर की प दावव्णू प्रेग् नच तत्र करो वा व्यापरिवाविप मापारी त्यात विनैवाय पत्रः वो मैचंग छू ती पत्र त्रपयक्तिंचितसा श्रय ले नूक व गाज्ञ। नापि प्रकृनघाल्यात व्यापारजून ककृत्याश्रयत्वा रथादाव चेत ने चैत्रो पन ते करोन) त्यादी चाव्याप्ते तर कार का पत्वे सति कार का तूर प्रोक्त्वमपि निरस्त कार कांतूर निष्टव्यापार जनक चित्तरदला थाचा चेतनेनसंभवतो तिचे त्रों में बेणे त्यादावव्याश्च ते नाहए द्वारा कार्यानुकूल ज्ञाव त्वं कवन मिल्फ तरमीमांसका नागयुक्तं । तस्मान्ने परे बाल युक्त मिनि त्वयव्यापाराच यत्वेन या विवक्षितः सत कोची पुत्र विक्रित्याश्रयेनिया दिवारणाय व्यापारेति उक्तं चाधा तु नोक्त किये नित्यं कार के कन्तयतइति नयचति चैत्रो राम मलेठो नास्तीत्यादौ च पाकानुकूल श्चत्रा श्रप को व्यापारोऽभावन ति योग।। मूलाधारिका घटा २५०
250
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अषिः पदार्थ ॥ न षइति । उपसर्गप्रादुभ्यामिति प्राज्ञः । इहसंभावनायामित्या रम्यन संवध्यतइत्यन्तो ग्रन्थइदानीन्तन मुस्तकेषुदृश्य मानो पिनिर्मूल वा ट्राष्या दिव्या कोपा झोपेन्ट्य व तिथाहि । संशयः संभावनाने त्तत्रलिङदिन ३ धिरस्तिान व भावनेऽलमिति लिङितिभ्रमितव्यमा तत्रक्रिया सुयोग्य नावसानंसंभावनमतिशयोक्तिरूपं ग्टचन इति सर्वसंमत त्वात्सं भावनग्रहणेनसिङ्को पदार्थग्रहण वैयर्थ्य वातस्मात्प्रार्थ नलिङ-1 स विइत्यादिशदुपयो निष्ठे छाविषयीभूतं विन्भूमि-नाश्रयकम वनमितिवेोधः किंन विन्दुक टक दौर्लभ्येा घोलाको त्या घप्प संगतम्। सामान्यतोऽशव्दार्थ स्पौ लभ्यस्या पिशव्द द्यात्य त्वायोगात् इयमेवापीत्यत्रेदमा व्यवहित है। लभ्यपरामर्शकत्व स्पा न्या
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सि.र नय्यत्वाचामपिबास्पादितिपदंकर्टसामान्यवाधियदा सामकिरी २५० विशेविन्दोवततेतदातप्रनाचि:कर्मप्रववनायइत्येवंघरमाध्यकैयटी
व्याकेापःस्थावानवैवंविन्दोहितीयाशझा तस्याऽपयुज्यमानला। मायदास्पष्टप्रतिपत्तयेविन्दुशरःप्रयुज्यते तदापिकारकविभन्तिपथ मैवेतिभामा सताइयमेवेतिकरीविशेषविन्द्योतकतेत्यर्थः स्तु यादिमितिासंभावनेलमितिवेदितिलिडोस्तहीतिालोटवेत्यने ना. मन्त्रणेलोटाअपिस्तुयादृषलमिति गहीयालडपिजाचारित्यनेनकालत्रयेसर्वलकारापवादालडेवयुनाइदिलित्राथ. न्याअपिसिञ्चति सिञ्चस्तु हिवेत्यर्थः। विधौलोटा
शोधपत्रमदोनिरक्षरतीयप
राम
4.
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प्रयिकासना भावप्रतियोगिनीनिचबोधांगीकोनकरीत्वव्याधानासनिहितत्वाचचैत्रादिनिष्ठरवाह भावारयताधण्यटोनेन्यवान्योन्याभावविषयेघटयदंघटमिन्नेलाशिका नलागतात्पर्य ग्राहकसेनतत्रभवनकियायकवनानपानी नद्यसन
नमतविकत्वस्यैवस्वभिन्नलचकत्वागीकारानाअंतएंवतनवायग्वेदाप्रमाणमित्याशि प्रयोगासंगछताअन्पेउघोडलियटानस्तुशताकयायदयाध्याहास कयनेइत्याराएवंचप्रक नधान्यानव्यायाराध्यत्वमेवस्वान यूनचववातकमित्याशयेनाहास्वानन्यगाविवक्षितइतिासाध कापहरेनियद्यापारोतरंफलनि निन्याउनचाक यायो यरिनिध्यानियत राविवयनयदायवतनदाकरणास्मनक्विसतहत्पननाषिकुरंशांदी नामपिकरेगा चितीचावस्तुतस्तदनिवर्यन हिवखव्यवस्थितावित्तिास्थाल्योपच्यतया वतादृश्यनयन तितिकरणाचादिरयंवरानिर्देशपमश्वत्वादिकैसर्ववतियथानियतहटिन
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पूड़ा
यापारलेनवार सिनियतं किंवववक्षिकमित्यर्थशनथाहिापचेविलिनिस्तदनुकूलसकलकारकव्यायारश्च कारादित २५१ यात्वनरूपणावाचायनपत्कारमारत्वादिनेतिकश्चितंत्रानाशानुभवस्याप्रसिद्धत्वाशक्यताव
छदवगौरवाचातत्रयायकारकनिष्ठव्यापारोधातयातनविवलिनस्तदासकताचित्र यूवात प्रस्थालीपचनिकाष्ठानियचंतितंडुलाययतायदाट्यस्यमाकपीनिवायवचाकरण न्युनाववहा तलदासकनीनियनिस्थानीयवनिकाष्ठनिपचंतिनंडलपच्यनायदानयस्पसाकपार (तिशयवशात्कारमान्दनदिनदाननिष्ठव्यायारोधात क्योपिनधातपस्थाय्याकसस श६ गएवाटतायाथइपकास्याल्पायचत्तीतिमात्मानमात्मनावत्सीत्पादोवस्याय्यान्मना नाकरराघवाछत्रत्वनौयाधिक दमादायकवादिकमंगीकृतभाध्यतावादकानव साधककशामित्वाकारकर्मितिवतानथाचयाययोयादानेकपालब्धवन्या राम शयनवनिम्नमश्यहाकिमितिश्तरतुकारकरवरगोगौशामयन्यायानरमारपनाश्रा११
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कररणस्पकरुणान्तरापेन्कयेत्यर्थः 2
१त्। उक्तं केयटेना तत्रतम श्रुतिरे तज्ज्ञापयति । प्रकर्षप्रत्यय ग्रहणमन्तरेणेह प्रकरणे सामर्थ्य गम्पः प्रकर्षो नाश्रीयत इति। का कान्तरादकरणस्यातिशयो न तु स्वकन्यायामित्यश्वेनपथादीपिक याव्रजतीति सर्वेषां कियानिष्यतो निपत्येोपकारेक त्वात्करण त्वं सिद्धमिति १
यनइत्तिज्ञाय नार्थते निस्वाने निधाय ज्ञापन फलखुदाहरनि। गंगा या घोष इति उक्त जाय कानंगा - कारही हा धिकरण संज्ञा न स्यात्वा करे या स्इत्यादी मुख्य आधारित स्पाश्चारितार्थ्यादितिभावा रामोश बाशो ने नि। यथाच मंकर्र करायाश्रय स्टलीयार्थग्भाष्यम ने बकत्व करणान्वरुपा खंडीयाधिः त्यत्रत्रार्थकर्मप्रतिप्रकृत्यर्थी विशेषयां नतु तितइवविशेष्यः सत्वप्रधा ना निनामानीतिया स्काक्तेः कारक हुय स्यापि स्वनिरूपकत्व संसर्गे सर्जनीभूतधाव एवान्वयः । रामनिष्ठ व्यायारविषयी भूत बारा व्यापार साध्य प्राशा वियोगाश्रयो वालीति व्यापारयोः कुदनविशेषणा विशेष्यभावव्ययसाठी कारा तान मिहि कि । पाचकः काशादिकः शत्रू द ई रे करोनीति का विश्व विश्व कर्म कुल शालीत्यर्थ । जीवन्यनेनेनिजीवनः। कर कटू ग्रहमादिभ्य इति प्रकृति गोयंनेनना माखनीसाचरितेन दान इति सिद्ध हत्या चार रिति षष्ठात्रामा जन्यत्वन्यनीयाथः प्रह
कर्म ४
8d8
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252
सिर-स्तुति जन्यचारुन्व वानित्यर्थः । मूहूतान स्वभावः करणत्व विवसायांतु ती या सिवाज न्यन्यत्वादिना रूयेशा बोधार्थ मिदं वार्तिकम् ॥ प्रायेणेति ॥ इन्द्रान प्रो में प्रायशशधा वैश १५२ - श्चेतनीयाथ न्यून प्रात्यविशिर यज्ञ विद्या संबंधवानित्यर्थमा प्रापशात्रवेशितीयाना विशिष्टयपगोत्रमित्यर्थः । प्रथमात्र प्राछाता । अन्य गोत्रशरेन गोत्र त्वमुच्यने छिन्नत्वती याथे । गौचत्वा द्यन्न गरी बधवानित्य येई या दुः। स मे नेतिसम मेनीत्यर्थ कर्मश द्वितीया प्राप्रा हिंदोशी ने ति समाहारहि गोया चा दिलान्नान्यरिछिन्नले टतीया थे हि दोराये रिमिते धान्यमित्यर्थः खखेने निखिखयुक्तो मा तीत्यर्थन प्रथमा प्राप्रायद्वार स्वयदे : स्वाभावपरंप्रयोजकत्वेनीयाथः दुःखाभावाया जयानमित्यर्थः । प्रतियोगिनं नोच्या दूयतीतिया बना दिवशाननुदिवश स्वरूप यह गांधी राम प्रोतिततश्च दिवेदिवावाऽन रित्तं बोधयतीति द्वितीयांत नायिस्यादिति चेन्मैव साधकन ममित्यस्य २५२
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विपरिगामप्रसंगानाकुबडुहयेत्यनोऽर्थग्रहणानुवर्तनाहानिरक्रियापदसाहवर्याच्वात चारतबंधकधारभाषाधिनोपतिष्ठताचादिनिकरणमित्यनुवर्तनात्यरिक्रयगाइयनोना तरस्यायहायकूर्यगादासज्ञयोःमयीयलेलबुधेच ग्रहासमवयाथानमनसादवइत्यत्र कमरायणटनायावेत्यर्मयं यंगसिहादेवयनेचैत्रोमैत्रशोन्यत्रप्रयोज्यस्थाकर्मकल प्रफलमनिबुद्दीनिकर्मन्नानायगावकर्मकादितिपरस्मेयदीनतमनसादेवइत्यत्मनस संज्ञायामित्यलकसमासेसनादयस्यहतार्थत्वादशानदीव्यतीत्यत्रयरवारमायाप्राप्नोतिमि वाकार्यकालपोकमणिहितीयेत्ययस्यायस्थानानखवाशमित्यनाहितीयाभविष्यति अन्य इत्येत सोडमालावरी वनसंज्ञाध्यप्रयुत कायदयाहयाहिनीयापायगाथमवान्यमनसादे दावाययरवादादिघाईतीतिगुरोचसतिमतौइत्पादेवायनानचैवीय ताइत्यत्रकमसीन
धाभा२
लाकायावाद
वास्थता
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सिरमधानेयिकरगावस्पाजतन्वारनीयास्यानथादेवनाअक्षाश्यत्रत्याकररावाभिधानयिकमा
हितीयास्यादितिवाच्चाए कस्यैवसाधकतमस्पर्सनादयेयोगादेकस्यांच्यताभिहितायामन्य १३ याव्यभिधानानसिंहयक्तायुक्तग्रहासहेत्यर्थयहांनवस्वरूपस्येन्यावायनांहासहार्थने 253 तितिदर्थवाचिनायोगइत्यथासुत्रासहतिाइहर्गमनान्वयःपिउःशास्त्रस्यत्वाधार त्यतवित्तव
सूत्रोप्रधानंतस्पच साहित्यविशिष्ट्रपितयेवशासंबंधात्यधीमाप्रायोवेचनात्रावापुत्रस्य - यधप्यार्थगमनकतत्वमादायतनीयासिदानप्रधानाभतपिंटनिटकर्टवस्वीतत्वावधाथि सुत्रेयासहस्कूलःयुवासहगोमानियादीयदायुगाड्याभ्यासंबंधस्तदाऽथिको पिनक्रियायोग इतिस्त्रारंभइत्यासातचित्याअतिभवनायरइनिभायातस्तत्रापिगम्पमानास्तिक्रियानिरूपितक टत्वसत्वेनस्वेयीस्पनदवसात्वाताअयशसस्कारार्थशाह संवैधवेष्टनात्वार्थ सबंधन राम वेनहिय वेशासहागतःवितेत्यत्रायिउल्पत्वासजस्यावश्पकत्वादालेयसमाधानेनिरालवनस्वाक श्य
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ना चसहैवदशभिःसुत्रैभरिवहतिगहमीपत्रविद्यमानवचनसहशवयोगेवहेन्वया मुत्रागहरी रायास्ताप्रधानग्रहालयुगसहयितरागमनमिन्यत्रयधानात्यवरचिटनीयामासदित्यन दीअन्यथायरामयिकाद्योगधष्ठीबाधित्वाविशेषविहिनन्वारनीयवस्यादिनिकश्चिदखीरातत्राकार व कविभक्तबलीयस्वासअस्यचत्रेरणसहस्थुलत्पसावकाशत्वावायदपियरेशासह पितुगीरि त्पत्रगवाव्यरोगभयोलाल्ययोगयितुमादित्येतदर्थतनायितयुत्रस्यगोरिनिहित स्वार्थ तिब व -वातस्मातदपिनांसहयुक्तश्त्यस्याहार्यप्रतियोविशवशभितइत्यर्थःसाहित्यनिरूपक इनियावना नत्रीभयो.साहित्यनिरूयकत्वष्टायनपुत्रस्यवननिरूपकत्वविक्तायोपितुनदयसंगाना शिष्यासहोयोध्यायस्पेगौरिपत्रीयाध्यायस्य गवासबंधीतरंग निवथैवभवताATHE होनेतिकैप्पोनभाध्य व्यानिमितिकायेनीगाहेनौकरशोवायेनेलित नीयोनीलचसनहिनावारी हनांगस्यैवयरामर्शकमविहीगस्यागिविवरिघोतकवायोगादित्याशयेनाहानागनावा
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वचना२ सिरस नेतिासगशदोरीप्राधजनाअंगशहोर्यसमुदायशदतिभाष्यादिन्याशयेनाहागिनइतिात्र २५४ हामिअतिशदश्वनीलकातिवंटनायार्थीको सायदंचायेघानवंत्यविवलिका
कियघानवानिनिबाधतिकचिताकारायचस्वरुयघातवडालकपरंतयावचक्ष्वगालकष्ट तिचापघातवदालकवानितिबाइपन्याभयद्याविशेषषशयवादोयमित्याशयेनर तीयार्थमाहाअतिसंबंधीनिजियामिरितिज्ञायबटनीयासोन्यानरस्पाँज्ञावबोधनेश्त्यप Mमवरखनेनराजनीयूडभावइतितस्पा कर्मकावासंयोग्भागस्पतइत्पस्पलातशिकवा सेत्याशय नाहाजालानेरितिसिंजानीनइनिसिंपतिभ्यामनाध्यानातित प्राध्यनितपरत्वादधी गर्थतियडीयितासंजानानीतिहरदतोनिसानादनव्यानवशेषाधिकारीदिनिनव्या तन्नाकर्म याएवशेषत्वविक्तायांवठा शेषइत्पतदपेक्षयापुरवेनाधीगर्थत्पस्पेक्त्याय्यवानाघोगेठे राम यितासंज्ञानेन्यवयवाकरकर्मयोरिनिषधे वाहनोशत्रिमस्पहेनोरिहनयहां करीवादेवत २५४
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न्यनरस
तस्रनीयासि किंबुलौकिकस्यैवन्याशयेनाहाहेन्वर्थरतिनिन्वेरकरणावादेवाटतीयासिदोजी किमनेनन्याशक्यतत्वकत्वया दमाहाद यादीत्यादिना क्रियादिशबयाघार व्यांगाकियांनिकाय निर्वाधारसव्यापारनिवयनदेवहेबत्वमित्याकरणावतिनिक्रियामात्र निरूयिनव्यायारवहनिचयनदेवकरशावमित्यर्थी एवंचहलवकरयान्वयोंभेदान्नान्यनरेग
नेत मिति व्यायानिमितहेवरिष्यतइतिचेनिामाघहेनाचमदाहरनिार्दूडेनघटकनिदिंडहेतुकोघ टइत्यानि वहिव्यायारोवामावासासाकियानन्वयित्वान्दरमा चनास्तीनिभावाहितोयलय रोपनगौरवर्ण इत्युदाहायाननीयमाहायुरायेनहर शनिारायशनेहयरमाविमच्यतेतिस्र्यचदेश नरूपक्रियान्वयसभवधियायाश्ववाभावान्नकरगावमितिभावायदानुदानयागादिश्वयुण्यये। देनविवस्यनेतदानस्य न्यायाविव भिवातरंगाबादेवस्नीयासिदायतधान्येनधनान्यदिविभेदै
NEES
नाट्यादीवदयाहाकार
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सिरसनीयाधान्यामिन्नधनवानितिबाबानियरैक्तानन्नातागरशासनाभावादेन्टिनायेवोयमानेश्वारावे २५५
ज्वालयायचतीन्यादावषिकरयावाभावादेखत्वमेवरतीयार्थइत्याघाशनधननिर्तिमविव सायाचनविभवति गम्यमानायनिष्प्रयमाणक्रियासमुचमाडायोसाधनेतिसाध्यामपनपत निम्तधात्वर्थ प्रततिभावाशी नोएनवदागाश्चयासाचेदित्यनेन ज्ञायतइनिनव्यादराव रूतमावशिष्टव्यवहारइत्येशीवाचनिकोन्याशरत ज्ञायकसिंडऐवैन्यवधेयादास्यासपचनामा
धर्मपायनियनलवर कसानिल्या . मराणासम्पदीय बास्मतन्स प्रदानमित्यन्वतावलनाहादानस्यतिनिध स्वत्वनिनिएकियरस्वत्वोपादनैदानाकियाकर्मणाकरगोनयसबधानी से निवेन्पोनेनस्नेहसनिदधान अजाग्रामनयनीन्यादौनानिप्रसंग इनिरनिशन्मनी रन्मीमांसकानामय्येवानेथाचन्यज्य राम मानद्रव्योद्देश्यन्वेसनिप्रनिग्रहालसेनदानात्वमितिनल्ललगादेवनानांच प्रतिग्रहीरत्वस्पनव२५५
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मिनिमावरमादिंदायनुहोतिपदग्रयेचप्रजापनयेचमायंजुहोतीत्यादोमुख्यसंपदानन्या भावाझासंग्रदान्त्वमितिराकादावतीनन्तानस्मेवयेयंदर्दनीतिभाष्यप्रयोगविरोधा नामाध्यपयोगानराधनात्वर्थत्वबाधसर्वप्रयोगासामुयन्वापयन्नोभाक्तत्वस्पापामारी कुचानाकिययायमभियतीनिवार्तिकंपन्याचसागोनभाध्यकतान्वर्थन्वनवागीकतातथा चात्यभायरान्यावयाखयाकारकइत्याधिकारी कर्मयशाच्चक्रियायायकमेनिल ब्धीयमिनिनिधिस्यप्राधान्याछवियानेचकर्मसंबंधजन्येकलभागित्वमेवाएवचय क्रियाकर्मसंबंधजन्यफलभागिन्दनयोविवातनःसनकियार्सपदानमिनिफलिनार्थविपा यगीददातीपत्रफलजनकत्वकपमुख्यत्वनिरपितविवथापकत्यर्थवचनो र्थकदेवशफलेनिरूपिनत्वेचसाहान्सबंधनान्चेनिाचंबर्थयोस्वत्वस्ववनिरनिजनककि याविशेषरयंददात्पन्वयाहितीयाथारनिवतञ्चस्ववननिसपोरन्वेनिाप्रकरणांनाबयनो
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सिर
१५६
256
वाफलविशेषावाव्यातथाचाविपनिलस्वजनकविप्रनिरुपिनगोनिस्वत्वजनकगोह निस्वस्वनितिजनकक्रियाचैत्रनिष्ठनिबोधावयेटीददानान्यत्रासयोगवनयोरन्वयादी व्यतिउखजनकशिध्यनिरुधनचयेगतियःसंयोगस्नदनुकूलोपाध्यायनिष्ठाकियेतिबा धारवरजकायेत्यत्रापिसम पसाएवधायकलेऽन्वयाएवंदलायातअजीग्रामायनयनाता मेवेन्याटावक्ततताअनेकशतकदेशान्वयकल्पनायसंगाकमर्सधजन्पपलभागि त्वस्यदैवादविधिविनायगीददानानियोगाच्चनैवभाध्यमनचियाग्यनयोनफलभागित रुपेन समान्यनमारवडोयाधिस्यमेववासंप्रदानत्वाअतानहायमनिंदघोहतायादक सिंचतित्रापादनयनिरजकायक्वंददानीत्यादयोनभाता प्रजायनयेजहोनीत्यादौतदेव मनायाविग्रहोनास्येवेनिमीमांकसिहानायोग्यतयायिकलभागित्वायोगान्मवयसप्रदानचासंभवी राम
इस्वपञ्चमोलतायावतुर्थाअनवनदिनेनचनुयीवामंत्रवनिवायुनादेवनायाविधिल 4 ७योदकसितीत्यत्रापिवोध्यम्।अजाग्रामनयतीत्यवग्रामस्यताहफलमागिलंनविवन्दितमितिनसंप्रदान
मातधिवन्दा
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८ वतन्मा सलाअन्यथोपाध्यायस्यगौदीयतेशिष्यायेनिस्मानानचैवंशिष्यस्याऽकर्ट लेगोकमर्मवंकथमितिः
बडुर्वलंनयरंपरमितिभयादोनचनिीधिनहेवनादौर्बल्पमपिनमहाभाष्यविरुदानस्मा । दन्वर्थत्वबाधेभाव्यमेवमालाप्रमाणमिनिदानानिरिक्रयत्किंचिक्रियाजन्यफलभागित्वपचन
स्पर्कशिकाधनुरोधेनभानवकल्यनमयुक्तमेवेन्यास्नानावताकर्मोतिर्किगामित्तस्यैवी निरंगवान्मामताहतिमतेयचत्पादनामन्यादाकर्मज्ञाया:सावकारीत्वाताभाष्यमन्तवः नययामारायाहिकल्यास्पारानचवगत्यर्थकमा निस्त्रव्य नस्पभाष्यकृतीप्रत्याख्या नत्वादितिकैय्यगदपावसानस्तत्रधामनकर्मरोपवाहितीयाचनपीविनिनियमार्थमेवमाध्यमत नस्यातानहिमाष्पहनाअध्वाशपिनन्न्पायानाtural वाचतयवस्थाक्षितिकर्मग्रहणामिनिभाकामयहाँ कज्याध्यायायगौदीयतेशियशोन्यत्रकन' ग्रहस्विनेत्रोयललगामित्फक्तलानाकर्ट से ज्ञात्वानवेत्राइन्यादावकर्मकस्थलचरिता थोनकैय्यटादयातचिंत्याधियायहसकिन्न व्यामित्यनेननत्रीयिर्सपदानसंज्ञायावरिवानानस्मास
वाव्याकर्मसंज्ञायांक
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वन
सिसवाइयस्पाविपर्यायणप्राभानमारतयेर्यसग्रहाअभिपतीत्यत्रसंख्याकालपतवारणमनंवत्वादि
५७ पायदास्मतिदास्यनस्त्याचपिसिध्यतिनिनादयंचवर्षेदंगेनार्थ मिनिचेतानासंप्रदानन्द 257 प्रकारकवाभाथमस्पाय्यावश्यकतानाअनएवत्रियाथीमयदत्येयनिनायिनगतार्थतार्किगोक
मेकंदानन विद्यार्कितकथदानजन्यस्वगादिगुलमालत्वा हुलकान्सबदान नायकययतिाकक्रिमकमक्रियानभवतीतिरंगायोमासतेन्नई चनीनचेवघरकरात्पादनपचनान्यादावनिप्रसंगायत्पेशेनस्पकमकलालेसावकाशा पासप्रदानसायानिश्वकाशयाकमसेनयावाधिनत्वातानिचेवेंगत्यर्थकमगत्यस्यप्रत्या ख्यानेभोव्यकारीयनसंगवाने निवांच्यानन्याख्यानस्यपारिवादमात्रूत्वान्तायडयामया. मायवागवतीत्यफलशालित्वविक्तापहिनीयाया कियाजन्यकलभागित्वेनोस्यत्वविव राम झायांचवीश्वीयपनीरत्रमास्वितिभाषाशयान्याजानाध्याघरायकरोनीत्पपायतानचेष्टाय २५७ X Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri,
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ख्या?
aushans
तिव्यगान थानंगी काराना किंच संदर्शन प्रार्थनाद्यपेक्षयाक्रियायापि कृत्रिमं मत्वमा श्रित्य वार्तिके प्रत्याख्यान भाष्यकृता तंत्र वार्तिकमंगीकन्यगत्यर्थ सूत्रप्रत्याख्यातम् नानंगी त्याना घटाय करोतीत्यायतेरुत्वात् न द्वितीयः कर्मसंज्ञया अंतरं गया निरवकाशयाच प्रदानसंज्ञाया बाधप्रसंगे नया मया माय वेत्यस्यै वा सिहे। वाका पदीय केप्य मद्यतरी न्याययो मात्राश्रयेाप्रत्याख्याने नसम्म गितिदिका तस्मादव कधातुविषयक मेवेदमित्याशये नौदाहरति यत्येशनइतिधा यन जन्यफल भागिवेनपनिमुद्दिश्या भितीत्यर्थःशक मिशा क छादसमेतदित्याह रुच्यर्थी श्री जनर्यो। कस्मात्कर्मणाला तु प्रीता वित्पतः । तस्या कर्मकन्वा नर्मचिहवखप्रयोजन के छो विशेष रूपो लामः सविषयतया मोद के मीति षय याचापाख्यानार्थः तथा हरि निष्टसखजन को मिलायो भन्न भिन्नाश्रय कशतेो धक्क संज्ञायाप्राप्राय वचनं केचिन कारवशेषत्वा षषव्ययवाद त्या ततु क्रिययायमित्येव सिद्धत्वादुये
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सिस्स अन्य कटके तियेयान्याभक्तिगीनेरिति ख ख स्पेथेः। यद्दा प्रीतिरप्यभिलाघए वातवह १५८ श्रियममिला स्वाववजनयती भक्ति मोदकमभिलष्यति चैत्रइत्यत्र शश 258 स्वाभा व्यादाय ककिए वा मिला वोलो वाच्यः । घ टेपशय तान्पत्र हशे ज्ञानय था। रचेत्त विषय क र्रकर वाघः स्फ नइत्यादी स्ररणा दिकयथेति । एतचहरदन येथे स्पष्टशरीरमा निय व्यति। श्रीरमयती न्या जनव्या नावाच्यान त्वभिलाषत्वनाभिलाषइतिना स्प प्रवृत्तिरिति ध्येयश्लाघाघमा नातावाद्यामं बोध्यतीत्यर्थइनिवा' कर्म व प्रादातेइ तिसि पत्नीभ्यः हम येतीत मेवायला बाधयतीत्यर्थः। तिष्ठतइति स्थित्या स्वाभिप्रा म बोधयतीत्यर्थः प्रकाशनस्यास्य रिति शयनइति उपालमैन कम किंचि घोषय तीर्थधारे। अवस्था नेइत्यस्याणि जन स्पेद यहां किष्टार्थवृत्ते रुदस्तमपि व्यप्रकर्षादाम-राम
मायस्पेति बऊजीहावतएव निपान्नात्रिष्टीत स्पे पर नियानः । मनखा २५८, कत्थन। हुङ् अपनयते ! ष्ठा गतिनिवृतशिप उपालम्भेमा लाइनइति । सर्वतो प्रशस्त कवायतीत्यर्थः श्लाप Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri
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मीधारयनियमहतिानचेहयरवारधिकरणासंज्ञाभविष्यतीतिवाच्याउन्नमपितर्हि परवाहेवक, संजयायसंगादिनिभावोकारखशेषत्वेषधयवादासतायावास्टिहै। स्टहईसायाचा दावा देताना स्वार्थशिवायरत्वादिनितिनपरस्परेशास्टहणायशोममिन्यत्रकर्मरापनीयरतिनिशेिष त्वविवत्तायोजकुमार्यइवकांनस्यवस्पनिस्टहयतिचेन्पषधयातिहरदायावरतनस्कक्रिययाय मित्पनेवसिद्धत्वादिदमनन्मने व्यर्थ अतएववायूदीयादीशवषयाः कर्मसंकायाश्चायवादी यमित्यानपतलापनबाइलकविभक्तिवियरिणामाभ्यानवाघाकडहाधकीयेहजिघांसायो बाम्याघजर्थकाई यायश्चहलइनिभावेअतिविपरितामाभ्वाविवाघाडतक धनविहित यात्रासयाइन्यये कंवदियगनोऽप्रत्ययानाकुधादया येषामिनिबवीडिर
शयनाहाकधार्थानामिनाहामनिायरसपत्पसहनामिन्याचिनंदीवाधीनामिपवास अधादानाविषयहीदिव्यांदावनिप्रसंगवारमाथीननयोस्मादेटियंचयमिइत्पनेच
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य२ तिरस अनूमिनंदनंदिवर अतएवाचेननेविप्रसन्यताऔषधंदेष्टीनीन्याकाधडहोरकर्मकन्नात्म SU यामिनस्योसकर्मकवाहिनीयायामानार्याक्चनोकियायमित्यवसिहे होयहरोचिपभाष्यमने
उसूबमतियथासंभवम्बाराधीट्योगाविषयूइत्येतदयेत्यायस्पनिकमावष्टायंप्रनिकोयइत्यन स्मेसिडेयस्पग्रहांगकनपतिव्यानिवाराथमिनिकश्चितानन्नायरवेनकत सेनायाःप्राबल्या तानचैनस्पनि रवकाशवेकारकशेषमतसंज्ञानरपानिमत्येवमादीचारितार्थानानचराधीच्या सकर्मीकत्वनकर्मसंज्ञायामिशिनिवाथ्याशुभाशुभकर्मयोलोचनवचनवाजावत्यादिवडा वर्थसंग्रहीतकर्मकानेननयोरमकवाताएतनतया कर्मकारककामनप्राचाहानानर तिदिप्रत्याभ्याइवचमान शान्प्रत्येकमवसबंधसदाहाभ्यांपरस्पेत्तिा प्रवर्तनहस स्पेनिसर्वचजसंज्ञायवादशतिध्वनितमिनिभावाआशेगानातीयदानाचतदवियोर्गाप्रत्या राम, श्रावयतीनिहरेदनाअनुप्रतिगाइहाविश्वस्त्रसाहचर्याधयेकमरत्वमिनिस्चयबाहानाम्याग्यशाप
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तेरिति एतेन ग्दृशदत्यस्य पादिक स्पश्चाप्रत्ययांत स्यष धनत्वंध्वनिनमितिभावा होने तक मत्वेप्राप्रेानामेव विवेचयतिहिनित्यादिनायोत्साहयत तो थामो देवेति प्रतिगरे। निशेधः यक्ि यशोद्रव्यदाने तत्समीपं यरिराहातच नियत काल तो न्यूनत्वादित्याशये रेयसाधक नममन्यतरस्य करा दिवः कर्म चेति भवन्नित्वाद्दिकल्पाला भइति वाच्यं। मंडूक त्याश्रयानहिपथान्यासे पिता विनाऽन्यागतिर भावनाद तस्मै कार्य येदतदर्थ समासभ ४ कारणांना दिल्वापात्रा मिधानंभावप्रत्ययेनेति सिद्धांतात्का
नाहा नियतेनि संप्रदानयहणं न्यासकरणात्। नचैव
कार शाभावः संबध ष्यथ ॥ सचनजन्यजनकभाव एवाकिंत नाना विधातेत्रा साये ययइत्यादि सिदो एतच्च चतु शनिद थेनिसमा सविधानेन ज्ञापित। न चप्रनिविकृतिभावविषयवतर्लिगस्पादि ९२ मिवोच्चमा बलिर लिनग्रहरी ननस्य सामान्या ये माना इयं चचतुथी षष्टावदप्रधानादे वेनिज्ञेपामु
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सिस्न रिभजनमिन्यत्रहजरतीयानचउर्सवहेनन्वस्पद्योतितत्वन्नेतिवाक्यपदीयादौस्पष्टीकृषिसंपधमा १६० नइनिसिंपदादित्वाहावक्तिवनापासप्रमीलयानालश्यीयवाधान्त नातेवप्रयुसमानेसनिष्य
घमानार्थवावकाचथावतव्यत्ययभक्तिझानायतिभिक्तिीनाकारसायदिशा मनश्यपल 260
तिविकन्याभदाववज्ञायोविकृतिवाचकाचत्रिभेदविक्तापायथमैवभक्तिसाकल्पनिया यरिणामत्वपकारकबोधार्थमिदमन्पथाउनादर्थचतुर्थवासामन्याझापदातभक्तेजनिक सत्यपादानवविवक्ष्पनेतदाप्रातियादेकार्थमात्रज्ञानशब्दाप्रथवभनेझीन कल्पनातिया निनामाशिनासुभाशुभकामनविकारयानानानाविधान नचनुयवतत्रहिन महतामस्वितिवाच्याममासनाशिषोनवर्गमानवसमासानंगीकाराएवख राम सोषिबोध्यावततस्ततादथ्याचवथवदासदाक्रियार्थीपपदाकियार्थ प्रयोजन यापासा२६०
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किया क्रियाउपपदयस्यस्ववाचूकशद्वारातताकिपाक्लकक्रियावाचूकमिन्पर्थातथाचलमनावर लौकियावामित्येतहिषयकामदमिन्याशयैनाहाकिया क्रियेनिानुमुनातिराउलोप्युयललगामेनन। कमेगानिातथाचहितादायवादीयमितिभावायानबाहरणार्थनकलाथमितितादथ्यीभावानच म्पमानाहरणास्पफलार्थीचातादीमस्ता निवाच्यावस्तननासन्वेषिकर्मत्वप्रकारकबोधविवतायाव उथप्रामात त्रस्पावश्यकवानरानमुनवनादयघोननाच्चाएनेनाप्रयुज्यमानस्यवनमुनाकमाया यथास्यादिमिनियमार्थमिदमिनिप्रसादोनिरस्ता क्रियायिपदस्पतिप्रिविशपिंडागहराना यधिभगार्थनथापिभापतिलत्रिमोपयदत्वनानिाउमीनाव्यपकनोभावनिसिद्धानाच मर्थकस्वभाववचनन्वेसिद्धेयुनीववचनग्रहास्तव विशषोयललामन्याहा भावचना तानिनाद स्पिलमुनेवघनाघोतितत्वात्प्रातिपदिकार्थमात्रेपथमायाववितस्त्राउमाकायचा नवनताकरराधिकररागत्यनान्मामनाभाववचनान्कायांकस्यागाननदस्लिाक्रियापियदया
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सिरन बनवपंचम्पावियसिमस्यध्यास्यास्यमानेवाधकाभावानानस्मार्जिन्यमेतरापन
जमर्थग्रहणमेवप्रन्याचरयोकाश्वतन्त्रावलिाधवसंभवेगौरवाश्रयायोगालायद
मिभाववंचनादेवयथास्पातकारकावजतातिरावुलतान्मादिनिप्रसादकतानानन्नारानु 26/
लकमर्थकत्वाभावानियमार्थत्वायोगानरायनरावुलंने कर्तुप्राधान्यात्कारपनिचनावा भावाहुभितयाकस्यविभनयानन्वयानन्नेतिनसहवितानन्त्रायांगायपातीन्यवारयसिहा वायनपनिनाद भावांतरानाची सामितिअनादरमोनकयकर्मेनिव्याख्याना कपदयस्यातयात्वान्चततश्चतथाकिनन्टराशबादेवनिवोधोगत्या हाबनानस्वहरण निषधःकिनसंमानत्वेनापंथानेंगछत्तीय हिपथोपानएवेतिनयतेवघांघदानपान न्वेनषिवत्तानदायतेसाभवत्येवाने नाखमंगानी त्यस्तोपनिवेनिनचनोतिभाध्यपसिई शनिचाँसक्रवमयायक्रिगनिरुपयोगपंचाधिकादिजिन्वेउवाकवस्खेपिनिकै चिन्य-११
इत्यंगत्यर्थकर्मण्यसंप्राप्तहितीयाचतुवित्येवसूर्यकार्यमा
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ठनिानवेरापधेतिकारवेचिरययादवमाशीलमिनियापशवेनचललगायानजनकव्या. याराविवर्तिनानयाचननदान्वर्थानाश्रयत्वसतिततजन्यविभागशालिक्रवमिनिफलिनीतचा: थीदवाधरेवन्याहाअवधिभतमिनिधिवननिश्वस्यधावनविशिष्टत्वयिपकतधानवायपतन क्रियापत्यवधत्वनानुययनमित्पवहिरवाधिवेवायचम्यनयरस्परस्मान्मेषावपसरनसत्रगति दयस्याधिसरतिनीयातत्वान्यरस्परनिष्ठकियानिपिनायाडनवमतनवापूर्वतात्पतनोश्वान्य दा५ नेतान्यत्रापियर्वनावधिकंपननाश्रयाभिन्नाश्चावधिक त्राभिन्नाधवनमानयतन मितिबो धाइभयारयावधित्वबाध्यायातकाहिघोलनेसलानपचनीन्यानिनिसरीमकंविधानुननिस सांगकापाकवकनिषचोरथस्यपादानावकोटाबलाहकाहियोनतकुरलान्यचनीन्पादोतुनिः सागुकविधान निसगीगकापाकेश्वधतिपयारण्यपानावनाउपपन्नाएतच्चवावा यदीयादीस्पष्टीनत्रप्रवत्पर्यस्पाभेदेनर्यचम्प वधावन्तयानिस्पयाधनिरूपकनासंबंधनयनताद।
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सिरह
१६२ 262
सचधवननधर्ममा उहुतोदनाथालीपत्रसामानाधिकररापदर्शनादितिनयाावस्कुनकअप अर्थबईबीहिंप्रतिबंधादिमायोन्ह वितन्यानंधीपंचम्याकिननिरुत्वधित्वसमनियनमाव डायाधिरूपमयादान मेवानजप्रत्यर्थस्याधियत पान्यांप्रत्ययार्थस्यचस्वनिरूपकविभागज नकताससगैरणधलथाअश्वत्ययादानावनिरूपविभागजनकवतिकटवानरूपकंयतन मितिबोधोभाष्यानुसारिनैय्यायिकास्तरलताधार्वथानांश्रयन्वैकियावत्युतियोगिक दाशयत्ता प्रतियोगितावोदिकांकिपाकर्ननिभ्यानिवाररगायसन्पनीउदासानयादावतिव्यानिवा रसायविशेष्यदलविभागोमेदश्वयंचपथग्रहपीस्माधेयतयोधिविधाययंचम्पधन्वयातस्य चजनकत्वप्रतियोगितावोदकवसंसर्गाभ्यांधावानांचरततिविभागजनकदरनिर्भ दप्रतियोगितावोहकयन नानुकूलकतिमा श्वेत्रातिशाहवीधयाना प्रसंगातारहत्यर्थस्यवारदबोधाभावाचारहपजतीत्यत्राविभागस्पफलन्वेनैवविवलयानदार
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अशक्षिपञ्चमेकर४
भार यस्या कर्मतमेवेन्फलंपास्पिंदनेइत्यत्रासनाचूलितोराज्याच्चलितइतिवद्दतादिनिक्षस्पाप्यया दानत्वमस्यैवेत्यामानचिन्यास्पद कपनमाथिकन्वेविभागविनविधिवालययनायतत्यर्थ कन्वेसंदेहाभावाचाअासनाचलितइत्यादरपिविभागानुकूलव्यापारस्पधानवाच्यत्वसत्ये वसाधुवामित्यवधेयोहतस्पयामितिरह वायविशेषगानंतक्रियान्वयात्यकारक मितिभावापनुयामादागानिशकटनेत्यत्रयरवालारामजयाबाधिनत्वाइतस्ययगी
कारकत्वाच्चानियादारभावावग्रहरावधमिनिहरदतनाकापञ्चकोमादी। Mनचित्याकाररूपव्यायकधममात्र विवत्तायासाधकतमत्वैवविवताभावदशायर्याकरण संज्ञायाप्रसंगेनायादानसंज्ञायाडवारलाताभुवः प्रभवशपत्यग्रेथेनवमियादित वास्थविरोधाच्चाजसानाजगुप्सानदविरामाविरतिाप्रमादानवधाननाएतदक्ष कानाधान्दनीकारकमयदानसंज्ञकमित्यर्थासयोगश्वकस्पसुव्यायायस्पहाभावान्मत्रराया
क
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सिरस प्रोवार्तिकारमाभाष्यकारककारकप्रकरमेनम्ग्रहोनगौमुख्यन्यायेनाश्रीयनइतिज्ञापना
नायिनिंदादिपर्वकनिनिवचित्वमेघामपन्यासयमयिबादतमयायमाश्रित्यदेवानि भावार्थानामित्यादिसनस्त्राविचित्पावष्टयनुनिहत्यादिरूपधात्वतरार्थविशिश्वामित्व माश्रित्यरत्रवानिकपत्याख्यानमुख्यार्थमादाययष्ठापयोगोडवीरअनभिधाननंबुलाखमाधि न्यप्रत्याख्यानतुनमनारमातस्मात्तत्रवानिकमनवहप्रवलमित्येव कोलममाध्यहि दिन तन्नायथोतरमितिन्यायनषध्यारश्त्वाइश्चिकशवस्यबुद्धिकतमयादानवेनेहविवत्तिनमित्यादि स्वीयकामदाव्यायानुसधानमूलकन्वाञ्चमीचाचारादितिविधयेचस्पानिजोनमनियों भावानुकूलव्यापारश्वकमराधान्यर्थिातथाचचरिहेनुका निशानचत्रहतीनिचोरहेकानिश भावानुकूलव्यापारक्षेत्रनिहनिचवाधाभावार्थकिायाध्यश्पतिानबकर्मवनबाधाशंक्षाकर्म राम "त्वाविवज्ञायांकारकशेयत्वेषठीवधिन्वायेघमीपर्यगाताभयहेतु किमनिअसायस्पाधिकरणसंज्ञा २७
કત
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Tell
साथीडीयइत्यत्रकमपादानत्वा कर्ज रिसीमामा न्याय्यत्वादानवे हकर्मवदतिदेशः एव जहानः कर्मस्य कियत्वाभावात्। किंव सार्थस्य कर्त नादिर हे चैत्र एस कर्मन्याभावात्कर्म रिल का रोग स्पान् इति वैन कर्म एये वल का १३ दिन सूटके भावः सार्येनेतिकर्तरिती यात्रा भी फली पापानुकूल व्यापाराश्रपस सार्थ साथ चित्यमाविज्ञायां जमी कर्म से हाथां स्वा यो पल कर्तयहणमितिचैव सत्रे कपटी क्या हान कियामां स्वतं वेण पादाने ने एप मान से ह कर्म त्वं मेवेशित शियामा देवी श्रीपत्र कर्म रोप व शोभ दर वातंत्र्ये तदाश्रम न्यासे ने एप मानानामापि कर्मसंज्ञापत्रे व कर्म दिनी त्रि त्र शेषे कै घटेनो । प्रत्योजक या पारसा शहा त्या मदपेतं कर्म त्वमयुक्त मिती वि.को रकम नः। वेदे वक्तव्य । कर्म से शायां क यह - स्वातं योपला मित्प स्प खंड मे भवतां तात्पर्य मुसार्यस्यापादानत्व येउन नाघः शत्रूनगम स्वर्ग मिल्दो स्वगः कर्मता सिइ ये ग स सर्वसंमतत्वाशन दितीयः कर्मत्य सभवन्यते पिनमात दोपादन पर भवईया संगत्या पत्रे व घशात् दंशन रूपिन मधिकरणत्वं कल्प मानना निरूपितं कर्म त्यापेक्षमा बल मिनिमम न दोष इति ये तो कैप रमते यीति किं देत र फलमूलव्यापारात्मक सहान प्रकृते शाह्त्वेन दृष्टोत दात्रि कपोर्वैषम्पा झा इत्येवावधित्व व्यायारा श्रयत्वपोर्मुग एतेनापादाने नाही यक हो रितिस्मा मा गांगकर्म से ज्ञामापादयन् रत्तोपिपत्युत
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सुवन्त
पहिवतायोपरत्वाकर्तसं हवामष्टावपादानसे झायी निसर्वम नवयर (पमएवकर्मणिहितीयेसारण्यकर्मलमपुतमिसनमुक्तक नवादाईवादिनिधनासर्वोत्रा विशेष पहिलपायलानाशास्तोमोवानारशकैपरसवादर्शनासारस्नमाधवौठसा ही मतपत्रकर्मक क्लिकारत्माहतातचाहिमना जहाहेरचा सावताना रिमादे वरनाममने नत्यमररलाय दरात पधानादिनाममवापाइतिकर्मकीन मिनिन यात्रपितवानी विपनानामिनाहा क्रियापर जहानेकुल, AAAषोडमले यायते इविविधिताल
शाक व-साथाद्वायतरन्तरत्यादिनस्पातन्किरपद्यानादिनान्स्पस्वती पंगमनायोगारामपिवासाथी छतोहानशतधवमयायशेतरस्समा नया पत्तादिमतानुपपन्नमवस्याबालकारवाचाव
वपतिशतिराद्धानातानवगंत्यकिमिकेतिकतर्यविन्तःसुवनः अविन्धितकर्मकामात कमकग्रहशन जगत नेव्यतंइनिनध्यपकैयय्समतमितिलः कर्मशितिस्त्रवन्स्यमापखा। पठानन्ना कुरुलेदतिकर्मक तीरगत्पकिर्मकतिन्क्तीभवत्येवेतिकर्मवासनेकैपटोउवयतन र मतानाराभपमितिक्ष्य मन्मथा शिताकतेमत्रवतमहान विरोधस्वाहकप्रमागसाज ७१ लफलककर्मवारजस्थभाष्यध्याकापञ्चपवधपमावतत्रैवस्फटीकरिष्यामहातस्मात्कर्मरावतार शतकयण्मतमाघांसुरोज मिति दिका (
विशत्यधिक विपत्तनपत्रस्पनिरछएववतुर्थपंडीशोधोया Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri
रा:
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परत्वाद्वाधि के तिनहांचिंत्यमिति को कभ निप्रसंगायन्तेः को रक्तं भोक्तमसदित्याशयेनय चोराद्विभेती स्पादितिभावा तएवकस्पति) सयुगइन नायरा अ जन्यत्वं पंच
किंतेनेतिप्रश्नः इनरतकारकशे षत्वविवत्सायाम प्रायइति सप्रम्युपलक्षया मिन्यर रायस्य देवाश्व जान रोषस्प संयुग इतिरामायणकस्य वाधिकादिविज्ञायां त्वया दानश्च मरुत्यैवेतिस्वाक्के संग तिनो थ नव्याचा घइति श्रध्ययनादिति। नष्टचत्रक कारकुशे षत्वेनष स्वविषयेय रत्वाद्वाधकं भविष्यतीति को रक्त भतस्प ज्ञानप्रदाहरति शत्रु निति नात्रशत्रवोनिष्टसाधनं अनुकूल चैत्रनिच्या पारइति बाधः। यद्भ्यागामिति
यां प्राप्रायां वचनासाठः किमि प्रत्याख्यानात्कि श्राइतर कित्वनिष्ठाश्रया एव तथा शत्रुनि
(हतित्व पंचम्पथः। पव वृत्ति संयोगानुकूलव्यारिस्पेगो वृनिभावस्तदनुकूलव्यापारश्चैव दृतिरिति
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सिरसबोधावारयतितेत्रतिाअधिकरणास्पशेमविवज्ञायामिदंयत्पदाहरणअन्यथापरत्वादधिक १६४ रंगावंबाधक भविष्यतीपिनाहगाचित्यमितिकोतभोकरीत्याव्यर्थस्यादितिभावाअनदी सत्त 264 घुमायननिर्मिनाकामयोगेइतिानत्रहिनिमितविनफलेंगूछतेनकारगजानबूद्रस्त्यत्रा
तपसगातानचेहीनदि फलेकिनदर्शनमेवेनियनैतितुकारतीया।उभयप्रामावितिनियमा दिनरधागषष्ठानचात्मनइत्यस्यकमरोगप्रयोगाकामहनियमप्रतिनीयाभियात्रा त्रकर्मशिनिसमाप्सनिषधप्रसंगात आचार्यस्यनेवायगस्यमानन्वेनाभयमानाविन्यस्याला रवीनासमासमगोकुवीशोनकैयौनसहविरोधाबाअन्यथेपवनइत्पनीयसमासानुस्या ततस्मान्कतकराँवविवलयातीयत्येवधैयामानारतीयत्यलाभावेद्यारवकसन्निकषामा राम वोधात्वा पंचम्पावनिवनप्रत्यत्ताभावेऽन्वैतिरामात नियन्यताभाविद्यापूर्वकासानकवामा२६०
नबम
निपाञ्चति बन्यायशदानुशासनमित्य
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वइतिबोधाचाहानिनिाकर्मवस्पशेषन्वेनववक्षायामिदंयत्पदाहाबोध्यालेनानीविनिचिन्यमिनि कोक्तभोनिरस्त आख्यानोयानियमवतितत्रैवाययोगदारूनिमावाआख्यानाइत्यन वजनतयाचावनिानटस्पतिागाथाकर्मप्रवविशिष्टधात्वर्थातभालथगाथायानरस्या न्चयान्कारकत्वमस्लिायद्यानरस्परबंधात्वर्थऽन्वयायवाजायेतिभावाजनिकल जन जानिन जापिताजानविकीसंगफयधालाययाप्रसंगाताजानवध्योचनिनमितताशेषषध्या समासोनटकारक्षयातजकाभ्यामितिनिधधानराएतेनव्याकरमाशोऽर्थ शहसमासानाम क६ उपपतिमुहावयनामामासकाम्परास्नातवजनिकलीउत्पत्याश्रयागादंगात्संभवसानि धान्यंतरपेगिमपापानन्वहशनादवायतकालनमाहाजायमानंस्पेनिपुरतिग्रहरहिनमात्रयर घासमौदोजायमइतिदर्शनादिनिहनिहाउपादानमात्रयरमितितभाध्यकैयौउभयसाधरण मदाहरतिबिमाइसिाबमाहिररायगभगसचनिमितमेवनन्यादानकिंचांविघीयहित
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सिरन चैतन्यंब्रह्मानञ्चपर्यंचायादानभिनिवेदांत सिद्धानामुवाभवन भूसंपदादिवानावेकियापूर्वत्रसमास २६५ मष्टिमायकटग्रहामिहानुवन नेतस्यवस्वस्तित्वादित्याही मनात वपस्मादित
भवादिरशथमप्रकाशन इनिातथाचदनापर्वस्त्रयागतायोमैतिभावालानापडीतालाब तस्याम्पमानार्थत्वाहप्रयोगात्यायनशेतिीयदंवावत्वेनाश्रित्पावनाकालम्पाला कियतेनन इन्पधाननर्यचूम्यू तैनार्थदारायनानिमीयमागविवाचिन प्रथमासनम्पास्पाना कालादितिहायितधता दनिकृतनावनादिनिावनमवधीवत्याध्वायोजनाव्ययारमागनियार चितायोजनयदेवपरिमारिपरिमायायोरुपादानात उन्नवत्वप्रथमासन्नम्पोरघातथा विनावधिको जननिर्रयामाकानियवान थग्रहरामितिाब्याख्यानादानशेषाप्रपंचामितिानचेनरस्वत्पनीचयोरिनिकोशात्रीचा पेराम
SHESवाधूकमासोतरमाग्रहायशी तिचबोधअन्यारा यहशामितिवाअस्मानारोमदावनिवपंचमी विमलेइत्यनेनैवसिद्धेनिधैवविरुपातामयीन्ये १६५
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N
कुशेषाशंक्यानकर या नास्वस्वरूपमानवाचकत्वेनसमानार्थत्वाभावानानवे बघम्यटनित्यत्रातिप्रसंगाननाभेदेशनत्वादितिवाचीनियानानाधानकताम्यगमानप ननियनप्रयोगाहिकैचिदव्ययानि वचनमाश्रित्ययरिजङसबियाअथीसंगनेस्तस्परम व्यायमागत्वाचानवयियस्यान्पोन्पाभावलादाल्याभावात्पादावानास
घाहि भागोमदोवायरस्येत्यत्रेवधर्ममात्रवाचियिनपावरित्वादितिवाच्याभदनभेदबोधक योगए वर्षचम्भ्फ यूगमानाउनोदाहरगोबनादापाभावएवंपनीयतेननभेदविना अंतर वघटाई दवा नित्पादोसाभवत्येवायदोऽस्पविधेनिन्पन्वज्ञायनामितरग्रहां तेनेष्टनो-- व्यवस्ान्यवधेयोनेक्रमादिनिायुषाराधनमुनेशनिकथमितिचेतापमादइतिहरत ननोन्यत्रापिंदरपते तिहाशियहा यावदितिवहस्यापिसाकचमिपपरोक्नेचाहिनी यिनिचौदापिस्वयंतिदिशिहरेइनिस्तियेतिशेषनिने द्यादयोनदिवशवामिन्ववैककु
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सिरख बादियहण प्रसंगावं जाहिप्रत्यया महिसर्वनामप्रकृतिकंनत्साहचर्यादित छोपि सर्वना २६६ वत्पदोष निश्चित वस्ततस्तान्येतरसाहचयायाख्यानाहान डेययतो वतिप्रसंगा भावादजा ग्रहां चिंत्पप्रयोजनस्यादेतत्। चत्ररेपदमयि साहचर्या हिशदव इत्संगी कार्यन्यथा साइ-वैत्रेणेत्यत्रातिप्रसंगान्तथाच दिशद्दत्वादेव सिहे किंते ने द५ न्याशंकासमाधत्ते । चत्ररये, स्पेत्यादिना वक्कतस्ती चनर पदय हरामविषयतसर्थे त्यत्रप्रत्पर्य यहश्रूयमान सर्थप्रत्ययोतत्वविज्ञानार्थमिति प्राग्ग्रामादित्यादोष छाप्रसंगा तायनुव यह शामंत्री कृत्य प्रत्यपग्रह चिंत्यमितिन व्याः। तनावशी लाघवानुरो धन्यास्माक गिरएव न्या? प्रतियोगइति निदर्थ के रित्पथः। तथाचकात्तिक्या प्रभ्नातिभाव्यं व्याच लागोन के प्पटे नत न च्यारभ्येत्यर्थइति व्याख्याती अपयश । एतशय राम चम्याडित्यनेन कर्मप्रवचनीययोग पंचमी विधाने नसंज्ञाज्ञापनात न चार्थात २६६
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इशुविरूपतीभावेनमाव-तापरुषवाचीशन्त शदः२. पिपरेसंज्ञाप्रसंगाअयेनसाहवर्यावर्जनार्थस्यैवनइयत्नानवैव मपिअपयरातिसमासविधि नायंचमीज्ञायनसभवाकिंपंचम्पयाडित्पनेने निवाध्याभुक्ताल्पगछति भुक्तान्यरिगडानीन्यत्राव भाषायशाइनिहेतुपंचम्पनेनैवसमासविधिसार्थक्यातानस्मात्यचम्पयाजियावश्पकमित्यनेनैव विहिनायायंचमानदेनेनैवाव्ययीभावसमासोनवनयं चम्यतेनालालशिकत्वातावचनग्रहरा दिनाविनानेनेतिमर्यादासहनेनत्यनिविरिष्यत्रीयानोविशेषावचनग्रहणमामन्निाश्रीयने निनावधिमात्रघातकस्यतज्ञाविधानादथड्यूसे ग्रहोयहामियादाशदउच्यतयस्मिन्नमात्रेनचा इमर्यादा विध्यारितिस्तत्रयाइरश्त्पथात्रैहमवधेयोलाताशीकत्वेन हेतुपंचम्पाव्य
शादियाहारनरिनियलयस्मादित्य ने नवसार्यवमातिहरदतःनन्नाकर्मपक्च नाययोगाभावानामयिनिमिनकारी नियंचमीनिकविरानदायनानिमिनादिशहानोपयोगाभा)
दा
पाभावाप्रसंगामाहानत्रयूनाइहरत्यय
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परिरत्रेनित्रिपञ्चमावि चौ। प्रतिनिधितएवलिझादाभ्यायोगपञ्चमा सिस रायुदापनिमितकारसोनियंचमीनिकश्रिनम्नदधिनानिमित्नादिशहानांप्रयोगाभावानाअन्पथावा २६७ निकेयपीयागीएथनिदेशवैष्यपीतापरिवेतिअत्यंचमीविधीप्रनिनिधिअनस्वलिंगादा 261
स्पायोगेयचभापरिहरेशमाहरिवयित्वैपायवर्जनवावधनामनिहिवचनाभावामयाला भूतत्सहशायादानप्रतिनिधिदनस्पप्रतिनिधीननंयातिदानाप्रकम्लरीतीयुद्धादौमनिरू पिनसाहस्यवान प्रधान्तइत्याचपसायपतिधीतयाताअकर्मशिनमतमितिनावित्प नवर्तनैतिभावारत्तीयायवादावाशनेनेतिउन्नमणीयंधार्यमाणान्वाबलमसानन्योनकाह सुधतिचकासकर्टसचानवेशतिप्रयोज्यकन्नीप्यमाहापान शतशहाकतरिततीयो बाधित्वापवाहत्वात्यचुमासादातभावामागविभागादितिवमवध्यपश्यत्रयंदमंशयास्प मिहावाहलकप्रसस्तवशारनिचाझिकनिशोथीहलिंगायथाग्वनाापवायत्रयायाराम दानपणी पातरनिहत्पधी तनहिरुदेवदतस्पेन्पत्रनोहरपनानाजनितिखवचास २०
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(दाभावात् तपस्याप्यक्रियाया असवरूपत्वे विवा पत्रात प्रस· इति हरदतोष युन्मधा शास्यस्त कराव्दस्यापिस त्वनावक
तिका शिकार
वृत्तो नै नदुन्म?
तत्र ९
मुचयेति।नियातानामनेकार्थत्वा दिनिभा व पंचमी तिमिङ्ग कम्पायं चम्पन वर्त
या संनिहि
ययमुनित्र यदव ने प्रयागानरोधादेव व्याख्यानमिनि हर दत्तादयः। धानोउक्त व्याखान स्वभाव्याला स्तोकेने तिती या पंचम्याः करता त्वम थी कि रा कि लोकं चलतीतिक्रियाविशेघरो कर्मणिमारि नचाक्रियायाविशेष्यत्वाद्द्रव्यत्वावश्यभावात्तद्दिशेष किटक मंतरकार कलिंगानन्वपित्व मात्रै शासत्वरूपा या स्तस्पा विशेष्यत्वमात्रेया इव्यत्वासि हरेहरा रेशा वेति । इहोत्तर स्वचकारात्सम्पात किंच हरी मिकार्थेभ्यइत्य भ्याविभक्तिचतुष्टयं ज्ञेयं । प्रयुज्यतेव स्प सप्तम्पधिकर शो चे पत्रानुवर्त्तनादधिकरशी हरा दावसथान् त्राम तिश्रावस्थ स्वह रेत्यर्थः स वेति । सत्ववच नन्वं हित हिशे कवातथाच सामानाधिकराये नद्रव्य विशेष शीव्या वर्त्यते । तदाह यथा इति ।। ॥३ नियंचमी । षष्ठी प्रशेष। वययुक्तान्यः शेषः सच कन्पार्श का थामा है। कार के निनि याचक. अतएव नाप्राप्रायामष्याविधीयमानात ती या तानित्यं मा वाषिष्टेत्यन्यतरस्यां ग्रहणांते नषष्टी समावेशार्थमेवन र दितिभाष्ये स्थितम्) तथाचेरुषष्या सहवत स्त्राविभक्तयः फलिताः। मूलमप्येवमेव सुयो जम्। मनोरमा धानुभा चष्यसिद्धान्तानुद्भावना न्यून ने त्वं वै महामरे स्पाग्रह रंग पञ्चमी समुझयार्थमेवेतिन्न
इतिमाष्यकृत? 2117
हामि हा नुवर्ततइनिश्व व्याख्यवृत्रि भाष्यविरोधातपचमीग्र
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भार रिश्
268
सिर. मदीनांशक्यता व छेद का निरिक संबंध त्वरूप शक्यनाव छेद का व छिन्नः संबंध एवशेष इतिषीय लि २६८ मतदाह स्वस्वामिवादिति। राज्ञइति यघम्परा जागुरु षायदा तान्यार्थिकं कर्तृत्वं राज्ञति तथापि राज्ञः पुरुषइन्फताह संबंधयतीत्यभावान्स बं ध मात्र प्रतीतेर्भवत्य धक्तशेषलक्षणा क्रीतः नचैव मथिद्वा भ्यायुगयत्व व्यायाद नायोगेपि विशेष्यात्षष्ठाप्रसं क्षिनार्थप्रतीत्यनुयय त्या विशेषणा दे वषष्ठयगी कारा तुपुरु यथायथं तिय दिकार्थ रको को वन्यशेषत्वान्न षष्ठीनिन यो मानद सारं स बंधाभिधानाय यामन्यतरस घाम पर तिपदिकार्थ निवचन प्रथम एवविशेष्यात्किन्न स्यादितिपूर्व ॥धान स्पायुक्तत्वापद्ध्यप्रधानशेषइति केचि नदपस्मक शेषा भिधायैव कथचि नत्रराइत्यत्रार्थ सेव्यत्वं सेवकले बा सच निरुपकन्याधेय नया वायुरुषेऽन्वेति यत्पर्थस्त आधेयतया निरूपक त्या वाप्रत्ययेनस्य दौ धात्वर्थए वर्ष पर्थान्चयइतिञ्चान्तनरेगा वैरूप्यायमध्यार्थस्यापिसा झार २६८
त्या राम
या
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P
1948
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परमावा क्रियायामेवान्वयः । साझाक्रियान्वयेकारः कन्वमितरथाननेन्याङ्गः पुरुषस्यैव विशे परा लेप रुषस्य राजेति भवनि संवध्यंतरापेक्षयोभयो विशेष रान्विनुराज्ञः पुरुष त्ययीतिबोध्माप्रत्ययनिय मेशेष एव वीति नियमार्थशेष ग्रह श्रथनियमेतु व्यथी पत्र षष्ठी चान्या च प्राप्नात त्रषध्यैवेतिनिय न ४ मा देवेष्ट सिद्धे नन्वेवं भाषाणामश्रीयादित्यादिन स्यादितिश कर्मन्वादीनामित्यर्थः । कर्मा दिपदेश श्रयएवा च्यनइतिनव्य धःस्यादितिभावः विवज्ञायामित्यनेन न्याय सिद्धमिदमिन्यस नविवचितांस विइति करता चानचे वज्ञेो विदर्थस्य करो। धागर्थ दयेशाकर्म शिक
कमीदीनामयीति संबंधव देश नमिति बा चंसंबंधत्वेनियवास
जार्थनाभा मज्वरेः। श्राशिषि नाथः। जासिनि प्रहरी नाटकाथयिषाहिंसायां व्यवह्य शो समर्थयोः हत्तार्थ प्रपोगेकाले धिकरणाइत्यष्टल्या. शेषषष्ठी विधानार्थी या तस्याः समासनि निमात्र फलकत्व तथा हि। शेयत्वे नकरात्वादविवसितमध्येवस्थाननुतनुकू प्रयोज की मनःसमा
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त्यर
सि..ख
सई तान बुलुखात्र निषेधः शक्यः प्रतिपदाविद्यानामन् समस्यनइनिवार्त्तिकाळातच एत्री सिद्धार्थ २६ कथनपरमिन्पदेनल चमानः सूरतमित्यवसमा साभा वोपिफलानि कार के निपाताचा बीर 269 षष्ठीच प्रतिषिध्यते । कारके व्यपदिचप माशा क्रियेयुनः। प्रो प्रतिपदं षष्ठीसमास्यनित्यो निष्ठायां कर्मविषया साध्यासमासस्तत्र नेप्यतइतिनिन्वेवंसर्पिषोज्ञानमानः स्मरामि त्यादीनाम ॥नी साधु वह रिस्मा मितिनसिध्येता मेवा हरिसंबंधिस्मरशा मिनिमध्यम पदलो घिसमासाश्रयरा षडानन्युरुतुरुत्तरपदप्रकृतिः स्वरः स्यात् कर्मधारये समा सातोदा त्रत्वमिति स्वरे विशेषः। कपासमा से हरिस्मररा मिनिसाधुहडनरपदप्रकृतिस्वरेश मध्य दाता शेष षष्ठीसमासे च तो दात्रं स्यादिति स्वरार्येय मस्त्री नियर मनिकर्षइ तिन व्याति नौशेषय ष्टीसमासे कि स्वरोड़ वीरइति प्ररूपितत्वात् । नच स्वरविशेषाभावेप्रिकार कनवेल सरापमा राम दाय षष्ठीसमासीडुवानथान्वे इष्टायते। एवं ससंबंधप्रकारक बोधविवत्तायांमध्योदात्तानीह रिस्म १६६
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रामिन्यादीनामसाधुत्वंज्ञाय पितृमियमसूत्री नियमनिष्कर्ष यदद्ययमष्टस्त्री समास निवृत्तिफलकत्वा हव्याख्यातेतिप्रत्पज्ञायतदपि नामले सर्वयुतकेषुतस्यादर्शनात् सर्वनाम्नस्तीयाचा सर्वनाम्र इति • नयचमीत शासति हेतुशात्षष्ठाटतोयेनस्यातो किंषीत्या सर्वनामतः प्रयोग इति। निमित्त्रययाये।। तिपर्याय ग्रहणास्यफल वमित्यादिना एवं हेतु प्रयोगेस बनाम इतिस्रचयस्य फलं चित्पा सर्वनामइतिवृत नाथद्य पिसर्वनामस्य ती पाचन्पत्रे हंवार्तिकंयठिननथायिभाग्य है ता विन्य तमिति भावःषनसायं चम्पापवादः नितितः यश्चा स्वस्य तेध्वस्यते चेति भाव्यप्रयोगाच्या योग चम्पताधु॥ एनपातित्रागारं नयुनिट हाडुन रे शास्मदीयमित्यंत्र उत्तरोत्पती यातनत्वेन ते तचतोरो नयने नातस्तत्र द्वितीयाप्रसंग: "हराति का थी। यूँ चमी समातिन्यतर स्यांग्रहां समुचयार्थी ने नहर चम्पे व समुचीयते । व्याख्यानात् नतु संनिहितेपिहितीयार तीये इतिभावः। मन्तुनतुषाद्दितीयारतीयाइ तिन व्यक्त मटीग्रह रास्पमत्र एवभावान्नन्समुच्चयनिषे
अश्
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मिस्स धायोगावातजावतीतिवचनाबाइलकाकरिल्याप्रत्यर्थस्वविवतितानथाचमावोवचनाक २७० नयियोनहन्याशयेनव्याचीभावकार्ट कारणामिनिाचारस्यरोगुस्यूनिाचौराषष्ठारोगावरुघोगलतम 220
रोगगहिचारानिष्ठरोगातरात्पादकवनकतीसमासाभावफलामानरचनापच्यनादाहरणाप्रकाहरण तसमासुफलामत्याहाचारवरशनाभावकका गामिनिकिनिष्पापुरुषहजतातिप्रफदाजाकैयरान माननशषवविक्तायाषयाइबारत्वातानसमापारात्यरुषरुजेतिप्रलदाहायोदिवस्तरापूर्वरवान हिशेयवहयगोतच नपरामपातयोरर्थश्वायित्पत्याशयनव्याचष्टाघतितिाकमेतीति घोघडनिनसबध्यतउत्तरसत्रहयारमादितिनव्यादपानचित्यायतसमासाथत्वनाहतीयाविधानार्थत्वे नचोतरत्रयस्यापिसाफल्यातानस्माघोगविभागादत्रशेषतिनसंबध्यताअन्यथावत्रैवदिवोयह गोकयान देशपतिनकर्तव्यमिमितिलाचवीनचोनरार्थत्वाघोगविभागस्यानोकार्थनायकुवामानवाच राम सिंकोचेमानाभावनफलदयस्पायिवश्ववानाप्रेष्य ते वाटिकायलोतमधामयबैकवचनस १७०
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न्यासे ग्रहांप्रेष्मेनिनत्साहचर्यानथाम्हनस्पेब्रुवेरपिअितएवेहशेषइतिनसंबध्यतेनिङतनसमासाप्रसंगा दिन्याडकरी कर्मशाहशेषामिनिताकतस्विलतीनिहते पिचकारेशाकर्मग्रहशानुपासमवे यनकर्मयहादित्याकानचिन्यासनिहिनस्पाधिकरणायहोवानुकर्षगाप्रसंगावातस्मालंयोगवा षष्ठीसमस्यनइतिवार्मिकमेवेहप्रमागीतिचापतएवन्यायामहाततिकिमितिकिटकमभ्याक्रियाय दमात्तिनबनिई तलदेनेवानिवौदर्नपचमानश्याघथमावृश्यकेनलयोगेनेनिनिधना नयमसंगान्यारिशेष्यात्पवयवस्यनीतिप्रश्न इतरहहतोयस्वाय्यक्रियायायकर्टकमतीन
वषष्ठीयथास्यानातानीयस्थामक्रियायायेकटकमसीनत्रमाभूदिन्याशेयेनसदाहनिल नवीकरमितिकतमनेनेतिविग्रहेखमयेतिसमासोनविशेषगाविशेमेगातिवंशप क्रियाविशेषणात्वेनसामानाधिकरशंयाभावातानतावीदिनिःसंचितिकर्नरीनिानन्यदिक तमिनिकमणिकताह केमकर्मशाउकवादिहापनाभिहिताधिकाराषष्ठाडले माथिभावएवमय
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दा
४हर-
नवरितार्थनकाथीभूतस्पतशब्दस्पनिष्पकरेनसंबन्धोनास्त्येव क्रिययागुरगतयाधिकरकृतनानियोविनका कारण संवन्धादीकाराकरोतिकियामाचापून्दकर्मत्वमनभानामत्युन्नाथन्यानवकाश:तथानकताना पिनियोतिषीरपातन्निरन्तयेहाइहरामत्पाहातसुस्वात्तिन्थविरुइत्यादयुक्तरित्यनुपदमववन्दयामा
सिकर्मकन्वादेवाअतएवकरमिपत्रदिनीयायिततराकिंवलतशट्रस्पकटसायेतत्वेनसमासतदिना
वनययन्त्रावितिन्वअधेनावदलौकिकेविगृहे करशहासविधानात्कर्मसामान्यवाचनात
तशतसमासवताव नरस्यैवप्राइभावात नकमत्तेनैवाभिधीयतेऽत कर्मवस्याभिधाना 22/
नीयायेवादाघ मानवात्यपियनतरंकरोलिनाकनिष्ठव्यापारस्पायादानान्सकर्मकत्वमय वाहितेनैवतेलतगायोयादानातवेवकटमित्यस्यान्वयइत्पयरेलयाचटपूर्ववतवानित्यय । कृतपूर्व कुटमिति फत्याधुणगान कियायामयिकाकान्वर्यणीकाराकरमिनिहिनीयानालय नात्येचैत 'क्यानिचैवममिनिष्योगपष्टानिधान दहाव्यर्थकहरासामी जापाहाहाच कावासावानापन्नानछादयाहातानवधानानिma
भाष्ये।
STAN
10
परोपमधामस थापालभावावामध्यसबाकारमा
14-CA
नविनयपदा
प्रतिभाष्यनिकर्षइतिवन्यूमासात्वाता ताशयकल्पनायांपवलामाकाकतव्यवादोनोव्यायानिमित्येवपत्युदाहररास
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यदचिकृत्येव यथास्याद्धिताधिक्ये माभूदिति हराम्। प्रजानातीतिपूज्ञः स एवं प्राज्ञः । स्वार्थ र व्याकर सांधा ज्ञः । ननु सत्यपि षष्ठीपाप्रोति कृ दोन योगसवान त छक्यते वक्तुम्प्रत्ययार्थेन का थी भूततस्प निकृष्य व्याकरणेन संवन्धन भविष्यतीति प्रत्ययस्य स्वार्थिकत्वेनाथन्तिरामा वातानषदोषः क्रुद्ध हणसामर्थ्यात्कृदन्तेनैव षी विज्ञास्पते । रुतु ता तद्वितेन चैकरूपः संवन्ध इति षष्ठी न भविष्यतीति हर दत्तेनप्रयोजनान्तरमुक्तम्| तदवि विन्त्यम् । व्याकरणं प्राज्ञः श्रोदनं पावकिः पुचवेन्द्र मारितरित्या दावेपत्येइनि दन्त स्वत्य याथेन कार्थीभूतस्य निष्कृष्य व्याकर रोगादिना संवन्धाभावेषयावर त्वात्। उमय योग संभवरेवनियम प्रवृत्त्योदित्यान
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सियार
नाता पालवादन
शिशु व्यार १०२ वेशपत्तिाकृतपूर्वाकटमिायनसत्यप्येकार्थाभावेनियमार्थरुडकरणान्तषसीनि
माष्यकोपालानन्यथान लोकेतिनिषेधादायोक्त पत्युदाहरणमय तमितिभव दुन्तमसंबईस्मातातस्मादविशेषेरहंघोगाकारोन्याय्यइत्यवेषयमा किया। कदन्ननेवत्वस्यको भिमतः।तर तपसातवीत तिने तिउततदितानेपदेवर कनयासरन्यत्रपविशतितवनतिमाहवान
नतिानाघः कृतवीकरमित्या दिभाष्यो पत्युदाहस रास्यताविकतनापत्तनमध्यपूर्वीचोदने कर्तव्यपू वकिटमित्यादिकौस्तभोदाहोऽस्यत्कल्पितेवाभिहितानामहितशोरहित करणे प्रवीकरभोजनपूवाअोदन मित्यादी षष्ठीपसाबानियमाथेमंहगोमेनिवदता वाक्यभेदनकर्लकमेगारित्यस्यापूर्वविधरवश्पानीकार्यलारानहितीयः पत्यार्थन.
पराम
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2016 sease Befomadhyey
कार्यभूतस्यनिष्कृष्ण कटादिना संबन्धामा वेभवदभिमत नियभायोगात् । नळ तीयः। वाक्य मेदापत्रः । तस्मा धर दत्तो त फलान्तरमुपेन्द्र मेवेतिभाष्यप त्युदाहरण वलेन निषेध संको वो ज्ञाप्यते। प्रत्मयार्थेनोत्तरपदार्थेन वाला देशादीनांयत्रैकाथीभावस्तत्र न लोके तिप्रतिषेधो नायरायतइति भाष्या दार 'घकारपूर रेफस्प द्वित्वनिषेधोन तियथा कल्प्यते तद्वत्। विधेस्तु संकोने मानाभावादविशेषेाषष्ठीवति। तत्र त्वयं विशे काभावे रुद्र हा त्वष्ठीनभवति द्विनेका थी भावेतु हो सत्यपिनि विधा प्रवृत्तेरविशेषज्ञापनात्वष्ठीभवत्येवतिनमाष्यमतेय्थाकृतवाकरमित्यनिषेवतावपि कृद्धरुणदेवषष्ठी न भवति तथा कुर्वतोपत्यं कौवतः कटकोवतिः को वशिर्वेत्यादावपि तथास्वार्थिकद्यपि नसाव्या कर एंगना ज्ञइत्यत्रेव खोदनं पचतरः प
1986)
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सि.र.सु.
२०२ 272
(शोधपत्रइयमनङ्कष्टष्टे)
न्ति:२
न्ति: १
ध्रुवत्तरःपान क नमइत्यादौ किं तु द्दितीयेव । इहतु स्यादेव षष्टी करस्पकुर्व दूँ कुर्वाणामकि कृतवतीतिः कृतव अॅक्टस्पेयाम स्पगतमन्ति रोदन स्पपाचक गृहम त्यादौ । त्रायसंग्रहः तद्वितान्तानुपस्थाप्प कर्म स्थाप्य भावनाति के कर्मगोः षष्ठी भवेदेवा विशेषतः॥१॥रकाथीभावाविषयनिष्ठा दौसा निषिध्यते । कृतः कटो से मैत्रेण कृत वांस्तमनुयथा ॥ निष्ठादौ निषेधानपूर्व ते। कुर्वन्ति कटस्पेतिक वरित्यपि ॥३॥ कृतपूर्वी कमिति भाष्यान्निराय ईदृशः। मया कारस्वशेमुष्णा सह वास्तव वित्॥भूगीय भाष्यकृताऽथवेत्मा घुप कम्प· गुणभूते विकृतार वाक्य मेदेनषष्ठी विधानार्थ राम्रायन्तात्पर्याया दौर्भेदिका देवदत्तस्य ज्ञदत्त स्प काष्टानामित्यत्रेत्युक्त के यः एतज्ञ विशेषापेन्हा या प्रयोजनमुक्तम्य तु मादिनो में देने त्या दोन तापावर ने विकर्त रिषष्ठान्पा श्रीपते। तदामिवाव्ययोः वभाजन करकश मनापा भावादिऐ जाना वात्यष्टी सतीति न देलस योजना नियोजन पेवेत्यवोच र छोप्पे वमिनि दिक्
२राम
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" रावुनि४
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भवादिति वा १
यम् तत्फलस्यवत्पमाशात्वात् शितिको चिया
संपाचा निषाद्याय प्रिरिति
स्यादितिको भवन दप्यतिशां पलटान दिनेन बा करोगे निलो के तिनिषेधमभ्येत्य त पूर्वीतिभाव्यादा भयमविचिंत्यरीत्या निषेधस्याप्राप्रेश वि
निधाय दानपच्यतेतरामि साधा पनिरिति पिका नीस्वार्थिकत्वेनैकाथीभावाभा माभविष्यतीत्ये पत्र को
मिहिन हरशी हर दू
प्रदेश न
4. नकता योगो नापिनिष्ठ
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पत्रद्वयम्
वन्देमात
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terit
१७२
सिरस प्रायविशेष्यमनविणावापान मसावियागमन रोमन
बधानसन्मानाबाउपासालवनवण्यास सवाच्याविण्यातनाबमानवनिविषयमावल्याणासाला कृपावापारमातिनमयस्सोमासानिमायास्महाकालमाश्रयगान्तकालसाविक धानिएनवताललोकभवनोदमानdeware s tha
222
चिराकानीबसतम
प्रमथतएवणायसन्नतापाबन्यवनयानाहान TETथामस्मतकापनानणयसमा
निवेशनमानस्मादायादाहरसास्पयंसमर्थनसभवादरद नादानाम्ननामपिमहानयप्रमातिएक्तमन्यत्रयामन्यात्तानावरायलवाजथयाधिकरतीका
रकारधिात्वर्थान्वयींगीकारेकाष्ठ याकइन्यपिस्यादिफक्तंयार्थसारथिनातिन्नाकरी कमोरित्या राम धनुशासनादर्शनमूलकलाना अनित्यश्वायविधितहमितिनिर्देशाताननधयरामोदमितिमहिप १७५
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यत्राउभयत्रानोलतीत्यनुवर्तनादन्ययदार्थस्यशनायादानाडुभयप्राप्रावितिबङवाहिरितिव्या चष्ठाउभयोरितिनिनाश्वर्यनामोदनस्पयाकोबाहागानाधयाइभविश्यत्रनापनियमइतिभावा स्वायत्पयपारिनिस्वनियोरिनिरस्तुटायासबोधाननितिस्तंकीकात्वविवतयाबोध्या भदिकतियपाहित्पितिष्ठितिरावास्त्रीमन्यय इत्यैकलिकाकॉरमिन्नेवीप्रत्ययेनियमाया तिकइत्याविशेषणोनिकाकारभिनेकृन्मात्रहत्यारांशामतरनिमनिवहिजार्थेभ्यश्वरी निवर्तमानता वहिरजिनायाबुराखरस्त्वयात्तातामयाज्ञानइत्यादिमकाविधातिनिबम निबट्टीत्यनेनमतलस्पबाधाशवपातनत्यधिकारेउपज्ञानतिलिंगेनाबाधज्ञापनालाअधिकर मारवायहरांमत्रीयलक्षामितपतिनाधिकरणवाचित्वेसत्येवषष्ठीनान्यत्रहभिरासिलाम
त्यासिताकाधिकरेगोचेनितानलाकाउकश्यक त्यादीएिषामासितामाताप्रास्पनामा बोलनकाञ्चतिविग्रहाउकारेगारदिशेयतेनेननदैतविधिरित्याहाहदिटलरलकरिवीना
ति
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सिरान सथिमितिअन्तरस्येतिन्पायादिनिशेषाशेषेषष्ठीविनिप्रकारकृतवैनत्तरायमझावादिनिभावन
अकेंनाइहमाध्ययाख्यानांद्यासव्यनेष्यनइत्पाहामावष्यतीत्यादिनाभिविष्यतीतिवर्यतति नदधिकारविहितस्पतमुनावलावित्यकस्पग्रहगमित्याशय नादाहरमिसन पालकरतिा यस्त कालसामान्मेरावुलन्चावितिरावुलुक्कसत्रननिषेधाश्रोदनस्यपाचकततिभावाबजगा मीनिभविष्यतिगम्पोस्वइत्यभविष्यतीनिनिनुगत्यर्थकमोचितवत्यैवसिद्धेधिनायाग्रह ननांगीक्रियनेनेनयामस्पगतेत्येवसाध्विनिकैयटादयादायीतियावश्यकाधमपियोरितिराि।
जापाथमानकथामसंगछतासत्यारहवस्त्रयामैगामीनिध्यादाहरणों नियोगविभव्यतइतिीभाध्यकाररितिशेषतुल्यायाबहुवचन निर्देशनापियर्यायग्रहणासिका थगृहायदातरानरयतायनल्पास्तिषीयहवार्थतनगौरिगवयेइत्यादींनाइहर्मकलुत्पाश राम घनिसबध्यतेनिहरदनावलायदारोहतिदनवाससासिटी यमातशिनशमनन्यादिकथामिनि २७३
कैश्चियाख्यातमितिय
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ला चेनातलोपमाशयोशिकत्वादाधुपतिकरावाटतीयेतिहरदनादयनअप्रधानन्तीयावाविनापि नघोगमित्यक्तवाना हितमिनिहित योगेचत्यनाशिषिचरितार्थमित्याशियपविकल्पइतिभावाव्याख्या मादितिसर्थग्रहराभितफत्यतात्रिमितमिनिमावः|निषष्ठ॥ अाधारावाधियनेमित्रि त्याधारसचकस्येत्याकानापाकारकाधिकाराक्रियायातिलभ्यनानत्र सानाकियाश्रयस्यका नाभ्यापरवानिरवकाशत्वाचबाधानहाराक्रियाधारावरचतातथाचकटकमीन्पनरघटितपरपंरा संबंधेनयक्रियाश्रयत्वनयोविवक्षिसतक्रियाधिकाराभिनिफलितमित्याशायनव्याचटाकर कर्मद्वारेनिाउनचहरिगाकिनकर्मव्यवहिनामसालादारयक्रियापक्रियासिद्धौशास्तधिक गांस्तमिनिनिधाताएतच्चसंहिनापामिनिस्स।भाध्यहिवस्तुहरस्नयथचस्पटीनघामालेल्या घर्धसामीपिकमधिकरराचवर्थमयिकेचिदितिकिटइनिचित्रकर्टकंकटाधारकमासनमित्यर्थ अस्याल्यामिति प्रोदनकर्मवाल्याधरतापचनमित्यर्थयातुनलेघटीनास्तीन्यत्राधेयक
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२७४
न्विये कारकवि भन्न्यनुपपत्तेः प लहनिवर्तमान कालसंबंधा योनि बाधन्या विशेष्यकमेववा तैनादधिको
274
सिरख भाववान्घटइतिबोधइतिनैय्यापिका नन्ना सम्पूर्थस्य कालर्स बधाभावोऽरूपः न तु घोनकत्वान्नात्पर्य ग्राहका भावो घटरूपाश्रयनिरितिबोधः। श्रभाव स्पा विधात्वर्थत्वेन परेतु भूतला धिकरण का चैत्र कर्तृ का सत्ताभावयतियोगिन धूमा। चनस्त्रइति। प्रातिपदिकार्थ मात्र इत्यर्थः । हरातिकार्थे इत्यस्य यताबोध्यातविषयस्य इन्ताविषयो वर्तनभूमिर्यस्तस्पेत्यर्थः यद्वा विघयश है। नप्रकृतिरुच्यते न विषय तिषष्ठीसमासः । साध्वसाधु प्रयोगे चेति। यत्राची त्व कथन मात्रनम्र प्रति नायोगे धिस प्रभ्यध्वानि के साधुग्रहशांची याविवचितायां प्रतियो गैसप्रमी नित्य सवै साधुग्रहणामित्व धेर्य । चर्मणीति चाप्यादीनां समवाय संबध सीमे राम त्यादि तथाच सीमाघाट स्टेशन क्षेत्र डकोशेषु च स्त्रियामिति (युवल को गेम गेपा २७५
विचिना किंतु
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कीलपारितिवेनिमेदिनीकोशहात्तायुधमकशंकासीनिसीमज्ञानाधनिहनोनिश्वात त्याहाअस्मिंश्चयक्षेसंयोगसंबंधायस्पचा प्रसिदकालाहि क्रिया प्रसिद्धकालायालती नत्रग्रसिद्धक्रिया प्रययो करीकमगोवीचकालयलनगाभावंसंबंधश्ययवादरतेयस प्रमालतकर्ववक्रियायासातादाश्रयस्पटनदारनिबोध्याबालाघधीयानेषुगतनका निदाहरगा कमरापुप्पाहागोधिति अहीणमिनिललितगाभावविवत्तासिनमधी। मिटमन्ययावत्रावसिडमितियायाव्यथमानवतत्वाभदएवातविभक्तयहरा। दवधारीलब्धतिनशहायातर्सधारा धर्मवैशिधेनभवतीत्पंथाममुरातिनिधत्रनिड़ी रगावनिधस्पिचगवलित्पत्रेवसाधारवाधर्मवेशियो प्रस्ताव मलिशिहोपातकिडधर्मवेशियमिनिमावासाधुनिपुगाभ्यायनुअग्रिहानिय याशस्वविशेषनितसाधुशदस्यतघोगडनचायामपिवानिकनसनमाविधानादिन
दार
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सिर-स्व कैय्यटहरदनाहयानमेवार्थम्मनसिनिधायवार्मिकदृष्वास्त्रशनोऽप्रहनेससाची २७ गहरामितिकोलभक्तनानडुभयोचपाईहनिर्देशैएकदेशान्वयायोगातासाधुग्रहण
वैप्पणीचानचेष्टायत्तिभाव्युलनाप्रत्यारव्यानन्वानाचीयामप्रविधिनिषेधार्थनंदा 275वपकत्वाच्चानचाप्रनेरिनिनिषेधबाधनार्थमेववार्निकसाधुग्रहगाबाधेनाय २३ जाधायोगांसाधुमीत प्रतिपर्ववितिभाध्यातरफदाहरणा विरोधाचातस्मादचीयह
रामभयावशेषरामिनिवाध्याबार्तिकर्शवसाधुग्रहामनीविषयकमेव पवधेयोनियु सोरानानियिनिक तासाचपोराइमिफदाहनान नावानिनसतम्पाईवीरत्वानाप दायराताम्ट्रन्येनसहशाहान्य साधनात्वाइनितदाशयइतिहरदिनेनो नदीक्लि एत्या ई
यल्पमिनिभाव अनन्यादिभिरितिालतरोन्यमिनिस्स्त्रीयांना प्रत्यादिपावसितोकात राम त्परप्रतितासतावित्यमरः उकसाहचर्यान्प्रसितोपितत्परश्वग्यनितिनप्रकर्षता सिनाव २०५
सुकश
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कम्प्रसितश्त्यर्थनअधकर्थनिदावशेनभवनाय्पनवेसमागायतकत्वमवलानिशिखं हितेवनिकालिदासानीभवतित्पत्रानेनन्तायतिव्याख्यान वधु संगतीनियत्रततति धिरतिविशेष्यासंनिधानानासत्यापरित्यानवच प्रामादिकमेवारतीयान के तीन समारोतिकर्मल डेनमेवेनिमुक्ता मुद्रपन्तलक्षी प्रतिस्त्रेलसोनाएथग्भावादिति भाष्यमादायकैयौनक्किएथग्वितितनीयेनिनिञ्चित्याउक्तयुक्त अप्रधानरतीययापन निर्देशीयपनानएवसाचसाधुप्रयोगवत्पत्रासाधुग्रहसाथकानचनियमधिनराविधिनियमयो र विधिरेवज्यायस्वातत्रभवाननयोगसासाविभातिनावहतदतविध्यपेट्रोतिसमाधा
i लारशहोऽधविशेषलाताराकइतिध्वनयबाहायोलसंज्ञयादिनाथ E
तिनिश्वसधिकोवेसनोमकायानुवर्ततइनिभावानिनमलेप नोलतेइत्यादौनानिप्रसंगालनेनितिनिक्षत्रेशरकत कालपगोलिवविशेषडयनैनल
H
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सिशनानइनिकिामेचाले निष्ठनिजनपदेल्लुबिनि लुशयस्मादधिकाज्यपरादेशिनिाउपाधिके 8 चेन्ययस्य कर्मप्रवचनीयसंज्ञायस्पचेश्वरवचनमिन्यस्यनित्रादिनार्थयादि वनितानथाहि।
यस्यत्पनेनस्वनिर्दिश्यतेयस्यस्वस्यसंबंधीविरुच्यनेनतःसमीतिव्याख्यानेस्वान्सप्रेमीस्पादित्यको 276 ईश्वरशहोभावप्रधानायन्समवेनमीश्वरत्वमुच्यतनानासनमातिव्याख्यानेस्वाभिवावजात्मप्रेमीमा
दित्यरएवलितेफलितमाहास्वस्वामिभ्यायचायेगोतियुगमनभाभ्यांना शक्य अपतरस्माइन्य
पैवसम्पनरनिष्ठसंबंधस्याप्यतत्वादितिभावानुधिभुविरामात्रधिराममरित्यत्रस्शनादि क्रियायेसपाऽधिकरणावविवत्तायोसनसि ईतिनायिस्पदश्वरवचनमित्पनेनानायधिश्व रइत्पनेनानगन्युपसर्गसंज्ञावाधार्थतताएश्वर्यविषयपःशदशक्तिस्वाभावेनक्रियायोगा भावानस्माइभयनकर्तव्यमितिहरदोनोनीयबकोक्तभक्तान भेयमथिचिन्यायस्यत्वखर्व राम नभित्यस्पहिती ययावानंभाध्यकतायधयिनीगीहत यायियर्थमयाव्यानस्यांगीतित्वेनस्वा २७६
मा तर
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पापपारस्पानायोगानाभाष्यहिअधिरीश्वरदत्यायनीयाधिवपतिकर्मप्रवचनीयसंज्ञइतिक्तव्यमिनिविदा नितीबान्समभीविधानार्थयत्यश्वखचनमित्यायगीताकिमर्थमेवमेश्यकारिभाष्यतेतिवन रायथान्यास शेषत्वविवसायामकुंभापासप्रम्येवामानविष्यनेक्निर्हिस्वाछेपलविवत्तायाम यिसनम्मेवेष्यनेस्वामिनकविवहाभेदेनषष्ठीसनाम्पा त्रयीतिाएनन्वेहस्संत्रेकैय्यटनध्वनितमश्वि शेश्वरइत्यत्र स्पष्टीहतानहीशमूलभेदेयन्यारव्यानसमवनीतिभाव्यकैयपरिशीलनशालिभिाव भावनीयमिनिदिकानवैर्वभाष्यमनेस्वामिनाधिक्रयात्वविक्तार्यायदासममीनदास्वात्कर्मप्रवच नायसनहितीयाकिनस्यादितिवाच्याकारकाविभनेपथमायाऐवन्याच्यवानाकर्मप्रवचनीयसज्ञात्व धिविरामन्यत्र समस्यर्यनयासावकाशेनिभावायदत्रमामिनिनियानेघदीनिनितनिधानप्रति विधार्थयछटोयादाना ननकारपतीत्यस्यविकस्विरेगोदानवतास। श्री निश्रीनि हमलमहान्मजरामलमभरललामिछानरत्नाकरेविभतार्थासमीना श्री श्रीपानमः।
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न
सिरख १७
27
माप्रासंगिकविमा सल्लाविमननाश्रितसमासान्वनमारमतासमथैतिायदविधिविषयापरिभाषे पायदानविग्रहराणनासमर्थाश्रितइतिअननससमर्थपर्दमानमितिसचिन यदायविधिसमासा दिसूमोभवतीत्यसमर्थयदाश्रितत्वमाथिकंबोध्यासमतिीिययचैत्रकश्रितीगुरुक लमैत्रायदेनिकितिष्ठतुदध्यशानत्वमित्यादिवर्गविधावनिप्रसंगोमाभूदितिप्राचविधिया सात्वनेकविमन्यनसमासाधान्य द्यायपदमनिटि-न्यादाववास्पायसितिस्थानचन्यवाननकिमि दसामर्थ्यनामाननावसनसंधिकार्यत्वाप्रतिपदिकोशसमासविधोफलाभावाहित्यासहवास दोनेविसंधेरभिव्यमाया चान दिनविधावाधिकारांतरसत्वाच्चानापिव्ययेशात्याखौरिन्पवसामर्थ ग्रहगावैषीयतानचालानस्पवैयर्थ व्ययेतायासमासाघम्सयगमेलाघवान्यनलित्पत्र समासयहविधर्थमेवास्करर्वयदेलतरारोगीकाराञ्चननयोक्तविशेषगासंबंधादिहषणमितिदा राम चोरलकैनोपदंशमित्रदोषस्यक्तित्त्वान्स्लोकान्मुनपाधलुकसमासैकर्मधारयेन्वयरमनेला २७
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गीकाराहिशेषमान्दयस्पडरिवाञ्चाचिण्डपुरुषोदेवदास्यतिवदाजपुरुषोदेवदत्तस्य चत्पयित्यानानचपुरुषयदेपिविशिष्टलत्यागीकारात्रिस्तालाअपसिहीनाहिबधिायनेत्रा पतरायुरुवादतिवन्नाहक्षयोगोयोटरवेनिनव्यानुसारीकाचिनत्राहरदनादिवश धाहनुभवविरोधाबालदरनिविशेषास्यपूर्वपदार्थविशेषरोनाविरईतया होखत्वाचतिर चेानायधपिव्ययतावादिभियानिय दिकसबा वचपवीवाक्यस्यनेतिसविशेषणानाने निसामान्यानोवचनीनर नेतिवचुनर्यकर्तय॑तथापिइल सोरित्पत्रसामर्थग्रह विमति विधार्वतरांतरेगा न्यारादिनरेत्यादीयुक्त ग्रहमानियनकर्नयानानितुल्यत्वारामतांतरेवरता वेवैका भावाभ्फपगमेनान्यत्रास्योपास्यसभावातेवामावश्यकत्रोतांत्रथवातवार्थवचना नितनकार्यापायाचकन्यादावविनाशगर्थवस्ययादाअन्यथाराबुलटचोविन्यादे यदा
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सिस्व संबंधिविधित्वामावादेकार्थीमावाभावादर्शवत्वानएपतिहस्पमिलि दित्याघथवा ७० सानचैवताप्रोदकहत्याधयर्थबड़वाहोकर निभंगापनिरितिनयोक्तिसाधुराउदककर्तिक
दकशरत्ययान शदत्यूचनानिमात्रेचरमयदस्यवाविवर्तितेथैलतीगीकारावाअवयका थतीतीतविशिष्टशक्तिरेवाकयेयतेऽश्वकरीइत्यादौतक्तवताठवाअठरस्त्पादावपेवाय
चलिगंदयायासश्चेत्पत्रिदयुनेहगावग्रहोत्यय्यतरवायपत्र एवंचयदार्थधानी व्ययीभावइत्यादिव्यवहारोपिनानुपपनि भाष्पोरठव्ययेताबादिमुननिर्वसतयाअन्य सूत्रभंगायते वाचव्यगीकाराायकवेसर्वत्रतर्दगीकारौचित्यांचैकार्थाभावहयमेवेहसामर्थ्य निञ्चस्तावेवावाक्य तारूयमेवेन्याङसनत्रयघकाभयमविशतित्यमेवातथापिहनिघय कामनयदसमुदायस्पयांसदकवहिशिधार्थप्रतिपादकत्वेनैकारभावावाकरस्यतएकत्रिी राम दिविशेषराविशश्प्रधानपदार्थशाकिसत्वेथिनहटितयदानामपिस्वार्थयत्यायकॅचमध्यस्ती २७८ -
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त्येतावता व्यये से निनयोर्भेदात स्ववाक्यविशेषणान्वयो नौने तिच्यवस्यापि संगछते । एता शकल्पना यांस मासयहां नियमार्थमितिभाष्यमेवमानानच नैय्या पिकाभिमतव्यय सामामेतत्संभ बनिएवं स्वनिर्ड-नादिस्य ले पियारिभाषिक व्यपेक्षैव बोध्याका लिंग मर्थवत्रेप्रन्ययांनय र्युदासस वावृतिमत्पदकत्व यज्ञेसमा समूह गास्प नियमार्थत्व संभवे फक्त हेतु भ्यात्तौ विशिष्टशक्तिरंगी कार्य वापूर्व पदार्थ प्राधान्याद्दामधिभूतपूर्वंग न्यानयः। नचैवल तणो । छेदायति । इद्वायते। सर्वे सर्वार्थ वाचकाइत्यभ्युपगमालागोसोख्य व्यवहा रक्तप्रसिद्धाप्रसिद्धिभ्यानेयः । नचैवग्रामं गतइत्यादौका रकान्वयानाय तिस विशेषणानामिनिनिषेधस्य मन पेयिवल्पत्वा दितिवाच्या द्वितीया श्रते निलिंगन तत्रत यांगी रान्ायतिवाकाया निविषयत्वेनविकल्पस्थार्थसिद्धतया वाव चनानर्थ स्वभावसिद्धत्वादिति वाग्रह रामायाप्रत्याख्यान नोटवाद मात्रा लक्ष कच क शांति नाव नानित्यानित्य विवेका लावायोगान्। इत्थमाचरखा लूनामेका
3
1
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२७९ 979
सिर- सभी भाववा हिनाम्मनस्यनिकर्ष नाघेऽजह स्वार्थाद्य निर्मिती यतुजहत्स्वार्थीतिविवेकइत्यास्नानावत नन्वन्वर्धत्वात्समास स ज्ञायाः प्रत्येकमप्रसंगासह ग्रहशांव्यथीमित्याशंक्याह योगइतिबा मिं नइन्यतः स्ववित्यनुवर्ततइत्याह । स्वतमिति कतिपये तिनचनित्याधिकारेदान्नव नागनमताच निगतः समास विधानाचेदयुक्त मितिवाच्या भयभर घषतेत्यादौ समासा दर्शनाद्दार्तिकार्थस्य भाष्य क्योग विभागेनसाधितत्वाचा स्यानित्यत्वस्यावश्यांगों का त्याना नच दसात्पत्र वेतियोग विभज्य सर्वविधीना वैकल्पिक वांगी कारेगा दोषत्वाङ्गा बायो नित्यार्थन्दा स्वत मित्याह सच छंदस्येवेति॥लौकिक वन्द्य स्पयनुप्रेधी नित्यादौ स्वाद्यन्पन्निन युसकर स्वत्वन लामा दयः स्युः स्पष्टचैन कर्मणामितिस्तत्रेहर येथे नव्य चलदिति । बित्येक वस्यविवक्षितत्वात्प यायशासमा सो बोध्यः समासा तो दान विशेष निधानइत्रि कैय्परः। एक्च देवादेवा न राम नापर्यष दिन मंत्रे समास स्वरादर्शनात्स्व र व्यन्पयोज्ञेयः । पृख पेतिलक्षणांचा धिकार वयोधा २७६
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कार्यन्तिरविधानार्थमार बस्यास्यवननस्यपुरोडाशवधकिरणन्यायेनोपसंहारकतेनप जापंचम्यास्तोकादिम्पत्याधुलुसमासविधानातयइतिप्रत्याहात्यहगानिई शादितिाइनरथा हि अप्रधानार्थत्वावशवस्यैवर्वनियानास्पानाथमानिश्चिानिश्वयेप्यन्धनाड्यर्जनसे शायाइनिभावाईवनेनिअयमपिश्र्ववत्काचित्कएवोनजामतस्पेवेपस्यबहानामैकयधननैति
यातागृथक्यदवनचयाउदाहरिवर्वमनइत्यादीव्यस्त प्रयोगश्चसंगातइतिनयााननामा पसमासमात्र नायोगविभागर्ने स्पसाधितत्वयिनित्याधिकारपठितस्वनसमासइतिवार्निकस्थफलभेदेवाया।
ख्यानायोगापूर्ववतासन्तानभ्फपगमाहुक्तरीत्यावदेवैकल्पिकत्वस्पन्पाप्यन्वयिभाषायांवकाल्प कत्चमानाभावानाअव्ययविभक्तिययीभावश्चगभरामर्शतसूत्रहपन्यासकारोक्तमाहाअवय मितियोगइतिपथमाअत्रसमासपदनविधायकेभानमन्पयाचिकीर्षितसमासेयत्यथर्माता ने शतादिष्वनिप्रसंगरत्याशपनाहासमासशाखातिएकविभाळाएकविभनिच स्वत्येवसातव्यामा शनासमासश्त्यनुवर्नमानेनषियहोलसतइनिभावाननुराजकुमारीन्यादाविक विभक्सिवादापन
D
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सिरक गयाशक्याहनियतेतिकुमारीशनिविगहेसर्वविमूनपतत्वसंभइतिभावानवनस्पतिषसज्य २० प्रतिषेधाश्रयदोषांतराभावसूधनार्थानचकुमारी अंतस्त्यादौतर्वस्त्रस्पाचिनिषेधापति
नतरस्पेनिन्यायादितिभावागोवियोः पत्यकाभियायेगोकवचनात्मयसर्जनस्पतितबगोलियों 280
विशेषगीताभ्याप्रातिपदिकविशष्यनेतिनदंतविधिरित्याहीउपसर्जन मितिबीयत्ययीनमिति त्यधिकारोनयवाचतामन्यधीशतनातिलमारित्यादीनातिव्याप्रिनितिभावायत मानवी पत्यपान MANUALININDM
REMES स्पायसजनवायगीतस्पातथात्वनाव्यानेगरियतिरित्यत्रातिव्यमितन्नेनिनव्याहातच्चियाचित्रमा त्यत्रमाशदस्यव्यय शिवद्रावागीकारेतन्याहौरीतिरित्यत्रलिंगविशिष्ट्रपरिभाषयाव्यपदेशि वद्भावनचस्वव्यायानेष्यतिव्याडवीरत्वाननिन्वेवं गोपुत्रपादावनिव्या वायदेशेवगावो राम प्रातियदिकेनेनिभाष्योनसमाधानंनुकभिःसजरित्पसिध्यारुत्वविधौनोठिवादमात्रमित्युक्त्वांशएव श्८०
वा
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नीयः
स
राजकुमारीपुत्रश्न्यादावपीति चेनानाज्यसर्जनयदार्थस्य सबंधिकतया यस्यप्रातिपदिकस्पदस्ववि विधिस्तदथं प्रतिउत्तर पदभूतयोगािखियोरुय सर्जनलए वर्तत्युकृत्य गी कारा दिनिभा व्योक्तेः लनदि तेत्यतः समासपद्मवतन मिति तदाशयः। त्रप्रत्यये चान्यसर्जनेने निनदादिनियमप्रतिषेधात्तर यदस्य स्त्रीप्रत्ययीनत्वादि निराजकु मारिरित्यादौन दोषः । यत्र स्त्रीप्रत्ययीतस्यायसीनत्वात चतदादिनियमसत्वाङ्गा व्यमनु य पत्रमित्यांश का निकोशा विरित्पादावतिव्याप्तिवारणाथील ड्याविति स्वाहाग्रहरणा तक चिह्नमर्जी ने पितदादि नियमाभावइति ज्ञापनान्न दोष त केयूरः समादधौ। तन्न पस्मिन्न समुदाय यस्य स्त्रीप्रत्यया यौन स्पस्वार्थमा प्राधान्यत तदादिि यमाने तिखा प्रत्यये चेत्यस्य व्याख्यानात दिनियमनिषेधस्प राजकुमीत्यस्यातिना ३ समासइनिनकिचिद्वाधक कि चदीर्घयहां ज्ञापकमिति न हि नित्वमभिमतमुत त्वमात्री नाद्यः। या सत्य सिद्धेश नीन्मादी ग्रहास्यज्ञाय के न्वायोगात् एतेन यस निस्तत्रयवय
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कादिउ
सिर. खरायो निरस्तः नन्वेवमपिसमा मात्राये सत्वेन स्वत्वस्य तरंगत्वान्नकृत्तरपदसमास विशेषाये। कर्य बाधिला बऊ मारीक स्वःस्यादितिचेन्ना समासाना इत्यत्र त्यान यह रोनानरेगेभ्यः समासा ता नोबलवत्वंज्ञाय्यतइतिड्या नियदितिस्स न नायासमा सु पदेनप्रक्रियावाका स्वाप्यते तेनात रंगतर समाहितात तितत्रैवस्त कान तत्समाधानीत रमनन्यूल चर्म केनीत्व विरहोपीति वाच्या समासस्योत्त स्पवासमासानइति भाष्यारूय सह वेबकुमारिकइत्यय्पायनैः तस्मात्पत इक धान स्पेवांगी कार्यवाह में केप साध्वेवेत्या स्तौ तावताविभक्तीन्या देरिति ज्यतेऽनयायातिपदिकार्थ तिव्युत्पन्या विभक्तिरिह कार कशक्तिविभादिसमानाधिकर गोवचनः कर्म साधनःप्रत्येकंस बध्यते ।कारकशक्ता वुच्यमानायां यदव्ययं वर्तते विपाद्योतकं पदव्ययमिनियावन्तदेतदाहा राम भितपतिमस्ते इति । वत्यमा शारीत्या एवं त्यस्पा नित्यत्वादव्ययं विमत्यादिच २०१
भर
२०१ 281
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सन्यासमासविधावधितान्यर्यवायातजनाकडारादित्यत्रविभाषादिक्रसमासश्त्यादिलिंगाया मितिलब्धयुमन्याहासंतासमावेशाथूनियाकसमाससंज्ञसमतीतलभनाश्त्यर्थत्याशय नाहसइतित्राभिहितेयातिघानितयीत्यर्थशवचनसामथ्यतितिनियाताना घोतकत्वोहापादिम धाएतेनघनतर्वनेनसमासनव्यवस्खवथघोनकायचस्यूविभक्तीत्पननसमासविधानादि पर्थशनि निरनीवाचकासनिधानेधोनवत्वायफ्नायतपथमाननघयनिनवार्यसमासइनियरिशि ठादाबुलानात्राधेसनम्पयंघोनकवानुपपनेावाचकत्वाभिप्रायेमाननासंगनमिनिचेन्नापान यदिकार्थमात्रैप्रथमायाएवन्याय्यत्वेनपश्यतेत्यस्यास बुद्धत्वातायनरतौस्त्रीधाधतत्यनिधि रहीयवहरावधिनत्यनित्राचानिनाथलेशमध्यवोधयननस्पविग्रहवायोगाशनम् वनितासमासत्वेनायमस्वपदवियरत्यायनिरसायदपिहरौप्राधनिस्विनिप्रदर्शनीयन समासप्रतिभूतवाक्यातर्रदर्शयतात्यवनारिनानभयमय्यसनालुम्विषये सधेईलमत्वे
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सि..मनहरियधिइत्यापैवनमहानिन्वानापन्नहरदनालन्पस्यकथावत्यकथाकनवकथेन्यथासा
वीधधिप्रवननावीधीनिचप्रक्रियावानउपयोगाहीनन्यसमासत्वादित्याहानन्नाप्रक्रिया वाकोलौकिकस्याशीनरस्यप्रवेशायोगानावरूतस्तध्याराहात्यकथाऽधिपक्रयाबाब प्रतिवनवावलौकिकमेवेतिदिकारहघास्यायरिघटस्पपरश्त्यवनसमासादि देशका गर लवाचितवनविभपर्थमात्रवाचित्वाभावाताअनारददतात्यवनाविभत्यर्थघौनकातिरित्पनी चामाययाशिष्टप्राधिकरदाश्त्यवरत्रितत्वाविभक्तियदमपितत्रैवयर्यवसन्त्रमितिकौस्तभन क्रीतन्नामुनित्रयानुक्तालयासकोचेमानाभावावायदपिअधिकरगोइत्येववक्तव्येविभक्तिय हीमात्रालाघवायेतियातिीनिराशयीती तदायिनाडिसमीयेनिन्यासस्यततीपिलघुता रवेनामयोजकत्वानाने नवकमतमात्र धानकतायामिनिनारदमिनिसमासोमवेदेवेनिदि राम काबराहनादिनारक्षितयथावरोधादेवमुतावस्क राहरसमीपयोरितिकाशोन्सामी १८५
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व्यत्ययीभावोडासअर्थनिरपंचमीविधेसाफल्यानासमयालंकामित्यत्रायेवास मूययस्पसमीयमध्यरूयार्थव्यवाचकत्वातं द्वितीयापंचम्पारितिसमयायाम अमंध्या दिप्रक्रियावाययदितमासस्यातर्हिखयोधान्वितितस्यलुकियुनरुपयदविभक्तीने नस्पनिासप्रस्तत्वात किंत्विकरचेनमुत्सर्गाकरिष्पन तिसर्वविभक्तीनामकवचना निस्फरितित्तथाविधानव्यथामनिभावायत्रस्थयामसमयत्यादीसातत्वतन्त्साकल्पात
विधिसामर्थ्य नास्तीनिधम्यादा कानन्नानिपसमासविषपीभतपदानांविशे घसान्तयानविनसचिशषशानातिनातानघचस्यानित्पसमासविषयचात् अन्यथा महतभेस्पापित्यारिस्पादिनिभावकाचतवचनयहरान्सामीप्यमात्रघातकाव्ययस्थायी भावासमीपिप्रधान्येदयदशाश्त्पादीववाहानिरादानश्यामसमयाराहनादिन्यानवसमा विप्राधान्यानदोषइत्याप्रत्ययइनिस्पिष्टार्थ मेनना भावनहलाताअोमानका
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सिरख
283
वर्तमानकालःसनिधिध्याइनिपसारततो-कर-तत्राधिकरणशान्तप्रधानस्यकिययैवान्बयास्यिनन न्चमायो३ देनसंसगीमावाविवतिनोनयन्योन्वाभावाघय्यटोनेन्यत्रातिप्रसंगादिनिभाकासंपनिनेनिड्दानी मित्यर्थकस्यसंपतीन्यस्यायुनिक्रियानवितानसमा सनिषेधोयिक्रियायाएवेनियाचष्टानयु मतइंगियसप्रतिसप्रत्यभावइत्यर्थः अनेनोयभोग्यवस्तनोयोगाइदानीधीनामापत्र कालनिषेधस्यसवतंत्रविद्धवादयतीतश्वायत्पर्थ मितिनीवासातभावान्नादिवचनाप्रतिश क्षस्येतिएतच्चयसादकतोनीयध्यामस्पतमित्यत्राहितीयाविधानसावकाशमिनिकैच नत्रा निन्यसमर्सिसविशेषरा नामिनिनवनतइसका खानाहरदनअधमर्थयतीन्यत्रप्रतिः नित्यसमासस्यन्याय्यत्वेताश्वाक्यस्यैवानपयनीयवाधमप्रतातिभाध्यप्रयोगात्साध्वितिनह नित्यसमायणायचान्सबधशषधानकानवासायानस्यादिवचनेनेवघोतितत्वादियाहांतता यिनामलाकरीत्यवभाध्याययनौज्ञायकवानुययनास्पदिततायथार्थ यदव्यर्यतत्समस्पन निशा राम खस्या नरेसावकाशन्वाहीसायामनुलतोश्त्पत्रास्मडक्तरीत्यानिवकाशनकर्मप्रवंचनायसैज्ञा २८३
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विधानेनसमास बाधोडुर्वारः। किंचवीसाधन कपनछद्दाभ्यां तियाना भ्याय हसन इत्तमिन्यूत्र समासे विधा यशा खेलना थी पिचलतव्यमित्यत्र न व्याक्तरीत्याज्ञेष्टत्तंप्रति सिंचनीत्यत्र यत्व निवर्तकतयाकर्म प्रवचनीयसंज्ञापिसाबकाशवेति वाक्यद प्रवेनिलम संगतमिति चेत प्रसादये थे यत्त्वयु रुभिषण दुतद्वारार्थमात्रै मूल हस्त नियत्यर्थमित्यस्य साधुते निचेाय पथ शनिवेशादिति माध्ये प्रयोगादेवास्मन्मना न व्यूमन कार्य काल द्वितीयाविद्याकर्म यवचनीयसंज्ञा यस्थितिर्निरवकाशे निबोध्यवासाया प्रतिशविषयक समासो विनिश्वकाश इनिचेतप तां नरेतु भाय्य प्रयोगाद्दाका साविति तत्व भिन्यासा नावात्रेायुगपदिति वत्र समासे नभाव्यमिनिचेत्सन्पा चाल्याच तरस्पवृद्धिशदस्य वनियाना कर दियक विदप्रतिज्ञायनान्त्रदोष प्रतिभावः॥ गुणास नेयानिवचनग्रहणाद्यथाथ प्राधान्य एवसमा सप्रने तयापयामीनहरण मितिभावः। प्रतइति। इदानीमतावानध्येतव्यइतिया वनोग्रंथ स्वपरिग्रहः कृतस्तदय से वह समाद्रिविवक्षितानचा सकलैय्य
त्य
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भार सिरसअपनेभवतीतिसाकल्यानटपण्यादानासानातिअमियतियादकर्यथेग्निशोवतासवरती
यातासमस्यतानचैवमनिनासहेलिययोगानायनि अंतत्वविक्तायोसमासस्यनित्यत्वेथिसाहित्य
मात्र विवज्ञायानड्ययनेमप्रतएवाशियथर्यतामित्यस्वयददियरहोदधिनित्रेदमवधेयधिचनयहर 284
याचित्यप्रयोजनासादृश्यहरोनिवनदर्थज्ञापनानायत्तयोगविगावचन्योतेनायदिशमिनिसिद्ध प्रथमयोगविभागस्वनर्थकतिकोभक्तातनागोरखादिनिदिदायथाअसेदेहार्थसादृश्पयत्य
त्येववतव्येवियरीनाच्चारमननपषघातथिमितिव्याचेष्टासानपाडतियाहरिरितिभनया रेवसमासःमानायावकिमितिायावदिययंसमस्यतेविग्रहस्तताहतानास्वपदविग्रहाकथमिनि नाशकाअवधारणादायावद्दततावानीप्रनिनाअव्ययनिस्तयेयनामबगडगामतिध्वनय दाहरनिशाकमनीतिविभाषायपरिबाहरिनियोगविभज्यव्याचष्टाविभापतिाइन प्राचीसमासानादि राम घभादिसंज्ञानामिववायहराभावान्यायांसहेनियन्वलिंगेनायिट्यनिएतादेनिनिर्वसम्मपन्यापनि १८४
व्य
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विर
स४ ज्यस्याताश्ष्टायनीजवरदसत्रेवभूनामस्तपूर्वइतिवृत्तमलोचवितोनेतिशंकानिरस्यानि
समयविनिाअतएवसिनित्यसमासयोरितिवानिकानन्यग्रहसनिनाथ इदमयिसिदभवतिनवाप्यार श्वोवाय्यश्वशनभायसंगछतेकैपटोपिसमयेतिसमासाननसंज्ञायामिनातस्यनित्यत्वादिति व्यावशन्तन किमानमताहाअव्ययमितीमिानवाचमासविधायकत्येव्याख्यानेशरंग। नवउपमेयवसिद्ध अव्ययमित्यादीनांसमासविधावधिनात्यपीअन्यथाव्यथमितिभावा अन्योलमा व्याख्यानान्समासविधानान्यमिनन्पमानाविभाषायहराामेवनत्रमानमित्याइनयोविभाधायहर रानाव्ययीभावसज्ञाविकल्पाअल्पविषयलायतशक्विविशिष्टावधियरिगहीतसमाससंज्ञायाव तन्सनियागशिष्टाव्ययीभावादिसंज्ञानरासाविकमाथिकातथाचत प्राचीनसम्मयत्पकमैवसमा सविधायकंपदिस्पान हितस्यैवानेनन्यापसिइनित्यत्वज्ञापनीय त नाशाकलवा. निकस्थमाव्यसायोगविभागस्पेशसिध्यर्थ वनवमपिविभाषायहरोनीययुज्यतरत्याशकात याचा तस्मपान्दिकत्वनिम्पादोषामयपरिहतीपाश्रित्याशिलामति तवसमाप्तमाश्रित्यताविरोषप्रावविधाय
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285
सिरल सवारासमासविधायकवंज्ञाययनानिमनसिलत्याहाव्ययमित्यादीतिविधानविधायंकाइत्यादियन्स २८ मासविधायकनस्मानायकाला कामत्यानाक्याहनिन्यसमासत्वमिनिनन्केवामित्याशंक्योहापाचाना
नामिनिअव्यपविभकीत्यादीनामिन्य थान निवामेतद्दमहसलामा कुनइत्याशक्याहाएनन्ता मदेिवेतिविभाषायहरासामथादेवन्ययानन्वेनहायनेयीसत्यवसिइत्यादित्याशंक्या विप हास्यचितिहेतुस्नायरिबोध्यायवाचरमजायकादितियदमत्रै वहेवनयोन्यायालेकमोदीर्थ
मस्पबलीयस्वादिनिदिका प्रयाशयचम्पयाडित्यययोरयोगे रजरपदोदित्यनुनावत्यतयोगपंचमी ५ विहितैकेतिपचमाग्रहराबाहाशब्यागयचमाज्ञायनाथ त्रासतीनिश्राचभूगोलकामतिकिरा
लायोगलयामादिकासमासमुथेचप्रयागयोगातालतगोत्रभिप्रन्योरभिरभागेबक्षसोन्याम निकर्मप्रवचनीयसजायाद्वितीयानोचलत्पलतराभाघोनयनावाभिमुख्यमयिघोनयन इनिहरद राम
नादयाललोनाकोकाशीप्रनिगत काशीनागनस्तामेवयतिनिनइत्यधीकाशीहिकमनव श्च्य
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भ्यामग्निशब्द
श्री
लसुरा। अभिप्रती किं । येनात्रिः मेनगतः। येनयथाऽग्निर्गनस्तेनगनइनिप्रत्याऽग्निर्गमनस्यूलो। आभिमुखमप्यस्तीति नश हास्यसमासः स्यानाभिमुख्यकाम्पैकाः प्रत्येक गावा श्रभिनक् तिनस्वी कत्र्या सामिनिबऊ श्रीहिः । इहां को ग बोलागामाभिमुख्यं नास्ति तत्र हरदतः यत्स मयेति षष्ठीसमासोये। नच समयाशयो गद्वितीया का मितरित इत्यत्रसामीप्य वचन त्वनप्रे सिद्धस्यैक्ग्रहर प्रकृते वसामय्यवाचिन्यनुश समयाशः। प्रतएवातुर्यस्य समया वाची तितिकृताक्तमित्याहा देवक्तव्या टोसमोस स्तावई लमः । द्वितीयाया वीरत्वा लक्षशायी माना सागुरो तिनिषिद्धत्वाचा चाभिरभागइतिवदनुशब्वाचकस्पस् मयाशर स्थापय ततयुक्तानुका यीयेस याचन करणास्य मिन्नत्वेनानव्ययत्वे यित्वशबोधकत्वस नानीवनमा नयाय्य व्ययत्वा न्यायानान हिंग गाय दस्थतीर लगा स्त्रीत्वमयेति स मया शद्द स्पस्वरादिषु पाठात्सत्व वा चित्वेपव्ययस ज्ञाडुवार चाहीन वहा
५
या
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सस्सष्टीनियिविभतिश्रवयाप्रसंगाचानश्वस्त्रेयदितिसामान्यनसकंहितीयांनासमायाशष्टौंसामीय ।
वाचकरावेत्या शयनाहाययदार्थसमयेनिलितगोनयनुवर्ननइत्पाहालसभितेने निनाचने 266
पधाचनुर्वनामेतिाहितीयासमासांयतवनमनायवनस्यान्विनिषष्टीसमासइतिहरदोंनो कायंचयकिनस्पान्वितिकसभमनारमयोपवाव्यविमकीन्यवसिइविभावार्धसत्रमिनिनिकी सभादातत्सवमसंबद्धाकर्मपवयभाययुक्नेछिनीयायावीरवानानसामोसमयाला मास्वाध्यसनेस्यविधार्थत्वान्यायविभाषचपियशातरानद्दाराचानचायमथनःसामाणमा वघातकानूलालसराभावस्यानएवनस्पसमाधगत्तन्यर्थतिकीकभक्तागातीत वाचालतरोनिपतति ययीतानवेवमपिल सामावघातकार्वनाजीतिवाद्यालक्ष रोोस्पमित्यत्रमात्रपदाभासकोचमानाभावात्मवतवस्खत्वयथविरोधादाकरयंथविरोधासेबाम नियत्किंचिदेतारतस्मानरलहविवारकवाकालतसामनवनस्यसमीयगनइनागववीध्यमिक
वार
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निदिकाअन्चितिकिांकाशीसमयायन्समयाकिबलमनविघोनोलतोनक अनुवनममा निर्गत व्यवस्ममिनिवदत्रनित्यमव्ययीभावापस्याअनुरित्यनुवन्पीवर्येकटनीपानवेनावे परिमामयच्याचष्टेअननेनिलिततिपूर्वस्मादनाअनुगंगमितिबानदैधलन रगत्वंवधोनयतीतिहनायासमा विवायत्तेगंगोमनानगंगानिष्ठदैछलसवारसासाद
लतिदेवसमासार्थ धर्मधामगोरभेदविवही पासामानाधिकररायमनगंग वारसा उपन्या अयमानीयमेयभावेचार्यसमासश्य्यत इत्याजातदात्मानमललइत्यतिगंगादान
निनिनुलतगोनेयमुहनिमधेत्याशवपाहांगांगायान्विनि एन्नध्यतेनगंगापदेनसमामानिहर दनामनिनिरन्यास्तानावशतिरहुचिकारोऽवूधारमानेननमहलान्यासमोसायरमीत इत्यादौत्रायतीनियोतिगाबायस्मिन्कालनिविग्रहापारेमध्यादतत्वमिनिायव्ययीभावसमास डानशतवसमभ्यर्थसंभवतन्फतषचनात इहायाममावस्पद्योतकानुनलदारालस्यतिनाहनीयोनापिवैकल्पिकोसोसमासीभावः।
ग्रह
गादलुकाति
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सिरसन्पनानिामहाविमाषयापानिदैकाथाभावविक्शायानित्यमवयपाभावेप्रायोषष्टीसमा श्छ सुविध्याव्ययेतामनेउबाकास्यनित्यबाधेषसकेनयानिर्विकल्यनानियाचोन्सर्गीयता
दौयत्रविभाषयाविकल्पितीतवायूवानमने उसोनभवतीतिज्ञायनहारानसमाविशार्थना १87
यहयामित्यंचयत्रवाशदातरनास्तित्वोन्सगपिवादेनान पेबाध्यतइत्याशयेनाडापतषष्टीन त्यल्याइतिसतम्या भावाचनायर्यचपन मदाहरतियRNनाहापावा।
आधारगंगादित विधानहना। वनिमनोहरदनादपत्वपकराबडबावष्यमाभिमुख्यमेहरोनाव्यपाभावज्ञाया नादेना सहीअन्यथोपकारन्यादा बोन्सागिकाव्यंयार्थप्राधान्या भावनांनिप्रसंगाभोवारक निनेपजन्मनोदाहरतिाएकविंशनातिनभाइविशेषागीयायाचिनदीवाचि नामविशेषशाग्रहगस्विस्यसझानघोबहुवचननिर्देशनायहीदचकायोसभवान राम निमपंचनदं।सनगोदावरमितिसिंहगोदावश्विनघाश्चेनिक्षमागौनसमासानाचा २७
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दि
d
चान्संख्येन्यनुचव्यतइन्याहसंव्यतिपादेतरपुरस्ताद्यवादन्ययेनेदंगुर्वकालेकेन्यस्पर बाधकस्यानततश्चैकनंदोत्पत्रात्पर्याभावतानबंधनौस्पनदायोसीमास्पानिरचा प्रसंगास माहात्यरत्वाविवस्पादित्याशक्याहासमाहारेचेनिाएवकारार्थनकारासहानवग। मादितिायस्येन्योरयदातसमभिव्याहारशान्यपदार्थागम्पतएवानअन्यपदानवगमादि निनामीअतरवबडुबी हिननित्यतिभावासहायकिंशाधगंगोदेशाथहांसोधारासमासी नानाहाअायोसमासातशेतासमासस्यानरूपदस्य प्रक्रियावाक्चरमयंदस्पीनावयवान्समा सोनाईतियताप्रसंगामापाचतातनीयशरदभित्पन्नाव्ययीभावादित्यमसिज्ञापत्र जरायोडरग्रनिपरेनिच यंगारवाला यूमिनि विषयत्पावनविषयमा परवशिष्टयानोश्रव्ययीभावसे सायोज्पजीव्यवनचा वभागस्याय्यबयावानयामाह
नयथाअव्ययानाममात्रइत्येवाम कानेवाय
तशधााउपराजामानान
নয়ন
ति
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सिरस निचेत्सत्यामाध्यमुरगुरवस्वरोपचारे विश्वकार्येषयव्ययीभावस्पाययसंज्ञाविधानाबदोषः। २ नए वायशरदमिन्यूत्रयिलोयोनायधप्पाडुमनस्यामपिवेत्पादाचारगोनखावयवेनयो।
वीयर्थनास्तीनिज्ञापिनत्थाय्यष्टकोरवेतिलिंगान्समांसोतेनन्नाश्रीयंन शनिदिवानदीप शीयोगीमास्याय हायरायोध्यदिशानदीशवस्यैवयहरोनि सज्ञाया उपनदीतिरोभा नसकालाइ स्वःहितिमध्येहविकल्पकथनीवत तलनेहान्यतरस्यामित्यनुव
तो बङगतिस्त्रस्वभाध्यविरोधानातथाहिनदीविशेषाणगंगा यमुनादीनीयहणा माशंकाशरत्यभलिघुविधादशश्याठानिसमाहितीनचेदभाध्यनदीयौसीमासीत्यस्य
यातिकत्वेसंगछनोअतएवसनवयहसतरवार्थवतव्यवलितविभावामाश्रित्यू निकैय्यटन्समीयोचमाविमेकाप्रित्ययावन्याहोत्यहसारजाथामान राम,
अन्य तरस्यामित्यनरत्याविकल्पासिंद्धनिभावशतवैयाकरता सिद्धानरत्नाकर २८८
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व्ययीभावः ॥ श्रीगुरुभ्योनमा सौचक्रमप्रानं तत्पुरुष महानन्पुरु षइति प्रयो जनमिति । द्विगोस्तत्पुरुब्न्वेइनिशेषः॥पंचराज मिति समाहार द्विगौराजा हरिति टचस मासस्यै वातावयवइत्यकारो तोतरपदत्ताभावान्नखीत्वा ततु यचरा जीत्फ दाह सक्का चित्को यया । भाष्यविरोधादिति हरदत्तः तच न्याय सभे हैनरुपयस्यापिस म्यकूचे भाष्यविरो धोकैः साहस मात्र त्वा यनु यात्रा दित्व मेची कृपा करावी तन्नैनिदिका हिनी या या दोनो गतिविशेष वा चित्लाङ्गन्पर्धा कर्म केतिक हरितशन चत नियनिद रिडे निवार्तिके नसनी विकल्याघस्यु विभाषे निनिषेधः पतिते प्रसक्तः सर हैव नियान नाचे निको क्त भक्ताना दाव देते यात स्पपून गतौ वेत्यस्यापतितो पृपती तदाश्रयायोगात् यस्य वि भावैन्यन्त्र का च इत्यनुतेः सर्वसम्मतत्वात तादी नासंबोधने स्वबैतत्व संभवेय्यन्यत्रा पिस मास स्पेष्टत्वातरित समुदायेश्रितादयो भा
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नि सिमभावगएवंखवाक्षेपइन्पादियुसर्वत्रोद्यानचेवूकाष्ठश्रियानस्यानामधानखाप्रत्ययेनदादि
नियमाभाविधिकदाचिछिताशईदपिडकोऽवरिवारलतरााभावेनगनिकारकोयपदानामिनि खबत्यनेम्याक्समासेनतष्ठायीष्टसिद्धिरितिवाच्याजहत्वा यांश्रिताशदस्यानर्थकत्वेनायन्य योगासंभवांतोयानरेनखात्ययानप्रकृतिकसंवतार को विधानेनादापत्वातासमुदायावयव संनिधौसमुदायस्वकार्यपयोजकत्वारा न्यथासंदर्योत्रिरित्ययायते उत्तरार्थस्यायिसपे न्यस्यभरपापिसबंधसभवतत्यागायोगावॉयसापेक्षत्वनासामोदिनव्या समादधिरोनश्चिन्त्यम् मानिन्यसायेत्तत्वानायविगतिकारके त्यादेन यविषयगकर्ट करवानेत्यत्रेवहिनीयाश्रिनेन्स त्रकारकतहिशेषयोरन्यादानादिनिानदायनाहिनीयांशहस्येवतद्विशवायछापकस्यसत्वाता शिनाहिदैनवञ्चित्यस्माकमेवसमाधानसम्यागतिकवीतस्मालगायतेनकश्चिदोष न्यानातावानलकष्टकमेकमायरा कनहरूपासचबवाहिताखलभाति किमनेनेति राम.
मानिछानस्थरमपातप्रसगारासमासातः कश्चस्यारागमानिनिरिन्योगादिक एतेनयेनविधिरितिसूत्रेकर्षयरमश्रितहतियताकमायसवुयन्तमुदाहायमितिकैगरीन्तानरस्तम्
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स्वायंवनिरिति असतिसमासेकानिरितिस्पादितिभा
निस्सचभाविष्यतिगम्यादयइत्युक्तेभविष्यकालेअकेनोरिनिषष्ठीतियोदिनीयाविट्टाकटइतिहरू शायनाचावयवाभिनिवेष्टव्याजाल्मोऽसमीत्यकारीस्पादिन्यमापनालगाते मारिलिस्यादिनिभाकाकालानिनुकालाअत्यंतसयोगेन्येवास्तानतिनिरनाथायोमा ज्याशंक्याहाअनत्यनेनिमासप्रमिलाइदिमाझ्मानाबादिकमाणित कर्नशिप्रतियचंडेगानामा नयोगाटनायानरालप्रतिालात्रावाराटनायानयरामशतिछातदर्थेभाक्तगतकतन्वय गावाचकस्यार्थदाराविशेषारतीयानार्थकनोयोगशास्तचनेनेन्यर्थइन्याशयेनद्यांचष्टरिना येत्यादिनाअर्थशनचेनिसोयिस्वतंत्रनिमित्रमितिभावशिकलाखेडोनिखिोडभेदनामावध जामत्वथभत्तयागुतीयसजन व्यवचून खड्शकरशारतीयोनेनसमासः अव्यवधि इतिकर्मशिभाववाघनप्रयोजनमामलायावत्यर्थ इतिहरदनांतस्पतन्हनार्थवाभावांदयात्रेय हाविस्तनककलकरगहनेत्यवतत्रसिदत्वादर्थशदारूटएवहेलननीयासमासइनिबायोतन्त
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भ 3
सिक्ख निकिमिनिकर्तृकरणे कृनेनिसिमितिप्रचः। इन रोखणावचनेनचेत्तत्कृतेनैवेति नियमार्थं तदिति २८० मत्वाप्रत्युदाहरति । ति नागा का शान्त्वनं किंतु कियी निवेतिभाष्य स्वरसस्त खंडाद्योथि रुखाएवेति तत्रानरं गत्वात्करोति पालन मेवसमाश्रयनेनसंबंधान रेगो नि। दक्षिण छतपटु रित्यपि भवतिय दादा पर रितिविवज्ञान दासामर्थ्यान्नसमासस्तुथा चनत्कृतग्रह प्रन्या ख्यात गुणावचनेन किं । गोभिर्बयावान / वचनेति की छतेन इव्यमुक्तवान सूर
290
वचन बालकाडू ते कर्नरिल्युट् । सत्वे निविशते पैतीति लत्ति तो गुगृनप्रतिनि मित्र घटत्वाहिस्त कृत्त्वा भवादिनिदिका सा तएव लिंगा तो वापूर्वादिभियेगेटतीयास मसदृशाभ्यां तुल्यार्थी रिनियुत्वि हसदृशग्रह दिति
न कर्तव्या न चटनी पार्श्वपद कृतिस्वरार्थं तत्। षष्ठीसमासे पिसदृशा निरूपयोः सादृश्य राम इन्यनेन सिद्दत्वात् षल्याः सदृश इत्यादावलु समासार्थतत्रसदृशग्रहास्यावश्यकत्वानाच २६०
भावार
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विधासहशानिहेतरतीयासमासार्थमिहत्यमस्तिनिवाच्यासंबंधसामान्पवाचिषानेनतन्ततत्व नवासमासस्यसिंहलिकप्पटहरदन्ताययित्रकौस्तभमनोरमयो नव्यानन्नासहशानिरूपयो रितिसूत्रसभाध्यादर्शनमलकवातानेत्रहिनन्वप्रकारकबोधार्थदतीयासमासोय्यावश्पकरम कमिनिसत्मशाइलाचनीयमिनिहिडनातिविम्बेगसमाससिद्धविहार्थशहाभिधेयपरसा
नशनसबध्यतनान्यासममहर्शयाशिययादानादितिभावाप्रवरस्पेतिउनार्थत्येवसिद्ध वादिर्दसत्यजीनचावरशस्पिानार्थचमानाभावासनदशावसित्रमासारनव्यताकस्मादित्पादि ऋतिसत्रयोप्रसिद्धत्वाताकटकरगोबिडलगृहराादात्रशाल्लनवानपरशुनाधिनतानित्यजनसे मासायादहारकागलेचाणकरत्यवसमासोभवाताआघयंचम्पपूर्वयहद्वितीयसम्रपताउभ शशांतिवन्नरपदेवयदतोगनिमकनिखरस्यातसिस्टटेधलीयतनावहताअनंतरकी यत्रबाइल काकर्मणिराखलाकमाइतिाश्यंचगतिरननरश्त्युत्रान्तस्यहोनशा पिता तथा
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तरर सिर-ख. समुहतासमाइनमस्मभ्यासम्पतिव्यानिवारणार्थक्रियमाणमेवनाज्ञाययनातिभावातत्यलमाई। २-१ नरवाना ननिाइगनिरनरन्पनेननिरस्वोदाताचे प्रामतहाधनार्थकारकाईनऋनयोरेनाश माघतिस्तविभज्यते। कार कारायस्मात्परिकी नसबरयर्मतोदानस्पादिपनीदतित्वमेवाकनाक ए४ मिनिस्खयत्यधिकोनिनोतरपदसमास्य योदसत्वानि तेनानिप्रसंगइतिप्रमानरलिङतरल निकनहितानप्रतिकरसंवत्तेनियसंगनिराससफलमितिमत्वाहाकाष्ठरितिका पास्तानिंदिरचा
रोयिनार्थवचनमधकार्थवचनभित्याशपनाहानीतिकतारकरीचेनिापूर्वस्यैवप्रयंवोपनि निभावानाचे उदाहरतिकाकूयूनिाभिस्वेनेसतियां स्त्वेनानूदावात्रिंगम्यमेदिनाये उदाहरतावानोनिाइहाविविवत्तानकनिदेबोध्यमित्यगोकठिनविविकावयवखार्य भत्यायदंतस्याजेनस्पबभत्तयनेलवशनचायो तनिभानाअश्वासादपनिरन राम भाव्यतोक्तानन्वेप्रवानिविवामिभावएवेतिनियमीनिष्कलारंचनायस्वालापत्रबष्ठी २६१
भर
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समास पडुर्वारत्वाना नचचुरेविशेष चीनदर्शनपूर्वयदप्रतिस्वरस्यायिप्रकृतिवि कृतिभावर वेष्यमाणा चातु वे से बंधत्वनादयत्व कुन वैल तयन्त साफल्याशा चलिंग मृत देवभाष्यानमा घोणा मुनी या तदाशरथा यमैथिली त्यादिप्रयोगापविवज्ञा नैवनिवातएव यह शो के प्पटहरदत्ता दीनागाः प्रामादिकी न्यवोचामेति दि येन नित्ये तिसर्वलिं मात्रविधायकमेतत् । चतु पता यश योरन्यतरप्रयाग देवताद प्रतीत्यादयो युगयत्प्रयोगाप्रसंगेन नित्यत्व स्यार्थ सिद्धत्वात् पचमा भये तिस्वरूपग्रह नाथस्य । मानाभावा इयूभीनेनि वार्तिकाञ्च तेन कान्त्रा इत्यादीना कथं तहि स्वाधिकार मन्त्रः। भोगोपनः । त्वन्यः बन्पेन रइत्यादिप्रयोगायंच मी नियोग विभागमा नाभावादिति चेष्ट येत्यनेन तडपूतिगन्येन ।। है व निया ननाद पेश हा कर्म शिशा नतु बहुल्या थी दित्यनेना मंगला मंगलयारे वनस्पाप संख्या तत्वानामयं चम्पतमिति/काल्पत्ववोधकग्रह्णनिकपंच
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य३ मिर म्यनामिन्यूकिचिदेवपंचम्यनेनसर्वमिन्मथइन्पन्यानोकादिनिकरसोचतोकेतियंचमीउबर २ त्वयार्दनायगानरेगोति सवैयाकारहत्यत्रंन्यमेतदानराणमितिइहाद्दिशनम
मासंघसंगानमयषुष्टविधानाना श्रेष्ठांचाहजनरंमनुष्यम्याशदायानसामान्यधर्मेशाने 24म वामयस्मिताकयुयानेनिायुरुषेशतमातिनिर्धारशासनग्या संज्ञायामिनिसमासानिनव्या
दयाननुदानस्पनियत्वनवयदवियहासंगानवमयिननिहोरापस्यवै य असे शार्थवावाश्रतोदानवनिनियलकन्वनतदभावाचासतमीसमासेतन पुरुषेतल्पानिय वपदावनिवरनियूलभेदांकय्यरसूनिधीपनिर्धारगावधिनिधीहिनीसनियावे वनिषेधपहने नत्रदापनि हवनविभज्यनिरपानाचाप्रतिपदे पान दिनाधातुकारक विशेषगहीवाविधेयाषष्टानियदविधानाकर्ट कमरियावयापन्यास नोन्नयोगानगोस्वामीधनदायाद हथिवीश्वरम्यादावीयनिषेधायनियामाचरेत्यादिना २८
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विधीयमानसतम्याबाधप्रसक्तीचकोरेगषधम्पनुज्ञानाना निर्धारणइनिलिंगाचाशीविदर्थत्यादी नोसमासनिवन कृतायातल्लादस्पक्चनस्यार्थसिद्धयाहघोगाचेत्यव्यवसिद्धाकर्लकमगोरि न्यस्याश्र्वविध्यर्थत्वेननियमार्थत्वाभावातारणाअर्थशहस्पत्रिसबधाहीपणापरिनि। दा३ शरणार्थशा प्रत्ययएवम्वननभिना दिसल्यामागासक्ताकत्रिमकायसन्याया चायवारघभोदिवड्डरादीनापासज्ञकवाभावात्तन्मुंदमिनिनव्याशतनायननिरनस्पति मपदार्थवनसताब्वेपर्यंतधावनेवाजाभानानवेशाभिमानापानानस्तस्यान दौलोयचे या दयादवरणामिति निर्देशःप्रत्ययग्रहोमानमितिनदा नानिंगन स्वत्याग्रह द्वापर यथायिदायकोसाभा यतदथकामनायिहयास्पडवारनेयाप्रत्ययग्रहरामानाभावातानहिका न्यतसंयोगेचे त्यत्रबड़वचनानशात्कालवालिडाविन्यपग्रहरामितिसिद्धानकर्थनान्सबषष्ठाकितनाग
मपिळत्रिमत्व प्रसमातस्याव्यावतकल्याला विशिष्टयत्नोत्पन्नहलानमत्वम्। तस्यपूरशोउतिप Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri
सकतानी
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मा
सिर माददत्येकावरतनलाउं घुषष्ठ उछात्मकोवाषष्ट इनिव्याख्येयमितिनन्यानवाघेशोंडादिया
दासतार्यमिनिवासस्पेनिवानाधामानाभावातानदिनायविपदवियहायोगातानत्तीय
निवेधवैपथ्यीतानन्सुरुषत्वाभावेनस्वरेविशेषाभावातावकारलतायमनीतिचत्रानिडी 240
ररासीमावेनदभावानराकारसंप्रमविपरस्परमसामथ्रीसमासएवनस्यानाउनरपदलापये हालस्वरेविशेषाभावेविबोधलतापमादायक चन्संभवनायदिसहशयहाव्यर्थ मिनिन
यानविसबंधत्वपूकारकंबोधवैनत्तरोपमादायनिषेधसाफल्यकथनमपितथैवमुक्तीय विश्रोनिस्पनेनेनाधिकायानि अर्यतभागार्थकान्प्रत्ययानइत्याजाननाउभयत्राधिकारणले तल्यवातादिनीयस्ती येत्यत्रान्प्रत्यूयोतेनायिभाष्यनिषेधस्योगीकृतत्वाताअतएव भिताई तीपमित्यत्रान्तरस्याग्रहासामोषष्ठीसमास तिन सदनिकायथएनेनसरगाशहास्य राम स्वरितचे व्या निरिनिकोकभोकनिरस्तमिनिदिकोशाशताव्यानिन्यायान्केवलगुणावाचाय २२
.
. 1
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सोपसर्जनश्यवाचीचयराशनराशनादेडालाअर्थग्रहतानानापिसंख्याकोशशनयो जनशनयोरिनिवार्निकनिशानानापिपेस्पगुणास्यभावाहित्यूवशवपतिनिमित्रंधमाख्याख्या नानाराजपुरुषइत्यादि योदाहरगाहाकिंतसत्वेनिविशत्यती मिलतगालतितानदेदमि नियदाशुल्लातिविशेषासमयकंतदासायतिन्वेनासामथ्यानेनिभाव अस्यनिषेधस्पपनि प्रसवातदेव गौत्समासोवनपइतिवार्तिकायस्पयशिसामानाधिकररापवास्तिनिवेय धिकररायमेव सतरायशाप्रतियादकायथाचंदनगंधोघररूपमिन्यादीचंरनगंधल्पाघ प्रयोगानापिनष्टिगंधानित्यवगंभशवम्लन्यएवजानिक्चनः नचैवबलाकया शोतवमित्या निप्रसंगायतिवचनाउत्पन्नयनालयशास्पवाभिधानातहाचकयदानाशीसामानाधिक रायसत्वारायाधान्यनामाचा पनवाजमानपादकसत्वसनियताप्रनियोदकानमा सावाचिवमयस्यादेननासंज्ञाप्रमागासज्ञायामामारायमित्युभयथाप्रयोगामज्ञानी
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सिरस मारापमित्यादिनस्यादित्याशक्पाहायनित्योयमिनिपलानामिनिकररात्वस्पशेषत्वेनविक्ता २ योषष्ठीस्विरैविशेषनालन्युरुषवल्यानिबाधिचायाथोदिसतांनादानप्रानतदयवों
देनरतीयाकर्मशीन्पनेनस्वैपदप्रलनिस्वरेताकिदानवातादिनस्पकुवानतिदिजसवयोद नादिकमित्पशायदोदनादिप्रकरणादिनाज्ञातनदेदमुदाहरगानंदज्ञानचोरस्यहियन्निन्यादा हायोसाहिकारकवादिषशनुवतिनलोकेतिनिषेधस्ययातिकवाताशेषवशवाउभयया व्यसामथ्र्य नास्पवालागास्यविनितदर्थतन्वयधातादीस्यसबंधत्वेनविवतायो। इहायितपस्योदतोसवत्सानामांकनौरिपदाहायानी उनकखनारसनिषेधडन्तको रकषष्ठाकरेनिसामर्थसत्वारालदययमेवैलिनिकमन्ययदार्थत्यत्र सर्वयादि दिभाष्यप्रयोगादिनिभा वास्तस्थायरीत्यप्पदाहरणामिनिहरदनकयटाकतभाष्याबूत राम इन्चाइये सारयादानायक रीनादियांकिकनेइत्यादिशश्नाचोस्वकर्तव्यमिनिकन्टघ २४
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त्यादिनभावः अत्रदमवध
बष्टीसमासास्वरेविशेषातिहमरयदपवतिस्वरेगा बानिस्तानस्वरितांतव्येननुसमा
विधवाप्रयानवप्राचीमतेकारकवायरवनशेष ध्या स्विरीविशेषाभावेनरचनग्रंथासंगनः अस्मन्मनेत्वविशेषगौवशिषषधांमयिकारक वमस्तीतिसिद्धीतितत्वादितिनित्तकस्यतिायनविशेषणसमासस्पादेवातत्रसतिश्र्वनिपातानि यमाषष्ठीसमासेतुपूर्वनियाननियमा स्पादितिसनिषिदाइनिकैय्यटनोनयच्चवनिलंदा दिभितिन्नाविनिगमकाभावेनषष्टीसमासेपनियमस्पडवीरचारायंसजनसंज्ञायाअंन्त यजयोतक मित्योसोरितिषववारसायसमानाधिकरता मुसमर्थनवतीनिवंचतमा श्रीवस्याफभयत्रतल्पत्वाञ्चेन्याशयेनोहाविशेषांसमास स्वितिअत्रेतलासा कीलक, (षत्वोदाहरगोडसविध्यायनेयाष्ट्रीयने तिनचाराय्यसामर्थ्य अधावभिहितमिनितस्पसाप वाहत्वानाधान्ततर प्रत्ययाधालयदेनलक्ष्यनेनेनयंत्रकर्टकमशोभिधानंतंत्रसामर्थ्यंमत्येवेति
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सिरुख नर्थः । तथाचवीरपुरुषादावप्य साम
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प्रसक्तेन वावचनप्रामाण्या दिल्पनेन पूर्वकाले केन्यादीनी समानाधिकर शाधिकार स्थाना मारंभ सामर्थ्यान्समानाधिकर णामसमय वदितितत्र नम्रवर्तनेइनिसिद्धांतिनं सम स्त्रभाष्ये। वीरः पचनित्यादावसामर्थ्यीभावा 295 सावकाशानां स्यादित्याशया इतिभाष्याशयइति के प्यारे व्याख्यानथा चतस्य सर्यस्पदाः पाटलिपुत्रकस्य त्यादी विशेषशा समा सो भवन्येवेति स्यष्ट नचा रूप मारो कप्पर हर हत्तम तरीत्या विशेषशा समासैनिष्यतइति वाच्या तथायान्यत्रनस्पड वारला षष्ठीसमासक्तचे युधिकसप राजपुरुषइत्या काशवेननकस्येत्यादावप्रसक्तव तिसमानाधिकरन ने न्यस्य स्तुतरामा सक्तिः स्यादा हरगांव सविषः पीयमानस्यजुषः क्रिय माया स्ये निभाया मेवाच्यत्र हिवी रूप चन्नित्यादिवद्विशेषणा सभा सानिष्यत इत्येवंनिकर्षमन राम सिनिधाया हा विशेष शाम मा सस्तितिम्मलौदा हररी तुप्राचीन ग्रंथानुसारशायो ज्यानव्यहरदनाक २५
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तिस्तुभाष्यनिष्का "दोधमालिकेत्यास्तानावरागोनोरितिाएतदपिप्राचामनुरोधेनोनालेनचाबोपलतारजा ग्रहगव्याख्यानादित्याहामनिवदीतिराज्ञामितिलस्यवर्तमानप्रतिकतरिषशामलइनितिन ऋमित्पधिकारख्यातानइत्यनेनन्तकालस्यवर्तमानकालोनबाधकरतिसामान्यतोतापनादिनिभा तर काहसदें साविशेषायेलनहायजितोय:
स्वारित्ययययोगात्वयात्तातोमयाज्ञान इतित सम्यगेवेन्याहाकारकषयाएवार्यसमासनिषेधोनशेषयट्याइन्यन्येनिनकलहंसराममहिमान सिंहाधिकरावाचियहरोचिपप्रयोजनामतिहरनादयात्राधिकरणावा चिनश्चेतियाविधाव प्येवामनिनव्यागनान्याअधिकरावाचूकतानयोगेसपेव तनिषेधार्थवानोंअन्यथाक्रोध वयोचधी येतिस्त्रीयानधालयलगार्थमिहाधिकरगाग्रहास्यानानवेशपनिभावन प्रत्यया शेषषधाचवासितमित्यापनापन्नात्रैरासित मितपत्रकनरिछावारशातादनिकारकएवोकन्दा चाकमगिरीचालयोसनिहिनिकोनेहानुवर्ननाजायोनिषधवै मोनाकिनुषधासापि पाका
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सिरुन चिन्नयनाअयासत्यादावस्यनेनेवसिदौटजकाभ्यामित्कनरसत्रवैयर्थ्यानाअपिननियानाना २६६ मनेकार्थवादित्यथैर्यच समस्येकवचनानेकर्ममातियदमुबाविहिनापरिशेधितावायासैवेत्याश 246 येनाहाउभयनिरिकाम्यायनुवष्टविशीकर्तरानियहरोन्तितरार्थतियोगेकरिषमात्र
सभवादिलनिकताक्रीननावट जतिशेषशात्वसंभवतयागादिन्याशयवान्च्याचष्टकर्नर्थ रजकेतिइन्चमालिकेनियूपीयादिछुभावरावचाकर्मविषयान्समासानन वनस्पभनेत्यदाहरराम सुक्कंभ शङ्कास्पोजकादिवानसमासावश्यभावादित्याशेक्याहायपतिरूम्स्यवनच्या निभा वाशयषगतिान
इन्यादानन शेषषष्ठीसमासैननिर्देशोषयनानेहटनितिीनचोतरार्थवशंक्वान्दचक्रोडजिविकयोनीस्तीतिजया, रामू, दिपनीकत्वातावामनकाजीविकार्यश्पवाकरतिकिा रमशीयकतिप्रत्यदाहरनजीविकायो २६६
FUSIIG 41615CG
शेषषष्ठीसमासेनानदेशाधयनानिक तत्ययोज वाहनधनाला यह सोननलीकातनधयीभी
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रचमिछतिापूर्वापराअवयबेरूटएकदेशशबसस्मादेकगोमवदितिठनंबाधित्वातएवनिर्देशादिनि नचनकर्मधारयान्मन्वय यइतिानषेधशेक्याकस्मसचा नित्यत्रेवरूठेवतदयनाएकशि वचकदेशवायत्त्याभवानीतसर्यकाश्वसनिहितवादादयस्वैपाहावादयानिाएकाधक सामेकडव्यतचयधिकररापेनकुदेशनाविशेषामेवेशितफलिनमाहा एकत्वेत्यादिनानिनि दंव्यर्थपूर्वकायइत्यादीनीकर्मधारयौवसिहभनयाकायशवस्यावयवनिन्वेनसामानाधिकरराया ययनरत्याशवपाहापडासमतिकापरवइत्यानिनियमिदभितिभावाकायस्पतितिस्परम नि निर्देशनावयववाधिदिकछयोगपंचमीना श्वामागासकापत्यसबबन्यथा नामारातादग्योगपंचमीनंदयेलयापूर्वशक्षस्पावयववावित्वा
मिागासकायस्पस बंधान्यानामावतानफलवानषष्यभनीतिभावापूर्वनाभेरितिाना भावानातवपूर्वभागस्यूनाभिर्वधिर्नकदेशनातिनाभ्यासमासप्रसंगाकायनल स्यादेवश्र्वकायो नामरिनिर्वशदस्यनिन्यसायतत्वारा छात्रावामितिानासोनिद्धाराषष्ठीर्किटसमुदायसमुदा
व४
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247
एनीतिसवन्मतम३ सिस्वपिसंबंधावद्भतावयवभेदसमदायविवहायाबावचनांनतश्चनेषामेकृदेशिन्वय्यकल वैशिष्टा २७ भावान्नसमा सर्वशतिश्वविभिनातापकादितिअन्पथास्पसापरवचनस्यादिनिभावामया
शतावहःसववशत्पनेनसमासानाचा त्यहादेशानवैतडभयध्वकायादिकंक मधारयासिध्यमिानस्यैव शंसमासप्रेयुक्तन्वाताज्ञापकसिइस्यासार्वत्रिकन्वादुिनमध्यरत्यादि सिद्धाअखंडवाच्यईशवविलिगयामाहानगराईशनियथासमोशवाचीनुनित्पनीसकसवेहो रातोश्रमितिनिशादेवनयसकलिलयननयसकयाहगादिन्याशयेनव्याचंटेनियलीबति सरनिनित्यनपसकलिगत्पधापावादनिाएकवावशिएकदेशिनासमस्यतइत्पनन्वाण लीन्यत्रगाखियारितिस्वस्पादित्याशक्यसमाधनाअषयततितियाचयस नसज्ञाभावान्छा न्यायाश्रयाचनदोघानभावायचखातावाबताखयामातस्त्रावीएनदेवमायादाहरगामघर त्यस्पसकोचलिगमितिभावायिय्यलीनामिनिासनिसमासेईपिपलीत्येवस्थान्तविशेष्येक्यान्य छ
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ललिगमितिलिंगातिदेशेपिवचनानिदेशाभावाञ्चारंखुड्स मुचयेअर्द्धपियलीशवस्पेकशेषऽयिय ल्यारेनिभवानीएकदेशिनाकि नई शोश्चैत्रस्यारहवैवस्वमानवेकदेशाश्वत्रस्यनिलभ वत्पेवापशोरई वैवस्वामिमित्यर्थशापिय्यलाशवस्यैतदेकदेशलगायासमानाधिकरण समासेई पिय्मलीत्यादिसिमितीदं स्वपरवलिंगमित्रभाष्यततोपन्याख्यानासमप्रतिभा शिषष्ठीसमासोयीध्यनए वतिनतान्तस्याभदायामाईमश्याईमिनिभाष्यप्रयोगारितिहिवार नीयतामासमासायवादोपोगनिर्मिहोतं तन्नेनिनुनयन्नाहा निवेधबाधित्वातानव्यास्त यवानगमित्यवीयरेनित्रिस्रवीभाष्येप्रत्याख्यानानन्मनभित्ताहनीयादिसिध्यर्थहरगोनने ४ तिनिधस्यानित्यत्वमाश्रयीय संज्ञापमांगवादित्यस्पसामान्यायेतुन्वादित्यानाहरदस्तस्त त्रप्रत्पाव्यातपूकारमहामनाच्यताअनेनेवखल्व पतरस्याग्रहौवष्टीसमासत्राप्यतोकथा प्रमयस्मिन्यागेभविष्यनीतिवहस्तयन्पाटयाननागीकरातिविरूतस्तयिषामायनेनियत्या
न२
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ख्या२
सिरख ख्यातंयश्व लिंग है कदेशिनोरिति सूत्रितांत दय्यैकदेशिग्रह प्रत्याख्यानं एक देशि समासे १८८ नारभ्यतइति हाकइत्यका रात्रीका हाइ मिन दासमाना
298
चित्रय माविमात्तमे वा नचैवमहः सर्वे कूदे शेति समासान स्या यासंभवः रात्रिंशदेननश तनएवैकदेशिस पनात त्वविधानान्नविशेष्यनिघ्रता पतिः। यदातु मया स्वावयवैरात्रिशोक्न मासेश्वरात्रि र रात्रिरित्ययिभवतिविशेषा। सामपी है। या विशेषण विशेष्यभावेपि समास प्रवृत्तेः एक्चैकविभक्ता मा एक विभक्ति पागा लिया रित्यन्त्राप्रधानमुपसर्जन मिन्याश्रयुग त्रयथा। नचह ब्राह्मणीति भाष्योदाहरणात्कनिमन्याय बधेपि दाशति के नाम नाभावा हल्या दि दीर्घग्रह राशन चकुमारी वाचरनकुमारी ब्राह्मणइत्यत्र स्वायति। गोक राम ल भन्पादावतिव्यानि बारकोन विनायै वदाष वारशामायाइनिक्वन इपप्रामा राणा दिनिभावः २८०
यत्रो भयोपादान वचनमित्यपि सीनादित्य
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कान
प्रानजीविकरनिगोलियोरिन्फयसर्जनस्वानचेदंबाबीहिसागताधीस्वरेविशेषात्यानमख इत्यादौनिष्टांतस्पनातिकालखखादिभ्याइनियरनियातायतश्चाभाथ्यूअनुक्तसमुच्चयायचकारान्य बमकारप्रनषाहतस्तन सौत्रत्वातावरयंकल्पस्यादितिवनयन्ताहादिनीययाइतीनिार्कलाब हुवचन निर्देशात्सामयाहाकालविशेषवाचकाएंवगानीकालोजानस्येत्यत्रधारछदान मानरायश्मिापरिछरकाकोठीकरांचविवत्तायोल्फहातहानपरिछात्रर्थनका संभवानदा यः५ चीलपतहतियांचष्टापरिछपवाचिनेनिाकालाइनियरिछेदकवचनाइत्यस्यादेननाजानस्पदिदि विनम्याहिकपरिछेदकैनिकालाबाघलयासबंधरुपनन्नक्रियायामासेनसबंधाभावादितिचेता उचने प्रश्नत्तरास्पजननस्पचानरालभाविनामासेनजनस्पपरिछदामहाराजानस्यायीतियरपर। पायरिदकत्वसभवानप्नानस्पतिषिष्ठासमायवादीयमिनिभावायछायोगस्तनिवाक्पयो मन्संगसिंदेवल्यावसंचनायन प्रयोगार्थप्रक्रियावाकोनननस्पनिवेशाबबाहावयव
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सिर कन यचतानियावक अतीव्यतान्पातिकन्यादौर निवाक्ययोस्कल्पविशेष्यकन्वव्यभिचारान्मारत
सइन्पयिस्ववाउनयुदैनैतिायरिघवायहरयदहनकदियसिहयत्रियंदुतत्सतपोवाव्यात्या 299
शास्वर येत्ये कन्वविवतितमित्यत्रेदमेवलिंगाहोदेशातात्रियदतत्पुरुषसत्पनरयदेयरतस्त द्धिताहितिगोसनीत्यर्थपूर्वतिघहजानइत्यत्रेन्यासनमाशोंडौथबहुवचन निर्देशान्वघटित समुदायेशोडशोभाकनिमन्वानोव्याचाशीडादिभरितिअनशोडशनिवनावासत्यादिकियाया श्रतर्भावात्कारका क्रियान्वयित्वस्यनयभिचारण्यकमिश्रीकरणयौर्दयोदन गुरधानादी यथाधिशति अधेिययुधानइत्पथावधिकररावप्रतिप्रधानस्पति विभय नित्यमव्यया भावउक्तावनियनित्यमिनिशेषानित्येवुनस्पयााानानाअंतःशहात्रययन संचाधिकरताधा नाअवयविना आधारत्वविवस्तयासप्रमाायथारतेशाखेतावनै वनोतर्वमाताअधिकरणार त्वपधानस्पननिन्पमव्ययीभावाप्रनिरंत शरेनियात्रीतर्वसामनमुरुषस्पवैकल्मिकन्चादव्या
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भावइतिहरदोनोकानन्नाअव्ययीभावस्यनित्यत्वेनवनेन रितित्वकस्वयदविग्रहायोगाना भनयर्थमात्र हतिवाभावनतस्पोक्तिसंभवाभावाचायवयविनाधारत्वविक्तंयासमातिभवडे क्लिविरोधानाकेविलवनरूयेमध्येइत्यर्थावगमाद्दलशहान्सनमाउतरयंदार्थप्राधान्यनत्युतवाहर्वपदा
याधान्यव्ययीभावपाहातदफतरीत्याक्तिसंभवाभावाडयेसानचायदिशमिन्यत्रेवमध्यमवात्रिं नायव्ययीभावासाधानवाच्यावनस्यानाशनमवडकखपदविग्रहालयपनारतिदिकहित्यावश्यं कति त्याग्रहरााभाक्तमितिभावःनित्यूलमाहावालगामाशातत्पुतवलतीत्यूल ग्यवेतिवाच्याने प्रवीळदातव्याभिननित्यसमासनिाअनएक्पुरुषतमइनिनव्याककस्वयदविग्रंहोसंगनायव मावनेकसेरकडतिहलदतात्मनपाइन्यलकावतमानातत्युरुकतीत्यलकाअव्यवस्थितत्व प्रतियत्यासयोवगम्य तावडयापारभाषयानकुलातशहाापकातानवहितीयाश्रितत्यत्रनवोन त्याकारकहिशेषयोरिहानुयादानादसंगतमिदीलस्यहसत्वानाअतएवनादीनांकीतानीगंगा
का६
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सिरस मेवतत्रतडपणायकमित्यवोचामाहिकसरयेसंज्ञायांनियमामितिाकथंत्रिलोकनाथेनसतामिती ३००
निचेताध्यवयवालोकविलोनिशाकयार्थिवादिवड्ययनानचसमाहारहिंगोपात्रादिवकल्पनियों यदित्रिलोकीगानेत्यादिविरोधानानद्धिताधाएकाधिसप्रमाविषयमैदाननिमन्यमानचाहताहता थविषयानावाच्यातनाकापावशालइत्यादीसमासतदयस्पतित्वालहितानायनशनचघनाथमिता महत्यत्रैवार्थशहस्यमयोजनवाचित्वातड्ययनिायंचारलिरिपत्रंगतेहिगावितिएर्वपदपततिस्तरे कृतव्येसमाससंज्ञानायनासमाहारदिगोनस्पसावकाशत्तातहिगोलगनयत्पइतिलिंगेननदिनोत्प पंगीकारेगौरवानांअर्थ यहीचस्वत्युजमित्ययालाघवा अन्योन्याश्रयप्रसंगाच तद्धितेयरतर्शत नव्याख्पपासर्वनाम्नातिएनबर्वेतिरोदाहरणान्वयित्रिया युवदित्यवसिद्धेदतिगानीमा मित्येतदर्थमावश्यकस्पनस्थहायिन्याय्यत्वाइपन्यास अतएवनविवापनदादानन्देनजाराम पन्यासवे पर्थमिनिनयोक्तमसदित्यवोचामाउदाननिाबद्धतीहिनिबंधनवपदपकनिस्वरबाधि३००
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समावहुवाहावरोधात्तमान राभिधानविण्यायकृतस्य
वाथेहन्दपपतमाप
पदापस 5
विन्यपदार्थान्त भविसोवविशेषरााविशेष्यमावयवासेनैवैकाधीभावोभ्युपगम्यतातिस्वमत साविरोधापत्तेचाकिंवासमर्थनेयत्रपदा निउपसर्जनीभूतस्वार्थानिनिस्तस्वार्थानमार
पयानाथेपिादाना बनिन्तिराभिधाय निवासएकार्थाभावः।परस्पराकाझा पाध्यन्कैतिक दायाकुप्पखासमासीनोदानन्त्वस्यतत्पुरुषस्वरस्यसतिशिष्टत्वेनविखानादितिभावामानरनिामावरसंवा साथै सभइएवीयाइत्पदादेशाचा विकल्यपाननिामहाविभाषयापलतसयोनिशेषततश्रतयRTS इत्येवास
तषप्रफुक्तटङभावयचगाधनइत्यायस्यादितिभावाअवनव्यारवयाराणसमासकृतन्य दौन्होश कमेयरस्परसंबंधाभावाड्यासमासविध्यमिदएतस्तोतरयदयासमयीनस्तयासिका विवातिक धाभावसत्वादनित्यतापिसिद्धानहिसत्येकार्थीभावमहाविभाषासंज्ञायाविकाल्यकानजिYEE स्यत्वदभियानावाभावाविष्यनेतिभाष्पविरोधाताएवंचवार्षिकेतत्पुरुषयहरोसिसिद्धाथीनुवादमानEER मत विध साचामनमनट पदमलमित्याङ्ग अत्रेदेवक्तव्योबजबाहीपरस्परानन्चितान्येवयंदानअन्पपदार्थव स्वानर तमानान्यत्येस्पन्धिनानिाघियियत्किंचित्यर्दवायावतियदानिानाघांउशासनविरोधाताअन्यत्त पपत्तस रयदस्यानन्चपापनश्वानाहतीयासमूथायदाविधिरित्यस्पबाधप्रसंगाताअन्पपदार्थस्यासकहौधा ERY लयुयने भासमानपरस्परान्वयायलायापासमुच्चयान्वाययाईदायते
विभगवतावार्तिकस्वप्रत्यारव्यानत्वेनतत्पुरुषग्र २१ हणमनुवादमानमित्यरयुक्त्वाचानवैतिजाजरकरित्यापूर्वपदस्थापिचड़ावापनि:दिवारस्य। इत्पस्पतिरपदग्रहगस्यवयुगन्तियमार्थत्वाभ्युपगमाती अतरवसवेदव्यावधयोनियमविधयइतिमीमा
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सिर-स्वध्यर्थन्चानुप्रयतेशडिति स्वश्चेत्यादसंज्ञाभावा भावयोः प्रसिद्दन रत्वाच्चानचज्ञह स्वार्थायामानर्थक्य
३०१ स्वार्थकत्वात् मिवेतिवाच्या भूतपूर्वगन्याऽर्थवत्वाययत्तेः न हिसि इतिप्रक्रिया वा वाघटितानामर्थ क्ता हित स्फो रिकप्रपंच काल्पनिक्ार्थ वर्तती तिचे इतैवंप्रकृतेपितं । त्रिचतुरो) मु स्त्रियांगो खियो रित्या दो सूत्र छन्ः पूर्वपूर्वपदार्थप्राधान्यमित्यादी भाव्यतश्चव्यवहार स्पेत्थ मैक्स (मर्थनीयत्वाचाजहत्स्वार्थटत्तिसच कपरस्परसंबंधाभावादितित्वा क्तिविरोधाच्च तिष्ठतु सकिपि बित्व मित्पचयरस्यरा संबधैय्या नर्थ क्या दर्शनात्स्वापत्तेश ह प्रयोगइति न्यायविरोधा ज्ञान चैव चित्रजि 25 रित्यादौ पूर्वपदस्यापि वा वायति ॥ यक्ष्यहराास्य नियमार्थत्वानि चैवं बहुजीहै। दिकसंख्या व्यतिरिक्तस्थलेपि विशेषणविशेष्य पुरुषत्वस्यादित्याश का बहुलग्रहणानिति समर्थ स्त्र शेषेभापक्रमसंगन मिति वाच्यां दिवसंख्येसे ज्ञायामित्यस्य नियमार्थत्वात्वा स्व राम ताप येडि । एजेन खादिरेतर शम्प मित्पत्रकर्मधारयन्नरप दोबडी हिरिनि समर्थस्त्र के यूटयैकंसंग २०१ वस्तुतस्त्वनश्वनियमात्पखगवयनइत्यादावप्रात्तरपद
नतूत्तरपदग्रहणस्येति स्वीकृत्य २
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मन्दनियामनुग्रहाय यथाश्रुतार्थतार्किक मतं वालुस्टत्य प
छते । वद्भावपूर्वनिपातयों सिइये हिनथेोक्तमितिस्वोपरंभ कोपन्यसनं निरस्त उक्तरीत्या के परस्प स्वयो जन्वात्यय्यकाथीभावसत्वादेवेत्यादि तदपिना परस्पर संबंधाभावादित्युक्ति विरोधात त्सत्वेऽप्राप्रैविध्यर्थथ मिदमित्यस्यासन्वान का सर्वसंज्ञा प्रसंगाधार्निके नित्ययह सामर्थ्याच्तस्मा लि विरोधात्सं दर्भविरो धान व्यक्त वन्याशयेन त्ववि वचन माहा इंह नापुप्रियः । इद्वाच्चुदषहीनेति नित्यष्टच पतु दशमाध् होटहड्थे तर यित्वाने तिरा वासमा सातफलकं नवाबी हिरिति सर्वयज्ञ मिनिमीमांसकाः। तन्नोत्तरपदपरत्वप्रयुक्त इ स्पबहुव्रीहिमनरेगानुपपतेः पूर्वयज्ञस्याक्तिसंभव वात/स्वरे विशेषस्य स्यत्वात्स को चे मानाभावाचा दि। समाहारइति । भावे घञ्न् । ननु कर्म शिपंचगवमित्यत्रसमा डिपमा बनेकवचना रुवयोरिनिनित्तत्पुरुष ग्रह सामनुवादइत्यायास्ता इद्दा दाहरराति चाच यच प्रिये अस्यवा उघदप्रियः। छत्रेोपानहा६
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चन्देर
30
सिरस नृपपनेनचाहगुरेकवचनमितिना चैनमिति वाच्यं। पंचखद्दीत्य सिदे तथाहि । एक विभक्तित्वाभावेना ३०२ नुपसर्जनत्वाहोखियो रिति स्वोन स्यात् नच नपुंसक स्वत्वेन निस्तारावेन तखीत्वा ततवाद लीनस्याभावसाधनत्वे एक विभक्ति त्वाइयस जनित्वमत नमेवा समाहाराये त्या नियमेन वर्तयेदानींचातानन्वे वन दिनार्थइत्येव सिहं समाहार स्वसम् हरूपत्वादितिचेन कार्या कृ संगत तथा हिचगव मित्यत्र सामूहिक प्रत्ययस्य द्विगोर्लु लुकिजन रायं च कुमारि दशकुमारित्यत्र लुकलुकीति ङीयोल कूप्रसंगासमाहार तत्सामर्थ्यात्समासवाच्यर वसई तित त्पद्यतभावान नार्थे मत्वर्थेन ! वाच्यः तेन वगुरित्यत्र नमतु प्रामत्व र्थस्य बङ्गी हितवान्नचाद्विगोर्लुगनपत्यइति लुकेवास होक्चनं व्यर्थमिति वाच्यं । काप्राग्दीव्यतीयत्वे मतदप्रसे गादित्यस्ता नाव संख्याश्वाद्विगुनन हिसनि व्याकरणामित्यत्रापिछि गुजारा गं द्विगावितिर्वपदप्रकृतिस्वरः स्थानानचसमानाधिकरणासंख्या समासयह राशि दि ३०२ दशगु४
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३ नवच होता दश होता र३त्पादौ पूर्व सूत्रे राग समासे दिगुत्य विर हा दिग्न्ते हिगावित्येष स्वरो न स्या 'दितिवायम्। घुदात्रप कररेंगे दिवोदासादीनां छन्द सीखनेनेष्ट सिद्धेः॥ ३४
संज्ञायामितिविहिनेऽनिव्याने निवेशयतिः। सुनऋषयलय से इत्पत्रे गते हिमा वितिस्वरप्रस गेनसमा सातोदात्वा प्रसंगा दित्याशंक्याहान दिनार्थ इत्यत्रेति (अनंत रस्येति न्यायाहि क्रम मेन्यादिसत्रयकराचनातिप्रसंगनिए कापीति त्वौय चारिक समाहारमादाय सा कुत्सिता कुन्सावतेय यो कर्मशक्तः सचमनिबुद्दीन का रस्पानुक्तसमुचयार्थत्वा इमानेइत्याशय नाही कुस्प माने इति। उभयत्र ब वचननिर्देशः स्वरूपविधिनिरासार्थः। वैय्याकररी तियिः पृष्टः सन्प्रश्नवि स्मारयितुं वचयत्यभ्या सर्वे धुर्यान् कुत्सितः नतु व्या करतात दुध्ययनवाकुत्सित विदांगावेन प्रशस्तन रत्वाला अन डलर लेप स्मा रवी दौरा दिकः कुप्रत्ययः णि बहुल मन्त्राय तिल का लियो रेकत्व स्मर शास्त्रस्पर वाष्पधीत मी मांस एवश् वै वत्कुत्सितः । शप्ररतिनिमित कुत्सा यामेवास निधानात् नेहाने पा चिको दुराचारः ख ज कु ना दिवद नियमेापूर्वनिपाननियमार्थमिदं । यायारा के एती कु
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३०३
सिर. सनाभिधायिनौ । तयेोः पूर्वेशापरनिपाते प्राप्तेपूर्वनिपातार्थमिदाग्यमानानिव स्वतरंसा नयरिघने तपमान कर ल्युट्रायथागोरिवगव यइति । इहगौ: करणी पुरुषः परिच्छेनाप पूर्वस्य माड साहश्य हेतु कप रिछेरुवा नासाधारणाय यायः समानशब्दस्ततः स्वार्थे व्यास 303 मानोधर्मस्तमुक्तवाशबाइल का करते ल्फानाचाभयनिष्ठ धर्मवाचित्वे सत्यमेयपर त्वं सामान्यवचन त्वमित्यर्थः । लक्ष शिकमिनितिन गवचपला गय अन्यत्रसामा नाधिकररायासं वद्भावः सिद्ध" साहनपंच संनिहितत्वाउन रूप दोप स्वाप्यरणाम त्व चापलादिप्रयुक्तमेवाश्रीयज्यमानपरत्वेन एवं गन्या बोध्येत तर चनार्थमेव लौकिक वाक्यरवश प्रयोगांपूर्वनिपातेति। अन्यथाऽनियमः स्पादितिभावः । उयमित मून का लोन विवति तस्तदाह यमेयमिति भाष्याभिः कातिगंभीरइति कैम्पों को गांभीर्य रासादृश्यन विवति तकिंतु विनत राम रवगाहित्यादिना तस्य चशब्देनानुपादानात्समासे निर्वाधइतिनव्या विशेष शीवीकरण ३०३
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त्वविवत्तायांल्कशवदाहभेदकमितिमावनकमित्यर्थःविशेषरा विशव्यमावेकामचाराहिम निलाइत्यादीपूर्वनियातानियमाप्रेश्व्यशक्षस्पगुक्रियाशविर्धनविशेष्यसमर्थकचमे वयसाशट्योगुराक्रियाशयोतीकामचारएवेतिव्यवस्थायथार्वजकज्बा कुन्जकंज इत्यादीसोसबंधिशहनयान्यतरोयादानेनसिद्देवभयोयादानस्पशार्थमितिकैयबाहरदन मायविशेषणविशेष्यधर्मयोःयरस्परव्यभिचारस्तवैवसमासोयथास्यानराया थानीलोत्पल मिन्यादायवननन्तकःसर्यइत्पादोतवमारदिन्पतदर्थमुभयोपादानामन्याहाअन्यसुमेहम हामनामदरादिवसतकालाभोजराजान्पादियानंदमुक्तमतएवपत्र नेष्यतेततकासः लाहिनततकइत्यादीतबलयहरानेनिकै व्यसमाधनइनिनन्मतमेवसम्याशपाटी इर्दववधेयावीरस्यचन्नित्यादौसमर्थसत्रभाध्यकयटानरोधनसेमासानेमतेइत्पनं परम सोत्पत्रातदात्यायचमनियारकोपचवदाइत्यादरसाधुन्चमवारपारगायनिनभाव्यप्रयोगाने
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Ichigori
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सिरस वसाधाअसिचायशिष्टपयोगइतिकैम्पोपिव्याख्याधापकइतिात्रययोगरूटोनतयोगिका।
यदानादिनाघेरकराजादोपयोगाभावानातथाचउभयो केवलहाटसहितान्यनरस्पवायागर त्वसमसिभिवत्येवयाचकयाठक अपाध्यायकन्याहावितिनर्विरोधइतिभावाप्रपरस्पतिापश्चा दितिस्त्रभाध्यमिश्रिीरापाप्रावधादिशक्षाव्यवहांवाचीहितीयाप्रकारवावीश्राबाद यत्यातहनाहिरातातिगरारतिभाष्याताएवनयापनशिल्यनवायपीजीवनंबसंघाश्रेशिम तश्रेशीस्वानीदंडनादिकरोनियसंगवारमाथिमाहवर्थवचनामतितिनश्रष्टयस्थिता नामकत्रकरणासवसमासतिभावकिनाविशिष्टशावधारथिकाननमात्राधिकेन कोनेननयहिन कार्नसमूस्पनरनिस्वार्थनिहासिईचाभुळचडिधिकैनापोतिवाय.
यामदकादेशस्यचोपललगनिहा मान तिनछिनाहित मित्पत्रनगांधकछाताच्छतमित्यत्रंशांछोरन्यतरस्वामितिहते त्वचनीया ३०४
सहिताधिक्या
पालक
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भिहितानामितिएकमेववस्तएकदेशकरशादेकदेशा करणा। देवमुच्यते। कनकन मौ जातियरिप्रव्य त्या दिनेकन मशर साहचर्यात्तादृशस्यैव कतर शहस्पापिहरो सिद्धे जानिपरि अश्वग्रहराज्ञाय के कनमा स्थायीत रपरत्वातथाचप्राचीन इति षुषत्फ राहतां के रोभवनोर्देवदन' कनमोभवतोर्देवदनः। किं सैपै। किंराजेति तिमः सेयइतिस तनिषेधः । ज्ञेये किं । कोरा जायाय लिपुत्र तत्पुरुषः अशा जनः समानाधिकरणा शरः समानाधिकरादक इत्यर्थः युककर्म धारा नव स्त्रियाः वडा विनेत्येव सिद्ध जातीय देशीययोरपित सिलादित्वादेव किमनेने त्या क्या हारगप्रियादिविति तथेति चाम हे तियुवावे सिद्धंजानीय
सत्यान्महनइत्याकार कोयधादे रिति न कोपधायाः । संज्ञा पुराणेश्वावद्विनिर्मि निस्पच स्वांगाचे नः। जाते श्वतियंचच्या प्रतिषिइत्यर्थः। क्रमेोदाहरनिया चके निस्त्रीयसल क्षति स्तनमवादियुकास्त्री पथः। कठं धूर्ते इति। शत्रुप्रवृन्निनिमित्रकुत्सायां कुत्सितानीत्प स्पा कृपा कटे नद
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३
305
सिर. खभावान्नेदमन्यथासिद्धं । धुर्त बकन्यसाध्वेवा प्रशंसावचनग्रहशां को शप्रसिद्धमनलिकादीना ३०५ मेवग्रहार्थतेन प्रशस्त शमनश्च चिम्टदादी नाना वशः वि वा चिनासमानाधिकरो। नेत्यर्थः। रू हम सारंग इति सारंगः शवपर्याय। सचगु रायसीनद्रव्य वाची मश है। किवयव के भाक्तः गौरा सामानाधिकरराय विशेषणां विशेयेत्य प्राप्राविद माधान वेदनन्नत्वाच तीयासमासेन सिद्धमिति वाच्या हरितवरित्यादौत चाभावाताभाष्य प्रत्याख्यातमिदी ववीध नेतइतिपूर्वपदप्रकृतिस्वर सिद्वान देवेति । ज्ञापकांत रसमुच्चयार्थ एवक्रासनाराधिन सुवालनी पवारती शब्द स्पसमा सविधाने नायितव ज्ञायनम विरुडूमिनिभावः। चतुष्पादः। जातीति मंडूकप्लुत्यान देउतिरितिभावः। जातिः किं । कालाङ्क्षी गर्मिया । चतुष्यात्वं । ब्राह्मरागर्भित विशेषा समासस्तस्यादेव पूर्वनिपात भेदात् । श्रातइति एवं च व्यंसक स्पगुणावाचित्वापूर्व निपातयात्रा राम विदमास्यमितिभावः पेतुमश्वव्यंसको मव्यसकः का बोजव मुंड8 कीबोजडपमा ३०५
त्यु १
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३
नसमासायवादीयांग्यमानपूर्वपदग्रह निस्वरस्पप्रतिपदोक्तसमासे कृतार्थत्वात्समासांचौदाव मेवेत्याचि बने निक्रियायाश्रन्यपदार्थत्वा खियामास वन प्रानिय दिकत्त्वा रारा जान रमिति अंतरशनित्यसमास चादस्वयद विग्रहो दर्शितः। म शनाथैवमित्याहाचि देवेति । अवधारणा वातून कारावार। खपानशवस्य श्चकार । तेनसमा सोतरंना नञ् । इह विभक्तिन कारयोविंशे हरहनादयः। तत्प्रत्ययह परिभा विशेषान्पामा दिलक्षणा स्यास्त्र बनवा देवा ग्रहशांसिद्ध वयानंदन स्पस्टोन या या नायद यिन लोयोन यत्पत्रविशेषार्थी नकारात फलं चालो यइति केचित्तदपि चित्य । च्यापम विघ्न मित्याच व्ययीभावे नलोपस्य सावकाश ला निक न्य स्पनि बधन्वा चेति चेतराम व्ययपूर्वपदप्रकृतिस्वरार्थेन का रोच्चार शांति स्वरुषतुल्यार्थत्य चाव्ययेन कुनियाना नामिति परिगता नाना नवखी सामान जावित्यस्पन ग्रह बद नेफनर लिंगाचा किंतु नियानन स्पैवेनिदिकन लोयोन जोशि निवक्तव्यन लोप वचनं साक
किवत्य
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306
लेपत्य यग्रहणेतदत्तयागमन सिरस क्वार्थतनाकब्राह्मराकनवुझ्न्यादिसिदामियाजशनानानानोनजातिवास्ववचीनजसा
बंधक स्पग्रहांमत्राला नेकधेत्यत्राव्याश्यतिव्यानिवासाथीयनुवर्यदाधिकारान्तिम पर्दैननज्ञविशेष्यतेनेनर्तदंतविध्यभावात्प्रत्ययमात्रस्यपूर्वपदत्वा भावान्गार्थ इत्यत्रनातिप्रस गइतिकैचिता तन्मदापपयग्रहशायरिभाषायासीयवादवानापन्ययापत्यययोरिन्पस्पबाधे ग्रमाराउनेश्वानचविखहगोनीतरपदाधिकारप्रत्यययहरोनिंदनगृहांनास्नीतिज्ञायनान्नैव मितिवाच्यासप्रमीनिद्दिष्टप्रत्पपएलएक्ज्ञायकाश्रयराणवासंभवस्खलएवतंदाश्रयनान एवलित्यनध्ययस्परावलतीत्पादाननदाश्रयातस्मादीयकृताविभक्तावप्रथमायामित्यादिति गनपयानैवद्यतेस्पवयरोगावस्पावानजानमारपर्थनस्माहहतानचेवेनगेवास्तनासा प्रतियोपिनलोबलत्पादनिभविष्यतीतिवायाङमुयसगाताअनचिनिजायकाश्य राम.. जपानयोगौरवस्यादतीनुकृतसारिश्वतमस्माद्रहामप्यावश्यकीयस्मिन्निधिरितिनदादिविधीस ३०६
प्रलोभनलोपापानिपदिकालस्य Bomol
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Posfee
/
USTAH Adjust
प्रमीनिईशस्याययोगातस्मादितिपंचम्पाषष्ठीपकल्यानहन्याशयेनाहानादेरितिजनरयदस्पेतिशेष तिनाउँखतीत्यत्र नातिप्रसंगानजीनलोयलिडीयस्पासमोसार्थवानानवनिउन्नरपदावधा नोयसमासानथाहाबारायिनाचवेगभादावशावर्ततीनजन्यारोपितत्वमारोपमात्रैवाघोनय तिविषयक्तिसंसर्गातथाचानश्चयाराधिनावडत्यानवमन्यपदार्थप्राधान्ययसंगाधर्मिशाउ निरपदार्थत्वाम्पयामागअन्ययदाथप्राधान्पहिबजी हरयविशेषविहितत्वाहांधकास्पातानतश्चावहि मिन-अनर्थस्त्रीयब्राह्माकत्त्यादिन सिद्योतापरवलिंगमित्यत्रभातसुरुषग्रहशास्पझत्यारख्यात त्वालाकिंचासवतस्मायित्यादीगोयत्वेिन्सर्वनामकार्यनस्पाताअतएवश्र्वयदार्थप्राधान्यमपि निरस्तात्रचलिगेनदोःससावि-पत्र नोरितिवक्तव्येतदीयहीअन्यथाऽनेवइत्यत्रनकाजनि प्रसंगाभोवाकितनाश्वामित्रावासाभिन्नइत्यादिबोधसाफ़नितार्थपरतयाक्थचिन्नेय इनिभाया रूढयथा अनेकमत्ययदार्थनिनिर्देशोप्पतरवायपधनीयतत्पनेकैडन्यवेकशेयरधारोयिनका
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ANS
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बेनिर्वपदार्थप्रधानो यमित्याहुः । तश्चित्यम् । तस्सलिङ संख्यानन्चित वेसमा सेपितथा चाप तरनेन विशेषविहितायाः९
सि.नं. खन्वम्पबङ्गत्वाद्रवचनं नानुपयन्त्राश्रन्येतु तत्सादृश्यमभाव दन्यन्वनदल्पना प्राशस्यवि 367 ३०७ रोषश्वनञथाः षट् कीर्तिता इल्फ का बाह्मणः पाने व अनुदरा कन्या यशवध १ पिचैवम मइत्फ दाह त्योक्त लिंगेनानस्मा यित्यादि साध्य तिनचैव मनेन द्वारााइत्यादी बहुब्रीहाव पिसव भवसि हवा नाम कार्यसंग । ज्ञायु कस्यतत्परुष मात्र विषय कन्या एकत्र दे। रिति सुत्रेऽनसमासग्रहणात मीत्यादी अनेकमन्पयदार्थइत्यनेकवचन न त्वे भावनाधित्वाऽमझिकमित्यादौन पुरुषस्वायते न रुष व्यवस्थाचोऽभाववलक्षक व मंगीकृत्पतनि एलिंग योगी का रेप व महि मतइत्यादा हैमनादिगत लि नस्यात्। गसंख्याय संगा चानचपरवल्लिंग मित्यत्रतत्पुरुष ग्रहास्याप्रन्पो यानाचिस्ता लिंगान दुप्पभव देशेषिवचना निदेशाभावात् नच हत्तीव शिकवच नातए वैवमितव्यं हेमंत स्पय लिंगवच सीत्पादन चल समासस्यापिप्राप्नोतीतिभाष्यविरोधानामाचमाना भावान्सर्वदामति पत्र नियमेमा राम दस्मद्भिन्नैल न्दाराणात या नाभावादेकवचनी तस्यापि साधुन्दासं गाच्च एनेनपूर्व पदार्थ प्राधान्यमायसमर्थ पितुं शकयत ३०१ यिका भवन कियेतिवोध ३शनेति सदत्वं भवेसी
इति उक्तम् । तदपिन / त्वद्रव निमद्भवतीत्यादी अन्तर्णिमध्यमाद्याप से त्यादिकं न स्यादित्याद्यपिन्दरवज्याया नितिध्येयम & Digited by Sangoin
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निनव्याक्तिरयासेत्या स्तांनावृता संदेहाइनाइहारो पिनसंदेहाः सिद्धांनाइतिनार्थ न हिवैयाकर हास्यसंदेहन्यधनश्यति। किंतु संदेहात्पना भावइत्येवार्थस्तथाचाव्ययाभावेप्राने माष्पप्रयोगात्र पुरुषो भवतीतिभावः । स्यादेतता व्यूयादाश्यइत्यत्र विहित विशे षाश्रय साहूं दोन रविभक्ते ४त्वा श्रातथालु को प्रसंशाद्व्ययीभावागी कारेपि नृत्य भावान चुना व्ययीभावादिन्यम्प्रसंगात स्प लुड़िये धसंनियोगशिष्टदानमेवान्व्योक्तु विहितविशेषणत्व स्पप्राव ताना स्वरादिपव्ययी भावश्चेति पाठातून विधिनादोष व्याच्चाप्रयोगादिति यत्तु पदाऽभाव सामान्येन वर्तते तदाव्यपी भावःप्रभाव विशेषविव सामान एवान स्पुनर्यत्वाभावेन व्यदार्थ प्राधान्यासंभावादि निकेचित दसरा सहित मित्यत्राप्यभाव विशेष तत्पुरुषायत्तेः। प्रतियोग्पनालिंगितामा प्रतीने काव्यदर्शनाला तत्सत्ये या पाभावाध्यायमिनिभवक्तुन रुषोदाहरणा। संग्तेश्वतिडि यनित्तरपदपरवाभावादप्राप्ने वचन पचसीति कुत्सितयचसीत्यर्थः । कुत्सा घोन नायज्ञा २ सन्देहे प्रागभावइत्यर्थई तिकेषटः । तद्री त्यातुना व्ययीभावप्रसनिः २४
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त्य२ सिरसल्मेनशहेनेनिनसमासेवनेकधेत्येवस्यादितिभावाननमानीनाम्यनिषेधतिस्मरणा २८ दकारेशविनत्युस्यो विधेयानलीयोननतिसचाजीनपाञ्चात्यवतन्याननस 308 रुषादिपत्राप्पाइहरामेवकप्रतियदोक्लयरिभाषयाचनातिसगालचेवनासत्यासोमपतये।
नसूचियोरधिकीदेवोभवनदासस्नानामित्यादौययमानपूर्वयदप्रकानि स्वराप्रसंगानभ्रायन यादिन्यत्रकायीनरक्स्यापिनियात्पमानवावायदानवाडिया कारस्यनडेवनियापनानदा ध्यानयाचनमानशनवासमासातोदातत्यमकारेशासमासादातत्वमितिव्यवस्वासिदाकि गौरवाश्रयेसाम्पेयप्रतियत्यज्यायानाननिन्यायादिनिवेदमित्येवेतिदिकानबाट्रीनवेदाईति हनदास्पैवहानकरशामितिभावानमुचिरितिसर्वधानभ्यानारायवानिदितिकित्तात्रय गाउपाहाक्रियायागातिाएतञ्चव्यसीक्रियायोगडत्पनीलवर्तनोवडाचौ वरचालयोगविहिनीराम नित्साहव्याहपीदीनामधिनचैवगनिसंज्ञानेनेहनाजरीयत्वायनुतेपास्वामाव्याक्रियानरयोगोनाल्यै ३०८
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वेतिकैयटनव्यादयातचिसाउनमाध्यप्रयोगविरोधानानचान्यूयाक्रियापरिविडाचीयोगोस्ती न्फतरभाध्यविरुध्यतेनिवाच्यातस्यादतियोगइतिवक्तव्यमिहमात्रीपरफपक्रम भाव्याउरोधेनीयसहायिगतिसंज्ञायासपीदान क्रियानयोगाभावधरत्वातायदपत्राविःपाइ शहोमकान्यधाकरोतिनैवयोगइतिमाधवादिग्रंथेस्थिततथबादाहरतिउरीकृत्यतिमल मवतारितनव्यैस्तदपिनाउरीभ्येतिभाष्यादाहस्तादर्शनरलकवादितिमत्वादयात्रता हरतिउरीतत्पेनिसंज्ञाफलदसमाससत्पलचल्पेरीउराएतावगीकारविस्तारवायाधिश वस्पतसातासभतित्वात्कनायोगेगतिसंज्ञाविकल्याभ्वत्तियोगवनेबनित्यमितिवाध्या लीसिम्विनियोगेसपधकतरातविक्षस्यच्चाविनाकारंगयटेलिडाधिबलमवतंतिय
हत्यहित्य कामुकररागाघजवरादीवितिडाचिटिलोयानित्यमामेडितडाचातिनकारप कारयोःधकारएकादेशानियानयज्ञ यासमोवेशार्थश्चकारनवरीरुतमित्यत्र शनिरनतर
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येय
सिरसतिपूर्वपदप्रहानिखरेवाबाहानात्वसिानियानाआधदानइन्सने कारिकनिषभावेयूपीघादिपुराव २०६ वातदाह क्रियेनिगमर्यादावितिरिषर्थशायनात्ययक्रियायोगहन्याननकारिकाशदपाव 200शवाकवाचीनवनातिकैपटोलेरितिभावानंचकरामविनियरंकिमिनिातेप्राधाना
रिस्पस्पसज्ञानियमय व्यर्थमपश्राइनाप्रयोगलियमयतेनयमितिमवाप्रत्फहीम दास .. naamsखाडिनिसल्वेनिअन्यथेयप्रयोगोनैवस्याकिलितिरबारछपेवेतिभावानवे तदयिषष्ठीत सरुवधरितननन्यरुषपक्षयसंगमितिवाच्याबदबीहिंघटितनजनायुरुपौवा प्रयरातिश्रादरा अनादरहति श्रविधमानादरोऽनादरतिवहबीहिनिनादरसभवेगात संभवेचाए ज्वसिद्दानेनसुरुमसन्हन्पयापंडिनमसहत्पतिनिधीधाभाव्यसंग्रहामन्याख्याताया दशनादरयो सदियेवस्यनीतित्रसदस्यानादरतित्वासंभवात्सामर्योदसघइएवमति राम, दशनादरयो सदियवस्यना!NA व्यतिकितहानायथागोष्पदसवितासेविनत्यत्राहावधयानायनुनासदासायपाल
ध नियतनासदासीयब्रह्मसूताम ३०९
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तिशांकरभाष्यमादायनव्येनसदासीदितिनातमनुन्यानुकरणाचा निमीति नियान संज्ञायाम व्ययानाभमात्रइतिठिलोय को गुणावचनेति सत्राच पस्पशा या स्त्रीधिवायु महं वदेदितिश्लेाकेध्य महमित्यस्यानु कुरेशी विनिनियानसंज्ञोक्ता को स् । तत्सर्वस्व ग्रंथापर्यालोचनमू लकवा संबद्धानास दासीय मिन्पत्रक्रिया योगाभावाच्चावस्ततस्तत्र च्याः विषय मुख्यम ताकाचमानाभावाडूषऽलमिन्पत्रभूषण किंवदनं गतइतिवृत्तिकृत्प्रत्पदाह रशानिकश्चिदेषःभासदासीय मित्तमन्त्रायतना सिकियो गोरुयेवेति दितरपरिग्रहः प्रय गोपाधिर्न नुवाकोट विश्वतिभा का क शाह त्यतिन्पतमभिलष्पतनि हतिय पन यिबतीत्यर्थः तथाच दायापगमात्तत्य निघाता वगतिमि नोहत्य तस्विर तुकइतिभावः। यदेत्यादिकं । क गोह लागतः। सहस्त्र लावयवः करारास्तस्मिन वैन्यर्थ पुरस्कृत्य नमस्करसो रितिसः। अमुं पुरः। यज्ञयसीन्यच स्थितमित्यध्याहारात्र दृर्शियन् गत्तित्त्वायव्यय किंशय रायुरः हन्वाग नराचाव्य
तिर याप "पुरं
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रय
सिर येनिकिनिहत्वाकांडगनातिनमित्यर्थाअदाकृत्येनिायदास्वयमवालोचयनिनदेदशदाहर
सांप्रदालनमितिागनिरनंतर निवपदयातिस्वरेशाका दातवाहनौवकचित सावविशिष्टः 318
पाठयपाउनसायदादाविपस्पानव्ययस्येतिवाच्यमितिनिषेधारातिरमनदौकिनिरीभत्ता याताभवत्यर्थ विभाषातिकवातागतित्वाभावतिरसोन्यतरस्पामितिनसन्तत्रगनियहरा। रचनामाधवक्तपराभवनिरस्कारतिप्रयोगदर्शनान्सत्वावधोननदनतिरित्याहा नहीविये वतिरस्कृत्वाकाउनिष्ठतिाउयाजाविभतंयनप्रतिरुपकावेदतनियानोडलिस्पबलाधानतेच्या शयेनाहाहुबलस्पेनिसानाडामातत्वमितिपातिकगनिसज्ञासानियोगेननियमितिशयानचे वमेतदपहनायतत्वान्नित्यंगलिसवायालवक्तपैवस्पान्नतलवचितिवाववामितिवाया लवादानाभत्त्यायनिवउतार्थन्पायनवैरभावपाक्षिकसंज्ञाविद्याननोकवाय बाधका राम भावानाभाव्यतताडलधराशिदस्यलवराशिदस्पवाविकल्पैनलव शादिश्यनेनस्पचंसना ३१०
ये३
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विकल्प। उभयथा पित्रैरूपं निर्बाध मध्ये यदे। एषामनत्याधानरूपार्थी विशेषे द नन्नमविशेषेणाभियात्यते नगतिसंज्ञा संनियोगेन । चनुन्याधाने कि । हस्तिनः प्रदेकत्वाशि रः शेते॥ निवचनं वचनाभावार्थी भावे व्ययीभावः निसंह स्तोउययं मनरुपाये एवै तयेोरेदी तत्वमौ दतत्वं च निपात्यते यय मने किं । हस्ते त्त्वाकार्यायां गतशएवं तावदनिसमासानुदाहत्य • आदिसमासान्वकुमयक्रममा दियहणमिति। स्वपुरुष इति क्रियायोगाभावान्न गतिसंज्ञेतिभावः। ६यादयइति वा प्रकारे ते नदुराचारः पुरु षोडः पुरुषइत्यादिसिद्धं। प्रगनई तानेनगन ह तिमखयदविय हे शानित्यसमासचच दर्शितान्यादयइति । चादिपदा हुई वे ला मुद्दलः प्रतिगतो त्यज्ञा अभिगनोमुखमभिमुखइत्यादिसिद्धी कर्मप्रवचनीयानामिति । खरा जानिराजा अतिखदर्शन भाष दाहरण नवनीरजायामित्यादिवार्धिकाचे स्वतिभिन्नानामित्यर्थ प्रतीनिनच कर्मप्रवचनीयसंज्ञा सोमय दिनसमा सतस्यनित्यत्वा दिति वाच्यं ।यह हप्रति लायनीत्यत्रतस्याः सावकाश न्यान्वर्थ
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सिर-स.
स्थ संज्ञाविज्ञानासंबंधविशेषघोतकत्वमेवयत्यादीनानक्रियान्वपित्तमित्पस्मकरीत्याअपिलातमित्कदाहा याअपिलयाविरममित्पादावणिज्यदार्थव्यस्थसावकाशवाजातंत्रीययदैननग्रहांकिमानचा यस्मिन्समम्पाएसंज्ञास्यान्सनाविधौप्रत्ययग्रहगोतदंतायहसानासमाससकसमर्थपरिभाषयातदतस्वस्था दात प्राचावचःसाधनाअंन्वर्थसंजयवतर्दतग्रहशोपपत्रानच यमदस्मदाषष्ठाचवथरत्यप्रेवश्रापंमांगा सप्रमाकस्बरमइत्यादविवसंज्ञार्थनदिनिवार्य अनिष्टत्वाकुंभकारोनगरकारनिभाष्यांसगनेचैत्यांश पाहासाम्पनानिानथाचसप्रमापदेसप्रम्पतयःोपायवाचकयदेभानमिनिसचनायव प्रहरामितिमा वानचाहरकुभंकरौलिकटमित्यत्रीययदसंज्ञायाकमायाप्रसंग: समासस्वसामीबतिवाध्याता त्योपदसंज्ञाया यदविधिवात्समर्थपरिभाषोयस्वित्पादोषभावाताकदिानासबंधिशववनयस्या यदयेत्तयाकमवतस्पतदपत्तयोपपदसशनिव्याख्यानावास्यदिनविभागासानिकादित्रग्रहरामि राम चीनचप्रक्रियाकृतरीत्यासन्निहिनधान्चधिकारपरामशीर्थनाअन्यथानिलडीयत्रलनेम्पपदेहत्य
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२५ ४ स्यादिनिवाच्याअधिकारादेवनसिद्धरित्याशंक्याहातस्मिंश्चसत्येवेनिातनश्कर्मरायणित्यादीका मसात्यावार्यकप्रथमानवनवियरिणामम्मकपिबदसंज्ञस्यानशिश्वसत्यवेत्यादिव्यारव्येयामि त्यर्थसंपादकतवयंहरामन्ययाकतरिकारहत्यायिसाधुस्पाइपपदसंज्ञानकुंमस्यकारात्यस्पासा) खुत्वज्ञापनाथस्यादिनिभावायतदभावकमरयभिधे रास्यादित्यर्थरस्पाघथाधाकर्मणिशनि त्यतियान्वानन्नाएकवाक्पनयापस्तीपयंसजायानिर्विषयत्वायनादृष्टतिडव्याख्यानादधेय हसमितिनदोषरतिदिवाउपयदमतिकात्रनिहलपपदमतिलसमर्थनसमस्यतात्यवाच सन्नानाजदर्शचिर्मकार इन्पादाक्यदीननान्नलायानापन्न निर्गत संपावरसवरीयो मायनेसातीनिड्रग्रहोंनोपपदविशेषगकिंवसमासस्याअनवकुममधयोरितिस्त्रकिहतस्यानिधि समनिवेधानिमायोहिन्याशयलव्याचष्टविनधसमानानिसानियलमायामित्या
त्यर
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सिर-स कायामृति डिनिसमासप्रनिषेधात्संज्ञा व्यथेति भाग्योक्तेरित्याशयेन व्याचष्टे। अनि समान वित अन्वनुवर्तनएवेतिभावः । कुंभम मिति षष्ठी विधानातिङ्किमिनिवत्यधिकाश किंनेने निप इतराव मनसिनिधायप्रत्यदा हर तिमाभवानिति समासा
३.१५
नायमध्येभवानितिप्र
312
क्रापूर्व कुप्रादयः। गतिः। इनियोग विभागः कर्तव्यः इत्यर्थः। तथा चेतिगिन्सय राशज्ञायन द्वारा का रकीशांगी क्रियते। ज्ञा न्याय सन्वातायन कार की शपिकर्तव त्यत्रक्कद्र हरी लिंग मिति कश्चित् प्रकाशः पचतितरामादधावत्या दोनदिनाने समासक्तिकत्वेनत सा नव्यास्तत्त्व हरी लिंगमिन्याप्रागिति मदात्पत्तेः पर्वसमासइत्यर्थः॥र्वपदं बेनमेवा परिभाषाफल दर्शयन्गतिमुदाहरति। व्याघ्रीतिव्यजिघ्रतीति व्याघ्री आप र्ग इनिकायाघ्राध्मे निशस्कन घृतेः सज्ञायाने तिप्रतिषेधात् व्याघ्रादेन गतिसमासस्य स्वनायेा राम यां हि संख्याघये हा ततः पूर्वमेव चलिंग बोधकटायामा व्यनडी घाघ्रशमानस्य जानिवाचिन्याभावान्नातोको ३१२
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गत्पादीनांसद्भिदेवतरितेनेतिनियमावपतितरांपजल्पतितरानिायवनगतिसमास:कियापाधान्य स्वार्थिकतर्हितेवस्तीगतन्निरुपित गतित्वमप्यस्तिप्रशस्पायक्रियेत्यस्पयाक्रियायायातव्यारा. नाता तब पति उन्नयपिनाया तवन्नथापामतपत्ययस्वरेगादानमातेतिडिचौदावती मनात प्रहेनस मासेऽदंतत्वामावाजानिलतरारोडाशनस्पारायघणयपदत्वेनापतत्सिद्देतथायिगतित्वसजना
तनात विमाशोदाकारकसुदाहरतिअिश्कोनीनाकीनाकर्ट करशीलनेनिसमासाकीनात्करमाश्वी दिति भिधातः डाउपपदमदाहरनिकछपीतिकोनपिवती निव्याधीवत्समासाव्यानियोगविभागान्कायनुकुगनीनिस सिधति।
समयेत्पननुरतेनिङ्गायिसमाप्तऊरीकरोतीत्फयाचानिनायकृष्टशनि ग्रह रोनिविरोधातायदातग्रह विध्यत्यनन तेव्याघ्रीतिफलमुक्तीनधान्यमयिविशेषमाहनिङापिसमासइतिमूलभवनारित कैश्चिन्शनह प्रतिमा पिनाउनयनपत्रोदातवनागनिमनाचनिडासमासोवानिकन विधीयननवेत्यर्थइन्फतरयंथनंविरोध पर का
स्त्वितिभा बानमाकसत्रातिसमासाउदालवन निवार्तिकेननसडवारोयहरीकरोनीत्पादावितिवेत्सत्यान्तरिय जानरोधेनहरदतादिभिस्तस्पच्छादसत्वांगीकाना लाकेतप्रभवतीपादावेकयधभ्रमोधात्त्यसर्गयोसहित के यानित्यवमलानसमासप्रसनासहस्पत्पत्रहपानामकलातरायचतिकवादेरुतत्वानखबुत्पशिशिर असादकतो जोतनाएका दाविन्यादाविवनस्पहुवीर वानरानचनिडासाधुत्तावेगनेनीवुपनिरिनिवाच्या
मानिसकंगतिकारकोपपदादितिस्वस्थभाध्यमूलंवोधमायदाहीद्धिसमासस्तदासंत्य ते:पावसतिनियमीनपागु
र सहपवैयाध्यामिविवाध्यमायतरवन्तनसमाँसततमा
नितिमतान्तरनव्यादिमिरुन्ततत्रमूलमग्यमा२४
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३१३ 313
सिर- हनिकेोटिप्रविष्टत्वेनन के वलेनिनिषेधविषयन्वानानचैवंधान्तयसर्गयोः संहितायावित्य लेाभिप्रभा मायाहीन्या दीपदपाठेऽवसानमडपपन्नमिति वाच्याच समासन्वप्रदर्शनान्विननस्यादोषत्वाना पद पाठस्य व्याख्या विशेषन यानुकरणानामुपसर्ग त्वमेवनास्तीत्य्। शक्यत्वाचेनिदिकामैवार्वेसि हे नियमार्थमिदंव का रस्य दविशेषणार्थइत्याहा च्य में वे निवल्प विधानमिति ध्याहार लभ्य मितता यस्मिनुपय देयेन वाक्ये नामविहितुस्तदेवा यपद ममं तेन समस्यनइत्याशयेन व्याचष्टे त देवनित्र्यमेव करोनियमबललभ्यो ननु सौ इतिभावः। ताप व्ययेने वेनिविपरीत नियमोन) मन्पत्रसमासप्रसंगात स्वाई का रई विषयत्वनियम स्प संभवनिन त्यागाया गायनैवेति व्याख्याने प्रसंगातमा नास्वा मिति खाडुमिशा लिति शामला नियम व्यावर्त्यमा हानि हेति यय दुसमासइति शेषः प्रमेव कि मिनि । एवकारमात्रविषयक प्रश्रव्ययेनकिं कुं राम भकासाव्ययग्रहणाभावेहिश्रमे वतु ल्प विधानंपडुयय देन देवयेन केन चिन्समर्थेन समस्यते इन्पश्वेखा ३१३
त्या
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अमन्तेनयासमासःसोमवतुल्यविधानस्येति३ इकारइत्पत्रैवसमानास्पानकुंभकारबत्पत्राथामनेनेवसमर्थनेत्पर्थस्तहि स्वाकरिडन्यत्रायिनस्पात अथपूर्वस्त्र पमियाऽव्ययविषयकएवनियमनाहिसंविधानादनाव्यविषयकएवनियमः ॥ स्पानियांचाग्रेभोजमिन्पत्रमा भीग्रेभुकावलाभोकामन्यादौस्यादेवेलिभावारतीपापा अमे त्यनुवर्तनयाहार्मतेनेतिउपयविशेषगार्थएवकारो नाउवर्तनातिभावावेनिाउभयत्र विभाषये। याप्राहाम्रल कोपर्दशमितिमाखउच्चवारमाचइतिअमाचान्यनवाल्पविधानभेनराइहसमा सपनेहतरयदयलनिस्चरेशोन्नरयदमाकंदातीआदिलीमुल्पन्पतरस्यामितिशास तस्याफदानवार
असमासेनचरित्नदानावयहिपुनथायाठारावाचान्दतिरतीयानाबानानियोगविभागादालो। यविवदिस्यदीरितवदितिहरदनानायलनेसवर्गदीशायययने अर्लक्कत्येतिअलेखल्वा प्रति मेधयोन्याचीछेत्यस्यव्येदेशमतीयायामित्यनःपूर्वयहितत्वादिनिभावाथनमतअसाधाररासमा
सातानाहातासायस्पेतिअवयवावयविसर्वधेघशयाहागुलमितिातहिनासमासाहिगोनित्यमिनिमात्र दितिनध्यातायत तेरेवमूले भ्परतानामित्युतत्रसूतचिन्त्यम्भाष्पकैयरत्यादावभावाहिशि ष्टानुष्टनिसंभप्रादिग्रहणवैययीपाता
असाधारसासमा
टानसभधादियालायरतानामित्युलतवसायालमितताना
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सिर. चुलोपइनिहनि
३१४ 314
वयस चोल गितिनव्यादयः तत्राप्रथमश्च हितीयश्चेतिवचनविरोधा कांडांना तत्रइत्यत्रन्यस्वये थे न सहपरस्पर व्याधा नाच । द्वंद्वार्थमितिको रात्रि शितिषष्ठीसमासयसिंगत्या वेदसंभव: य नरस्यभनयासह वे तिचे ना मुख्य सभ वे गोरा यूहगायोगान पक्षयासामर्थ्य हिमत शिशिराव हो रात्रेचे शनाच्च । अहोरात्र इति जातिरप्राणिना हिसमासान नियमकमित्येतद्वा ६ तू स्वेएतेनैकवद्भावाकी बने तिम्रा चोकतिर त्राहाइनियुं पर बा वर्युस्त्वनेन विधीयनेनद्रनस्पतु परवल्लिंग मित्यनेन । तदयवादत्वाच्च सनपुंसकमित्य ली बने वयुक्त यवाचीनतन्त्रा हुद्दन कार बाधेमाना भावाला महा दानू पिली प्रसंगाच्चाइयतीत हई तिमूल विरोधःनिर्विशहद रात्री मासेनस्या दहा रात्र निप्रयोग विरोधाद हो रात्र इन्या करयथ विरोध ॥ पूर्व रात्रइति । रात्रिंशस्यैक राम देशभक्ती कर्मधारये पूर्व रात्रिरित्येव भवनि।द्दिशत्रमिति संख्यापू वराच लीनमिति व समासात्वा च ३१४
योरित्यधि
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यमितोमर शूनतशितइत्येवसिद्देनियमार्थमिदीएतकारस्तावियरीननियमशंका निरामार्थाश्रआत्माम्बानोख इनियर्तिभावविधात निरासेपतिपनिगौरवस्यादितिभावाउन्नमाहवासकदेशे यंत्रीतमस्याघाटा दहादेशोनाद्यहीनानिासमासातविधरनित्यत्वान्नेरनाअन्पचारादेशसंगोतरानवखेरिलोया
माहादेशनिवाग्रहीनत्यत्रसावकाशत्वानाप्रनित्यवादिनीशकिलागली वायसामग्रतामलिंगीतिकृतानुलध्वन्तुरस्यश्वनियाने कर्तव्यराजनशस्पत कुशंघच्घटायू
सं भवतितस्पैवग्रहराामितिज्ञायतीतिनेहरजित्फतामेहरा करायस्याकासासालासरीशनियंवद्रावेटिलोचमडराजात्यनिष्ट जालीअन्पथाभस्पादन
पस्यादितिभावानगोहाग्रहासकदेशस्त्रानादृष्टाएतरायरामश्यास्तवाह-शायरी शबोनसभवतीत्याशयेनाहासवा पानासमासानेपरनरनिाएतववशालधाभायता योरयानाअहएपइन्पेवाकजनुक्स चटजयवादअगष्टरवारवानानयमाहिलोयामा
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BT3
वह्लादसिह वातरेकादिमला इनिप्रयोगसत्वेढ़ घादित्यपि बोध्यंरषाभ्यामित्यधिकारात् !
सि... के
३१५ वाहे नियुस्त्वस्यन्याय्यत्वाद हा देशप्रन्याख्यानावसरेरात्रा काहाइ नियुस्त्वविधानाखियां पभावा 315 हज चीनी स्तिविशेषइति कैय्या हिभिरुक्तत्वाचेति चेत्रात द्वितार्थ दिउ भिन्नविषयविया इतिनीती तितत्रा पर्यान्नहितार्थस्वनन्निष्टवान्वाभिधानस्यायिन्याय्य वानराय निष्पतेतिन्यायात् किं चहियामा पत्र दिनापरवल्लिंग त्वेषु निषिद्धेन दयवादस्य नान्यस्याग्रा विचित्रताः प्राघ ला प्रायन्त्रपूर्वः परोयगान विनाथ हिगुः सेव्याः सर्वनाम तहंत का इन्यमरो किरपिमानमितिभा : बितिन चठत चान्डी शक्यः ॥ लुप्रानचत्य लत वशश्रयन्वावर जोपो का रसनान्डी बितिनत्रव्याख्यातत्वानि का कालकूप पिन डीन ताराम तार्थप्रतिस्पोपसर्जनता नए वापिशलिनायोक मधीया नावाने राशि लाइ निभायो दाई संग ३१५
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त्या
दूप
नानापिद्दिगोरिसने ना परिमानिनिषेधानातस्मादावेवयुक्तस्तथैवोदाहरति। धमेति कालनिर्णय दीयिकायां काफी निप्रयोगे बड़ी होनीत लक्षगोडी बोध्यः । ६ योरको विनित ध्याख्यायं युक्त फलितार्थ घर तया नयइतिभा का दीर्घाही तिएन प्रामादिकांनस्पभाग्यवादी घाटावर याप स्यानी तिटित चकाशि का या स्थितीतन्मते उत्तम नए कश्चेतिविय हे ६६ः दिवचनेन सत्र मिमिन व्याता समाहार६६ विषयेपेक शेषवादिनामस्माकं मतेन न किंचिद्याध को रखा पर द्विगोरितिखारी शहो तो दिगो रित्यर्थी अनिल की न्येवेतिएतच्चश्र्वसूत्रबोध्यां जलिरिति श्रभ्य ईश्वतियं भोखा बारा खुरा छुइति सप्तमीतियोश विभागात्समासइत्या किं दिवत्रह्मा नारदाकुमइति । ब्राह्मशाप र्याप ब्रह्मन् शहः । श्रान्महता • कारखच्चारार्थेन नुस कालशिदिन्पत्रको भौक्त शिद्ध हशा प्रत्याख्यानस्य निरस्त त्वादितिध्व नयवाह'च्या कारइति । इहोत्तरपदाधिकारपूर्व पद्मा क्षिप्यते तच महना विशेषितमितित देत विधिः यहाव निधिः प्रन्ययविधिविषयः इत्यक्तत्वान्नाति नातिमहा बागरित्येव भवति।क्याच परममहन्यरिमाणावानित्य
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316
वपरममनोव्यस्पपरिमारामितिषष्ठीसमासमासायसमानाधिकरघावंस्पादिन्युदयनाचार्ययी पानायविकषीकेत्यत्रनर्दनविशयसंख्यानाइतस्यदाधिकारेतदेवियभावशायनान्नात्वाम मनिवर्धमानेनोकमानन्नामुनित्रयाउतस्पज्ञायकवायोगनियनविधिरिनिरूपदाधिकारेप्रयोज नामष्टकाचिनयकष्टकविनामनिभान्दाहपदाधिकाराइनोनरपदाधिकारोगाननि कैयारेन व्याख्यानमेषश्वावितिलनार्थनउपनिबद्धोनउवाचनिकनिदिकानन्दमहन्महान्सपनामहरूत इमाइत्यत्रान्वंकस्मानभवतिनवासमानाधिकरायान्नेतिवाचाअमहतीमहनीसंपन्नामहद्भूताबारा पत्रवद्रावानापने नवसंघीभेवनि ब्राह्मगाइत्यत्रबद्धवचनदीनाचतिप्रकृमिरेवपहलपमहत्यामे कत्रीति। वश्वतिरयदयोर्वमानत्वासामानाधिकररायममातिवायोत्रान्वस्यायिडवीरत्वादितिचत्रामुख्यका यसयन्पयातामहन्सेविनिहताविपधिकररायानावमिनिभावामहाबाहुरिनिबवाहिरयेसचसामा राम न्पशास्वनिनवालासशिकिइतिभावामहनीशवस्यतिपाचाडानीयवासादौनीशहस्याव्यानवतयार
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मिनिट क्रीतत्र जातीयग्रहांसत्रपती कस्मारणार्थ इतरनु कान्यायनोक्त स्वसंज्ञेयेशासंग्राहक मित्प धेयांच्यष्टनइतिह विधिवाच्यैकयालशदेन्नरपदे अष्टनच्या कारी वा व्यइत्यर्थः प्रष्टाकपालनि संस्कृ नमसाइत्यतो द्विगोर्लुगन पन्यइतिबुध्न्यालु गित्युक्तनामादिकाखयः। सानोयमादेश तिध्वनयन्नाह । त्रयोदशेति। एका हिरिति गित्वाख नाधिकरणावाचिनो धात्प यस्यसंख्याया विधार्थीत्या दिनाविहिनस्यैव ग्रह बिजवचनं हनादधानी तिष्ट घेति । यस्वात गाइनरेतरयोगे निसमा हारोस नपुंसक [पवादस्य मोगात्वादासन सप्रम्याद्विवचनेतथा ईदैनन्पुरुषेचयत्परं पदं गर्व यदस्यातिदिपनापर शब्दस्य संबुधि शुद्ध त्वेनपूर्व यहा से यकत्वान् । म पूरी कुकुटाविन्यत्र पूर्वयदई कोनिवृत्ति प्रसंग: कुछ जकुमारी दीपपली त्या दाखीप पयत्य नाकितु षष्या इतिध्वनयन्नाह । एतयोरितिद्वंद्व नन्पुरुषापयोरित्यर्थः तेनानुप्रयोग पित देव लिंग सिद्ध उपमेये षष्ठी दर्शनाह निरपिन देता देवेत्याशयेनाह । पश्य दस्पेनिनमनत्रयं । श्रवयवार वायेक्षित परस्प
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सिस्न राइंदानिनहिनासमुदाय कश्चिदस्तीत्येकाअवयवार्थानिरिक्तासमदायएवईवार्थसचावयवलिंगेन
लिंगवानिनिहिनीयालिंगन्यासंएवसमुदायाददार्थनिटतीयानवाघमनहनियमामिदमिनल गावयव सुगल्लिंगद्दयप्रामसभवपिपायेगाप्रित्लादरात्पन्न विध्यर्थमेवातसयोपिडिविधान तरपदार्थपमानापूर्वपदार्थप्रधाननिहाधिपूर्ववमानत्रयंबोध्याउनरंपदार्थप्राधान्य श्राधमत इयेनिदेशेनविनायिसिद्दमिष्टराजकुमारीत्यादीप्रधानलिंगस्वन्यायवाताअन्यमनेनुविधार्थ मेवापूर्वपदार्थयाधान्यमननयेपिविमिवाएक्वदायिलाघवादवांपाचनथैवन्याय्यमित्याशय नाहालिंगस्यादिनिायधपिचथी तदर्थनिललिगमशिष्ट लोकाश्रयत्वाल्लिंगसोतिभाषेप्रत्याख्याताय
३१७ 317
दाहरतिनिकोशाविरितिप्रसंगादाहस्र्ववदधनियतंत्रमिनिअवचलिगविद्यहाँअन्यथानिपानना 9
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मिठ
देवसिद्धेकिंनेनेतिभावाइहापिस मासार्थस्यैवपूर्ववलिंगानिदेशानन्तत्तरपदार्थस्वनथा वश्वव डबे शोभ नां विन्यनुप्रयोगेर्युस्त्वा नापतेः । नन्वेवस्वाश्रय स्त्रीत्वा निवर्तना हायः श्रवशप्रसंग नचानि हेशवैपथ्यी शासन प्रत्यानुप्रयोगे च विशेषा हि तिचेन्स न्य । इहे व निपानना हायोनिरनिरित्य वहि। श्रश्व वडबखायराचरो तराशा मिन्पत्र नियातना दित्यपरो का होरा इनिहोरात्र तिप्राचोदा ह प्रागेव निरस्तमितिभावः । सेख्या पूर्वमितिकाञ्चा पथ्यु राया हो नर्युसको संख्या शवरात्रिरिनिलिंगा अनुशासन मूलं ननु वार्निकं । प्राक् संख्ययान्चिनमित्यमरवाए तेन द्विरात्र विराजतितिहरदना तदायरा ती प्रथा नन्पुरुषत्येवेति यरवलिंगमिन्यनुद्यते ॥ ६६ग्रहण नानुवर्तत योग्यत्वादस्वर तत्त्वादितिभावः। श्रयं था इति। यथेो विभाषेति समासात निषेध । इस शाम कायथः संख्या व्ययादेरिति वार्त्तिके नसि हैः। प्रसंगा दाहाची लिइह के वा चिदभेदेनव्यवस्ष्यते। यथा निधाय शरवो युद्ध गोजलजेद्दिलिंगी सनः पिशाचेद्दिलिंगः क्रिया क्चनो विशेष्यलिंगः सधवाल व राद्दिलिंगो योगिको वाच्च
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रहादिग्रहणां व्यथमितिधनयन्नाह पर इति । ४
घर
सि·रख निंगतियथाथ वो ध्याजात्याख्यायामित्यादिचनः सूत्र्य इह संगतिश्चिंत्या सनसंस की अनंनर स्पेनिन्पा ३१८ योनाश्रायतनथावेहिसय हानस्यादित्याशयेनाह । हियईश्वति यात्राद्यंत स्पेनिस्त्रीत्वमितिशेषः। श्राह निगोयाखदिनाहमितिशोभनययायः स दिन शाखेदिना सभा स्वित्पा दिशिष्ट प्रयोगा 318 81व्यध्वोडुरध्वविधः पथ समाइत्यमरः प्रामादिकवा नव्यास्तारःपथ श्रमाश्वि तित्रिकांडशेषादायिथे गना धान व्युत्पादितः।। ति तेनसमासे से स्वमुपयन्ना का यथुत्पत्राया यदर्थे चैत थकीन्यात चन्यनसमा सातपैव वार्तिकेनुक सामिति का च वीजाभावेननहरा स्पा मिड वीरत्वात्ाा) परवल्लिंग वा दत्त्वादिदं तत्पु रुष्एवप्रवर्तते ते नेहनविषया नगरीयंत्री हि यथा नमः 1) नियथा । इहा यिन्। द्दिगुप्राप्ने त्यनेनपरवल्लिंग मिन्यस्यनिषेधा दिन्याह । स्वयं थाइति नजनादितिसमासांत निषेधः सामान्य नियत राम लिंगविषयका मदीने नादिः पचनियानरादिरिति स्व मेवा न्यायसि चेदेनविहमर्ववचनमस्ति विशेष्यवि ३१
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शेषासंविधानेलिंगसर्वनाम्नोनपुंसकत्वस्यन्याय्यत्वात्रामृडपचमी निवृत्ति कृतानुअव्ययीभावश्चेति चकारस्यानुक्तसमुच्चयार्थत्वात् क्रियाविशेषण नोच नपुंसकत्ववाच्यमित्यक्तं नन्वयद्ययिभानपाठन नथापिशिष्टप्रयोगातुमिना सूचवृति का दिव्यवह वसीय नोक्तं च भाष्ये लिंगम शि लोकाश्रयत्वादिनितथाचा नियतलिंगेषु सामान्येन स क मिन्यव सिद्धत्वान्नियतर्लिंगेषुत हिध्य यदिति बोधनादिपचना तिनपुंस विति पाकस्तदनुकूला क्रियेत्यर्थः कर्तृसमर्थक लृत्वा दिशः पुल्लिंग एवेत्फलानो न्यू द्वितीयेति निरूपितंनन एव ध्या ज्योतिष्टोमेनय जेनेत्यादौन भावना त्यानहि शेषन्दनीया। ज्योति मन भक्तिपूर्वयजेतेत्पत्र भावना विशेषशा क्रियायेक्षया भावनायाः कर्मत्वेन द्दिती यातमिति नव्याः। तत्पुरुषः। न समासकर्म धारप मिन्नस्तत्फर वो वपमा राग कार्य भाग्भवतीतिस्तत्रार्थः। संज्ञा या कं योशी नरेविया दियं चस्मामतत्पुरुषस्पनञ्समासस्य कर्मधारय स्पचासंभवान्नास्यतत्रोपयोगः
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वा2
मिस्त किंतविमाषासेनाखरेत्यत्रैवेतिभाष्पकतामलकारोपितत्रैवलयंदयिष्यत्तिाइदचप्रकरगापूर ३१६ वलिंगतायवादाकायोडल्यासनावराछायेनिविकल्यापवादायी यस्यैवेतिन्पमिसभामगन्नि ।
पत्रगनयतिवदानावशषत्वानदोघानिरसितादयावनिशमितिाहमचन्तर्दशीनिकिलकेचि 14
वानरपवसनिारनवर्वर्तित्रनियंगधिकरभाष्यस्यष्टीहरसेनशताननुबाबीही विशेष्यनित्रनान्या पवेनिकितन्यरुषग्रहरोनिनिचेन्नान्यायायायावचनंबलायइतिज्ञायनार्थवालाकिंचासनिनास्म ६६ष्यनिष्ठस्यात्यरवल्लिंगायवादवानस्पतिदि॥ ॥इतिश्रीमंडामहाभहविचित
परमः॥॥अथसात्रक्रमबत्राहिमाहाशेषइतित्रतिकृतापत्रान्यास
Dदानायास्मन्नथायीभावादिसंतकसमासानविहिनासशबपति हरदनाव्याख्याताएतच्चपावडारात्पर कामिनिपाठाभिप्रायशाबोध्याअन्पथीमन्नगगमित्परता हडबीहि:स्पानिरवकानात्वाचाव्ययीभावइत्यनिष्टप्रसंगाकिचर्कठेकालन्यपिस्नेशीवसिध्यानापारी 386
शेषग्रहणाभावे
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बशेषग्रहशांव्यथी निरवकाना संज्ञाभिः स्वविषयेबाधिनत्वेननत्र बहुव्रीह्यपरनेरतस्तत्राप्रियोजनमा हायस्य त्रिक स्पेति द्वितीयाश्रितन्या दिवत्प्रथमा नचित्समस्यनइतिनोतुंगनाद्यर्थप्रथमयेति टतीया निर्देशाद्वार्तिक वाच्चेतिभावः। कंठे कालत्पा/ साध्यां मर्भुक्तमस्य त्पत्रन बद्धवी हिः। हर दत्तादिमतेव सस्यादेवेत्यनिष्टप्रसंगइतिभावः । अनेक सबसे बोनुवर्तनख यतिना पिट्टत्तिलक्तरीत्या सं दितिभाका अन्य स्वयदस्येति। समस्पमानयदान पित्यर्थः । अर्थइति । सम स्पैमान त्यर्थः एव । देवस्पष्टयति। श्रप्रथमेति विभक्तयर्थइनि प्रकृत्य यथासमानेति चशेषयहगालिब्धाने के कवि इनामपि यथा स्पानच्च मूल एवस्फुटभविष्यति न च हितार्थ चोत्तरपदेय हाववदेत्पत्रेक वेन विवचितमितिवाच्या महत्कश्रित्पतेः पुरुषस्या पापतेः । न चोन्नरपदेनपरि मा शनिवार्तिके नियमार्थ मिनिनदेोषइनिवाच्याना हैतत्रैवनद्विनार्थे त्वस्यसावकाशत्वेन ज्ञायकत्वानुपपतैः। वस्तनस्त्व निज्विधोकेव
तिर
तद्विशिष्टष्ठ
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एकविभक्तिचेत्येवोपसर्जन संज्ञासिद्धे: १ तिपदानां सुस्नातं मोरितिगम्यमान ४
३
सिरस
लग्रहशाल्लिंगातत्वत्पुन्यतिकिं । बहुजनन्पुरुषया र्विषयविवेकायथास्याना अन्यथाकंठे कालहत्या ३१० दौसावकाशेब वाहिनीलान्यसत्यत्रत्वपदार्थ वान्ययदाथ। पुरुषबाधेते तिप्राचाञ्चित्पशि ३२.० पयहशीन समानाधिकर सिद्धांनाहरु बहिर्निरिव काशवारात स्मास्वयदार्थमा कात्पु रुपमेन्यु दार्थ बड़ी हिबध न्यमाग्रह संपदा मारता था। तथापि या प्रत्ययार्थी भिधानं यथास दर्थग्रहरोय अन्यथाय दानीयदेकपसंभवाच कर्तृत्वादिरु मन्यथपसीनप्रत्ययार्थी मिधानानास चेह कर्मत्व मनोविमर्थस्वापदिहितचैव बहुजी हिः स्थानमा कायामन्याद सामानाधिकररापनस्था थियहर निष्टागार्थत्वा तानसमय घविषय बहुवा समर्थग्रहणामिनिस्ववचेतथा पेस्ट राम मन्या सामानाधिकायापयतोकिनेति वाचयातिका भाष्पकेटहरदत्तादिविरोधात्समर्थस्स्त्रादिभाष्य विरोध स्यान्तत्वाञ्च्चन इयेत्। द्वितीया दिवि भक्तार्थ ३२०
प्रलपर्य प्रत्या
विशिष्टकृत् ६
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२५ कोहनकतीन ट्वानारुट्सप्रदानकोपहरणकर्मपशुःपशुकर्मकोपहरणासंपदा रुद्रास्थाल्यवधिको हराक
कमेराणेदाहरतिापानमिनियामकर्मकानिकवभिन्नसुदकमिनिवाक्यबोधाउदककट कप्रानिक मनिवौवावसइनियोगत्वयमेवबोधाअनडुत्कर्षकोहहनकर्मुरधारथक मिकोइरगावधिलालानचवाधावप्रतितार्थस्यप्राधान्याहुनविपिनथैवन्यायाम निवार्य अन्यपदार्थप्राधान्य सिद्धयेविशेषताविशथभावय त्यासेनैवैकाथाभावाभ्फयंगमाह रामनांतरेतदकादिपदस्पेवदत्तौविवतितार्थलताकतभिन्नीत्पादोतस्पस्तुलनात्य ग्राहकमितिसमर्थस्त्रे वोचमाएतेनव्यपेक्षामनेकविशिश्याप्न यदार्थविनस्पैवना मानियोदकस्पतदहीवाच्य-सचवाधितानिन योनिनिरमायदपियोसमीचीनमुद कमिनिवसपलेपिविशेषयिोगताना सधसविशेषगानातिनामवचननैववारीय इस जानदविनास्वमनश्वाशापतिप्रामादियूदानावरीवदानर्थक्यस्मतुल्पवानाप्रथमाड विति। अशेषत्वादिनिभावांपादिभ्यतिपादिभ्यः परयडीतुजैतह स्पपदानरेगावची
५३ पञ्चमितमिति सामानाधिकररायेपिषभुक्तवन्नो स्थान
मदिना प्रोदनक २
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सूवेद्यारवासिर महिनीव्ययइनिससिद्धानवादालावाचेनिवनव्यमेनलाग्नरपदस्पेतिपदांतर्गतस्पेन्पथः ३१ लायाबायशताइदचक्नीपादानीविशिष्टार्थहनित्वमाश्रित्यत्यजास्त्रिया वतानियानना
दिनिएनबर्वत्रापि बाधाअन्यथाव्याधिकरगानीबजाहिर्नस्यानलुमितिअन्तडि-नि थमाता पाउनषष्ट्रप्रथमेनिहरदन्नीलरितिभावावल्पातिएनेबलंतीयाँदिधिनिनावल्प प्रतिनिमिततितिाशेराभिार्यठाकुरीभार्या यात्रीभापरिपादयो हिनतल्यपरनिनिमिवेभा घिनसंस्काइनिजातरस्त्रीनिहोउन्नीउडभावीयात्रेनिङ भिन्नाटाबादिनगघनानथात्वएड बिडोदारिकादारदरदारिकातिनसिध्यताउविडोयत्पजनपद शहान्दोत्रियादनादरदा या योधनमगधेत्याऐडावडादारहबियामनश्चेनिसयोल काडविचादरसाचा सौदा रिकृतिविग्रहःविचेवभाषितमुस्कात्यरस्यान्नऊवाग्रत्ययस्पयुवनावश्यतेतीप्रत्यपलो राम यस्वपर्यवसन्नस्नयाचपरभपिशपात्रीतरहप्रयुतायाडवानिवन्नेरवायरस्मितिनिशान ३२१
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वडावाघास्याताअपिचारतमायाम्पेतृभायावदिनुदान्नेतिविहिनोनकारः श्रूयेताबीत्वस्या निवर्ततावानेचसनियोगशिष्भ्यायतनिर्वाहातंत्रनदोधकचशवाभावानाकिंचागापश्चतादारि कागदारिकाइत्पत्रवियामुयमानायनालस्पात किंचावतंडस्पायत्यवतंडावंडाञ्चतिय लु क्रिलियामितिनस्पलकाशाईखादित्वान्ड्रीन साचासौवंदारिकाचवातंबईदारिक पत्रंडाना निनावविश्वालानिधननालक प्रसध्यताअपिचैवंखियाइत्यपिव्यर्थस्पातानस्मायधिकरणायद बड़वाहिरावश्यकापदचान्यपदार्थइन्याशयेनाहावावाच केनिनिनुनकोपधायाचवमध्यता मिनिचन्नाब्रह्मबंधदारिकपत्रबाधकबाधनाथन युवकर्मधारयेत्पनेनयंवद्भावायनाटयण निषधसाम सिदाननदोधास्यादेतताअथातिशायमुनरूयानिदेशानाधाअर्थस्योमयद घरवासंभवातानचशद्वारातत्परत्वमाश्रित्ययस्ययुमर्थ तिदिष्ठेमुवाचकशाप्रयोगादि। टसिदिकालिमन्वयवदावबाधित्वापरत्वानिवत्पनयपस्पेनिविधीयमानदस्तानापन्ने अर्थ
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सिर- स्पयुंक्दावोचोहतत्वमितिभिन्नतिषयतेनविपतिषेधानपयनरतोहितीयरवन्याय्यइत्पाहारपमि
नियनुनिवाक्ययोताल्पार्थवलिमयाचित्रागांगवामयमितिजैमिनीयाविरले निनन्नाना हाखिJहस्पलोकेपसिदाकिंचसमासापिध्यतानामुनग्रंथी नानानाघु अनुशासनविरोधा नानात्यानपाएवलोकिकवियह पिप्रवेशोचियाताप्रतिकापाचकत्यादीनदभावस्पसवजनी नत्वाञ्चन्पारायनमल्हादयनानिचित्रागावनिचित्राअसितिश्रुतरंगानपात्पन्याविभक्तिका याप्रसंगादितिभावः केचिदितिरलतहरवामिहतिवेवसपहीमयों भार्यअस्पेनिग व हुजी होयहीडभायतिमायादोहरमादितिभावामान-निसमर्थपत्रेचं ठरविहान पौनेनेष्टी हातारं इतिश्वपदत्वाभावेपिने पिताअनरकरणादितिभावानइतिएपदानातया तचित्रशबरदितिदिदांतर्गजरछइस्पानरयदविष्यसैमानाधिकररापानमिवानानवम राम पिहान्मकरर्वपदस्पंसमानाधिकरतानरपत्यरत्वान्साइवराित्रीप्रत्ययप्रवत्पाभित्रजस्वदा ३२२
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योयन्पेकंल्पग्रहानिनिमिनेभाषितपस्कन्वपिवेदात्मकस्पातथावानायोरपीतिासामानाधि सराय सत्वान्ताजविवेनिापूर्वकालेकेनिसमासाजरहवीकानिागोरनहित लुकीनियचिटिवाड़ी निर्दतेनबाजीहीनघतश्चेतिकशकल्पारामानेनिानपत्रहने प्राक्तामानाधिकरंरायमस्ती निनावाप्रधान मिनिभावल्पतनित्यनपुसकाणमासीतिकरगोल्फरनदंतस्यविशम्यनिघा. विदित्वान्डाशप्रथमारापाटनर वितिशाबरभाध्यकथमितिचरात्रभहाप्रमाताम यतयानिलभूतीश्रनियतःक्विबतादयतेस्तस्माबरीतीति जतादाचारविबेताद्वापचाप चियबिन्पाइप्रधानतररायामेदेतिएनन्नवार्षिकोतप्रधानेकार्यसंग्रत्ययान्यायसिहान नातपूरचस्पष्टाठमितिदायनितिमात्रपरले नावहरवादयोगान्त्रलिंगविशेषाव वटेनिभाव-लिंगविशेषविवत्तायांहढामनिरिति सईयेषियादिसा शयारतिसिला दिपायानीतिकनिरजयाबशइत्पत्रातिलादीनोहचवायखयादिनिभावात्रनिया त्यमाणामतिरुच्यतइत्पाहातबागमशास्त्रस्यानित्यवान नेतिवोध्यन यदाविचिवावर तीतिविपविजित्यतीनव्यास्तु तत्व
भनि२
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सिर· प्रतिपद्ददेश्येत्पत्र देवयस्यतसिलादिपाठादितिमादायरिगणिती सूयो दशप्रत्ययांखन सादीन ३१३ दाहतुकामस्तनस्तत्रयतायचे तिभाष्याक दाने सर्वनाम्तोनिमात्र ती या गेनार्थत्वाऽपेक्ष्या अनन्य था सिद्दमुदाहरतिबदीधिति वस्तुतस्तु व मागारी मादा हनमपिसम्यगेव निबेो 33 ध्यानचनादिभ्यो ङीषः पाक्षिक वातदभावेने निसिद्ध मिनि प्राज्ञिकानिष्टवारणार्थत्वान भूतवचरयित्वा नी
यदि तेरे निप्राचान पटुतरे फेदा हमन दयुक्तमितिभावः। प बहुत प्रकारवचनेथा लाह्क तिरिति कडेपठ। भ्याति लनाति लौच्छं दस नितिला जय्यत जाविभ्याथ्यन्नाननुमु दाहिलोत्रियो माष्पक नागरी नाः । कया हत्या कथन स्पावे लाया तदातर्हिइत्यादाहतंचतत्कथं मूल तो येक्षित मिचेता सर्वनाम्नो हनिमात्र इति गतार्थत्वादिति । हारा विरक्त तत्व ते एवमा ध्यान पनि तद्दिनभिन्नय रानचेदं परिगरा। नंन युन लेराराम त्यायनस्येति वाच्यं एवम पनि नस्तन्या दोन जल् दानस्या से बहुत्वायन्तेः। स के चफले तुसी ३१३
ज
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मयोविश्वामयश्त्पादौसंवडावविरहाअतएवैकनदिनेचेनिस्तत्रस्पटइछसोश्वनिवार्निकस्पचन वै पीनचतडभर्यव्यर्थमेवुनथाचोनपदमेवमलकुतत्पत्पाख्यास्पनीनिवाच्या उत्तरी त्यासको चकतामाशातत्साधक्यापपत्रीफलमदपत्पारव्यानापागारातएवतनसतिप्राचीदाहनमधि नानुपपत्राएतेनसर्वमयनिनव्येरुदाहरिष्यभागीयरातानिजामयोध्यामपियावनामयभवन्मान योध्यायनीतिश्रीहर्षप्रयोगाविभाष्याविरोधाडयेसायदसंस्कारयतेवासाधुानस्मात्यमादीनीयरिग यानमातश्पकमित्यास्तांतावतारहतसिलादिग्रागिवात्करनिकोपिइष्टव्यः युवकर्मधारपेन्यत्र दारदिकैतिभाध्यमादायपारीवात्कातिकेनसिलादिधिनिघवगावनिकै योगतत्रायत्ययात यादकदरहस्यदारदशादर्शप्रन्पयस्वादिनीवेक्तरूपसिंदेशवासीतिवरल्याीच्छस्कारका
दितिविधेयःशहाअपियगावचनाएवाअनपवनकोपधायाइत्यस्पयाधिकात्वियाचिकानेतादा हतंचिन्याइनियोतएकतदिनचेनिस्वस्वभापकैय्यानरोधाशोकसिहा शुक्लादयएकच शासिलदिषदश्व्यइत्यर्थःलतलीअवचिजातिसंज्ञाव्यतिरिक्तधममात्रंगणारयतेतथावाकयाश
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मि
तिम
सिरस नानथाहितित्राहिएकनारकलेसदाहापयुवद्रावनसिहमिन्याशक्यभगवान्माष्यकाराहजनमे ३२४.
ननरावलोशाक्वनस्पतिात्रय्यटाएकशइस्पसेरयावाचितयायगावचनत्वेयसहायवाति
नोऽतथात्वादिनिभावत्यायधयुक्तसमात्याऽसहायनाचिनबद्भावाभावप्रतीनावयिक्रियावाधि 34
नयुवडावेनकिंचिदधिअनएवयसर्मनिकश्त्यत्रैक वीवासवादाचमाइतिभाध्यपत्यून इतिसत्रेमल्पात्फलपतियहोरल्लादितियथश्चातानुकूलनथायित्वन लेयास्यत्येवासिव चनयहरा प्रसिद्दरामायरियहार्पमित्फक्तभाष्यकैप्पटाभ्याप्रतीनेनक्रियावाविनायवद्रावामा ध्यन्तिकारप्रयोगक्तपदसस्कारयामाश्रित्यव्याख्यान कैययहरदन्नाभ्यायचायवाक्यसंस्का रपंलेभाष्यप्रयागसौष्ठवायाक्रयावाचिनोपियंवडावइत्येवन्यापिनीत्वावतारातियर मापन नश्वनीयवादाहरसापुत्कदाहरदियानाचतत्वमित्यादिनाहास्तिकामिनिाचिनहनिधनो राम शिठिकानचात्रयस्यनिलोयननिहित स्पासिंहवंदपसिहत्वादच परस्मिन्नितिस्थानिवडावाच्च ३१४ यमन्यथा यात्रिकाधापतिस्तथापिकैययनुरोधातत्ययोगेषदेसंस्कारपन्तएवांधायनेतथावयामितिमा
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नुस्तद्दिनइनिटिलोपानायते नच कुछ मोरित्यनेनैतत्सिद्धिः शंक्या धसासाहचर्याद्भवनष्ठछ सावित्य स्पेवठकस्तत्रग्रहणातानच जाते प्रतिनिषेधः शक्यः स्मादेव भाष्याद शात्सोत्रस्येव निषेधोन लोयस ना निकस्येतिज्ञाय नातू रोहितोय द्विशसति युक्ा वेडी नकारयार्निहतौरो हितेय नि स्यादितिभावः घृत इति व्याख्यानादितिशेषः। शत्रुपर्यायेनि । नच लिंगंतु व्यन्तयत्न इति निर्देशः ठ कुछ सोचा कामत्वार्थप्रारंभ भाव त्काइन वस्ायामेवयुवद्भावेक्वे स्पेन बाधित्वानां तल यांकादेशः नचे कादेशेमन्वान्यवद्भावेषु नः कादेश पास है। कंठ क्ग्रह रोग ने तिवाच्या मथितं पाय समस्यमायित्तिकन्यचे वा विधितेन स्यानिवत्वायोगात् निपातय यावा कादेशाय से गायत्रैः। स तार्त्तिकमित्यार पुन कर्तव्यमित् वैमयइत्युदाहरणांचा वितनविस्मयातिमाचइति । सर्वनाम्नः समामेवैषुवदिनिप्राचः पाठोपाठ भाष्याना रूलात भाष्यकारे चेति अनेन केषां चिहा किल श्रमः क्तः उत्तरष्ट्राशनप्रवर्तनइनि न्यायेनस्तत्र वा निकलो रु क्रिसभ वोषिध्वनित
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न ४
2
सिर. निकर्षेन व्यर्यमेवेत्याह । गतार्थ वादिति। सर्वमयइतनागतइत्पथमपतिमयान सलादम ३२५ यारपरिगणितत्वात्तेने दन सिहानी तिभावः । सर्वकभायै । इर्तिन कोपधाया इति निषेधो खियाः । वदित्यनेनन गतार्थता न चास्याप निषेधः शक्यत विनदभ्फ पगमात 325 नचैव सर्वनामत्वाभावादिधा पिया नितारः मात्र ग्रहरौ। नहतेः सर्वनामले नहष्टस्य संप्रति तदभावेयिनदभ्युपगमात् सर्वानामका चित्र स्पपुत्रः सर्वयुत्रः। सर्वापुत्रइत्यत्र संज्ञा पसर्जनया गणपाठाइ हितत्वेन सर्वमप्यस र्वनामन्वा होषाभावः। सर्वप्रियइति प्रियादिपर्युदासादप्रान।। नन्वेवं तदितरातद त्या क्या है। पूर्व स्पेवेति त्तिप्रविष्टना नाभागम अध्यकिं चिद तपा न्यर्थः। एषा इति सनिवद्भावेकादपूर्व स्या विविधीयमानइ का रोनिर्विषयः रामः स्पादितिभावः लिंगादिति विस्तर ग्रंथानुरोधेनैवमुक्तं ॥ श्रस्मन्मते तुदक्षिणा पूर्वी दिगतिभाय्यादा राम रामेवलिंग बोध्याएतायत इति कर्तुः क्ा-सलोपश्वेति का यह सार्वधातुकयोरिति दीर्घः ॥ ३२५
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मानिनग्रहणामसमानाधिकरणाधमत्वर्थचेत्पाशयेन्यथाक्रममुदाहरतिीस्वामिन्नामिन्यादिनामा निनानिमिन तियानोनीनलोडीयावामा तमेवंदर्शनीयोमन्पनेनथिया युवदित्वसिद्ध एकस्पाअय्यायाधिकभेदेनकी वकमवाययत्नेवालवामदमादायसामानानाधिकरशपापपत्तव निभावानकोयाधिवेनिपिचेराखल्पकादेशटा विवानिाअवविया वदितियाप्रिनिषिध्यताअनः तरस्यनिन्यायानाश्रयानासिकेतिमत्व पंछनामहिकेनिामदेषभवामद्रिकामदडयो कति तिकवासनियुवनावश्लनश्रयतेतिभावातदिन बहिसमासोपा केनिअर्भकश्ययाकाव यसीयुगादिशुकप्रत्ययांनोनियातिनावयसिप्रथमेइनिडीयबाधित्वाअजादिवाहाशनचायनहित स्पककारोनायवोरतोननिषेधतिभावसिंज्ञाहरायोगयतेदनायनेयनायतइतिको तमप्पदाह ने क्यादिधातनविशेषाभावाडयेतिनापंचमीयाशेनियामयाशशतासलाहित्वान्यानावद्धिनिर्मिनस मध्यमेतिामध्यान्माइनिमप्रत्ययाकांडलावनिकमपणाकृदयानावदिनितत्परिमाणामस्पास्तावंतीयन
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P
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सिरस
तेभ्यइनि वनव्यासर्वनाम्नइत्याकारो न हहिशब्देन विहिनइतिभाका काषायीनिकषाये शारत्पते ३२६ प्रत्ययस्वरूप योग्यत्वमस्तीति निषेधः स्या नरक्तरागादित्यागिङी है मीति हस्तो विकारेऽनुदानादेश्चेत्यन्ननु वैयाकरणा भार्यया दौर शिदे नट 326 नवस्वरूपयोग्य वापर इत्यथः स्यादेतना वृद्धिसंज्ञास्तद्भावित से या वाय सावद्रावश्व सिध्यत शक्या फलापधानेति । निमित्त शब्दः कुर्व द्रपयरो इत्याशंका दूधासमा हिने भाष्या तथा हि । वृद्धेर्निमितकरणरूपय मिन्स होनी निर्मित वा द्धिनिमिनं नस्यद्दिनिमित्तस्येति व्याख्याता तथा च वापि काणानाम त्रयाणामा चीनिमित्तत्त्वाभावा बन्देोषइति व्याख्याद्द ये पिति ग्रहशा मेव वीज नितिप्पट एवं चने याकरण भाइति रूपडली मौनिषेध स्पड वीरत्वाना एतेन व्यधिकरण व डबी हविया करणाभावान स्पा दिति के वडकनिरस्त प्रकाशलाद्र तस्य भाष्यासमवेतेष्टापतित्वादितिचेागमघ पिति का रैर्व्यधिकर शायदोवड राम श्री हिराश्रितोपन्यस्तस्तथापि गौर व यस्ता मानाभावाचा एव स्वरसा
३२६
मिठ
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बहुवचनांत घटनषष्ठीतत्पुरुषस्वाश्रितशनचा स्मिन्नमिया मिमता सिद्धिगहद्दिश देन विधौल स्वावद्धिः प्रतीयत इत्याशयेनै वयः रूखा या हर्नि
रोनीयनड
मित्रमित्युक्तनयाह दिशा तैमष्यसम्मतवात तथाच या बहुद्धिप्रतिस्वरूप योग्यत्वे सति शिवेन विहितयत्किंचिद्दिय लोपहितत्वमेव न हद्दिनिमिन्नत्वमिति भाष्यार्थः कन्पथा देवांनहिन स्पारन विकारइत्येव येता तो मानाभावइत्युक्तिः केषा चिनिरस्ता अन्य या पारामानिया चोदाह समर्थ्यमानं भाष्णामूलकत्वेन पयन्नमेव स्पा तानस्ट रा हीना निमित्रमितियथा श्रनमाम्या द्रव द्विरय्क करूपस्यान वायुमशक्यत्वाता यह चंप निमित्तन्वनिषेस नियोगशिष्टनामा शातिप्रसंगभंगानथा चात्ररूप निवी धाम निविदा तन्त्र संकोच मानाभावाद नहानीन्यादिनला संगवेचेन्या स्ताव स्वीवाहिकाममा
बर्
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प्रकाश ताम्
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सि-रख नियहरोमोनिकाचिनेयास्तकेशीनिस्वांगासोपसर्जनादिनिडीशत्रशनिसहनन विधमा ३२७ ननिनिषेधाजीवभावाजानेवायद्यत्रजाने रित्येविहिन निन्यायायनतहिहासिकमित्या 20- सरत्यानिकपनायूनिधई तिनकोयधायाइतिसमायोनियाकुष्यनेच्याशयनव्याचशेजारी रितिनिननुनीभापम्हलिनामाइन्यादावपिनिषेधःसिदायाप्रत्ययतिधाबादिानवघर पत्र
स्वागाश्चतइत्यताई हातियामिनिचानुवर्यकीयहंगांभाष्यकनाप्रत्याख्यानतयाचेहीवितास वंधान्याच्या प्राचापिडीपडीमोल्पलतगार्थनवानियवादफन मितिवाव्याइतइत्यस्यमंड कलन्याहस्वावधावेवानरयगीकाराान्फ्थायुवकर्मधारयत्यत्रकारकादारिकाकारेका
दारिकेत्यादिभाष्यााहरगानुपयतेरित्याशयेनहाँबनमयदोहनिद्राभापनिाबालान शाईरवादितान्डी नासौत्रस्यैवायमिति संज्ञापरापाश्वेत्यादिचवरयाविश्वेपत्यर्थःनिकायधाया राम इतिनिघधरचौपसंरयानिकस्पाथिभवत्पे वतिनविलेपिकायाधम्र्पवलेयिकमिनिसिह ३७
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अन्यडरामहिव्याहिभ्यइत्यशिकारर्वश्कारोनरसेनारनवनपधायानिस्तत्रेमापेस्पशासंगिकंसमाप्यपतनमाहासंख्ययावयेतिदशानामिनिारयगनादशयेषामिनिननविग्रहीता
शीवसिद्देशहर्वपदार्थ प्राधान्येबाघ!तयाऽस्यावश्यकत्वाताकिचकिचारग मिहाशयों धिकारखबरेत्री हेरेवकया विधानानाअनकमन्ययदार्थहत्पत्रैवशेषाधिकारोनलतरसला तिराहातगयनमन्वथेपर्वयोग:अमन्वयार्थीयमाभहन्यामातदसाअवधार्थबडतीचा नहिनामान्पनरालानिमात्रैदिइसमाससहयागधारतरालपधानाभिधानादंशियावहाशिमा व्यवानिक स्वरसाबामवणेबडवाहवतव्यत्पत्यप्रत्याख्यानाना नात्यविभकिलानि हत्याशयेन'
यांचष्टाविंशशिनिाविशारनिनिलोयोनरमनायसाशनियर स्यनयुनहिलोपन्याशयर सीटनेराभाय नाल लायस्पासिलावाविंशनशिनाइहापिासनाविनाअयूवादविषय उलयकोरेशना अधिकारवाशनानिविग्रहदीवानावाशार्थबबीहिसिचन विकलका
PATRIKासनावशानियघामिलिवियूहः) नर
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थोप
नर
सिरख यदिवचनस्याय्यापते। किंतुसंशयः सचानियत् संख्यावमशीतत्रचत्वयेोपि सर्वदाभासन निनदये ३२८ बहुवचनमेवा चानयनादिक्रियान्वयक यो यावत्यनियत एवेतिवाध्याय तुमचाहीवात्र 328 योवामानं येषामितिविग्टहीतो तन्ना ह्या दिशब्दानी नियमेन संख्ययवच नैसर
वाभावान्मान
ल्वासेभवान्। श्रादृशतः संख्याः संख्ययइत्यभियुक्तोः। पूर्वगो वास देश्वादिरितिदिनी काथमा वेन स्वार्थस चोप्र मा प्रथमाथीपमारंभः विवधिकररायार्थः कभावार्थ श्वाविभा षादिकसमासइत्पत्र प्रतिपदोक्त स्पास्यैव ग्रहार्थ चात्रने ना सरूपेपदेशनाथाचकु शेषापवादो मिनिभावः यह घनेः स्मिनितियह गांकेशा दिन हि क्यो वा च्योम यो स्ते सरूये। प्रहरसोनिक शोल्युट्रातच डादिविषयो वाच्यायो स्नेत्यर्थः। कर्मे व्यक्ति हारः परस्पर यह गाय र स्पटहर चाइनिशदिति सहिलो कि के विवृत्तां दर्शयति। केशौत्यादि लौकिकप्रयोगेया वानर्थानीय राम नेता कन्यर्थ बहुबीहिर्भवतीत्यर्थः। श्रन्येषामपि चत्रप्रा चाह शिय हानि कर्मव्यतिहार बहुबी है। ३२८
केशीर
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दीर्घत्वमान्ववानचीत्यतानतकेय
यत्पाअनएक्मशमथन्कदाहरणमापका करावराधदाशग्रहास्येशेऽर्थनात्ययकल्यनमय्यवासायनाइनानकिाहाकारों दिनानिएवंभ पनदिनइत्येवर पसंज्ञावकले यिविधेयसमर्यकेनुसंशतिभावानचनयर न्वानपिसवातपरस्त्रपहनीफलाभावनतकारयाबारसालानायहाआरोपवयतास्वरुयमित्यस्यप्रत्याख्यानन्वादितिभावावोयसर्जनाउन्नरपदाक्षिप्सेमासस्पोयसर्ज नस्पतिविशेषगानसहस्थापभिचारातानचावयवदारकसवींवयेवायसंजनकस्यस मासस्पत्याशयेतव्याचष्टबद्रीतिानेनेहलासहयुधासिहहेत्वाचवायवयवात्तरपदपरसंहा स्पतिव्याख्यानाने हासहलत्वप्रियायस्पसहलवप्रियनिसपत्रातिइहस्त्रस्यापिआर्थिक गमनान्वयसत्वावल्ययोगोनातिभावाढल्ययोगेकिसहैवशदभिःस्त्रेभीरवहातिगहमीद विद्यमानवचनासहशदाननल्पयोगावचनाभारकर्मकवहन कियायांसवासामनन्चमानामा
हेरि
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न सिरनायकामिनिाविभाषासपूर्वस्पत्पादिलिंगादितिमावासकर्मकातिविधमानकर्मकस्पात ३६ स्वार्थिक-कपत्पयोनसमासानः कबितिबोध्यावतततंविधमानवाचिन सहशहास्यान 324
कमन्यपदार्यरत्यवसिमितिप्राधिकचोक्तिधेवाखरेविशवशतिाडचिसतिचत्वादेतोदा नत्वमसनिर्विपदप्रकृतिस्वरत्वमिनिमावासंख्यायोनिसंख्यातनत्यरुषस्यचरेमात यवोडकवारत्याअन्वाधिकलापदितिवार्ति कशेवाटेकर्विशतिरित्यादीनातिप्रसंग बनीलम विथावत्ययेनेतिनियवशव्यत्यतिसम्यवेत्यधारतस्थितेफूलितमा (हास्वागत्यादिनामावर्तिमदितिलन्तितस्वीगमिहावनापश्यादिति घोडीषथः। चिनयनोदात्तत्वार्थश्वातन्मामीटरवयदपकनिस्वरोबाधताम्छालाततिास्सूलानिय तीशिअंकुरायस्पेत्यर्थ विसतिडास्यादिनिभावायलासिरिरितिप्राचादोहततत्व राम चौडवरियाऽयेसीयंदयिसमा सानविधेनिमलासनकनेशनकचित्तानदसारीषडपिन ३२४
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इहवाग्रहशांपन्दोऽजपीत्युभयंनिर्मूलम् । खरशासइत्यप्येवम् । मुनित्रयानुक्तत्वात् ४
नए वन भविष्यतीतिप्रत्पुदाहर। संगत अंगुलीसह तरुणे प्राणित्वेन मुख्या मुली नामस भवादितिभावः शांगुले निमाचचाद्विगोर्नित्यमिनिला ने रिति न सत्रेयोनेश हस्तदंतादि त्यर्थनिता नायकाननु स्कूल वादिति । बरुवा हे रितिशेषः। खरखराभ्यामिनि। ना/सेका याइनि। वर्तते । केवलादेशवचनं प्रत्येय निनये वराइ तत्व सतस्पतिदीर्घः । उपसर्गञ्चानासिका प्रशनस्याक्रियावाचित्वातत्पूय सर्ग त्वायोगा डुयसर्गश हो भाक्तइति मत्वाह । प्रादेरिति निय नपानः षत्पा यतिव्यानि प्रसंगात दिन से निग्रख्यूयोरन्तरेणाभाव्यमितिशे कार्य ना सिकयेतित था - व विन निप्रथमति किंतु यद्दन्नइनि नसादेशेत्यती यांत मितिमा वध के चितुन स नासाच नासिकेति को शास्वतंत्रस्यैवन साशस्यायंपयोग इत्या। शोभनम्रातरिति श्राध कर राशक्ति प्रधानस्य सामानाधिकरराया योगात्मानः शहेनप्रातस्ततं कर्मल स्पाइतिभावः नञदुः स्वानन्य है तोह लशहा तिरेनो यांति रूपद याययत्रो किह लियह गोनान चाहतेन समासे ऽहल
प्रकाशतः ४
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नस कौटिल्येय वाघविन सेति रूपम् ॥ ४
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१२ सिरसनिपूर्वयपकनिस्वास्यान्समामांनेचित्वादनादानलमिनिस्वरेविशेषतिवाच्यानजनभ्यामिर्म अनदात्वविधानानउच्यताहीलायत्रीनोदानन्वाथाशविकम्पकयनियर्थचनताशनया
२० रिनिािचायगाभयाच्यावाठिताइनिभावनियमसिनास्वरित लाइवान्पूनरस्याग्रह 330 राणननवनिसिद्धौनिन्ययगामन्यनीपिविधानार्थनेनाल्पमेध सइनिसिथती निरनिरादयः
धर्माताअयाग केवलग्रहगोनत्तिरयदयोर्विशेषगामिन्युक्यचसाहेनथैववारबोनप भयमपिचित्पात्रारत्तोमानोंभावाताधर्मचंदविशेषगान पल्पाबानचधमानयत्रोनरयदतविद्या येतदिनिवाचबिजवाघवयवीमनपर्वपदायरस्पधर्मस्यासंभवादेवादोषत्वानातस्मादकवाघ लिनपूर्वपदस्यैवविशेषगातहित्याशयेनाहाकेवलादूर्वपदादितिकेवलाकिमिनिबिडवाह सौवपूर्वपदालेपोपपनाविनेनेतिपाइतेरस्वसतितस्मिनदायमानाभावादतिप्रसंगर राम न्याशयनप्रसदाहतिापरमनिातथाचनदायनान्पर्यग्राहकलयातहावश्यकमितिभावामध्य३३०
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र३ तिर
ग्न्यादेप
मत्वादिति च सर्वनाम संख्ययोरितिपूर्व नियानः शक्यः श्राहिता निशायाराज्ञानिव । चनोवाग्नचकेवल यह गोसमा सानात्मक वैयदपरमिति वाच्या ता गर्थकल्पना यानिर्मूल लादि। नयनाहा के निथाचसा साध्याज्ञादेवान्वेनीन्यपूर मनुकूला बबी धनरपदकर्मधारये स्पान्य पदाथी साध्यहा राकल्पनीयइनिक्लेशइति भावः उक्ता प्राचीन प्रयोगं माशाय निनिवृतिधर्मति। एताद्दर्मशान्ति पिमानेन बहावकारश्रवणार्थ राम मनिक र दक्षिणम व्याधानघमा देवर्मनिष्ठ्यता विदेनियात नंनान्यदेत्यथान देन दाहव्या धेने नियत निर्मितोदति। माइति हिंसा मात्रै कविप्रयोगः सनुभक्ते निकथंचिन्नेय केशाके शीतित नेदमित्यनेन कर्मव्यतिहारे बडबी हनिष्टहु पुरनिधि र प्रत्ययस्पया ठायीभावत्वेऽव्ययान चाव्ययोमा व संज्ञया बहुब्रीहि ज्ञाया बाधादेव सिहो कि मिचश्चि नैति वा व्यतिष्ठहु निषुविशेषणार्थत्वारा गंधरित्यादावन्यथा दोषः प्रसज्जन वीहिच बाधेय
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दुनिाव
१ नव्या: वस्तुतस्तापरलारवाहिवरखन्याम्प:क्त्विस्यविशेषार्थतयोपकारावाअव्ययीभावाधिकारंपरितात्यवह बाघधिकारत्नत्रतेनेदमित्यस्य विधायकस्वपरवेयपित्तेचाएपहिनिप्रतिश्चिप्रत्ययानपानाइत्पपिलाचवमाता
दराज्यादीबन्तोदात्तएवोकस्तत्ववोपजीव्यत्वामविनसमावेशाभावा) उभयहिंस्त्योदस्तितितावनोद मि.रस माशाभावात्संज्ञासमावेशावश्यंभावनातोदानार्थलाच हिहंडीनिागयोगानुरोधेननिपातनस्पार्थविशे ३३१२ विषयोहिंदडाशालेत्यादी नाजभाई साना
हेशवस्पष्टविमुपपदाहित्वमारोग्यजीतनहानपाननादेवायचायतिकवापसभ्याछोरी 331 कारात्यंचम्यननायिसभाव्यत्याशपनत्याचष्टाजुरादेशतिप्रियवमप्यतीनिस्वायत्ययप्रक
HASIनारतिद्विवचनानि शाजाननइन्पले हिपत्यपाधि सातायतादेशविधौषष्टीनिद्दशरणावश्यकताइनरंताहबाहरितिप्राचोनमसाचिनिनव्या दयातनासधारिभ्यासमित्यत्रेवेहापिपंचमीनिशस्पादोषत्वातालापोव्यानिररतलोयाइलिलोयः वैविप्रतिषेधेनेतिज्ञाययिठमादौविधयानोनिनीयत क्वियिस्वारनिसिहायनमा रामयनेयानीतिघहकेगापिपपपाश्रपतिमहपादक्रीनचित्याप्रन्पयाधिकाराभावॉनायो धेसरधनामियादांवव्यानेश्वनिधनपत्राहावलोनिगिंधस्पडकारस्प्रत्ययंत्येषिनशानशिक राम चिनिश्चिन्तान पामिन्पनीदानवाधिन्वातिवादतवरितवायने ने चेष्टापनि उर्धिश्विना
धनुषाअनडनदेशइतिप्रकाशहर
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मिनिमंत्रेतैतिरीययायें तोदान्नादर्शनात्रा बन्ह चानामध्योदानत्व पाठे तुम्हलंम्टग्पोनस्मात्स्व रानुरोधादादेशत्वमेव न्याय्यमेन कार चारार्थ न्याशयेनाह । इ का रोता देशइनि । यतु षष्ठी ति निर्देशादादेशत्वमित्या तन्नावी हो सक्था हो। गापोष्ट गिन्यादावपि तथान्यापतेः। समासामान्यधिकारादा दे। परस्पन भवति। गंधग्रवाची घनेन इव्यवाची एकवचन निदेशानादव्यवाचीहि नित्य बहु वचनातः। गंध रक्तसौर में गंध के गर्वलेशयोः सएव - चनवत्येषु सिचस्मन निकोशा पिनष्टिगंधानितिप्रयोगाचे पत्रे वार्थवार्तिक माहामधुव इतिति दे की तिनस्य गंधव नए कोन वस्त एकदेशइति रूयरस समुदायो व्यमितियगंधा वयवइत्पर्य रूपादिमित्र इव्यमितिय सेतु इव पार्थ कइत्यर्थः । च्छात्र के चित्स्वाभाविक गंधोत्राने नागंतुक घापि वान्धवहः धनिभ हिप्रयोगालातथाच भग्नवाल सहका रखगंधाविन्यादिः प्रामादिकनि दुर्घटहनि
शहरसाह
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इतर
मिन्यास्तनेनिध्वनयस्तस्यायित कर्षमाहाच्या विभागेने नि कैय्यर विरोधा सा व्याख्या से निभा एनमहीतलयुष्यात गंधि रा है भारविख्यातः। तथैवोदाहरति सलिलेचेति खगंधी ति शेषस्तु यस्ये गंधइति नए वलिंगा है। धि कर गाय दो बहुबीहिग्य द्वापलितार्थकथन मेनन सयोगधोयस्मिन्नित्यैवविय हा अनएव लिगाद्विशेषणा स्यापि परनियानामनुगंधरा ५ त्वभानि केचित शक्तियाहक कोश विरोधादित्याशयेनाह गंधोगंधकेतिकल्पांपा ख्याप मिति र चमप्यत्रलिंग मितिभावः । पादस्याच्यः परस्य प्राप्नोत्यनच्या निहारेगोनि अभाव स्पतात्ता चरमावयवत्वा संभवादिति भावसमासा तइति निशेषिकः नासमा सीताये चपा शेष स्पा श्रपरान् कुपधादिति घर्थावगमावोड त्रिनिषत्त्वंशत्यनेन त्वत्वादेनितिशोभनार्दन राम स्प समस्ताज्ञानानन्ना इति व्याख्यायां को मारा दिवया विशेषप्रती निरस्तीति भावः एतेन ३३२
वचनानिदेशादा
सिरख ३३२ 332
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सादुत्तरोषा खुदनीससर्जेति कालिदासो व्यारव्यात घटकर्य रेचमेघागमे कुंस्स भा नदनामप्रयुक्तं तत्रशोभनत्वमात्रं विवचितंन न्यूनाधिक भावइत्यवायांना इहा उक्तसमुच्चयार्थश्च कारस्नमूषिकद त्रिनिसिध्यनन्तजनक कदमस्य स्पर्थः । इह हिबाल्यावस्गम्प पीकिश्विन ककुहः स्वनियमार्थमिदं मित्रामित्र योर्हच्छादव साधु हृदयश ति एकवचनी ता एन चहान ये स्पष्टं तत्र लक्ष्मी • शानछतश्वतिसिद्ध नियमार्थी एकवचनी तल तमाशावयव कवडेबी हरेव नित्यंकर्वि
तो पत्रुशेषादिनानिया शिकवायनुनद्युतश्चतिकश्व लक्ष्मीकइनि प्राचीनं तत्र नहुशः संख्या वाचा पुल्पाची वस्त्ररूत नियमे तवा निव द्वितीयः परा तपाविशेषविधैव लीप सेवन व प्रभ्ट निम्पइत्येव युक्त पदान्ते नियमशा वाणीनिषधमुखेन प्रहनिरित्या श्रीप नैन दा या चौक्कम पित्रिमित्र
वर
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सिरस नर्थकनेनिकयंत्पथीनगरीतिनिर्जनादिनिनिषेधम्मच प्राचीनानामेवे सिद्धांतादिति ३३ चेत्सन्यायवोरनाकाविन्यख्यथीतिभाष्यान्साधुगनंत्रादिनतिर नवशेषाकिप्रिययथा 333
पियधुर निवानियथाबीहिपकरणोपन युन कवभावार्थवेनिभाध्याचल समितिभाव अनसामावहसन मितिनाअन्टचामाराविनन्हश्चरगाख्यायानितिविशेषवचना साध्वियवधेयाचित्पनियदोनोसमासातास्ववियेबांधकाभविष्यतीनिमिउसमा सानपरेशाशेषयहरोनियाका काररित्यादीनासमासातचरितार्थनयापरेशाकपाबाधा पनेलन्नेतिनयोतिर्विपानवकवयतशेयरहानायिसमासांतायतंक्निनितोयाबाब ह्यधिकारसोपेसनेऽतिभाष्यानुरोधाबऊवाहीसवथ्यहारित्पनाभनियेसमासीतास्तदा पक्षमेवशेषग्रहांवायानतिन प्राचीन हरिभूरित्यापेक्षनथाचभाव्युरीयापजादीनाम राम मासानरेनिरवकाशवानहिषयेक्याप्रसंगात्मपंडिता सम्यगेवयानुभाष्यमनेउपद २३
येननाप्राशिन्यायेनतः कपोवाध्यतीवित्पादित्याशयस्तेषाम्
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शाइन्यादोपते कश्याप्नोतिकानंतरेबोधि कारेड चोऽविधानान्शन था प्रिययथः प्रियधुर त्यत्रापि प्राप्नोतिनस्मात्समासानाये स मे वशेष त्वमाश्रय शीयमितिर्चित्यमेतद्भाव्यमिति कैप्टेनोहिडदा हनमनुरु भाष्याकंचित्पमितिवतुः साहस मात्र वातानुल्य न्यायनया नपुंसकन बहुजाहावित्यादिस प्रत्याख्यानस्यापिदित्यतापने श्वाय हप्युपदेशा इत्याधक्की नविना विशेषविहितेनडचा कपाबाधात शेवाधिकारस् बऊजी हरवशेषा हि भावे निकवि निबडुजी हिप्रकरणा -स्थस्वयं यविस्मरणाममूलत्वाच्च अन्यथा नरश्व समुत्र त्यादावतिप्रसंगस्य दुर्वरत्वाना यदयिप्रिय मथः इत्याधनं तदपि नाप्रियथाधिपय पिकयति पायरोसिषय थतिम ल दाहतीतस्माद्वाध्यास दात्त रीत्याशेषु पदातिनिदिशा ईयसश्या कवेवानुवर्ततेन शेषादिनिनेन याज्ञिकस्य नित्यस्य चाभयो निषेधो यमित्याशयेनादाह र किब यसो नालिं गाँव शिष्टपरिभाषयेय मनो नरपद मेलामा विशेष दा कठे किं चिदस्ती निज्ञानेत स्पविशेष का लशनेन दासप्रमीयहरा।। +8 रुपयस्य भाष्य सिद्धान्तेयुक्तत्वात् । कवभावयन्दकारपत्यं तवाधकाभावाद। दादयः साव का शाइविवदत्ता नाका नादिविषयेयक पंचारयितुं तद् पेन्ट
शेषान समासान्तमात्रापेदा इत्यभ्युपगुध तापनः प्राचीन समासान्तविषयेपा
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वाई
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तू
सिर- अपदानुतेन विनायिविशेषशात्वादेवसिद्धां चित्रगुरिति न चोपसर्जनं मन्येनेदं सिध्यतीनिवा ३३४ व्यविशेषाग्रह शाभावे सप्रमी ग्रह शांनियमार्थमित्याशंकानि वारकत्वेननदावश्यक वात सर्वनामेतितिःपरोयम्म) सोपन पराज (स्वयं जल यस्यासाजहत्स्वार्थपत्रसूत्रभाष्ययो 334 गाव परश पोर्न वेनियाला नवसंख्यायायल्यावर चैनसंख्यासर्वनाम्नो वितिवाच्यविपरीताचा रामयुक्तमित्याशंक्याहामितिविपरीतोच्चारणमिवोच लिंग मितिभावः । जातिका लेनि एतच्च जाति का लखाबादिम्योना छादनादित्यनेन ज्ञापितमितिभावः। सारंगज ग्धातिना गए वय दाहेनिङाक थ तर्हिस्वस्तिश्वाह सितइत्यादिन स्य नश् वनियानात स्पनिशशब्देनाविधानारे ॥ कृवित्रेति। शिष्टप्रपोगा दाहिनाम्पा दिल्य हा सिद्ध ॥ ॥ इतिश्री महामरुम मेहकर्त केसि दान रत्नाकरे बद्ध व्रीहि । ॥चार्यै६६। चार्थे वर्तमानमिनिविशिष्टेऽथशक्तिलक्षणान्यतरक्त्यै राम जीकारादितिभावान एवोक्तार्थ साच्च स्वाप्रयोगः। चार्था इति चघोझा इत्यर्थः। श्रसामर्थ्यादिना समस्य ३३४
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मनपदार्थानांपरस्परानचयेममधिकारान्नसमासतिभावाकैय्यदहरदनौलपयिक्रियादारकं सा मर्थसमुच्चयेलिदध्यादनादीयान थायिहानेकियायाएकवाध जतदारकंसामदाटीनिकेतने दादसामयी अन्पनरपेक्वार्थनित्वाचायवाचयक्रियाभेदस्यस्याटलान नहारकसामयाजा मिक्वार्थवन नैनप्रधान मिनिवार्थवानिक संवनवविरहाच्चत्याहतातत्रपरस्परनि पिताना हित्यरत्यासंबंधविशेषनरेतायुगासववर्तियदापनिविशेषगविशष्यवेतियाहयाआधेडतरेत नरयोगद्दहोहितीयेसमाहारई तिव्यवहारमाननकर्मधारयेथिनादात्म्यरूपचार्थसावादतियसंगानी लंघटबोरामन्यादाविवेपदार्थताक्छा कभहस्यापिसन्वादिनिचेन्सन्यांसामानाधिकरापनिरवकाशन-स रुयज्ञयादेहस्पबाधाच्छापत्यवतनाचायनुअव्यवहिनप्रवीपरीभावायन वेसनिपरस्परार्थानन्धित स्पयरस्परास्पिमिन्नधर्मविशिष्टत्वनबाधकनानानामत्ववर्मिनिनोनानिपसमानिमधुरानाय थु तयाननाअसामर्थनसमासस्पेवाप्रसंगासमुन्चयाचावयवीरनिव्याने रसयपात्याघसमर्थसमास
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335
सिरसा पिदंदत्वायनेश्वाअतएव भेदाभेदोदासीनईवस्यकर्मधारपानेदातिवदंशिरोमगिरपिनिरस्तभयदयेक २३५ शेषदलाभावाईदलाउयतिरित्याशयमुव्यूहत्वाभावविवारिभाधिकाव्यवहारद्रति
समाधायदोनयमागमिन्यबंड्ययरयदमित्याअंतदायनासरुपागामे कशेषेवरूप शासनस्यायाशिनीयवानायधानीपथानइन्पादौसमासानायनेरुतत्वाञ्चयकिचिदंतदिपालानाव हिानयोत्रिनिाउनपदयरवाभावात्रानाडाराजदताइहहहनसरूषयो याठायवाभिप्रायास्यायन्या सोनालयपन अज्ञाघाअनियमिदंपनियानाकरेगसिसदाभ्राहालयाहे वो क्रियायाइत्यादि निर्देशान्राननमसाष्टवादाविशयनिभारविधीयानावनिकतासयोगात्माधवबोधना यिनत्यकरणारभाल्याचा नायनरबानशयनथासतिहयोविनियमास्यादिवचनीनोपपदावव
पएवनरयोविधानानानतश्वध्वखादरपलाशाइत्पादोंबडयुनियमोनस्या दपित स्वार्थ वैव राम निपातनाराईवश्वाअगशलान्पकमन्वनिासवशिएकादेवपक्व पाशवपनवनवीनत्रासय ३३५
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तिह
गम्पारायंगेनैव योद्दद्दः सएवदित्यादिक्रमेणव्याख्येयमिति भाष्यकारणते नावानिका दारो हावित्यादौनायनियमत्याशयेनाह । एवामिनि। प्रारापगा नाहहत्याहिंवा वात्रय बोध्याएकवचनमिति २ वनतानने कंदनीतिव्यत्यन्येकन्त्वविशिष्टः समाहारररूपायार्थमप्रतिपादयं त्यादिवाकय कस्यादित्यर्थमन्वानः फलितमा हाएक वृदिति। न ववचार्थे इन्यनेनसमाहारद्वंद्व सिद्धस्तस्यैवे कला देकवचनमपीतिकिमनेनेत्याशंक्यादा नियमार्थमिति शास्त्रतोयुगयत्प्रा प्रमादायनेययरिसंख्यागो खारकिंव प्रायोगिकीयाज्ञिकी प्राप्रिमादायो हीनव हेतावनियम विश्वितितपा यययारि संख्या गौरवान्ये रितरनिह तिरा कीत्यवधेयं समाहारए वेनिसमा हरेश्वरार्प गाड़ी ना मैवेतिविपरीत रिपुमी नाशक्यः। निष्पपुनर्वस्वोरित्यच बहुवचनग्रह शाला चरणानामिनि शाखायेखा चिनामित्यर्थः शिति एतावद्दयति कलुड तयय सतीत्यर्थः। स्व शो कियभवनकठकला या लुडि किनिष्ठतु कठ कला या वेद ग्ादिति कठे चुकलायेषुचप्रतिष्ठिते द्वितेषुचावाभ्यां न ४ विविनियम संभवत्यादिन्या ये नियमशनःपार संख्या परस्तन्दाया पूर्व विधि लघु स्तमपेन्द नियमोलही यान्। ताश पूरक वातर वे तरेतरयोग हुन्छे। त्येन्तापाले वनविषयक
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SRINA निरस मिनिसंकेतपित्वातविम्मत्यासानंपनीदमुच्यताकीनकमधीयानाकमावैवायायनानेवासित्वास्मि ३३६नकन्वरका दिनिलहावयेत्रण लोकानगिनिकलापिनासवह्मचारीत्पकिय सत्यानाहिलायाय 336 अ ध्यशहापचपहभातडतिभावायद केंतिपदान्यधीतय दककमादिभ्योजनाक
मकाय्यवायदान्यधीयानकममधीतेडानपत्यासतिपयननकिपितापुत्रीविग्रेक किविहि कुन प्रापि कोजातिप्रजातिवाद्यवयवक जातिवादेभान इतिध्वनपत्राह जानिचाचिनामिनिविरमा
ISSIOप्राधान्यायवाचनिकंवकवचनामनिनहोंगविकलमिनिभावाव्यजाती पतिप्राणना किनिद६ मितिपयुदासत्सहयाहानिभावजातिप्राधान्य पाचनप्पाहर
नन्याहोखबानदगपाचजन्यश्शरवाए चिनोपियह गोययनोकिले ननिभाव लेनजिनानविविधानशैलॉइत्यत्रभारवौत्रसहिताशीराम मानवश्वनिएनवजातिग्रहगालब्धमन्यायर्यदासनवजामुपसहनिया लाइनिनव्यानांनी स्वकर्टकमलविस्मशानलत्वात्यरानाबदशमलकानीतिफलेलगतिलाक१३६
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बर उक्तद्धिनलकीनितीप्रत्ययस्यायिल्लकियलवायुसर्जनद्रव्यवचनावती विमाधावतेत्यत्रबदामिनाम लकाभिचबदरामलकजानिरखातिनामित्येकवद्धानिक्षमासाम्लडफलसनेत्यादिनाबहुवचनानएल तवाचकनिमितवएवेकवद्भवतिनत्वेकवचनीतानाइंदरनिनियममुपेन्सकोचरयोन्यमितिनय रस्परविरोधानिमाकाकैयालबहनोबंडसंख्याएकावतिरदायी ग्रहनयाकारणानियस्यूसबङगई तिरिति व्याख्यायबंदूरामलकमित्यजानिरमानिमिनिनिसएकवद्भावनिवदन जानियाधान्य त्याहकनागीकरोनितन्मनेछटपटावित्यादीनांहिशलादिसमभिन्याहनानांसाधुनानकेवलानात त्यवधेयमित्यास्तीतावितविधिशासीत्राश्चत्वारोपिशवाअवयवधर्मरागक्यविहभावारपाचायनां निक हायमित्यादिना रिहापिनदीवाधिनायो हदइन्पादिवाक्य भेदेनव्याख्ययादेशाहिनामिदोजनपदर वरशतेतननदीयहरानामष्यालाएवंचयर्वनानोनविंध्यगंधमादनाजाबक्शालकिन्पाविति यामाइनिहिप्रसज्यप्रतिबंधात्रायनभाध्यप्रामापारनिनेहर्यमाश्रयाप्रनिषेधएवायंत्रनुभयत्रनगर
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लिस नबनानिषेधश्ष्यतेमथुरापाटलिपुत्रमितीतिभावानुषोशाश्वनिक्षतानिासार्वदिकपाश ३३० श्वछात्कालपत्रैवानपाननादिकादेशोऽव्यायाना मात्रेटिलोयाभावश्चाबाध्यतातिचिका 337पुनविधायकइनिभावाशााविििकनरजातिमात्रमातडीअनिरवसिनग्रहमान
पावादिति यतिसमनाचध्यनकास्यमिनिस्मानसंस्कारागयियात्रैनमध्यति ने त्रानिवास बागवांश्वाययोचारिनानातियागिनिननिशवाननगशोथाइगवावशिष्टेचठिनंत हिवक्षित नथाचावड्म्यातिकवाघदानावातदानकूवगाव गामश्वा गवाश्वमिनिायवेवाहिकल्पवाना दासादासमिनिपुमानधित्वकोषापवादःविभाषाविशेषाराणामेवेतिीनुसरूयारागाएकशेवयंस गानामायियपीयाराविरुयाणामयीत्येकशेषप्रसंगातानापिसामान्यविशेषाअनभिधानानत्र घवस्यवाभावादिनिभावाबदरामलकमिनिभाथ्यवदरामल कानान्यायक्वचित्पशतानत्रडाति राम त्वानित्यप्राप्नेवानिवनविकल्पःक्रियनरनिकैकितन्नाअविशेषगबङपहनेरकवडावोनिमम्प३३७
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नइतिमाव्यविरोधाशनस्माद्दरामलकानीत्येवंप्राननित्पएकवद्धावतिभा यार्थपरिकर्वन्नाहा जातिरितिनिइति विकल्यार्थमित्पनुपपनाउभयवेति समाहारेनरेतरयोगयोरियोइतरेजर योगएवेतिनिक्समाहारएवेत्येवाविपरीत शक्यअनिष्टत्वादितिभावाएवमितिामगग्रहावद्यायपनि प इत्यादीनिायवीयरेअधरानरनिरूपादिनासाघाश्ववडवातायशुवादिकल्प सिद्धपनन| इहीपनियदविधानार्थमितिभावाननैकवावयलेयरमविश्वववववाविति बाधिलासनसक मित्येतदेवमननिनछनधकवद्भावभाजपरामपविधीपमान मयुसवत्वमेकवद्राववानिया हितत्वावलीयइत्याशय नाहानसकन्दामितिापूर्ववदअंडवाक्तित्वेकवडावाभावयतमाम शमितिभावाविप्रनिषिध्वेतिचौविभाधान कविसापतिभावाभवत्येवाताव्यवाचिनोमवेतिमा पमाग्रिनिषिद्धानपादानसनस्पादितिभावायनकामक्रोधोइतिप्रत्युदाहरनौनिबावडाखामत्या दाविपत्तिकसमाहारदहस्पहुंवारत्वातंत्रव्यवाचिनौवेदिधनिषिद्धानामवेतिविपरीतनियमब
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सिरसनदमिमनइनिचे तात्रताधिकरणावाचारिकिाशीनाहीउदके मिनदाहतेयात्तिकसमाहारायतेरि २८नयरवलनक्तललगायाकमकाधशश्याव्यपरत्वात्सर्वमनवघमिनादेवानदाशनानेन २२८ गुरुनवियमानिधिध्यताबह्मयज्ञापन्यादानामेतहरायडितानातियमशास्वादिषपातस्माचा 338बतिप्रामएकवचनादरखाननलानन्साहवपीदन्येषामपिदधिययादीनाममेवाअन्प
यानधा नियमामधविधापडत्यनेनयाशिकएकवचनोई दोडवीरोवरुपाच्चैकवचनाद्ध एवनिषिध्यइत्याशयानाहानैकवस्करिनिादधिययसाइलिाइयजनाचौदिकल्पप्रामातंत्र समाहारामात्रनिवेधादिंतरेतरयोग एवैषोभवतीत्यवधयानाधिकरणासमासार्थस्या अपोखिकरेंगीवितिपदार्थस्तस्यैतावत्वयरिमोनियमस्तास्मरगम्पमान इनियाचशट्यूसर । निवहरदतायघयसमाहार ईदनिषधास्यानाहिंदशदंतोष्टाइन्पपिनस्यान ईश्वत्योदिनेतरे राम नरयोगवस्थाविनिषेधानानथांचवाक्यमेवस्यानकिवनिधोव्यर्थ सापावेनासामथ्या ३३
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१ वेदव्
ति४
नियम सूत्र व्यापाराभावे इतरेतर ६न्द्व निषेधा' प्रव्रतेश्वा अतएव निषेध
समाहारद्वं इस्पप्राप्नरेवाभावान्नानस्मादितरेतरयोग निषेधहारेतरेतरयोगहूंछ प्रापशार्थम भित्याहा नव्या अपेवाडीन्याव्याचा नियमानात दशतोष्ठा इति सामान्यप्रयेो गन लिंगान्प्रधानस्पसा येताचे पीत रेनरयोग है हो भवत्येवेतिभावः के चित्र समाहारदेवान विध्यनुनयस्तथा हि सतिनियमेोषिदेपि चार्थ है दश समा हारेषिद्वंद्वस्यादिन्याः । नथाचह रत्ना हिमन म सहित यां भावः तथा त्रिनिप्रमशः परिसंख्याय स्वनयराभिमत नियमयरुः। अधेपिफलतः शहना वा नाद्यः समाहारहस्या सामर्थ्याप्तिरे बनाती निन्वये वो कन्नाराय निषेधस्यन्वन्मते पिव्यर्थत्वातून हिताय ६६ श्वया शिन्या दाविनरेतरयोगनाशयेोरभा वाहानान तव देििनयथा। नच देदेक वचनय दाभ्यां क्रमेशोतरेतरयोग द्वंद्वनिषेधोल येतेइनि शाद परिसंख्याय पतिरिति वाच्या लक्षणायाश्रयुका ननु निषेधस्य रायन पगमइतिचे इने वैसविशेषणानामित्यस्य साये समसमर्थमित्यस्पच समाहार दविषयेऽग्रहमिरे
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तावद्भवन्मतस्यभेदाभावाशाननुयपाप्यंशपूरकनियमस्यास्मन्मतिनिषेधइतिततोमेदशतिवेतानाबार्थे इन्दश्त्य
नेनसमाहारइन्दस्यदुवरि लावास्यादितताएतासूचमास्तु सापेन्दमप्तमथमित्येतत्समाहारइन्दनपति सिलवज्ञायातानियादख्यत्यधिकरणान्यायेनगोरवस्थफलमुखतारानांन्यासमाहारदंपनिषेधवा ज्ञापन
दिनांकापामोसायरस्पानिपरीवात्रजिनसनिपक्वक्वीन्समादरेदनादिमनमीमा मप्पन 4 सोन्पायाकल्पनिमलकाचोरर्वधनियमनिषधस्पोनत्यादिहाविनथेवन्याय्यतयानडिकल्येविधि मवम विकल्पापलिनश्याशयेनाहानियमवितिउपशमिनिाएकवद्भावयत व्ययीभावस्पवानुयोगः। दिशाद बहुनाहरनुपयोगलयदेशस्पदैनाष्ठस्पतिस्पाताध्यदेशदतीष्ठ स्पेत्येवेव्यतातिभाय्यकार गोष्टोइत्या सामानाधिकररांपतसमीयसमापिनोरभेदविवतयात्रानानविधायोनिसबंधेय माहारह त्यनातनययावियरियाम्यूतानदाहाविधापानीतिनिरनइत्पंत्रज्ञानावेंकूवचनमित्याह रविध देतानामितिारहानरयदात्यधिकारशाश्र्वथदमानिय्यतइतिप्राचानन्नानदायस्पप्राम्हपिनत्वा थनिंद हिनिबनपदाहरतिनिशहानारहातानवनेष्टामर्वयमस्कैतितनविभाषास्वस्यन्पोरित्यजन रामद संबंधनिभाव किलोवियतनानियचपन मिहानुहनध्याविपरिणामयार्दनस्यपुर शिपित्यादनियमार्थत्वापसताततनकवलदन्तामित्यापावितरतरहन्छोपिस्पात्तस्मात्तस्पनियमार्थ खफूलकामसूत्रमावश्यकासपिन्दमसमर्थमित्यादिज्ञापनमुप्पैतत्करणापात्तराद्धविशेषान्त मेवातवाध्यमतिनपञ्चचैत्रमैत्रविक्षोभत्राइत्यादौनसमाहारद्धन्दासापेन्दत्वात्। तस्मान्नव्य
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देशानामनिव्याख्येयानेनतातपुत्राविनिसिहाईदादेवनाइंदश्त्पेवेतिइदंचरतियथेखितज्यो । निर्लन्यात्मीयामा प्राध्यामीपाश्वलायनपयोगस्वाधवान्साधुायदामातातदनुनिअग्निसीमामा
कावित्यवाभिव्यक्तयदा इनिन्यापनादोषत्वातात्रयकरामात्यदायोरिपस्यायवादाअनिष्टदि मित्राधिस्तयतस्मिन्साकबविशवासयदादिवादधिकरोविरमातामाटाइस्पारकादेशोनियान्यनाइंदा
बहनाईन्विाङ्गत्वक्सजाईहतन्युरुषपोहनरयदइनिठनसमुदायाव्यसनिधाविनिन्पायादाइन्छ विपइत्यादीवचनस्पसावकाशत्वादिनिदिक।। श्री इतिश्रीमदामहममहाविरचिने सिद्दानरत्नाकरेंड
पवादसंगपाहाअपेकशषडतिविरुपाणामयातिहिंप्यतिप्रकाश्यततिक्त्यपालपस्वार्थपरत्वेनस्ल सौवेदंगनादाअपत्यमनहितंवृहामतिवायायरिभाषितयामिपुकगोत्रायरेयीयेद्दामहराया निलत्रिमशाश्तासाहपीना गोत्रग्रहामवदनाकाशिअपत्याधिकारादपत्रलोकिकगाग्रहरामितिराद्वानों नितिनीयगेवश्वाननीयगेविश्वयवत्पवनेकशेषागोवयुवति मात्रानंदानयोरेवपरामशीट
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सिरस वाइहसत्यागामिन्पतवनतानेनवैरुप्यापरपर्यायाविशयावहातितएवकारेशानिवपतिएवंटितेपालि ३४० नमाहलववेदत्यमितिगानिागंगादिभ्पायनाय नाश्वनिमनिफकातलबाकिमितिातद्विशेष 340
एवस्तिनियमाइनरगोत्रंयुक्त्तमात्रातिरिक्तवैरुपेनिस्त्यर्थलतांग्रहांमिन्याशयनतन्कदाहः रनिाभागविनीतिगात्रायत्यानइनिनदंनाइवाइसौवारविनिठकाअत्रकुन्सोसोवीरगावंचाधिकम जिनसवत्वमावलतवेलरोयौहाना कामाताएवकारुकिमर्थतियमावनिकृतवैरुप्यमादिनि सइतियन्मदाहरतिामाग्यवात्स्यायनाविातायाधुक्राहदाखीतिागोत्रप्रत्ययात यावीवाचकमित्पागा पायमावितिावनावहान वेलनार्यस्यष्टविहिवचनोनघटितवियहंगादर्शयराअनुवर्तमानप्रति तिहाजस्पबाधिपता युवादत्पीतिदेशस्पफलमननदफर्निमन्पथावाचा
नानपारा गतान्यासत्यवनन्चासद्धार्यानिदशेनेतसिध्यतासामान्पानिदेशविशेष देशातासरूयाराणराम मित्येवानिहायागाचवात्स्यायनोचायुमाना वहाश्ननिनिहन्नासरूपागणमित्पेवाभात्पुत्रावियत्ररशत्रा ३४०
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वार 15-लौकिक विग्रहयमियामत्यन प्रयोगगनविशेषमादायतदुपयतिरितिरिवानमा बालपस्वेतरस्ताविशेषाभा३ बकायाने टोतवालीसश्ववालण वासावत्यजातिव्याप्तरुवन्दवासिहनिएकशेषःकोथैलेनिवेष्टणार कशेषःसव
केविभनगा प्रधानयोरे रंभातानेहाकछयवलिश्चात्त्यश्वरोहिच्चेतिकिट्रायलचपतजातिमात्रसाम्पपिस्वीलस्वमावयय वित्यूनवः वभवतात शहवैलतापमिहासातिभावास्यादेवनागौश्चायगोश्वेयमुनयोंसहोतीरतोगावावितिनिपमतानस्यामा दित्यनेनं बानस्वी लापविशवाभावमात्रशानल्लतरा विशेषसनावात्पान्यिदादितशेषयनेनैवानुप्रयोगनियमोशघानात सयोरेक्यथयनिश्त्यिवधेयापितामात्रावादसंवर्यनतावदेक शेषविधानाविवतितार्थेलतादिनापितारामशीरा पितरोधश्रावितिसिदानापिदनिकपथीयतेतस्यापाथलाराविमानावश्चावित्येत्यासागर्थ म
परतोयत्र
मी पुंसक तनमतप्रवाअसाधावस्यायनाधीमानाधिनराचिनिअभ्यहितत्वान्मातापूर्वनियातः यिछटलायसीमानागोरवेरागनिरिच्चने न तिमानात्पदास्वकिपदादिभित्रैरपिसहोनीयथास्थानाभाषणेवसामान्यविशेषवाचिनोनवनिनिल
तावशेष स्तत्रैक पेधमंगीलीनसयत्याख्यानांप्रदाभीरंगोवलीबईगोलपमितितभाव्यप्रयोगा साधुाकथंतविधात शेवाई
शेष चिनार्यागातिप्राचाभरतेधिनिस्वानशीनानवेधस्पानित्यत्वातनाउपपन मिनिनव्याायद्यानदिनिष्टयलयह हत्तस्यो, त्वप्रधान मनमोचितोरित्यत्रैकनिच्छाहाविधायीभाकपनजस्मादेवस्थ्णूलशादायकारशादस्माकंबईनादयन्यमन्तर्वति हातोपात्ये माननादयः नावित्वकरोषाभापायघाएकविभकावि तिनानुवर्ततावासयोसहविन्यावधिभ कशेषाभावशतिरत भाव्यादोगामातीसावायचा
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सार
तम
34
सिख थारनेनस्वारभवेतन्नसियेदिनिकौस्तभोक्रनिरस्ताप्रमातापमेयसंशयेत्यादिप्रयोगकनिषेधस्पानिन्य 38वान्मधमपरलोपिसमाश्रयगाहासाधरित्यवधेयात्यदादिनात्यदादीनांशेषसंहविवक्षियायियुमा अन्नपचनपुंसकतहशेनलिंगक्वनानिभवेतीतिवाचा मित्यर्थः सन्निधानात्पदादीन्येवाअस्पापवादमाहा -
अहनिाइंछादिविशेषगानीवर्किनक्तिविशेष्यनिधनवापर्थातच्चेतिनायियल्पईसिविनिअवि व्यलीबिड़ीयाल्पावितिधनयसकमिनिस्त तएकशेषायाम्पंयागावंत्रमाइनिासीत्वाभिव्यक्त ये विन्याधुनगौरापाईमाइतिस्वालंगावप्रयोगाएतोगावावितिाएकशेषस्या नकाश्रपत्वादेवानकरित्र हैंसिद्धेबदनामेवसमंदायविवतीर्थसंघग्रहगभितिभावाएकशेषकनेनिविभत्युत्पत्पनयाचना नरंगचादैनिभावठाददायवादएकशषडफदोषस्तनार्किकीयाग्निमादायबाध्यादंदानेनिएतेनलाई हानामेकशेषइतिश्रमीनिरमानवनथैवकिलस्पात्फलेविशेषाभावादितिवाच्यमित्याहानेनेनियथा राम नावितिइनोसर्वनामखानइनिलिंगात्समासातवारयोउप्रतिपनिगौरवंदोपानरानिवारगोपथाविभाषेनि २४१
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नीचार्यसनहायामिन्समासादातदावा यामधीउभयपकायागीनरकातमित्य
अवकैयमापरस्पशदस्यमार्थस्तस्यामिधानंशानरेगायत्रसात्तिरित्या यथाराजपुरुषइसवराज शनवाक्याव स्थायामनुन्तःपुरुषार्थीभिधीयतहतियारयदातत्तूपकुम्भमधीमपालीत्पादाक्या प्तमित्यतएवंव्यारयायते समासानामावेपथानाविन्यादोसावकाशचानस्माईद्वान्पागेवैकशेषरतिसिई॥ ॥इनिश्रीमद याकरण सिद्धोतरनाकरेएकशेष सर्वसमासशेषनयाग्रासंगिकमाहाकाइनेनिसपंचनयनियर्चना -निरनिएवीचार्यनिहाय्याश्रीयनइतिभावातलेलगामाहापानि परस्पप्रधानस्यार्थस्पाभिधानम् पसर्जनार्थ प्रतिपादकपदंयस्मिन्समासादौतदितियाधिकरणायदोबबाहिरजह स्वार्थीयोपविशष्टो थाभिधीयतेनेनसमाघान्मकसमुदायेनेतिनहत्स्वार्थीयामर्थ उभयत्रकसोमराजयुरुषीपग वइत्यादीकाल्पनिकाथवत्वमादापनलोयादिकार्यनिर्वाचनमावयवंशकित्पागेनरकल्पनचमाना भावासमामाघवयवान प्रत्येकशक्तिसद्भावमामाभावासनहिलौकिकवाटितमेवरूपंतहीतमिन्य नियामकमसिानदेवेदमिनियमित वेतिचेन्नासारंपादायेन्डयपत्नीनिहितषशांसाहूश्यधभश देकदेशस्थास्तीनित्वाधाविनाकोन्पस्तस्यायशनयनरमंगाकमीशनचकल्पितार्थमादायविशषयान्वयः शक्याशाखवैमर्थयरिहार्थमेवनाह कल्पनांगीकारेशादोषत्वान्नानचावयवप्रतिमविडयौयिसमुदायार्थ प्र
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यं३
सिवनातिरस्यादिनिवाच्यासमदायशनियहसावेइष्टायनेयरेषांकाशनोवनिर्वाह योगरूठेनछेदा मंडूकादा ३५२ बनियसंगवारगायनदेगाकारप्रतिवेनाराजयुतवादावधिविशेषशान्वयवाशपतविशिष्शयगीकारस्या
पवल्पलातावधनविशेषतान्ववारयामशनिवेईनैवैयेकजादावधिवाचनिकएवानिप्रसंगभंगोल किंदिल्पनपादास्पा सुत्रातल्या यचंन्याघलइसमासेवयदललगानंगाकाराविशेषण
न्वयवारयंत्रापिलक्षामिंगाकुर्मशनचन्नासिडोनातोचिरानायुरुषोदेवदत्तस्य चेनिव नह दाजयुरुषोदेवदंस्पचेत्यायधेताअथवरुषपदमेवविशिष्टार्थभाक्तराजयुदनात्यर्पग्राहकवि
भतर्थस्यव्यवहितान्वायत्यावियरीननाशवधानथाचयुरुवस्पयदार्थकदेशवानोकप्रयोगा पतिरिनिचेतानाअवयवशक्तिपागस्यनवापिवल्पवासयोग कोदयसगानुदारालालागीक अयोगस्थामावादकवनपाहिीकानिष्टस्पड वारत्वात्समासाँचथैवानित्यंतभवापनायापनपीदाराम शतादृशकुशलप्रवासादाववयवाधापायस्पखपसिहावाहानश्चकत्यतर्गतयदानावरीवदानर्थ ३४२
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क्छ४
वयमेवमुनस्यामंगनइत्यादकियाया पदार्थकदेशत्वेपिहितीयात्रिनेत्यादिलिंगाकारकान्योनान संयन्नइत्यवोचामाख्छनिकलीगीरुनाना राजपुतबागनमित्यवर जःयुरुषरूयतामार्थेऽन्वयानायनानन्यवउदरपुरुषसाशपिनभितियपोगापति विशेषता तिभक्तेःसाधव मात्रार्थावानातान्यायाधिवातनाथबाधानडापत निवाचातर्थववार स्पननोबोधस्पडवीरवाताअपनस्पसाधूभ्याप्पबाधा निचरनकारकारागप्रथमंतात्रयाग मिवान्वयइनिरादीनानकननित्तापायाइवरितननाहावाक्यस्यामाधुत्वनिशीयारोनायेितिहास देवदन्न यचनापदिौनिबर्थनसाईदेवदत्रयदार्थस्यानन्वयापन्नगनायिस्त्रायत्ययशनिवामी स्वाधिकवेनतदंगाकारफलाभावान हातिसंज्ञायाहिसविश
रिमविशषरानोमानानषघाफलनचटावा घननन्यसनिरस्तामिसिहायचैववायशिवस्वपदेनिसमस्पमानपावत्यघाटतइत्पधातनबद्धता मतपदबडबीघारदेनिअिनेकयदयह रागनिवाभ्याताधानादानभायातचिदेवेनिहिता एकशेषस्पतिवाओकरिटन्र्दश्चन्दश्चेत्यादिवाक्यस्यसाधुत्वं दारलमितितत्रैवान्नमाधि groTerracinaczanie Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri
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सिर३४३
343
हजानइत्यादौ करपरजसमिनिकिवचित्रछीनिवार्निकनमियीनिस्सनेचकरघुअनसहनिति यातनादालनासमासःसिद्धः। ॥इनिश्रीमहामुकामभदृविरचिसिद्धांतरलाकरेसर्वसमासशे
॥ ॥कातिाअविभक्तिक सौत्रोनिर्देशाइनिभावः।अनतेइनिायतपूर्वपदनेतिविव तिनमनातसमासानिनिानाघाहरूधरतूरपत्र निषेधानायनानदिनीयाधरित्यत्रनदना यनरतउभयसंग्रहार्थमाहाअायाधरितिसत्रेसबधिनोऽधिकसात्वविवतयासप्रेमाननानसंबाध नीयाधलदंत स्पनेत्य अईनाअईनयुसमिनिसमासाबईची यसिचेनिपुंस्वावि र शप
थापिहलतेनसम मालिकानिष्टवारणायपुरोग्रहोकनसमासीनस्पैनियिनविधिधिनिसायसिष्टनिस्वायलिष्ठ-राम भाम्पादिनिभावाअंतरीयमिनिनिय शोडादित्वासनमीसमास पूर्वपदार्थमाधोदेकवचनाश्री ३४३
ANDA
माननिय मदनेमा पत्यार तास हानथापहनतेन मन
नपाउनना
स
111
नपास
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तर्गनाआयोऽस्मिन्निनिबङवीहिवनीपंसमीयमिनिाप्रतिगतासंगनाश्वापोऽस्मितिविग्रहाउयसीय हापादे पलतगादवपजनमितिदबाइज्यतेस्मिन्नितिव्यत्पत्यायनमामिासमाइतिानासाव्यसनी इतिभावाभाउसमायईदयनिषेधीवत पाइन्युनमवदेवयजनरूयार्थविशेषपुरासमीपसम्दीनिनिई शासमीपमिनिभायोदाहरणावास्वबितिानपूजनादिनिसमासानाभावाअवर्गानाहानातरितिसा ईलमनवादितिवताप्रापापरायमिनिगतिप्रेतसवयंपरेयमिनिभाय्याक्तेरिनिभाकाउदमोदी चिरगांवविद्याखायामवयहाथीबहलासाधन यगोमानित्पत्रनावरलं तिअन्तयतिालगतामा
पतिबदबीहिराजलग्रायमनपस्यादित्यमसासखियथाविलिाइंदौयारम्पपंथतिबिडवाहा पनि प्रतिसाममितिअव्ययीभावमाहिसमासाबबाहवाएवमनेसामादावपूछाहमादगितिथी वितियोगलभ्यमेनता नरवानिकमपीचरमनिष्टस्यविधेयस्यप्रथमनिर्देशादित्पाडायनामा त्यनाभावस्पेनिविग्रहागवादित्वात्सनम्पतस्पयरनियातायनाकारांनामिरीनिवासीनाभायोवा
विभाग
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त सिरस प्यायोःसंज्ञाछंदसोरिनिरर्वपदेव स्वाविशेषात्रताशकरगल्फडनदर्शनपदेनचत्वलयनेतहाचिनोति ३४५ शहस्यपदासाझाकस्पयामित्याशयेनाहाअवच्छ पर्यायादिनिगवानइनित्रक्षिशशरध्रवाची वडीसे,
मासाचनानियात्पनेइतिानन्फलचटिलीयाहिकंभाव्योनसमासबिशेषनियमश्चन्या हायाघानिावात्रा 344
हयएवेत्या उतरवायेवमवधारसम्मघाविड्ययावहश्याश्च त्वारोऽस्पतिविग्रहातात्पुरुषत्वचचारोक्ति बारहत्येवभवनिचिंचवरातिात्रयश्वचारीवैलिवियहेसैख्ययाव्ययास तिसर्थबबाहिनाबबाहसिख्य चदनिचाश्यवादाचायतिभुवमितियारापंगत्वादेकेवताकरवेतिाडनातरुपष्ठिशवहस्तियामितिकोशा ताअहर्दिवमिनिविरुयारामिपत्यिकशेषाभावीपिनियोनानामरेसभिाताअव्ययीभावचाकाल इतिसहस्य सादेशासह पंकजमिनिनियाचसरनसमकरंदनिर्मरास्थितिबबीर्थकमाघप्रयोगविपातन्पुरुष एवेतिएतनकर्मधारयएवेतिप्राचोकमपास्नायदावनिक्रानःश्रेयसानिःश्रेयानितिपादिसमासयिनसमासी राम निरनिकेचिनचित्पानसरुवशदस्पभाष्पस्वस्पसंकोचप्रमासाभावानानि श्रेयानितिनिश्चिनश्रेयोनेनिविग्रह ३४४
ज
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नस्या मनुनिश्रेयस्करनिकेचिदानानन्नाईयसश्चेनिकयोनिषेधानागोपेश्वेनिाएनेनसप्तमीनन्सक वएवेतिदर्शितांतनषष्टीतत्पुरुषगोष्ठनाइत्येवाब्रह्मवर्चसमित्यार्दिषष्ठीतत्पुरुषोयल्पतियलमा समर्हनीनियल्योमांसभोजीतदीयंवचीयल्पवर्चसंवतमसमित्यादिवहीसंततेचनमा तितिय हाधमिनिीगाठमित्यधीश्वसोयवस्शदात्यवासवचनादायबानिनिकेचिनदाकरविरुद्धमिन्या शयेनाहावयशवनावसीयंतिध्याकामयेनवसायान्यामतिश्रानयोगायत्रलिंगभितिभाका श्वशबईतिकिालवायापकतर्थविशेषयरशदशक्तिस्वाभाव्यातानमनाहाशमामिलामा यदाधरनामिन्यवासाशीविषयमितिषष्ठीसमासःविषयशस्यनहालगवान्यल्लिंगनिशानन्द वारहस्पनकाशाअनुगतमर्वहीनं तिग्रादिसमासाअनुगरहो अस्मिन्नितिबाबीहिवानमार नहसमितिातपंचनातनिहायरेणानाधगम्पमिन्पर्थमनत्यनयागानापाकबड्वाहियांकन व्यमिनिवानि कादितिभावायाचाजेबजीहोसक्थ्योरनिषेधारकानोत्पादावनिशेषावाधातिनानि
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सिरस धर्मालधत्पिादिसिदकिमाइहलेपग्रहांशक्यमवर्क प्रतिपदोकपरिभाषपाकिसेपइनिविहि ३४५ नासमासस्यैवयहसानाकिरानइनिकिमत्रप्रश्श्रेषष्ठीसमासाकर्मधारयोवामजन्यहानने 345 शतपंचमीनजःपरयत्नदनादित्याअपथमितिात्रयर्थनपुंसकमिनिलीबत्लाअयर्थतनइति।
अर्थाभाविययामाका इनिश्रीमसिदातरत्नाकरसर्वसमाससाधारणसमासानाः। ॥समा मश्रितकार्यानरमाह।। ।अलीगतिाअधिकार इनिाइहालचस्वातिविधेयसाकालत्वादिनिभा भावउतरयदेनिानंचनयागिकयवाह्मणाइत्यत्राय्पलुकप्रसगादयितसमासस्पचरमावय
नमिलोहवीशनिवावरूनस्यहगारालुकस्या दितिापसव्यप्रनिषेधोयस्तिोकान्मक्तइतिएकयधर्मकस्यविशवगायोगाभावश्वसमासफल किंचनीकान्मकस्यस्तोकान्मुनापावापत्यस्तोकान्माकानीकान्मुलेयानिविवाहानहिनीपिनि राम याथमिकसामासिकल कौनिषेधेनचरिनार्थवादाधन दिननिमिनलडुवीशनिवापासपोधान३४५
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तिशास्वस्पैकवादविशेषेरानिषेधाभ्यपगमानाइहमोकानिकहरार्थनिस्बोयानाएवसोकादयार, घनेननुकतीचस्ताकापन्यवत्या व्याख्यानादिन्याशयेनाहाएंवमिति दिवचनबहुवचनानानास मासोनेष्टतिनस्तोकापासुलस्त्यादीवाक्यमवाश्रीजा ओजसाहमिनि कुर्तकरसोरुतिसमा साकथनर्हिसतनवानमारनमितिकिरानःशिषषष्ठीसमासाश्रयान्नदोषायकवलयदाधि कारेनदेन विधिर्नन्तनरपदाधिकारइनिधयक्ष्पादानानन्नापदांगाधिकारेझ्यटकचिनपकेट कचिन मिनि भाष्यविरोधारानचोहरपदातिप्रश्र्वयनत्यानादीनांविशेष्यक्मेिवविवादितमिनि वाच्याविशेषताविशम्यभावविवत्तायाःकामचारवारमार्थमेवनदारंभातायात्मनश्चयाचाग्रंथमनसस वार्षिकोतर्गतमयीर्दसत्रनयहितोत्राज्ञापिनिवेतिसूत्रेयाम्मनश्चपूरगाइनिवनवामितिमा रियादिग्रंथानुरोधाच्चानवमुन्नरस्त्रान्मनशतनलम्पनापरस्पचेनिस्त्रंचव्यर्थस्पादिनिन यात्रा यक्तमिनिवाच्यापरस्पचन्यस्मादेवलिंगापूर्वधात्मनस्यस्पलाभोपयन्नेबार्तिकस्वान्मनशाइस्पातर
भाष्यात
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वा
सिरस सोनहत खवचायथासापदादाविन्यत्रयठिनस्पकाम्परोखेत्यस्पाप इत्पत्रावरुनापरस्प ३४६ चेनिमारकानवतेभ्पप्रयोगभ्योहिनामादिताइन्पत्रालप्रसंगानिमाननादिनिरिका श्रीमनापंचमा नामापंचमोऽस्पेनिबड़वाहोपनान्यत्रालप्रसंगानिमाननादिनिरिकाकानापरस्य
लत्यादित्वात्प्रयमानत्तीपत्यकान्मनाशनद्धतिकरोतिक त्य यायेतासे यरोवबाहिरिताएकस्पायोयाधिक हमादायवापदायीन्यपदार्थ तनविरुद्देशति - भावावेशाकराव्याकरसोमवावै पाकरराऋगयनादिवारसाचासावास्यचितिकर्मधारयाया मनेभापतिश्यमाख्यारराध्यापपापनास्तितथायिधारयाठेऽस्तीतिभावायोगाविभागादिति। पिथापकनिविकनिभावरवेटवाईधनायस्पालीनिवदिहसमासे यानाअलावधसामी हासमासगविष्ठिरतिप्रति शिथिलाहारास्फीतिसत्र
पानतागवानानचल बाधित्वापस्वादवादेहलदंतादित्येवासिमिनिवाबीनरंगानयीनिलकोबलायूस भाकाहादिस्टगिनिहंदपंदिवंचनानिविग्रहअलविधानादेवकर्मशासनमी कर्मशोधिकर २४६
स
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A
We
दि
र त्यो
यान्तविवक्षयावा । विकटोरा नि। संघाने कट जिनि कच्चू प्रन्यः उरगोमेषः। श्रसव्यइतिगादित्वा घसो ग्रेगोवाना देश के चिन्नुयनः स्नेपठित्वान्पुदाहरनिनिङ्गाष्पादिविरुदजिचैवक्तव्य । स्वर जखचरइतिमाप्यवचनानरस्पेवदर्शनाच्चान्पल भयत्राहि लदनादि कमाऊ । अश्वमताविनि। कारीया मे सोमाश्चनेसविष्ट वेत्पा ज्यूभाग मंत्री एशोसिएन चाचीन पाठमु रहता। कनकमय ही व्यथा तथा हिसिन भ्यंत स्पा स्वशस्या नुकरणात्प्रथमानान्म तुप कार्यशनचसोः प्रत्ययत्वान्प्रातिपदिकत्वानुययत्रिः रास्वस्य सोर धिकरणशक्त्य बोधकत्वेन वाभावात्ानचप्रकृतिवदनुकरण मि भात्पयो नश क्यान स्पा सार्वत्रिक व्वस्था सवेदितवान्। अन्यथा प्रथमांना विधीयमानस्पमपाप्रसंगाला तथाचा विश्वकन्यायः नास्य वामीपमित्यादाविवलु कि कर्तव्ये निदेशा प्रष्ट महनेनि स्पष्ट मेनविवेदिनानस्मान्मतिथित्य वाचतायुक्तः । नैतादृष्टमिति नव्याः हर दत्ताप्येव ।
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सिरस
३४७
शमनिधिनिपाठस्या श्वम निरिन्दा हरास्पच भाष्यकृत्यादिपुल के षपमानत्वे भमनुष्धितिया रस्यैव काष्पदर्शनार्थत्वा चेनिटिक पनाहयहरती चानादर इतिषष्ठी दे वानामिति। मूखाहि देवानां प्रीतिं जनयतिदेवयानःशे पर निःश्रनवशेयमस्य निबद्धजाहिरा 347 नरोदाहरणापय्यते पुनः शेषमिन्यादित्रयोपमीत्राषिविशेषा शांसि ज्ञामानः पितुभ्समासइति एत चसमासंगुलैः स गत्पतेोऽनुवर्तनइनिभा कानफलं दर्शया प्रसमा सेत्विति । वाक्ये वैकल्पिकमविष पर्थमवधेयंविभाषास्वस्ट पत्यारित्युत्रस्वस्ट यह विं जन समास मातृपित्टभ्या स्व सामाभ्यामिति षत्वविधायक रहनेवाल विकल्यसिद्धरिति ॥ ॥ इतिवैयाकरणसिद्धा तरत्नाकरेड लुक्समासः॥ ॥घरूपा प्रत्ययेधितिलेख यह गोनोत्तरपदाधिकारे प्रत्यपग्रहगोन देनग्रहणं नास्तीति ज्ञापविष्यतीनिभावः। ब्राह्मणिनी निजानश्व तिनिषेधान सिलादिघि तिन युवद्भावः । चेलीपिचा राम दोचेल डिनियारा हिट्रेनिङी चामल की ति पत्ते नित्पखी लिंगः कुवली शोवाना ३४७ स्वमा कथाह पावको शिख्या दिस्ययेति । पूर्वीवप्रतिषेधेनार्धमस्तु को दित्लु भितिगृहा । तत्रमा नव अनेकमन्य पदार्थ इति सूत्रेक राठे. स्थइति भाष्यमे। ग्रा संकर स्थामित्यादि केतु प्रार्षत्वा षत्व विवन्दया ष्ठीसमासेन वा साधुरित्येह घुम्यांन पत्र हम स्वातयमिति बोध्यम् ॥ पश्यतो हर इति ॥
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शेषासचाहिन्याहाअयनानिारपलतरामतनाभाषिनभुस्केत्पपितहसंबधतेश्याशयेनाहावीनरेलि विडपितरेनिागिनश्चेनि पिवसोसंपसारहित्यादिधिनिाआदिनाप्रक्रियातद्याख्यानारामा निर्मलमितिाबिछ्यसो युवगावोग्यत्र पवितव्यमिनिकनोतं वचनंत्यभाग। मुनित्रयानता वातानवडपानरतितितिप्रदर्शतपनि रूपपरोदखाभावयतनसिलक्षिक्षातवंडावोव्याय सत्यवेयरनयावधनमपिन्यायमिदनापूर्वमितिवाधीपंकर्षयोगान्पाकखान्तस्यादीनपाउंयन्पसन्दा बिहायानुपपलान्यादेशविधायकान्याहाहृदयस्पेतिालेखयह मेवेनिास्त्र प्रत्ययसाहवयी विशपांतएवनिर्दिष्ट्रतिभावाप्रपंचामितिबिकल्पविधानादिनिभावापादयदाउन्नमात्रेय द् स्या यहंदिहयदेनिलिनविभतिकोनिशरत्याशयेनाहायदइत्यदनानितिनपदग इत्यादिमिदीपानों यादीवियनानिविध्यत्यधन्धेतिपूतायाधमिनियापर्धाभ्यांचिनिनादीयतापूर्वस्त्रे आज्यान्या दियागय गस्पेवकरशान्तसभवादिहायिनद्वनस्वादशहाग्रहानेनपरिमारावचनानेनहियाधनिया विवन्दितलासिमितिवचनपत्याव्यानपरतदुत्तरयन्याविरोधाता यासकतातथैवगारव्यातलाईतिपिका सौत्रक्रमानरोधेनाम"
तइत्याद
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सिरस घमित्यवनपदादेशाकीनार्थेपणायादमानियताएतञ्चहनिहरदायोस्पष्टाइकेचरताविनि। ३४.८ अतएवालगन्ययादिशुपादायञ्चन्यनाषायत्काबानिस्तय्पजानावितगिनिभपहानिरिनिराधादाम्या
हन्वतन्यथाकमसिनिनावाशतिशसघ्रत्ययस्थकदशहारदमनुकररोगालोमादिषयाशन 348
स्पयाठाभावा-मत्वर्थशानभवतीनिभावपातिव्यैकवचनाचवासायामिनिशसउदपेषमिति स्नेहनेपिषइतिणमुलावादिषयथाविध्यनुप्रयोगादधिरितिउदधीपनेअस्मिन्नितिविग्रहाकमाय धिकरगोचेनिकिसिमझेवितिसतावाहिनिभावामंथोदनादवव्यसंयुक्तासनवामथााउदमंथा - निाउदकेनमंथतिविग्रहत तीयेतियोगविभागासमासइतिहरदनामुक्तीभावनिाछपीदिचिडाचश्चनि च्चनत्वान्निपानव व्ययधिकसनिातथाचकोशाकुंसश्च सश्वरकुंपञ्चेनिनर्नक इनिनिद्रा यमालाप्रकुरि कुरिभ्रकुटि:खियामिनिचाएकनाएकनिलप्रपष्टानदाहाएकशदस्पेनिसर्वना राम सोनिमावश्पनरनिपद नहिताभिन्नानियसमनिषानयमनखंडनावसरेपचिनमनानदंत्रं व्यमिति ३४८
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इत्यादा व३
बनयनुदाहरतिाएकरूप्पमिनिष्यभनन्सुरुषपदेनपूर्वपदोनयदेाहितपनातत्रध्यापूर्वपदान स्पविशेषशानदंर्तगानन्याहाप्पडनस्पति उत्तरपदयहरामिवयत्रयत्याविशेषतामित्याशय नाहायुत्र यत्याततरपदयारिनिापुत्रमत्याविशेषणात्वहिकारीधगध्यापरमयावनिप्रसंगनिमावा संघसाादातिङलापश्यतोनुनातिरपदाधिकारादाहास्तरयनिाकोमुदगंधीयवहान -- (कुमुदगंधेरययस्वीनिविग्रहाअगिरीजास्नाषयारित्पा:म्यादाधावाधसामयीदाबधावाया निवडावनसंग्रतारणावाहीचाहत्वानेनिश्कास्वाध्यश्पनानशषप्रत्पययहापरिभाषपाने, व्यर्डनेंतदादिनियमेपानननिषेधतिस्वीपपयेतिथितिकारीषेतिपादयोकांनाघर ग्रादिसमासेगोत्रियोरितिक स्वतनषष्टीतयुतषानबांतिकीनस्पपाधान्यान्यतार्थ मिनिभावाष्टकचिनामिनिाकर्ट करसोरुनेनिवतीयासमासापदागाधिकारजतिनदाह धम्मवाहायकेरकेतिमालभाशतामालाविभनात्यशास्त्रयजानाविनिशानिश होनहार
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सिर धिनिक्कचिन्पयनासन्यंकारतिशफ्पकूसा मित्पर्धाअाशयपिसन्यादशयपनिडाचं ३४ग वाधिवा परन्वानुमेवाअगदकारनिभिषणि त्याअरुमिनिअभ्फपगमइन्यथा
स्वितिनिङनपनि हपकमव्याधेभव्यनिामविध्यनीधेनुरित्याभयंगनिनियोजनाक 344
निरिकत्याधेवश्वासामध्यवितिवियह गिोतमस्मताअधधवभव्यतिपादित्यत्राषिता मुन्नेतिबोध्यालोकैटगाइनिाएगा निःपराकमारलविनादित्वात्क इतिहरदनविन
शमिनिअभ्याशंसमीयनझिनमनभ्पाशम् एतिशास्हहजषतीगा वधभा ट्रमिंधतिाकर्मरायुययंदसमास एवमनिमिधेमितिमिल्शिनीमन्स्यविशेषागि। निर्मलविनादित्वात्काअचिविभाषेति लवगिलगिलेवनिगिलंगिलनीति
गिलगिलस्तनातमीनागिलागलतिविग्रहरदाराहानिरात्रिशदान्परस्पततो राम. भावान्हंदननरप्रदेयविधिरित्याहारविमरमिात्राचार किवंतास लादिसंभवेपिविले ३४९
"शत्रिशब्दारित्तनुपज्यते ९
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नय
बोपस्थिनिकृत्तान्नगृनइनिभावः। सहस्य । नियानत्वेनादानत्वादाता दानवन सहशदस्पानरताच्चास्वरितदेशः प्राप्रानिपान नाडुदान एवसादेशः। नचैवं सेष्टि सबंध मित्य चातवचनेऽव्ययीभावसमासानादानत्ववाधय संगुः परत्वादस्मिन्ना देश उदात्ते पुनः प्रसंगविज्ञानात्समासातोदात्तत्व प्रद्यतेः। सयवाशमिति । बहुत्री है। प्रत्पतिर्व पद्म हतिस्वरेशा फदानत्वेशषनिघानः ग्रंथांना हर्नमिनिश्रिं तुवचनेऽव्ययीभावा अव्ययीभावे चाकालश्नपत्र कालपर्युदासादप्राप्यथानयहां द्वितीयप्रधानो यः सहिनीपति लोकप्रसिद्धी यामप्रस निमनुमेयमित्याशयेनाह । अनुमयइति। एतदर्थ में वर्तमान सदसतिश दसमाया होय न्यस्तमिनिभाना अथवेतिएनः ञ्चहरदत्तयेथे स्पष्ट । ज्योति। स ज्योनिरितिासमा न ज्यानिरितिबद्धत्री स्मिर हि पत्रादित्यत्रैवा संजातं दस्तम पर्यंत मनु वर्तमान माशी चंसु ज्योतिः। इहसमानमध्यमध्य मनीरश्चितिप्रतिय दोन एक्समा सोनगृहसरूपाशमिक शेषः स्थानानाद्विभाषा संस्थाने नेनिलि
स्प४
तूर
योगो विभज्यतइतिष्ठ
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350
विस्त गानविंडबकबाहिरयीनिहरदमावलवारीनिवितनिगिनिानीर्थयेइत्पाकारोनविवतिनायस्मिति ३० धिरितिनुदातिविधिरित्याहायादावितिानन्तनरपदमात्रनिमित्तसभावोतरंगासमासप्रज्ञानको 'तर नानपान्ययाऽननस्पयरचनसंभवनीयाशक्याहाविवक्षित नियासर्वदापतिीरंतरतिरोदी
हरगान्वयितिवाददशंऽतिर्सिनेप्रात्वसनियादिकत्वेनोवमन्वयारसिदत्वान्मर्वसवर्णदीप इत्यर्थ सूपामास्वघामादिशकतिगाएतिसंज्ञायामिनिम्त्यामाघतगास्त्रमैतवान्तवाले त्पात्रीचनिनायकसिद्धमिदीकादिपाठकनिनिनिशानाप्टपादरायकोरायदिश वोहिनववस्वावचनायोपदिष्पदानर्थक्यादिनिभावाशशरनाप्रधाहारलभ्पमिदायथा यदिशामपत्रवासायामव्ययीभावापदिशिश्चोबारमा क्रियापानियाभिनिरुपदिशानीत्य याएवास्तफलिनमाहाययोबारिना नातासमासपंदविषामदाउत्तरपदाधिकारानेरुतां रान नामुगादयोबालमित्येवसिवश्वभवेदांगमादिनिप्राचीकारिकार्यापूवदियानयोःसिंहहंसशह ३५०
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मोर्यथाप्राहाध्याहारेशाष्टीतपहर्शनार्थमुपन्यासइन्पवधेयादिकुशवेम्पतिवार्षिकमि देरोदाशेपर्यवीयावनिगरानितिनलुपवयमा कन्येत काममनसोरपिासमोवाहिततन योमीसस्पयविमुद्घमोरित्यायसंग्रहीताकत्यत्तितस्यदेपरेडवप नेयमारलंपताचव
यगंतव्यमित्यादिानधातुमः काममनसा परतोनेल पत्तागतकामागतमना सनना सतनामी पोस्पाका स्पचनौसयोगांतलोपोलिनियातनान्नाअपरस्परा:क्रियार्सतन्यातिनिर्देशएकदेशहारे स्याका
रिकार्यालिंगमित्याइमासीनत्यमित्यप्रयोगोऽनभिधानातानाई साहबंधनेनुवननारपसेच नायधनाइनासदीयौषिहमशीतिजविस्तारोक्तिधिनिउतरपदेवितिशेषाउपानोटlan संयदादित्वान्कमकिपानीददादीकुशिममीविदितिव्यधेग्रहिव्यामिसंप्रसारगावस्तापाडता पूर्वपदाक्षितिषत्वामानहरदनामहेन्टलननीभ्यांचे पत्रयोगविभागोबास्पानुनससच्चयार्थचाह त्यन्याखषामादेराकृतिगशावादिन्यपरोयरीतादातांगमावाविन्यनगमादीनामिनिवाच्यन्यतन
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सिर. स्व
लोपःशय्डरुगिनकर्मधारयोयमिनिनयङः कारक मितिभावाऋते नमिचावरुणादु नानृधाविति ३५१ तातिदीर्घनिवेदभाष्य मत्रेान्येषामपनि दीर्घ ऋतु स्पस्त्य स्पनर्दयितारावित्यर्थेऽनर्भाविन राय थाह के क्कियानहि यत्पयेनष्व्यथयथमेत्याहा
धूमाभावाव
351
वनश स्पैति । इह वपदात्संज्ञायामित्यनुवर्तते ते नेदनियमार्थमित्याशयेना हैभ्यएवेति दीर्घेति। नचैवंदन गिरिपत्रको धादि गाव्यर्थ सतिहित स्मित्त्व विधोटा बंतानोनि ईशइत्याशकायनैः। विध्यर्थइनि यस ज्ञात्वेनपूर्वपदात्संज्ञायामित्यस्पाघ्राः गावराण मित्याद यः षष्ठीतत्पुरुषाः सियंत्र वनमिति । नरक विशेषस्य संज्ञेया नियाननादिनिमित्त हलूदना दित्य लुगितिक चित्रचित्य येयहरामसेज्ञार्थमित्युक्तत्वात्। षीवल इति रजेः पाती त्पादिना मत्वर्थवलचा अमरावतीनि माइपधायाश्चेनिमनुयो म कारस्प कः। निषादइनि । पुर्ति दोमनु योवलमा उनीत्यादिना मन् नीतिमानथापाचेनिम
राम म ३५१
༣
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तूर
स्थानि ष्यजानिः निःषीन्यस्मिन्या, पमिनि हलश्चेत्यधिकर शोधञ्ा दौवारि के प्रतीहारइतिप्रयोगत्वं प्रयोगोभाकोना। प्रतीहारोद्दा तु मक्ति एक चिनीकइनिशेषाभिषि अतिकश देऐनि । वार्त्तिके दीर्घनि पठ्यते । केचिन्नु स्वातंय हिताश्वादं निव्यवीही दीर्घमा इह खादिति । कानूपति तालव्य पाठ स्वनाइतिभावः॥ विभाषाषा ओषधिभ्यवदाहरति वविशाम तिवनस्पत्तिभ्उदाहरति।शिशेषवशा मिति ननु फलवनस्पतितैयोवापुष्पफलोय गा षध्यः फलपाकाता लतागुल्माश्ववीरुधन्यभिधानाद्यस्ययुष्यविवफल संपत्तिः सवनस्पतिरु डेवरादि। शिरीषनतथा फलपुष्यो भय सताना नोगाः भमिति चेन्मन्यात मात्र वन स्पतिय देनोपलक्ष्यते। अत्र चल पियुक्त व दिपत्य भाव्यलिंग तत्र हि व्यक्तिवचने किं । शिरीषा गामहरभवो ग्रामःशिरीषास्तस्युवनामित्यत्र गायेकर्तव्यवनस्यति त्वमप्यतियितान च्च शिरीषाणीव नस्य नित्वसंग नान्यथेनिदिन परिकादिभ्धत्वात्प्राभिः आदिना
पर
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घात
३५२ माघाशनरयामाधान मानावधानायला वनपरिपकाना
सिरस यानिमिरवनीकर्मणिल्गुडिनिबाडुलकादितिश गिरिनषादीनांवेलिावाच्यमिनिशेषासंज्ञा ३५२ यायोमेऽसंज्ञापामयाग्नेजमयत्रविमाययामन्याशापानिपाहीसमानयदत्वामावान्यानिदिको
नध्यातरेयोमीटभीगीरागादिवर प्रानउभयविभाषियामाषवापिरावितिाबडुलमाभालाप 350 तिलिनिाबीहिवापागानिकर्मण्यरराज सोवियजतत्वानुमानरयदयादतिपूर्वपदा क्षेत्र
सूतरपर्दनकाशाविशध्यनेनेननदंतविधाकृतार्थलाभ इतिभावायचतमहामेवालगाम तिप्राचानमन-माहात्रतएवानामाबालिगविघठ्याताकूचानापारपक्कानाप्नाकुमानचेतिपय
सात्वियानपाख्यख्यिान मर्पिसौत्रश्रमानुरोधेनस्मारयतिाएकाजामा निकानीतिकमनिनियाचप्रापवावानामपित नियदिकानेन्पादिस्त्रानु निमंभिप्रेत्परमेशादाहरनिहिचहावित्याहिनावहतंवतीब्रिह्मभूगीतिमलकिराहरिमाण राम तिमने गर्यताकिनिकिशननिकारकेन्पादिनासत्यते प्रातसमासेनान मुनरयदतनव ३५२
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भ्पइतिडीपात्तीरयाशीनिधिबन कर्मरायदेभानोनुपसर्गनिकाानोलोयटिचेन्यालोय इस्म मोरयाभ्पमित्येवनिन्यसान्वेसिनथायिनानियदितिनिविकल्पमानिनुमाघनस्पैवप्रतिपसदा मानवसमानयदखत्वाभावनावहिनव्याकरीत्पानाखेडपदस्वान्तरामगोत्पादाप्रसंगादपिवानमितान भिनिनोमिनमानियादिकाबलेसन्पेकसमुदायस्वत्वमेवानबरामेशापादाविवहारपत्पिादावमली विदिकारम्पविशनिारम्पश्चासौविश्वेनिविग्रहाननाअनाखियाकुमतिअनकाउत्तरपदार्थाम दोपदव्यापदेनेनिनिमित्तानमिनिनो मध्यनिशेषतामाधकुंभवानिमिषकुंमंवयनीतिकमराय गाउययदसमासाएवं चत्वार्थगान्यस्पतेनयोगलेनेनिनबनभनयाव्यावरमाता पिउनमयदत्वे चापदादाविति
कर्म
य त्ययलतापतिषेधान्मधास्यापदबान स्मात्यष्टोनन्सुरुषोतरपदकापशनस्वरुपाचनरंगयोगेनेत्यत्रचेमिंगानायो यस्यतिबद्ध ब्राहिदेश्यसिशक्तिरापात प्रत्यारगानाश्रयनिषदोयाबसनतकुमतिचन्यत्रभाषष्ठानल मतिकै यमः
गोर
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वाधेमानाभावादाव्यविरोधा३४ सिरस्व हयानरयुदकपष्ठीन रुपेवमनिनिनिन्यावस्पषधानन्यरुयरर्वपदकषष्ठीतत्पुरुषपातिपक्ष ३५३ काननिवैकल्पिकरागन्दस्पंचागाकाराडपसगीसमासेयान्पादिनापाप्रपवसावस्पनिया 353
नयर पदमायादिकाननिविधीयतेप्रातिपदिकोनत्यादिनानंतरपनि । न्पायगानेनपावनईयर्यवनहमिन्पादिकमेवोदाहायानवैर्ववार्तिकस्पागोमोरोपादिभाया । तादाहरसावपतिबाधसामान्पाचनार्यावानिकानुरोध नाहातवानाविशेषन्ति नायोवाकिब नद थमेवालयसिह उपसर्गप्रयुक्तराावस्ययावहमयमितपत्रमयटिसियनदिनिचेंदामाबा
भेन्याकोहीन्दसंगनमेवाश्रतएव कुपतिचैन्यनत्यभाध्यमतीनरामियागाकरित्यादिवदनाकै यूटेनह पितमितिबाध्यातदिन निववधायकस्यपदस्पतहितचित्परोभवनितदाननिषेधश्ययात्रा ईगुमयमोनिहगीशपदीगोध्यदअसविनसामथानन्यर्विकमदाहरतिगोषदानानिागवासंचाराय राम नवसमचनिनवापि धमसेविनग्रहगोआत्मयापनायनिकालनेपायशशरस्तराव्यवसाधावारिनिा३५३
नावातिकपास्यागावस्पतत्राऽसाधुत्वालाप
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अतिकश्चिातन्ना कामकमालिकाऽवश्यकानिकुर्वन्योमोन्दमात समत्वाच्यमान किरोनेरिलिम
मामाउनेहवश्वनिमात्यातहातकयटाता तथावमाध्यान्ता थुतिमासकाशितशो मवेतन प्रतिकशइन्यत्र पनि मेरुयसनिनुकशेशयक्रियापकन्यायादिनिमावापस्करावामंत्राथमिनिह स्वाने त्याला दावापदेमंत्रनिर्वस्त्रोवसिरितिभावामस्करामस्करियहरोशिपमवटामस्करादिनिनाम तोमक त्वथायनेष्टसिद्धाधारस्करतियारकरोनीतिविग्रहाहनोहेनाछील्पनिमाकिकिंधेनिकिपिरापार धनेतिविग्रहानोउपसर्गकाशनिपाननाकिमोहित्यांपूर्वस्पमलायालाकिंकिंदधानीतिविवाजक रक्तामनिवासायाहित्वं सिद्दमन्पत्तनिपाननादेवातहहतारिनिागराास्तवमेनपापस्पत्यवतीया शता३] यश्चित्तमितिापायोनामतयःप्रोनं चित्तनिश्चयांच्यातयोनिध्यमयुक्तप्रायश्विनमिनिम्मति अयरेखपायापार्यविनिर्दिछविनंतस्पविशाधनामापामाहानिगाइनिानेनविकरोतीनिविय हेलजोड्यत्ययेकि शुगरथपानीत्यर्थधानानुपसर्गकिरथम शतात्परासियरवानानिकायो न्याक्षिपेनिसमासेराजदमादित्वात्परशवस्यपूर्वनियानयारस्करास्निानकायमा इतिश्रामतिरुमलभद्दान्मजयमलह्मभट्टविरचितेवैयाकरशासिहानरनाकरेसर्वसमासा
पापाने
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सिस्न विषयमा अयवादसंगत्यानहिनाविवचनदायमधिकारस्त्रामाहासमीनामिति निदा २५राषष्ठीय नवसमानजानीयायेनमिन्पावेवादनथाचप्रथमान्समथादिन्पफलिनसम्पललत 354
स्पायमिन्यजलसंधाकिमित्यादिनामलेरवस्करी भविष्यतिनित्रविधेयानिशाईनरत्रपताना शेयाकांक्षासत्वाञ्चनार्यस्वतंत्रोविधिरित्या हेदंपनियमिनिअनेनप्रत्येकखरितत्वप्रतिज्ञास्तच तानन्यलचकस्यचिनिहत्तावप्पयूरस्यानितिगानथाचाम्पिादनिसत्रेमललवस्पतिसमथा नीप्रथमादितिनिहतंतिवनुवनस्वनिपादिशक्तीतिरक्षनरयांप्रत्ययानीचार्थिकतनासाम ध्यायागारसमथग्रहानिष्पलान्चसायनवीनाम
लायतवाच्यमातादीनांयज्ञादिवास्वाथकलेभविष्यना वायानयापनादीपाभावादरात्राहीनिगयान्वननत्स्थत्वंकल्पनाशिनयोगाभावादप्रभारी निभावातत्रसामध्यनमिकाथाभावननकबलजयगोरपंन्यदेवदंतस्पेन्पचनांनिपसंगनिनिका राम खनियन्पपयो प्रत्यकमुषग्वपत्पवाचकन्वलाभार्थसमर्थानामिनिबहुवचनानि शेन्यथासमयी३५४
तप
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श्रन्यातिमा तस्याश्रावश्यक त्वेन समर्थानामित्यस्येव निष्क ल्यात् । नवसुवन्तात्तद्वित इत्पत्रमा नामावः विका लननेधित्य लुग्विधानम्प २
प्रथमादित्यवपदिनिहर तो पिव्याख्यान चिंत्या खबनाता नान्यतिरितिसि तस्यकुलम ततया समर्थ परिभाषये वगनार्थत्वात् नचनद पिसमधी नामित्यनेनैवल ब्धमितिवाच्या
निपिपलविधान शा | भानुयपनमिनियन कायन उज्ञापकाश्रयसाथि धनस्यायत्यसां स्य विभक्ति निर्देश चावला भावना त्वात् नचाणातिपदिकादित पर्थ मात्राये सेवयुक्ते निवाच्या ज्यायानियदिकग्रन नि षष्ठयनादिति व्याख्यानेन निक विभक्ति विधायक बाध कल्पना या गावापत्यशहस्य संबंधिशाचादेव षष्ट्यर्थ लाभीपत्रातस्पावे चेन
स्वपैमान
पू
नाही परिनिष्ठितत्व मिति तथाच समर्थादित्येव बची हैन संधातिएनञ्च विभक्तिः प्राग्भाग स्पैवेनिबोध्यो बाम शामागावे न्यादिनि ईशा ईतरंगा नयीतिन्या
प४
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सिरत याचाअन्यथाविमतिलौकारस्यायिनिहनिप्रसंगादोर्डसाइनिलिंगाबाअनएवसमर्थयरिभाष ३५ याहनधित्वस्यायिलाभादिदसतिनाशंकनीयसघियहरगमेकशेषस्यायपलतामिनियनि
यादितसरूपतवेतनतएवावधार्यमामहोत्सगानाहायाग्दीपनत्यादिनानिनदीव्युनीन्पवानथ 33
कायदाव्यावहाधिकेनीयातानचैवमिनाद्ययवादविषयप्परायसगापालायावत्यादीक वायहसायहाथवतःशवतत्पवावधिन्वनेनंसमान थप्रकायंतरेसावकाशमामिजाशि बाधतात्रवासडापत्यवावाधमनामहराायकाभनिभावामाग्टीव्यतायाधानादापन४प्राकमा ग्दाव्यत्ययरात्यव्ययीभावनियावापाशीपन मितिनविनप्रवानियहवारतिनव्यानन्नास यात्तिकनिक्पादोरवग्रंथेचाभ्युपगमान अव्ययीभावस्पोध्ययवेलुबुखस्वरायबाराशतयारणा सानास्वाभावप्पव्यपानाभमाचइनिटिलोया प्रसंगाचानान्पथोपशरदसपवियाशमित्पादा राम वपिलोयापने प्रथबगत्यात्यभाध्याउरोधेनझयइत्यस्पनित्पनीषातापिसमिधमुपसाम३५५
तीय
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दितिरूप इयंमूले डुदाहतं चिंत्यमेवाननोभवार्थे द्वान्पना अमेहक्कनसित्रेभ्यएवेतियरि गणानादन व्ययत्वाच्चेतिभावः । तद्वितेषाच्चामिनिनि धीरष्टालाची गती न्यनोऽवइत्यन वर्तनाही हाच इतिप्रामादिकमेवेति एतच्च दर येथे स्थिता देवनार्थ काशीना र चालु वरपि दराकृतिगाचात्पत्रा पिस रूपयादाः। क्षेत्रयन्य शष्णिवं व्याख्ययः। दित्यादिन्यायतिश स्पोनस्य देश ट्रेन बहुव्रीहौ तेन नो नो बहुबीहिरित्याहयत्कन्नरयदा चैत । बच्चा निव्या निवारणार्थमुत्तरपदयहां दैत्यशतानन्देवना येण्या सावकाशयन्पेदीले यो बालेया त्पत्रॆनश्चानिज इतका दितेरपत्यमित्यत्रोभयप्रसंगपरत्वा प्राप्नोति वा पूर्वविप्रतिषे वाश्रया मटुक्तमायादयोऽर्थ विशेषलक्षणा दशावादा पूर्वविप्रतिविद्यमितिप्रर्थवि शेषनिको पनि नामय यत्रा परिषद नीदमर्थक हिदे नेपइतिलिि कारादक्तिनइनिङी बॅनोत्री पोलिंग विशिष्टपरिभाषायाञ्च नित्य चास्याने निशिन)
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नपदान्ततितन्निषेधार
सिरस भाष्यवानिकयार जतत्वातेवइत्यूसाधुरियन्येशनिहरीनाआदित्यशनिाअदित्पशहाराषसे ३५६ निलोयेहलायमामितियोयलागाअल्लायोयलायेनस्थानिवदरर्वत्रासिवनस्णानिव 356 दित्यतयाकाशिकापामितियमशोधिसत्रेठिनव्यन्यर्थतिहरदगानेनड्रोपदृष्टीबहि
बादिलोयंक्वनंमध्ययानाभमात्रयस्पानियतीज्ञाययिवतिनारानी पतिसिधाअवधाम इनिभायादाहरणानदंतविधिशनचवलवाधिनस्वामनंशवस्पायत्पनयोगासंभवादचनारे भसामानदंतविधिरितिवाच्याज्ञानार्थतत्सार्थक्यारराश्वस्पेवस्थामयस्पतिबङवाहिः। उडुलोमाइनिउडूनावलामान्यस्येनिविग्रहाकेवलस्यायन्यनयोगाभावातदतविधिनतोडका रष्टिलापाननबाहादित्वादिनिनस्यबद्धत्वबाचनइतिलुकिलनादिचत्यत्रानिलबंनस्यप दवेनलोयेसिधयमिनिवेत्रानलायस्यासिधावादुडुलोमरित्पादावैमादेशनायतेप्रायभर राम नभ्योन्येवुलुकोध्यभावाचाचियदलमपनडुल भोसर्वनामस्शनेयचीनिशिवाप्रसज्पप्र ३५६
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नियेधमंगीहन्याउनिङनयदोस्वादिधिनिस्तत्रयस्पाधिनिषेधादनएवोतरपदवेचापदादाविनित
पारव्यानभाय्याइन्सक्सशोअंतएवंकलायिनीकलापिनत्पादावोजसायुिनलोपोनभवति नित्रकलायेनपोनमधीयानात्पर्थकलायिवैशंपायनातानियोतार्थसिनि ततायोनरिअगरनस्पची ताल्लुगितिलकाशसाहावविभवेनानवनिनिमिनकपदत्वबाधान्नदोपभ्पामादायदत्वान लोयाभवत्येवाओजसादियुतबाधकीमतभावस्यैवाभावादतीत पायदत्वान्नलोय प्रातःस चोक्तव्याख्यानान्नितिहरदन गोरितिनायत्पएपकिंतुमाग्दीव्यनीयेसुसर्वधर्थविन्याइमामेस
ग्रहणनतोन्पभित्रय्यर्थयत्नेनगवाचरनिगवामन्यत्रापिभवनानिहरदन गोत्रयमिनिहि। मनुष्यभ्योन्यतरस्यारुप्पामय निरूपमयुगाजसाग्दाभागातदपवादानामिधादीनाचायंवदाई हगासनाबरयासअिसेबसमासेमवाचार्यसञ्जयाबध पस्पापन्पादिबाकयासेकिागोबष्ट यिनवालगादिहतदनविधिनिनधेनुमादस्पहयोगदधन्वनासम्हाधेनवमिनिसियधेिनरनन
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357
इतिषपञ्चितकैम्तमसमनव्यागादकालमत्तकालयस्मात्यो । सिरस इकमुम्पादयनीनिविशेषवनादेवकंगोधेनुकमित्यपिादकंठकमित्यर्थ उदरानोदेशबौदस्य २५७ नोदेशादेशेकिाउदानस्यापत्यमोदस्थानिाभिकलिम्पमिनिएवं सास्पदैवतत्यधिकारअोटाज
निस्त्रदृष्टसामन्यधिकारेकले गिनिवातिकवसन्यजमिनिमावानेनकलिनादृष्टसोमकलेपत्याभिदेखे वेन्यादिविक्लायामपिकालपइतिस्पादेवाएतेनाकालेयत्वमिनिनावीनरेपिठको दर्शनात्यायिनीयसत्रमयाथकामनिवदंतीमामासंकायरानवार्तिकेत्रलयवहारोग्यदयाक रामामासकप्रतारणार्थविविदिशा। शनि सिन्धानरत्नाकरे यत्पादिविकारीतार्थसाधारसाय न्यया खासाभ्याप्रागिन्यनुहतिमभिप्रेत्पाहायागधिनिायोस्वइनिनिनेवलनविहिन संयोगी नलोपेसस्पाश्रवणायः स्यादेतना जपूनलन्संनियोगेननुगवविधीयताननतजीकका सरुयोतिववानिक नजनभावयिसत्यजीडीयानतत्वादेवसिवानखेगा पोत्नाइत्यत्रबहुलेय राम अजोवेनिलुइसमानांसघपत्रसंघांकलतोधिन्यास्पान्दनिवाच्याग्भयत्रगोत्रइत्पनुवर्तनातागोपा
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१
त्रंध्ययन्यमात्र नववीमासेमावाकाव्ययायमित्यत्रामाणमसीचेदत्रासानुकिटिलोयास्यासनच
विधिसामयिविधिपतीनिन्यायानरानीनजनजावेवकीपीविनानव्यानवायुसयोनकेन्पैवारमा वागमयूकाराविवतिनसत्रालायस्पस्नानवजावान्नाटिलोय इन्पानियत समानुप्रत्ययाभयावधिसामयाहलायानभविष्यनिअन्यथाडजप्रत्ययमेवविदध्यात्रिका रागनदनबंधकेन्यप्राथाडायोप्स्पयन स्त्रीमुंसपोनगितिहिनकारकनिर्दशाहानकाचहीमा याचनागत्यकारविशष्टागमविधानमुधेन्पाडरित्याशीनावावन्यर्थ निानवेजेक्नतिनाशिकवण विनियोगापेलिंगमितिभावतिरुलमाहास्त्रीवादविस्वाचवातासंस्व सखेतवाचवादिपत्रया दितिवनिहिगोलुकामयपंचमीकिंवपशनदर्थश्चनरवानिवत्पयादर्शनस्पैवलरुसंज्ञक त्वासानाय्याननओयगवपूचकपालपश्यन्यत्रायोनिप्रसंगादतोहेतुत्वमेवेतियाचष्टनिमितभित्र (वृशिवभाविनायित पाथमिकत्वाध्यवसायानभायपत्रमिनिभीवाउन्नरसंवादचान्पयकवा
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नर
सिरुवयहसानुवर्ननाद्यवस्थितविभाधावाऽश्रित्याहाअजादिरिनिापासीयनीयाकिपंचभ्याकपालेभ्यो ३२८ हिनयंचकयालायानविद्यार्याच दबावनियमिनितारामा'वयंचाविद्यावविद्या 356
लामधीयानवेविधाएवमिनदापायलानरेउव्यवस्थिततिभाष यवनलगिदिगोवेलकागो प्रत्यास्यनिी मात्रार्थप्रत्ययस्पैन्यका नेहाकुलस्पेदकौनली चादरोगौरादिडायताभ्यामंनो दानाभ्याकुचलीबदरीशदाभ्योफलयविकारनदानादेवेन्यूनानस्ल लगितिलुक) नतइदमर्थ शिविवक्षितेनेनलुकप्रनिषेधाभावाडोनेतिभावशेषत्यस्कादिभ्योगोत्रइतिया गोनयोलकामस्तस्पैवालुन्यथास्पादित्यवमर्थगोत्रगृहयामिनिस्ताउलायबमनारमा योय यवयायनइत्युयडावनापूज्य करशीकनिहरदोनवर
तीनसबंगाल्वियात सवस्थभाव्यविरुद्धत्वाऽयेत्यानथाहावतंडाचतिविहिनस्पयनानुबयान वाडीनिवनंडीतात्यायन्यंयुधावा डोजान्मस्त्पत्रद्यर्थतास्पातीत्वमिलकानतदाता स्पाय
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नु
त्यु १
तत्रस्य त्रियामित्यपनी युगो चाघूनित्रियां लुगितिब्न्दया भी तैलम पौपगवी माविकेत्यचानुपस नादिती कारोन स्याता श्रपराव स्थापत्यंस्त्रीति विग्रहे एन्यु सन्नस्ये जो लुक् । माभूदेवमनुपसर्ज नमिति प्रान्तापसर्जनादित्येवं भविष्यति नै वंशक्यम् । इह हिदोषः स्यात् । काशनापी का मीमांसा काश कृत्स्नी ताम धीत काश करनावा हम इतना ध्येयास्पोका क्। श्रचासान्तस्याध्येय्यामुपसंक्रान्तत्वादनुपसना प्रसज्येत | मेवम्। श्रध्येवर लुश वान्त ततोडीनयप्रत्ययल हाम्रा कारइनिव्याख्यानेनवणी श्रय खाते । श्वश्रूयते नततोड़ी प्रवृत्रत्वात् न चेवमा पिशलिनाप्रोक्तमापते दधीते प्रापिशलाइ हस कर प्ररे तत्याङ स्यात् । प्रातस्यानुपसर्जन त्वादितियेन्न अरायानुपसर्जनमित्यस्येवमुख्यत्वात्पूगवी मारगविकेत्पत्रापियुवप्रत्ययस्य लुकिडीम्नस्यारितिरोधो स्त्यव 13 पमभ्युपेत्या पिब्रूमः प्रिप गवी भाषी अस्पयो पगवी भार्यः |जातिल करण, प्रवद्वावृपतिषेधोनप्राप्नाति गोत्र सेज्ञायाश्र
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सिरसु
हरदत्तेनावन्टर ३६१ मावेनातिर पाभावानामाभूदेवंरहिनिमित्तस्येत्येवभविष्यतिायत्तुकयटेनयदातुगोत्रंक्वरशारित्यत्रगोत्र
शदेनापत्यमाचगवनेतदाचजातिलहरगडावद्भावप्रतिषेधौसियतएवेत्यूवेतन्नानिमगोत्र स्वग्रहरामिष्टमितिमाष्यतात्पपीतायस्तहिनदिनिमितःग्लनुकायनीमाययस्यालकायनी भायातस्माबनदिअपत्यस्यगोत्रसंज्ञासिध्ययुवसंशैवनिषड्व्या नतुस्अपत्येयुवप्रत्यय स्थलगितिाएतावतामाध्यग्रन्धेन तातिलन्होकृत्रिममेवगोत्रंगवतेतियनामांतत्कॅलवासा
मनंतरेस्पत्येफिनिजातिवाभावाबुका निभाइतिसिद्धिती इतोमनुष्यजातरि
नुत्पीअथापिकैयटरीत्यासवेतनादितिडघमवेरएचमापजोतेचतिवद्धावान Aॉरनरु पनिवधिमात्थानन्तरायत्य मात्रापायमैदेनटोडाघोरडुलोमभाठलामीमा
नितालोलापत्येषुवहश्चकारावायइत्यून्तःस्मात्कयटकीस्तभदोदरीनामरुतामपिमहान उपमादोऽपत्यमागचाशतवदतामित्यले प्रसना पसन्तयो।निर एसप्तमय शोधपत्रमिकमा
१नत्र
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अपत्यविशेषवाचिनीदेवदनादिशादित्यर्थी पथो ड वििितमानात्पत्यमोभवत्ये पत्यविशे
समस्याकरितधलयारमानदेवदन्त्रिवारिकतत्यानातवाधास्पान्नाप ध्यकामा मसिनांन्पंपलत्याकाहायाग्राथम्यादिनिकितनेनियमानहाय्यंन्यस्यायितत्समयकवमिति धम्पवान कस्पविछकास्थाननिरसनार्थनदिन्याशयेनाहोत्रापरवाचकादिवाणान्या वाचकानलसमासमय यात्वाचवा
वादवानदिनोनित्यवातानचनाहनस्ययातिलानंदभावेसोधिभविध्यतानिवाध्याअपवादेन क्याविन्द सतेजनसंगीनयवर्ननइतियारमध्यान्यववायहणेनज्ञापिनत्वाहित्याशंक्याहा अन्यानरस्यांग्रहा माश्रीयते रितिाजातिवादनि गोत्रचचरसोरित्यनेनेनिशेषायाचावसानन्योन्जीनियक्तंनद्याख्या नविग्रहवाठिाणजित्यनेनैत्यतीतत्यामादिवमितिनव्यााननाअननरायत्यप्रत्ययांनस्यागोयत्वाद। कयापेन्द गोत्राघन्यख्यिामितिसचखभाव्यानरोधेनगोत्रंचचोरित्यंत्रलंबिमगोजस्पैवग्रहरागोन्सा परमानुटि: मानयत तिउत्सायनोवारिप्रवाहानिहरोझर इत्यमरतातस्पवायत्पनमागतगांगेयाभामंडनिवदिल्याङ मातथा वैपया अपपयोत्रा नव्यपग्रहांव्यर्थयात्रादेयत्यत्वाव्यभिचारादित्याशक्याहाप्रपन्यत्वेनाविवक्षित मिनिविकी
वनयामवययाव्या
पत्वपकारकवाधविवायामक येसासल नरयावादशनामवनत्वनावेवसायासनामाभूत सोचिपाथम्पात्पथमादित्यनायकस्पार।२४
प्राचोक्तस्यभाष्यसंमतेरमा-नाडीडीयो वरेस्मेवानिश
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सिस्म वमर्थतानेनौयगवइत्यादावयिसंज्ञासिधतिनघणा योजनादिकंशक्यतावछेदकिंवयन्यन्वमेवान्य .२६ थागोत्राधिकारस्थयजाघस्पैवगोत्रसंज्ञास्यादितिभावायत्तवमान यावबंगर्गस्पापिकंचित्प्रत्यय 2361-तिगर्गस्पैवसज्ञानिहत्यधमयपग्रहयांग शहादिनापत्यत्वप्रकारकोबाधाकिंगगवयकारकम्।
जिनदेषनिहरदतादयायचकोमलतातन्त्रायत्ययवाच्यायत्यस्पेगोत्रसेनि निविरोधा स्लोर ननवलिंगतप्रथमाआयूप्रकरणानरोधाढौत्रयुवसंचारधारापाटेकर्जयपयुप्रकरणोयाठरावान चनेनद्रानाइत्यत्राजादीनामेनछनपरामशीयथास्थाननःपूर्वधामाभदित्यतदर्थपत्ययप्रकर रोनत्या निवाच्याप्रमादयस्वदाजाइत्पवलपवादिनिहरतादपावलतमनदाजाइल्प विकल्पजनयदशुद्धातत्तनियादजियादेठिशक्यवादिन्यवहेबाध्यनिनगगीय यशवस्पन गोत्रसंज्ञासत्याहितस्योगोत्राधुन्यावयामितिवचुनाइन्पेव प्रत्ययस्यारानवेवमयिश्री राम रस-पौत्रगर्गस्यार्नेनर नियानितिनवेन्मेवायस्पपौत्रादिनप्रन्येवतस्पगोत्रसंनिव्याख्यानात ३६१
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43
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य नावनिवापिटपिनामहाघुत्यादकमबंधावशानत्रमवोवेश्यादिगादित्वाधापौत्रप्रमजीन्यनुह नव्याख्यानाहोवाघन्यखियामिनिलिंगावधाविपरिणाम्पतइत्याहापोत्रादेरितिएवकारार्थमा भिन्नकमन्वाधवपस्मात्यरोदइन्पाहायुवसेजमेबतितिनवसताधिकारबहिवियाहनसंज्ञान समावेशइनिभाकासनासमविशवशालकायलीयाइतिनस्याता नथाहिलंकोरयत्पेशाल कियेलादिषपागदिनशंकादेशातनोपनियनिनोवेनियज्ञापलादिभ्यश्शेनिलझननःशाल करनछावाइत्यर्थविवसायाभिश्चत्यविशालकास्थायीलायाश्रयन्ये यैलायालायावत्य रारातनो मन्यसायंचतिपिजायलादिभ्यश्चनिलकाततःपेलस्पनशानायलीपाइनियमवा गोत्र यनोसगावेशेवगोबेलुगवानिफरफिनोरलुकस्पारानवयरत्ताधुनिलकेसिधिनना पिपरवाफपिओरिनितिकूल्यापनरनश्वपातिकानिष्टयसंगानसमावेशव्यायानितिभावाति यतिव्यश्यननरस्पतिन्पायनशानलुमित्पस्पैवशायनारिनिविकल्पार्थवादोय पलादिम
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सिस वेनिलुकमपियरबाबाधेनेनिन्याय्यंतथाप्यनरंगलात्यैलादिभ्यश्चेतिनित्यएक्लगित्यवधेयामान ३शियोत्रप्रन्टर्यदयंत्यमित्यनुनिधनयन्नाहाकनी शुवादिरितिागाय॑स्यहोमुत्रौनत्रम्
यिगाम्यादिव्यधनातपिजीवतिकनीयसोयुक्संज्ञा महमितिभावावान्पस्मिनाइहन्यजीव तियदंतिङतयोजीवतिसपुत्रसज्ञात्यर्थएवछिनेकलिनमाहाजावदेवेनिएकमितिइहत्यनिड नाहिनीयमितिापूर्वस्त्रावर समभ्यतामानामहमानरिवेनिसिनिहितवान्मानामहानरी त्पथीरतालयितव्ययितामहानविनियामधस्यतिवार्तिकमिदानभवानितिप्रजा प्रनिंपादकीय सवसैज्ञकाहिहंद्राधीनाअल्पवयस्का सविनश्चेन्पोन्सर्गिकनेनगोत्रसज्ञोपिपि धीनसन्मुखित्वेनान्मनःपूजामन्पतागायीयणानियवसैज्ञाविधिरिनिसामयीहात्रेय. धन्यूयनामवायनानश्वतिइदपिवार्निकासानिमित्राधेधीन वेनस्व नेत्रत्वान्नव राम यितनोव्यपदेशमर्हसीनिलोकयसिवायवहनिकनेदंडयमयिमत्रत्वेनव्याख्यातंतनुभाष्य३६५
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विरुधन्वाइयेसानचैवमपिटनिग्रंथीत्याविकल्पानुनिःशक्यारनिग्रंथानुरोधेनैतत्त्वाने नरयाठयिभाव्येवान्यस्मिन्नित्यताप्रागेववार्षिकद्दयस्पयाठाराएकागोजेक्कत्येइतनार्थ अनंतरा यत्ययययानादपियत्ययायतेशियनौतयत्यप्रत्ययातान्यनिषेधौवाच्या निवार्तिकविरोधोषि उगोत्रविवक्षितेइत्येवएकशयसंख्यावाचीनथाचाभिाधान्सनेगात्रमयत्वप्रकारवार्थबोध
प्रत्ययएकरवस्यादित्सुक्नैयरातनरापत्यप्रत्ययानाहोयत्ययास्पानतनाहगेकण्वनहलासा दतश्चवार्तिका प्यनेनकोडीकतइत्याशयनव्याचष्टोअपत्यप्रत्ययनिाएनवाधिकारखापायहाय थभययाय एकशाप्रपन्यप्रत्ययशून्याप्रथमावलनिगाव पयपत्यसलभनइनियाख्ययावतन स्क्रपथमादित्पधिकाराहात्रेप्रथमादेवायत्यप्रत्ययइतिव्यायायैकयहरोखपानीपत इत्यादिज्यूगोरगंगादिभ्योयजानडादिम्यादानवेंकास्मीनगौयुगपदक पाया बर्थ स्वामित्याशास्त्रप्रपोजनश्लोकहैयैनव्यवस्खाययातीगावाती
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सिसच कानसंख्यानाननीयेड्यौवनत्रयागामित्यादिपरंपरोपराज्यतेजत्यस्योनरार्धादयकनिाध्या ३६ वहानातस्वगोत्रमूलपजामत्यादयपरामराज्यइत्यस्योत्तराधादयकनिध्य
मतलपकारती यकस्मावतहाभ्यां पंचमेत्रिभ्यइत्यादीत्यर्थ एलपत इयंदायिउमपाशवस्मनभेदनार्थ भेदमाहाश्रयत्यधिवरेवनितियावात्मजतनयः सबखत सत्राखावमाआऊईहितरसर्वेययलोकनयोसमहत्यमसमयमतमाहान निम्याचामितिविपतपायेपाञ्चपिनामहपिनामहादयलेषामयीप अत्रेदमाकूलोत्री लायशक्रियानिामनानलपुत्रपयायानयतंपनेनेतिसंत्योभीपकतामिविशनोत्पत्र | दतत्वाबाहलकाकरमप्रपा यानिमित्त यस्पामतनेतनस्तापयामितियावताना थाचयात्रादिरावियिताम्हादरयतनवाजायमानोवैवालशाखिभित्र शांवीजायनत्र लेचयेगा ऋषिभ्यायजनदवभ्यःप्रजयापिर पाएपवाअरगोयात्रीनिन्यायधिशान रान सावंग्रेनियादिकोयुत्रैशालौकान्जयतियो।सानंता मतांडाययोत्रस्पपत्रमावस्पानिग ३६३
सानानि
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Sangi
RTY
विष्यमितिजरवावीययाल्यानप्रकरणास्थामन्याहयन्यपौत्रप्रटनीतिसाचनथापनाने अमरोक्तिस्तभाध्यादिविरोये यमागामिनिानदान्पातिाआधिपत्ययमाला निहन स्पेचानिष्टोन्यनिनिहायेखत्रमित्यू ओपगवादिनिारनीयलस्यवायत्यनलयगारिनिमा नाखंचासनिसंचिस्मिन्यतइनामधन्यानिश्चप्रामोनिशसईयातिपयलेशनिवम
प्रामोतीत्ययानबाधनियमार्थमनविध्यर्थीनाघाएवात्मन्योरोएक्स्पगडनेमिया दिनेकप्रत्ययासगनदयोगातानचक्रमरातनन्यूिरवचनातनदयपंपप्रसनयडियामा
मलपहनेरयत्ययागाभावेनगात्राविवाहातपादितक्यानियतापावापारभावान पनानगोत्रशवस्पगोत्रसमुदायमातन्वाधरापदेनेकप्रत्ययुपसंगएकरवतिन निकै समुदायस्पेक नानेकप्रत्ययस्मसतरामसंगाइनमानाभावाचा
एकातिनस्ययन समुदापिवइत्यादनेवायपप्रसंगीऽस्येवनिवाचाटनीयादोगोत्रबिलिनेम्यत्यानपाव
Semama Tast se bigation काकानांसह ) कामिना
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मलयालायाः३मत्या
यादी हाउतिसामथ्या -सिरस नहलपहनेग्रत्ययापानौनियमायोगाननरापत्यप्रन्ययांनादयिगोत्रप्रत्ययस्पडरिताच्चानहि
नीय प्रत्यय मालासातदतम मान्पयस्यविध्यधापयागतास्पी निवर्वकोपीनियुक्तस्मादायतेनियमाविध्यर्थ वानसे.. न्ययस्पविधीययोगमावललारानाहरनीनामन्यनमगावविवजाया भवत्येवेनिहरदोतमेवयुक्तमिनिस्लमन ययन मिनिचेतावकोलमहानागोवाधना कमानेकप्रत्यपप्रसंगएकरवापत्यययययादित्यस्मिन्यत व्यायपाअपत्यहसानुहने अस्मिन्यतसामीत्यरंपरासंबंधाप्रपेशाप्रत्यपानिससस्टमिन्याडसत्रदेवकत्यत्तिस्यायपरि
त्येतसामयी परंपराश्रयमामत कागावापतन्सामयी तरानाधामुख्यसबूधमादायतन्तन Tपल्यारानदिनीयविर्वचिनियमावायोगेन्यथापा प्रत्येमालापाडवारविादिनि
चेयवयंवमाएकोगोन्पवयोगविभव्यपथमाहोयत्योपडपश्वविध्यारयायतनएका राम गोत्रएकरवनिनिमार्थयारयेयपोगविभागेचैकग्रहसामेवलिंगमन्पथावर्थमवस्पानिन प्राचाम ३६४० वातानवयेनना पानिन्यागेनतस्यापवादायमिनिवा प्रत्यर-२३ याविषयमेदारीमन्यधासुरासायधासुखवाधःस्थाविशिलामावान्ता तानियमोरयाखापत्तेश्याना गप्पत्यग्रहणानुशनसाममस्तरार्थ ३ बत्यस्यप्रनिवासमर्थपरिभाषावाधेनप्ररत्ता
याप्यातिपदिकाधिकार
तारिपततिभावः३
नवासमर्थपरिभाषावापत्यानुarनयमविधिलामावानियमविध
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7:19
१ वस्तुतस्तु गोच संज्ञा तीर्थ एवापत्यशब्दमा तेज्ञेियः पौत्र प्रभूतिशब्दसामा नाधिकर राणात ए व व कार्यकाल तापाने के निइत्य चाप्यपत्यशब्दोऽपतन हेतु संतती भान्त एवेतिनकाप्प ग्रुप ज्योतियज्ञेत्वेकग्रहशांचिंत्यमित्यवोचामनस्मान्नियमार्थत्वंसपपादमेवेत्याशयेनाहानियमार्थमितिन तः प्राचामयीति मुख्य मते च सर्वाभ्यः प्रकृतिभ्यनियमे नयत्ययप्रसको गोत्रे वोध्येप्रथमैवप्रकृतिरप त्यप्रत्ययमुत्यादयनीतिनियमःस्पष्ट वैनिसर्वमन व मिनिदिनु गोत्राद्य मिश्र सन्यस्मि मुख्यमने भी चमादौ निवि वतिनेगोत्रप्रन्यांना वप्रत्ययोत्यनोपज्ञेय्छ्ष्टसिन था पिम्ल्यहन्य नंतर पु पिस्यादितिया तिकानिष्टप्राप्ताविदमयि नियमार्थमित्याशयेनाह । गोप्रत्ययाना देवैतनमूल ध्व कृत्यन्नरपुभ्य इनिशेषःपितु नव्या पिढरेवापत्यमितिय से ननु सर्वप्रन्यया नादित्यर्थइति व्याचरक शतत्रापंचमादोश निविवक्षितेतस्यवत्तीयप्रत्यनयन्यत्वादप्राप्ती विध्यर्थस्यास्यनियमार्थत्वा नवप्रत्ययानान्यय स्पड वरित्वाला न चाया विध्यर्थत्व नियमार्थत्वेनानुपय नेशन वा यांच्या ह मानाभावान्यदपि कैप्टेन युवसमुद्दा पेयुवशभाक्तमाश्रित्य गोत्रा दंगोत्रा युवप्रत्यय प्रसंगे गोत्रा देवेन्य वादिनदपि नाश्रयन्पत्वप्रकारक बोधानायतेः। प्रत्येक विवज्ञायो दोष नादवस्याच पुरमय माला
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हवाम
स्त्रीषु४
युव वरपे कत्वादेवएव प्रसार१ सि.र.स्व. एनेनश्र्वसामान्येऽभिधन्ति नेगोनादेवेत्यधिनियमो निरस्त गतस्मादिहपितरे वेतियज्ञो नाश्रियन ३६५ इत्यवधेयाननु गोत्राचे धून्यैवे निविपरीत नियमःकथने निचेतानव वयभावानात्रप्रत्ययस्त 365 एकीगोत्र इन्यने वारितानवशेषिकायाद्यो व्यावत्या राचा तिलिंगा राखि मांखितिखियामित्यस्ये कवा का नया स्त्री मिनेशन गोवादे वेति नार्थ युतिषुन्यमा लाइसे गावान चै को गोवइत्यनेन निम्माख्युवसंज्ञया गोत्रसंज्ञाया वाघा स्त्रियानयुवयत्पयर निवाक्य भेदेनाथ गोत्रप्रत्ययेनयुवत्यभिधानानायते तो संज्ञा नियेधपरत्वमे वे न्याशयेन व्याचष्टे नयुवसंज्ञेतियत्रेदमाकूतंत्र्य खियामितिसूत्र विभज्यते नीतिश देख रूपमनुवर्तनयरि भाषाचे पाय त्रयुवसंज्ञा विधानंतेत्रा खियामित्युपतिष्ठनइनिप्रतइन् । अधिकृनप्रातिपदिक विशेषशा मननदं न विधिरित्या हा दंतमिति घरं कि। विश्व श्रपत्येवैश्च दाशरथाय राम मिथिलापत्रवत स्पेदमिन्पायन्यन्यप्रकार क बोधविवत्तायात्विजेवा बाद्दा शिवा लोड नइतिधानौ के ३६५ सानश्वगोवलन्दूराः प्रत्येयोनस्यात्। वसेयागात्तु संज्ञायावाधात्त्र
पत्यसामान्यनिमित्रः प्रत्ययः स्यात् । एवं गर्गस्यापत्यं हाधनस्पात तदभावे यज्ञ नात्यानां परत गार्गीगार्ग्यीय राीिति देवेन स्थाताम
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1342436
विलस्यायन्ययोगासंभवान्नदंनविधौसौ ब्राहविरिनिमाधवोक्तं निरस्पनाहा बाहविरिति ज्ञानं तिवाह वान्याश्वलायनस त्रप्रयेोगाङ्गाष्यकृत्या दाह तेश्च के लापबाहरपत्ययेोगभागस्ती निभाव इलामरितिलोमनशः केवलए वयद्यपिपतिस्तथा पिसामध्यात दंत विधि उडूनीव लोमान् अस्यतिविग्रहा तारकाण्डुना विद्या मित्यमरान सत्र वायुशू । इयनियदविधानेष्वपुरारा प्रसिता संज्ञाश हार होने ने पाय सिद्धत्वेनशीघ्रोयस्थितिकत्वानिने हुन। आधुनिका बाऊ नीमकश्चितात स्थापन्ये वाहवइत्येवासंज्ञाश्वशुरस्यापत्यं श्वावरिइजेनिश विशेषान पादानानग्रह तन्यायानवकाशादयसिद्देवपग्रह निरविक लाग्नथा चहरिनामव्यक्तयदाथाय स्वतंत्रा लोक विश्रुता। शास्त्रास्त्रेषु कर्तव्यः शदे नलक्ति चिनिनड किषु न मूह शक्तिष्वित्यर्थः संज्ञाशसदि आर्थकाप्रयुक्ता निक्रमेशविशेषव्या वर्मा नित्य विशेषाद्दयोदाहरगोयामा टपिट पोख अन्यत्र जननी नाचिमाशहस्यैवग्रह शांनि नेहन षः । मान्यस्वसा वैमासमा विकामिन्पत्रा विशा
श
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366
कदेर
भूगोप सिरस नामावनिगशाइनितिनजोधस्थापन्येनाधिरित्यादिसंग्राघांव्यामेनिविदाच्यस्पती निवेदव्या ३६ई सकर्मण्यगानीमाभीमसेनानिवदेशहावितडादयोजातिविशेषानियाभ्यायदानाभ्योति ६ याज्ञिकावधिविषयप्रदर्शनायनिधीनितिनेहनदाध्यश्चिमीच विरितिनिघत्रवा पायरस्प। रक्षिपसक्तिरक्षिाअतएवोत्ररयदक्षिाविषययेन्मेवातापूर्वव्याल
लिंदपवानरयसबंधीन्युराएनबनेयतेहे अशानान्तीभावीवायाशामिका इत्यादीतिनियादकिचौडालकिावबकिगोकुंजापनत्यागेकौगोवइत्यादिवसयामापवंचे
हत्यगोत्यहाव्यथीचमवानच्यनारित्पत्रविशेषगाथाननाश्चादिप पात्रतत्रनयहरगोन द्वादिधा कोजाय यातिएकवनहिवचनेच ज्यस्यनितादाय सामयीकोनायनाइन्पत्रांनोदानवेनिभाष्यकारादयानडाजवादतान्याहयलहाजाशा
वित इत्यनुवर्पर
समियाचा चिनीयायदानन्याप्रेतदिनस्पकिनापत्रयोगाभाजावादाकरान मेवाबड़ लेतनम
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चिट वितिथ
सत्रेशो निशेषालु ग्वपनइनिन हविन्यनेनेतिशेषः पञिञोश्व अधिकारप्राप्रगोत्रयह कव्याख्यानातान देत दाह गित्रियावितिनही यादवस मिमदयत्यनफल कत्पादित सामथ्यो छ नितिश नतायां वर्तियदाना बहाव सत्ययोश्व
पत्रित्रोवशेषणां नतु विधेयस मुद्रपञ दीये भवाप्प खतंगमादिभ्यइ मः। शरहतायुगय दधिकररा
पतलु गित्याशयेनाहाभार्गव इति वात्स्यश्चेदितिचाश्रनादिरिति नः पिता योमहाभारत प्रसिद्धस्तदपेक्ष न्यर वाये दोशा इत्यर्थः। उपचारादिति । श्रतिकृतसाम्याई
पीष्या
त्यत्र मात्र मालास इति । श्राननइत्यत्रेत्यथ वा तिचा तुरायो देश कति गगावा दितिभावः विदिरित्यत्र पणा मात्रा का महाबाहा देरिति अवराध्यायेनि । एतच्चस्त्री सुंसाभ्यामि न्यत्र लौकिक स्पगोत्रस्यय हशा मिति भाष्यमाराय के य्पटी व्याख्या दितिभा ना लो हिना दो ति सर्वत्र लोहितादी निष्पष्य शक्ति पिस्त्रीन्वेषित्वसामर्थान्डा तदाह । नाश्र व्याययाति हरे दनगगीदा
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सिरख
367
वेववचः कौशिके इत्पेक्याटर एवंहिडिर्वश्वहशांनकर्तव्यभवतीत्याह का पेयइतितश्वानि ३६० इनरुवोध रितिचन्द्रवित्वाद्वाद्वादित्वात्रावृतंडाचा गर्गादावितानचे वयोग विभागों व्य धावतंडा लुकूखिया मित्येकमेव कुर्यादित्याशंक्याह । शिवाद। रवित्वादेवाशिसिले शिवादिपाठा गोत्रेय त्रासमा वैशार्थः। सचसमादेशो नागिरसइवी गिर सेपियानो माभूदितियेो गविभागः तेनांगिरसेयजे वेतिसिंहा लुइस्त्रियां। विहिन स्पेति परिशेषित तिडोयाम गिरसइ अन्यनुपलब्धमूतएवाहाका नागिर मे विनिष्पि मित्राशी जोर नाघ्यो रिन नेगो निभाका श्वादिभ्यः गोत्रइतिविल्यान रात्रेयेभ्यो गोत्रप्रत्ययातेभ्यश्वत्रातिवचनान् हेल्कोसला जादा दितिराजर्षिवा चिनोबले पेड। नागगी दियजतः। श्रात्रेयतश्चानि ञइति विहितठतः । इहशयात्रेयइतिय यतीश पशतः लभ नात्रेयेऽभिधेये। शाया राम पनः। श्रावैपादन्यत्रशां पिन मिलाइदा दिला हे नान्व सामेवेति । घुसि जानइति। ३६७
नी३.
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इदमयिगशास्त्रासिवनमानाजानशहायजिन्याज्ञानायाइनिएकादेशस्यबीत यहरातिनिशिवादियाननुविनायराश्यहासामयीदवावभविष्यतीनिकितननिचरसादा न्याऋरिवसा शहःशिवादपिठिनाततश्बाधिन्वायरचात्तनातलगोरायांनी
ठसामथ्याघथाविहितप्रत्ययश्नवस्मारपरग्रहणवादतिभावागोत्रतिना इन्वमिनिाएनकयटदृत्पादोखनाइनडीमयपेसामान्येप्रत्ययाइनिभावश्य विप्राग्गोत्रसंज्ञायागोत्राधिकारतिपूनिलइसत्यभाष्यकैयायभ्योलभ्यतेनया पिनन्मतीनरीनथाहितराजन्याहजमनुष्यावलोकिकंज्ञायपरमिनिभायाराज न्यमनुष्यशोगात्राथकयत्यत्पयोतीनत्रगोत्रोझोष्ार श्रेत्पत्रिगोत्रयहादेव वनि सिधेतयाग्रहगालिंगमयत्याधिकारात्परवलौकिकंगोत्रमित्यत्रनिकैयाटाला सोजताभ्यान ज्ञायनेपिनंदसार्थक्य रखिशहन्दकल्पनेजायकवानपनिवेति
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व
श्र सिरसभावाइहवियादशम्यानाकुंजादित्वाच्यूजपिचिपाशवैिया शायन्याजरत्कारमध्यमेश्वश्रादि ईचा किलोपोऽवाइयलापाजार कारखाजारकारेपानन्तरशदातुसेनानलक्षाका
एभ्यश्चतिरापनसमावेशध्यतेननुदानामिनितीनाताशानारायःविश्रवारवसा 1566 शूहावत्रयध्येनेनौचविनवशवस्यादेशविणवसायत्यवश्रेवराम रावरात्रिवरा विवराच
यामाप्रयन्यत्रैवाअवधाअनभ्योनदीमानुषीनामभ्यश्यवस्खक्वामिपाशयनव्याच
टाघवधेम्पश्यादिनानाधकोदय वयोवंशाधान्पमाउर्नेशिअभियने त्यस्पानिय ४ नापक तासिौत्रवालिगनिर्देशतिभावकत्यायानिलकंन्पानामनियोनिनचतस्पायत्पस
भवाच्या शवाहाअविवाहितायाइनिाविकीरहयुगयदक्षिकरेगावचीतायांबावसय वित्यादिषुयनोचानिर्भयकन्सन्या पास्त्राभ्योलहानाहावास्पश्चदितियोनि राम लिएर्ववाहायहसानहन्नारतिमांकारखी पानखेत्रयस्यग्रहगाबहुवचनानद्देशानानाव्यर्थस्या ३६६
शुभ्रादिलेति। वैमात्रेयइति छेद ४
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कारनिहत्यमितिकाशिकानथानशोनानुतिइतिव्याख्येयाम्राष्ट्रविकापिघलयशतिीएनज इंदविकल्यादाहत्यांकाशिकाविरुद्धध्यकलमका प्रारककपिटालामाजिनहराउंदराएका त्रयागाईघानानिककिनवादीपाठानित्यमेवलुम्भवनातिनवौजवानरहने याठस्वार्थज्यका बायकाय नागलमकागलामकायनाइत्यादिदिहविकल्पोदाहरगोवजटिलकबधिरका जाटिल किंवाधिरकयइत्यादिबोध्यात्रागत्पाअगस्त्यूशवादृप्यराणाकुंडिनाशदानुगादित्वाघजानव कौडिन्पइन्यत्रभूस्मारनियुवगानस्ताइतइतिप्राप्नोतिसं पोगादिश्चेत्यागात्पनुरत्याप्रतिभा वापाप्रेरितिवाचीत्र वनियाननातागंन्यानीनचादेशमात्रविधीयनालिम्विधनिनेनिवा नायाशात्राश्य नापालविहिसतिगोत्र लुगचीनिलुकिनिषिदेवदत्वाछ
विनाविनरतम्पान्मध्वादानस्थकडिनीप्रावृस्पस्थानमध्यादानप्राशप्राप्त सिध्यानाविभावाकडनाशतात्रानरत्नम्पान्ममोदामो नादानार्थचिलाकौडिना छात्राइन्यत्रळकरावादिपश्यने
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२१
सिर-स कादित्वा भययदहति बिदादनपरी पैसचे नियव्यताप्राप्नोती ३६ विशेषः नित्रकर्मधारया पर स्त्रिया अपत्ये पाश का बाल गायाने वारा या सुन्याचा न्यून रोगान्यरखा सत्यादेश वेत्तिरयद् स मोह नोभययसिनी भिति 369 नोनियाचा बाधक नैयः स्याश्वासनीयत को लेटेर कोलटेयोभित्रका से नीय दिनाको लटिनेयोऽस्याः कोलटेयायचा न्म डाइत्यमरः । केचिद्वाया पीना नायन्यमिति यज्ञेड़ गितितदभावयठ गयीन्यथा ह्गा महते सौभगाय त्यत्र जात्रादित्वादनिनौत्तरपद वृद्दिद्यादसत्वात् चर का या स्त्रीलिंगनिद्देशात्पुंसिनस्यादतश्रा हाचट कस्पति एमैन चटकादेरगिल्ये व सांप्रदायिकः पाठ इति न्यासक्तिर्निरस्ता तयोरेव नित त्रावताततिलकलुक्क हितेति गोल का जादित्वाद्याशलता जा है। प्राग्दीव्यतीयेविव तिने राम मस्पाठइतिचा वेग लुगवान्य लुकि वाट के रीयइतिभाष्यम ते नव्या दिमत्वे तन्नस्यादित्यव ३
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योअन्यनशनिअनाकारांनालल्पाउरोधाचनश्विदेवत्यीयंडस्पायत्यमितिदत्रिमादिन दाम्याअर्थनिधंबावेशक्षेत्राशय्यवालिंगनिदशामादधातिवाधिवधाजरितिाएतच्चपिध
त्यनाउनमितिभावानना तयाना कलापरवविधीयतामितिनाशकंवागाईपातिमा वीयितासहयसनागटिशनगौरवानोनयनुयाडाइनिसिवितश्चान्नानठाकशानटलांकि, क्याकेकयस्यायत्पत्तीकैकेयाजनयदशहादित्यनामिपिकयालाधनामवरनाभावनेत्यर्थः गोत्रचरशादिनि ननिचला किकात्ररक्षतामायादेशाइनिभिन्नविषयन्वाना। MOHAM M ADनालोजानोगोत्रमिनिप्रतिदंडनिकाशिकापल' यादागर्नालयाध्यादेशाईिनबाधताअचामादेवाडियादेरियादशहानामन्त्रालय अंगरभूयाविशेषणेनतकापनिहरंदनादायदादिरियादीवधायकभित्पधेयादीडिनानिषा यठितमचनेनगोलभातसमधीयानाधर्वणिकवादोजमशिन्निनियम ननिस्पाय मनानान्हसिनावाभ्यानडादिबायकानयान नाहिलोयाभावावंसनादिषअथर्वन्त्रिम
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सिरस यजलाशिनेयावाशिनायानाउदीचारधादितिफिजामशाहनाधीवनाअयोध्याननकारों ३७०
नादेशानिपात्यतातंत्रहनेय पिहनतोऽचिमलोरित्यवतः सिद्धतथाविधानो कार्यमुच्यमान
नप्रत्यपेभवतीतितायनामिहलकारनिपाननीयबुधानो:स्वतंयग्रहणाइत्यादिज्ञापन 370
निनव्यक्ताननापसमामित्पादोवनुदानस्पचईयधस्पत्यम्प्रसंगनिहलतनयुसकेउन स्वाताएनबमोक्षिरित्यत्रभाव्यस्पष्टीतेनवानमित्पादोतर्वनासरडत्यस्पाशिरापरतापादे बानिपात्यनासर योभवैसाखंवाशिवाकोरपत्यमवाकाबनयंदशहाक्षेवियादनउलोपानि यातनाववत्लाङजनपदभव कोपधादाऐट्नाकानमनपाईयोरप्येक पापाठानियान नवायाबलेवजनदाजत्वाल्लुमिनिविशेषाहिलायस्यविकारोहिररामयोमाध्यादेलीपायका दिपिपछिकारादन्यत्रूलौकिकंगोनयनइत्पाशयेनांहांअपत्पर्यत्ययस्पेनिनिहाताको प्रियया राम कारीबङवकिायाकशिवाघरोमित्रयवहानात्रहियोदिलोलुका उपकादिअग्रहराईदाबि ३७०
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कारनिहत्पमिनिकाशिकानथाचदशोनानुतिइतिव्याख्ययात्राष्ट्रविकापिघलयातिएनच इंदेविकल्यादाहरकाशिकाविरुद्धध्यकलमका भार कपिष्ठलागलमाजिनदरा एका यासाइंदानानिककिनवादीपाठान्नित्यमेवलुम्भवनानि वोलवावाहनेषांयाठस्वार्थ उयका
औयकायनागलमकामलामकायनाइत्यादिदिहविकल्पोदाहरगोवजटिलकबधिरका जाटिल किबाधिरकयइत्यादिबाध्यात्रागस्पाअगत्यशदादृप्याकुडिनाशवानगीदिवाघज्ञानचंब
डिपन्यत्र भस्मारनियुवद्भावनस्तारितइतिप्राप्नोतिसंपोगादिश्चेत्यत्रागात्पनुरस्याप्रतिभा वायाप्रेरितिवाअवनियातनाताअगस्तयनानूचादेशमात्रविधीयनालिम्विधनिनेनिवा तयाशावाश्य नायनालविहिसतिगोत्रे लुगचीनिलकिप्रतिषिदेवडत्वाह
नावित्रतरतम्पान्मध्वादानस्थकडिनीप्रावृस्पस्थानमध्यादानादेशपापड सिध्यतातिभावाकाडनाताधानरत्नम्पान्मध्पादानमोर्कविता तोटानागलोकौडिनाछात्राइन्पजनकरावादम्पश्यननायवो दोगनाराजश्ववित्री
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४
नारदोऽनवत्यधिज्ञानो व्राह्मीयोषनिरितिवसिध्यती ३ सिरखापवादा जानावेवेतिप्रकृतिप्रत्यय समुदायेन जातिचे हम्पनइत्यर्थः। त्तत्रियत्वविशिष्टेोपमिति भावान व्याक्तप्रत्ययस्त्वयन्य एवेन्याङ्ग बाह्म एकयो गर्दै ब्राह्म शो न स्यानितिप्रकृतिमान ह पूर्वइति निषिद्धान आयोग विभागेति वाहन इति । इहाय त्यइतिनसंबधानेत्याशयेनोदाहरनि बाही ह विरिति माह्मवखमित्याद्ययिबोध्या। जानाविनि। हमें इकन्यात्पते तच तदा। अप त्यइत्यादिना कुलात केवला कुलशब्दादशेषवहिताभ्याभ्यां वा न वाध्य तातद्विधावन्पन रस्पायहणादित्याशा मेनाह । कुलीनइति लिंगा दिति चन्पथायहरावते तिप्रतिषेधानदतेऽप्रसाद वयद ही व्यर्थस्यादितिभाका कुली ने नई कार दानइनिभावः। बऊ कुल्पइति विभाषा स्वयनि बच्प्रत्यये यदमित्यपूर्व प्रत्ययत्रयं भवत्येवेतिभा का व्यय अत्या तिपदिकसपत्र शब्दः । सयत्नी वसपत्नश्ती वार्थे चैवनिपाननादल प्रत्यय त्पत्याने नये नः सयात्राम चान्यहइ तिन व्यवस्कन स्ववातरपदत्वे सत्ये वावग्रहइनिननियमा कितवैदिक संप्रदाय एव तथा ३७१ भाष्येतुमजातावितिछत्वानेत्य ननुवर्त्य प्रसज्य प्रतिषेषउन्ती ॥६
पर
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३७१ 371
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ISHNAमितिववनातनामनिवाSतरवस्त्रमा
एतचितवंशोमान वंशवेतिहाधिवंशवितिमतेवोधमाउन्न्तवमा ध्यागोत्रा न्यस्त्रिया मितिवचनादपयोजनमिति।उन्नतदिशारिरात्वनिष्प्रयोजन-मित्याः
वंश्यवाहास्त्रिया:पयोजनमितितत्रैवमतान्तरमाहदिनिमित्रस्यतिपूम्चा डावप्रतिवधायशित्त्वंसपयोजनमिति तथाात एवसत्रमाव्याविरोधा सातेश्चतिनिधापानिरितिवन्दयते।तथाहिमामोतोमेहादिनीमा नहिफाराटाहत्यानपत्यंस्त्रीफाराटाहतस्यापत्यम्।एघवालाविवाहस्तस्पा तातीद्वादशावरानद्वादशपरान्नात्युभयतहतियवसूत्रेजातानपंख स्यविवन्दितत्वावरात्र वलिपकृत स्वभाष्यादिकमेवायचपोत्रपट त्रिसंज्ञाविधीयतइतिनतस्यागोत्रसंज्ञानापियवसंशेतिकैयरहरदत्तो व्यावदोतवेदंवक्तव्यम्।पाशिगनीयेसोचंएंस्त्वविवाद तनवानाघः।
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३०२
37
पोध्यागोत्रवानापानान्त्याप्रयोध्यागोत्रत्वायत्साप्रकृतभाध्यवाििकविरो। वातस्मात्पोचप्रम्रतीत्यत्रस्त्वम् विविवन्दितमित्यवश्यवक्तव्यत्वाबला र्थस्यपाध्यायपत्यस्यनस्त्रावतिभाष्यवेवसातस्यापतनतत्वाभावेनवेश्य वाभावेगोत्रयुवसंज्ञयारमावादकोगोत्रातिनियमाप्रस्नोपाराटाहताशदस्य साधत्वंसुस्थमेवानवगोत्रसंज्ञावश्यस्येवेतिकुतइतिवाममाअधिकारादेवा प्रत्येलतपुनरपत्यग्रहदुसरयोगसाहवर्याधायुतंवैतताथा धाफिजावपिनावित्येवावयालावियाटावधीयतामातशाम तव्यर्थमेवेस्पात एवंगेत्रवियाइत्पत्रावराणाहरणेकुगियरबसरम वमतसंमतमान्यथारगाहमर्थस्थायगवेटलिसियागी पोकोगात्रातिनियमाभावेटोपोडीपावाशद्वामा बनवेकशातानवतरण
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वंदाग्रीयपिवासालनस्पनिमंत्रेपयि वासेत्यवग्रलंनिसमुदायेनेनिानवटितप्रत्ययनशवरयेऽयन्येवाच्यइत्य थायुनुप्रत्ययानास्यवेनिहायुतीयच्चहरदोनतथैवव्याख्यानानन्नाभाष्यविधिारानदेवधनय
हातमाहायागमनाना नहिपायावरपन्यमित्यतीभानुएवायप्रयोगइनिभावागावात्रियाशित्वंफ लगोत्र लुगचात्युत्रवानंनतएववाध्यापितरसवितानेमात्राव्ययदेशाकून्साागोत्रेनिकिकारियो जाल्मबियात्रिीयाविजील्मकिसनेकि मार्गयोमाराविकाफोटामोवाधिनिाकुसनंशनिक निनाशिवंतभाध्यममानवफागहताभार्यइन्पत्र रहिनिमित्तस्पेति'नद्रावाननयतादनिवास अवियामितियवसंज्ञानिषेधाज्ञानसंज्ञासझावादेकोगोत्रतिनियमादिधतान्फोराहनिशदादन्यस्या यत्पपत्यूपस्पाभावा फांगहनाशहस्पवासाचत्वा न कुदिसौवीधित्यपिनियनोंकोरवयात्रा लगाइलियानकुरुगीदिभ्योगपनिवल्पनेतस्पतनदाजवाड्युलककुरवातत्रियातिभवतीतिभावः। वावहवपतिवदनाहक पत्ययात्रैवगोनियातनानासमाजाइनिीगंगास्त्रावामरथपकरावादिवस
भेदतव्ययिता अवशोषपण्या३
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वायेगार
तिवाशा लिस्त खजीयनंनस्पकाराबादस्पयत्कार्यतस्प्रपन्पपनस्पतामरथ्यशहस्यस्यादादाविनेतितदाबद्ध ३७२ वेलुकावामरथशिवामरथाश्चात्रा करावादिभ्यनिखायेवामरथीवामेरथ्यायनीवायजश्वप्राधिकाही
रिषेण्यइतिगारतिसंज्ञायामिनिषत्वस्यासिद्धत्वासेनानायनिहगा इतिाउदीचामिवोपवादाकोस त्याकोसलकमीराभ्योफिन्स्यानसानयोगेनपिलायुद्धनियापनायागेनिदिएशहत्याप्पल । सामनन्न।
फिचयकरशीदगुकोसलकारछागवषारामनिवकव्यमिनिवार्चितानामा बादेशतरमेवागमतितचणिञ्चकारायशिहिसनिदागव्यायनिरित्यत्रौरीशोऽन्यत्राल्लायेश्चनस्या से दिनिभाव वाकिन यदिइच्छमगोनंशाहहपतनागभार्थमेवेदांगोधेराधशेवभूयार्थीगोधेरका योगीताफिन्चेतिउदीचामित्यनवनतइतिभावापुत्रानाताउदीचाहदादित्यवर्नतइत्पाशपेना होवाफिनसिइइतिप्राचामदातापाचायहररिजा बङलयहन्जेिहादाक्षिालालिमा राम
समुदायार्थ तिप्रत्ययास्त्वहनास्येवाअतएवमानपाइपत्रवइनिलगितिभावा xसमलकापालेनितालव्यमध्यः नावित्को पपाठाकुलशलस्पापत्यमितिविनाप्पे
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नरस्तत्रे
ग्रहणा विर हेरेव त्या दिभ्य इत्तको वृतिः शृङ्खया । स्वरितत्वादु ठग्रहरण । तस्मादाम तं सूत्र विरुद्धमित्युपेन्देयम्। श्राभाष्य ताडपर महद्वावेव वंशावित्यादिवताऽऽ घूमने गोशामित्यसूचि। इत्यं वर्गगशिष्ट्रस्य टा वन्तस्य साधुत्वाद्धा गाभा घेइत्यादौ द्दिनिमितस्पति पुंवद्भावप्रतिषेधः सिध्यति मतुतज्ञातश्चेति तन्निषेधः सिद्धा त्रिवररित्यत्रापत्यमात्रं छत इति नट द्विनिमित्तस्येतिपुंवद्भावप्रतिषेधोरा त्त्वस्य परलं किंतु ग्लोबु काय नातालेम इत्या दो फिल्म सोमादिवृद्धिरेवेति कै घटहरदत्तादयः प्राह तिन्त्यिमा एतत्सूच यस्य भाष्यव्या कोपा । जाति लन्दरस्य डी ष! दुवरि त्वा । नवगोत्र युवत्व रहिता विशेष वाचकस्य नित्यस्त्री लेना स्त्री विषय त्वना स्त्री तिवा व्यम्। एकस्मिन्तेत्य त्वरूपेप्रवृत्तिनिमित्ते लिङ्ग यो भिधात्वेन नित्य स्त्रीत्वसिद्धेः न हिगोग पोराटाल
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agar &
an
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सिरस२
तादिशदानांगोवयुवसंज्ञादयशून्यत्वेसत्यपत्यत्वंशक्यतावच्छेदकम्ागोर वान्मानाभावात्पुंस्यवछेदको तरकल्पनापत्तथाविवर्वकटीसी
गावीत्यादावधिव्यक्तिविशेषेनित्यरात्रीत्वान्टीवनस्मातागोत्रान्यास्त्र 1३१२mere
यामिनिस्वस्थमाध्याविरोधस्य फलभेट्स्पबंपञ्चितत्वाञ्चतिदि॥
3
शतवयाविकसित तितमपत्रेमिष्टे एमपोशोधणयन्
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शोधपत्र
कृतत्वर
कृतर
त
वर्थेच्चिति । एत इनद्राजस्यैव विशेषशांनतदन्तस्यायुतत्वात् तदाह तडा जस्येति । सप्त विषयत्वम्) तरच वो 'यस्ववोध्यतं वत्व साधारणामात्राघेावङ्गाइ त्यादौ लुगि ष्टएव । त्र्यन्त्येतु प्रियमाझीयेषां ते प्रियाङ्गाः प्रियवा जसा इत्यादावतिव्याप्तिमाशङ्कया तदर्थ कृत इति। तदा जस्पयोऽर्थस्तेन कृतइत्यर्थः तथा नान्पदार्थ कृते व्याप्तिर्नापि तिकृति वहुत्वे पाञ्चालस्पतिकृतयः पाञ्चालाइत्पच । इवे प्रतिकृताविति कुनो लुम्मनुष्य इति लुप्तथावाङ्घश्चद्ववेद ताइत्यत्र नाव्याप्तिः । तत्र नव्या न्त लुगप्राय केवशब्दसागेवी जमनुपदमेव व न्या मानन्वायः स्त्रियो वाजाः स्त्रिय इत्यादी लुक्स्यादताहन तुखियामिति । एत केयरविरुद्धत्वादुपेन्ट्य म् । लाघवात्पर्थु दास एवं युक्त इति ततः। भाष्यकृ
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सिरसा ही जननिरकातण्यानि
मित्राला त्यत्रसर्वेषालुगडीत:/एकैकस्यशदरूपस्पस्त्रीपंसात्मकसमुदायाभिधायित्व त्यत्रसर्वेघोलुगदीवात्स्यश्चवा ज्यश्चेतिविग्रहगविन्सवाला नस्वी भिन्नस्पवहुत्वविशिष्रार्थस्पसत्त्वानोअन्येतगाशिदरवस्त्रीत्वयुक्तान थनिहतियोलकानभाग्यमन्येधातुभाव्यमित्याहरित्यपिमतानारकययना पन्यस्तेम्ाश्त्यवसोत्रपदानांसवेधांसाफल्यायमूलपाख्यातम्भाष्येत नवग्रहांपत्याच्यातम्।तथाहितिनैवग्रहरादहशदनवहुववनमुव्यरति त४
जायते संज्ञानोबैकस्शपयोगोदृश्यतेोभामोसत्यासत्यभामेतिथिग्रह ३७३ तिनवग्रहनकर्तव्यापियवाडाइत्पादोवहत्वदाजस्यरत्यभविनलगम 1373 सझावहुववनंतपरमिनिलुकिपसन्तान्तरत्नयेतेनेवग्रहकर्तव्य
वत
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अस्तूियामितितुप्रतिषेधोवववनग्रहणव्यर्थःप्रायःसियइत्यादोडीपाव हुववनस्यव्यवधानाल्लुकाप्राप्यभावातानवावधी:सियासोवीयश्त्यिा दावाम्बम्बरसोवीरशदाभ्योरइकोसलेतियाडिवापिकारशस्पष्टी तत्वेनग्रहणाबाम्लवहवेवनस्यव्यवधायकतिनास्मिन्पन्केतस्यवैयथ मितिवाव्यमापूर्वविधास्थानिवद्भावनयापोव्यवधायकवानपायाराम र्थग्रहणटलुक्सन्तोऽस्थियामितिपर्युदस्पताएवज्ञापकसिौहाप दोभाव्यसंमतीव्युत्पादयकिय तत्रनाघाव्यतिक्रान्तोनत्या इत्यत्रसमासार्थस्यावहत्वनवहुक्वनपरत्वाभावेनलगनापत्तेः
निवपत्ययलन्कोनतत्परत्वंसवधानलमततिनि
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सिरस.
विधानानपत्रपत्ययस्यकार्यनकरत्नस्यास्येतिपत्ययल-तणनिषेधा परतीश स्परत्वमाश्रित्पादाजस्व लुगमविष्यति तथावपञ्चमी गीिनिकीतापञ्च गदिशगादित्यवेष्यते नतमञ्चगाम्यदिशगाग्यइतिभाष्यकृदवादीराकी तार्थस्याहीयस्पठकोऽध्यतिलकलुकतादिलकीतिडाघोलकातन प्रत्ययलन्कोनामसमाश्रित्ययजाचातयत्रोलु ग्यथाभवातावहष निनैवेत्यादरिहाप्पनरत्तानचौस्त्रियानितिनिषेधःशयाअर्थान्तरपुसित कान्तवादतिपदार्थस्येत्याहरितिकैययावस्तुतस्तुपर्णदासएवसइनिभायटी तात्पर्यमितिनकचहबिहारतेनापिपसज्यपतिवधपरकोस्तभादिपरास्तः। एवमत्यरत्पत्राविवहुववनपरतोलुक्लियलेवनिनियुक्तमितिवेतना
373--
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न्सायानबालग मामाराविनिनियाननासमवेविशेषाजनयदाजनयदत्तत्रियतिीजनपदवा चासन्य ज्ञात्रियवाचीत्पथ पर्चलादयोहियदाजनयंदवाचनलदानित्यंबडवचनीताऐव यूदादत्तात्रयवाचिनसदैकवचनीनांपिाजनयदाशार्क डवोरयन्पादोषवाकेवलन त्रियवाचतंचिपाकिंवाझगास्यपंचालस्यायंत्य पांचालिंगिनितिहराबाहार्दिवस्ययाठामा दप्रत्युदाहरगचित्पमितिहरेदनातवियसमानशहातिदासमान पाहायस्पसौर्यसमानशा जनपदाहानियेशांसमानशेव तंत्रियसमानशदत्तस्मानस्पतिषष्ठीसमादाजानवाच्याय वत्यत्पयोभवतीपत्रद्धादयोनिबुजोपवादापूवोनशानजनयदेवाचीनियन्दीव्यतीयेशा सिद्धनाजसतार्थवचननदोचिचिठामगधन्यवासहायोडागाशावयाद्याभाय न्यावा नामतस्यन्तिप्रवद्रावधतिषधाथागुशास्पषधिाधरायवाचनभ्याडानयहाजनयंदना दादिल्फन्याहितदाध्यनिवायवोपतिधताईताइनहाननयर की कौमासीकमाशोजनश
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अनाटोशीषपञ्चाशि३
त्रियवचनः कुरुना नकार दिर्पषानेनंदयाद्यन्मगधेतिकुरुशद्दादशि प्राप्नेनादिभ्यस्त्वनि प्राप्नवचननिन्द्रादयःञ्चकनतरामश्या कानड्राजस्य तदर्थेनिद्रा जयत्ययार्थेन नेइत्यर्थः निन युवसंज्ञा कांडेन विछेदादितिभा 37 एक विति निलो साधन तथा चनत्र साधुरितियन मद्राजन्नाभावान्नलागतिभावः। प्रियया चालाइ अनिता पञ्चालाः ३ घयडुश योरिति जनपदत्वाभावादाभ्यां पर स्थानड्र यतितितश्वक्तार्थ वादयन्येन्याने वान्यन्नइनिभाको जात योरप्यजोल गर्थे वचनंछा मित्तिश का लक्षा तवनद्रा जब अधिनियकरगोन कृता तद्राजस्पापिल प्रसंगशकायतेः। याता यादसितायिपालिकानिष्टवारणापत्र। सिंधुन हो निसवादको जमाचार्योध्याठी दिनिभा वीहि देदिनित्र्य डझेल की तो मनुष्पज्ञानेरिनिडी कुरु रिति रायस्य लुकाइन्। राम कारेगादा जोन विशेष्यनेनदन विधिप्रसंगान्नशर्किनु नद्रा जेनाकार खियामवनीन्पा ३७३
लूप
सिर· ३७३
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त्रियइत्यत्रात्रिगुकुत्सतिडकोलकिजसउदातनिरत्रिस्वरःस्यातानमा पन्निन्यस्तमन्चावन्दन्श्यत्रीपास्ताममदिवइत्यादिश्चतौविभक्तदान वादनिाररातस्मादहशदोनपत्ययपर: किंतुबहुत्वमात्रपरस्त्येवयुश्त्यमा मित्यावश्यकतञ्चततमेवास्तितिनवग्रहांगतुकार्य मितिस्थितमाहवगाया स्पश्चवाव्यश्वगवित्सबाजारतियनालगिष्यतेसवमतहयेपिनाप्नोतिाइन्व हुषुलुवायतिववनाहविधपिइन् सिध्यति।तबाजहत्त्वार्थायारत्तौयुगपद धिकरराववनतापन्कसवेषांव हर्थत्वोदलौकिके विग्रहयोगनुपस्थितषया:कुम्भ कारइत्यादौनिवशनवदिहापिवहेववनस्पपवेशनाहहुववन्परत्वावलुपन्द यपिसिध्यतातिपत्यारव्या भगवंतानन्वर्थपन्केपिगौपत्ययोलोपभाग्यदावह
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सि.र.सु.
३७३
वर्थेषूत्पन्नो युवापत्यविवन्कायामथन्तिरे एकत्वविशिष्टे द्दित्वविशिष्टे वा यहाँस कामतित दाव हुषुतस्योत्पन्नत्वा क्या प्रावेव्लुग्वक्तव्यः प्रत्ययपदे तु बहुवच नपरत्वाभावान्न लुगितिदोषाभावः । यथाविदा नामपत्यमा राव को वेदो वेदावि ति। इहानृष्यानन्तर्यइत्यत्रोयत्र जोखेति लुकायून्य [तस्पराय न्द्र त्रिये तिनुक्तस्मादर्थप-कोपिरुष्टइति वेन्न ! प्रत्ययवन्तैप्प घूस्पतुल्यत्वात्। समर्थानां प्रथमादित्यत्र सामर्थादसुवन्तेनेति भाष्यकृते है व सूत्रे ऽसदुक्तते या सुवन्तात्तद्वितत्य त्या प्रत्ययलन्हो नव हुवयनपरत्वमादाय लुको दुवरि लेना लुग्बवनमावश्यकमित्युभाभ्यामपिसमाधानं वायमितिवेला भर त्रिलु गनीत्यन्नु गिति । प्रत्ययलोपइत्यस्मा विध्यर्थत्वपन्हेऽजादिप्रत्ययपः
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माकममरत्वस्मसुक्वत्वावरायतुकोस्तुभे गोत्रेलुगवीसिरोत्रिविधान तएवालुक्यवदाइत्यत्रनोबइत्युक्तमानन्नालकापहियमारस्पेशालिवन्का बालेरणनिमित्रत्वायोगात्अन्यथा जेवीभावववीयतइत्येवभवतिनयद्धलुका लकिहिततिविषयत्वासंभवनवीभावस्यापन्निपसा दितिस्वपर ग्रन्थोव्या येतातस्माघथाभाध्यपत्यमलन्करामिवाहतवानहम्पन्कान्तरेतप्रवीति करिष्यते विशेषाालुकमुत्काहालनातकरिष्यतेतिनग पिंगमि मित्यादौनालुकानवैवविदानामपत्यवहवामारावूकोविदाप्रतालुखः लेकछासेऽपत्यमालोकिकगोष्टचतइत्युक्तयुववहत्वपुनलुकोदेरी
ताकतनशदातासमथानापथमादित्याधिकारविभक्तिविपरितामे रापुनरलक्तनशयन
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शि.र.सु
चे३ द्वितीयर नप्रथमस्य गोत्रप्रत्ययान्तस्या लुग्भवतीति व्याख्याना तू । प्राथमकल्पिके वप्रत्ययार्थे वर्त मानस्य प्राथम्पंग गण छात्रा गा गाथा इत्यत्रयथा। प्रकृतेय युवरूपमर्थमुपसं का न मित्य लुका नैमित्तिक लेप्य लुग्न भवति । श्रन्यथागो है लुगवी तियथा न्यासे चिपथ म स्पेत्याद्यर्थानङ्गीकारेऽत्रिभर हाजि सष्ठ कश्पपिका भग्वरि सिकाकु सकु सिकेत्यत्राप्यलुकासमेत तापत्या नातीतश्वानिञइति । भरद्वाज स्थापत्या नीतिविदाद्यज्ञात उभाभ्या युव बहुत स्वराय हे त्रियार्षे ३७३ तिलु काढको त्रिभ्टग्विति सनोयत्र ओश्वेति लुक् ततो निभर छान मैथुनि 3733नाइन्छा हुनु वैरे तिनका देशः । यदिद्दिता यमर्थमुप से कान्तस्वाप्प लुक स्यात्तदा गोत्रे ऽलुगवी तिद्यथान्या सेप्प लुगञः स्यात् । व सिवृश दाह
कि
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२२
कश्यपाद । ततउभाभ्यां शून्यतश्ञातस्पराय न्दजियेति लुक् ति तो ओर्लुक्। ततो नाम्टग्वङ्गिदाभ्यामृष्ण। शून्य तर भूतिस्पराय रुत्रियेति लुकू । त्रिभ्टग्वित्य रास्ततो बुन्। कुत्सोव्यम्। कुशिका दान्यतइत्रित्यादिपूर्ववित् । तस्मार नैमि ति किप्लुकि विदाइत्यत्र पुन र लुग्नेति सिद्धम् । वलिङ्ग गोप बना दोगाभाव काग्र हरा) म् । गर्गशूदाघ जातस्य लुका भृगुश हो दृष्यरम् । तस्या चिटनिति लुकू । ततो यून्य तड तस्य लुकागम्टगू रोगमैथुनिकेतन त्रिवतिलुकू प्राप्नो गोपवूनादिपाठे ने निषि च्यते । यदिव द्वितीयमर्थमुपसंकान्तस्याप्यलुकमा झोपवनादिषुपारोव्यथः स्यातू य र्थःसन्नन्तार्थ ज्ञापयतीत्यवधेयम् । इत्येवार्थयन्दप्येकत्व विशिष्टेद्दित्वविशिष्टे वायुनि विदेोवेदावित्यत्र वचनं वने वा लुक सिद्ध इति नकार होष इत्यवगन्तव्यम्। श्रयं तर्हि दोष १ एक्वन वियना तस्य गोत्रप्रत्ययान्तस्यर्युव बहु त्वेवृत्ती लुङ्ग स्पा दिति।मो अस्थापत्यानि यो
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सि.स.स
वहानभूपाधवतिफित्रातस्मतहाजाधारणइतिपैलाधनागरगासनेगलुका अवैट्स्यवयोवहिपत्यानिवहीनविदा प्रत्ययपन्दतुवहुववनेपेरमस्तीत लकसिध्येतानिनदोवामिवमाप्रत्ययपन्दोपिदोषस्यतल्यत्वातानवहवबन 3 (परत्वेमात्रेणतवेएसिद्धिपियवासआइत्यत्रातिव्यानःकिंतुलम्सालक्यत्ययानै विकृतस्यवहुत्वस्यसत्वेससेवानवयःशिष्यतइतित्यायनशूपमायालुगभाव
प्रत्ययार्थनापत्यरूपानवकृतबहुलस्तीतिनमन्मतबेइतिवाच्यमा अर्थपन्दीपिलाकरीत्यैवलग्भापत्ययस्यबपत्यासत्तास्वार्थपित्यगत
वहुत्वविशिष्टवह घुसत्वेनमन्मेत विषविरहातारवाजपप तिक 373-9
तयाजमार्कश्य पाहत्यापतिलतिवहत्व लेगमावीमध्ये पिसिइई तिसर्वमनवधाएवमानतपरिकारेगोवेरसिद्धौभाध्यकाश्ययाइये ५
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तसिद्धयेयुक्त्यन्तरमपालमाययोवहसमोवह चित्त्येवंनव्याख्यो यमी कथं तहियजन्तय हुश्यनेयधिानानदेवकोश्य पाइनितिकृतिवहुवेलुकछ इयोलोकिकस्युगात्रस्यापत्पमात्रुस्पलग्विधो गोत्रग्रहगेनग्रहान वैनौजवले वर्तमानमनवयौवाहहिवाइत्पादोविदाघजोलुकपसमापवरोध्यायप्रसिद्धगोत्र स्पैव ग्रहातातचमानपत्यइत्येववव्येगोत्रयहरगम्ााझावाझाइत्यत्रप तिकी निचलेगदुतमेवसमॉर्नवोध्या कोस्तमळतस्तुयजन्तयदित्यादिवतंदाजान्तय दहावत्येवध्यारव्यायवाचइत्याहोयुववूहलेलुकसाधनीय:/नवपतिका वहवेनिमसद्धतिनैवेत्यस्पलोपिपत्ययार्थजातीयनपति गोत्रयूनारपत्यत याँसजातीयत्वपिप्रतिरतेविजानीयवाएंवशदस्तु वाईवस्तयज्ञप्ताइत्यत्र
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सि.सु छ
३०३
373-7
तेर
तदितर कृत बहुवेल निवर्तकृत्यावश्यकः । लोपिस या तर देवदत्ता दिगन व हत्व स्यापिस-त्वात्। इत्ययार्थपदेपिनवग्रह कर्तव्यमेव भाष्यकृतो पितखेत्या ख्यानंन संमत तथाच सूत्र शेषेऽथ यो लोप्प लोप नांसमासइति भाष्ययाव न्हाशन के यूटेन तेनैवेतिदन नाद लोपिस निवितं वहुत्वमितिभा का रि लुगियुक्तया तेनैवेत्यंशस्य भाष्याभ्यु पगत त्व लभ्यते। अतएव वास्प प्रतिकृत योवा इत्यत्रतद्वाजान्तंव हुवस्तीति लुक् स्यात् । इहगो व हरणाभावादित्याश यतेने वहाव लेनसमा [हितहरदत्तेनेतिषाहु।) तन्न। युववहुत्वेव डाई त्यादौ मन्तरीत्यवसितदा जान्तं यदिति व्याख्यान स्पनिर्मूलत्वात्रन्तर्यदित्यादि ६ भाष्यंतु गोत्र हरत" नास्तीत्यभिसंधाय व्याख्यानान्तर संभवतीत्यभिप्राय कर।
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व४
यदपि लोपषत्ययार्थेत्यादिना तेनैव ग्रहरण प्रयोजनमुक्त [तद्विन/भाष्यविरोधाह हुशदस्य बहुवचनभर खेतेनैव ग्रहणं ज्ञापक मपरत्वे व्यथीत्या दिनाभूय साग्रन्येन भाष्यं व्यावहाणेन कैयटेन सह विरोधाच । एतेनैवश् पिनिरस्ता (तेन श
देवत्याख्यातेत स्वततिर निवर्तकत्वायोगात् । तमू लेकताऽयोगव्यवच्छेद केरवशब्दो व्यर्थइत्याशयेन तर त्या वने यम । अतरवासदेवदत्त यज्ञस्सा इत्यशुद्धमभाव्यादि सिद्धान्ते लुकमा त्वात्। किन्वधितिवर्तिकार भेवदेवदत्ते सन लुग्भ वतीति स्पष्टमिति भाष्यकारीयुत प्रत्याख्यानपदेपिष्टइतिस्पष्ट मत नवग्रह गान डी का रे सत्येव गच्छते । फलमदे प्रत्याख्या नायोगात् । ये दर्पमा का रिलुमित्युक्तया तेनैवेत्यंश स्पभाष्याभ्युपगत त्वं लभ्यत इत्युक्तम् तदप्यत्यन्ता
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सि.सु.
संवर/ उपक्रमस्था नेक माव्य कैयय् ग्रन्यविरोधस्पोन्त लाइभमा का रिलुगिसु न्तर्भावानव वोधा यातथाहि । अथयो लोप्य लोपिनां समासस्तत्र कथं भवितव्यम्। उभयहि दृश्यते । शर६च्छेन कदम गुवत्साग्रा यशोषु नोदा तस्वरितो दयमगा यूकाश्यप गालवानामिति भाष्यम् । अतकेयः । लोपभा, जामन्येषांच्यः समासइत्य पदार्थः वयं लोपभाग्युगपद्यभिवादथस्त दात दाश्रयेगा किंत स्प लुक्रिय तामथतेनैवेतिवचना हैलो चिप्रत्ययान्त सन्निषितं बहुलमितिमा कारि लुगिति प्रश्नः। उभयंहीति ज्ञापक सद्भावादुभयं भवतीति भावइति व्याख्यत्तस्त पर्यवंशीन मात्रे तेनैवेत्यं शस्य भाष्याम्युपगत त्वं लभ्यते इत्युक्तिर त्यन्ताय व्यक्तमेव सुधीनाम्। ज्ञाप कह यसद्भावादित्यादिवदता कैयन तेनेव
३२३ केति 373-8
१०
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+
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ग्रहणस्याव्यावर्तकत्वात्प्रत्याख्यानमेवमगवतावाढीकृतमितिस्सशीकृतमिति बोध्यम्। एतेनहरदत्तोन्तमधिपत्युन्तम्भ्र वत्साग्रायोधिपत्रहीन प्राग्रायणस्तुनडादिगन्तानलोपीवियोश्चलुककृतः।प्रगार्यकाश्पपंगाल वानाभित्यनहोलोपिनो गलिवस्तुका प्रारमन्तोनलोपानवलोपिनोलुकका तातदेवंज्ञापेकयसद्भावात्प्रयोगहयोपपतिरितितेनैवेत्वंशस्यभाष्याभ्युपगत वोनिरयन्तैव अत्रयइत्यत्रोदात्तनिटतिस्वरपसापत्ययपरत्वपन्होष्टर वितित नवगहराप्रित्यारव्यातमतार्थपरवडयो यानितिदिकार्यशाला सभाध्याची विभावयन।मूलसमलैंपाका किटेशपसादतः॥ ॥
वाक्य 213- अष्टोशोधपचागि तटाजत्रिंशत्यधिकत्रिसप्ततितमपत्रे)
३२३
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रंभानतेनकौसल्येत्यादौनलुगिन्याशयेनव्यावष्टानडाजस्पाकरस्येनिअस्पन्सक्नेश्दमोयह नवाजस्यवेनिसंदेहनिबन्नयनयरत्वमितिहरदताइतिहरदतइनिानमाडीखनीयवाफलेसम इन्टषिप्रयोगासाधुन्वमेवातावडदवाचूषयनिनतमसंबद्धमिनिचेतामेवासाधतशी सनार्धममन्नानीनत्रभवतामन्येवामाचार्याशायाशिन्याघनभिमतकादाचिन्मयोगस्थली केसाधुन्वाभावानाकारशातिनाकुहर्मवरिकतावशीनोमलविनादित्वाकाणाह ज्यनिसंघसारगरिनेनमूर्धन्यापधापानिरस्तायाधेयादिभ्पालप्रनिषेधमुदाहढमाहायधा अत्यादिनााङनितिापक्कानियत्ययोभ्यार्थिवाचिचार्यगाववाचित्वस्यायिसत्वाजानित्वमला निभावाणिजोतिममितिानचायुपनपानियादकामत्यर्थः तनाव्ययाहादित्यानशंका यावितिसंभवयाभचाराभ्यांगावग्रहराणिजावशवरामिनिभावानवर्यपंड प्रत्ययानाडा शानाघान्दमेधस्पायर्पस्वीइभनायङ्कायोमेध्यानस्पा-छात्राओदमेघानोदमेघःसंघ
कितिहिति
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३०४
374
सिरख वसंघोकेनिवागनायताप्रापत्यस्य वेनियलोयानापनियाभस्याइनिवजावेनन् भयायपनि
रिनिचेतबादमधेयोनस्पातालप्रतियंवद्भावनिषेधाताएनन् प्रत्यययतपिनदोषतिनयो लिनिरस्तानिङवायत्पत्विनवाधिकलादायन्यायकारोभवत्येवातवाच्याधिया जो पनवार्थकवनगोत्रत्वागीकारयिप्रकलावस्याधिकंस्पघात्यस्पसत्वानअन्यथाायगावतर त्यत्रापिजातिवाडीवीरइत्पनहितायेयामाहाविधायडादंशतित्राधिकारात्वियामित्पस्प लाभानचावापिंपोडलाम्पाशालोम्याडेन्यत्रयेचाभावकमेगोरिनिप्रतिभावस्पातनवी डुलामन्यत्यादिस्पादिनिवाचादिलायमनरेगांसहयोनमवायोगादिलोयमयजीच्यपस्तस्यष्य हिधानकवायोगानापानद्दशोत्रालेगाअनुबधयकगीचा आघयहोतांवरञ्यश्वपङो यियश्चावित्पत्र सामान्पग्रहतार्थतन्त्रीपसपनारायकादेशस्वगातोदावसिष्ठ आदेशयराम जिवादाकदानन्देनटापानिवीहीभावाचाबर्थतदावश्यकीचापिहिसनिचित्वादतोदाननेच ३७४
आदेशपदे
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नचैवमूयिष्यङसंघसारगामिन्यत्रविशषणार्थनयोरुपयोगअन्यथायाश्यावयाश्यापतिरित्य
प्रत्ययेऽतिप्रसंगनिवाचंपत्येकानबधेनायिनदारगानालोलपायनिरित्ययकारयन्पये नववधानान्सपसारणभावाकोद्गंधीयुत्रइत्यत्वेकादेशस्परीतन्नग्रहणान्नास्तिव्य वधानमनाघपलेषकारानबंधाभावीष्टसिद्यायपिलाघवमसितथापिओह मेघयोनसिही दितिदिनीययतएवड्यापानिनिदिकानवेवमनन्यायडिविधनडादिघुसावकाशवेतिबाध त्वायरलादनकालिनिष्यस्थानी व्यहोनुबंधस्पविशेषगार्थ वेनसप्रयोजनचादित्याशक्याह। निहिश्यनिायवनानन्यायेनयर सर्वदिशंस्यादितिष्टीतमयन्यस्यनिग्रंथोव्यरित्यानाही रदनायवनव्यैरिहस्वायम्लयायचनिडलेले सोनभाव्यापी लोचनमूलकवानाशकात मालकानन्सर्वमापातकमनायाचित्पत्रपाली शानभाष्यापया लोचनमूलकत्वातास्यकरिष्यनेचेनडन्नरचेन्यामानावताकोमुदगध्यनित्र गम्यावारा निरिजाप्यासिनो किमिनभागस्पाययमानभागीविदोदिवादनारिया
यश्चावित्यत्र
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बित सिरव दिनाडानिहनिलतागोञ्चचररोोरित्पत्रपारिभाषिकमेवगोत्रंगवनइतितस्याप्यापायाअन्पथा ३७५ हियरवाडीनाभाव्यमिनिभावागोत्रांवयवातागोत्रमित्येवममिमनागोवाभिधायिन्यतिलौके 38
प्रसिधानपुनःप्रवराध्यायेयठिनाइत्याधिवराध्याय पाठाचाप्राधान्पअवयवशदो प्रधानवाची अवयवश्वासोगावचेनिकर्मधारयःनियातनाहोत्रशहस्यवनिधात गात्राभिमेनातिका नस्ताइत्पाहाकुलापानिकले यायनया भिरितिकुलरियामराकाशीकसंखरादयतैहिक लमारस्पयितेसारीकावयगोत्रगोत्याक्षितताविहिनयोरितिगोत्रावयवादहितयारित्यागी झदियचमानिशान्प्रत्यय मेवानीपतइन्पाहायप्रन्ययानिकोडयाया अपत्या पडत्या दीपलापुआपतपस्पचेनिनेष्यतीनिमावागीकाशदोग गादिपर्जनसदमाहानाशीनाथ श्शेनिमितानीगरा संत्रालशहापर्डलभने युवतीवाचायामिप भीजप्रति इमाधिगत राम ब्रीदेवपशिचतुर्पशनिजिनेभ्पतिशमानवदेवायनायष्ठव्यायस्पसंदेवताविष्टलौस्प ३७५
वि
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स्तर
चितासन्यमुययस्य सत्यमुग्रानियातना भागमः कंठे विद्यमस्पकंठेविधः श्रमूर्धमस्त कादित्पल का कीडे विद्वीप न्य पृष्ठ तिनच कर करतोइटिनीयासमासतः त्रिति दिकागोत्रेपिय रत्वादिनिन थाचोभयत्र विभाषेयमितिभावः॥ ॥निश्रीभद्रा महाभहविरचिते सिधांनरत्ना करेऽपत्याधिकारः॥ ॥ ॥नकारज्यतेऽनेनेति बाऊल का कररी बारा निजिकका मित्य थे. शुक्लापवीत रायाद नरजः तिनेता पासमर्थविभक्तिः द्वियवै पाघ्रादी नियावदनव मनोरंजकद्रव्यवाचकप्रनिकटनी या नाघया विहितं प्रत्ययाः स्वरित्पर्थ। हारिद्रोकु कुम्स्य ज्यादावित्यत्रतुसादृश्यानस्पदमित्वा साधुवा लाज्ञारोचनाला हत्तीवार्त्तिक स्खोश कल कई मौसूत्रेषु विती । शाकलाइतिश कलेत्वा चखंडे चरागवस्तूनिवल्कल निविश्वाम्पम तिभाव्येतुने दृष्टा नील्ये तिनी लीओ प्रधि विशेष शापवादाय। न सूत्रेण खंड का लेनस सहयोगस्य सदातनत्वाद्दिश्लेषपूर्वक संश्लेषात्मकयोगस्याऽभवः । गन्पान्म कसवडस्प
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सि.र.स्व वयोगोन संभवइत्येवानानसत्र समीपदेचंद्रेयदा पुष्पादयोर्मास्तूदाप्रत्ययः स्वस भीयस्यच ३७६ यतिपादकेभ्पस्टनीयासमर्थेभ्यः पुष्यादिभ्योयुक्तइत्यादयः ये सयुक्त सूचकाला नत शोनिकाच देशा युक्ता रात्रि काल की शक्ल सूत्र मनु वर्तते नक्षत्र युक्तपकालस्याविशेषे गम्पइति फलित दाहाषविदंति अहोरात्रात्मकइत्यर्थः। श्रघपुष्य इत्युक्तेहिनोन निविशेषावगमेपितादृशः कालस्यावी तर विशेषानवगमानुभवपवेति भावः । प्रसज्यप्रतिषेधो नयोषोऽहोरात्रइत्यत्रसमुदायेनापिप्रतीयमानोऽवयववयात्मक
376
पतितदाश्रयः प्रतिषेधः प्रसिद्ध तिहर दत्तादयस्तदेन दाहा विशेष वनेतिविशेषेकिं पौषमा ६ द्वारा विशेषेाघराधानुराधी यामध्येपवादन्यायेनाराएव पूनस्पतिभावःाय परत्वाद्दा धनिद्यतनत्रा ६ पोगपत्प्राप्यभावादृष्टी यादृष्टमित्य राम येणादयः स्फयदृष्टं तचे सामस्मिन्नर्थइति तथाचनातिको दृष्टे सामनि जाने चाय्य डिहिनी २०६
श्री
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विधीयनातीयादीकझनविधायागोजाईकवदिष्यनिइनिजातेथेयोतिरारसवाडिदित्ययःशिनाभि वजिजानःशातभिषाशानमिषताहहियाग्दीपनोरारकालाठुनाबाधिन संचसंधिवलादिसवेपनिषद तइत्पयहिरुको राईिक्वार्थहिनापीकप्तानश्चीकाविशवाचकानीयानानादिनीयाविधागोत्रप्रत्प यातादयःप्रत्ययासदृष्टेप्तामन्पधिस्याताश्रीयगवकागोवचरणाजिनिवुनावामदेवाराग्रहणामिति प्रयतारिनि शेषतदर्थे त्यनेनपयनश्चिातदधतिसंत्रलेल्पना नम्वरमतिीनंजाश्रयेचरै पर्थ अभावाययते श्वेनिशाननःपरस्पययदतस्पोनरयदस्यीतादानाबमबामदेव्यमित्यजनभवानी निरनुबंधकयहरोनसानुबंधकस्पनदनबंधकयहोनानदनुबंधकस्पेतिपरिभाषाभ्यायर्यायही मातार यहातानेवेहवडिवेनज्ञापेतेइतिभावा परिहारतीयांनान्यरितात्पर्थेऽणादयात्सर्याय रिखतासचे योभवति तदेकोतग्रहकर्मयतेनथाछादनार्थयचर्मववादिकंनतएवभवतिनित शवादिभ्यइत्याशयमाहासमतादेष्ठितइतिप्यरित्सर्वतोभावार्थप्रतिभावाकीमाराअर्वशदोभाव
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मिसन प्रधानन्याहाअर्वन्वइतित्रीयंसयोईयो बम्पतन्निपातनमिष्यताअन्तर्वत्वउवियागवा सुरुषस्तयानभागी ३७ सवामावेत्पीअर्वयूनिमितिानपूर्वयनिर्यस्याइनिबङवाहिान वाहतासास्मिन्योर्णमासीनिलवान्या 375
कृतवत्यधिकारापाववाविभ्यू सम्मम्पूनेभ्यतमित्यर्थयथाविहितंपत्यास्मशारावातिभितोकि इन्पनियनिहताअवशिष्ट निनद उडिसाहितसचहानीनिकल्पस्वानासनमानिनिधा
तक्रियायपाधिकरणासद्भावादितिभावाडिलाराशास्त्रविहिनोनियमोवनीतम्मन्स सदायेन गम्प ५ सरहतासनतासस्हनधारारस्पाघसंस्हनमहाश्वेतामूलवासिहर्तभनाइत्पनुवर्तताकर्थ उव्यानि रितिनिघनिभूतासन्याभवादशादित्वाधनादनादनानिमित्कारसलवादिनादिधिबंधिकरण मात्रामातहतेरित्यूत्रसंस्कन मिनियवासरत्नी याताहोध्यादधासंस्हनमायुदाधिकमवाउदाश्चर। बदकेनश्वयंतीनिक्सिंज्ञायामभावानियाननासघसारांनसास्मिन मिनिप्रथमानादास्मेनि राम जिसम्पन्नाप्रत्ययास्पायथर्मानार्थश्चन्योशीमासीभवति इनिशहादिनिासहिलौकिकवि )
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कनकर्त३ देवातालसेनमपि४
वतामनुसारयति हति लनुस एव संज्ञायामितिप्रचिक्षेपाचाग्रहाय पूर्वस्पाशोण वा दायरामा सातामा सो स्पांनिधाविति बहुबी होय ज्ञादित्वा स्वार्थिको शि निहतादयः। तदस्मिन्ननइत्य अधिकार पूश मासा द्रावक्तव्यइति वार्निव्यमिति तदाकृता सास्यसिनि प्रकृतं संज्ञासंबद्द मिनियुन सायुहरा मित्याहु देव शहा स्वार्थेनल इहैव निपातनात् देवनावाच कालनिकप्रथमानांद स्यनिष अर्थादय स्फु। पत्रप इत्यत्र देवतार्थक दौ प्रकृतिप्रत्ययार्थयोरभेदान्चयइति नयनांत विहन्यहनि कौस्त भादिर्यथविरुक्षमित्युयें हथ नागोर वान्समभिया हारेगावदेवतान्वला' मांसकारक तद्वितेन चतुर्थ्यावेत्यादि शात्पय स्पोभयत्रशक्ति रेने पाहुन ऐंद्रमनिय ना निवत्सं बुधि न्येव काथमा वाभ्युपगमात्सामा नाधिकररायो ययतिरितिभावावि शेषइनि। दर्शमा सादिकर्मस्व व नदित्यनेनस चिंताने नेहनचैत्रः कन्यायाः आये यइति न यु देशेन वाहने शास्प ज्यनइनिशे किन्नुभविक स्पेनसंज्ञाशयम न्यएवन किमः का देशइन्याशयेनाह को ब
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उहितरं देवता माहाधा
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सिरस तथाचकायानुगृहीत्येवसंप्रेषण कसी माघेरी तिकक्केपरत्वाद्दा दिदोसत्यामपियुन असंगारस्येति लोप झसं ३७८ गादिद्दिधिगशतमिति । सभी निहिल सद्दिते निपलोयः षस्य मितिउषसश खालिंगोदिवो यवाद। छु नासीरीयमिति । श्रुनो वायुः सार आदित्यइतिनि देवता इंदेचन्यान अनुनासीरश हुई स्पशा वाचीत्यन्यत्र्यन्धे मन्यतेतिहर दनः। तथाच मंत्रा येशु नासीरमस्मिन्यते हवामहेद्र ति । मरुतो निंद्रा श्रीषोमीय मिनिदिने सोमव रायगवानः यति वास्तोष्यतिः। इहैव निपातना नीयंमरुत्वत्पथी वो मीपमग्नीषोम्या वाष्पती वास्तगृह या हमेध्य का लैम्प कालवाचिभ्यो भव धेभ्यः शलेम्पो येविहितास्तेभ्पर नश द्देभ्यस्तेनैवोपाधि नातेस दिश्यते श्रतस्तथैवोदाहरनि।मासि कमिनिकाला जाया हराय मिनिप्राषए रायः रामह जितिएन च हत्या घनुरोधेनोक्तं भाय्पना राम देशी महचयापयश्वनियान्यनेने नावग्रहः सिध्यनीन्युत । स कारयाठे नि।भाष्यकडहार सो विनिशेषःाय ३७८
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नप्रक्रियालाघवायघकारमेवान्ययाय ठेदिनिकोल भादौनव्या निनारायनातिप्यविहरित्यासित स्यसाचितचदायदानमगोत्रप्रत्ययप्रतिपदमविहिनयत्ययहादाहसाअचिनहवसतिगा नादेखीकेदाराधश्चत्यादिनाप्रतिपर्दयजादानाइत्याशयनादाहनिाकार्कवाक्रमिनिएवंवा शिनीकुपूवीणामिति किट्सचेगौनाघुदानासपातीवाचिनायेत्रादिभूतात्कवर्गातार्वनेयामदा नस्यादिनितदाथादिप्राकशकटेरिपधिकारानरायनशोकमिनि तिन्यासयोरदोहनत करता कादाशूकस्पयागहनाभाव्यमिन्युपेत्यमितिहरदनादयशभित्तादिभित्रमिनिाचिनत्वादका प्रांगाभियाभिनिअनुदानादित्वादनपानासतिहिनासमन्त्राघुदानटिलोया स्यातीनचभस्माई नियुवा चकत्यानिदेशानाटिलोयरतिवाच्याहसिनीनीसमूहाहा समित्यसिधातवीप्रत्ययनित
वयरतन्त्रवलयाति देकीयोवन मतिअनुदादित्वादभिप्राप्त हया एवज्ञावान निवास तिप्रतिभावाननअठेविवतिनेपागेव(वयंवदावोत्कंनि तोवन शाकहानइत्यासिन
शर
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.374
(सरस वासत्पाभाव्य नए वेहतस्पपाठप्रत्यास्पानाहयाठसामलिंबद्भावनेनितिलहनुमय्पतएवानर 298 मानवमदासमिसनखवारयौवनतिगभियावतंगगडनिश्रीहधीमरोनावरुध्येया
ताभित्पाशक्याहानातिनायुवासमाहारइहलोत्रंथराजकारस्त बामगार्थानेसंज्ञानंदनाका नेन कानंदनाकारिकाश्त्यत्रोगिलतगोमड़ीयोनलालयाचागसंज्ञोनिभिनयासकारोयलसिनयो यवयारउनासिकपारादेशाविधीयतइत्याशयेनाहावनासिकचोरिनिप्रित्याशनाइहरी जन्यूमनुष्यग्रहरीयाकरिशतेनापत्य स्पचनियलोपस्यैवप्राध्यभावानाअंतएवगोत्रीतोष्टेप त्रतयोहगांसाईकमितिभावामनोभावायौवनिकामनोज्ञादित्वाईजीबाहेरगमोनिबत्रयोग। रदारनितपस्वरेवाविशेषाभावात्प्रकतोयजेवास्त्व स्वरितन्वानानुवर्मनान सकृत्वा देवत्रियाविशेषाभावायूनिश्चेत्यत्रायत्पग्रहाचतिचेसत्याग्रहंदादपिऊनश्चिहिधानज्ञा राम यथितयश्चनीनसिंद्यानुवादकंवार्षिकमाढाष्ट्रहादितिाएछनोत्रीमापडहानिलभाकायाम३७०
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जनारनिल वार्मिकछसहायशसस्त्रयपाठाअनुदानादाआरपिकमिन्यादावचिनत्वेनपरत्वा गेवेनीहचिनवडाचकाउदाहरणामित्याशयेनाहाकायानमितिालघावनइत्पननकोतमाम आदानीपूर्वकंकापटमकमिपत्रानं वाधित्वाविप्रतिधधनबुवष्यताखाडको त्रा दातार्थमचिताहकोबाधनार्थचाचरंगोभ्याधर्मयाभ्यःप्रहनिभ्पोयेप्रत्ययावर्षनेतना पूरा महेनधेवस्मरित्पनिदेशाधीमदावरगोन्पश्चनादयोवसेनेनववरगाइमीग्माययारितिवार्तिक नदयनेनुसत्रयानापनाकाठकमित्यादिगिोत्रवरगाहुनछदोगोविथ के निवञ्याविषयोदेशान स्पनिकननीनंदाहषयनादिति विषयशदार्थमाहात्पननिाभौरिक्षाआभ्यांगणाभ्यायथासव्य मनाप्रत्ययोभवतः सोऽस्यादिसाबुदानानस्वरुपयांना पिमंजबाह्मगायो किंवअत्तरारणाभिफ्ना वचन वाहिरवाणगाथानोमादीनस्पेवसंभवाताई
निधिवता दोवाचकाप्रथमानावादि रिन्युषाधिकादस्पेन्पादिमन्पथपत्ययस्याधादिमान्सचेन्गाथाप्रमाथशत
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तर
सिरस प्रयथ्पनरनिगाथाथसंदर्मज्यस्मादकनरिचकारका निर्माणघनाएषोदरादित्वाफ ३८० नंकारयोलपिापगीपनरनिवाषगाथांगैशान्येषिकृषिगानिभ्यूबनायत्रऋचावाक्याने. 380
स्ववियनसप्रगाथायथायज्ञायनावाअपयेइत्यत्रात्रशुभमिनिस्वार्थका प्रपोतिन्पायनली बतिभावासयामा नवप्रथमादित्याधिकारासंग्रामवाचिभ्या प्रत्यय प्रानोतिनपूपाजनयोहरू इत्युनाहासी स्पेनितिपथमानविशेषताहायप्रयोजनयोगायतनित्वमस्पेतिप्रत्ययॉर्थ विशेषणदारासंग्रामसांप्रत्ययाविमिनिभावप्रथमानान्प्रयोजनोयाधिकाघोघाधिकाचा. स्पेनियधता गास्यात्सचेन्मयतार्थसंग्रामानंदस्याप्रथमानामहरगोपाधिकान्सप नागस्पान्सचेन्सप्तम्यतार्थ कीडाभवनिप्रहररोकिामालाभ्यांमस्या क्रीडाखिय हरणामस्पांस नायाधिनगलहंगादिनिनिश्पेनयानेन्सूत्रश्पनयानस्पयिषजतनयाजोती राम पंगस्यादिवि सिनिभावाधिनाधिपेनयननमस्पावनत कियाकिंयाकारोऽस्पावनतीनदस्या
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मिति हतेः पुनः सास्यामित्युक्तिः क्रीडायामित्यस्य निहत्तये! अतएवाहदंडपानोऽस्यां तिथा विति तदधीशियाठोऽध्ययनमर्थज्ञानंवेदनमित्युभयोपादानं । हिल हुहांन्वधीयानविदुषोः प्रत्यके विध्यर्थनिनोन रस्कनुवसेनादी येनयपि सिध्यति अन्य षामशद्दान्म, कतयाऽध्ययना संभवा हे दिनवप्रत्ययः स्यादितिभावः कन्क्य ऋतु विशेषेति स्वत्त्र्यस्थल नय हां तथा त्वे क्या दिघेवने पाहिप्रथम वाक्य भेदा घानापितुसामान्यवाचिनांथीयारां क्या दो यज्ञशयारादिनिभावः॥ ग्रंथ विशेष तिथि व्याख्य प्रातिशाख्य मित्यर्थः । चक्थिकानामाम्ना यइत्यर्थ छंदोगौ क्थिकेतीदमर्थेभ्यः। नेष्येतेनानभियाना भावा सायहरू चिकइति । कर्मधारयः समाहारदेद्वावा। विद्यालक्षयति यद्ययि विद्याल तगा कल्पसूत्राता दुकन्या देशिकक स्मृतइतिभाव्यं तथा पित्रांत स्येवा कल्यादे रितिप्रतिषेधो विद्यार्धत स्पा कालात् वभाव्ये प्रत्युदीनत्वादितिप्पटानुरोधे ने हाकल्पादेरिति नपूरितमितिभावः॥ त्रिविधेनातिस्रो विघाच
प
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सिरख धानातिनातिनाथी गोत्रिविधश्त्येवस्थानहिंगोर्डगनयत्पतिस्तत्रादितिभावापारयायिकेतिाग ३१ घपपुरयायथविशेषरत्यर्थमसर्वदिइहसारित्वैवासंधसवीदियहरोमर्थवपरिभाषाज्ञायनी
सर्ववेदान्पादिअगलज्ञासूवार्तिकरतिवातिकोनमधीतइत्पर्य अंतवचनेसहशवस्यायची भावः अव्ययीभावेचाकालइनिसभावाविकन्यदायंदेशोन्नरयंदयस्यंनस्मादिकत्वोचोश
शहापशाच्चयायधिनशद्दलदंताधिकन्वायरत्यायोडावायनुहासिनावानिकेबड़ा थिलभितिएर वाशानयधपीतमपदाहनानुभाइष्टन्चाइयत्याबादिरितासीमनंशलवादिष
MATHMAITRIनवानास्वनामधानान्नेनिभावविधिनार्थ मिनिभायेप्रत्याख्या नमेवेदांतदीन्यावागायतत्पनभिधानान्नेनिवाबोध्यावसनाउकयादिधववसनादय यो ज्या लेखुवावयादयनथाचा परछक्यमवल अथवाणमिनिनेिनप्रोक्त धनशोभानाअथवा राम तिनोकर्मिन्पाधिकारेऋषिभ्योलम्वतव्यावसिक्षाविश्वामित्रोनवा कायदाहापाथवगोवा श्री३८१
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अथर्वशः। अथवइति भाष्यात्साधुः गाथिविदा आपत्येप्यशिप्रकृतिभावार्थमिदागाधिना वेदथिनः के शिनगाशनः राय सत्रिया कौरव्यइति कुर्वादिभ्योरायत तला नडति का दिषु कौर व्यश हत्य अध्यनन तचको व्यायुरितिभाव्यमितिचे सत्य कुरूंना पोरापतत्रियगोत्रविहिनोयोग्य स्तद तनत्रताप्रकाश गोत्रप्रत्ययान मिन्यव श्चापकर निऋष्पध के न्परम्। ३त्रोल कावा सिद्धति पराम्। इजोल कानै के तिति का दिभ्यः फिञ्जननोन्प्रर लुका वामरथाइ नि कुवी दिल्व नयनतः करावा दिभ्योगोत्रइति छापवादशेषिको रगत स्पन लुका. किंदा ज्ञायण ऋष्यश वेनिशान सकिए वाणि निभावः । नविगो लुगचिता जस्पतिच सत्रह के प्परविरुहानिशहा दिनश्वानि इनिशतत इज्जुनस्य राज्ञत्रियनि लगिसक्तवान्सत्य पानि शहोयोग कोनत्वषिवाचकइत्पदोष) अथवादासीपुत्रस्य पाणि नेरिति भाष्यप्रयोगासा श्वनी मिशन लुगितिल कप प्रिन्ययल होने नत्वमस्तीतिभाका गोत्रे पइञिति । गोत्रं चयारिभाषिक मे
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गादायी TIGIO
३८१ 38
सिरस वात्रय्त्रनशनवसनतिमावास्यसनिअसतिहिलविप्रत्ययस्वरेगांतोदानवधियांचडीश्याल
किसतित्वीकारखदानष्ठावासहानीतिभावाअष्टकमितिसंख्यायासंज्ञासघरवाधा अनिशदंतायाकनासख्यापकनेरिनिवक्तव्यासव्याकृतिक प्रत्ययानादियाननकालोपकम धनिवेदवाकालापकापत्रनलवाकलापिनशहायोनागसब्रह्मवारीत्सपसव्यानाहिलोपातनी धेयरएनस्यनावालुवकालापानामाम्नायइतिगोधवराईजाननाध्यत्वेदिवारशनिस्पनलंगित्प त्पास्वत्रियाचविशेष इंदोबा पानादिनिकैचम्पैनमडूकनुत्पहाडजसवनविपरिणाम्य निछंदोबा गानात्यनेनसामानाधिकरण्यासानचनंदधिकारोकनदर्यकेवाप्रत्ययभानमित्याशये नव्याचष्टापोतप्रत्ययानानानाननाध्यतवेदितारावनियामंश्यतेविधेयप्रत्ययप्रतिविश घातयातयोगत्वा कुठेनप्रोतमधोनइत्पर्थकठमधीततिवावास्यासाधुतानाश्तेश्वर्किडत राम दर्थकप्रत्ययएवेत्याशयेनाहाप्रत्ययविननियनन्यभाववाचीविषयशदोनदेशवाचीत्यांशयना ३८५
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हानप्रयोज्यानीत्यर्थइति पाशिनीयं याणिनीयाइत्यादिवद नियमेन प्रयोगेप्राने नियमार्थमेतदितिभा वः। छंदोग्रहरणा देवसि ब्राह्मणयह नप्रोक्त ब्राह्म शास्वतद्विषयत्वार्थ नेहा याज्ञवल्कोन योक्ता नित्रा होणा नियाज्ञवल्का नियत्रंना करावा दिभ्यइत्पराशश्रायत्यस्यचेनियलोय याज्ञवल्क्यादयों है याशिन्यपेक्षयानूतनानिहतिकता व्यवहार समुच्चयार्थ तिनका पिन को शक्तिइत्यत्रसत्रेयित विषय वं सिद्धा काश्यय कौशि नेप्राशनिध्येत्रो लुक छंद जा शानी निकिं पाणिनीयंव्याकरणम्॥ अथ चातुर दस्मिन् मनुयोयवादः। अस्तीत्युपाधिका प्रथमतादस्मिन्निति सप्रम्यता थय था विहितेप्रत्ययः स्यात्प्रत्ययाननामा चे है । इति सकलप्रसिद्धदेशेय यास्यान्नन्चाधुनिक के तिने यी तर सत्रत्रये विदेशेन त्राश्रीपन वर्तन निता अंतर्भावितप थीहते कर्मशिक्काइरा निक नत्रभवती पहर भवानिया न नात्सन भी समासः चातुरर्थिकत्व मिनि। समाहारद्दिगोर्भवार्थेऽध्यात्मादित्वा जनहितार्थ ६ गोगोल गनयत्पइति लुइस्पात्मते
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सिरस्व ननुमनोर्बाचन्न्पवास्तवधिकरायंचम्पाबदबोयोविहिनोमवप्नदंतादितिव्यास्थानादिसिधमि ३८३ निकिमंगादित्यनेनेनिशंका घनिगमहरामितिइतरथासंभवनि सामानाधिकरणपन्यायेनंवइचइतपत 362 मत्वंतविशेषस्याननिरनयनादित्याहामत्वतेत्यादिनासनिहितस्मितवानखवानिनिधर्वव्याप
स्पादिनिभावाखालसोवीरादेशेनवामोत्यस्यविशेषगतिौवीरादेयत्याशय नाहीएंसुदेशोधितिरो सानदंतादितिप्रत्ययविधीनिष्टयपध्यम्पनिईशानदंतविधिरिनिहानियायनविधिरिपत्र त्यविशेषवचनेनवातु दैतविधिरितिभावविच्चाकमुदीनया कन्यादौत्रवाधान नकमदशहस्यविण्याठपिनकषाआदिशश्यङ्गसंबध्यनइत्याहारीहरादि पइनिपक्षाध नगशासवमाहायनिीजनयदनिनामीत्वावईबरासत्पसिननोर्डबरजन्येदानचीत्रलब तनामधयजनयदस्पैकवादंगाइत्यादा वकवचनेपानववचनादियलकमनिदेशमाहालुपियु राम नवदिनिलपतिलप्सतपालुप्यमानस्पपन्पयस्पार्थइन्पा प्रत्यवार्थमन्मनायुनलीनियुत्पायवे ३१
नह३
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४ गादिभ्येति लुधू] तस्यवनं शिरीषवनमा वनस्पति लमप्यतिदिश्येत । ततश्चविभाषोषधिवनस्पतिभ्यइतिगत्वं स्यात् (विशेष ४
वनेनप्रकृत्यर्थयते । पुत्रवनोव्यक्तिवचनेयुक्तवक्तिवचनेइति षष्ठीसमासः। यद्वाप्रत्ययार्थेन सं बहुप्रहृत्प्रयुक्तान स्मिन्निव व्यक्तिवचनेल बभवतइत्पति देशः॥ सप्रम्प नाहनिः। लुयी पु यमे ये सप्रमी नाना एवं स्थिते फलितमा हा प्रकृनिवदिति। लिंगवचनेऽतिव्यक्ति लिंगव चन संख्य निर्वाचा संकेतशब्पतिवचने किं। शिरीषाणाम दूरभवो ग्रामः शिरीषाः। वरणानी चेत्युत्तर व्याख्या स्यमानमया हैवन दोध्यमार्थमस्पून लीपरत्वाना जानेः प्रतिषेध माचपरत न युक्तावपर म न्याशयेन वेहतन्त्र व्याख्यानमितिवा वोध्मा एवंना वन्पूर्वाचार्यानुरोधेन स्वमनेन प्रत्याच शतदशिष्यमिति श्रंगा बंगाः कलिंगा इत्यादयो जनयदस्य यथा यथे वहुवचनाद्यनाए वज्ञान
यन्नेनलिंगसंख्ये रानियाधान हिसिकता आपोदारावर्षीय हाइन्यादौ शाखेने प्रनियाघते ज्या जीवक अन्याख्यायोयजीव्वैप्रत्याचष्टे । व्यो न जनय । वरणादिभ्यश्व निस्सी लएशन वि [वर्त्तितानि दाहालव] कृतिप्रत्ययार्थयोः संवं धोयो गइन्याशयै नफलितमा हा वपना थ
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सिरस पनिाअंगादयाशवासत्रियेयथाकालथाजनपदेयानिनहितस्येवानन्यन्याकिंलुधिधिनेन्य ३८४ थाअवयवाबिधिक बानगीकारबाधकमाहायोगप्रमाचेनिहियार्थवाचकंप्रमातिदा
हबाधकमिनिनिहश्यनेति विनापितत्रियसबंधयंचालशहाजनपदेषुप्रयुज्यन्एवैतिना धे सूत्रत्याप्रसंगात पूर्वाचार्ययरिभाषितमन्पदायतुल्पन्यायनयानन्याचष्टप्रधान न्यादिनायकतिप्रत्ययासहार्थवतस्तयोमपत्पयामाधान्येनेनीदवचनंप्रन्पयार्थप्राधान्य स्पविधायक मुनानवादकानाधारामइत्पादीप्रत्ययार्थकवादीव्यभिचारातीय प्रधानसप्रत्य यार्थनिचवायचनात्यादीधान्वर्थव्यभिचारानानान्याअनशासन यादित्याशयेनाहात्र शिष्यमितिश्रतएवभावनाप्राधान्यविधायकमिदंवचन मिनिमामासकोकमयानासनित्रयविरो धानावितरेगांचतत्कारकएवास्माभिन्प्रत्ययादिविशेषणानाडानियहिशेषशामिनि नार्थ पंचाला राम जनपदइत्पत्रदीवाभावैपिपंचालाजनपदखमित संपन्नयानीयपत्र विशेषतरागायतका३८४
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भ६ वनिषेधानापनावे यधिकररोपनसबंधेखनातरेवनिषेधानायनिादित्वाजारिन्याडूप्रश्लेषोबोध्य लुबर्थविशेषणानायुक्तवद्रांवसावनियावजानि प्रयुज्यनैतन्ययोगेउनजानेनीपिविश राणनामितिएवेतिकलिनमाहाज्ञानिवर्जयित्वेनिजातिनत्यदिनविशेषगानिचत्वपयन थाहरीतपादियालिगमेवनसंख्पेनिनियमार्थीयमनिदेशाहरीनक्यादिभ्यश्वेन्परगोलुखल लिकमिनिीवादिभ्यश्रनिलरावेचेनिसिज्ञान
यामितिकनोलुम्मनुष्यति लपावरगादियालतिगरगावधाननार्थश्चकारानयतालियरत्वादिनिभावानचासिधवानमाड यधायाइत्वन्याय्याप्रकरणप्रकरणामसिध नव्योगायोगात्सयसगीदसमासयीत्पत्रभोध्यनिराति न्वार माइयधापाइनातियधात्यरत्वादिनिभावाप्रर्वत्रासिझीयातिनिषधान्नखानिवीन
वनस्वानिपत्रैकदेशविकतन्यानपरचालिशयाअंतर्गतत्वातबागपटिलोपस्या सिलवानानवस्वादिधितियदत्ताश्रयरुबडवीरोपदत्वयंथाद्देशाश्रयागपूर्वत्राविधीयत्यप्रव
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सिर. ख तनान्स्था निवडावेनसान स्यापदत्वात्। एतेनुघटीचामलकीत्पत्रखा दिवितिपदत्वाज्जश्वं स्यादि ३८प तिशंका निरस्तेनिदिशाननु प्रकृत स्यमनयोडित्यक्रियालाघवायडूत धाविधीयतां कि उया। सत्यायन्य मोविधानार्थ सदार्थकथन परं वार्तिक माहामहिषाचे निशाद्दलइ निदिप प्र 35 निकाया शिखाया निर्धनाद्यर्थदशेतच पण वाधनार्थचेदं । दंतशिखान्संज्ञायामितियचमे वक्ष्यमाणां त्व देशेविशिखान लगनिरूपार्थ नाघनशास्त्र माहचेति न नित्य्य्येवाभय चषध्याः सौत्रालुका लोपो ही निटे लोपपता नुवर्त्तमानः य मात्र स्पति नचादेः परस्पेनी कारस्व भाव्यमितिवाच्या सूर्यतिष्यन्पतोयइत्येतत्संबधस्यैव लोपस्यानुवर्तनादिनिभावः॥ ॥इतिसिधां तरत्नाकरेचातुरर्थिकाः॥ शेष लत चिनिया सा शिरस्तान पाने वागविधा यकमित्यर्थः ननुलतांना वानस्पे दमित्यनेन चास्तु वादी नाम नभ साइत्यनेनदा राम वदादीनांसिः॥ तथाऽधिका रोप्येवं तथाहि प्रपत्यादिचतरथापर्यंतेषु घादीनी घुलती ३८५
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नांनिरनयेसउनजानार्थसाकल्यार्थानाधाबाईकाशालातपादीनांरधानामुत्करादिपाठे ॥ नन प्राचीनधर्थेषुधादयानपूवर्ततइतिज्ञापनाताअन्यथारदाच्छइत्येवसिकिंतनानवेत स्पदमित्पनेननषेधतिप्रसंगोडवासा अपत्यादीनामदर्थ - बचाता पादियटिजव्या विशेषत्वादितिवाचीतलिंगेनसामान्पशइस्पायितदनिका
तिलादेवधादीनामथसाकल्पलाभातकिव्जानाधिकारानंतर घादिएपठिनलेखनन प्राकपाठोप्यर्थसाकल्ये लिंगूतस्माद्यर्थतजमिनिचेतानाज्ञायक स्याद शिवायुतत्वेदापनादेवस्थानापाईकादिभ्योयदिधास्थानार्हचवरध्यामेवेतिविपरीननिय मत्पडवारत्वाचाअतएवफेछचत्पत्रवत्त्वसिष्यहीनायत्ययादयनिज्ञापयनीया कराकमपिनिरलोचानपादिशुगरमागालादिशकारकबोधार्थचानस्मादयन्पादिधपधा दानस्पथविध्यर्थचत्रमावश्यकीतनश्चाधिकारस्वैपिनकश्चिदायझपायनाहालका
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त
दम्
सिर. खरश्चेनिशैषिकान्मनुवर्थीयादिन्यप्पययन्त्रमितिमा वा विगृहीनादपीति वनमेवेति तत्रेय था ३८६ या संख्यायविशिष्ट वारणा न कुत्सिताइति बहुवी हिरविवचः । नियात ना को कद्भाव का चैत्राय संख्यानमिति प्रत्याख्येय कुल्याया तिचं कल्पायी जान को लेप 366 का दक्षिणा जतोऽव्यय एवदत्तिणाशगृघु । अव्ययसाहचर्यात निनदा शित्यन्य सर्चनानिवद्भावइत्याङ्गनतत्परतेय देनडिभिन्नयर मिनिप्रपंचतत्वाड पेयापा श्वान्यइति कथन पश्चात्रनेः कचैन घुमान नि। नच दिग्देश वा चिनियश्चासावकाशय कंकालवाचकान लोवा धेने परवा या दिवश्चादिति डिमचोडवीर पश्चात्त चैतानि पश्चात्रनाइति कथंचित्समाधेय। काविश्याः का पिशाश हायक स्पान्विन्यान्ड शतदाह । कापिशाचिनीति को क वो नामजनयतः प्राग्दीव्यतो राराप्रानं स्पाटा राम दयानिधुन वाधकान स्पेोद्देशेठचा नम्पको पधाद राशन तो पिपरत्वात् कद्याधारी प्राप्तेः नेनव्य ३६
सपू
नप
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को गौविधीयताकोयधन्वादेवाणिसिधेनछादिषपाठोमनुष्यनस्थपोरिनिवननिशंकव मवष्य इनिीमनुध्यनस्थयोरिनिवजाकृवितशकवतययतेसत्वपयाउनास्पादनाअमनुष्यग्रहीया अपवादेनजातंत्रव्यगणोबांधानाअगोयवाकवादित्वादेवनन्मिानहानिशानानायेगे संज्यप्रतिषेधलियदासातेनमध्यमिनमासिन्यवष्यविधीयतातिन कवकाबला त्पवनयकाविशेषविहिनष्ककारोबाधामादित्यागयारामित्याहाभाष्यपान्पयिष्याकम शाप गीलत्पनयमपिप्रत्यारव्यातमिनिदिशाकागादिव्यामिनिास्वविदित्सुत्लेन निर्देशोन्न छशग्रहणमितिभावअपाचादक्षिण दिशाहिनायोवाध्यकारानवदंत्योद्यायर्दियागयों शंदकत्पादौन थादर्शनादिनिनवारापागादयोऽस्मान्पनाअव्ययातिभित्राकनाउभयघाम याहग्रहामविशेषानासंस्कारा माननाइवत्पवनकालवाबिनायाशंशराघबाधिवापुरत्वान फकलोबोध्योविविपनदसमायनिहरमवश्चंन्पर्थववारचादित्वादजिनयदेलाबाम
N
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| मोयदेशिकत्वप्रतिपत्त्यर्थमूतेन घरे द्युस्तनमि नरे घुस्तनमित्यादौनषः।
स्पाहरन्यइतितत
सिरस खुशस्वाता यस्मिन विधिरित्यैव सिध्धेरादिग्रहण स्वात्किं गीतरातरानादेो किं । सर्पिस्मा ३८७ नभवनद्वकिंग्सत्तिरतितित स्यप्रतिषेधोवाच्यः । भिघरतरां निष्टाइति षत्वष्टुत्वेनन कार 367 प्रत्ययता महा नत्रभवत्यर्थः। श्रतराह तिहादाननाखिपोटाच वोध्यः । श्राहि नान्ययाऽभावेश सन्तोदात्तत्वं खी वेडीवोध्य॥ वच्यमाणा वि वित्तसा पंचिरं प्राहे इत्यनेनेनिशेषः । वपनइनिश्व स्तयेत्पत्रादिकवी सं ज्ञायामित्यत्रयंच त्वत्सम्प्रमीन्याशये रना यानिमिम्प |स्वरूप स्पपय याशी वा ग्रहांबवचन निदेशा किंवज्ञ नपुदवा एवायोर्वमइइति मजैकदेशेमश दस्पद्यते किश ट्रेनसामा नाधिकररायान दिनाथै निसमासः । माशां३त्येकदेशिसू मासो उदीच्या दिशां निनादी व्ययामा किमारामध्यदेशग्रामोयाबद्दचः किं धान पिपल्या राम दिडी तोजीशनोदानात्किं शार्कराधानं । शर्कराधानश देवा शहाकार दात्तः । इत्तरपद ३८१
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mainemama
A ATAN
दृ३ प्रहानिरेशालिस्वरस्पैवावस्थानानाशेवपुरमितिापस्यपुषहीनाचेतिकुलतनानवता दित्यनरनेशप्रस्थान राउदीच्ययामल हारोस्थानीयवादापस्यानादितिता नीतीउत्तमकर्णावस्या मारायलदिन्नादिषुबाहीकशयपताततीसिकशिप्राननवाधिलादायातमायबा धित्वाबाहीकयामेभ्यश्चेतिरनिटीग्रामोनो बाधित्वारोवाअगस्यहीतबाधकबाधनार्थमन्य थानिठीबाधित्वायथाग्रामखएवस्याताकापधादशाबसावकाप्रतिभावाय शल्लोमानभवायाकल्लोमानितिषतिभावस्मनगीनलोया यातना शास्त्रायमितिापूर्वसूत्रतस्येवूसभवादितिभावानाचाअपवादतिापनिASTI नाकादिश्यप्रत्ययौन शादियदसैज्ञार्थीप्सित्वादित्याशय नाहीनाभव इकारखधारणाथूतिउभयनजएवोउवधावियसिस्ताखाप्रत्ययविधाताकाश्यादिश्या। दादातिागास्त्रमिदोद्धान्याचारधादवेनिविदाचेन्याचामेनिविपरीतनियमनानाशा
नादयः
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तू ३
सिरख
338
वाचिनोवृद्धस्यवर्णातिस्याभावानाधच्चयोपधच्चेतिनस्वरूप पर्याययोर्ग्रह शाहदत्वासंमवादिशये ३८८ नाधन्च विशेषेति। ऐरावतधन्वनि समानौ मरुधन्वानावित्यत्र को शेयद्य पिपुंस्त्वमुक्तं तथापि श्रा ष्टकै नाम धन्वइतिभाव्य स्वपठॉली बनैवयुक्ते निभावः। उत्तरेोतिरोध त्वादिनिभावनाग राजा इति कत्र्यादिषुमा हिष्यतीतिसज्ञाशसाहचर्यात्संज्ञा भूतस्यैव नगरशह स्पटक जाना गरेय कइतिभाव्यमितिभावः॥ विभाषा कुरुयुगंधरार्थविभाषाग्रह |कुरुशाकछा दिया ठारपणा सिद्धादति प्राप्नोपिवामा वाधी निसए वा नेनविधेयः मनुष्यतस्थ योस्क परत्वान्नित्य वना कौरव को मनुष्यः कौरवकमस्यहसितं । मेवास्यक छादी पाठ। अन्यथा नवविभाष यावुन गोः सिडा किनेनेतिभावः । गृही दिभ्यः एभ्यादेश वाचिभ् स्पात पूर्वपत्तादिभ्यस्तदेश वा चित्वाभावे पियार सामर्थ्यामुपाश्वत सौरि नि गात्रमि राम दमुत्तर वचनत्रयमप्य्येवातत्राद्यादित्वान्सप्रम्येताभ्यात सिलान्यस्यै निसस्य लोपोयस्य निचेत्य ३.८८
तदर्थ ४
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त्या
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गार
कारस्यामुवतीयमिति मुखेज्ञाता दिन्यर्थः। देवस्य चति कुमित्यनु ष्यतास्वकीयमिति शहादे यह निगरा चास्वार्थिककन्ननाशाचः। नए वलव्यादिन्यत्रनहिस्वकीय स्पैन प्रत्याख्यानमि निन्यासकार केवलस्य सो मित्येव द्वारादीनाचेत्येचा स्वीयमित्यत्रतंत्राचीनाच्च नरशद्दत गहादित्वाद्यनशद्देनसमासस्वा कनिच नातरीय कमितिभवनि विना भूतमित्यर्थः।विश केनिस्पाप वा पर्वतीयइनि । पार्वती पैगोरभूदित्पत्रढछी नाषिको क् या भारहा डाइनिनप्रन्ययार्थस्प विशेषणां किं तु प्रकृत्यर्थस्येत्याह भारद्वाजेत्यादिना । मदस्मदो पद दीन चिति हत्वान्नित्येछेप्राप्रे व नगरपि विधानार्थ मिदायतेारीता न्यन र स्पा ग्रहशा दिनिभाव तथा चविधेयप्रत्ययस्यत्रित्वाद्वै सम्पाघथा सव्यनवयोरिनिएकवचने तवकममका देश विधाना दिहद्दिवचन बहुवचनाने नविग्रहात स्मिन्नरीचा निमिनयोरा देशीय तिन यथा व्यावज शो। रिति वक्तव्यष्टयग्विभक्तिनिर्देशान्नान्यादेश यो रूपया संख्यमपवान का पूर्ववदेवे हायियथासंख्य
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सिरस बाहयाप्रत्ययानरपदान्वन्सुत्रश्यादावनर्मिनीविभक्तिमाश्रिपत्वमावेकवचनइत्पवृसिंहेनरंगानाप ३८८ विधीनबहिरंगोलुकबाधनइतिज्ञायनामिदात्रीपासवीटजवाच्याबालेयाईिकागोमताधिक 384
स्परावाआयसव्यानिकस्पनीयवादापरावराधमानमभ्पदन्यवक्तव्यलयहरोपर्वविप्रतिष धरचनातिनदिन शहापापरावराभ्यामईशहनसमासेतरस्त्रयानावपिठन्यतौबाधिलाय देवभवनिपराअवेराहनादिकंवदिकायदाददाताहजस्याचाधनाअसायनिक संयूनान्स व्यर्यन्यायवर्तताअनावश्वराजातिरिकापडात्रा सवारपसंप्रतियज्ञायपंचरात्यत्रतथादर्शना नानन्ःनोनानिरिकासमन्यथातन प्रज्ञादित्वात्स्वार्थ रणविनयादिवास्वार्थठनातनसायनसीपनि कमितियपीयोहदानी मित्यर्थचयसिमेवएनाहिसंमतीदानीमतिकोशातादीयातासमुइसमयान नसमुद्राअनुत्समयेत्यव्य भावान सप्रम्पंतविधमानक्रियादाराहीयविशेषामित्याशय नाही राम समुद्रसमीययोडीयातिकबाघमनुष्यबुनश्चायवादाअनुसमुद्रकिादेयमन्पढयकामनुष्य ३८
यापूर
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कालाजास्वरूपस्पैवडनग्रहणसिंधिवलादिसत्रासंधिवलाप्रयोदशीचईशीपमतिभ्योऽद्देश्य उजबांधनाथादरािवधानातार्किकालवाचिनामेवेन्याहाकालवाचिभ्यरतियन्नुस्वतपस्या याचिग्रहानभूवनी तिहतियमजरीन्यासादावनातनाकालिकासंबंधाकालिकीयानिार त्यादिप्रयोगानायनासायानिक पानापुनिकतनसहिनइत्यत्रत्पभाष्यविरोधाडतज्ञायका स्वयमात्रग्रहरा निरासकवनापिसाफल्पाचागोरामुख्यन्यायश्वहाँश्राय सहिवाला नाम स्त्रेकालेननवविशेषगाराव्यासापरवदमसायुक्तकालसुष्मादिशहानाभाक्तत्वातलब विशेषतिशास्वविभूतयवाल्यायकवतिनकावधायिकाबाहयलालिकामपादिसिद्धाकदवस ज्ञाश्रदाचीम्पनिमत्तथैवाश्रिद्धावान्पुरुषजनराधने नाभधानीमायूमारा पियकमीत्यर्थाप
भधानाताशीवस्तिकामानानवरंगत्व उटिनस्पप्रत्पयादित्वाभावान्कर्मठइत्पत्रेवेकादशानस्पादोगत्वननस्पबहिरंगत्वानांवकितिक्रिपमा
भन्स्या३
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ति४
390
प्रत्यक्ष सिरस गकादेशप्रसंगनिचेसपाचादिषुठचश्चित्वनीनरंगमयीकोशोवाधनइतिज्ञायनान्नदोमांस
धिवापरण्यहोवछबाधना अन्पथासंधिवलादिम्पायथाविहितयोभवती उक्तयोगीमासीश "दाहाबाच्छा स्पोतावचनवजीवाधनार्थस्यादितिभावानिधूमिनिनिष्यानवादावराजनितश्राव छाकलुनालुकस्पातनिधेष्ययोनक्षवाराणनियतिध्येतिस्त्रस्ववचनाघलोपाम्राहाका वसायवादापवतीतियास्ट्रांनाहित्धीनदीधारापनाचियगिलोयालाययलोयेषुपाहर्षण इत्यस्यश्रवणकारोबाराीसर्वत्राहिम नादितिएतच्चहेमनश्चिनिख्वादनुर नामात होवाचनलाईनइनिनादलोपहिमनामनिवालापामावानस्पसवारचापागाराम भावा हेमनामानातशलोय बितिपूछातभावास्पपल्लोयनेस्याभीयत्वेनासिहत्वानस्थिानिय संनियोगशिष्टत्वाना अनिलन/दसिठनावसनाच्चाहेमनाचा दसीत्वैवाहिसर्वत्रग्रहण
सालापानिपडावाचनमान्दा
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मपुष्यतॆातही जंत्वस्वरितत्नादेन छंदसीत्यस्य निवृत्तिसंभूवे पुनः सर्वत्रग्रहणामेवानेन हैम नहेमंत मिनिला के पित्रे सिद्धमिन्याहाहर तक सर्वत्रा राचेच निस्तत्रस्य भाष्ये प्रत्याख्या तत्तादिभाष्य विरुद्ध तथा हि हिमनशाय्यस्ति है मन्त्रागनी विशेषविहितेन गतिक वित्यादिए हिमनशाय सिधुवा नाभ्यामत्वाशी हैमन है मंतमिति लोकरूपये व देठातीय। न च विशेष विहितैनठचा शो। बाधू शक्यः। छंद सिसर्ववि धीनी वैकल्पिक त्वात्। तस्मा लेकिन यह यमेवेत्याह । न व्याप्येवं । व स्तन स्तफलभेदे प्रत्याख्यानायो गाडेर्मता ज्ञेतिस्तत्रे छेद सातिनितमित्येव भाष्यरून स्नात्यर्यमुन्नयाचे नर्वशोच कर्मशाला के पि मनमितिया दमिनिनकिं चिद्भाष्य विरुद्ध मिनिदिका साथ निरानयोरिति ज्ञना देशयेोरित्यर्थः । एनच चकाराल्लब्ध अन्यथा मृत्युरित्यत्रे वांगस्प निर्मित यो मुस्प विधीयमानोऽना देशो न स्यात्। अंतरंगे खटि सति युइत्यस्या तथा वारान चतं स्वकरः॥
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माप्रित्ययसनियागाजियसमाविमनसवाडिस्पिटायायासिद्धानियमा रामू
सिरस नस्पश्वंनिवेनविसगीभावान्यातस्तनमित्यादीसत्वापसंगारतिभावात्रैवार्थज्ञापकमध्याहाय ३६१
निघतनेतियादिशहेनघकालननेधिनियाछमिनिनव्या सार्थतनमिनिस्पनर्धनिसायशहोऽकारीत
लस्पप्रत्ययसन्नियोगेनमातत्वनियात्पनइनिवानिककालभाध्यकारतमानांव्ययमाश्रित्येसाय 311 साप्रपाचयानचैवसायशद्वारकालाइज्यनिष्ठप्रसंगानस्पकालवाचिवाभावादभिधानाचाचि नर
रस्थाषिप्रत्ययसनियोगेनमाननानिपान्यतावसानसाचिरमिनिस्वरादीयाठाययत्वादेवसिडेसने व्यथीनचादताच्चिरशनपसमानिनबाधाएदेतर्वचतिीप्राहासठिाऽस्यत्याघKजानाघ कालतनधित्यलुकापिसिधीमनिनिधाननसमवईश्नांचिरनमिनिस्लवचिरशदायादानाद्यध लावपिनायतपूर्वस्मिवत्सरोयरातिपूर्वतरोप्रयादिौडिवस्पष्टाधीतत्रजातानिनुशेषज्ञत्यस्य लक्षावाचावयपाश्रावणःशद्धपादाविवजानादिवर्थवादयासिद्धानाधकारावधादा
यानचनातादिवेवासाद्यद्रतिनियमार्थनानाघधानिश इनिवाच्याचाषाघसिधनियमाशा थन्चायोगानासमविभक्तिरपिसामयीदेवलथ्यानेचधारीतइत्पाटनीयायथानवाने शनस्पनर
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निदिक् । संज्ञायं शरद/ प्रकृतिप्रत्ययान्तेनसंज्ञा गम्यतइत्यर्थः । संज्ञायां किम्) शारदंसस्यम् संज्ञायामित्यशितल २४
चैत्वनभिधानान्नतद्दिनानस्माज्जाताद्यर्थ निर्देशो निष्फलइतिचेन प्रादृष्ष्ठ वित्याद्ययवादार्थनदा वश्यक चान्येन निरपवादार्थनिर्देशाः कलुद्दीन कुशलाइत्यादयस्तु व्यथीए व वेत्यन त्पर्यनमनुवर्ततइति केचिदितिवृतिकता पर है मनइतिहि मनस्पापरइति विग्रहे पूर्वापराधरोत्तरेत्येक देशिसमासः पूर्वाखिति तद्दिनार्थसमा नाचिनः शहनिमित्तकप्रत्ययविधा नेत्तदंत विधिवाच्यः सचेह व्यवयवेभ्यःपरइत्यर्थः पूर्वत्रे निपूर्ववार्षिक पर हैमनइन्पत्रात वर्षाभ्यष्ठक किं पूर्वप्राप्राषए रायइत्यत्रतर्दन विद्यभावाहवाह त्वितियौवव किइत्यत्र तथा चहका लाठ्ठ नितिठञेवावयवत्वाभावादि तान्यथापूर्वस्व वर्षानितिसामाना स्पादिनिभावः। जनयदन वध्योरितिनिस्मिन्न वर्तमानेऽर धादयी न्यूने नेत्पर्थः । रर्वाहकइति॥ विभाषारवी हायरा हा भ्यामित्यस्यापवादः। श्राई कामूल कइति। नक्षत्रापवादः प्रदोषक
निशाप्रदोषापचेन्
स्करकइतिश्री
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खसर्गिकस्पारा अमावास्यायासिंधिवलाघशोय वादाअमावस्पदन्यतरस्यामित्यत्रामाश्वी साप ३१ तिहदीयाहस्वंदनियात्यनइत्यमांचस्यांपादस्यापि स्वायधस्ययहीप्रकृतिग्रहरीविनयह 347 सातान्विहरूसधवलादिपचहत्वोपर्धयनिने पादांघीयधस्यनस्यान विकृतियहीयते
यहादितिहरदनादयविस्कतकरद्धिप्रकृतिभनस्टहानुकरशदखायध्याठोयिसमथीय उदंशकातिने त्याचाच्यमावास्पातादादकाश्यत्ययस्यान्राअपमधिर्ववाभाभ्यांवोध्यः अशाजाचायथासव्यायोगविभागाभाविद्याइहसत्रस्वातशहादस्वातशतवैय्यहरदनाद यादी/नश्यतसातत्पगमन निधातामाधूवारत्यादीतिअनुराधास्वातितिध्यापुनर्वत। हस्त्राविशाखाअषानाबालालर्निकावाचीबहलाशदृष्टागनलस्यसमाहारहनस्वनिई शस्वउपसव्यानमानीलुकातिशयाचित्रतिालुक्तदिननि लुकियुनापाननुरेखूतीनवगाहे रामना रानिवइनिंगौरादौयादिहचानयोनक्षत्रवाचिवाभावोन्डीमनस्यादिपाशवाहापिप्पल्यादेवितार
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इ.५
ठानावितियनयोविधानसामर्थ्यान्नलका छाना गोशालेन्यत्रविभाषासेनेति नपुंसकत्वस्व स्वान साहचर्यीवर शालेय्वा खीवय से पिलिंग विशिष्टपरिभाषया लुकसिद्धिः। दीर्घयापिए कदेशविकृत न्यायेनेष्ट सिद्धावपि लाघवार्थद्र स्वयाठः वत्सशालइति वत्सशालायां जानइत्यपि वीध्यानपुंसकमितिशे माइत्यादी निश्रभिजिता भिजिनः। अयु । श्राश्वयुजानल ब्धाननुकून की न नानलब्धत्वव्याप्येइनिकिंनयोर्य होना सत्यं तन्व कीन त्वय कारक बोधे पिप्रन्ययार्थतत्तएवजाने लगा जामयिक नीनयोर्नलुकू प्राय कादाचित्क भवना श्रयः प्रायभवस्तत्रभवति नासिध्यतीनिभावः । भाव प्रत्याख्यानमेतत् प्रायभवह मनर्थकनत्रभूवनत्वा दिजाय जान्वादयस्त्रयो पिसामीप्येऽव्ययीभावाः। सोयु स्वातंत्रा दिना संभावनाधारा दधियस्पयरिमाणानतिरश्वाश्रयतेत्र संभाव्य नेतत्परिमाणानतिरिक्तः सेनादिवत्यर्थः। कोशान्। कौशेयमिति वस्त्र विशे
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सिरस येतोयाकोशसंभवस्कतकार्यवादाभिप्रायेण कार्याननिदशायामधिकारशात्मनेवकार्य ३२ मस्लिानरसनजन्यनिरिनितास्यादयअितएवूनत्रसंभवनायिकमिर्चकोशेषपदशक्यावानि 343
कलनाविकारेकाशासभनयथानुययतिरित्यक्तावशधिकादिमननेदादिकारपकराया उजित्यस्पानतरकोशाचनियामितिनदयाननचालकालानाववक्षितसदाहनिप्पनशन फिलेलुगिन्यगोलुकायानावबराअवराधामोसमाचेतिकर्मधारयोसंवत्सवाचासमाश प्रयोगविभागउतरायाश्चयज्यानस्वराथनखार्थऋदियाकांकिमामासेदेपाभिलाफ लमधन्यइनि। हामवरस्यादिग्वाविवाहिशसंख्पसज्ञामिवेनिनियंमाभावामावरसमकामिति।
आगामिवत्सराशामाधेवंसरदैयमित्पर्य अनीनवसरेदेयं यदायिनद नदित्यन्त विसरविनिवत पठच्याहीसंधिवलादिधुसंवत्सराफलयोरिनियादात्यलेक्शावनाविव राम् हितेशीबाधित्वा वयथास्पादिनितिदस्पषथमोनासोठोयाधिकावर्थतार्थशादयास्त्र३३
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तत्रगतम् स्येनिशेषषधीनकनगिनलोकेतिनिषेधानासाठमभ्पनचकालेबाधानन्सहचरिताध्ययनवि ययकमित्यशयेनाहानिशासहचरितमिनितिभाकालादिनिनिरताकालाधिकारसवक्षनत्र ग्रहगानिस्तयुनत्तत्रग्रहणातानचतादत्यनेवित्रिवान्नादितिवायानंस्थान्यत्रायल पठन्वानाइहमवनसमानजन्मान्त्रजानइत्यवासादिगणादिभ्योग्मुखंबंधनयोशियार शरारावयवाधासनण्यामुखजघनचभवमुखाचन्याहदकासज्ञायामिनिगशास्त्राउ शरीराअगोयवादाबदाईबयरवाहाधतापादेभवपघायघत्यनदथेतियताकवेयोनी रस्यानिनिरकशाकवाशरीरावयवस्यशरीरावयवत्वाभावावाइनिङतिहानिर्मिविकास शरीरावयवश्वाङतिशहा धमादित्वादुनियननेनठाकलशानार्दडाहतंक टमयिगोरसत्यमव्याख्यायाकलाशमथयात्रामसकारातभावानामरधतिअधस्तनासशरीरा वयवात्य प्रस्तातिनिउनपनियकौनियानःसचनिडतेतुल्यार्थोभिन्नार्थश्नांअमितारन्या
समुदाय
22
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हत्य४ मदर ग्रीवाम्यः ९ सिरख धानिमानित्यने धनवानित्यर्थः॥ हविशेषाडुभयोर्यहरा ग्रीवाशोधमनीवावने ३४ नावयवभेदविवक्षायाववचनांता तिरोहितावयवैदिन सायांन्वेकवच नाता चार ठञो भवन एवं गंभीरतायचजना चवाचा पांचजन्य श्रव्ययीभावाच्चादि गाद्य नतरं परिमुखादिग रापठित 394 स्पच सूत्रकृताप्रयोजन विशिष्प नोक्त मनई मूव्ययीभाव यदेतन्मात्रपरमित्याशयेनाह परिम खादिभ्यएवेतिग्यरिमुखादिभ्यइत्येव वक्तव्येऽव्ययीभावग्रहणामुत्तरार्थमितिभावः । शारह व्या प्राविन्पत्रप्रति शाखंभ वंप्रातिशाख्यमित्युक्तेः प्रतिशास्खोप बोध्यतः । नर्वेश्म् मितिःविभक्ताऽव्ययीभावत्वाचाखपाश्चेतसोरीयोवाच्यः कुजन स्पयरस्यचे तिवार्तिकंपनुग हा दिपारस्यै वप्रपंच नामध्य मध्य दिनचे तिवाच्च मध्यशोमध्य मिपादेशे दिन प्रत्यपंचायघनइत्यर्थः । मध्ये दिनाभरायोवाच्या माध्यमामध्यायः स्वालवं राम क्रव्याश्रश्वत्था निभवः श्रश्वत्थामानकारइत्पप्रत्ययस्पायं लुका आकृतिगाइति। तेन ३२४
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दभिकः दमशयरत धच्संनियोगे ईशद्दस्पमानत्वनियान्यनो और्धदेहिक मित्यादिसिधाक शीललाटान् रेकिंकिराया ललाई स्पव्याख्यानः । इतिविद्यार्थयरामकः । तत्समीपेश्य माराश्वकारो प्रभवइतिवाक्यार्थमेवालियति । इनिशद्दाभावे हि प्रन्ययार्थसन्निधौ श्रूयमाणो भवत्य अन्ययार्थमेवा तत्षष्ठ्यतादेव भवार्थविप्रत्ययस्यादितिभावः। नचतंत्र भवतस्यद मित्याभ्याम मसिहं । युगपदर्थद्दय निर्देशस्पर प्राद्यपवादार्थमावश्यकत्वात् ततः श्रास्यविध्यर्थच मदिनानुयय त्रीव्याख्यातव्यवाचकालवेयं नाद्याख्यानर्थे सप्रम्यंताच्च भवार्थेयथाविहितं प्रत्ययाः सो पति चाद यो हिशालझर स्यानव्यस्य यथस्य नामानि प्रतियादका त्यर्थः । शौवेन्पाय है बीजाभावात व्याख्यातव्यनाम्नः किं घार लिपुत्र स्पव्याख्यानी को सलाापार लियु त्रहितया व्याख्या मोदकसंनिवेशविशिष्टमिति न चेदं व्याख्यानव्य स्पना मव्याख्यानव्यत्व स्पयं थए वप्रसि। एन नामग्रहणलब्धमितिदिकावचा प्रोऽपचादादान पर चाबाधने सामसंनामशास्त्रात स्पव्या
नी४
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वा सि-रखानसामलिकाबकचकिासोयडायच्नुनप्रसुदाहरणायनबामगतिठकीवल्पमाणत्वानात्री इप नैवसि अनिशमनिअमेमिनिःसोमायस्मिन्निनिवडवीहियरादिश्चयरांनश्वसनादानाया ३६५ दाताकासाहतागतिलानन्याधुदान संहिताशवानग्रहणं यावदनुदातेतिवनदंतविधि उदयस्मिनिनियेयाबाडुलकादधिकरणीयतावानायगावशेषानस्पयेयौवाजययूछतरपद्य,
लनिखरेगामध्यादाताकतवाचिनोतियातियायथेने असीमकमाहानावयनिकातिनचैवी हिभिर्यज्ञानवयनाययगक करातेनिसमासेशनरयदप्रतिस्वरेगीतादाताया नैतीदाननिानववर्मनिशमनवयौवथमुदाहनाविनिवेताअन्यार्थमयाद नादानधाय परत्वात्पवनतन्याशय नतिरहांगा अध्यायमुपयिमत्ररित्र विशवायसिइलथायिस नग्रहानेविप्रवराध्याय पठितवचन्ए वलत्पाउराधादिनिरनिकहरदनादया सर्ववाक्यसां राम, बधारणामिमिजापपिठमेवकायपाडादेविकाअंगस्पतिवननेचामादेस्वानिचादेविकादिय३६५
o Dharmartha Trast vak. Diglized by eGangott
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हूशांन्वादेचेोविशेषशांनत्वंग स्यांगस्याचामादेरच चकारः स्यात्सचेद्देविकादीनांसंबंधीत्प अर्थइत्याशयेनौदाहरनि। दाविका कूलाइ तयोरोडाश पुरौदा श्यनेदीय नइनियुरोडाशः कर्मणि घनट बोदरादित्वात्समासोदस्पश्च षोडषथः पौरोडाशिकी स वेति। प्रज्ञादित्वा स्वार्थी निभाकाह साजुलहाशास्यठको ऽपवादः । इहार्थयोः प्रत्ययाभ्यायया संख्यनेष्यते । चातुटक तिथि वीहे। ताद्यैौर धर्युरित्यादिमत्रस्य चतु हैटिश होनामधेयं इत्यादीति प्राथमिकः। रिकाम्पोस् रशकः। नामाख्या तय हा संघात विगृ हीतार्थी मिनिवर्तिका ना गतिकः। नामिकः। ख्याति काद्यचत्वादिवनाशात्सस्यानाथ वचन गाउँ रिति यादिना श्रायन निश्रयनइत्यत्र भावेल्युट् तन समासेनी भावकर्मवचन इत्पतोदात्रः भक्त्यायेथे वत्तिः। इह वह चो तो दानादिति प्राप्राविद्या न्याय शिज्ञेत्यादिभ्योद्यच वाहक यह गांवा नाथा श्रन्यथा वास्तविद्यावै पाकरया इत्यादीठ का मुक्ते पिछो डुवीर इतिभावःाठ स्वामियाना मायायः सर्प म
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द्वा३
सिरह इत्पधनेनदायस्णनास्वरयग्रहरानुनबङ्गवचन निर्देशातावाद्यउपरत्नाहाधनोत्रा २२६ वैधवाविपचवज्यानाशायवाद छपरवाधनोप्राचार्य नामावलकातनाव
मायाताकाविधायोनिविघासंबंधवाचिभ्यायोनिस 396 जापवादतिविद्यायनि सभ्यइत्यनुवर्ततिभावाजिवजित्यचति तयरकरगीठजयहरी,
चचित्यमितिहरंदनादयानच्यालयटकीविधेत्यत्रडीबठञानचंत्रिीयत्रकचहशान्तान्तशियाशीनाशोत्पसिनबंधकग्रहगो अवैधेस्याग्रहगचित्पमित्पाङगतच्चिन्य। असदेहयरिभाषानपसिनाप्रतिच्यस्पर्कजिन्यायदेशिकहर्मनस्यतामिनिस्पष्टमेवाअन्य थाजशासो शिरित्यत्रापिनद्वितस्पशाग्रहराायने नवसायीनिस्तारान्याययितयावचन स्पंवलीयत्वानागोत्रादकागावप्रत्ययानार्दकवत्प्रत्ययाः स्युबिदमित्यादिसिंघाकेपायुदेव राम टस्पसर्वस्यानिदेशोनप्रतिपदाकस्पराएवाव्यात्यानादित्पाशेयैनौदाहरनिनीयगवेकमिनि। ३४१
कप
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गोत्रचरशादिनिकुञासहियघयितस्येदमित्यर्थेविहितसथायित्रज्यनि नादन्यत्रांकेवि दृष्टइनिभावानुमतासमादिति विभाषायसाइत्यत्रविभातियोगविभागादगुणवचनादपिहर नार्युचमी मनुष्यग्रहणामहवनस्पोदाहरतिदेिवदारयामययोगविभागायथासाव्याण साथ विरानविय तिदिन्यमध्यायशाहलवताननमूहन्युमध्यानडलवतास्यादैनतावाल वायडियर्वनादूसायभवतिविहरायानगरसद्धियनेश्त्य संगति सत्यीवालवायशहाविद्ध रादेशलभने त्रिविषयैतत्समानार्थप्ररुपनरीजचभाष्योबालवायवि चमकत्येनरम ववानिवैतुत्रेनिचेद्रयाजिन्दरीवंडपाचदितिविजिएवंहिवाराणसी जिलरीतिव्य वहति। नान्यद्दद्वपाकराएवविदरबाडेनवालवायव्यवहरतीत्यतराहातावानीनदिति दिनाांनाइनश्विाच्येयापथपत्पर्यास्यानासचेनार्यथाडूतोवाखोघ्रपंथाइतिकरस्पाथि कटीवविज्ञायांयंमाकनी अभिनिाउघ्राभिमुखनयानिर्गमनेकरणास्यकत्विविक्तायादा
वाप
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३७
सिरसरंकीबधिहत्याएनदयतयानहिलिदिनीयान हाधितन्यायाधिकाहितीयांनान्नेर्थेपत्यूयास्या
नया सोहनःस योशारीरकमितिा जीवामपूधाम वाणिस्वार्थकाशारीरकीयइनित्र
यातोत्रमजिज्ञासेन्याधध्यायचतष्यमित्यर्थाशकंदाइहदेवारादिभ्यानमिवाच्य 345 मिनिवानिकीदेवासरोरालालरात्राकृनिगरमाइनितिनविरुदमोजनीयमध्यायव्याख्यास्या
मइत्यादिसिदशिवनंदादीनांत्रमागीयहरव्यथाईदजननादराकृतिगाबादेवसिह वार्निक मौवाहनिगरोधिनी व्यवस्वानानासोस्यानिवसत्यस्मित्रिनिनिवासाअस्येस बकरिषष्ठतिनविशेषराविशेष्यभावव्यूत्यासनस्तघ्रादिकरयाकंवासाश्रायवेवशतिहत्य थावासस्पंचंतनकः कृत्वातत्यकारकबोधार्थमिदातोननवभवश्यनेनगतार्थनाभव नस्पचननाचननकलकत्वननाप्रकारकावास वारावसनिहिप्रेमिशायशानवकनीन्पादीवरम सनिक्किाअभिजनोमनायनेयम्पनियुत्पन्या भिजनायिवादय संबधिनिदेशेतुमचा:३६०
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कोशनीनिवजानगअनवननिवाससामानाधिकररायादिनिभावापधजीनियवनइनिप्रति विशेषामित्याहायर्वतवाचिन इनिायवनादिनियंचम्पतयाठीय्यातिहरदनेनंतथैवव्याख्या
तत्वातायाधजीविभ्पइत्येवानादयेचतात्तानभिधावंप्रन्ययस्यादित्यातदतच द् नयंत्राहारवामितिीशालानरीयतिातालव्यादियाठोरतिग्रंथाकोलभेवदत्यादिपाठावाज देवाटागोरयवादाननुवरुदेवस्पायत्वाखदेवाध्यधकेल्यूसरातथाच गोत्रतत्रिया यतिबजैवसिधेकिंबुनाहवाहनो स्वतूपयोरविशेषातानवीयधायाइनियंवद्रावान धोप्रिसिद्धएवनिचित्रासजवानव भगवनप्रतिभाष्यातचीख देवशरस्पगोवत्तत्रियाभावा सर्वत्रासौसमसीचवसापत्र निवैयनातनोसोवाखदेवेतिविनियरिगीयन इनिस्टनेश्व अल्पाचनरस्यपूर्वनियाताकांमभ्यहि नवनियततीतिज्ञापनोथीगोत्तवियागपत्र त्यानेभ्यन्तत्रियवाचिभ्यश्चभक्तिरित्यज्योनारव्याग्रहगोपसिंधतात्रय
ग्र
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मूके बीजून
तिर
सिरख भूरसत्रियइन्यादौमा भूत् बहुलग्रहणान्नेहा पाणिनो मतिरस्वपाणिनीयो। तत्रियमुदा ३८ट हरनाकुल कुछ नि। जनय दिनांक निश्चेतिएनन् सर्वग्रह शाल धान्यथामाधा न्यान्य न्य्यर वौदिशेपते निभावः तत्फलं चद्धि निर्मित वनादिषु विशेषाभावान्मह 398 ज्याकपेवान घथा घमगधेत्याणिमदस्यायन्यं माड-हडे दिनित्र्यङि हजेरय पवार्डमा माडीवा भक्तिरस्पमकः । हजिकहमाद्रवाज्यर्श योर्मद्रहजिशदावनिदिष्टशब ६५ इत्वेतद्राजन्वालु किमद्राम्भक्तिरस्येति विग्रहे मद्रकइति तद्वात्यैवेतिसर्वग्रहणामनर्थ कंस्यादत्ता है क्योर दा हरशामुक्त गाजनय देति । दृष्टशतप्रदर्शनमिदा उदाहरशा माह। मेगाः सत्रियाइतिश्री कन वृद्धादयी नायौरा राजेतिपत्येोरवक्तव्यइत्य रा। पुरुश दोन जनयद वा चीतिभावः । बहुवचने कि । एकवचनद्विवचनयोः सत्ययिशभेदे राम निदेशो यथास्यात नैनवां गोवा गोवा भक्तिरस्य वांगकइत्यत्रायिवुन्तिधः। वतन हो कयाः ३८८
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घश्
महत्पतिदेशात्सर्वग्रहरणान्न न्सि दौचिंत्पप्रयोजनमे नातेनयतं अध्यापनेनार्थप्रकाश ने नवा प्रकाशिनंप्रोक्तं यस्वमुन्या दिनं कृतमितिन योर्भेदः। निनिशिगोयवादः। तूं सिवा च्यएवाय द्वशिष्यते। शौनकादिभ्यश्च दसीत्यत्रास्थानक नाते नेहा तित्तिरिया प्रोत इहाराायि नानभिधानादिति हरदत्त्रतद्विषयते नियदिमुरव्यमेवछं दस्तदायुक्ते वसाय दिव पस्तत्रेषुगौ या छेदी व्यवहारस्तदाशौनकादिभ्यइत्यत्रात्तिसामर्थ्यादेवसा। दो बाह नीन्पत्रच का रोक्न समुच्चयार्थ इन्फक्त वादा। काश्यप कौशिका चतराधीनचेहा पिहधिनिमित्नस्पति युवद्वावप्रतिषेधः फलमितिवाच्या ध्मेन्टवेदियत्पयविषयत्वेन स्त्रिया महत्नेश्वर गावाज्जान श्चेति निषेधस्पापिनु वचत्त्वाचा कल्पसूत्रे पितद्विषयताभवत्येवे फक्त कलाशियवादः। उ परत्वाद्वाधना कलाय्यनेना सभ्यइनिनि चहरि दुगली बुलइति चत्वारएवा वैशयायनीत वासिभ्यइनिनेि चाचा लवि। कलिंगा कमलास चाभा आहे. शिताय श्यामायना कठ कलाया निना
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सलमाष्यकैयरविरुद्धमातयाज्ञवल्क्यादिभ्यःपतिबेधइतिववनाधयाना सिम वैवानवगलिनोठिनुकंवहपनिीकठालकोकलापिनचारांगाइहसानाछियाएवानाननपशिया३ अपितथाहि वैशयायनांतेवासीकलापानथाचवेशयायनपशिष्यत्वादेवसिद्देकलापिग्रहशामुक्त 24वलिंगमेवानथाचवेशयायनातेवासीकठस्तदंतेवासीरवाडायनस्तस्यशोनकादियाठीमुक्ते
थलिंगमित्यवधेयायाज्ञवल्कानीति गादियजनावरावादिस्योगोत्रइत्ययाजवषादयो याधुनिकाऽतिभारनपमिशिस्त्रकाराप्पाशाश्रयानिमाकोशोनकादिभ्यश्चैदसानिगिनती धायकंमत्रमिदेववछयुक्ताहांदोग्रहणासभिधेयसमयकैनवलोकव्यावनीअतस्वशौनकी याशिताइत्यत्रागाननतिकौस्तभेप्रत्युदाहतमतामूलकूतावैदिकंप्रक्रियायामस्यलेखनपामादिकमेवेन्यवधेयाकडनिवेशयायनातेवासिंचामिनेलाचरकंडानाश्रोसनिकस्या शोलेकाअधेत्रणास्कयोकॉलझाईदासवाचाइत्येवतेनेहनकाला लोकाकिलापिना वैशंया राम यनानवासिवायानस्पतिरानेरयवादाविंदसास्यैवाउनेस्तद्दिषयतथ्यतइत्याहांधीयानातिइन २८
१२
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ह२
रापनपत्पानिपततिभावेगानाहानानस्पतिलगलिनाकलापनेवामित्वात्यानस्पगिनेरयवा दुःअधीयन इनिछंद्रोधिकारानहिषयवंडोदोब्राह्मगानीन्यूछेदागास्वपततेनंनदधिको तेष्वपितदविरुद्धमनिभावःगमाराशय पूराशरोहीवेगगादियाघनाइहस्त्रन्वनेतरापत्य भानामिास्वमितिविदानस्वामित्पyाई दोधिकारादाहायुधायनइति कर्मदाहा ये घदीग्रहणानुवर्तनादाहाअधीमूनइ नितिनैकदिवतिनयहाछदाधिकारनिहत्यीय कादागातासमानागित्यर्थ सादामिनानिन्नित्यागप्रकृतिभावाग्यज्ञानाउयदेशविनामा नमुपज्ञानानेथैतनत्यवानस्पेदोघडीसमर्थात्संबधिनिवाऽशादय: पंचमहोत्संगीधा दयवस्थमंत्रानंतरा दिनांनामधानातावक्तंचाअनतरादितनिधीवक्तव्यातीवहतः। चानिकमिदोवरितिस्तुरचो सामान्पाहणाप्रक्रियावाववादरसिदत्वादिरिननोनिमा भावानहलादिाइडथमिदमानुरागीवसिक्षागाधशिरोगहस्वानंयत्रायाधाविष्टमी
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॥ माष्येतुरञ्जिवस्थितः। श्रञविधानंतु, जीव ।।२
सि.स्स्व नराधिति विशाग्रीतात्मना तत्यत्रछांदसंहस्वत्वं । श्रामीघ्रमितिश्रनोदात्ताय ४०० पिबानी क्षात्रवभागस्येत्य वाद्यदानन्वन्वानीध साधारणादिवन व्यइति स्वार्थिकेना जो समिधा माधानाकर्मशषष्ठी। समित्क में काधानकर [रावाच्यइत्यर्थः। ययासमिध्यतेविसास ५०० मित्रासेयदादित्वात्करण किए सामिधेनीतिसमदाभी यतिययात्राचा सत्य शोषित्वान्डी शहस्ताद्वतैनिय लोपः। रथाद्यनारथा ३था गइति वार्तिकमभिप्रेत्या हा रथ्यचक्रमितन वयं वो येोध्यता तथा ट्रस्य वाथ्य इत्यत्रा सिद्धत्वात्तदहतीत्यत्र रथग्रह व्ययमितिचेन्नइयो रथ या रंग हिरयमित्यनेन द्वौ रथो वहनीत्यर्थ हि रथ्य मित्यत्रापि दिगो लग यन्य इति लुप्रसंगाता रथ सीताह ले भ्यायहि धान देतविधेरुपसंख्यानाद्यान चहिंगोलुन पात्प चाचीयक घशाप से विरथमित्यत्र लगनु ययन्त्र तिबाच्याततीत्यत्र रथग्रहगोना स्पहलादेरपि राम प्राग्दीव्यतीयस्यनुमानातानाची अशोऽपवादः पत्रेत्यर्थग्रहणा मिनरयोः स्वययहाँ ४००
सर
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व्याख्यानादितिहरदतादाराअगोपवादाछपरवाहाधनोकाकोलकिकेतिाकाकोलकस्यवैविरोधइत्यर्थाउन्ननलियोकुन्सेतिकित्सकुशिकयोमयुनिका विवाहयासंबंधइत्यर्थ मिश नकर्ममनिकामनोज्ञादिचाहुनाउननस्यखभानास्त्रीनीमियनंचदंपतीदिदेवासनिास निच्चवरएनयनांगेवचरणाताअगोयवादानुपरवाहांधतासंघाकापर्वस्पोपवादात्री नादयोगोत्रप्रत्ययाएवगोतागोत्रग्रहणानुहनेरितिहरदनाघोषनितिए यथासयनवैषम्या ताप्रवनयालसाप्रत्ययाधीवशेषगानिचत्वारिधोषोभीरखानापरयलियथागवादिनिधासब वस्वामिनागोहारकासासाहितिायथाविदानाविधायधपिकलंकीकोलाछनचचिह्नलमगलत गामितिकोशादनयोयीपावनथापाहतोयगुपादानाहिशेषपूरचमिनिभावनातवंडीवर्थवड़ा विधार्थचावदीघायस्थ
पथारीदागासघादयो नाछिंदीगादिश्याज्यास्यास्पद
यदीसगिकारावार्थवादाधमी
बध्यसाधार
ENE
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रोपाइतिनिपाठोऽपपाटोले ४
40/
सिरख श्राप किंछांदोगकुलारैव निकाएते सर्वे गोत्रप्रत्ययांताञ्चनएवानुयवादइतिको पिंज ४०१ तुहतिकता सत्रवेनेदं व्याख्यातं तव भाष्यविरुद्द मितिध्वनयन्नाह। वक्तव्यइति ॥ नियात् नादिनिच्त त्रिति याप्रइतिशेषा हस्तिया दुस्पति। बडडी हिय्या चाहत्यादिभ्यइत्युक्तेः यादस्यस मनापत्येति हैवनिपातनादरावाथर्व शिका दिपिवानिक मेवेतिभाष्यहर पाप्रतीमान व्यानाम भ्रम स्वनियोघ वार्तिके द्वितीयंस्तत्रमिति कैप्पटा प्रोको वेदश्य चारादथ वातम घीयाने वसतादित्वाड किया वीशिका दो डिनायनादिसत्रे निपानना हिलोपाभावातोऽशिक स्थलो चितिप्रकृतिभावे प्राथर्वणाइतिसित॥ ॥ इतिश्रीमहै पाकरशा सिधांत राना करेशे धिकाः॥ पनस्यविकारांव व्यंनादिकारे रागादयः स्युः॥ नत्रा शिरजनादिभ्यान श्रीरानुदान्नादादेश्च मय तयोः। निर्त्य हशरादिभ्यः पिष्टाचेत्यादिवच्यमाणापवादविषय भिन्नमयाशिधुदानप्रतिपदम वक्ष्यमाणाप्रत्यये चेहौदाह राम रामनस्तथैवोदाहरनि।श्मनइति।मनिनंमत्वादाघुदानोयं भस्मनशोयोनीश्राश्मइ निस्पटिलोय.पा ४०१
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स्पे४ शिकइतिहतिकारादयामार्मिकइनिम्टिदलिकनिनितादायुदानाशेषिकादिसंबद्दनस्येत्युस्यनिहत्यर्थ तस्पग्रहतिनहाल सैरइत्यत्रतदधिकारोनधनापाग्दीव्यता प्राम्भवनादितिविशिष्टशवधियरिग्रहीनत्वना गादीनामनिति अवयवाअधिकारोपाचाहि कारइतिातेनवत्यमायाप्रत्ययानी पारायादिभ्यविभ्याअर्थव येनिम्पतिरन्येभ्यस्तविकाररावेतिबाध्यामपूर तिलघावननिगुरोरुदातत्वाशेषनिधाननानुदातादिर योमारहान यासिरजतादिभ्योजाइदहिलिमयाधार्थमाघुदानार्थवावश्यकमित्यनुदानादिभ्योग्ण उदानादेजिनिबावित्वायरत्वात्पवनतेऽतिभावाम शस्तराधान्यानचियवामित्याधुदानापि यालसलघावतइत्यनेनाबिल्बादिायथायथ मन्मथटारपवादाविलवावीहिाकाडामहामस्तरोगोधूमाइ छावरणगिवेधकाकपीसीपारलौकिकधाकुटीराशनालयागविधस्थतकीयधवादीसिवमय टोनाधाधीमहयाठाअन्पषोत्वनाअरण्यहांबाधकबाधनाथी बिल्बादिभ्योयथाविहितप्रत्ययाक नेहिकांडयाटलीशदाभ्यामलदानादिलक्षणस्याजोमयय बाधेप्रसन्युनर्वचनादनवस्यादरण्यहा
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सिस्त चोवायुजनाअरास्यादिनिबिल्लादिभ्यइत्यतोऽनुहाऔरत्रीयवादादैवदारवमितिदेवदासभन्दा ४०२ रुशहौहियीनदीनाभित्याधुदानी यानडुवनस्पतिस्तदर्थीनामिन्यधोदाधिव्यमितिदधितिधतीति 48- पिछइतिकाव्ययदसमासेष्ट्रवादरादित्वासस्पना हात्तरपदपतिसरेगी नोदाननापलाशदिउभ
यत्रविभाषेयापलाशाखदिरर्शिशयास्पदनानामनुदानादानापानविककनपूलासयवासशदानाया मादीनीचेयाचदानानामप्रामाशम्यारागोरादिडावनोदानाअनायवादःशापवान्डाषिताटियाडीब निमाधवातस्मान्मनभेदनादिरंतोवोदान-शामीलशहाबोध्यावातमीस्पषततापघासशामाल्यारा - चामवेतीनिश्चता तिनव्याशमा गण्याइनिहरदनानिसूत्रेणेवीमायही अधिकारादेवसिधस्नया हरामपवादानादि दभ्यापागारजनादिभ्यत्वमादीनामपिविषयमप्रपथावल्बमपावल्या कपतिमयाकायानालाहमयालाहाहविकारावयवाभ्यामभज्ञादनयोंथासंख्यनाविकारावयवयासमा राप्त सनिर्देशनप्रत्येक सधाताामनमितिअयवादस्यमयटोभावेवायहरगादौत्सर्गिको सोनिमावाकमा ४०५
वा
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घांघुराज्ञयन्यांमदयत्या वसिष्ठे नोत्पादितः क्षेत्रज्ञः खतोऽश्मको नाम तत्रसंज्ञान्वद्योतकस्यक ना भावेश्मुनितिनामभवति तस्यावयवइत्यर्थादिकारेय् व मनोविकार चयाबार चकचन प्रसिद्ध स्पैवाश्म शहस्य ग्रह शाहिलोय नाम मुशोधतादी नाचेत्पुनोदानः । कर्यासीश होपि ज्ञातिलगाडी तोंतोद भ्यामनुदाना चलतराम बाधित्वा विल्वा दिवा दरभा घायां किवि खदिरो वामय इतिहनिकृतातत्रवे चंपायचंछंदर विशा मयोडवरत्वात् नचबिल्वंश हाद्विशेषविहितेनायगावा ६४ शंकाः उभयप्रसंगवे दे परत्वान्मय वीरत्वानचैवं वै त्वत्यन
पतिः॥ भाषायामिन्यस्य सद्भावेपित स्परूपयादवाना नवदितिर्मयो निषेध रितिचेन स्वत प्रत्युदाहरणान्चानययत्तिरित्यवधेयं । नच खादिररत्पत्रासन्पाय मित्यस्मिन्नहाच दसीत्यस्यनियमार्थत्वा चौमय रान भविष्यतीतिवाच्याद्यचः बंद स्पेवेनिविपरीत नियमे दोषो
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या
४०३
सिरख व्यादानत्सत्वे वद्य चच्छंदसीत्यस्यविध्यर्थत्वाच्च विपरीत नियमार्थकेतिभावानचानंदमयोभ्यासा दित्यधिकरचान्तरआत्मानंदमयइत्यत्र विकारमयडितिशीकराचार्यैरुत्तमनुपपन्नमितिचेन्ना गतार्थमयत्यनेन तडुपयत्तेः। विकारइत्तित्वार्थिको विज्ञानमयइत्यत्रायेण वा यन्तु श्रीग्राम राया दसीत्यत्रश्रियसी न्येशेो भाष्यकृता छेदसिविभाषव्यवस्थितत्वमुत्पमन्याख्या नस्तीत्या हने विभाषाग्रहणाच नोव नेल्या दिसूत्रद्वयं चन्या ज्येत्था चानंदमयुइत्यादावयिदि कारमय करऐवे न्याचार्यैरु गल्पा तन्ना विकारत्वप्रकारक बोधविवक्षायाबद्दचः परस्प मयो साधुत्वज्ञापनाय च दसीत्यादेश वश्यकत्वेनानदा ष्टीनिक्योर्वेषम्यान नित्यंवृद्धामा वायामभसा वादनयोरित्येवानवस्यारंभ सामर्थ्यानित्यत्वेति दे कि नित्य ग्रहया नेत्याश क्या हए का चा नित्यमिति नित्यमितियोगविभागादे तल्लाभ इतिभावः मन्मय मित्यनेन सिद्धेः शरादीमादपाठ राम व्यर्थः। गोश्वायरीषन्नविकारो नाय्पवयवइतीदमर्थे रियक रंगात्सामर्थी स्पबलीयत्वाता जान ४०३
प्रायम् १
वेप
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य पेम्याजावरपस्ववानिहाचिभ्योगस्याहिकारत्यैपरिमागोहाटकनिहलान्मयीयवा दाता नीयइतिअनुदानादेरजगोपयोगयधपिसर्वत्रगोरजोर्सिगहिहिनतथापिमयनयरि नियतेपानमयबाधितगोयहीदोश्वानिएकाचौनियमिततापमयनया
आलानन्यामानमयूटवायवादक्षावधामनिादी विकारभूतपस्यादिकामत्ययायालाफालतस्पतस्यफलमवयवाधिकारभवायवेत्याना हाविकारावयवात्ययनियुलपाकान्ताफलूपाकनयमुध्यतितधामिन्पकिसीयायशव्यस्थान दानादित्वादत्रिसिहलगर्थवचनाहलसाइतस्पत्यत्रईतान्यूजलपायलोपोनसिaisa नरखाकरयाग्दीव्यतीशानदाहेतीतिउत्तवानिकारभसाममहापादयप्रत्ययातेस्पचापोनिषेध कवनहितीयानत्वासंभवातादित्पननकर्ममानिमिता कारिद्नानातिनाविशेषाविशिष्ट प्रधानपदार्थरूपवाक्याथस्वत्यगायस्थापितनस्पेवचनकियोकमत्वसंभवतिभावानआहा विनिाउयसंख्यानिमित्पनुवर्तनाबाहेनियदैवदेशाङचारंगार्थ कारेगाहोविनिनिशापान या:४
या
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सिरस माहेतिक्रियाविशेषाद्वितीयांनाहकारिपत्ययापछतावितितितानुकररामितनागद्यातावित्यय्येवं
४०४ संवानमितिासमानभवतालनातीभवानितिवाट छनीत्यर्थः। गासनल्पिकनिातल्पशहाभापी houवाची अतशतिकेतियअनशायनानिनिईशाहाल्फघेवदिवितिहरदगानन्नासामोन्पापित
त्वेमानाभावायनेतिप्रसंगाचाननदीयानाइहकरगोटनीयवसमविभक्तिमानिडाकताये नकसभवानातत्साहचर्यानिमित्यत्रापिसेवतेनदेवदत्नेन तितमित्यत्रता निव्यामि गुल्पाखननात्पनत्वननिधानात्रातिडाघपानसंख्याकालपौरविवक्षाकारविवतितमवाव परीत्यत्वनाशंक्वायरीत्वन्याय्पकल्प निन्यायाजयतिजिनमितिश्यायादानाचाषयमय. उपनिर्देशोथ्यविवत्तिता ननदेवातदेवियति देविष्यमिदेविष्यामिदेवियामा वात्रहितका इनिसिहीनन्दात्यायनक्रियायधानमतानेनपारख्याततिर्ड तंबाइलकाकरतानाचनाहग्राम त्याच्याक्रियायुधानमारयतिमिनियाकोनाचविग्रहक्रियाप्राधान्पाउन्नावपितहुवीरमिनिवेनासत्व ४०४
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प्रधानानिनामानातिनकुन्नरवधनेनस्वभावावरत्नोविशेषगाविशेष्यभावव्यत्यासाभ्युपगमानाने स्हनायागविभागजराथाबाङकेलिसिौत्रयकार साहितिकोनसज्ञानिनडीपत्राकादित्यादि पियरिंगशानयरवत्पमारावार्तिक स्पाभावातानिकषोपनिलिवरीपरीतार्थ पापागाइपाया ठांतरमिनिएतच्चकषखपदंडकेधावरतीस्पायनेनिापर्यगनोहलचतिकरगोजायादा पवेति। गशास्त्रमिदायतयधन्यदर्थ इत्पत्रकेवरताडपसंख्यानमितिवल्पनेसोऽस्यैवप्रपंचापादा ध्याचरतिपदिकानदाराश्विनशहापठितस्तूत्रका प्रसंगतदारेच त्याक्यांहानदादिवि धोचेनिधिाउकइतिचिननादीधनडेनियष्यतिनवसंवानविग्रहानायमितिभावाक्रियविक्रय हामिनिनित्राघाश्रयणादितिभावाप्राधान्ना आयुध्यत नेनेत्याउँधीजविधानमा कविसंगैनहनीतिउयादोनयतिवेत्पर्धसमत्वादिभिखावमविकासायनलोहाटिधाये नवाधान्यादिकनीयताडया मालभासिवनितिकरशोवराशाभारशीधभारशिवायनी
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सिरस निपाननाचिरसः शीर्षमावासत्रमीसमासश्वानरावकनी वाचलर कदेशेनिावीवधा ४०५-निवक्तव्यमिनिन्यायसिहतिकतनप्रक्षिप्तवानामशसख्यावाची विशहरत
नहरघतापत्याप्रत्यययौ प्रत्ययस्यैवग्रहरात निजात्यागामितिलगाछीय तस्पस्वातंत्र्यप्रयोगवारपितनित्यग्रहगानित्पमितियोगविभुज्यविनाथाविवत्ता मामायूस्वातंत्र्यवायतेतिनलोकिकेविग्रहेक्निन्नांदिवल्पनेनकि रितिव्याचट। कृत्यानिनिमिति भावप्रत्ययानादिनिदिन्थेचमपनकर्तव्यभावप्रत्ययातादिमपातनः चवि चावपरीन नियोशेक्यायोगविभागस्पनैष्यल्पाताननो नित्याएनवान्पत्रापिलीन स्पसाधु
नातादमवनिरर्थनव केवलं अंतःसाधुरिनिनियमाथामिदन ता वापतौनयमिन्पनिकप्रदानेश्न्यस्पाइदीचीमाऽशनि कोप्रत्ययेगनिसमासमू राम यरिदन्यत्तस्पामिनीवतकाननस्टत्तीय नानप्रन्यया किंवपथनांनादेत्याइकि ४०५
इतिनमा
मः३
४ मे२
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याविशेषोतिनतोन्पत्रापिसनेरनिवचनंनताहितीयाविधापकमित्यकांजतीणमिनि प्रनिगताआयोऽस्मित्रिनिनबीहारक एरिपकारसमासतिघनरुपसर्गम्योपईदितार त्वामातापिकनिअनुगताबापोऽस्मिनिनिधिग्रहाउनोद्देशइन्ववनायदेशवालाप्रतीपादिध वयवार्थापनीनेत्रटिशहायताप्रतिकलाउकूलपपायाहीमे।चरिमुखमिनिअपयरीवर्जनशनपरी कर्मप्रवचनापत्वयंचम्पयाडि-नियंचम्यामयपरिबहिरित्यूव्ययाभावेनंनवज्ञास्वामिनोमुखवजयि वायसवको सिपारिमुखिकासर्वतोभावार्थकस्येवमादिसमासयतोयनाखामिनोगवनतीयोच नितसा यारिवामिकाणेवादियशार्थमितिअस्पनियतवदुदंडादेश्य कदानकमत्वातादिया रामितिभाकमेततावाई विकइनिमित्याध्यर्थवहिस्सापर्यतीनिविग्रहाकथंतर्हिवाजीवश्व वाचावरियमसानसेनस्पानवा धावाधुलवाक्रियावाषिःसमर्कयनेन्यादिवसाक्षरे वायर्यानथाचहरदनास्वादवाचः कवयतिगहकिदियगहिरिचयछत्पधमनिसादानिया
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106
राशात
सिरमा न्यनइनिसोवऽतितनोकोलोकि साधुत्वायनेग्नदेवदर्शयनिादनौकादशानितिाउंछानिसमस्यापनि
तस्यैकशग्यदानछााईकरोनीतिइहालत्यादिविभागकजानेकरोनिनितीशदशक्ति स्वाभाव्यानात नेहनाशकरोनिरवादाडरिक इलाकुलालामत्यात्र विशेषौदईरअनवर
सवाल वाडभीडादिभेदयोगददर्शचंडिकायोचयामजालेखदईरमितिवि श्वामास्पिकइनिमित्स्यस्पयामितिनियमान सूर्यतिव्यनियलोयोनायदोनरायनामसक्तीव इच्छतिव्याप्रिनिर्मचानिाइहासेवापीचरतिवर्तनीयसभनयाऽसहममनतिधनिसरवमय नधार्मिक तिाअधीनियहवताप्रातिपदिकेननदंतविधिनीस्तानिनिषेधादस्पॉरंभ गाधर्मिकइतिइननविरोधवाचानधार्मितिविग्रहत्वधार्मिकरतिस्थानासमवायोनासम हा धकेभ्योहितापानभ्यधस्पान्समवेनीपया अप्रविश्यैकदेशीभवर्नसमपूर्वस्पेगोडयात राम अकारीभनवेशंप्रतिप्रत्यर्थस्पकमतीविशेष्यमनुरुवबहुधालोका सप्रमीपर्यंजनी ४०६
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डूप
कुरुक्षेत्रे समवेनाइनिसैन्यः सैनिकइति। द्दितीयाती रायुको । यत्तु सेनायां समवेनाये सैन्यास्ते से निकातत्परः प्रायुजात्रा अधिकरा प्रकार कशा वैोघेराठ कारविधानेन नाह ग्विय हा योगात्। फलितार्थयरतया वा कथंचिन्नेयं । संज्ञायील लागललाय्कु कुटीशाभ्याहितीयांनाभ्यां पश्पती त्यर्थे वस्या तालालाटिकइति । हरेहि त्वाप्रभो ल लारं यश्यति निन्नु कार्य कत्यर्थः लालाटिकः मी प्रभौलदर्श कार्य समयइत्यमरः । कौकुटिकडू स्यादप्रचेपयर्या प्रदेशपर्यत मे वचः सभ्य गछतीत्यर्थः । गिलोयश्चेतिलुन विहिन प्रसंगालामा किनिदिंगक मकवाद ने यह लक्षणा मुख्यार्थ कानून अनभिधानात्। धानुका ति खरे कां नादितिठस्पा का देशः । इशाः षइति षायरश्वधात चाकू द्दयोः कुठारःस्वधितिः परभुश्च परश्वधः च्यातिनातिनी निर्डन प्रतिरूप को नियान अप वा। स्नीति तिडे ता नास्तीनि नियानाख्यान सम्रदायाच्च वचना प्रत्य यः दिष्टमिनि दिवं दिष्टं भागधेयमित्यमरः॥ का लोहि ष्टय्य नेहाची नि को शान दिशः पुन्नस पारु
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भक्ति ५ सिरस कायद्यामाशाजगामतिद्दिष्टासास्पास्मीति दैष्टिकानिपाचोकानचिन्पाउतकोशविरोधादिष्टशह ४७ स्याखीवखातिनार्थपरवेयमारणभावातानचास्मिन्नर्थयत्ययोविधीयतानाप्पातिकश्त्यत्रेवा
त्पर्यः प्रत्यर्थनयाभासत तिनध्यादयावस्कनसीआघताहापिदिष्टाशदोषिसाधरेवाग्र न्यथादिष्टमतिरितिसामानाधिकरराधभवतालक्षायोपयादनीयसत्रेयिगबनेनसमाहारा तिदिकाहि भनाइहसामर्थ्याच्चा समावभवनिाउनरस्त्राद E MIARAN दीपभन्नशीलतान्याशयेनाहाअध्यभागामाताश्रायणायवारसालकाश्रामाविलेपातरलाचसेन्यम साइकॉउच्चारार्थोडीवथ आवसथानावसत्यास्मन्नित्यावसथाउयसंगैवसरित्यधपत्ययः। उसीदसत्रादितिकुसादरीयाताभ्यांप्रकृतिभ्यामित्याहयेाधकार साहितिकतिसभाव्यते तमामेवगानेधनादेयोनार्थ इनिभ्रमास्पादनीवानिकलन्सीनेवयर्यगायत पनिवेया राम करशासिद्धीतरनाकरेठकोधिकारस। ॥अथयाचिनीयानाहातहहनीतियुग्यमिनिसुगरधागानन्क ४७
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कवहनाश्रयेत् । ननुयुग्यंचयनइनि वाहने वाच्येयुजेः का पियुग्यइतिनियातना दिहसनार्थी युगाद्दिधिना। मैव युग्यमित्यत्रयय नौश्च नियदे त स्पां तो दात्तत्वाय नदावश्यकत्वात नत्रः परं यदत मंतोदात्तं स्यादिति हितदर्थ प्रासंगइति प्रासज्यतइतिप्रासंगःकर्मशिन व जारि तिकुः प्रसं गादागतः । प्रागस्तं वहतीत्यत्र न अनभिधानात् । अत्र धुरोठ के न्यु चिता भस्ये तिरेिफवांत स्वभा तोरित्यर्थः। तेन प्रतिदी नेत्यचननिषेधः। धर्य निधुर्वी हिंसार्थः। भ्राजभासधुवतिविशधर्वती निधूरा लोयइति व लोपः वः स वीस वी चा सौध श्वेति विग्रहः पूरित्यकारः समासानइत्या हा सर्वक्षरामिति। सूत्रे तुश ह स्वरूपायेज्ञया की वनामाश्रित्य सर्वधुरादित्युक्तख इति योगविभागोउत्तरधुरी गोद शि धुरी राा इत्यायसिद्धाएकधुरात चिन खान कृष्ण तीन सामथ्यकथा लिकइत्याशयेनाह एक सुरोगा इति एकधुर इति लुक्त तिल की तिस व दीर्घप्रहनैः प्रापोल कॉजनीति जायते स्पोगर्भइतिज निघसिभ्यामि। जैनिवध्यो प्रिति दिन कादिकारादतिनइनिङ' जन्येति' याहि जामातुः समीपंजा संज्ञायाम्।यत्प्रत्ययान्तस्य वहुवचनान्त स्पानिपातनमिदं वोयमा २
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कालिदासः प्रायु १
सिर स्व याप्राययतिसेन्यर्थः वध्वा यानवा हेघायपातेतिजन्यानवद कुमारीतिकालिदासः प्रयुक्तवान् पश ४०८ तियद्यस्तदर्थइतिपदभाव धनुषा किं । दस्युं विध्यति इह हिधत्वषः कराता संभाव्यते! युदाब धनुषेति 40- प्रयुज्यते तदा सापेक्षत्वेनासामर्थ्यादेवनभवति। वश्यइति। वशनं वश इछावश कांती। वशिर राया रुपसंख्यानमित्यमावहन्युपाधिकात् प्रथमाना लद्दाघस्याना ल्याइति। मूलत पाटनेने वसंयासा नतु मध्य तालवनेनेत्यर्थः । सम्पक शुकाइतिया वनाधेनुध्येति श्रनो दानाय न उतिख रेतांना नावष्टभ्यो यथाक्रममष्टस्वर्थेषु यस्यात्संज्ञायायादस माझेःस कारात हतार्यादियोगयथार्थ कर रो कनीर है तो तुल्यार्थयोगेनच तृतीयाभ वृती तसे वात्र समर्थ विभक्तिः बाध्याम लेना ना देरुत्पत्य थे वाग्भिर्विनियुक्तं द्र व्यम्मलीत तु कन्दतिरिक्त लाभारख्या मात्मा नातिशेषीकृते द्रव्यमित्यर्थः आङ्पूर्वस्यनमःशे राम बीकर शाम ततः पारडपधादितियतिप्राप्नेऽस्मादेवनियान नारायन लोका स्यावनाद्रव्येशा वस्त्रा ४०८
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दिकविक्रीपनेतत्रसमुदायेम्मल्पशपयंजतानत्रललगाबोध्यासाच यांपतिकीनिकलावासी तयेनिासीताहलायनेनसभितंनिनोत्रनादिरहितहतसमलिनमित्याउलयासमि तमिनिस मिनंपरिधिन्नारठायतेसेज्ञाधिकाराराअतरवालाकरमाकपरिछेदनाग्रह सहशमात्रै प्रयोग
वयसाउल्याशत्ररित्यत्राप्यनएवनयता निधोक्यस्यासवयाइत्यमरायध्यमितिविधात्या नयनमियायथाऽनयेतश्वोरइत्यत्रवनासंज्ञाधिकारातामादिनयेतइत्पादसाशंदिसंव वरगोचुरादिश्छायामपिताधातनामनेकार्थत्वाताननोऽवनिसानादित्याहाछदस्यमितिड हसंज्ञाधिकारावियुबादिवाचक दशहानगघुतीत निमाश्छिाया करतीत्वात्करणातनी यहसमर्थविभक्ति हृदयस्यारुघागक्रमावधाअलौकिकैनातनतर्वचनसामदेिवान वलंघोगाभावाताएवमन्यत्रापबाध्याजनस्पजल्यातानल्पनजल्प भविघजाकरपंछी हिलस्यैनिककाकमविष्ठाकररास्यकवननिवजार्याकर्तववादिहल्यात्रिहल्पः।
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सिरसारसीताहलेभ्यइतितर्दनविधिानवतापाइहसाधुयोग्य प्रवासोवायघतानन्तयकनीन ४० तस्महितमितिसिद्देशनतिजनाजजनप्रतिपतिजनीयथार्थयव्ययमिनिवासायामव्ययीभा
वापनिजनाइदयुगोसंयुगायायकुलापरस्यकुलाब्रमध्यकुलासर्वजनविश्वजनायंचजनायस्स्या 209
मुख्यत्यत्रनियातनात्ययालुकोगुडादिागुडाल्माघासनापयामासाअादनावविराम घातप्रवासानिवासाहतावसतिरिनिवसेवेत्यतिप्रत्ययास्वमापतिस्वयतिराद्यानभायायापति निवरितमितिस्पाराकर्मवत् क्यारतियथानचंयतोऽनावश्याचदानःशंपायडत्यति लायायस्यवंयदर्तनदाकदा स्यादिनिवेदभाष्येव्याख्यानानानमःशष्यायचफैन्पावचेत्या दोस्वरव्यपयोबाध्यासमानावसनीतिवासानियाननाबादेराकतिगात्वाहाशिनि एतेनसा अधिकारनितिधिनासतीपातिातीर्थयानिसमानस्यसभावानरत्पनेनति तीर्थ मिहंगुको राम तीर्थशास्वाधरहोत्रीयायायाध्यायमंत्रिपायोनौजलावतारेचोनविश्वकोशारासमानोदशहशैनिलि ४०४
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त्यर्थकः जलाशयः कुशेशयमितिवदित्याह शयिनः स्छिनइति समाने उदरइति। पूर्वापरप्रथमचरमैति सुरुषात तो यति नित्व राप वाद आकार स्यादानः सोदराद्यः ओ चोदातर निनिती विभाषोदर तिसभा तीर्थयइत्यतोय ति नर्तने साचविषय सप्रमी। सोद्रादितिलिंगात् । इत्थंच सोदरशाघय त्ययः । कथं तर्हि यथानं तु गद्यूत से। दरो पिचिसुचती तिमुरारितेचेऽच्यते । यत्रभ्राता सहोदरइतिवत्सह ३४ शन बडी हौवापस नस्पति सहस्यया किसभावे भविष्यति मह नेययीय स्पापिस .. त्वात्पप्राचा या घराघद्यौ चत्प्रयन्पस्पायेभवोऽपीयरूप जय नासूत्र हयस्यापि छंदोविकारस्यत्वात् भवेदसीत्यस्यायादसमाप्तेरधिकार प्रतिकिलो के भवामित्व न पाया ग्यायीयमग्रियमिन्यमरोपि निरस्तः यदयितीरस्वामिनाप्रापा य्यायीयमितिय विवाप्राये भवः प्राग् याच दितिस्तत्रम लेखिन दयिनासमासप्रन्ययेर्दिन विविप्रतिषेधानामस्मान्सर निविरुद्धः कोशोप्रमाणाम् इनिसि। ॥ इनिवैय्याकर शासितरनाक
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सिर.स रेप्रान्धिनीयाः ॥ ॥ समाप्राश्चाख थिकः॥ ॥ श्रथ मीचमिकाः॥ प्राक्क्रीताना श्रीतार्थात्प्राञ्चो यतिखो भवतीत्यर्थर चेहा वृधिराश्री यनेनप्रत्ययानापिप्रकृतिः॥दत्य कंव्य मत्पत्रयमश्व कस्याप्यायने रवधिसजातीयस्यैवावधिमनाग्रहशामिति न्यायबाधाचा श्रतएवघोषा २३. ५/० वफदेशाने हसौः प्रतीतिरनुभवसिद्धार्थत्ववधौ सतिसमानर्थे चरितार्थ विशेयविहिने नयताबाध्यतानचविभाषा हविरश्यैन्यत्र विभाषाग्रह शानप यांत रेयिय वादिविषयेनिज्ञा य्यत इति वाच्यं । ज्ञापकाश्रय गौरवान्यनुज्ञाय कायरोऽवधिरेव मास्तुद्यइत्यवादिवत्येव नवरुक्मानचिन्पाञ्चायं चमस माझेरधि कारायतेः॥ गवाद्य नशा चाराहाना भीतिनाभिश होन भी देश ने चुप्राप्नोतीत्यर्थ नभ्यो सति रथास दुना मित्रप्रविष्टः काष्ट विशेषो लःसहितदनु गुणात्वान्नाभयेहिताचं जनेने लाभ्यहनचचाभयेहिनमा प्रशरीरावयव वाचो नाभिस्तु नेहराम गृहात परेशा बाधादित्याहारथे तिष्तस्य नाभ्यमित्यैवेतिभावः। न्यमितिष्यित्र नव्या चकारस्या ४१०
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वक्तसमुच्चयार्थत्वान्नस्तद्दिनइतिटिलोपोनयिवेनिय कृतिभाव खर्भमः संप्रसारणादौल याभावात दीपन विधे सामर्थ्य हिलाया मानामभू दिल्पा तन्न वाशी परिभाषयापूर्वपान्या गेव प्रकृतिभावस्परख करत्वात्सत्पपिन स्मित्रेक देशविकृत न्या पेनान्नत्वानपायाञ्चानचा लायोन न्यायस्याविकारत्वान्नव्योति साधुः लोपागमविकार तोही तिपस्पशा भाष्या दितिवाच्या प्रकृतिभा त्वादप वस्य लोहा वादन्यथा राजन्यइत्यत्राप्यला यायते ।यदे विदीर्घपतेत्यादिना नक्क याप्रकृतिभावेनैवेष्ट सिद्धे । चकारस्येत्पथिचित्य वर्मा का रनिवार्तिकविरोधात उचैस्तरी बा षट्कारइतिज्ञापक लभ्य स्वधाचिन्क निस्वाय राहान विरोधाच्च । वस्तुतस्तु संघा तान्नकारणात्पयः स्व धाकारइन्यादयज्ञष्पादानत्व दर्शनाला किंतु घन नै नष्टत्यं चैव काश्वकार त्या दोनो दानाकषीत्वन शस्यानो दानवेन तरपदप्रकृतिस्वरसत्पथिदोघा भावाना नैनमव चकाराः प्रत्याख्याताइनि भाष्यं ज्ञायक वर्गीयं तो निरस्ता मनोरमाय्येवमिन्यास्तानाव
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सिरस विभाषाहविवाहविविशेषाशामित्रग्रहनस्वरुपस्पागवादिषुतस्पपाठाताअसंजानविरोधन्या ४११ येनगवा दिवेवस्वरूपमित्यस्याबाधनाताअश्यानलकमसलत्याकपकम्पययात्र
विकारेभ्यतिअदनीयविशेषूवाचिभ्पोयबास्पादित्यानादन्पा ओदनीयाअश्यादीनी देवाचियाठस्पायाह विरप्रयादिभ्योविभाषापाउगवादिभ्योयविप्रतिषेधुनासनव्याधा नाचव्या संडुराइर्निचर शहाहविधिसंकनितिानाध्यमितिागवादियनासैनियोगशिष्टशन भादेशोरथनाभविवेतिनियमानाखलंयूवारघायहिनधाआत्मविश्वजनेनिवत्रानानचा रसादूनोहशहएवराधनोबलायमिनिब्राह्मयांवाचीब्रह्मनब्राह्म गाहपनशहाभ्पायू तस्यानिवनास्तिाछोप्पनाभधानानन्यांकरोस्थिरिथ्यमितिारथायहिनागिवादिषपाठगाना उधीनयिस्पानाअनाविशदोदितौरवनेनटाबनाइदेशातिनाधित्वापरत्वादनाघदत राम मित्यनशाइस्परवानयानदर्शनानालिंगविशिष्टयरिभाषयागबंतादपिथ्यनातासलादाधानएव ०२१
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भावाकर्मधारयादितिाममासानरायेलयानिषादस्थपत्यधिकरणान्यायेनतत्रलाघवादि निभावपंचजनेनिथकारपंचमाश्चत्वारोवायचजनानदिइसंख्यसंज्ञायामिनिसमासान
आरभ्यवानिकपकमधारयएवयनतासर्वजनेनिापूर्वकालैकेतिनसुरुषासर्वसनीननि पतिजनादिषुसार्वजनीनवश्वजनीनशहासाध्वधरवनंतीसाधकनौहितार्थेवरवएवनन खजामाभागासानिमानुभाग शरीरतस्मेहिनाभागासरवयादिभनावडेश्वफगाका ययोरितिकोशेबअहेरिनिप्रयोगाच्याभिप्रायशक्तिस्तुशरीरमात्र त्याकसमानतरवायहिन इतिवानिमिनिमत्यदस्यनिभिनवतापदाननिरकासमानपदत्यानयायांसात्तमामातापिरश बाभ्यामौत्सर्जिकशाएवामात्रीयूपित्रीयाराजाचायशवाभ्यान्योनाअनभिधानानाविधवाक्प मवावाहितमाचार्योपहितमिनिप्रास्वामाशावानामनिअपत्पेकुसिनैमरेमनारोत्सर्गिकास्र नानकार पचमन्यतेनसिधनिमाणावपपत्याधिकारस्य वानिकत्वेननिर्देशसिदानंदधाव
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सिरसहनाइहवादीस्पगम्यमानत्वानस्मैइत्यनुल्यावाचवथैवसमविभक्तिरित्याहाचतीनादि
ताशादिषयागोनिछादनंदिाचमविकारोयदादिसर्दचर्मशोजित्यनयानोनिपरवानर ०२ विप्रतिषेधेनल वैष्यतेछादिषयचमतिरक्तचाययावजापूर्ववियनिषिद रुचनिावर 4कयूटोछादियानही पतिपदग्रन्पपविधानादयुक्तोंविनिषेधानथाचोकमायनित्पीनरंगपनिय
विधयोविरोधिसनियनियोमिथायसंगपरबलीयस्वमितिना पूर्वविप्रतिषेधेनेनिर्वित्पमेन दिन्याहानव्यालनिखकाशवसत्त्वधानियदविधेबलायस्वनान्यथा अतस्वमानक्वनान। दिप्रत्ययाचमगानेदपंचम्पर्तनथासतिचशशचमीथीयापकतोप्रत्ययप्रसंगानाचमो नूनपरत्वानुमिसनिस्वेपिनयनान्येवंयुक्तस्वोयोनिदाघपतमित्याशाज्यधिरितिकमाण हीयोत्पाही किंवषयतमेवेत्पाहाचर्मयोपाविह्नतिरितिवाडिति। रधिवपिम्पारननिन्वादाक राम दानाचमवाचकाहधशहाद्विकारेशिडापावधीनिठवधेरीसादिकनिषित्वान्डीयानधावधीवर या ४५
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स्पादित्यमरसवधिकापञ्पनिमाध्यानदस्यास्पादिनिसंभावनेलिडाइष्टकानांवगत्वेनैर्वकल्पनोपाकार आसीस्यादिनिादेशस्पनरजुत्वादियरोन्कल्प्यनेपाकारोअस्मित्यादिनि अजयहतिवितिभावा तादOनविवन्तिनांअघितयोग्यतामात्रीतेनशासिद्धिनीक्यिा हिस्सहस्पिष्टाधीमतुविधावि वसहदेवनिशक्यन्वानापासादोदेवदनस्पतिस्विस्वामिभावसंबंधेप्रासादीयोदेवदताइन्पर्वलोके प्रयोगोनास्तीनिभावः। ॥ निश्रीमद्रामहमभहविरचिनसिहानरत्नाकरेछयतीपूरोडिया ॥ ॥ प्राग्वनेष्ठजाहशार्पछदाघचैन्यादिनायवादेनविटोदेपिनोनितिमीभदिपवमर्थगवते रिसोयनुसर्वभमिटावीभ्यामगानावित्यपवादेनविशेदेपिटनेवयथास्पादित्येवममिति नव्यानन्नानयोष्टनपूवादस्पठकोऽयवादवानानेन यारय गाउरायगोत्यादीठजलम्पनियन चैवठनग्रहगमस्तितिवाच्चीजजरसोयेयापदासस्नेभ्याकीनाथनइष्ट वैनप्रशनसंत्रस्पात श्यकत्वातिनगौमुछिकासावनिकडत्यादौठेजसितायतुपाचानेनकीतारतीयोनाक्रीतार्थवई
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४१३
लिए३ विस्व स्थानासप्रन्याक्रीन-सान्नतिकान्यक्रमानचित्यंअगोपोन्पादिपरासन्ठकाणाप्यभावानराय -
जादित्रयोदशप्रत्ययानाधकपक्वतस्पतनकीनामित्वस्यठडनोत्रपरत्वेनव्याख्यानेबाजामा
वाचरितवत्ययवितिनालयानेनार्थधैवठजयनेनप्रतिप्रत्ययप्रतिप्रकृतिवातिनायवा 4/3 दवियनाअचापीदजन्पतरस्यामित्पत्रान्यतरस्पायहां लिंगमा अाहींना तदा
हैमिषजतनानुक्रियतेकिननिङलेकदेशःशवनाव्याख्यानादिनिहरक्तस्तदाहात दहलीपनदि तिराहयरिमासाशवेनयरिछेदकमात्रंनरयतासंख्याग्रहाचैयपीताकिनुनहिशेषएवन दृश्य वार्मिकोकाकधमानविलोमा परिभाबिसर्वनाअायामस्तुप्रमा स्यान्सरबाबाघाउस वनवादानरपरिछिन्नविनपलादिशब्दवाच्येनपाषासादिनानुलादावारार्थितनजनादिय घिनौनवीरोया दूर्धमानतदेवोन्मानारोहपरिसाहाभ्यास्वगताभ्यायनकाष्ठादिमयन राम धन्यादिमीयतत्परिमोयिस्थादिकमुच्यतेायरिसर्वतोभावाआयामोदैनधेनमीयतेदा ४१३
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रुवखादानीनप्रमााहनादितिचायामयश्छेिदकवेनोपचारादायामशहेनोचतातचचिनिर्य गवस्थितस्यवस्तुनायथावस्तादेहतादिविविवीधरदिगवास्थनस्ययथाहातिनंजलमा यस जलमितिसव्यान्वन्मानयरिमाशयमाभ्यायिभिन्नातेिषामपिपरिशदक वाताहौयस्थात्रय थाहाहनावितिपथा।
किंचमूनस्यैवयरिछेदकाउन्मानादयासव्यात्वमूर्तस्पाविहिौजीवेशाविनित कचहारगादिथिप्रस्थस्ववादिमनभदायकल्पता कियाभेदायकालेस्सरव्यासर्वस्व भेदिकति अत्रीन्मानप्रमायिार्विवेचनंप्रासंगिकंबोध्यप्रसमासनिकाय सायादामाषावाहादालापाष्टे इनिसप्रनिकादयानत्रषष्ट्रिोशिध्यायथाक्रमसंव्यापरिमाशावाचित्वेनठनिपानवचनीय येवोतन्मानवाचिनयापूर्वशठिकिसिईसमासयनिषेधार्थीयतपूर्वस्त्रपरिमाराशनसंख्यामि।
परिछेदकमाराधनानेनसभ्यनाएवायवादोऽपठका परिमागविसर्वननिभदेनदर्शनंतप मागायरिमोशाभ्यासव्यायाश्वापिंसंशयेईन्यिादविपत्पनइतिहरदनगनन्नासंरव्याग्रहांवयी स्यो
JHAR
TH
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पूर
W14
सिरख कन्यान्वाइनः प्रागिनियां चमि केधैवेत्यर्थः । गव्यमितिगवादिभ्योयतायवाथ्यमिति विभाषा ४१४ हविरेपनियता एन त्रिमनुसन्या का न्यास नत्र विकारत्वादेव सिद्धेऽश्यादी नाटथक्रपाठसा मध्यान देत विधिने त्याहा इनॐ ध्वमिति वार्तिक मेवेदमा संख्यापूर्वयदानामित्युक्ते नहा परम यारयगा वर्तयतिद्दिश यमिनिन द्विनार्थेद्विगुः नत्र कस्प चिह्नित स्पलग स्त्री निसंख्या यद वनश्यदिजन्यतरस्यामित्यच वाई पूर्वेतिल काहिशार्षिक तिनचार्यो निमित्तमिति लुगभावः । यरिमा गगन स्पेन्यू त्तरपदवृदिधन पर किमिति श्राकारस्य वृद्धिनिषेधफ लाभावाद तएवभविष्यती निर्कितपुर वेनेनियनः । इरस्तु तपर वैसन्या कारस्य द्विनिषेधाभावा · हृदिप्रतिफल पनि निमित्तत्वमस्येव नियुवा वनिषेधः सिध्यतीत्याहाका दरवारी मार्यनीति शनाचा उत्तरे शामाप्रस्यक नाय वा दानत्राशतशत नृप्र कुनै विशेषामसंभवानाकिनुप्रत्ययार्थ राम विशेषण न चात्पयार्थस्य शतत्वंद्वेधाभवति । प्रकृत्यर्थानिरिक्क संस्क्यानरविषयय कृत्यर्थविषयचे ४१४
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निनवाघंयथाशनेनीतंशय॑शतिकंशाटकमिनिादिनीयंयथाशनमध्यायागावावायरिमारा मस्पर्यथस्पगोसंश्वस्यवाशातकोग्रंथ गोसंघीवा।अत्रचकेवलंप्रत्ययोन्पनयेषतानिप्रत्पयार्थयो भदाववज्ञानचतवतीभेदोलिाप्रत्ययार्थस्यैकत्वयिशतत्व मस्येवायथाशतमित्यत्रुएको। विभक्तिवाच्यपिशतर्वननिवर्तनाननाघस्यनिषधव्यारतवाह्निकूकदाहाशतप्रतिषधन्य शतत्वप्रतिषेधीनेनिवाच्यमिाताएनन्यायप्तिईवाचनिकमेव नियत्तस्यकैपटेव्यक्तांना विशलिकाशकन्न योरयंधइनियागदन्यत्र पनिवेधाभावोयधपिनायिनियतकालाहिस्मतयोव्य वस्थाहेतवातिमुनित्रयमनेनैवेदानींसाध्वसाधविभागनिकैयरातदेतत्सर्वमभिप्रेत्याशनइत्य स्पाघार्थविषयकवाभावात्परिशेषाहितीयार्थविषयकत्वमेवेत्याहाशनका संघरतियनशर्दना याइसियतसहितानाटलेनिशाकयार्थिववत्तमासांबढ़कतिीपारिभाषिकसंख्यामाउदोहराया मिन्याङडन्यवेयवस्पेनिशस्यनयर्यंदास अर्थवनतिशवस्पनवग्रहाताकतिकार्विशनिकर :
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सिरस त्ययेवंशतिप्रत्ययावयवसिशोऽनर्थकनिकनसिझिवनोरिसावतोरितिपंचमीकानूनिय ४१५ थमाया या प्रकल्पयतीन्याहावलेतावनइतिहमागमानवसत्पात्रागमलिंगटिकरादितिमा
वाविंशतित्रिंशतानन्वसंज्ञायद्यान्वधानपिसज्ञायाकनकंस्पात्प्रतिशदनायाइति निषेधादत आहायोगविभागऽतिदिशूछदस्पविशदिशस्तिपत्पयननियात्यनइत्याश्रिन्यदीशिवायी वायोगविभागतिभावाविशतिातिविनाताईतीतिरिलोयात्रिंशकातिरितिटिलोपात्र कितिनचभागवदयेतवादईशवस्पासामयशंकयोकायास्पाईडवानाअथवाभागि -निप्रकरणादिनाज्ञानेसनिनात्यसामयीपानाजोपवादायरिमायामोहपर्यशाठनठकाना मिनिधातमानपरिमागौनतष्ठनपानाविंशनिकशल्यरिमागास्पसज्ञातिरस्यवानिवाघठनपान माहितीयेठक्यानभवसनात गवताप्राप्तहस्त्रानुसयायाअतीनिकन्पापबई अध्यारुम राम यस्मितदधीअध्यईपूर्वचदियश्वनिसमाहारेहासोत्रयस्वाअध्यावशिौश्चैयरस्पेनिइिदये ४२५
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चम्पतत याव्याख्यानंका शिकावरोधेनाद्याभ्यां सूर्याभ्यां क्रीतंद्दिन्सर्यं । हिन्ााकीनं द्विशोषि कमित्यत्रा पिलुक प्रसंगा नेदयुक्तं किंतु द्विगोरिति षष्ठी निमित्तष्ठ्यर्थः। द्विगोर्निमित्रयस्त दिनस स्प लुग भवतीतिनोक्त दोषः हिरण्यीकीत मिनिविग्रहैत दिन एवं नान्यद्युनाभिधानादिति भा यो चकला कि मिनियां चलोहितिक मोवी पंच कलायाः परिमाणामस्य मैच लोहिन्या गुंजा यरि माय स्पेतिविग्रहेनहितार्थी द्विगुः तद् स्पपरिमाशा मिनिष्ठ नाम स्पाठ इतिपुंवद्भावेन लो हिनी शह स्पे कारन कार या निवृत्तिः परिमाणा
विशेषस्येदं चैतद्दयमपि संज्ञासंज्ञायेहगां प्रत्य्यांन विशेषशनचे • प्रत्ययार्नसंज्ञेतिभयत्र ठञो लु निसदाशयइतिवृत्त तो व्याचक्षते भाष्यवार्तिक स्वसंनिधानादिविशेषामे वांगी कृत्य ततद्दिनल कवेनपंचकूलायये चलो हिना स इति जो लुटिए वेत्पसंज्ञा यही प्रत्याख्याता अध्य यह गामय्येव । बहु गगोति स्वेन स्पस
दूर
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सिरस यासंज्ञाविधानानातथाचवार्तिकमाअध्यईग्रहांचममासकन्निध्यर्थलुकिचायहसमिति ली ४१६ केपिंगायनाएकोउधाईदाविमिश्रितएवाध्याक्सिमितितद्धिताहिशरथकमिनिकन्प्रत्ययश्च
सिद्धानम्मादिक्षाध्याईग्रहणानकर्तव्यमितिमाष्पकेयादोस्थिनीनयास्तुसंख्याकार्य किंचिदस्पन निनायनार्थमिहामईग्रहानेनाथदेकरोनीत्यवनकन्वतचूपाङ्गाविभाषाकापीपणा मध्यसहसमिनिाशनमानादिरशासतिस्पलहान दभावसंख्यायासिंवत्सरसव्यस्पचेत्पन्नास दरद्धिमाहित्रिश्वीनाअध्यायहरामनवानुवर्तमानमपिनहसबुध्यतेव्याख्यानानाद्दिगोरि तिनुसंध्यतएवषष्ठीसमास्यारत्नयोत्रिनेक्षिकमिनिायाग्वतेष्ठंजापरिमागीतस्यैत्पात रयदहिमाय मातीतरेठगिनिनव्यानन्त्राअसममिनिष्ठादिभ्पनिसमासेठकोनिषेधेनमनानरस्यापसिदविशनिकालाशनमानेन्यतयाप्रेनस्पचलुकिमानेवाऽनेनविधीयताखाशितद राम स्थयरिमायामिनिठजियाप्नेतस्पचलविकविधीयन किरायाचोयसख्यानाअध्यकाकिणीक ४१६
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माकेव लायाश्चेतिवक्तव्य का किक माय शापादाइहयशामाषाभ्यासाहचर्यात्या दश होपिपरिमाराला यैवगतेयादस्यपदाडयातीत्यादौलत्र्चाज्यातिशरै गतिवचनैः साहचर्या धारा ॥ वाच्यवपादशह गृहनेत्तदर्थइन्पत्रा तएवानुवर्तन इत्याशयेनाह । प्रारण्ये गस्यैवेति । पत्तेठ जितिशारा स्पे मानन्वेप्पाही दित्यत्रपरि केद कमात्र मेवयरिमारा मिनिम्तेन दे। मुख्य मते बठुगे वे तिबोध्य शी गाई तिरस्त्रेाताचे निवाच्यमितिवार्तिकं । पापादेतिनित्ये प्राप्नविकल्पार्थ अध्यईशत्या अध्य यात्रिरातदभावैकनोलुक' शतावन्यनावितित्व नभवति । तत्रासमासइत्यनुवर्तनान्। द्वित्रिवीदराचा वार्त्तिक मिदा श्रतएव सूत्रे व स्पानार्षः पाठइनि कैयट शाशादित्येवेति यद्यवि शतशाशा(भ्यामिनिवक्तव्यमितिपूर्ववार्तिका नायिकाशाशहए वानुवर्तते। भाष्ये नथे वाहत तानी कराती यांना कर्मणी वाच्ठचादयस्त्रयो दश प्रत्ययायथा यस्य कर गोति किं दिवदत्तेन की सेना बेगाकी ने। कर्तृ है उतनी यो नान्मानपाशा नाक्रीतमिन्पत्र स्पादित
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दीयतेनिनादिताभावेलुगमादेणियोशिशििनप्तिधनिहितहितलुकीविनानुवतिकितपसर्जनस्य स्वापिजैनाचारपसायरवेषिपातिपदिकत्वविरमादप्राप्तस्वश्त्वमनेनविधीयते तेननद्रिताभावेलुगभावेणियोशिशरिनिसियतिm वनबावसामाधिवरुण्यपरिमारामस्वीप्रत्ययस्यैवविशेषगनतुतदन्तस्य लुकातलकातिमध्यमसूत्रेलुम्भाजःसीप्रत्यय दातमहामालमहराजसनितरनाकरनारायणीयपवमातचिन्यमाएतत्स्वस्थमाध्यस्वरसविरोधागोसियारितिस्नमाध्यविधानधनासवान्ता सिस्मचन्नामल्यइसमयकाहुन्यन्त्रकरगतिनीयायाएवसमर्थविभक्तिन्वागदेवदतनत्पादा
तासूत्रमस्तु:लु ४२७ वनभिधानानैतिभाष्याचाएनहिनहिनाइनिमहासेज्ञावरगाल्लंबधीनम्पपयोगेभ्योहिताइन्य चाननाविध शपायो न्वर्थत्वात्सतायाीयवानाकर्थयूचीय कलरितिनहिवासंघोगत्यानोवाअवहरना संयुडपजन्दले वाचा मष्टा ने नैननियत्ययायनेपागादिकरोनि पुरुषाफलेनसंयुज्यतेसयागादिरपिसयोगानका विद्यगया वोभवेद्दापणे लसंबंधएवेवाहातस्मैहितमित्यर्धवाखोऽस्तुतिस्पश्वसत्वविदितयोगविभागोयथासख्यानान्यत्र विद्य। हिमोग:भूप यासाधा हत्यथ उतरार्थश्वानस्पवायादेवदनस्पवायइत्यत्र करपतानाअनभिधानातानस्मा मानपञ्च पेभिनेतवार कर्मषश्वीतादेवपत्पातदमिना पलयहरोयतिस्पायविशेषत्वाराअईिकइनित्र इमिमाहहिमोगोरा दहितशतमा तिवतव्यमितिरिठनिडापामाटावष्यतीव्याख्यानमनिअस्मिन्यतेभारंभनार्थवा
मोपचणे चित्वेनवंशादयोभारशहेनोच्चतापत्येसंबंधाभिप्रायेगास्त्रेएकवचनीवनदयावलोम राम शिरितिपय घपिगराया यासंभवत्पवायाधयममाराास्पाधारणमाशाघदनाधिपतयसर्जनधाससिभवतेवींचाने ४१७नेत्युक्त पिल किभिजिगोधियोरितिहस्व:सिहस्रथापिलावाभावापूकियानाववाहिनिवन्याम्पोकिंवगोणीमाभिदंगाया
माटोलानावश्यकः।स्वापानः यजुकेयटनगोविणरित्यस्य उपसर्जनंयासीपस्यात सरप्रतिपादकरथस्विइया मालागातितरित्मस्पतताप्रित्युपसजनवात्पूनिवालवास्तिसिजमकी त्यअन्तया योगाणीशापारमयस्तिनदास्या
ल्क
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नसकर्मकत्वानदिपरयादिनीयासमविभाशिर्नानुपपनेन्याशयेनाहातास्मानित्यादिापरूप परिसिनेधान्येप्रस्थशहाललगायावर्तताप्रस्थपरिमनधान्यकाहोधनइतियोवनासत्रेवहरतानिय ष्ठपादिमभिप्रेन्याहापसेहरतीनिनित्यचनीनिवार्तिकेयननिग्रहगोलभवन्यवहरयोनिस्तयोदोगाप रिमिनेनंडुलादोदशाशहोभातायाठकाचिनापाठकादानीपरिमारावाचितयाठको पारि त्याशपेनाहायलठनितिाकुलिनालाइहभायेलहखग्रहाप्रत्याख्यानातथाहिकलिजात्यैव स्त्रमस्तुतिबदिगोष्टश्त्यनुवर्ततत्वान्यनस्पामितिचानत्रष्ठनतान्यामक्लेपानातस्पाय ईनिलुकास्वरूपत्रयसिईठनापतेलुगभावकुलिजिकोइनिववर्थहपनेष्यनइतिानदस्पात्र यरिमाराांनसर्वनामानमेवरधनोकिंनयरिदकमात्रीच्याख्यानान्तरस्त्रसंख्या यायरि सागानविशेषगावानदस्पयरिमागासख्यायान्सजेन्यादिसमुदितमेकमेवस्त्रातल पास पानावयागविभागस्तुभाषेधनित कयरेनस्पर्शलतः तेनवर्षशतय
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सिरसरिमाणमस्थवार्षशनिकास्वारशतिकरतिसिध्यतिअन्यथासंख्यामा प्रत्ययोविधीपुमानस्तदै ४८ तान्नस्याता संख्यापर्वयदानामेवप्राग्वनेतदैतविधिरिष्यतइत्सकलारारत्याशेयनास्पस
रव्याभिन्न परिमारावाचकसदाहनिप्रिस्पमिनियनुषष्टिनावितपरिमाराामस्यषाष्टिकर नाहस्त्रेमनारमाधानव्याग्दाजानना सस्याभित्रस्पवपकनवोदाहरसालानाना नरमतासज्ञार्थविशेषाभावानानचजीविनपरिमाणोचेतिवनयमिनिवानिकेनेसिद्धि मातस्यत्वयाऽवपन्यासाताभाववानिकंप्रत्याख्यातायस्पषधिज्ञावितपरिमाशिमसों भतोभवतिनकालादित्यधिकारेनमधाशनीमतरतिट सिद्धतिाएवंदेवटाभनोभू नोभावीवादियाष्टिक विषाष्टिकसव्यायाः संवत्सरस्पत्फतरपददिगाहयित्वाभानावरील गितिदिवास्तामेडविपरिनिस्तिोमायानाडकरामकृविशेतिलोपथि मात्रयविशादौरिलोयागार विशनिशिबाइतिनिथांचात्रनावयवार्थकश्विदसातिभावापद्भिरिपत्रपचनशब्द ४१६
संरक्ष.
अश
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स्पदिलोपनियत्यय कुन्तंचनियापनासचानेकार्थकापछिंदतिवेदविशेषमाहायस्पर्मचा तरापादाप्रतिवक्रमसनिवेशब्राह्मायातिप्राचदनावसंख्यायाकनवानपरिथ इनिादशरथइत्पादोदशनोपरिमणामस्पर्विशतिहयोर्दशनादिनभाववानिवप्रत्यय विशनिप्रत्ययंतिमव्यासानभसाताभाध्यक्यटविरोधानाधाविंशयात्रिज्ञानाचाहीत्यत्रांनोदानना दर्शनावात्रचसंघइत्यनुकतने हवसंघासम्महस्य योनिमा यदासंघस्यैवप्राधान्यनविक्तानदासबंधिनावधीभवातागवाविंशतिरितिसिंघसंधिनीस्ताद म्यादड़तावयवसम्महिनएवग्राधान्यविवहा नैदोस नाधिकाया भयत्रप्रष्टमाभवतिविंशनिगीवतिनाहशसम्महिंदयविवज्ञायाविंशतीगवांगा वातिवाहिवचन भवत्येवाएवंबहुवचनमा दोसरत्यासिययेचेंतिनदस्यपरिभागामिनिसत्रमणत्रयागदर्शनाविनमान
पतातत्र
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३ सिरख त्ययाचदिशनांचवारिंमावइत्याचत्रिंशजत्वारिंशनोरिनिासामीप्यपष्ठीद्विवचनापचम्प ४१ र्थव्यत्ययेननादनितनव्यानचत्वारिंशैनाबामगाइतिरेपविनिर्मनयाठेठसमाहारदात्पर्य
म्पकवचनअन्वयातचेवालयास्पसैजेत्याननलीकेपिसाधुत्वासहाछदादिनित्पग्रहरा अन्पाचरभाध्यताएवं हिमस्खत्यज्ञादंडादिष्यदित्यनुवर्तनइत्पाहायस्वादानाच बर्दडादिभ्यायानियठतिानडाव्याविरोधादयनामितिहरदत्तमाधवादयानधयायाधाह नोवावधान हितावेफनायघत्रयविधीयतनदैनघज्यनीयदित्वत्रयविधीयतस्वरोभियते निकर्डकराकडेंगरेलियाटस्तुमाधवहरदनादिविरोधादयतास्थालाछयतावनवनयाक विविधज्ञालिताइत्पर्थनयज्ञियानि अथासमयोविहानशाखेशानिविइत्यादेशस्याने वैविधवानहायता सम्पातिप्पनियोदेशानायज्ञानयनेयोग्यावेज्ञानदानावि राम कमाविकशोमान गोगामबन्पायनशानसिध्यतानिवाधिकारभनाइननी ४२
धिर
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रापर
पातम
मसिद्धानरत्नाकरेाही यागांठगाँदीनाहादशानांपरिक विछोदनसलदयनयोगीप्तचयरूशष्याभ्यासपघमानमन्पनरासंनिधानयधपिनसंभवतिल थायिशिध्यएवंयत्ययष्टानयरावित्याशायनाहायारायगिकिश्वात्रनिायजमान इदमय्यत्रै.इति३। व्यतानविनाविषयीभूनार्थनिर्सिदेवरितून अनभिधानातानचैवंसोशपिकासशयापन्न मा नसइत्यमरविरोधासंशयापनमानसंयस्मिनविषयेइत्यानानताभिगेनिइहपंचम्पानान्प्रत्ययाय योगाइहनित्यग्रहाभाध्यलयत्पाचकशोधश्पनुवर्ननेपधिनशवाहितार्यानास्मास्पान्प्रहने येथादेशश्वस्यातानरयधेनावान्प्रत्ययार्थीगछतीन्याकथनानप्रतिमयसमभियाहतश्वश इस्ततमानजातीयमावती निन्यायादित्याहाउतपथनगछनीतिइहापिसमर्थविभकिस्त निर्दिवाटतीयेवाकालान्शानेहस्वरूपग्रहगोव्याख्यानातानमधी इत्यापनसयोगहिनीयानि ईशाच्चोतननिनि इहकरसोरतीयाकालस्यनितिक्रियाप्रतिकटीबायोगानाचरनिर्गनेते
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सिरस्व ननिनिमित्यत्रातकरीनिविशेषाउभयत्राय्यंत विनरापाहतःकर्मशितग्मासाहयाखनो ४२० निवस्वरार्थयुवनावानेषेधार्थच्चामासानाभायमादिगार्यपायित्वादनदानातिनहिमास्यइत्यत्रकाल)
नहिगाविनिरर्वपदप्रतिस्वरोभवति अध्यईनिलुइवनांशयात्राहयित्वाभावातायवयोनिनववव्याख्यानतंत्रीघहीनतासमाहारइंदावेतुनकश्चिदोषादिअहनीमतीमतोवेनितद्धिता हिंगोलपरवाच्य देशेवहाहानइनिस्पादित्याशक्याहासमासोनविधेवितिय दयनिकालपादा यसमासांतस्पानिपतामन पातचिन्यासत्यूपिसमासोतेअनादेशस्य इस्तियोकरूपम्पनिबधि लातानित्यत्वादिनिातत्रलिंगबहित्रिभ्यांपादनखातिरत्रेबह बाहिहयामिनिभावतत्रनव्यमनटचाअभावशिवारेवेतिनियमाहिलोयाभावे मोनालिसा तिबोध्यावाचलुगिनिजातिशयानातुखस्त्याएकदाविधेयलोहेश्पचयरियोगांदितिभावः। राप्त व्याधिरितिअननग्रन्पपार्थस्पाधेननौकावितवातिनित्यंलकेतत्यानाकर्मकरिष्यनानिचूिना ४२०
नो३
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हता दिस्तविशेषाफलादिकंदास्पतीत्यर्थगद्विवार्षिकोत्रमनुष्यइत्पकारपोषोबोध्याने नचिनवनानिननित्योपरिमागोतस्पायस्पलेखन केनचिनिनाकाशिनस्पप्रागेवोप व्यसवानापष्टिकागएकवचनीनस्पापिदर्शनावकवचनमनेत्रमिन्पाहाषष्टिकोधान्यविशेष शिलानदस्य ब्रह्मपत्रिस्यव्याख्याध्यमयिकैयौव्यक्तमासाऽस्पतिवाक्यमासस्यप्राधान्या
प्रथमेवभवातानवहितायातस्याषष्ठीविषयेविधानानामहानाम्यादिभ्यतिबलच यस्यप्रत्ययार्थत्वान्सामर्थ्यलभ्याषष्ठीसमर्थविभक्तिगनदासामितियदावमहानाबाबतमा विभत्यामहानाम्नाशब्देनोव्यनेतदावरतीनिवनयमितिवचनान्महाना मीनिमाहानात्र कातिभवतिउभयथायिऋविशेषहरू नयाभाषितसंस्कवाभावोसंवद्रावानेनिभायसन नाहरनस्विनियोगिकरवायमिनिमन्यनासज्ञायामशीतितत्रभवत्यसिसिपिदिगो लुगनयन्यविज्ञबाधनार्थवचनाठजस्वमा प्रासदायस्याकालवाचिवालदनविधधमा
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सिर-स्व चाचदीयते कालवाचिभ्यो दीयते कार्यमित्येतयोरर्धयोर्भववत्प्रन्यया स्युः इह कार्यग्रह ४२१ त्याख्यातं भाय्याय हिमा से कार्य तन्मासेभवेतत्र तत्र भवत्यनेने वस्त्र निन्देवं दीयते 142) सामपि व्यथी मासेयद्दीयतेन दयिमासेभवास त्या योगो विभज्यते । तञ्चदीयते यज्ञाख्येभ्यइन्य नव ने अनिष्टोमे दीयतेच्चाग्निष्टोमिक भक्तमितिसिद्धं दीयते ग्रहप्रत्ययविध्यर्थ मे वोयानं नत्वति देशाथीनन कार्यभवव दिनिएवचभववमहराामयि न कर्त्तव्यमित्तिभाष्याशयइति दिना श्रव्य यसंघाने निविचनाद्दाकार पिप्रत्ययका लाघत् ग्रहशामिन्या हाका पेशा नमिनि। प्रातःका लेकाल्प साधुत्वचि पाष्टे । प्रकृष्यते यमितिप्रकृष्टः । कर्म शिक्तः ठज्यूह मननरस्प यतो न रत्रिशंका निरा साया ये कामारि प्रयोजनमित्यनेन सिद्धइति नियमार्थमिदं सत्री चौरे एवसा धुर्नवभिताविति । नथाटित्वं कार्यावधारणा थंडी बेवन त्रिस्वरइनिभाये हमे वांगीकृत्पात्याख्या राम नैस्तचाभिज्ञावनभिधानात्र भविष्यतीति आकालिक/समान कालशब्दादिक प्रन्पयः यहाका ४११
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ला४
लादेशोनियान्यतासमानशदश्वेकत्वाचीएककालावाघनीयस्पासावित्पाशयेनाहासमानका लाविनाअादिजन्माचनौविनाशानदेनदाहााथविनाशीतिविधीत्वयमर्थक्लेशेनलम्पनइनि नियातनाश्रयाउनचाधाचसाधनकालानोंपायनियमस्पचाबबंधविकारागीरथ चिनियातनमिनियाकरिश्वाआकालशहस्पयंत्यति प्रदर्शितानस्मास्वार्थ प्रत्ययाचार उनाअर्थान्यता इतिश्रीमदेण्याकरणसिद्धानरत्नाकरेख्नारोवाधता निनावल्यातल्या रितिटतीयाविल्यमिनिसामान्यनसकंवाहीगोनैतिावालगाशवनकर्ट केध्ययनेभानः। सादृश्यविशिष्टप्रत्ययाथीनचन कियाभवतीनिप्रत्ययार्थविशेष कियेतिप्रधानान्वयस्पाभ्य हितित्वातानचपलत्पविशेषगायुक्त क्रियावाचकारतार्योनादिपोवाकियावहाबकार तीर्यानादिनिवानाधायचादेस्तनीयातत्वायोगानाधर्जनस्यूयाका देसवार्थकस्यक्रियावाचि वाभावान्याकेनठल्पत्याकाइन्यत्रानिध्यातवाहितीयेपिन्सतर्वगापानहर्वप्रकारतयावानाधा
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४२५
सिरानचैत्रेगवल्योमवत्यत्रातिप्रसंगासायनिकसंभवमतगनेरन्या पत्यान्मवर्थलतरसायनेश्वानहितीय
बालगोनल्योध्येताइन्यूनानिप्रसंगादितिकय्यूटमधेत्राखल्योबालगइत्यत्रातियसंगोएका इतिदिनाकिंचाअस्मिन्यतैकियावानमाययार्थस्यारतथाचस्वरादिषुवतैरव्ययसैज्ञार्थीपार कर्तव्यालिंगर्स्यावाभिधापिचारायत्ययार्थविशेषत्वेन्त्रसत्वझतक्रियावाचिवा त्रव्येतीन्यव्ययमित्यन्वर्थवादययवसिद्धौवनेलवपारोनकर्नव्यइनिलाघवमपीतिभाष्यकैय्य योधतातथाचबाहगाककाध्ययनसहशमेकत्वविशिष्टतवियामिन्नाश्रयकैवर्तमानमध यनमिनिवाक्या यशावल्यइतिव्यस्पापलशगरगाग्रहगचित्रातल्पोधनानियस्य। अनएवमहानसवदितिवून साधुत्वार्थवकिमानभवितुमर्हतीनिक्रियायदरड्नेहाचीची नास्तमहानससहशापर्वनइतिवाचतारागःस्वभाध्यादिविरोधासाहीतथैवयुत्पन्नस्पबाराम धोभवत्यैवेतिबेत्रासाधुवमात्रनिराकुमेनिबाधंउक्तंचा भेषभेदकसबंधोपाधिभेदनियंत्रिीमाधु ४२५
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उनदमावेयिबोधोनेहनिवार्यतइनियनचकारकेस्फुरीकतमस्माभिरिन्यासानावना नत्रत स्वाक्रियेनिनालवर्ननेयुगादयादितुल्पार्थमिदामथुरायामिवेनिस्वाधिकरणाकारमधुरा । शोभातामधुराधिकरसा कयाकारनल्पकचाधिकररावयाकारहतिबोधाएवचेत्रशश्वैस्वावः मकमानाइवार्थस्याधयेत्वचाचयानदेहीयवाघजनोअहिशबानघोगकर्मशिषष्टीयाना सौत्रत्वानेत्यकाअन्धन घोषष्यानित्यवेलिंगमिदनिनधयैरामोहमुत्तममिनिमहिः साधनइत्याहिनीपानादहशास्यकक्रियायविनिर्भवतीनिस्वार्थ राजानमहीनेटतन
राजानब्राह्मयामहनिहर्तनत्वबालसा राजवदननेवाझावहर्तनेअन्यानवनिमात्रनात्य यंक मिदेवाकामिनिसाहश्याभावादप्राप्तवत्पर्थस्त्रीविधिवदिनिकमाशोकिानयाचहरिकृमि कावेत्रकरकापजाविहिन मेवट्यमहनीत्यर्थः निषिव्यव्याहतपर्थविशेषगाभावेवाकि निचर्हयाक क्रियात्वस्वेनिकुनौलधमनहानियाग्रहशामिनिनिस्पंफलमाहात्रमिनिम्नहि
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मित्यादौर सिरस नयान्मकमिनिभावायथावद्विहिताच रायेन्यादीयथाशुशारनिविषयसत्वार्थकानयाशहापात्र ४२-नएवनथान्वयथादेववनलावादयसिद्धागयोग्य नामहतिविधानमितिक्रियायामप्युययघतोनिस्वभाव
ननुभावशदोडनेकार्थाभावेवाकमकम्पश्चिाभावकर्मयोरित्नादावसत्वभूतक्रियावाच्यकाभावे 43 जित्पादोसिद्धावस्थापन्नधात्वर्थवाच्यन्याभवतीतिभावाभवतेश्चनिवतामितिकनेरिराायित्प
यातायदार्थवांच्ययअभिप्रायवाच्यन्यातना पश्चचलविधेधपिभावेषत्वतला प्रसंगातचवा निकलताअभिप्रायादितिग्रसंगश्तीत्याशक्याहायकृतिजन्यनियिस्मिन्निमिनेसत्यर्थंगवादोश द्वाप्रवर्तन देवपतिनामिनायावानकश्चित्यरोप्रयाभेदकोजातिसंबंधादिरथीससहभाव शबागोत्वमिन्यादविभिप्रायादीनीभानाभावादनभिधानाननंत्रवतलादिरितिभावानन्यवाद वार्वदावनिप्रसंगसत्राहायकारइतिारापनिनिमित्रत्वसनीतिशेषतेनराजयुरुषत्वमित्पत्रराज वादानायकारवेपिनतनिघिटत्वमित्यतीव्यवादेरभानात्प्रकारत्वहरायेतमितिभावागोभीवान राम गवादयायदानातिमात्रवाधिनस्तदानम्पाशदस्वरुपयत्ययाजातावर्थएवगोशदावस्यमध्यातायोगोश४१३
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सुएवार्थनिएवंचशवस्वहसमेवपरनिनिमिर्चनान्यताजासपलचिनजातिविशिष्टंावाच्यातदा । प्रत्ययगरगावाचिभ्पोरसादिशबेभ्यस्तगुरासमवेतसामान्यविप्रोषप्रत्ययागुशिहित्तिभ्यस्कयुगल
महद्दी/दिभ्यानित्ययरिमाणवाचिभ्पकपरिमारोगुशोभावपत्ययः सात्विषन्तमित्यादीभिन वसिमसामान्यविशेययत्ययः समासनहिनेभ्यस्मसंबंधातपातपैवपरनिनिमितत्वात राजपुरुषर्वपाचकवमिन्यादीस्वस्वामिभावनियाकारकासंबंधयोपनीनानायगवत्वामित्यांदा वयत्यापत्यवासबंधस्पार्कचहरिटीकाव्यासिमांसहनाईभ्यासंबंधाभिधानमन्यत्ररथमित्रहमा व्यभिचरितसंबंधेभ्वाइनिशिबागोरमखसम्रपभिकारहस्यादयोजातिविशेषावचिनद पवनातभ्याजानाप्रपाभिन्नरूपा शुक्लादयामउलक्याश्रीयमातहितातत्त्वयिगुगायु
नाजोतितहतारवभदाभावानभ्यागुतोप्रत्ययोनसंबंधाचाभिचरित्नसबंधेसनोभावसना, दहसर्वस्यायिसत्रयायमचाराभावाबधस्यापितथान्वनसवभावयत्पयाधिववादस्वाम
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रा४
सिरस तिजातिसमुदायोकुत्वमित्यादौसंशिवयात्मशास्तस्येप्रत्ययाकेचितुसंज्ञासंनिसंबंधेश्यामात्र ४४ यवाप्रविधवाबगवासूनासिवसर्वत्रव्यक्तिविशेषविशेषितावनलादिवायाऊतचहरिशा सामा
न्यान्यभिधीयते सत्तावान विशेषितांसंज्ञाशहखहपेवापत्यपेस्वतलादिमिरितिदिवदनादिवपि बाल्पांघवस्णभेदेनाथूयभेदाजात्पंगीकोजानाप्रपयइनिदिशाअधिक्रियतेतिानन्वधि कारादेवसिद्धीमत्रमुधेति चेन्नाअसतिसूत्रेतरस्त्रागाविधेपनिर्देशेन निराकीसत्वातंतली रविकारस्पसंदिग्वत्वाचावस्पप्रयोजनीनरमय्याहाकमाशीविधानार्थवेनिअन्यथाभावसा वकाशयोस्वतलो कमायगावचनादिन्याविशेषविहिनेयजाबाधप्रसंगान नाम यातितरथानाभवनादितिविशिष्टावधयरिग्रहीताभ्यो नतिविशेषयरस्कपरिहत्पव शिक्षविहिता-पाभावेषकन्पतरे चरितार्थपोस्वतलोबीधोईवीरइतिभावाननन्याएवादिम्पत्या राम दौग्रहगोवततिनियेधाघधविनदंतविधिनसिंनयाम्पतएवनिषेधानदंतविधिरिहास्तीतिज्ञापताप ४४
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रोहिनादौराजासेइत्येतत्सामान्याये संवाज्ञायकंबोध्य। इदं सूत्रं भाष्येान्याख्याना न था हित्वनलोस्क निषेधो नेष्यते । इतउत्तराभावयत्ययस्तनपूरुषाइजी हेरन वातत्पुरुषाच्च नैष्पतए । तिच्चतुरासंगनापानसमासाएवाह तिगरावाडा (मरणादिषुवा ध्याइति कैप्टः एवं चहस्पति त्वमित्यव साधुन बाई स्यत्यमिति शहरपिायलमयर तेत्येव सोनत्त्वायस्वामि भु४ तियथोत्तरमुनीनोप्रामाण्यालाष्टथ्वा दिशादी हि येऊन लघुपूर्वीप्रमनस्तेष्वराः समावे चराउ- ६ि:६ शापंडखेडादिषु ॥ वाचिषुष्यजः॥ बाल वत्सादिषुवय नेत्रः पूर्वे रासि वह । गुरा वचनत्वा देवसिद्ध विजय वचन चिनी तिब्राह्मणादेराकृतिगशा त्वाष्य जिमिवान्डा हिलस्त हिनस्पतिपलाय एवं या था कामीत्यादि । इह गरोस्। वेपत लाभमतिमनः शारदान॥ विशात्परे यया तादयः पंचन देता समासानानुष्य ज्यात विद्यातत्त्वंवियात नावि यानिमाया पाए विलाभ त्वमिन्यादिसर्वेषां चत्वारिज्ञेयानि विमतिश देवगनचादा
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४१५
S
सिरस वमतमितियंचमंबाध्यासमामनिमनसोरासमनित्वंसंमति नेपादिपूर्ववत्यंचरूपी संमनस्वमित्या
दिवतरूपा गुणवंचनाक्रिया कार्यवेहमीप्रावनिगमाइति केचित्यास्कातिरानघथा अहनोनुमचेतिनुमथ याठशतनव्याभाध्यतस्ययाठादानिकमिनिटसम्याएकमावत्रिभावाय न्यभावएषोयाठवार्थविधानाधान्यभाव्यकालशधावायादिनिवानिकहदपिपायास विवेदानिार्वकालेकइनिसमासाउभयपदहानि कैय्यय्स्तनशतिकादेराहनिगावादि अप न्याहाचतुर्वेदइनिनिहितार्थदिगौहिगार्जुगनये त्यगोलशाचनविध निविद्यालत्ताकल्यन बानादकल्या दरितिठक्तस्पलशासंधानग्रहणामिनिावीयहोव्यस्पेनिचेन्यकारलोपेनस्पः दानिवद्रावादयादेशस्यादिनिभाका आरमसोमीनानर्थकरतिनिषेधाचसि हार्नेलान्यस्पनाकपिज्ञात्यो हकपिज्ञानिशहादी अदोनत्रयया संख्यनेष्यनाएवयत्यतय राम रोहिनादिभ्यताहियनातयुवादिभ्याबंदमनाशादिभ्यइत्यत्रायिाराजासइतिग्रहरावतेनित ४२५
त्यप
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त विधिनिषेधान्समासेासक्तिविरहादसइतिव्यथी मैवी अस्त्यत्रराज शहेत दंत विधिरितिज्ञाप धूत्वा नारादिषु पठितस्पराशहस्यन दतेष्यज्ञानार्थतया केवलेयप्रत्ययेनबा धोयुक्तएवेत्याशयेनाह । राज्यमिति । अतो दात मिष्प जिला स्यादितिभावः। ब्राह्मणाद। त्वसइति निषेधाभावस्ये नदीष्य जित्याह । समासे विनियित्त्व वैष्यधिकरणेो राज्ञः कर्मराज्य तू मितिबालशा शावर भाष्य उक्तरीत्यायकएवन्याय्यत्त्वा दित्तिमहयादाः विस्त तबाह शादेिश कृि चादेवनद नाम्याजिति राजन शह स्वतंत्र पाठोय का समावेशार्थः तिनकश्चिदोषरतिध्यारा भनाइ प्राशि जानीत्येव स्ववचमितिनन्द्यानि जिन्या पर्यायश है। चारो लाघव चादर्श व्यमिनि विभाषाऽन्यतरस्यांग्रह नज्ञापितत्वान् । प्राशादिति किं । कुत्वी जानीति किं डित्यन्द्वात्र मिनि हो द्वाचा दिगगोयर विग्वाचिन तेभ्यो हो या पकाइतिप्रा प्रेदुष्टुखहुशन्नाभ्यगुणा वचनन्चास्य निपाते वधूश हारिनल सोशच प्राप्ने विधीयते श्रा
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सिरस वियतिावतव्यमितिशेधाश्रोत्रियंदोधीतइनियंदसम्बादेशोधनपत्ययश्चनियात्पतइनियते ४२६ घलायश्चतियथाक्रनसाधावाक्याथ्यदेवचन मितियतेधशहस्पेपशदलताकविघलापश्चे
निपाठातव्येनिसंघानग्रहगजियाइगेनाबालघुःपूर्वोवयवायस्पतत्यानिदिकीपूर्ववंचसंनिधाना दिगवधिक मेवालपवीत्किायोडवोकथकाव्यमिनिकिवे कमीतदिग्रहेकावमित्येवन्याय्यमि नियनकधानोरापितिकाव्यमिनिहाभिधानीयकमितिाअभिधेयस्पभावाकर्मवेन्यथागो
चरणायिन्याधिकारादपत्रलौकिकंगोत्रंत्रपत्पत्पनेभ्पनियावनायवराध्यापेपछि नम्पपन्यागोत्रच सायोजनित्वात्मारामजानीत्यनियाग्नेबुजाताधेनिश्ताधादियविषयम नशापाननिझापानिवचनन्वाराअवगतवानिति अवपूर्वस्यज्ञानप्रवरप्रयोगातागा निकयेतिापत्यस्पतियूलीयास्वभावाचावहिवाशनियामाश्रमसिभ्यत्वन्निनिवनाार राम, बलसास्वनिनिवाच्यइनिाविभक्त्यनचारांचायरंलाघभितिभावाहोत्राशज्ञानुहनेपालमाहाबा४५६
पानशेताजवसायोजानवलोक्किंगाबानायमिनामानावयहनावालयसानिधाना
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मायर्यायादिनि॥ ॥इनिश्राम याकरणसिद्धानरत्नाकरेनन्जोरवधिश भवनायज्ञया करिषठीभवनिरिहान्यनिवाचावलोकिकेन्वाकानुदिनविधीववादसमीपछीतिनव्याय वनस्कन्टनायोनान्प्रत्ययात्रहयस्वरेखविशेषाभावादिनिबोध्योबीहिंशाल्यो आने नयषष्ठीत्याधनोरकिनावितिसकैय्यायनिर्देशादेववठासमर्थविभकिसाचभवनापन याकरीत्कमिनिनव्याशतत्यदिनिर्देशादेवतर्हिभवनायत्तयेत्याधुलपपन्नंयदिभवना येतयेत्याधयतेनहिनिशादेवघाउययनामिनियरस्परंव्याहतत्वाइपेयालोकिकेवा क्यषधनादेवप्रत्ययइत्पायहबाजाभावाचाविभाषानिलावनियामवनविभा माहरा स्पफलमाहयत्तेखनिनिाउमाभगयोरपिशासनदशानिधान्यानोनिस्मतौसनदशमोग सानाद्वान्यन्नविवादाभावरतिभाव्यवनासर्वधर्मसर्वश्वमशाक नइनिास शब्दार्थस्यकनइतिष त्ययार्थनान्वयाइन्नरयदार्थनानात्वयान्वार्थसमासडत्याकाहानयोतनादि
ताप
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सिर.स निक्रियायेरायाचर्मात्करणात्वात्करशी त्रतीयासैवसमर्थवि मुक्तिग्यथामुखसंमुखा दृश्यते स्मिनि निदर्शनादर्यशादिश सादृश्यइनिप्रनिषेधान्कथै समासइत्याशंक्या हानिपात ना दिति । एतच्चहति मनोयन्पन्यदार्था नाश्रयं नितथाच भहि। यथामुखीनः सीताया
४२७
42) वैवलोभयन्त्रित मुखमनतिकम्पश्य आयाम इत्यर्थः कर्मशिल्पर / संमुखमितिनिया न्यमान प्रकृतिस्वरूपदर्शनार्थमानविद लोके साधु । त्यलोय स्वयत्यय सन्नियोग शिष्टत्वा तानियानस्य संशस्य समुखी भवेत्यादाव खाभवत्यप्रतीत्या सेवार्थ कन्वा भावानासमि त्युपसर्गपूर्वाप्रत्ययो नेष्यते अनभिधानादितिभावः । यथा मुख दर्शनइति । घोगे कर्मणि षष्ट्या नामयी भादित्याश्रव्ययीभावसमाससंज्ञका नासत्त्ववचनाचेन कर्मत्वादिशक्तियो गावश्यंभा • वाला सर्वस्प मुस्तस्यैति संमुरवस्पैति वने की प्रत्यय सन्नियोगशिष्टस्पलीय स्प नदभावप्रति राम ऋचा मुखी नादशी दिसादृश्याच्चान्पापभिमुखाव स्थान संमुखीनपनेइनि कैय्यर हरदा ४२७
পছে
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इतिन व्या: २
नोएतेन संयुगे संमुखीनतमुदप्रसहेत करतिमहिर्व्याख्यानः। सर्वांगी साइतिसान्मनेरषाम्पामि तिराः। निमित्त्रनिमित्तिनो भिन्नप्रानिय दिका स्वत्वे सत्येकसमुदायस्य त्वं समानस्य त्वमिन्यका जुनरेनित्रेभिहिन वा अन्यद सर्वा॥ बद्धाम क्षय तिनेयेविति नियात नाति-नेनापि धनुरायामे नियस्यचा यामइतिवा यथार्थे यदव्ययमितिवाव्ययीभावइतिभावः एवं चयादसंबधिदैधी पलसितायो ४ संबंधिसाहयत्पतत्र द्वितीये अनुयादी नाव्या नदिनि सामाधिकरराय लक्षशाया बोध्यं । यद्दा सो दृश्य व्ययमित्यव्ययीभविध्य या नयइतिए का नकद त्याशार स्यप्रद हिगमनमपन द्वितीयायेत पाय सर्वव्यवासं गमनमनयोरुटिवशालभ्य तत्रायः सहितोऽनयइत्युत्तरपदलायीतत्पुरु षः समाहार ६६। वास्छल विशेष तिरू मा श्रियैवमुक्ता भाष्य कैप्यूटरी त्यानुगति विशेष वस निज्ञेयमिति यदिकर्मकत्वा दया नयामित्यप्रधानेकमाहिती या प्रधान कर्मशी नहन्यप्रत्य या सस हायस्पशार स्पयरे नीकम्पनेपदं । प्रस हायस्तशारे शायर कीये या वामनइनिसले यो छत वोप
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सि.र. प्रकाशयां विसरत के परमनोरमा दाबोध्यः । शार निःशृशान्यनेनछूत काराध्यरस्परमिनिशारः करो। घन बाहुल्कातायरोवरा अवरस्य निःश्रादेरितिशेषः । उत्ते ने आहुः । एतच्च नियान सामान्येनके चिदि छति । नेन वप्रत्ययाभावे पिया रोवर्यवदित्युपपन्नया र मितिचा तञ्च रमन कारीनरेगासम
४१८ 428
या परंपरा शब्द स्विति श्रर्घषयति साधुरेवेति। रेत्य व्युत्पन्नं नास्तिमानाभावादिनिभा काचय्य व्यक्त अवार था। गामीति । ग मेरि निःञ्चैव नियान नाडुयधा वृद्धि भविष्यति गम्या दयइनि भविष्यत्काल व प्रावश्यकेश निः सोयिभविष्यत्येवेतिया सह उभयत्रापके नौ रितिक गषष्ठीनिषे पाशयेनविगृह्णाति अवाश्या रंगामीतिराष्ट्रा वारे न्पत्रावारपारा हिट ही नादाप विपरीताचे निवतव्यमित्युक्तेन दि हाप्याश्रीयते । नस्तथैवोदा हर तिवारी शाईच्या दिगामी पस्पतंत्रज • नइत्यादि भावा दिहा वारपार यहां व स्त्रीत्वमतंत्र अश्वीनो गोसम्हन्यादाववष्ट राम वाचासत्रमितिवष्टये वाच्चेत्याविषस्यविधेरवष्टब्धशयासन्न नाचान्यर्थः
श्वोवेतिवा ४२८
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निndda नियाननान्समासोपियागवीगोशहोगो प्रनिदानेभनयावन्ननवाङ्मर्यादाभिविध्योरित्याडाव्य याभावेगोखियोरिनिकस्वत्वेचकृतेरवप्रत्ययाततारमानदाहायत्पर्यगायनमितिअशापश्चादर्थ ऽव्ययीभावोयामनिदर्शयतिागो यश्चादिनिहितायांनादिहप्रत्यया क्रियाविशेषणात्वातानचखपजाता विनिगिनायोगकर्मसिधष्ठीशव्याक्रिपाविशेषणानदेयते शोभनंयाचकुइत्पादोषश्चदर्शनादिति हरदनालयकन्यर्थप्रतिहिकर्मवन भावनामापनिताकर्मशविक्लिन्यादेशानियदिकार्थवाभावा संकोचेमानाभावाचकतदिलित्पनुकूलव्यायाररुपीप्रकल्पग्रनिकर्मशासडलादेववषष्ठी स्तनस्याशयनिनव्या अनेर्दवतव्यालिगसत्यानन्बायनायाभावनातन्मात्रान्पायूनाकारकल कर्मत्वादिकचनिर्विवादीनथाचतंडलादेरिवोत्पनिलयफलशालिवैविक्लत्यादरय्यनीनिनभावना मावंपनीन्यपुतलतायस्यहरुपयादवानाचिनकमशोविलत्यादरियादिहन्तयन्यासोप्य नन्दिनएवाप्रयिचनेनहेवमादिलिने कर्मत्वमेवने सुचतेउतालतानाघाशोभतंपचतीत्यादी
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सिरख
कर्मत्वाभावेनद्दिशेषरोद्दितीयानायत्तेः । कर्मगो विलिन्यादेरिफ निविरोधाञ्चानाद्दिनीयः। यश्यम्टगोधा ४२९ वतीन्यादौयाति यदिकार्थत्वाभावेपि कर्मत्व स्वीकारा चेन्याशय व शनि नसम्यगिति विभावनीया हरद 429 नमने हषशांत राशि द्वितीयाँ कार के प्रतिपादिता नीतिदिका नव्यास्त प्रथमीता देवप्रत्ययः। यश्वाद व्ययीभावो येपश्चादितिचा स्तात्यर्थे नियात्न्य नेतञ्च विभक्ति योग्यतावशन्सि
प्रम्यर्थ हस्तस्य गान्कमषथा शंका पाएवाभावादित्याः । पर्याप्रमिति क्रियाविशे घध्वनिगद्यतीति ज्यलक्ष अध्वनोलंगामी निर्विग्रहीतुमुचितत्वाद् कर्माशिष धावन्याय बादलो किकविय मोगा भावेषिता देवप्रत्ययत्यवधेयं श्रपमित्रा ताल तनाभिप्रतीत्पव्ययीभावः क्रियाविशेषात्वाहिनी यांना प्रत्यय गोया गावस्तिष्ठत्य स्मिन्नित्यधिकरण घुनर्थकः । ब बेतिका एका हैनगम्यनइति । कर्मण्य निघात ना दे वन ग्रह राम गृहनिश्चिगमञ्चत्यनेन परिमाणा रख्या या सर्वेभ्पइनिघना बाधा नए का है नेत्यनेन परिमारास्पबु ४२८ भविष्यदाधम गाथाभावेना के नौ रितिनिषेषाभावा४ उपस्थितायोगे मानाभावात् ४
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ध्यमानत्वात्राश्वस्येतिरुद्योगल सणाकर्त्तरिषष्ठी शालीनकोपीन रुठिश हा वेनेोत्रशालाकूपना द्दाभ्या मुख्य तम्पाप्रत्ययो नेष्यते नभिधानान् किंतु रनिविषयेशाला कूपशहौल शायोख कर्मिकार्य कियायी कर्तन इति गम्यमानार्थत्वात्प्रवेशयतनशोरप्रयोग एव लोपः तक् भाप उत्तरपदलोपत्रष्टव्यति 'शाला प्रवेश मिति श्रप्रागल्भ्यादन्यत्र गतुमशक्तः शा लाभवप्रवेष्टुमर्हतीत्यर्थः कूपपतनामितियद कार्य तदा छादनीयत्वात्कूप पनमेवाई तीन्पर्य तप तत्साधनत्वादिनि कार्य हेतु त्वाशन से बुधा दितियुष लिंगसे बलवस्त्रे खंड स्थास्ट शेयत्वादि तिभावः । जातेन ष्पानुरोधा विशेषयत्या शरीरायासेनेतिभावाहनादिने पर्थ। स प्रभिरिति हितार्थी डिगांव वापतेत्पर्थ खञा हैं । दोहइति । गौदह इतिषष्ठी तरुषः सशन यतिसमासः ततोविकारेानुदानादित्वादनिप्रावन घसशक्ष कालप्रत्याससिचयतितेनाविद्यतस्य गंधमेवघने है यंगवीतमितिभाष्प के प्यठीाम रो
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हात हुहैयंग वीनंयद्योगोदो होद्भवंघन मिति भाष्यादिप्रसिड्रमर्थमुये हरदत्तक माहात वनीतमितिनि स्वयाकमूले। इयं स्पष्टा थी पाकः परिणामः। मूलमारंभ। समिति अतिशय मूलप्रति यचाने नविना वित्र प्रसिद्धा सर्वेषाज्ञायनविषयइत्यर्थः "विनाभोगप्रत्यययो रितिनियातितः। विद्याचंच रितिकार गर्भास प्रत्ययः । विनभ्याना जानकारः स्वरार्थीह पर्थश्वानानाच कायम्पतितौनथादर्शनाचा वेशाचा क्रियाविष्टेति यद्यपि भाष्य पत्रक शिप या वाचीशनप्रयुज्यनेन त्रस साधनां किया माङ्गः प्राद शह शक्ति स्वाभाव्यादित्युक्ता तथा पिसाधन विशेष्यकबोधान सा रे गा क्रियायसीन साधनमारित्यतिकैप्टेन व्याख्यान •वान विरोधइतिभावः। विशालादयोरुदान यौगिकाः। विशालेशृंगस्प तिगव्यभिधेयैमन्तर्थी यो मानभवत्पनामधानादिति कै यरः। संप्रोदयाच्चाविश्र्वव क्रियाविशिष्टसाधन राम वाचिभ्यः प्रत्यया३या। इहचा वार्तिकान्याह । लाबू तिलेति । भंगाश दृष्टाः साधा ४३०
यःप
३
सि.र.ख ४३०
430
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त्यानांचाषामित्पाघदानवादजसिकटलिधिभाविकारप्रत्ययायवादोयरजसोविकारवाहात्र लाबकटामितिारनमय’तयोरितिमय हयानमनिलामाशहाभ्योधनादित्वादनोदानाभ्या मतदानादेश्वयनमयदयानागमोगीयविनिवृञ्चासज्ञानिलयवाभ्यामितिमयदैनिहरदे काननिलशहस्यछनादिविनीतादातव कैप्पटहरदनाभ्यामनातविन्यासराधान्यानीचद्यवामिनिकिटसर्वशकिदानस्पयुक्त्यारतिलाश्चमाइतिवेदेत
व दर्शना बागवाखानमिनिनस्यदमित्पर्थसर्वत्रगौरजादिपर्सगेयामासंघानइतिअनसनावयुवास महासघानन्यस्तावयव विनासासामहिकानांमयर्वदोकथ्यचौहित्वइनिप्रक्वंपर्थस्पाई त्वैधोत्पइत्पी नष्टगायुगमिनिअवयव संघातप्राधान्यादेकवचनंत्ययेचमिति वताव सुतस्त्रावितिगोटजादयत्यादीनिषद्धानकानिभाजयमानांद_ोष्ठादिमिहिमाश्रित्ययत्या ख्यातानिाभवनक्षेत्रेशाकर शाकिबोस्वतंत्रोवनव्यांववनंकस्पनिदपवादाविनावटीमि
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सिरखति॥ नासिका साधनेनम ने वर्तमानात्स्वार्थेप्रत्ययः॥ किन स्पाकिंनशहस्पचिलपिल एनावादेशौ ४३१ सोल प्रत्ययश्च वाच्यत्पथी। भाष्येतस्य यहां प्रत्याख्यात चिल्लेचछषी इति प्रयोगसिद्धार्थ चिलः इत्यत्र तु मत्वर्थीयोज बोध्यइत्युक्तं स्युः किन्ना चिल्ले चुल्लपल्लाः किन्ने शिवाय्य दिशा उ ५३ | ३४ मन्यमाप्रमाशयसचा मारो वर्तमानात्पथ मानादस्य निषष्ठां नार्थेयरिघेवाच्यत्रयः प्रत्ययस्मा शामिहरको कमान त्वा याभए वा व्याख्यानात्र माचचभव तिहियसर चौतर्धमान विधीयेते । प्रथमश्च द्वितीयश्चक र्ध्व मानेमनीममेति भाष्यानएन चवचनं नियमाथी तत्र नये नमी यने तह र्ध्वमानमूर्वादिते नायामादौ न भवत
माश लइति लतिल कार्य मज्ञापूर्वेषा प्रमाशावाचि त्वन्ये प्रसिद्धादिष्टि विनस्त्यादयस्तेभ्य • परस्यैवार्य लुग्विधीयनेशमा दिष्टिर्वित सिरितिएभ्यामात्रचो लुकने तरयेोः शमादीनामूर्ध्न राम मानवी भावानाद्दिगोर्नित्यमिति हि गौर मारा त्यान देन विध्यभावावाज्ञ पूर्वेणाया प्रोलुग्विधी ४३१
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यताविकल्पस्यापलतत्वेपिनित्यग्रहांसंशयविधास्यमानस्यमाघचोलुगीदौशमोस्पाती नवाहिशमनि अन्यथाप्रमारामस्यस्यान्भवानाममात्रमित्यत्रयंथालुभव नियमाशालइत्यस्पसौत्रपानिमात्र विषयत्वातासंशयेमात्रचापिलुकिंविधानवैयारत थेहाधिनस्यातातस्मानित्यग्रह बाधकबाधनार्थमवाअंनएवलिंगानदंतविधिशाहिश मइत्यादीप्रकरणादिवशासायनिश्वयविययप्रयोगावधारीतवार्षिकीनाडामा वक्तव्यापारवेदोपाधिकसंख्यावाचकालमित्रामध्येऽवाच्य पंचदशमंत्रापार यह मागमस्पपंचदशनामायदानुसाल्चयालुलगायायचदशहारात्रिमाहतदाडीबधीर वायचदशराविरिनियहसंख्यायासंज्ञासधेत्यत्रतामेडावा ननदर्थियदिप्रयोगामिनाविन्यपचानथाशनशनोडिलिवायदशाघथमितिडविधा नाईमासा उभयत्राननैवडिॉनप्रत्यये सिद्देशनशनोर्डिनिंछदासिवनयंतिवचनचो
व२
डनवाच्याघानामासापचदाण
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ל!
सिरख निकेप्पट विंशतेन डिनिर्वक्तव्यः विशिनो गिरसः । निविंशतेरिति लोयेयस्येतिचेत्पल्लोपः। ४३२ तस्मिन्कर्तव्येऽसि दुवैनितिलोपम्प नासिद्धत्वं विशिनइनिभाष्योदाहरणादनित्यत्वा हाय मारा परिणामाभ्यामिति विशदा वे नौ भेदेनाया तो परुषहस्तिभ्यत्रयद्दक्तव्यनख 43- रुषात्प्रमाशोशतिस्तत्र एवाय चिनेननंतर वावधायी ग्रहशावनाओ। नियदि केननितदन विधि ५ निषेधाद्विगो नीयन देतेभ्यः । पूवीचा पाडाव विहिनवेन स्तन्मते त्वावतः पुरुव सीय विद्यस्पमावत इन्यादाव वग्र हो नस्यादत्तो व बेव न्याय्यइत्याशयेनोदाहरनिया वानिति । सर्वनाम्नश्त्यान्वान विपरिमाशा किं परिकेदक मात्र मतय रिमालुसर्वत इति सांकेतिका नाघः प्रमाणाइत्य नुक्त्यैव सिद्दोपरिमाणायहावे यथ्यीयते न हितीयः॥ यावती भायया बनी बुद्दियावान ध्वायावती रियाध सिद्यापतेः। आपामादीनीयरिमाण राम त्वाभावातापसद्दयेविशेष विहिने नवल यामात्र जादीनां बाधान मात्र यन्मात्रमिन्पाघ सिद्ध्या ४३१
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यनैश्वात्रोच्यतॆासांकेतिक मेवे हयरिमाणांघते सामर्थ्यान्यावाश्वान्यराशिरित्यादिकमुख्यम दाहरसीयावनीभार्थी यादी नीलक्षशायासाध त्वं बोध्याएवेचप्रमाराइत्य नुहत्यामा गोपा केभ्योपदादिभ्योवून विधीयते तदावविशेषावहिततया सामान्यविहिता न मात्रा दीन बाधेनाप रिमाशाय हे शोना सतिमित्रायाधिविषयत्वात् बाध्यबाध भावाभावः तिनत नमाजयन्मात्रमित्यादि प्रमापा धौकन्पथे सिध्य निनित्परिमाराराम स्यधान्यस्थत न्यराशीकृतनावत्प्रमारामस्य कु यादेस्तावन्मात्र याहया शीन स्पधान्पुस्पदे नागस्पापीत्यर्थः। एकविषयाचे व तुपे वा वा. विशिष्टस्य प्रमेयस्य तदतान्मात्रादयो न स्यस्य हितावन्मानस्तत्प्रमाणाभवत्येवेति नाव स्वतत्रापिप्रयोगस्यान्यथा मात्र जादिप्रत्ययमा लास्यादिति कैम्पटन व्या वाच्य देव व्यापरिमाणाग्रह तुमतिभिन्नोपाधिविषयत्वा हा बाधकभावाभावइतिक् सवको थमन किंशाधिक्यामुनयो तिकएव सौर्थः। नाद्यः ॥ मनौयाधिविषयत्वादित्यादिया दधिकार
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मिरव ४३३
1132
योपन्यासवै पर्थानानदिनीयाप्रखमात्रमित्यादिसिद्धपहियरिछेदकमात्र प्रमाणशहेनगघातत्य. कसरपिाइहचसांकेनिकंपरिमागधतइत्पपितियाचप्रकृतिविशेषमविशेषचायजीव प्रश्नस्यवडेयोनिरवकाशनयामात्रादिबाधकबंडवीर मेवेनिनन्मात्राघसिद्देशभेदमात्रे साबाध्यबाधकभावानकीकारयदहीमादावपिनन्नस्यादिनिसपिलवायतश्चातस्मा कैयूया कर्जमाध्यव्याख्यानमहकमेवाक/नायिनमात्रनन्मात्रमित्यादिासोई शिनिचेनापोगविभाग नतिगहारानियथायतदेतेभ्याप्रमाणोदयसजित्यादिसत्रमिहावननानत परिमागोवंत पू यतदेतेभ्यइत्येवानुवर्ततेनान्यदितीयभायाव्ययामिनिसर्वमनवघमितिदिकाकिमि दोसामर्थ्ययोगविभागवाभिोत्यव्याचशेाभ्यांजवस्यादिनिर्वियानिनिश्दकिमारी राकीयस्यनिचेत्पन्नापश्यानितिप्रत्ययमात्रमवशिष्टाकिमासंख्यायरिमाासमायोयरिमा राम गंपरिछेदस्तस्मिन्कयेयाप्रश्नतनवर्तमानाकिमोस्पनिषध्यर्थडति स्यासिव्यांपरिमारो ४३३
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AAHOTOSetoseak
ECT
वितेयेमाभरायमेषादशानांसख्याअबनानाममंत्रागोजानिमात्रायजीविनासहनशासमेत -नानायरिपन्चनविधतइत्येवेसंख्यपहारगोहसव्यायानिंदाजियासत्यापाअवयवावयवैवर्तमान नायसियनदाचर्कदवयविनिवाच्यतयपस्पानाअ स्पेत्यधिकारादवयवीप्रमउभादानोमया३ हादातन्वंप्रत्ययस्यादेविविधानसामीरानन्सर्वस्पोदावसंभव अनुदानयदमेकॅजमिव वचनाताSत्यस्पनुचित्वासाशनसहखयोरेवनिवाधिकसमाननानाविश्शनसहयोग यस्यसंख्यातदाधिकोडकर्नयामनाममेनिभाष्यानाशतावविश्वाप्रत्ययग्रहापरिभाष यानंदादिनियमे प्राप्त नवारयिलमतंग्रह पातेनएकाशशनी एकचत्वारिशेशनमित्यादिम यानाहचसयापाअवयवत्पता संख्यायाइत्पवृवतीतिनगोत्रिंशदधिकामिनो इत्यादीनातिप्रसंगातग्रहरविंशतिशहानेनरर्यग्रहणाविननिनिया शनमित्यादिसिदासरमायारणास्पातदस्यसैजानमित्पननादस्पतिवनतम प्रतिदान
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ठेके
त
४३४
सिर. स्वतःकरणोल्पुटिनिमानशः सचमुल्य वाची प्रकृत्पर्थविशेषणमेत गुशाशोभागवाचीत्याश येना हा भाग स्य मूल्य नासंख्यावा अनेकत्व संख्यावाचिनइत्यर्थः । भूयसइनि वक्तव्यमितिवार्तिकाला नत्र भूयश ख्याल दयते । नचाच मानाभावानिय 434 ख्यायाएक चेसत्पवयन्ययइत्यवेयर मे कश्चेद्व्यनरइतिवार्तिकम्यन्य स्पहमान ही पवा नात्रयउदश्चितइतिभाष्कर प्रत्युदाहररापवमानांचा कैप्टेन एतदेवानीकंट हीत्वा नन्वत्रभूयस्त्वाभावात्रभूविष्यति। एवं दाहरसा. दिगियां इदच वेोदाहरत्रमो वानी दाचित तिथवाद्दी यवानां निमेयाच्यउदश्विद्भागां निमिति विवसायास दाहरणामितिभङ्घी व्याख्यमित्युक्तान्पशंका समाधान योयोरपि वो कोदाहर रायति संधाना भावमूलक वात्यवानी हो भागोनि मानमपश्चास्पद्दिमयश्विघ राम वानामितिस्तत्रोदाहर रात्चिन स्वयमेवोधन्यासान्॥निहिद्विश हो भूयस्त्ववाची नस्मात् ४३४४ किंनभूयस्त्वाभावोक्तस्तव को यभिमतः किं मुख्यभूयस्त्वमुतलन्दशा या निमेयभागसंख्या पे क्या निमा नभाग संख्या घमय मुदखि हावा नामितित्वदुदाहररात संगतरुक्तत्वात् । नहिती पः। एकश्च हन्यत र३ त्यहार्ति को त्यत्रः प्राग्भूयस इत्वस्यता है ग्विव न्हाय निम्त्वादिश दिस्यसंवन्विशदत्वे मानाभावात्संदर्भा
३ न्नभवतीति
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53
तूं भाष्यतात्पर्यज्ञानमूलक मेवेन्यस्मद्याख्यानमेवयुक्तमिनि दिशा द्दिमयमुदश्चिधवानामि तिभाग विशेषयति यत्पर्थधवादेः प्रकृत्यर्थविशेषणा स्योपादानानित्य सायेज्ञत्वेन वृत्तिर्भवति यव संबंधिभागद्दय रूप साधन प्रापश्चगागइतिशा हद्बोधः। निमानस्य निमेयाय स मेयंप्रत्प पार्थः संयुधने निमानस्यच उशा त्वं विना निमेयस्य गुणात्वं नोययघनइति सामर्थ्यात्रिमा न स्पापिगुशा वलभ्यते । सख्यायाः किं । यवभागोनिमानमस्योदश्चिद्भागस्यानेकत्वेति किएकोप नानी भागोनिमा नम स्यादश्चागस्पात्रमा भनिमेय संख्या येक्षयानिमान संख्या पदाधिका भवतित वन्योन्यर्थइति वार्तिकमित्युक्ता गुरास्येति किंहिकाधीश निमानमस्यनीमियाची हि काधपरायोरितिमाभूत् यशास्त् चेकत्वं विवचित ते नेहनही यवानीत्र उदश्चितः षिद्यर्थइति किनिदर्शन जातमित्यत नानीमित्या स्वार्थे मारा इतरथा मेवा नाहीभागोनिमा नमस्योद
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४३५ 435
सिरख चिद्रागस्यद्दिम पोयवानासवितइति स्यानानिमेयेचापि दृश्यतइतिवाच्या निमेपे विद्यमानाया संख्यातद्दाच कानिमानेप्रन्ययनाभिधान व्यमय वाच्यः इत्यर्थः द्दिमयायवार निन्दिविना भाग निमेोयेषामेका नायवा नीतिद्दिमयाः। नन्विहनिमेयस्यायिनिमानत्वमत्यवनिवार्तिके नेतिचेाउभयोरपित्यागविषयत्वाविशषेशानिमाले निमेयभावस्य वैवक्षिकत्वाय हाय त्या र्थस्पवानले पिक्वचिन्मयडर्थवार्तिकमिन्य लय लवेनानस्य गडद्वानस्पत्मकत्वम नेत्रांतेने ने निशा रायता कर सोल्युट् । एकादशानामिनिडूमावयवभेदः समुदाय. या४ प्रकृत्यर्थः । वयकात्पथी । वत्रा संख्यायाइत्यनुवत्र नात्पची नामष्टिका राशिोध इत्यत्र नडप्रत्ययास या सावद्भिः श्रयतितत्रयस्मात्संख्यावाचिनःशरात्प्रयस्तदीय त्य3 प्रवृत्ति निमित्त स्पेका दत्वा देश र गोप्रत्ययो भवतिसन्निधानामान था चक्क मे गायिगरायमानेा राम चषुसमर्थः पदविधिरिति द्वितीयोग्यष्टौ भवत्येव नाना दस्ते या डटर निनां तादिनियंचपाडेड ४३५
शर्
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गमार
तिप्रथमायाः षष्ठीप्रकल्पितेतिभावानकमत्यत्वे पिनज्ञनिः। रूपे स्वरे वा विशेषाभावात् । यतुन मय्यागमन्वमवत्रप मंगी कार्य मानुदात्तत्वार्थ श्रन्यथा प्रत्ययादानत्वं स्याननचेश यत्तिः मशिनन संवेश्ये सर्व नाते त्यत्रा तोदात्वविरोधात एवं चन देकरूप्यायमाय्या गमत्युक्त उक्तं च वार्तिक नामादियस्यादि स्तनिर्देशः कर्नव्यतीति न व्यादयः। मा दिविति तहुए। सेवि ज्ञानोबऊजी हिरित्या श्रित्यतस्तथोक्तं । यत्तांतरे मंडूक न्याघदूतीत्यादित्रेषु उपेन मध्याहनीय सेयसा सांचिन्पनयेसित्रयो ईट संबंधाभावेनन उत्तर वन मदिधौमंडूकन भवतोयावश्यकत्वानामतिस्त्रेि षष्ठी निर्देशारण डादीनामाग मिनिश्चितेडर सदसंभवान्स प्रम्यावियरियाम्पनइत्याह । यति इंटए वधुटून हतः। षष्ठ इत्येतयोर्जश्त्व विसनीय ३ गानामा समन्या दोन लो यार्थपरादिमंदू हतः। आधा रेति । अन्यसहिते व्यंजन
हित या देव्यजन स्पेयर्थः द्वितीय आगमलिंगाभावान्प्रन्पयर वेत्याशयेनाह । उटीय वादनिट बहुपूजा लिङ्गविशिष्टपरिभाषया वहानांपूर शीवहुतिथीइत्य पिसिध्यति। भस्या ढतिरुरिविवन्दि पुम्वद्भावः ततः प्रत्ययाग मोरतः । एवं कतिपय ब त्व
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436
सि.र.स्व दिशस्य वानापमादेशः विभाषाद्वितीयावती याम्या मिति निर्देशानान्तीपताह लघु निदीर्घस्तूना ४३६ प्रत्ययन्व भ्रमं वारयितंत्रेस्ट चैतिनोनं ज्ञापकाश्रय रोनु प्रतिपत्तिगौरव स्पादिनिभा क. बजर तेगविशिष्टपरिभाषया वन्हीनाएर सीबद्ध निधी इत्ययिसिध्यतिभस्था तिरिदिवसि वातः प्रन्ययाम मौरतः एवं कतिपयच नयेोरपि । विंशत्यादिइह सन्निहितत्वात्य या दिसत्रेनिया निना विंशत्या दयेशनशत्त्रिा चौगृह तेन लोकप्रसिद्धाः । विप्र नादिनि कैय्य भाष्यमतामिनिठुन या भाष्यकृते हह के विशिष्यानुक्त्वाद्वाष्यमतमिनिकथं प्रमितम मिनएवप्रष्टव्याः। लौकिकानात हशानां ग्रहणामितिवृतिमने । एकविंशतितमइति। चागमविधे प्रत्यपविधित्वाभावाद्धहरणवनेपग्रहनौसंख्या विशेषण ले नविंशत्यादेस्तदनविधिःख लभ तिभावः स्यादेतत् षष्या देश्वा संख्यादेरिनिस्तत्रेषुष्टिशात्प्रत्ययो विधीयतइत्यादिवदतामा राम व्यक्ताय हशावर्तितदेतविधिनिषेधमप्याशंक्या संख्यादेरितियर्युदासेने हप्रकरगोतनवि ४३६
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नव्या 3
हि
धिंज्ञापयित्वानत्प्रयोजनचैकविंशनितमइतिसिद्धिरित्युक्तंतर इमितिचेन्ना प्रत्ययभक्तस्यायिप्रत्य यून्चेस्वीकृत्य तथा कलात्। एतच्च के प्पटे स्पष्टा एवं चे को न विंप्रातिन मइति सिध्यति।रतिमते नैत सिध्येन विंशेंप्राग्भावित्वादस्याः संख्यायाइनि के प्यार हर दन दन चिंत्य विशति त्वादिसंख्या याः प्रत्ययागमयोः कर्तुमशक्यत्वे तद्दा विंशत्यादीनाग्रहणा स्पा वश्यकता तर्दन विधाको नविंशतितमन्यस्यापि निर्बाध वाता स्वरूप मित्यस्य बाधे मानाभावाच्चे मी त्याप तावत् नित्यंशता दिशा ख्यादेपिस्य बाधनार्थमिहशनादिग्रहणामिति चयनुदा हरति । • एकशन न मतिन देतिमासादः संख्यावाचित्रा भावेपिटस्त महिधान समथ्या दित्यर्थः। स्वरानुरोधेन केवलस्तम धाम कानमा वामनौ । मन्व इति! मनोर्विधयइत्यनेनसम यविभक्तिः प्रतिविशेषयन्पर्यश्वेति सर्वलभ्यते। इहचा स्पवामी का भी सक्त मित्रा विद्याभवत्येवाद्वितीयविभक्तिप्राग्भागानुकरणास्य प्रातिपदिकत्वा निवदित्पस्यानित्यत
यार
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सिस्मयाअवतावनुकरणनिर्गतस्पडसादेनलनायकांदिइदंनेभ्योलनालयासिद्धिप्रसंगात्कन्ति ४३७ धीयताअशनिकोकिनि क षादाइड्दनेभ्योबुनाहयासिद्धिप्रसंगात्कन्ति पयानलकामवतिअनभिधानाताअतीभेदसंबंधकामिनषष्यवेत्या हाधनकैदिक्दत
कामय्यताहरस्वरसानाधनारायानाकामरवर्ष स्पेनिअविजिगीयविनिदिवो विजिगीषायामितितत्रैवनिष्ठानवविधानावासस्मनक नरिटताययाअंतऐवेति अकेनोरितिप्रनिषेधादिनिभावानेत्रावरानंत्रतंतवायूशलाका तन्यनेनंतोऽअस्मिन्निनियन्यन अचिरकाल अयहतस्पकालाः परिमागनितिसमासा बालगाकाबाहलगाशहादायुधजीवित्रायाधिकाप्रथमोतात्सप्तम्पथकानूयान्यनाअशहादत्रा ल्यत्वोपाधिका कनानदाहाबायवेत्यादिशीतोमाभ्याशीतमिवंशीली सनिशाने कार्यकरगोय उत्वाभावातावमुभिवशाधमित्यर्थ क्रियाविशेषात्वेनहितार्यानाभ्यांपत्ययाकियाविश राम यशालघोगषष्टीनेयुक्तबाराधिकाअध्यारले तिगत्पीकर्मकत्यादिनालहे कर्तरिकमशीच ४३७
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कोविहितः श्राश्र ध्यारुठोडोराः खारी मिति भवति अनभिहिने कुमारी द्वितीयाद्दितीयेाधिका खारीदासीनानभिहिते कर्तरितृतीया एवंचा घेधिक शदे ना थियो गे द्दितीयायोप्रा प्रायोयस्माद धिकंनदस्मिन्नधिकमिनिनिर्देश६पबलान्यच सप्रम्यैौस्तः द्वितीये वकुर्मतवान् थमा । अधिकारवारी दो गोना कमी थीधि कश हुये। गेभाष्यप्रामाराया कर्ज स्व तीयेननयेचमी समभ्याविनिध्येयान का समाहार सोअन्यभिभ्यामिति प्रादीनी वृत्तिविषयेशह शक्ति स्वाभाव्या क्रियाविशिष्टसाधन वा चित्वम सीतं वेःशाल रचावि त्यत्रात्रापि ताभ्यामेवस्वार्थ कननिपात्य विनानियेवानान्याश्वम जुन साधुम्पा या यो चिएवम् पयःपूल देवाजिनश भक्त अशी तयाश्चयिः शूल दंडा जिनशब्देभ्यो मुख्यार्थभ्य • प्रत्ययो ष्यते चिभिधानानात्तावतिया यथा तस्यै दमित्यत्रनस्यनिषधानानामुपखायकत्वेनसा मापनि देशस्तथेहापि नाव नियमितिपूरणाप्रत्ययो नानी सामान्य निर्देश करपा दितिय स्वरितत्वा
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सिरस संनिहितपिठकूटजोर्नीनुहतिरितिभावाकनोलुकि लुग्वाग्रह व्यर्थ महाविभाषयैवयं चमं पराम ४३८ कमितिरूप हुयसि हर तस्तत्सार्थ क्याय सूत्र मनमा हापूर सायन्येय स्पेन ने नाय्य व व्याख्या नाननयाख्यानमुदाहतेा वार्तिकताबक नए व लुक स्वीकृत्य लुग्वाय हत्या 436 ख्याती लग्वानर्थक्ये विभाषाप्रकरणादिति एवं च द्वितीयक द्वितीय मित्य साधुन किमिति यथा तमुनीना माराया श्रोत्रियन हेदा धानैवाक्यार्थ श्री त्रियन पदं नियात्यते । निले स्वराथी वा कोक्रियाप्रा पिसत्वप्रधानानिनामतिनिरुक्तान्प्रतीत्यनुरोधाञ्चकियाश्रयस्य कर्तुः प्राधान्य बोध्यां अथवा दशस्य श्रोत्रा देशोधनमन्पश्वदः कर्मकाध्ययन कर्नरिनिया न्यूतई निका श्राद्धमनेना कम शीघ्र सिहायि श्राद्धश होल तयात साधनं वा माहा मुख्यार्थस्य भोज निकर्म त्वामवाडीत अधमुक्तवन्येवायंप्रये अघभुक्तेश्वः श्राश्रादिकानि कथनप्रा राम मेधानात शवदिन पूर्व मिनिक्रियाविशेषणो द्दितीयानात्प्रत्ययः दासपरि शत्रुनाच कात्पर्यवस्था ४३८
नीप इति६
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यार
शास्वार्थे इनिप्रत्ययः । प्रकृतेश्चपश्यिंथपरिपरत्येतावादेशो निपात्यते । अपत्येपरिपंथिनामात्त्वाय रिपरी विनाभयं त्रयरिशनिग्रह। इदंचरतचं वैदिक प्रक्रिया मेवव कुंयुक्तमित्याशयेनाह । लोकेति त्यादिना।परिपंथिनश इतिउपलक्ष मेतत्परिपरि नवा हस्यापितेनावयिलोके साधू इत्पव धियानुपदमिति श्वानापश्वादव्ययीभावाच्चनुपदोग वामिनियि दाये तयाषष्ठी गोपदात्प श्चादन्वेष रजतादावन्वैानभव वृत्ति व्याख्यातासासाज्ञो तादित्यव्यय साझीति अव्यया इतिटिलोपः । त्रयोत्र प्रष्टो भवतियश्च ददाति यस्मै च दीयते यश्चायद्रष्टा सर्वत्रप्राप्नोति संज्ञाय हरा . सामर्थ्याद्धनिकी ने वास तिते। चासप्रम्यतात्पर क्षेत्र टाच परंश लोपश्वनिपात्यते । लेत्रियो व्याधिरिति किं च ले त्रिया बिगानि यानिस स्याना नाशार्थ क्षेत्र जातानि तानि कि त्या निनाशयित व्यानीत्यर्थः यच से त्रियं विषय त्परशर रिसबम चिकित्स्पो अन्यच्च ते त्रियःयारदारिकः परदारा परिक्षेत्रतत्र चिकि त्यो निग्रही नव्या इमडेश्व
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दस्पति सिरख दाक्यार्थपदवचनापहाडशद्वानघचनियात्यताईस्पलिंगमित्यादिधर्थपाईदेगाहर्षज्ञानामम
चवममधाराश्रिोत्रमित्यादिक्रमेसासीदृष्टद्दाराष्सेवितंयीशानवादत्रयथार्थविषयभ्य रूप निदस्पोस्मिन्नितिमठपातदितिप्रथमासमर्थीदस्युयाधिका-यथविशेष्यसप्तम्पर्धचमतश्याता 434
अस्तीत्यत्र सुरुषक्चूनेअतंत्रीकालसंत्रमेवानिशहाविषयविशेषसमर्मका सञ्चाविशयोवास कलौनसमाहभूमेत्यादिनासिवितापायुमतबादयलेझमादिराविषयऽभवतीतिनो निकायाभूमाबद्दुत्वनध्यायेदिकायस्यहियावफक्तनतोपियाकिञ्चिदाधिक्येनमाभूतिपंथ पंचभिरपिगोभिवतस्पबघोगावनियवहनिी सहसं गोरपिराहोंगावोल्पातिीगीमानायवती नाइहचवमनीभडिपपोतनी यादोजातिमात्रसबंधस्यविवतिीवोडमाभावे यिमताभमदियही ननियमार्थपायेगामसादियतीतिरतात्पवयनिदायाककुदावानुनाकन्याप्रशसायासाचारानपारा योगेतीरिवाहिता अनिशायनेउदारीकन्पासंसदडीसेंसर्गसंयोगानेनसंयुक्तदेडएवेवकानेन ४३६.
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उपहाखिनदेडोपियवसामीप्यानंतरितिवमायानिmame त्रागावाम त्वेनासामर्थ्यानानहिनीयाअप्रातिपदिकत्वानाशयेचभाव्यादीसामीप्यादषयर्थला
स्पसमीयातिविग्रहेनिनवावर्यवान्प्रत्ययायाधतन्तसमास्यानतरापि त्यवतद्धिनबद्धबाहिनलाइन्सलीएनेनसामीप्यादिकंषधथएवनभवतानि
M विरोधानायलने यायिकर व किमहाबातमजते निनाशैषिकान्मठबयादिनिनिषेधस्पवयमाणत्वात्तसामन्वथुनिभवाजश्वप्रक्यसमा वाचायगावचन पनि एरोननिय प्रसिद्धामुलायमस्वगछनोनवरूपादयोगान्यास हाकिमाघडत्यप्रयोगालामाड्योमचाश्चमौसमाहारेहानाबमनेवातिनानिय दिकस्यान गोनिदाहामवाणीवशातादितिज्यभामाम्बेनिवाक्यानरोउपधासतकान्मात्परस्थमनोनित येननावावधानन्यपिनेकवरीयवहिनेस्वभवतीन्याशयनफलितार्थमाहामवरणविसाप
SIMPAND
ch
VIRTML
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सिस दिनिझयाहर्ववदेवनदनविधिरित्याहासाननादिनिरसादिभ्यश्चाअन्यमन्वयिनिकपीमि ४४० भाष्यवानअन्येषामयिमत्वधीयानामिष्टत्वान्तरप्रत्याबातारसिकानमाउर्वशीवितथि 140
गीयसरसास्वाशकोवायरित्यपदाहरताशिवावादीपतिनिशिखाशश्स्यजीवादीया लचोऽप्रसंगादिंदप्रसदाहरशीनमुक्कामनिचैन्सापाघडावान बानियत्युदाहायोमारायेगा देवेतिाएनबनानिकभाष्य बनानाभधानमाश्रित्येप्रत्याख्यानी निकरगालबामिति नव्या सिधादिभ्यासवादन्यतरस्यामित्य नवन्तसमन्वयार्थनियातानामन, काधयादित्याशयेनाहाल निवाशहापिसमुज्ञयार्थकावास्याहिकल्पापमयारवार्थ विसमजयतिकोशातातेनलखमानवहावेवप्रत्ययोभवतानविनटनाविनिभावावं. व्याख्यानमालजन्यतरस्पामिनिसमवपतिवाभिकमेवाएक्चासभानिष्भावामा राम सन्यादयोपेदितानेशनिष्ठ नौनभवतएनन्पवयीलिंगमप्यत्रास्ताविधादिभ्योमनबिलवा ४४०
य
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वेवविधीयतेनन्विनिठनौनिंदादिम्पसाचत्वार प्रत्ययामनिरलजिनिसन्मन्याय यिण दिषुकेचिदना पठिनाउँदादिष्वपिइयचेदमन्यतिरस्याग्रहगीविकल्यार्थस्यानहिपिछादिभ्यो
पिच न्वारयत्ययासिद्धाएवेतिगाहययिष्यगर्दनानायाठोव्यथ-सनज्ञाययनिसमुच्चया ५ क मेवेद्रनविकल्यार्थकमितिपतनध्याकेशाहइत्यत्रान्यूनरस्पाग्रहगलिंगनिदि इनिटनीः ९ प्रापीक्रयतापलतस्थान्यतरस्यांग्रहरास्यविकल्पार्थत्ववतदनकृत्पवासडोकितेनान नियमानिएर्वस्यान्यतरस्याग्रहास्यसमन्वयार्थ नाजायय ताधिनमाका इत्यानित्रांभाष्य हनेवोत्तरत्राविधितत्वातानाचमाध्यापाडभ्यानित्यार्थ मेकेान्यतरस्याग्रहरामिछति कर्यविभाषामयागःक्रियतविभाषामध्यविध्यतेनियाभवतीतिर्किय्यटश्चेसति प्रयोड नायकनेतिपूक्तिमेवज्ञायकमाभंघीय मिनिवारयतावानन्यादिसिमापंतगार त्राचेनिविादतादेशावावलइतिचत्वादेनोदानोययनबलाहलनियोक्ताननायन्ये
तिम
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सिस्न यस्वरमध्योदानता यत्ने गगस्वयंचान्यायाधिमन्योदीर्घश्वापालीलाधमनीलालदर्जन ४४ यतायाजागकालामतिकालायतोयोरोगवियादिकाल इत्यादिविन्सोसाहिनिविषयवसासान
हबलवचनोकामबलशहावायलाशिकाविन्याहाकामनाबानिननु मतपसमुचायकान्युत स्याग्रहास्यावतमबुबाभ्यापानिासत्या विवाहाता लाभान्मयोपरावसवतीगौ। असवानलालोमादिआदिशबहार्यव्यर्थीचरमोदिशहेनगनन्यानवुजछगादिसुचवा
अगादिनिा अंगकल्यागइनिगास्वतदर्थतः पठितलदस्याउत्पधिगयामचीनप्रकरणोशाको मूलो ८४ लीडीइस्चे निवतव्यामहछाकेशाकीनानाजानीयेशाकसमाहारोवोशाकीनंदन शाकिनीम
नानिशालिकोट्रवादियलॉनियलालीतिकय्यानहन्यलालयलालीनिनव्यायलालिनीदन गोगविशेदानगाभाविधगित्यविवानिकी विधुनानाअंचंतीनिविश्वंश्चिातानिअस्यसनानिति राम खंविधवदारव्या कालमानस्यहिनानागनानिदिनानिसानातन्त्रिमित्रत्वादिवसांतरागांन्यूनाधिका ४४
ला3
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स्थान थावायु मृत्युश्च विषुशाः। नवनिग्रह निर्मनुष्यादिरविषुराः। एषुसर्वत्र नानाविध गमन संभवाद्यौगिकरवाये।। त्र्यहनैतिक विक्रम इतिमाभूनायगा। देशान्तरमुत्तरपदलोलापो रितिवतोय संगतइत्यंसमर्थानामित्यस्याय वा दो। प्रज्ञा श्रद्धाप्राज्ञा व्याकरणामितिय ज्ञाश दास्वार्थेरो विहितेऽनुपसर्जन ज्ञानक्रिया निरूपित कर्मन द्वितीयाद्योगलशाषष्ठी तुनको गाभावात्कृत एवीकट मितवाला मत्वर्थेगो विधीयमानेप्रत्ययार्थप्रधान्याडुये सर्जन क्रियया कर्मादिभिः संबधाभावः के चित्वत्रापि गुणाभूतकि यया कारक मिर्च्छतः प्राज्ञोव्या करणामिति भाव्यमेवेत्याशित के प्यारे स्थितविषयत्वविवचायान प्राज्ञो व्याकर गोइति सप्रम्य भवतीत्यपि वानेश्वेतिवार्तिको वृत्तिश दो विछेदप्रतिविधादिषु वर्तते। ज्योमनादि ना३ कौंडलः कौनमः वैयादिकइत्येते चित्रय आदिश ग्राद्योः ज्योतिकता मिस हमय है। नरक विशेषश्वातमः समूहस्तभिखे। ज्योस्नात मित्रेत्यत्र नियातनान्म थे।पोरेः । स्त्रीन्वमन
ส
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4h
मिरन मिनिवसतानत्रयवयवरतानिनमोसिविधतेतदस्मिन्नस्तीतिरांनान्मत्वगाखियांनडीपि ४५ नामिवासिकनादेशउत्तरयोगेनैवसिदत्वादाहाघटइतिाइहयोसत्रयोरदाहरसा ममरे
रासंगहीनावीशर्कराशरिलःशाक शर्करावतिदिशएवादिमावेवसुन्नेयांसिकनावनिक जिवधियाशरणापासवावषिशदामाधुयमितिसवाञ्चेवमोगवनेनतद बवाचा तनमधमघमस्मिन्ननातिमधुरोघरति प्रयोगनिभाध्यामहत्केट विवरवानहान स्वरःगईभयेरुणानगरमितिलगा पताश्चाप्रमभूचिम्टनजातिलगोडीयिनगअलपत्र रवेतिएगीयागोनिचारणइतिभावकिबुरइतिशुनोरोगविशेषःकडेभ्याकमइति दिवजदयता अन्पनीवाचकैकशङ्मयुमनमिछानिदुर्वतःसोऽस्पासिजनकन्नडुमयितस्वाध मरोपियलाशा मागमाईत्याहाअत्रहरिशवेधुनमतअनभिधानानापनशतावतिश राम बाहिररायवरतिबिंबावाकुररावपटकावमित्यादीन्पयिशियहराासयायाधिशासातहि ४४२
इन्दा :
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शियहस्पापंप्रयंचाजिलोअर्नेरसुद्धापाखतीवलनियावनिरभिषवाघुजाभ यवेक्तिनापरिषदलशतिपरितःसादानपरिषत्सत्साहिवेत्रिविपासादरपतिरिनिघण्याठीनमिस नियावनिरेपानत्रभवनामितिमाध्यान्साधुवामावलनिविलइत्यत्रारा इत्यनुरनेर्नदीधी। संजामामित्यनुरनेरिनिावनगिोरित्यतातिनावाड्याखाचप्रभानवावयवीभतंज्योतिरना तिमत्वर्थोनानुययन्त्रप्रतिभावास्वादामति व्याख्यानमनत्राकथनमिप्रतिनिरनमनिस महममहिमोरभेदायचासादायाजावनगामिनाभनयानाननास्ययितनलोपोन क्रजातानिटनाएकाहराादानटनानानवायास्ववानाखवादतोपोजातिवामा
लवानाललवानाव्याघ्रवानासिंहवानादेनोयत्यादिविशिशेषादानाका पिनानवायाोतातानिवाचिवाभावारानडुलीनडालकरत्यवायननिधायगुत्पति कायिकत्याशावातीलाहकारकवानपत्रेनिठनावधियानामिनिचैत्राअनभिधानानासतम्पर्थे ।
आमविश्वजननिवता
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२.
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सिस ननिवाच्यादंडाअस्याशालायांमंतीनिभायेस्पष्टीने निशिखादिम्पनिवर्वीच्याइकनपव ४५३ वदादिघुनिव्याँखाबोधकवार्तिकनहाय्याभ्यामिनिभावाखंदादिमन्चतामवाधापका न्यतरस्पामित्यनुहाइस्चस्वांगाविद्धांविनिगरास्त्रिययतीविडुपाधिकान्वागवाचिन
मावदाकावस्यकसिलाकपाककिनाकीवानॉएकगोएिकशतिकतिर दितितव्यासभाध्यकत्यादिनाकमरियापटानसूरुषाद्बोहे ईवाचनाअनामधा त्पकाएकनद्धवातानवियहसाधारयन्याएकडीनिवाकदाशनकाधि दिन क्वचिस्वीकारासाधारहयततिनिोिणETSणाप्रतिरस्यायोग्य जवनाप्रधानान्नानभाध्ये हितप्रतस्वार्थवासगीमदिर्दनगमित्पत्रमत्वनान्मलथापालय राम तिइनिभाध्यमादायकैयाय्याहएकगोपूदितिरोभाव्यरचनालयाअनशनिचनवनिले ४४३
शिनान
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गोत्रिकादिसिध्यर्थं गवांसह हो गोत्रा साऽस्मिन्नसीति गोत्रिक मिनियनन्याः कैय्यटेनमाष्याभिप्राय वनमात्र नननाविकां तत्पतेरेव न्याय्यत्वादन्यथा एक विंशतिरेकचचारिंशद्दा स्पा स्तीत्यत्रातिप्रसंगाला तर वापरतो षान्यज्ञान र माहाअथवे प्रस्मिंश्चयज्ञे गौ त्रिकमित्यनभि मतं लक्ष्य ने अभिमत वेव प्राशिस्वादानइत्य नोमेंद्र के तुन्य इत्यनुवन्यसमा धेयमिन्यान नाक भाष्पपर्यालोचनया के पटे क्तौ विरोध लेशस्पाम्पम शथवेत्यादियज्ञांतरस्य कैय्य रोक्स्प गोमस्पनई तिल हाणायामुक्तार्थ निमत्वर्थीयात्प तिरे वलोयपदार्थइत्येवंयर स्थान उत्पन्न हतितात्पर्यकत्वाभावान्प्रागिवादात इत्याद्य कोर्ने प्यल्पान्या गोत्रिकेनिसि दावपि गौशक टिके पसिभ वक्तानि सगस्यानभिधानादितिवद नाभाष्यकृनैवपरितत्वाज्ञा स्मादत्त निति त मिनि कैय्पर सम्पग वोच दिति दिका है या दाहा श्राहत प्रशंसा विशिष्टे वर्तमाना इशानमवयाचा हतमितिष्प्राननमा हतेतोड नैनेन निष्पन्नरूपमनिप्रशस्तंनद्वानरूपः।
नुप
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कमि४
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सिरख गुरापाइ निशिग्रहणादिनिरपिशीस्माया ! यशस्वी तित समाचर्थेन भन्वाडुत्वं न यशस्वा ४४४ नितिपूर्ववत्रे नित्यग्रहणेन बाधितम्य्यन्यतरस्यांग्रहशां मंडूक गत् हानु वा नसो मन्वर्थ इत्यत्र प स्वानिनिभाय्या रित्तिभाका किन्ने नत्वादितिघ्रा चालचोक रितिकुक्तमित्युक्तेोतलितार्थपर नया बौध्यायन्यथा तदयवादतया जश्च निघत्वप्रसंगात्। झामय स्पैति । यद्यपि बहुले छंदसी तिस श्रा मयस्येत्यादिवार्तिकानियांठ नानि तथा पिसर्वत्रामय स्यैति सर्वग्रहरा स्यवन त्या लोक वेदसाधा रावतस्त्र वार्त्तिके व पिसर्वत्र ग्रह शामनुवर्तनीय हृदयातावालश्च स्पे ॥ श्रन्यतरस्या ग्रहणामिनिठनोः समावेशापाने नात्रमतया सह चत्वारः अन्यायाबोध्याशी तो चाल नाय तुप्रा चाट मायालु निश्चिय तिन तु माष्पविरोधाइये पुरोडाशइति नत्र यावरु चसभिन्यत्र वेदभाष्ये स्फापितंची सगा दिसचेच नथोक्तत्वादिति भाव हिमाञ्चलरितीए का रादिः राम प्रत्यवादिति सिध्मादिषुबलवा तलशब्दाविनोदानामन्वर्थेषुत्पादितौ इहत्त्व थतिरे मध्योदा ४७४
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RA
नावित्यवधेयानपर्वमरुयामिति।यिदयंडात्ययः । पूर्वमरुयानन्वक्तव्यइतिवार्तिकेन कारण ऋयारोभाय्यैदृश्यते।हरदत्तो पिनितमहानत्रय निशः स्नाम दिपद्यर्त्तिशकिभ्यो वनि इति चेशावनिष्पाद्यदान:नविषय स्थानिसंनस्पति त्राच्चातिनिवास्वरे भेदाभा कावासः पूर्व नामापर्वनर वा विचाऽचलिरि दानस्यैवदर्शनातुम्यौ रु तिरित्पु प्रत्पर्यातो दानामसहस्त्रविशेषस्वरे स्तिपि व न्याय्यमिति निष्कर्ष वार्तिकस्य मरुद्य है प्रत्याख्यानयरात्रत्यभाष्यानुरोधात तक्तादान वायुनरेतभविष्यतिमरुती मस्त इतीति । श्रर्य संज्ञायां मरुद्यस्योपसंख्यानमितिवर्ति यसर्गव तत्त्वा भावेपिउपसर्गसंज्ञाविधिता मदच सर्गादिति त त्वमरुतशतीया कर्मतिपूर्वय दप्रकृतिस्वरेशा निष्टांनो मध्योदात्ता एवं चार प्रत्याख्यानयोः फले को सिद्धानि ज्यु सर्गमज्ञा चनवे का नेने नाडू किप्रत्ययौ स्तः मरुन्नयतीत्यत्रताच नेतिप्रथमेध्याये के प्पभा
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न। अतएवमकहत्तरतिभाष्ये पक्रियावाक्यमित्यभिषामिनियाव्यरसिरस येनकारसनयाटोलेखकप्रमादानाहरदतोकिलावीपरवग्रंथविरुद्धवाडाव्यविहहत्वाचौपेशा ४४ उपसर्गसंज्ञापनपन्यारव्याशक्यानिष्ठायांमुतद्दन्नन्यनिष्टरुयप्रसंगोदिनिदिनस्वामित्रैश्चयो 45
नबंधनमस्यास्तीनिवियहिप्पनियसंगइत्याशियोहाऐश्वर्यवाचकादितिपश्चर्यानिन प्रत्पयार्थी विशेषताकिंउपजन्यर्थविशेषगांवशवस्यैतनिविषयरवश्वयवाचिलमितिनोकातिब्याग्नि रिनिभावानेनधनवानिधनोवेशनावामिशश्वाच्याराधरात्रीचेनिविरोधादनी तिनेहमें बध्यने असनिहिनाऽस्पै याप्रएवेनिविधीयतेतरिन्यन्यांपादस्यायाधिकादिनि नतिकैयूटम्प्रत्ययविधीनदंतविधिप्रतिधधस्यबाधनार्थमाहातदनचिति धान्याधी निराधान्यम, थाधान्यार्थइतिकर्मधारयन्सो संनिहितो स्पेत्यर्थपत्यय अर्थनमर्थ निभावत्ययमाश्रित्येदंवचनयंपन्पारव्यानभायोएवंर्थशवादनइनिठनावि राम
नहताऽस्पत्पथप्रत्ययाइसहायशदाहायंगीकृत्यात तिन्नप्यसिद्मतिवानिकमनेनन्नस्यारतेनाधिकप्रत्यर्थिकौसिडोमिदशकयायेदार्थकादनाम ४४५
त्य५
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धानानधनवाचिनोप्यनभिधानादिनिठनोरभावनिदिशाकंभ्याइहाघश्यत्ययोदंनोष्पादि नवयवमायादिक्षतदाहाअनुनासिकौवयाविनिमूर्धन्यायधनिानडिनोडनशनधातोगनिश्री महत्वाकरमत्वीया ॥अथस्वाथकाहानायचम्पास्तासबइत्पादावनिर्देशविरहाना अनिशायनेकुत्सिनेश्पादीनामनिविशेषतावादिनिभावनिरतामानान।बीडता द्वितारंभएवोक्तंन विस्मर्तव्याक्सिर्वनामाविधेयानिशाइप्पशंकायामाहात्रा यतइतिरिकादाविनिायस्मिविधिस्तदादावलयहगाइन्यनयानदादिविधिरितिभावार नदौनाभाध्याकटोययामास्वानिवद्भावनधानपादकलनतीयायदाघाव भितिब्वायत माप्रशिनिपहिवाशिवान्सीदेशइतिवनिकताअनिश्चिष्टनिशासिहानकारी यधनिभाध्याइदेशित्तेपितुल्पामादलवानासतनामन्यूनमानास्तसिलादयानामा दिम्पनियर्सदासातानूनमनापरवश्याश्त्यत्रताधादित्यानासामन्ययोत्तरपदयात्रामा
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तदाप
TI
४४६
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सिरस समदो मादेशः न चयादस्मदो रित्या वंशक्य नसेर्विभक्ति लाभावा तान चन सैश्चेनित सिलादेश: शक्यातत्रापिया दियर्युदासस्य सन्चानाए तन्न सेस मिला देश मंगीकृन्पशे पेलायचावयविभक्तावेव सतस्व व वदन अर्धटेत्तिकारो निरस्त। सप्रम्यावला इमेजन सिलादयः स्वतंत्राः प्रत्ययाः । न सप्रमीयचम्योरा देश तथा चे कुनस्त्या यतस्त्यः कु त्रत्यः यत्रत्यः संयोधान्विति लुक्प्रसज्येतायदा अनुदानोत्सु पिता विनिश्वरः प्रामानिकस्मान्न कार्डिनीतिगुणः स्यात् तस्मितही तोदा घेपिनिस 3 ब वचने झल्यदित्ये त्वस्यादित्याद्यनिष्ठ प्रसंगइतिभावा किमठ शकार सित्स्वरितमि निस्व नदीर्घ स्थानतितत्रनेभ्यस्ततः। रार्थः । म का रूप रित्रात नियमेोरेकारेशानविभक्ता विनिनिषेधस्यानित्यत्वज्ञापनात स्यादेत तात्प्रयाविशेषविहितत्वात्पद होमन्यायेन च लंबा घेतात व वामनभागवृतिका राम कारादयो विभाषायात्रले नै नितनश्चली के कुत्रे न्यसाधु स्यात् न चेष्टा पनि लोके चुरायो ४४६
त्वर
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गुसन्धातानथाचामरण साहचर्याञ्चकुत्रचित्ता श्रीहर्षोपिनान्यत्र कुत्रापिच साभिलाषमित्याहेन्याशे कोयरिहर तिवा ग्रहरा मिनि। महाँ कविप्रयोगस्य कथंचित्साधुत्वसंभवेसमानकालीनादिवनासा
शक्यमिनिभावः । वाह चांद सिपूर्वक्तिवाग्रहराय कर्षशां स्फुटी कर्त्तुं यदसमत्रिमिहोपन्य सांसर्वेका सम्पखलि त्यतोऽनुदृत्तिमभिप्रेत्याह । सप्रम्यनेभ्यइति। कथन्तुर्हिधान संबंधेइत्यत्र यत्र का लेये प्रत्ययाइति नर्मूले लिखित विशेषविहिते नदाप्रत्यये नत्र लो वाधा सत्य प्रमादएवाय श्रधुना त्ययइति नियातनान्मध्योदानता भाष्य मनं चेदं । वृत्तिमतेनुइदोऽशादेशाः धुनायन्यानदोदा। केचिददाप्रत्ययःसूत्रकृताविधीयते स्व. रेच भेदादाप्रत्ययेतो दानव अदापत्येकदा मित्पाऊस न । भाष्यविरोधादितिध्वनयन्नाहान दोदा वचनमनर्थक मिति कारवचन सामान्यस्य भेद को विशेषः प्रकार प्रकारे गुणावचनस्येत्यत्र साध्यं प्रकारी दूध पितथा विनात्राएं। अनभिधानानि न प्रकारे शाति प्रथमानातुन संप्रकारस्तथेति। श्रनभिधानादे
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सिस्स वाननु किं सर्वनामबहुभ्यो विशेष विहित स्थालू जानीय बाधेनामैनार्थमेदानाप्रकारे थाल ४४७ नहनि ज्ञानाय रात था जानीयाय था, जो नीयइतिभाव्य प्रयोगात । इदमाने ने न्यादि। द्वितीयांतादयिथ
सुर्भवत्येवम मर्तप्रकारेवायन्नइथं सनगल नामा नमितिसूत्र निर्देशोप्प चालु कूलः किम 7 यत्राप्यवनिन कथं भूतगति सिद्ध । ॥ ॥ इतिश्री मनाकरे प्राग्दिशीयाः॥ ॥दिशतेभ्याई हपूर्वादीना यत्र देशाविधित्सि तास्तदुर्थचास्तातिचे तिसूत्रं लेख्यतत्र चस्वा निनामादेशानाचानुवृत्तिः त्येसायातपूर्वसूत्रमयी है व लेखनीय मिति देश स्वत्र्या व्यवहितमणिमात्रकमोल्ल घनेननयमयी है वायन्यस्पति वीधरा वारता मिति हे है सर्वनामन्वात्खभावासीत्प विभक्ति को निर्देशाप्रत्ययसंनियोगशिष्टत्त्वं घोतयितुं शहदा हात घोगे चेतिएकाथिषष्ठी विषयभेदा घन तार्थी तरपदसमाहारेत्पत्रसप्रमी वनाने नावधिन्वस्यायिसंबंधवेनविवक्षायामर्थय बोध कलेनानु राम नयागो योष्ट गतिवत्सा मय्यमविषष्ठयर्थइत्यभिप्रायेणाऽर्थदयपरे ये षष्ठीतदा हाए षामितिस्तात ४४७
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रिह३
ना
चापूर्वत्रासी निवदिहापि विभक्तिको निर्देशः सत्रांतरेशास्ताते विहिवार किंनुस प्रमी निर्दोशायमित्या हा सानाविति। सुरति घुरतइत्यसाधुरेवेति प्रामाशि का प्रयोगास्त बहवः सति। स्यान्पुरःपुरतोऽय नइन्यमरः पुरतः प्रथमै चाग्रेइतिविश्वः। नीरसतरुविलसतिसुरतइत्यादयः केचिनुविभाषापरावराम्पा मित्यत्र विभाषेतियोग विभज्य पूर्व शहादतस्व च्च्स्तानिचेत्पत्रच स्पानुक्तसमुच्च पार्थन या वंशद्द स्पपुरा देशइ निकल्पयतिनिन्निर्मूलमिति नव्याः कुत्र शह स्वभाष्यादिम लाभावेपि पुरन इन्यस्यापिप्रव प्रयोग एवमूलमिति स्ववचायधायुशाग्रगमनत्य तो धातोर्घज क दिवानसि प्रतिबोध्यां दिशिष्ठे भ्प किमिनिशग्रहणासामर्थ्यदाह गर्थ लाभ निभा तत्फल दर्शयतिया मिति । दिशि योगिको ननु रुरुदिक शभ्यइत्युक्तेरन्पत्रनिप्रसंगाभावाद्दिगादिवृत्तिभ्पइतिभुवैतिरव तिदिगादिवृत्तिभ्यकिमिति न दिशलक्षशावादतिप्रसंगः स्यादित्याशयेनात्पदाहरतिपूर्वम गुरौ वसतीति। त्राहि देशसंबंधाका लर्स बंधाहार वंशायरी वर्तते। तदर्थ विशेषयदन्नं दिग्देशकाले
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सिरस घिति विभक्तीना सुपाधीनांच सामेपिनयास खां स्वरितत्वात् ननुदिगादिषु विधय्पर्थेषुप्तवाद ४४८ यः परस्परनिरपेक्षाएवशक्ताः । तथाचार्थ मैदा दिन्नाएव न प्रतिदिक भ्यइत्यनेनार्थत्रय वाच 1448 का नाशर्वादीना कथं संग्रह तिचेन्न। समानाने पूर्वी रानसादृश्यमाश्रित्यतथा व्यवहाराना अनिि
टार्थत्वा स्वा त्यानन्वेवमपिपूर्वस्मिन्देशेन सतीत्यत्रातिप्रसंगइतिचेन्मेव पूर्वशदा यदाविशेष्यत्वेन विवस्वते देशो विशेषणान्वे ननदायत्ययो भवति। नतु वियरीतविवत्सायामित्यति प्रसंगाभावादितिदिशा विस्तरस्त के पादावनुसंध्यादतियो ननु तत्र प्रत्ययएव विधेयादनय इंनि भ्यानस्यपि दक्षिन उत्तर नई तिरूपसिहां प्रत्ययस्वरेशन दासिद्देश्वन स्थापिययोजनामा वान चठा बना पान सिप्रत्यपेदनित्य सिद्धिसर्वनाम्नोति मात्र इति पुंवद्भावेन सिद्धत्वादि तिचेत्राषध्यतसर्थप्रत्ययेनेत्यत्रविशेषणार्थमकारस्यावश्यक व नवस्था पण वश्ये काचाष्ठी राम र्थप्रत्ययेनेत्युक्ता हितनोग्रामात यतोयामापत्र षष्ठी प्रसंगाएन बन
चम्पाइतिप्रागईष्ट ४४६
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व्यं दक्षिणा अन्यारादितरत्यत्र विशेषणार्थ श्राचश्चकार संख्याया विधाइहविधानंविध घञर्थक विधानमिति के कृतेयुल्लिगःसचक्रियाय का रवाच्यवन वने कार्य कः। विप्राहस्पार्थी विवश्वासावर्थ इत्याशयेनाह कियाप्रका रहताय दिनु विधाशनःखी लिंगो दातस्था नेकार्थत्वादनिष्टेपिविषयेए का है। विधाए काह स्तिविधेयादा वास येता चोदना ४ विधाशदेनोच्यते विधाविधप्रकारेचेत्प मराना नाथ विधाशः। विधानेप्रकारेच शहाद नमीत्यर्थइति तयाख्याताः । तंत्र विश् वीन भाजो भावे कर्मण वा डि विधाशः संपत्रः। यज्ञविधापामिति वक्तव्य यह रास्पदप्रयोजनयत्रार्थ विश्वाशः प्रसिद्दतस्तत्रैव्यथास्याल ताशश्वार्थ प्रकारएवसच क्रियाविषयक एव ते इति नव्या तापात को शानुरो धनमकी प्रसिद्ध तत्त्वानामाष्पस्वरसगापनेः कैयट विरोधाचाच्या व्यर्थ मे वासंख्या या विधधाई
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सिरस निस्वयठत्वाताचबनिागछनीत्यादिक्रियापदमध्याहांपीएकस्पारवगमनक्रियायांशहेनान ४४ नभेदायाप्रकारलागष्टयरभावपतिपत्रिशननधादेव्यनवधायगाइत्पादीत्वस्तात्यध्याहत
व्यमित्यदोषापचधा लोकपत्रायवाएकवाजत्पादावनेकपकारमजिनियायतरक पुकारस्पभुजेरस्पवयम्भावाएकायाकन्यादीयायकारस्याविवक्षितत्वानप्रत्येयस हिवतायाभवत्यवाएकधायाकरतियचयाकारत्पादौमित्राएवयाका नेत्वकस्पात्रियायाः यंकारवादविवक्षितीनदिवज्ञायोलभवन्पेवपंचधायांकेति एक्स्पाएवक्रियायावत्यत्यनेक त्वावक्तायाकृतजातिमदोवस्यास्पृष्टापश्यनेचैनताहधावेवनिदिज्ञाएकाढाधामुन्नाधान हसोनुवर्तमानपुनुर्धानहाँधामापदिशान्पिोऽननदिधिकरगविचालएवध्यमुत्र स्पारविधार्थनस्यादैकमेनिायायपापापंचालनिमिनकुन्सायोमेदीनेनयशोगारमा राम फरवाकरसाशाखश्वतत्र वैयाकरणापाशशननप्रयोगायस्वधानविस्तव्याकरणास्तत्राधा ४४
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रस्पतिवान नाधेयस्यशास्त्रस्यकुत्साप्रतीतेर्भवृतिवैपाकरणायाशइनिप्रयोगाकुत्सित इत्यत्र वेदनेोक्तानिनादपिप्रसंगानापूर गाडा पूरणार्थकत्वात्तीययन्पयःपूर शिवाच्यार ग्रहरा चौत्तरा थी मुखतीय, याची मादावनर्थकत्वान्नानिप्रसंग त्याकरः । वनार्थ वन्परिभाषायाञ्चानित्यत्वज्ञापनार्थ मिहाप्यावश्यकता तपान कर रो ऽतिप्रसंग वारणार्थचामा गइतिपुंस्त्वं विवज्ञिना ते नसमा नेपथको विवचितायां द्वितीया भक्तिरित्यूचा निसन्यादानस्यादिदानः। एवंप्राये का दशभ्यइन्फन्तरवस्त्रियां पंचमीत्येव भवति प्रभ्य येनुटा पिपंच माइत्येवस्या दिनिभावः । एकादा किनि । इहै कूश हो न संख्या वाची गृह किंतु अस हायवाची तेनैका किभिः खटके ति भित्पत्र बहुवचनेनानुपपन्नी भूत गोष्ट त्वनित्यत्रैव नोक्तविशेषविहितेन खाचरो बाधामाभूत गौरवस्वी त्यहरे पाठे सामथ्यी दिति न व्याव इयमपी दंग शदित्य नःप्राकृर्त में। गोष्ठा तखञ्चन्यवसत्र मस्तानेनशह
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सिरस नचूरडेवाजूनप्पनेननययात्रतरितवानाएवंचैकंमतपर्वयहोखत्यजमिनियध्याइहमत ४५० पूर्वशतिवर्तननञ्चनपष्टयनविशेषग। अन्योयंसजैनन्दाताअघिउतदाहिमसंबंधित प्राधा uso पानापधानेनर सनिधीप्रधान कार्यस्पन्यायवादिन्याबानाहामतर्वधरूपस्यादितिय
शायनाअतिपूवींछनेविसाअतिशयनमेवातिशायनानियातनाद्दाचीतेनुलोकपिसा
प्रवाधकान्पायनियातनानातिहस्तमध्यापिसाधुनिश्र्व शतिःप्रपतवभावाना व५ सचाभिभवानाधिक्यसकर्मकत्वाता कालोऽतिशेनेकालीमितिमाष्याला नत्रातिशय प्रत्ये यार्थ प्रहापर्थीवानाधालघरतिशायनेलघुतममिनिस्याराअंत्ययार्थप्राधान्यानानदिनी याप्रकातिशयादिभ्यूएवप्रत्ययायताअपिउप्रहपथविशेषयामवेत्यभिप्रेत्पाहाअनिश यविशिष्टत्पादिानमबादकधानका जात्यर्पयाहकायाश्रयमेषामिनिहियोरकस्यनिधी राम रंगीविवर्तितेतरबीयखनावयवादौवपनायता परिशेषांहूनामकस्यनिधीरोऽस्यप्रद ४५०
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निरिनिमावाअतिशनाख्खाइनिाव्यस्यजानेवास्वनः प्रकीयकर्षयोयोनारपवाअरूपत्वात
घटतरइनियोगाभावानायगास्पैवप्रकर्षसाहारानडव्यस्यजानेऽप्रबोधायाधतम इनिघकालनधित्यूलम्विधानालिंगासननादवनद्धिनाअन्यथाश्वहितमाश्वीहतरार मितिनस्यादिन्यताएतेनप्रातिपदिकातमबादयाइतिरत्यादिस्वरसोनिरस्तापिपासनादि सूततापूवर्तन सौविभक्तांनइनिभाष्याचाअत्रेदमवधेयात्री शिक्कानिवखाशियकीयक
यतानिनचरमेपलातरतरतितरबंनानरयानातिअनभिधानान्नेन्सनरोनरवल विबहनांवनरामविनयकेनताहतमयनिभायेतवारवंतल्पन्पायवानमना नतमबित्पबधेयविदेउश्रष्ठनमायकमगइन्पवेष्ठन्नेनास्वाधनमशंछदासदृशानुविधरिति न्यायादिनिदिशानिडापातिपदिकत्वाभावादपावचीतमस्पादिनिधनादीगावच नादेवनिनियमादिएनौकनिभावातरममयो प्रानिशापनिकप्रकरगौलाधवानोदाचायती
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xe/uptetKARLADEIPRkihshthay REYEPlan सरस घदूनिवावक्तव्येप्रकरसांनरेयास्त्रकरगालिंगमत्यनस्वार्थिकसरबस्नीत्यर्थतना ध्यक्ष ल्यांचतरलोपश्चबलवनइत्यादिसिहमित्याङगार्किमेनिडामोरुकार यदित्यूयतापहानाहानमामित्पादोयस्पेनिलोपबाधिन्वायरवावीतलहाउसपनासृनिनकारि
सनरनुबंधकृपरिभाषयानास्पयामिन्पारावस्ततामकारपरिवारााथस्योकारSER स्येदमध्यावनिकैयौनयमस्य संज्ञायामिदान्यान्यरइतिपरत्वेप्रत्ययपरत्वेवाविशेषामा वान्ने संशतिवाचीस्वरेविशेषस्पसवानाश्रतएवाथायिकर्थचिदिकार्यस्पा देवमपिनदी मकिपन्यासस्वेनिभाव्यसंगछनोपनएनईव्यमिन्सज्ञासामादन्यनोयिस्पादतालनिरा सायाकारहत्येवंयर्रव्याख्यान कैप्पटनाननामा व्या नववाधार
निबंधकेयस्पानिपताव स्वीकात्यानअन्तरभाध्ययोऽपमिनिविभावनीयनविधभाष्यमनोनवविविधानअमवादि राम रेखालाकारीचारणासाम सिदर पमिनिचत्राखरेविशेषस्पसचोदकारोबारमासामीमा ४५१ २ भास्सितिविशेषेपरिभाषावालोयुक्तनिवैवम्यूवाडवस्यग्रहणमाकोदोघाइहफ्नतितराज ल्पनितरामित्यवाखनद्यापतिनाव से प्रतियोविरुदमिातेवायशनिग्नुवन्धकार
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वेयस्येनिलोपस्यडरिवारानोयथान्यासमेवयुक्तमिन्यलयलविननायचतितमामिति निएवज्ञायकानमयसिदोनिङ श्चेनिस्वंत्यवादिविधाक्नुपर्थमावश्यकांताई श्वासति
आमेतस्पाव्ययत्वातनयरस्यसयोलादपकनितिस्वसमवेनयाहारत्पादये नामावस्त्रयललगायत्रसर्वनामपत्यनायमिन्सच्चनसाभिघलेनविवर्तिनपान सनाकबाध्याहिवचनाहिवचनंचविभज्यचतिसमाहारइंदनवनडययंदेंचेनिकर्मधारयान वद्दयारथयोर्वचनंद्दिवचनकरसोल्युटकमागीयष्ठीसमासायनयुदनप्राधान्येनूगावनहात चीनच्यतेतस्विचनंघननवतावमापाख्यानानाविभकव्यावभत्यारानिप्रास्मान वनिपातनापतीनेनविभाग्यनितिनभवति निविभाडपशप्रयोगस्यसाधुवननिहादत्रा निस्तषशादानोरिनिन्पायेन रापनाघनिबोभूमिनिनवामोबाधकान्यूर्योत्पाश्रित्यकेव लादेशियनिसाधुनानतर्वचाकुन्वायने ज्ययदैवीयोनारिनंपाविनियोजन
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सिरख दमित्यन्वथीनतु कृत्रिम तद्दिनेनदसंभवातानञ्च विग्रहवाको प्रयुज्यते वनगतार्थत्वा त्राव प ४५१ प्रयुज्यते एवंचोयय दयहर हाथी तदेतत्सर्वमभिसंधायाह । ६ मोरे कस्ये लिहा र्थवाचक स्पछि वचनांत एवेति नायहा कृत्रिम नग्टह्यतइत्युक्तत्वातकिन्वेकवचननित्वेन दत्तावस्प दत्ताः। स्त्रिग्धराः पशियादस्वपादो रतराविति सिद्ध्यनित्रतिरोहितावयवभेदः समूहः समा वर्ष सार्थः परित्यक्ता वयभेदार्थोवत अर्थइति समास स्पापिहार्थता बोध्यस्मा के च देवदनस्य चदेवदनाभिरूपनरइत्यपिसिना स्म दे। इयेश्वित्येका चवावइतिभावः द्विवच नोपपदमुदाहरतिच्च यम नया रिति विभज्यो पपमुदाहरति प्राच्यभ्यइनि निर्धार षष्ठी म्योरय वादभूतार्थचमीविभक्तेइतियं चमी। यूटीयां सइति । टेरितिटिलोपः। ननु स्वस्मिन्वभेदाभा वान पर द्रावान्पय कुरा सीतुऐ समस्त पयुत्तरइतिकथमिति चेष्टणु। एक स्पा विधर्मियोग शामे राम देनभेदाभ्युपमात्प्रकर्ष संभवान्प्रत्ययइतिजादी । एवकारइष्टता वधारणार्थः । अन्यथा
४५५
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नादीगुसावचनान्त्रस्यानामिनिभावार्थदसिाप्ततिनियमायवादतयाप्रतिप्रसवविधिनेनछ याधिसांकर्यन्नाइष्टवादित्यनिदेशेऽस्यायुपयोगाबादसमयाहीपन्यस्तोलनरतादितिविनिंग मकामावाहयायिग्रहणामितिभाकातष्ठिमेयसावसनिहितायिबिल्बकादिपइत्पनीलक नानुवर्ततलकालनेशइतत्रिमिनटपाप्रसंगालाकिंतु लोयाकडूत्यनोलोयएवानुवति नतमस्वरितपतिज्ञत्वा एवंचप्रत्ययललगनाईधातुकपरत्वाकरिष्टादौगुशासिहानि नचार्य लोपोत्यस्यस्यादिभिवाच्याटरियतरत्यासित सशक्षस्यवसइत्याप्रायनाहारश हस्पलीय निष्पहापिटनतचोहिणीपूर्ववता अनिशयनेनिायनेमोरित्ययाहांधीदाहायसा नियमन पारनिशयेनदोग्धीनिविग्रहई यसनिविवतिनेभस्पांसदनिवडावनीपनि टश इस्पलोयसतितत्रिमिनयाघवनवयौनिस्तावपिउयधागाननिवर्ततप्रत्ययलनात प्रत्यययरत्वानपायानोनिदाहवाहवा गित्वान्डीशनशापाश्रादेशायिन्लयाप्रशस्याना
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सिरसीअजादीइत्यनुहनंसप्तम्पाविपरिणाम्यतइत्याहाग्रजाघोरिनियगावचनावाभावेपियशस्पशक्ष ४५३
स्पातएवलिंगादिष्ठन्नीयसनोभवंतइनिभावास्यास्वरुयस्येहग्रहीननसंतापाव्यायो
नानाप्रियस्पिरेतिवदिशाय्यस्यवसतानचंज्यादेशेनतस्पबाधाशकरामनिवसावकाश 153
वादितिवाच्याशदादिमनिचोडभावानरालालहराया दियरमितिपरंपरादीपधारिताको ५दि यविष्कसिष्ठयारोपणादेर्मातापूर्वग्रहीव्यधापरस्मिन्नुप्रेसामीपूर्व स्पेवतालाभादि इकोगुग निनव्या नवसायहीव्यथमोठयोनसिहत्वानामैवापरयगादि लापस्पाभीयत्वेनासिहत्वान। हातिम सेपिष्ठलादिष्टयारनत्यत्वाचाइड्रपरिभाषायसिन्यापकारदकायोनगरामायघधिपूर्वस्पतिनि स्थभाष्य टिस्यानिकन्दनपरिभाषोपखिनिडुलभातिथायलोत्पपरिभाषायवादतयेयरिभाषाय कैयविस किनिरपिचक्यापूर्वग्रहणास्पप्रत्याख्यातवाचीएवमीय सैनिाईयसनीन्पाबहलियाछन राप्त इमेत२६ नस्त्रया कार्यानरस्पविधयत्वाचनिन्नाविमनिजीयसनाविवयनानदाहाइमेयसीरितिभ्या ४५३
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निनिानन्विहोरीगःप्रानोतिदी| रणभूमेन्यादौर्सवकावामिनिचन्नाबासिड्वदतिमभावस्पा सिहलानापाराभादसिहत्वेनगन्याख्यानयतवामकश्मकारप्रश्लेषशानद्दारगातानचक सार्वधातुकयोरितिदीर्वणपरेशानस्पबाधःशकावायव्याकयपिचयइत्यादावपिरगांबा धानापते अनायर्युदासबलाधावपत्ययएवदीघत्पवधेयोयन्वंगश्त्रपरिभाषाड्यादादायत इत्पादिधानेन ज्ञाय्यतइतिभाव्यक्तीनपसज्यानिधाभिप्रायेगानेपानएवनयरपिनक्क सावधानकयोरियुक्तीनङतानदीत्याउपाययमित्यादिसिद्धयेपनमसंग पायाश्रयगायावसाने लभाष्यादिकंपोठिमात्रयरायर्पदासस्पैवलघुचानायरिभाषायोलिंगातरममितिदिवास्या श्वस्त्रवत्तमनुवर्तित इत्याहावहौंपरस्पेत्यादिनानिष्ठनादिलोयेकृते यिशोगमालोया पंचादोपकारागमाइकारउच्चारमाधुर त्यस्पव्याख्यानाविन्मतो नएवलिंगादिन्मनुभ्यामजादीप्रशंसायास्यावीत्वमेकवेचनधि
एवाल्पयाय
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सिरसबतिंप्रत्यर्थविशेषणां चमा प्रकृत्यर्थस्य परिपूर्णतेहप्रशंस्वा नवलप ४५४ पलांडुनाखरीप ताद सहयोय भय्यये धावती लोहितं पिवेता चौररूया यमय्पथ मरणरंजन पं हरेता वस्तु यह रशादिना चौर्यादिपरिपूर्यते आयेगीयीकर्मप्रवचनीया ननतम बादीनी रूप यश्च कार्य में देश यावता अतिशायनमयि जानिंदा विषयापस्तमःयापायानिनिरूप बभ यविषयः। ययरूपः चारुरूष रूप इतीतिचे उच्चता अतिशायनसमानप्रति योग्य यज्ञव स्पष्टांतनिर समिति स्पष्ट वार्थ मैदान्पर्थपूरी ववै स्पष्ट तवानिशायनानं दा साधा रातथाच वार्तिकप्रकृत्य र्थवै स्प थे। रूप बितिय चतिरूपमिति तिने सत्यभूत क्रियाप्राधा न्यातच च संख्या विशेषाप्रती नावोत्सर्गकवादेकवचन मे भवनित दपि प्रथमाया एवेति वदति । पपत्या धूपे सपान हिनी या या कवचनं भवन वालिंगविशेष प्रतीत्य भाव कबिनातिनयेच राम तोरूपं पचंतिरूपंपचामी रूपमित्यादिप्रयोगसिद्ध्यति एवं पचति कल्पय चनः कल्पमित्यादाव विज्ञेया ४५४
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नवरूपबाधन स्पाव्ययवंशक्ां / अव्ययत्वेपरिगणिततहितानामध्ये रूपबादेरयरिगणानान्तावि भाषाख यः सूत्रे स्वपइत्यत्र षष्यत स तिषत स्पष्टार्थ यं चम्पनमा हास बना दिन प्रा गिल्युपष्पते। पारा दिन र तत्पची चत्रपग्रह शांषष्चत सर्वेनिषष्टी बाधनार्थमित्युक्त त्वात्पंचमी तेतिभावः प्रावृत्ति सित्रस्तरे वार्थ कइतिभावः तस्य व्यावर्त्यमाहान तुयरत इनि तथाचविभाषाग्रह नय प्रत्यय यरत्वेप्राने नित्य वीर्थतयहणामितिप्राञ्चः भाष्यकार वंशवृस्य ने दफलं कि त्वन्य देवेत्याहा तथा हि । सौत्र विभाषाग्र होननपूर्ववं विकल्प्यते पज्ञेयत्रो पिबचः प्रसंगाना कि तब डीवायुधानेनरस निधाविति न्यायात् । नचब विक
महाविभाषया पिसिइइति किंमनयेति वाच्य। महा विभाग या वाक्यस्य सिद्धावपि क्षेपक तविभाषायाः कल्प बादिसमावेशार्थत्वात् अन्य थोत्सर्गीया दो महाविभाषया यत्र विकल्पेने इत्यादिन्यायेन कल्पबादेर्नित्यं बाधापतेः। नचकल्पवादी नाविधानसामर्थ्यीन्नबाधोबड चे नि
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ते तेषांसा व का शत्यात्। सुग्रहरणान्ति पु-श्चतीहसू चेन संवधते । उत्तरत्र तुम राहू क नु त्या संवध्य तर वेति सिद्धान्तानानि स्वरार्धम् । १ सिरस वाच्यंांतिर्डे ते नववत्पत्र का रा का रउदान चिनः सप्रकृतेर्बककार्थमिति वार्त्तिकाशनत्र ४५५ बहुयटु स्रइनि । लौकिके वा को अर्थवदितिप्रातियद्विकत्वसुयोधात्वितिजसेालुक्यु कार 455 स्पादानत्वेनैपुनर्जस्युक्त स्वरसिद्धिरित्पर्यवन्तु मिहितात स्माश इस्पे ययोजनप्रत्ययो त्यत्ते प्रारूप हतैर्ये लिंगवचने पिप्रत्ययेनेवस्याना नितिन बजे गुड़ो दाज्ञा । बडतेल यस ना बययोयना लघु बहुत शानरइत्यादिसि तनतुकास गोष्ट रचः पित्वन स्वार्थिकाः प्रत्ययाः प्रकृतितालिंगच नान्यनुवर्ततइतिज्ञापन नै वसि इमितिचे न्सन्यो एन देवतग्रह शलिंग स्वार्थिकाः प्रतिता लिंगवचनान्यतिवर्तते यी न्यथ॥ ननगुड कल्यादा ता तैलकल्पाप्रसन्ना पयस्क ल्याय वा गुरित्येतत्सिदाराचः स्त्रियामजित्पत्र स्त्रियांग्रहणमपिलि गवचनातितो ज्ञायकीन रखो किताब गुण्डे तिस्रीलिंगमुदाहतं नाध्यविरोधादयु राम निशायनेषदसमाप्यायुगपद्दिक्तायां परत्वात्कल्पबादयोभवनिमतस्तैरप्रमयेोपयु ४५५
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श
१६ कल्पनरामडकल्पनरइत्यादिबाध्यमिनिदिशाप्रगिवाकातितान्नायंकावपश्यनुहत्ता व्ययसवीतिडनतिामंडूकल्युत्यैनिभावाड्यायातिपदिकाखपतिवानुवर्ततएवाकस्यचदा कानाव्ययस्पेनिातिसर्वनामग्रहनिहर्सनध्यतीतयो कोतवासंभवाना अधोरबंधेडन्यादा वसिदकत्वशनोनयलगनालाड-निसिपोरशारतिकात संभवपिपलका सार्वत्रिकालाच हरीलझनास्तीत्पाडोकारकारेतिकविधासपश्त्यनुवर्तताप्रातिपदिकानि चापाकरित्यख्यावापानियादिकामिन्त्रसर्वनाम्नाचविशेषीकामचारादब्यूवस्थाप्रसंगी ध्यकारीव्यवस्थामाहानोकारसकारमकारादाविनिवायमिनितस्यफलितमर्थमाहाकारें त्यादिनाअयेचसकोची युष्मदस्मन्मात्रविषयकाभाध्यकतानथेवोदाहतत्वातान्तरेषांत्ववि शेधेसाप्रातिपदिकस्पेवरेश्योगकचनबनस्यातनसकेरामके नभवनमित्यादिसिद्धा तित्वयकाम यकेतिष्हत्वयामयनिसेब नयोटे प्रांगकाप्रातिपदिकस्पटेमालवेवक्याम
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प्रपथइति काशिका
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सिरस कपेनिस्यात् एववियित्कयिमकपिइतिस्यारत्वयकिमयकि इतिचेष्यनानिमावाकान्त ४५ मध्यरतिकामागमा नवप्रत्ययइत्याहामित्वादितिशीलकंशनिशालेस्वभावानियमश्वात
हमाकरतिभाष्यदीघस्पेवीदाहरणात्काइनिनदस्वाहिरकुदिनिहिरकल्पव्यपका ताधानकाइनिधानाशबरवीलिंगातन काकियाइतिशय बाईकवाकप्रत्यया नाहाराअभाधिनयुस्कोचेनिविकल्पान्यतेप्रन्ययस्वादितावाभावाएतेनेलमाशंक्यस्वा थिकेमुलिंगानिनिस्वीकृत्पर्पस्वमवैतिवेदनहरंदनःपरास्न मनोरमापवानरहिकपत्य यानाहाबिसलाहरदनाशयवीनार्थयु स्वसेनवपरस्परयाहनामनिभावविधामा ध्याइहसाहितिकवकारानेसज्ञानिलंबाचावाध्यायानमिनिहात्तिात्रष्टर्वेशाठविहित। वावचनान्कोग्याचकारेशाकस्पाभ्यतनित्यायोगविभागेफलमविचिन्त्येमितिहरदतः। राम नचिन्यायोगविभागस्पोनराथन्धानातरम।हिल्चौनसबंधइनियावनामाव्यत्तिदैनन
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मेवनेनोनरबोपिकासदाहरांमत्रवि मिनिवाध्याठाबादोसमाहारइंदसौत्र,स्वायस्मिन्निधि रितिसिद्धेरादियहरो पीउधसर्वमितिाठयहादादेयरस्पेनिनवनइतिभावायधिग्रह राादादेपरस्पनैतिनव्यानित्राज्ञायकादेवोपपन्नावूर्वग्रहराास्पवैयाथ्यीताननुठयहसाव्य डिकादेशसत्यजादाविन्येव सिद्धत्वादिनिवेदत्रभाष्पट्यहासकाहितीयत्वेकविधानार्थ मिनिष्ठावस्खायामेवाकारातात्परस्पलोपेहनेतनाकोदेशार्थमित्था अन्यथामाथितिकरपवे कादेशकतेजनपदलपिचवायुवइनिसितठस्पाभावाकादेशानस्यनिचस्वानिवद्भावनका देशाशवपाठस्पेकइत्पत्रखान्यादेशयोरकारवारसधिनिपते लिक्षित्वातापक्षीनर संनिया नपरिभाषाविरोधाचायचित्रप्रमभ्पष्ठविप्रथममिकादेशस्योसंभवादजादिलतगोलोपोन स्यात्तदर्थमपिठ्यहराामिनिकैयारनव्यादपानंदयुकामवडतरोन्यापपोनेनस्पष्टभाग्यवशेका समाधानयोरंसंबद्धत्वायने वायुदतशबईकादेशानिरदनशहलायेवायुकापनापनेनंचायवाद
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सिरस मतकादेशविषयपूर्वमिकादेशोनेतिवाच्याविधिनसन्नियानयरिभाषयावापवादविषयवा ४५७ वान्लनस्माद्भाधान्यथानुययन्पास्वनामग्रगामनुध्यनामन्वनयसिद्देभ्पएवरजादेतत्पनिन
चित्रदेवमान्दादिभ्यो प्रसिद्ध पाइनभिधोनादित्यलंग्रसक्तालयंसपोरगीदयातिनिन द्भाध्यदृष्टी उक्तवानिकानामर्थश्लोकलयमासंग्रहानिाचतुर्थीदनाजादीवतियाचासुपादा पडदाइतिनिनुहात संधेलीयोजायमानोनकारादेवस्पात्रत्वकारस्पन श्रउयडयकरत्या दिल्याशिनस्पुरितिवेत्राद्वितीयसंध्यतरमितिवसमागोनएकारादेलयिविधानातायहासम थीनाभिन्यस्यनिस्तकतनयात्रतगृहयरिभाषयाआगापूर्वमेवप्रत्ययेद्रिदर्शवस्प लोपेसिपिकनिटचीकादेवाएनवसनसाधावस्वरसेविरोधादित्यवाचामापंड्या सानिहरदनमतमनुस्टत्पदानियवेनिबोध्यासंघारमिनिएचसिनेयंपाचाहिनीयादचारपस्पा राम यवादावागाशारिनिावाविवाशायस्पतिविग्रहावाधिकातिाइहोनरपदलोपविधयेक्याइसंज्ञयाय ४५७
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दत्व बाधाकुन्तजस्पेनमवतायदावहिनीयादचपरस्पलोपनावाचआइकातिस्विनेय स्पतिलोपेहनेतस्पवानिवावादाकारीनस्पभवचकारांनस्यांनवनिनीविभक्रिमादित्य वकत्वजस्वालनयावागिकइनिस्पातानपदानानानव धानशक्यः भत्तस्पयंदचरभाव यवत्वाभावादितिभावाकुथमिनिहापुनरपदलोयेजवानस्पादितिप्रश्नांधमनिट जादावितिस्तत्रीविहलापश्पतेनउवार्षिकोतउत्तरपदलापत्पधास्वपरिकामा रुपयशाःशहादूचसचाहनसंधरहनवाहपरिभाषयापकस्वतंतैलवेनियो गाभावादेनतावादस्वाल्पपत्रल्पा शारका इत्यप्रयोगादिदमप्यावा हीवामीस्विाधिकलिंगातिश्तेरपिज्ञापितत्वादाहोकोमोरोसा लगानुरतोविज्ञायकमिन्यक्तीमत्यलमिहावतिभावानन्साशाश्चातनत्वमा नासाचशवजनाचेदकस्याहाजहानामनतनुन्धानामनभायापस्यमय
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सिरस भावाव्यशनिवेशस्तस्मिन्गुशीवायेप्रत्ययतिनिहशोवन्सोवन्सनर इनिनप्रयोगगनत्रव Yuयानस्याप्रीवत्सत्वस्पश्ननावचिनतन्सहचादतधमीतराग निघथा।शानाइत्यवाश्वत्वस्य
न्यूनत्यमत्पयितकवानरागमनाश्चाया सूत्पादितश्तरावस्यरूवाताएवंषभोभारवाठा ऋषभनरक मंशानिकिंवनदानिडीप मागावाचिम्पयित्ययाशशक्तिस्वाभाव्यास्वार्थ कत्वाचानकयोरन्पनरोदेवदनाययोस पारित्पनिहाराष्धिवाविभ्यानमत्याहयारि तिकिाबरनामध्यएकस्पनिहारसीमाभराएकस्पेनिकिहियोरिनिकमसिषष्ठीमाभराते नकौदेवदनयज्ञदनावित्पननातिप्रसंगाएतनकस्पतिनकर्तव्यमितिकैयटोनिस्ताभाष्य हयोरितिप्रत्याख्यान उतरवबड़ायहरोनास्पतहिषयकवाभावातरातहलीवहिदीमिडीयो यावताइयोरेकस्पेवहिनिदीरां भवतीनिअपेठेहयोरितिकर्तव्यबहनोग्रहमा मेवनकर्तवमि राम त्याइरिनिभायातथाचडतमजुन्सर्गातदयवादोडतरविधीयनइनियरिशेषाइहानिहारसोडतमम ४५८
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विष्यतीत्पइतिकैय्यटोव्याचटाभाष्यदनानपरिषभस्यानि निविषयनयाबविषयवधी यान होकयोनितिलेनरिखनाभावा इतमजन भविष्यतीनिबङयहरोनकर्तव्यमित्सुतार लखभाध्यमत्पसबदाएकहिविषयस्यायियभूस्यसभवाराकोभवानकतरोभवनों कपनडा व्यकय्यूटोहवयाचकाराअत्रेदेवक यादेवदत्तत्वेनकरत्वेनवनिविनकोभवानिनियमानावान स्माविशेषानिश्रयेप्रअस्पपनियोग्यतरायेान्वनकविषयत्वासभवापुनियोग्पनरंचावचिना
कञ्चिदार्थबहत्वावछिनचल्तिीकातरोभवनो कठइत्यवानधारणास्पैवशावावेनविवक्षितता दयवादोडतरनेवभवतिनडनमा अन्यथा कशहाइतराऽसभवायनानंचगक्रियामा ज्ञाविषयक प्रश्नडतरत्सावकाश जानिरिमन्नग्रहरास्पिायन्वयाप्रत्याख्यानत्वेननादत इतमन्चस्तयेतायुपगमानातस्मात्यरिशेषादहनामैवानीरगोडनमडिनिभाष्यस्यवसाय मिनिकैय्यटगेहयगायत्किचिदेतवातदेतत्सर्वेमभिसंधायोवाकिकृनाकिमादीनान
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सिरस हर्थेप्रपयविधानाडुयाध्यानर्थवामिनिाजातिपरिसनेनिसमाहारबंदोयानत्रज्ञानाविनित्रयागा ४८ विशेषशायरियायोग्याबलात्कुिमएवनबत्तयनित्यर्थ निभावाप्रत्याख्यानमिति) 454 जातियहगामात्रमित्यर्थयाकरतिकिप्पत्यथोकिमास्मिन्नितिपत्रव्याख्यानमेवश
शोभायेदृष्टवातायनद्योरिन्यस्पप्रत्याप्तत्वादिनिनव्यानन्त्राफलभेदेप्रत्याख्यानासभा वातरायपिबदनानिहारगोडनरजिष्टइति कैय्यंगहृयाङगनदपिचित्यानादृगिटभीष्माना। सुरूत्वादिनिदिकाप्रवत्तषशोकिरोल्पदाव्याकरगीहिनस्वनश्कासनविधीतविस्तंसदधा
गत साहै मदम्याहरदक्तेयगोयरस्पतिवानदाहायनेनि डनिश्रीमद याक गासिनन्नाकरमाणिवायोनीत रोगिवाधः ॥ इवोटगोचर्मकाष्ठादिनिमितपतिमायरम यीयवस्तयतिनिासाचप्रकृत्पविशेषसास्वार्थकन्वीताइहचावपाइपनाकन्ने राम. वानुवर्ततेनतकाअश्वावनिअश्वशतत्सदृशोभाताअन्तना सौस्वाधिकइन्याशागवय ४पर
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इनिउकललगानाक्रानवाहवयीनप्रनिनिरितिभावालुम्मनुष्य लिंगार्थलधिधानासख्या नुविधेयर्वदेवाचंचेमनुष्यावितिातडतीहरीतक्यादिषुव्यनिरिनिवासदेवइत्यादिायापनिमा रहीत्वामित्ताधरहाइहमतिनाएवमुच्चनीदेवलकानामिनितिएवात्रमितवानिमतावर्षी पजीविकायंदेवान्यजयनितेदेवलकानिघायास्वायन प्रतिष्ठापनेपूज्यनेचनाल वतरमशालुशनचाची सपूजनाबिचित्रकर्मध्वजैघुचाइवेप्रतिकृती लोयनादेवय थोदिधिनिचास्वशिव विचित्रकर्मशिअर्जुनराधड्याकथितसिंहांगडाहतिकानिति रार्मसीनीलमयाजावकाथविकीरानियोनरसंचाधिकाधिकॉस्मिन्न यधेयायशवनवान व्यर्थ प्रहपंडितनवाधिकाधकाचा राष्ट्रदिवार्थपोसमासांच्चाइवार्थविषयादिनिाअनएव जापकासातवासमाससबसमाविशेषविनिमक्कासीपिछयत्पयविधपरावतिनस्वा निसमुयाध्यनरपागावह बनातवदनिभायेवकाकागमनमिवनालयतनामिकाकतालका
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सिर ४६० 460
उल्लेषः शरीरायासः ३
कनाल मिव काकताली
पमिति सर्व दृश्यतएवेति बोध्यां कः स्यादिति इवार्थे इतिज्ञे या गायन्त प्रागिवाधिकारात् । घनश्यामइत्यादावेकवैवार्थः पचसमासे नौ कति छोनात प्रयुक्तइति प्रकृतिप्रत्ययार्थ मावेनान्वयत्यर्थः गाः । जीवित्वज्ञान स्पपू गाहिशेषः । पूर्वसूचात् इत्य नवीन को जायन्प्रति। गोत्रे कुंजा दिभ्य इति व्यञ्जयत्रा देश नै ना। पाशवतिय हाजनय देशक्त नो मगधे पर बहुत्वेनद्रा जलालपुनः संघे विवा
यो
नागरायौधेयइति इगुपधेतिक युध्यतेः सोय धाननोयत्याचा कान देता संघ रूपविवत्तायामें ननान् दिन त्वादादाता किंच्यौधेय स्पां को लगाया यौधेय जनत्वात्सा केन्परा राम एक्च यौधेयादिषुयेर गेला तेषु प्रयोजनयद्रष्टया यौधेयाइ नि निद्रा जस्त्पनीलु किनिस्त ४६० प्रामी । पूर्वादिति कि मात्रा मुरार्चिषां ते चैत्र काः। स एषां ग्रामशीरितिकन्। इहसमु दार्थः पूगववेनः। प्रात का उ
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मितितामयमितिविनादिभ्यतिमातभडीताहेतस्मा विश
दिनस्पेनोदाअभिजिताआभिजिन्यानाअपत्ये रास्तदंतादनेनयनअस्पायिस्वार्थिक ज्वेनगोत्रार्थकलादाभिजिन्यस्यायमितिविहेअभिजिनकनिभवतिागोत्रचूरगाहुननिबुजन चनत्रगोत्राधिकारोगहतइतिभ्रमित व्यागानेकुजादिभ्यप्रतिगोत्राधिकारविहिनसत्पर्यग्रह यातायगवत्यादावसाचंताजनस्यादनोगोत्रार्थमात्रग्रहरासिदाताहेतस्मादपियंजी
उनसिद्धातनवायत्पस्पचेतियलोयायाशानस्याताई तार्थिनिननवासापरून्यथविश नागामिनितुनोधकलात्कयसमास तिचन्नाघोसार्थनेवाधवा बाराददातीनिसमूर्यगामी
ददात्यामुव्यार्थेनतरगसिद्ध केचितुव्यवस्ने प्रयोगेसत्यवीतरसत्रपतिमा सन्मतेमुत्यावेपिदानवीधकामावास्लादिम्पापकारीभेदसायचउभयत्रायियथा यथंकनाचंचकरनिचिचुगन्पासाव्यधोनकाकनाचचनविपश्वचत्रिपलपनसंचचे कोययामागीस्पदमानप्रभन्वान अवहन्नपिटहनिवप्रस्टतप्रभावाघोपनेसहकारक
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सिरस इनिकेरातिदस्वाभिन्नमिनिाईपभित्रइत्यर्थप्रशनिवाच्यक्रिययानप्रत्ययवाच्यस्यसाधनस्प
व्याप्रिरत्यन गतिमिहनातिननभेदस्यपकनि पनगन्योपयोयराविवज्ञायानमवादेकन सुसावकाशचाकगयाहवतायीयरवाकंनपानोतिनतसमविनिवेन्सत्यवानिकादिष्टसिद्ध अनन्यनगोतानमादये पूर्वविप्रतिषेधेनानदंताचस्वार्थकन्वनव्या निभिन्न नरकछिनतरक मिनिसिहबिङजरकमितिरउकरनर कमन्यनासत्रमभिन्नत कभवनात्यायिसिद्दीषड साविधमानानिषडशीशियस्मिन्निनिववाह-बड़वाहोसत्यशोरिति चाअक्षाही वामंत्रीगनभाया बाधिनाइतिआड्यूवदिशानिराप्ताकमीकम्यहाकेवलादेवाशिनकर्ते विनायकान कुन रिवायभूतयवसमररायमिन्यूअलकमीसाइतिकर्मठत्पीअलसुन पीसोमलादिवराधानतिधिशस्यशाडादत्वासप्तमीसमासेततरवायतिमात्रस्पापि राम लोकैपयोग कृतीनस्यादिपाशंक्याहानन्यायमिनिाविभाषांग्रहगादिनिजनरस्त्रहिवाशांची ४
EMA
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नय नमिनिस्सहयंसाध्यातञ्चमहाविमाषपैवसिद्धानचकनासमावेशाीमदंविभाषायहरामिनिवा च्याउत्सर्गशाखाकन याभावाहिभाघाशस्यसमुत्यार्थविमानाभावाचानस्मादिभाषा दयमध्यस्वाविधयानिन्पाभवती निन्यायेनास्परवस्यनित्यत्वेलिंगमेवाभाव्यउहहनीजापता त्यवत्पबहुवचनेनरवस्यनित्यवधानतीकय्यटेस्पष्टीकृतमिनियानचेवमाशिनागावोऽमि जलकर्मोइत्यादिविग्रहोप्पसाधरिनिवांच्यानस्यार्थप्रदर्शवमात्राथवेनलौकि कलानगाका राराप्रसंगादाहाअन् यीनिाइध्येतानिभायनेति शेषावाहकनानिअवयकनियत ज्यादयानिमगान न्यारभ्यविहिना पाट्यापाबुनऽनियादशनस्पतिविहिनाहुनाआमाही यहनिकोलादिविहिता पाउनयनितनवनिमयडितिविहिताराबहतीजान्य नाइनिरहनीशद्देनछहत्पात्रोद्यादन निविहितानलल्पनोजात्यनाराबंधनतिविनिशान त्ययोजान्यतशदनाकनादपश्चांनाइन्फोक्तावतिप्रसंगापनेरितिभावाबडवचन निशाना
का
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ब२ सिरस दीनामयिनित्यनाबाध्यायहिवैष्णाकरणापाशादिशरथपनायतेनासौपकनिमालेगावंशक ४ इत्यनेमलतमाघनिपतीपतइत्यनवान्यायसिद्धानवानुवादमात्रपरिगणानामनिकैप्पटादयों
वस्तनरूपकरणादितान्यर्यग्राहकसत्वप्रकृतिमात्रादपितानाधष्टपथांवाहमावि पतवायसयोबीधानन्यमानाविपत्पनुशासनंतात्पर्यबाहकमिनिचेवाइहायपसनियरि गरानमहाविभावतथेतिवल्पाचेवस्वार्थकानिपाइन्पेकेनैववानसिहतमबादय इत्यादिश्ययनवेयी एनितस्मात्परिणगानं वाचनिकमेवेतिनमबाविष्टीतनपाशबा दोनोनित्यत्व नपाएतनमनारमोक्रमप्पमितिदिवासमासानाति एतदधिकारोकायन्य यासमासांनपदैनलहइन्य विभाषांचे दिकचासखावनिकर्मधारयाप्राचीन मिनिायायां दिशीत्यर्थहिकशापरलानिमचेल गतिलशालझतदिनलकी निडीयोलुकिदिश्वासवताराम ययत्वेखालाभावाएवंदेशकालयोरायोतीबभावालगायनास्तातिविशेषायांचनानurasana
त्य
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क्रियानिमिनावाप्रागादिःशाश्रव्ययस्यचप्रायेणालिंगत्वेन लेखप्रत्यये सति सामान्येनपुंसकं। अव्ययस्यैवेह ग्रहणामिति मं निरसित मा हावागिति च विगादिनाचे स्वप्फयपदे हिना की बत्त्वान्नु माघ भावादिक स्त्रियामिति नस्यात्पतत्वाभावादतिप्रसंगा भाना किनेनेतिप्रश्नः। इन रोलिंग विशिष्टपरिभाषयाऽ तिया संगोऽस्त्वतिप्रत्यदा हरति प्राची दिगिनिर्दिशू ग्रहां किमिति स्त्रियामित्येतत्पावनानिप्रसंगाभावा किनेनेतिप्रश्न निर्हि दिग्रभिन्नस्त्रियामपिनस्यादित्याश = मनप्रत्युदाहरनियाची नात्रा शातिनियंदियात्री किंतुन दिन्ना स्त्रीति खोभवत्येवेतिभा का प्राची नामिति। पूर्व व प्रक्रिया। दिग्वाच कन्वेय्य व्ययत्वान्नस्त्रीत्वमितिखाभवत्येवेतिभावः। ग्रामादितिया रादिति पंचमी । ब्राह्मण जातीयइति बाला व जात्याश्रयःपिइत्यर्थः। ब्राह्मण जातिरिति षष्ठीतत्पु रूषोभावप्रधानेन कर्मधारयेोवा व्यंजकद्रव्य मिनिव्ययाश्रितज्ञातेः संयुक्तसमवायेनप्रत्युत्त विषय न्वादिति भावः विनि । जान्पाश्रयद्रव्यवाचीबंधुशद्दोनपुंसकलिंगा ज्ञात्या प्राचीन पुलिंग
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प
सिरसइनिभावापिटस्थानीयइतिास्टानंसंबंधविशेषक्षायस्यपदमितिप्रसिसिड्यन्वादिकमिनियावत्।
तनिष्ठपूज्यन्वादिसशपूज्यत्ववानिनिबाधाविनाश्वस्छानमस्पतिबइबीहि
कल्पिकत्वादाहापिटतानानाइछातसमानायकवप्रकरणादनाबोध्यो अनपिपरिणा 463
नस्पन्यायसिद्धत्वमयरिंगशीनानापाशाबादीनाचानत्यत्वकथनचयाचानव्यानीचनिन" शहावल्यवानहाछोनाअनुगादिनाअतएवनियाननायजानाविनिवासिनिाश्रनु गादत्तिास्वनिर्दियस्पानुवादयनन्दसौलोकेसाधाकानन्यूत्तानोमादयःयानयरइन (इहराचावयामनाथसिनाइनिस्स्त्रयूहहनेवत्यमापरिन्यूपोनरस्तवमाहाविसरिता मत्यनिरिएखादिनित्रावानुसाइत्पनोऽगिपर्नुस्नेयममिनित्यन्नामादित्वासिया यााअभिमुखीपरनिरम्पाहानिर्जन्मत्तलगा सेहग्रघनानदाहजन्मानीयदानहितीयादिन रात इनिरभ्याचति स्पानंदांतिस्परनिषुद्दिशिनिप्रसध्यनषदस्यचकलस्तीनिभावाचक ।
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यायहासामर्थ्याल्लिंगसंख्यानन्वपिन्धसत्वभूतेनराविशेषणहितायाधियानस्पाजन्मगानेवनी मानसंख्याशादिपर्थमनसिनिधायाहार्यचकवानिएवयंचहत्वाभकामोतुमिन्याघव्ह यर स्वपिनाहरक्रियासत्वात्कृत्वाथीभवनानियोध्याइहनदीपाकौत्रययाका यचपाकादशयाकाइना घजपाकक्रियायालिंगसख्यान्वायनात्वनासन्वरूपवाभावावाहदमिहिनोभावावयवत्प्रकाशतशत भाष्याताकादीनीहत्येप्पव्ययवालगादियोगाभावाचनप्रकृयाइसन्चभूतक्रियाभिधायित्वयीतरा विशेषरावं नासिघजलिंगाधयिभावनाविशेषगाचााएतेनत्रिपाकायचहत्वयाकाइया दिखाकवीराराभाध्यकय्युमादावरुत्वाइपतसायानाद्ववचनेचीत्यादिदायकाचप्रत्ययस्यसाधुत्वक चितबाध्याकामनादावाकयाग्रहरााभावादिनाविनावरात्वेिपिकियायामुक्कायोकाभाकपाकाइति भवापेवामरिवारानिलिभरशदस्यलोकसख्यानांचकन्वैपिनेहही बहुगेरााग्रहमान्यमाघार शवस्पसव्यासज्ञाविरहानाएकस्पसच्चाक्रियाम्पान्नातिवननेअभिमुवामनिरभ्पानिधिसतम्
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निर३ सिर-सासहोइन्यत्र चैकस्पाअपिपस्ने खत्महामंयन्याभिमुख्यमनिनिनैकस्यांपहनेसनयन ४६४ राहनिस्सा पाहत्यभावार्थासंगतिवितिनवीदनीयमितिभावारूपविशेधाभावपिम्पा 64 यमाहासंयोगातस्येनियाचोर्थस्यतिनिचिनियभैसीदित्यवेनिासाहचर्यादिभक्तरेव
यहमिन्सकवादिनिभाकाबहुधादिवसस्पटनेशविाहत्वार्थप्रयोगेकोलेधिकरमाइनिय टोनिहरदनानन्नासमासनिहत्पथीयाअष्टस्या नितनोदाहरणमित्युक्तवादितिनबा तन्नााकारकप्रकरशाहरदतमनस्पस्यायनवालामादाक्कामानास्वार्थिकत्वाल्लिंगवचनाति इतिग्रचितहतिधे नाष्ठगितिठकहानिदशानियातसमुदायइनिविदेशयान पर्यवर्तते anास्माकंडादविपभिषजामिभेवरात्रैवनियातनादेवीदेवताराम वचनादयानिधादकलेधिपत्यपातिनव्याखयनिसमासेयोतिपदिकत्वखव भेषज. मिलिभिषलू चिकित्सापामा नानापानदेवतादमिनितादर्थप्रत्ययार्थापक्रपथावापिटदेवत्यामानाइहदेवशोनजारात
whe Tros sK Diguced yecanodi
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उ
निविशेषवाचीतथा सामानाधिकरण्याभावाघनोनुत्पत्तेः किंतुयोगिकः क्रियानिमितोदे वश इस स्मा स्वार्थताश्रुतएव देव देवत्यमिनिसि भयो शह युगयत्पर्याय इयूप | योगाने स्यादिनिभावः॥ यमिति मूल्यरज्ञा विधावर्धन्य मानी अमित प्रत्पपान मंत दानं व्युत्यादिनंशेषिके घुनिस्मादनादानी एवं साधार समान धारामिति कर्मधारया यहा बहुबीहिरस्टोदरादित्वात्समान स्पसा देश ॥ फलानर माह त्रियामिति। अभावेाशवीचा अनित्यत्वं चैस्वसमानाधिकर साध्वसप्रतियोगित्वं एवरकर सफला लाता दिनार क्तेलौहित्य स्य्यावदाश्र वितमानित्यत्वाता लिंगबाधनं बतिप्रतिपदविधेर्बलबत्ता परत्वान्प्रायदिका छिनाइत्याश्रयणाञ्च वदनु दादिति डीन कारोबाधित्वाक नस्यारत तो लोहि निकै निनस्यादिननित्ये लिंगार्थ मूल्य बाधेप्राप्रे विकल्पाथैवचनवनम खाना सिद्धाना स्वार्थी दिन मेरा या ना देख पिततः कनिचरूप द्दप सिदेवचन व्यर्थ।
तार
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मिति
६ि३ सिरसभिवकाशन्वेसपेवप्रतिपदविधर्बलीयांवनान्यथाउपायनिाउपायशष्टकंलभनेकस्ववेचत्य
६य थाहगमोअकस्मादितिययतेनविदांतनवंतांनीनेनकर्दिशोनीयानाममात्र तिर्मिला 465 यास्मिकंवाचिकास्वार्थकलाचिंगानिहनिमदनिकनायत्ययस्योत्पवासकारोबा
रगटायालुक्यायवार्थदशभि मनिकाभिाकीतोदशा निकायटासस्नोपहशसाहिया इस्पानतरंकज्यष्ठाभ्योतिलतानिलोचछदसामदासनीतिकतिखंवचामेनिनव्यानव निश्चत्यवपशसायामिनिनसबध्युतीयोगविभागसामथ्यादिन्याशयाबोध्याबदल्याथानाका किबहनीस्वामीअिर्थग्रहणासीयेभ्यविशेषेभ्यश्रीभारिशोददातिनिशाददातामंगलेनिषा चभिप्रायशार्दवचिदन्यवायिदर्शनारपत्रमरल्यशनिासमसनक्रियानिलायतकमत नचिम्पारकर्मवाराअतएवाल्यापचमीसमस्यतातिव्याचलनायरिमासाशाइनिएवाराम अकवचनशननावेकार्थनीयरिमागावंचनाएवम्चनप्रतिभावाजानिशलाकनवा मनिप्रदा ४६५
तानिय
त्य
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दाहरतिघटघटमिनाएतेहिरनौनधनानियताइनिजयादिन्यः वामनस्तक्तनियमानामा वाजातिशभ्याभवत्पवेत्या हातथाचजशसॉशिरितिस्वेजसासहचरितस्परसोयगाने हाशाकुंडशीददातिवनवाप्रविशतान्युदाहतीहिशइनिावासाशसेवघोनितिहाई वैचनेनैतिभावानन्वेवरकैकशपिटससकानातिनस्यादितिचना छंदोवदृषया कुवती तिहरदोक्तावलतकलाकापपत्याहाराकिएकैकशंसहवकत्वइनिभाव्य प्रयोगात्सा बेतियइनिस्त्रप्रतिपादिताअतएवप्रक्रियाहवायरमनोरमाय्यपुतन्ययोचामाइयों SHAN समेतानामिन्यत्रसहस्रसहवंयसमवेनाइतिसमवायक्रियाप्रतिवासाकर्ट दयारावियायापंचमविहिनताप्रतिनिधिप्रतिदानेचयस्मादित्पनेनैतिभावान वातावभूताडावइनिस्त्रएवप्रतिप्रतडाध्यविरुद्ध मानिध्वनयनाहीवनयामितायनवाद जियादिविडाचश्रनिनियातत्वाव्ययसत्पादोषामनामनिादोषादिवाइपेनयोराकरण
शा४
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सिम निप्रधानयोरपिस्तौस्वभावाशक्तिमत्याधान्यनेनाहिरिन्पादिसामानाधिकररापूसप, ४६ यन्नर्मिनिभावाचीच अन्सार्विधातुकयोरित्यनोदीघइनिवर्तनदाहादीघस्यादिमित्र
इकोनी नियोत्पसकारस्पलोपेचौथेनिदीधाएवमतरत्रापिडिविविवतिनइनिापरंसतपाल अन्योन्याश्रयस्यांनाडाचिहतैयनवराईनानस्पचिस त्योडार्जिनिारवर करोना निरिवर यदित्यस्पडाधिविवाझतेहिन्वादिखवताएवंचयदित्यस्याघजदीदिसावनस्याराना स्पहतहित्वस्पाईचकितअनायनाचाटिलोयेसनिहावीवरयनानदयस्पेनिव्याख्याता नवसत्पेनस्यानिमलयान्सरटखरयकरोनीत्यादावयाग्नेश्वोये पायघायडाचश्चित्वंनतरार्थ प्रत्ययस्वरेशासिदत्वानानापिलोहितादिडाजन्य क्यापित्यविशेषगार्थपलाभावातानचेडा शहानश्शक्पाअिनर्थकत्वादयत्पयन्ता चनथापिनाभार्थिव्यानिहितोंदविकतरइन्पत्र राम कायोदिवारगायचिवमावश्यकमातंत्रयांखलुगियोडोडादशावीजनसहेतिहितिविषये४६६
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युक्तिपातुर्ययुक्त श्रीयोपेरनाकरेञ्ठलातहितपकियापूराविकटेशपसादतः॥ बाजशोबीजावायसहित विलेखनेभाकासपत्रानव्यत्रापतेन्पनेनेनिपत्रंशराखितोव हाभरनलेमिनापीसहितामन्यथालानयाकाकामूलकरानिकदन्नाभूलसुदरोगात न्यात भांडरनादिव्यजानाकतव्यमितिमयतासामतिलाघापरासादिनामल्पदानेनचहां करोनीत्यर्थानथैवनथ्योपादाभ्यंम्वनिचस्पानुनसमचयार्थवावार्थयामितापगमि। तिकर्मव्यायारमात्रवाविनावपेचमत्पनाल्फयामागल्यूसड़नेनेतिचालेदातादौभिडाच निामद्रादित्यर्थग्रहणामितिनोकोकल्पामंगलादिभ्योपनिनसंगावामदकरौनोनिलिमेक रोतीत्यर्थ ॥ इनित्रीमण्याकरता सिद्धानरत्नाकरसिद्दानकामदाभाल्यानताहतप्रक्रिया ॥ ॥सवस्यदासमोसासम्रासैकशयन दिनानात्मकस्यसवस्यापिलबनस्पायजाव्यवांन्नड नरमस्यारभानचनिनस्यामुयनीयवानडुतरमैवास्पारंभशफारवतोयंजीवकस्वा गाभयविनताहवंशकानबकाशादिनिभावाअस्पस्वस्थाधीकीजवानरपाचविधेयसाकवि
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सिर. नोमप्रया को तपस्वरितत्वाच्चाधिकारापराधिकत्वेति एतयोरर्थावधित्पेत्यर्थः स्वरूप ४६७ यहाउनभवनिनस्य परमा कोडित सदा तु चैति लिंगाला स्थान दिवचनदियो गोहि वचनमिति च दौय तौसभूवनतथाहि । देइत्यस्यसंख्यायेला यो यदाय देइत्यध्याह यते सर्व स्पे तिच स्थान षष्ठी सर्वावयवायेनस्यपद स्पस्था नेनित्यवी योगम्यमानयोर्द्वय दे इत्यादेश चेन विधीयनेतदाऽघः पहावय स्वावित्वान्सर्वशदस्यपद स्पत्यपकर्ष णाची कार्यलाभः दारइत्य कर्माषष्ठी विधेयस्य चारा भवन मतदाहितीयभ्यता सर्वस्य कवि ज्ञाभ्यामित्यत्र भ्या [ग]स्पत्तिमान्। समुदा युवा कोय रिसमा निरितिन्यायेनसमुदायस्य वद्दित्व भविष्यतीनिनाहि स्पष्टार्थ सर्वपदस्प किंवा कायमचा घेय ते । इति द्विवचनबलाव देय प्रदेशाविति लिन त्वादवयव राम योः पदत्वं स्वन सिसमुदाय स्पष्ट निवद्भावेन तेनावयवानांयद कार्य शिसि निनद्यपा अपच ४६६
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नत्ववान्तरपरत्वंनास्तीत्येवंपर। भत्कातन्नेयइतिनव्याःवस्तु नस्तर नपचनिनिडमुदत्तानवतानरत्युत्पदानस्पेनिशावनिधाश्रमेडनेइपत्रएऊयदानादि
निपूर्वसंचेत्यादिअनएवाश्रानाश्रीनन्यादानतोयगाइतिनपरहसमितियघयाहभाध्यालय स्ती३ वानांयदत्वं नानासनसिनवनिप्रतिभातितयापिकविलस्पेष्ववपवपदत्ता
भावधिनत्ततिरितिसूपिताजानथा हिमास्ववयवदत्वाराजाराजावाईवांइइत्यादौर । हित्वान्यरत्वान्नलोयादिषुहनेहिवारताविसिद्धानवाप्तिकत्वं शक्यौपचत्रोसिडीयम ईर्वचन तिवचनानिच विसविसमुसलमसलमित्पत्पत्तशक्वीनादेशस्यत्वा भाव तापजन भिन्न भिरित्यत्रतत्वमाशंक्पसमानयहासामान्समानमेवयानन्यतवैवशाव मानिसमाहितंभाष्यनिश्चितीविसर्गविशेष्ठस्पेवहिन्यापूनौरेयात्परत्वस्पदौल यातपूर्वा सिदायमाहिचिन तत्वानअन्यथारेफस्पोपिदोलम्यायनानच्युदत्वावसानलगोभीविनाव नाशहाविसैगनिहातिवाच्यारेकस्याधितात्वायनेकिचवमानरपदयाभावेस
गुर लिम
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सिरस मानपदवाकधनातीनिानस्मादाजाराजेन्यादौलविनिवहिपिनसर्वत्रानवाहइत्यूवयवदन्त ४६८ मगीकार्यमेवेनिभायनान्पंधीनश्यामनिदिदादियोगपोपत्पेकपदर्सनाव्यवायचास 146 पचासत्यवससदायस्थपना "अमानपावरसाव्यापापचास विहित नंदादिनदंतस्यविधीयमानपदत्वसंखदायस्यायभवतिनावयहादिसिथतिबा
Hinपनत्वमवण्यासरखधाउषयपत्रदिययनेनन यस्मात्पन्पयो मपंचसियासदेवदताइन्पत्रकातरताचसिद्धान्पोऽभएकोतरमामविनमर्नतिकति आमंत्रितस्यनिधानपनिषेधोनस्यारातत्रामशहानियानवाडदानानन्तरसमूदायस्पून निडशनि निधान कियटकाहनीपस्यानुदानचेनिनिधानन्याहाश्रामवितेन्वाधनोहाबुदानायी ष्टिकामविताचदानन्शनोदानवनिम्यवाहप्रयागंपताइभ योना न्यूयोना मुनिका निध्यानारनन्यनियसंगानित्रनारंगत्वादययात्खयोलकिहित्वपवर्ननतिन यानि राम देवनव्यानदिनानुत्पत्रिविसमुदायस्पानियादकत्वाभावात्सबलाहोनाघापसिद्धोताना ४६८
S
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नहितीयापचसियचसोत्पत्रवभवडतरीन्याभाध्यायकरीत्याचसबंतत्वस्येकपघस्पच निबोध त्याला प्रत्ययलतरोन्सवतत्वानयाधानाअंगकार्यत्वाभावेननलमनेतिनिये धापरतेनएवसमुदिन्येभविष्यतीतिभाष्यकैय्यंठेनोकरीत्यैवव्यायनाविवश वन्त त्वानंगीकारसमांससीवेतिपातियदिकुसज्ञानियमस्याविषयवासमदायस्पमानिदिक त्वमपिवस्वमेवेनियतिचिदेनराएनयूनः पुनजीयमानेन्पत्रकपदेवाभावेऽवग्रहोपि नस्यादितिनपोक्तपुरासाअनएवन्पायसिंचनायकमार्तभाव्योपदेयककादिपकौत कुनशयठतानानियाननान्यपबाधिन्वागोवतस्तपथमपलस्पोनिसंभवरावना
(चहाधकामासासह
सनासपाताश्ता
वैवानियत्वेतपत्रसिमियादिक्वनधामानिहिमवारपोरियावनिनिन्यपचन साप्रतिषी
पित
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४६
सिरखगिन्दरूपं किंतुपेवा प्रयोभिरुत्यादविनाशोनोपलभ्येते ते नित्याइतिचेन्ना निन्याष्ट थिवी नित्यमा प्रकाशमिनिप्रयागारिका ला व स्वापिनिनित्यशः शक्तः नित्यग्रह सेनानिन्युप्रजा न्यिनइनिप्रये गादा भी सापि तत्राद्यस्वार्थवास्या हीसा या वा। नोघा हिमवार हिमवानित्युक्ते स्वार्थमात्रायतीपा 169 वा झापा श्रपिप्रतीनेशन नायः॥ वचन स्पष्टत्वेपि नित्यग्रहशा वैयर्थ्यायते क्रिया वा चिनामसंय हाय वाचतो द्वितीयः यज्ञस् वयं हीतुं युक्त पाशना हा ग्रामी निधि न्यइनि । न स क्रम नपुंसकेने न्येकशेषएक कहाव । पदस्येति । पकर्षणीयमित्युक्तत्वाला हिर्वचनमिनिद्वेिय देखा देशो स्यानामित्यधी कर्मशिला भावे परिह सांस्यादित्यर्थः नन्वेवं प्रयचतीत्यस्या मदत्वादिवचनं न स्यात् सत्यगतिग्रहकर्तव्यमिति वार्तिकादिष्ट सिध्यति तेना भी ये विधी यमानं द्दिवचने धान मात्रस्पनाना पिया वाधकमिदं द्विर्वचनं धातोय यदस्मद्दिवचनमिति राम षयभेदान् अन्यथा भशार्थे सावकाशो यङ्कयौनःपुन्ये परेशा द्विर्वचनेन बोध्येनायदाशार्थेय प्र
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डूनदायौनःपुन्ये यनस्य हिर्वचनं भवन्येवापायच्यतेयायच्यनेइतिक्रियासमभिहारेलोड विभवनि घायच्यस्वइति। श्रा भी ट्राये पडिलनेने वन स्पा तत्त्वा द्विवचनाभावायत कैय्यादयः । परिगृहात साधना किया व्यवहारोपयोगिनी तिन दनभिधानाने धान मात्र स्याद्दर्वचन मित्पातदयुक्तं नाना कारक विशिष्ट क्रियायाएव नथात्वेन वाक्यस्यैवद्विर्वचनापत्रेा न समासदस्य पत्रप तइत्येवयुक्तमित्याशयेना हा चाभी सायमित्यादिना किया प्रधानमाख्यातमितिसिना नि क्रियायाः प्राधान्यान धर्मस्या भी तापस्य घोन नाथ द्विवचना एवं द्विशेषेपिव्यये तो भा वइति वचनादसम्वत किये वतत्रप्रधानमितिभावः। तथैवोदाहरति पचतिपचतीत्यादिइहा भी समस्याति पनस्पचविवत्सापांपरत्वा द्विर्वचनंत सरशनेनय चतिपचतितरां तिष्ठनीति भवनि चाद्य नरमाद्यतमानयेत्यभयत्रतरविष्टइति भाविना वासायामिनि की तिजिहा बतिइत्यत्र न द्विवचनंत श्वास निग्रामी सराय मेवानी घने नस्वार्थ मानववसाह
আে
3
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सिरस थीस्पार क्षमिनिचनस्यारातस्माद्यामिछावाशेतियुत्यतावथियोगरूठोयमितिवासात ४७० योधर्मीयथार्डबाधोगतगतइत्यप्रियस्यचिरगमनादिनापीडिनोवाक्यप्राय नियनियतिः। 470 नथावतंसिंचनात्यादौएथकसंख्य यामुक्कानितरेतरयोगमाप्रान्सवीथीतिययायो म
वायुगपद्याधवनवाक्ययदावक्तिनदाक्काइछाविशवाहिवंचनेनधान्यनोनहन्तंभायो, वीसतीनिवासावीसश्चेत्कन भवनिअनवयवेनद्रव्यागामाभिधानवासाप नियनवयनतिन ताकमादायसाकल्पनरव्यागाक्रियायासंबंधप्रतियादनं वासाफलमित्वनि कैप्पटमासाकल्यवयथायोग्यदृष्टव्यायत्रतसंकोचकनास्तितत्रासकाचदएवापथा ग्रामोग्रामरमरामियाजातीजाती निधनमुतातिानचैवंबासाइत्पादोजानिनिर्देशने कव्यक्तिमत्तानेरवश्यमावादिवायति यथानबालगोहंतव्यइत्यत्रेनिवाची व्यक्तिपती राम नेरार्थिकत्वेनलन्त्राथीनीन नचैवमेकशेषेकलाभिधानसत्वाहिवचनानिमि४७०
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रखनेहल्ला-शोभनाइतिकनिपयानामेवतागांशोभनत्वेनपनीन्याकापनाभिधानाभा वान द्विवचनापरण्यामोग्रामोरमाया अस्मिनवहतारतं शोभनाइन्पांदोसवेषामेव यामागीहहाराांदुरमीयत्वशामनन्वयनाने विचनभवापेवासदेवताइन्यत्रनलिनी ३३ सर्वशश्नवासाधीनतानानवबरतमित्पादोबहुवचनांपतिावस्कनौबत्वपतीनाव यिनस्याशाज्ञवायत् कमेकत्वस्यशाहवादतरंगत्वाचेकवचनस्पेवोन्यत्पाबड़वचनावाद नायोगारावायचैत्रायशनंदायनामित्स्क्लेप्रात्पर्कविधयसंबधापूनीयनाएकशेखेळके बालाभ्याशतदेयामेन्सनेनियमेनप्रत्येकशनदयामन्यपनीने अतएकशेषएक वचननाएकशेपएकवचनने विशेषशोक नेतनासमाहारप्राधान्पैननायक विचनावश्यक मिनिसहयसवैप्रतिपादित वायदानपरियहीनहित्वबहेबानीवासातदाबा हागाभ्यांबा गाभ्याशनदेयेवालयोपोबायोम्पइत्यादिभवल्पनाईसमोसनाशक्यता
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लभतिस्पष्टे
नव्योतं?
471 थम 14
इत्युक्तया रतेनस्थाने द्विर्वनन पन्दरबरं पन्दान्तरंटुभिमिनिपरास्तम् ७. सिरस्वार्थ भावाला समुच्चपेत्वनभिधानाद्वंदो नेत्युक्तंच्चयंनिग लिनो धन एक शेषद्विशेषयोः त्र ४७१ नेकप्रत्ययस्तु नियमादिनिदी द्विनाशन ने कशेषे द्वित्व स्पहता वृत्रपती तितः । द्विशेषेनद् भावनयामा को नियमःकुनः॥शर एक त्वस्याप कशे पेपनी तेर धुनोक्तिः भावत्का नियमा नैतिक्कत्य मिसंप्रति यमत्रविशेष हिशेबे एकची त्वव त्वंच व्यवस्थित नपदार्थ का चार कशे तु कत्वादिप्रनीय पदार्थ कास्ने ताभाष्येत नाननहि ६८) वचनं विधीने किन नित्योपयार्या वं तनाव नाश हानां योगे प्रसक्ते व शिष्ये नरे ३५ लप्पनइत्यथययेकशेषच्यस्वयते इत्येव सत्रमा सर्वपदसंगतियहानिप्रत्याख्या नात सर्वयदतिया यह शानर्थकांचाथभिधानहिर्वचनविधानादिनिननुगृहीने क त्वानामाद्विर्वच नानंतर बहुत्वाभिधानाय बहुवचनकिन स्पादिति चेन्न समित्या राम दाबुन दिशा स्वतले नामानियदिकत्वाशय तुयो पापो घाम हृषन्स मिल्स मिन्ट सरित्सरिदि ४७१
गर शादमेव ६
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वृक्षष्टरूमिती त्या देशा देवप्रतीतेर पिसत्त्वेनाने कम तीतिनियमाभावनेत्यर्थः। २४
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न्यत्रोक्लसमाधानमव्यायकमनिन पागननायौन उत्पमित्यवहापिपपपलरोनव बनवेनापानिपदिकत्वाराएतच्चभाष्यएवस्पहायुदयनरंगेकवावहदोहिस्कार्थसंख्या नरनिराकातरवेनिनबड़वचनावलताबहत्वावधमानयिनस्यशाबवाधाविषयत्वों दित्यातदेखिचिन्याहीवहवखपत्यादीबायनसकायस्पतील्याश्मिरनयन सिंगातासाधुत्वार्थतिभितरितिवेन्समिन्सामदित्यत्रायितथैवोगाISTRY
कत्वाहइक्वननेनिसिहापर्वतारहस्वार्थ हवी चिनातस्मान्स वन्त्वनाबानियाहिकत्वाइडक्वननेतिपाकियनामिनियाक चनीनेहयरिविगहिशेदेवापूररसमास निवानिकारावगेभ्यातिायंचम्पयाड रितिपंचमीपर्यधधसायरि शिरसोभारंधारयतीन्पत्राधाराधेयभावमात्र विवति नसामागानेनवसततत्सत्वधिनहिवचन मितिभावावाक्यादासदर संदरेनीवावधा दिरामेत्रितस्पालयासमनिकोपऊन्सनेांबाडिनमसननिययायथचनायोमोपिनासो
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१वीमाशीपालानुवर्ततेननमध्यस्थेपरेर्वर्जनइत्यादी अनिर्देशनाकालाविरहाचा सत्यपिसंभवइतियायेनबहबीहिवद्रावेन ६वचनस्यवाश्मसमापनेनेवोभयविधीयतांतियटसन्ततिधनयन्नाहू चन्दयमामारीत्या
अतिरशिकसमासरतिमादाय कैयट४ सिरस वचत साहमनिताविमाषाकूर्नव्यानिमायोकेगएकंवङबीहिवौद्धिकतरतिकेवलस्या ४२ निदर्शकालाभावादितिभावरावभागेअनि सर्वनीनातिमान ईतिय भोक पूर्वभागस्पवित्रत
लारानेननोनरस्येमुवज्ञावावियावविनिम्नेहप्रवनतासामा नाधिकररायाभावादि।
निविगयइत्पननुहन्तावकाशलेयुकाविनगयोनिदानप्रसंगतिहरदाता कानन भ्यामु४ ६कैयराभितपातलिगेनएक्स्यवसूनिसिहोताताअवयह विशेषताएकएक निश्पद
नायमानभाव वादकास्कएकया एक ४छन्दसिह चापिएकैकापरिनिसानपत्रावग्रहहार्धमेनपठतिािनाधेचागर्ने गतिाएं, धान कस्पाएवम्मनक याहाकथनान्स मानाधिकरगस्त्रिीलिंगमनरयदमस्तीनिखिया ये श्रावएक वदायिनेनिवडावानिदेशसामीडन्नरपदत्वस्यायिलाभानानन्दवननेत्यत्रन राम में रित्यत्रनसफैलाया
शपायानपत्रातरयदाधिकाराविशघायुमडकलन्यावनसमासइ४७ लेकानिटकिशवपासतम्यायनववाहिवड़ीवविधानसामध्यादवसुवनसमुदायस्सासुवन्तत्वपातपाद कॅत्वासनकिततवंपन:सूखुत्पतिवाध्यानिसमासनपातिपदिकत्वम्तनापत्ययात्यनुवन्यातन्निया दशम्रिमितानुदालनेष्टसितिदिक Jak. Dignized by eGangory
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रामवानले यो
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न्यनत्यमासयहराानुवर्ननामखासमासएवनलोपनिनेप्पोक्लेग्ननसानधिष्टेनका यित्वेनानिमितत्वबाधानजामनोनरपदरवन्लोपंपरनेचाअतएवाचारहापोहत्य नेनमाभदइइत्यत्रोफस्पहिलेकुबोनेत्याशंक्यसांताधिननिमितवेनकाब त्वबाध्यतइहातमाकोनवनवसायकाभ्यामिनिस्वस्थानकवलमा परिपत्रईरधरिनिसमासानश्वस्पादितिवाचावनसमासन्युनसिहावलोकितन्या येननभ्यामिन्यत्रसमासइत्याप्रमुखसमाएवनसभ्योमित्यस्येवलपम्पयो मानाबाजीहीमकन्येनिश्वयदपलनिस्वरकमक्त्यवानसमासन्पपासखानास मासातोपिसख्यसमासएवषवनतसमासाच्चताषयादित्पनासमासानातिसस मासइत्पूनर्जनाताकारगुणावचनस्पाभदसाइपयायकारशहाशकबहामा कारिवालसावकारायवेत्रनिकमायवहारारानत्रयारयानाहितीयस्यगया
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सिरस मिन्याहासापेइतिावद्भावरनिायुंवत्कर्मधारयेत्यनेनेतिभावानचनकोपधापारया ४७३ दानविषयधिप्रवन्नतिकर्मधारयवदिन्पढतेफलानरमायबोध्याय पंडी
निश्हिहिर्वचनजानीपरोबोधानेष्यत निवामनाजियादित्यस्तजातीयविधीविशेष
कोरइत्यर्थभेदमाश्रित्यसमादधौनिनुसिंहोमाराबकरन्यादावयिस्पोराललगाया सिंहशष्स्पयुवचन वानरामवावचनहोसामधितयायेरावचनन्वेनपान डाक्लोदयस्तेएवम्घनश्याकरराद्धानादियात्रायेनव्याचारगोयडने नाकवलरगोनिउभयविधयहावाख्यानेशरीनवीनवोभवनापत्रवासायाहि त्वअनेनहित्येसबलस्पागनचप्रकारविचनेनतस्पबाधुःशक्षामित्रदि घयत्वानियकोटिल्यगनाविपत्रवानपयहाहाकवेवसायधानवनवाद र नवाभिराददेइत्पत्र युवनाकामीनभानइवेन्यत्रवेनसाइंश्योकौहितापात्रावपिभीता ४७३
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न.अयान
डीनइ तिसमासोबोध्याविनाविनःशिरवरिखपदंन्यस्पर्गनासियवेनिमघाइतजालो देवाचाकवयनिन्यायेनयोध्याख्दावस्याउमेदेवकुल्यवासानवायलिया अववानिकान्पाहायानच्यात्तिावाप्सामावादारंभासश्रमनिचायल
पथरात्रा सुप्रनिपादनंचायलान्यायासशनायावादशवःसंबोध्यार्थयत्यतिनाव यायलयवसापिन्वारना न्यूथाहाहनाहन्पत्तएवनिवाकाप्रयोगांना यासममिहारहुतियान पुयशाथश्वकिपासेमभिहारलायोनःपुन्यमवनित्यनल कम नानास्पवयध्यमिन्याहामशाथा इन्वाथामिदमनियघेतावदेवषयोजना नाहिशार्थइन्यववयानबाहालोटासहेनिसमुचिन्येनिनन्ययाकथित्वाचन स्याकियासमाभहोत्यहगोन्सन्यायाबायनशतिभावारवचनिन्यवासयरित्या नित्यग्रहस्पन पमित्यवधायत्रामीहरोयभवनइतिवंयमुवानकोविजेता
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४४ गतव्या नावसनीन्दसूक्लामालनामवसमासवा
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यर सिस्व त्यादिनिहार्तिकेयर्थस्नेगसिद्धवानाअन्डलारामुलंनेयुक्रियाविरुदपनीनेर्ने ४४ दनित्यमित्रापाग्नेहि त्वविधीयतइनिनातिवयमित्याभनॉनरीयायिकैय्यरेश्व
नियविनावानरस्तामतिदातिना भावाकमव्यनिहारनियम सयसवालहवामान्य नियमवसमासवडावबलग्रहोनसबंध SAMअवचिताहितीयांदोनामेवस्वादशापिधीयनाउन्नरलायहितीये वनप्रभमातित्राप्येकवचनमेवनाचनानरोगीतिगरिशिष्टकंठाभरेगादि थे यं अस्पयाचा यिनदेवासस्टनेत सर्वभाट्यानत्वादयोगीनीयमिनिध्वनयन्वनीनर मदाहरनियन्पान्याविपादामहाकविययोगक्रिमथपानावन्याम्पमान निभाष्यकैप्पटयोविशवाजतदविरुद्धामापानिमावायत्रकेचिदितिप्रक्रियाका राम रादयास्वमतमाहाअन्यवितिआमादेशमितिनिश्चिासत्पत्ययत्वमांतस्पनी ४७४
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ध्यादलद्दयशनासंग्रहलोकापाचीनोनभाष्यकैपटरमाअतिप्रसंगादितिातथाचे कशेषपनिबंधादिर्वचनस्यापिरतिवनाशकंजापानिपदिकार्थनिर्दियायोविभक्तिमा श्रीयतुबुदिरुयजायनेसासाआश्रयितव्याकारकचेहिजानीयाघायाम पैलसाभवाद दिपचपुरस्मिन्नकथितस्वभाव्यविरोधादितिभावान सदेवनि प्रयराधियों इन्यलोकिकेटाहयस्याबियोधागविनिमुकिहित्वबहत्वादेरमावासनरंपैकवचन टावभवनीतिभावास्पादेत प्रियप्रियशवस्याविबतत्वाप्रातिपदिकावाभा विकस्वत्यनिसिमासंग्रहगनियमामिनिसिद्धांतारानएवानिदेशक समासत्वसत्पविरबपीलुगवडलभप्रातिपदिकवाभावातानचसमासग्रहणाम श्वविध्यर्थमिनिवाचाप्रपयइत्यनुवपनियमावस्यवस्वीरनवानाएनचादि
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પગ્ય
सिरम नरेशानियिननत्रास्मामिगनचबाबीहिवनकर्मधारयवदित्पनिदेशसामान्सपाल
गिनिवाचास्वरवद्रावायनयात्रनिदेशसापल्यातत्रिोच्यतेविरोइन् इनिरस्त्र एककस्थतिलिंगेनसर्वस्वपहासमाधेयातिदिहालीबचनितिन हस्वत्वति डायथायथमितिज्ञा नेत्यस्योदनवाकर्मतिषियायात्रायानलाकातनिधा नहितीपैकवचनानमेतदितिभावाभिव्यक्तीवितालोकेसाहचर्या प्रसिद्धा वित्यर्थानेहहीयुधिष्ठिराजनीअतिसहचरितन्वाभावावा अन्यायानिनिया चन सेक मानेपासेलोकाश्रयत्वालिंगस्पनिभगवान्यनजलिराहाव्यतातिर चार्थशिलिंगासवरेसिडपाश्री फरादिभाष्यादिविभाव्ययत्नतःसिद्दीत राम रत्नाकरमविस्टनेत्रिीरामलमोररचहियश्चिततेनेश्दौर्शहरीप्रसादना॥१०४94 यन्तिापामधनवातावरनाकरठलीविकोप्रक्रियांपाकटेशप्रसादतः।२४
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सिरख शेषा शेयार्थसिद्धानकौमुदीमनिगहाव्याचिस्यासमहाशेषयाच्ययानविनत।। ४७६ सोपरत्नाकरेयत्रोखिमलाव्यानरीयोगमन्पथमननोडामलोगोविंदमानस
॥श्रा।। इतिश्रामकुटा दिमहात्मननिमलमहात्मज रामकहरभहक काम हातकोमुदाव्याख्यानवैयाकररासिद्धानरत्नाकरेश्वीई। सवत ४ाकारकत
४७६
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________________ न०६२ पत्र इसने 476 पूरे हे एन.६२. yel सिद्धांतरला करनी ई 15 Rela ODharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri