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________________ २१ सिर-स कादित्वा भययदहति बिदादनपरी पैसचे नियव्यताप्राप्नोती ३६ विशेषः नित्रकर्मधारया पर स्त्रिया अपत्ये पाश का बाल गायाने वारा या सुन्याचा न्यून रोगान्यरखा सत्यादेश वेत्तिरयद् स मोह नोभययसिनी भिति 369 नोनियाचा बाधक नैयः स्याश्वासनीयत को लेटेर कोलटेयोभित्रका से नीय दिनाको लटिनेयोऽस्याः कोलटेयायचा न्म डाइत्यमरः । केचिद्वाया पीना नायन्यमिति यज्ञेड़ गितितदभावयठ गयीन्यथा ह्गा महते सौभगाय त्यत्र जात्रादित्वादनिनौत्तरपद वृद्दिद्यादसत्वात् चर का या स्त्रीलिंगनिद्देशात्पुंसिनस्यादतश्रा हाचट कस्पति एमैन चटकादेरगिल्ये व सांप्रदायिकः पाठ इति न्यासक्तिर्निरस्ता तयोरेव नित त्रावताततिलकलुक्क हितेति गोल का जादित्वाद्याशलता जा है। प्राग्दीव्यतीयेविव तिने राम मस्पाठइतिचा वेग लुगवान्य लुकि वाट के रीयइतिभाष्यम ते नव्या दिमत्वे तन्नस्यादित्यव ३ Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri
SR No.034463
Book TitleSiddhant Kaumudi Vyakhyan Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages507
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size390 MB
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