SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 266 सिरख बादियहण प्रसंगावं जाहिप्रत्यया महिसर्वनामप्रकृतिकंनत्साहचर्यादित छोपि सर्वना २६६ वत्पदोष निश्चित वस्ततस्तान्येतरसाहचयायाख्यानाहान डेययतो वतिप्रसंगा भावादजा ग्रहां चिंत्पप्रयोजनस्यादेतत्। चत्ररेपदमयि साहचर्या हिशदव इत्संगी कार्यन्यथा साइ-वैत्रेणेत्यत्रातिप्रसंगान्तथाच दिशद्दत्वादेव सिहे किंते ने द५ न्याशंकासमाधत्ते । चत्ररये, स्पेत्यादिना वक्कतस्ती चनर पदय हरामविषयतसर्थे त्यत्रप्रत्पर्य यहश्रूयमान सर्थप्रत्ययोतत्वविज्ञानार्थमिति प्राग्ग्रामादित्यादोष छाप्रसंगा तायनुव यह शामंत्री कृत्य प्रत्यपग्रह चिंत्यमितिन व्याः। तनावशी लाघवानुरो धन्यास्माक गिरएव न्या? प्रतियोगइति निदर्थ के रित्पथः। तथाचकात्तिक्या प्रभ्नातिभाव्यं व्याच लागोन के प्पटे नत न च्यारभ्येत्यर्थइति व्याख्याती अपयश । एतशय राम चम्याडित्यनेन कर्मप्रवचनीययोग पंचमी विधाने नसंज्ञाज्ञापनात न चार्थात २६६ Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri
SR No.034463
Book TitleSiddhant Kaumudi Vyakhyan Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages507
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size390 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy