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विद्या का आनन्द
आनन्द की विद्या
मुनिश्री विद्यानन्दजी : जन्म-शेडवाल (कर्नाटक); वैशाख कृष्णा 14, वि. सं. 1982 श्री कानजी स्वामी : जन्म-उमराला ग्राम (काठियावाड़); वैशाख शुक्ला 2, वि. सं. 1946
समयसार और सम्यग्दर्शन ज्ञान एकानुप्रविष्ट समानार्थी शब्द-युगल हैं। जो समयसार है, वही सम्यग्दर्शनज्ञान है। यह समयसार केवलज्ञानादि अनन्त गुणों का पुंज है।
-मुनिश्री विद्यानन्द : निर्मल आत्मा ही समयसार
पृ. 32, जनवरी 1972
.....चिदानन्द-ध्रुवस्वभावी अवा समयसारमा समाइ जवा मागी) छीओ. बाह्य के अंतर संयोग स्वप्ने पण जोइतो नथी. बहारना भान अनंतकाल कर्या..."हवे अमारंपरिणमन अंदर ढले छे. अप्रतिहतभावे अंतरस्वरूपमा ढल्या ते ढल्या हवे अमारी शुद्ध परिणतिने रोकवा जगतमां कोई समर्थ नथी.
-श्री कानजीस्वामी हीरक जयन्ती अभिनन्दन-ग्रन्थ;
पृ. 268, मई 1964
मुनिश्री विद्यानन्द-विशेषांक
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