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सकते। यह सार्वभौम संस्कृति है । मैं चौराहे - चौराहे इसका संदेश पहुँचाऊँगा । क्या इन्दौर मेरे इस संकल्प को बर्दाश्त कर सकेगा ? मैं सच कहता हूँ, उस समय मेरा वक्षस् गर्व से तन गया और मस्तक गौरव से ऊँचा उठ गया । मुझ में उत्साह की एक अपूर्व लहर दौड़ गयी । लगा जैसे सदियों बाद अकलंक और समन्तभद्र की परम्परा जीवन्त हुई है और भारत का मंगल विहार कर रही है । मेरा संकल्प अविचल हो गया और मैंने मन ही मन निश्चय किया कि मुनिश्री को हर हालत में इन्दौर लाया जाएगा । मालवा के आग्रह को वे किसी तरह टाल नहीं पायेंगे ।
हम लोग पुनः ज्वालापुर गये । मुनिश्री ने मालवा का नम्र निमन्त्रण स्वीकार कर लिया । ज्वालापुर में जो अलख जगा था, उसे देख मैं अचम्भित रह गया । सतीश जैन सूट में नंगे पांव मुनिश्री के साथ दौड़-दौड़कर चल रहे थे । मैंने कल्पना भी नहीं की थी मुझ जैसा व्यक्ति जो किसी मुनि को देखकर किनारा कस जाता था, आज आहार देने जा पहुँचेगा और कोई दिगम्बर मुनि मेरे हाथों आहार ग्रहण करेगा । सच, मैं उस दिन धन्य हो गया जब मुझ भाग्यशाली के हाथों से, इन्द्र की विभूति जिनका चरण - चुम्बन करती है, नतशिर रहती है आठों प्रहर जिनके सम्मुख उन्होंने आहार ग्रहण किया। मुनिश्री ने मालवा ने मालवा की ओर विहार किया । पूरे मार्ग मैं उनके साथ रहा । मुझे लगा जैसे साक्षात् समवशरण संचरण कर रहा है । अपार जनमेदिनी सारे विद्वेष छोड़कर उनके प्रवचनों में उमड़ी पड़ती थी । भीषण गर्मी में भी संतवाणी सुनने के लिए वर्ग और संप्रदाय का भेद भूलकर प्रायः सभी लोग उनकी प्रवचन- सभाओं में पहुंचते थे । मैंने देखा उनकी वाणी में अपार तेज, अदृप्त करुणा, समन्वयमूलक अनेकान्त और स्याद्वाद थे और वे मानव-मंगल की अरुक यात्रा पर अविराम चल रहे थे ।
जब वे इन्दौर पहुँचे तो सहस्रों-सहस्रों लोग उनकी मंगल अगवानी क े लिए उमड़ पड़े । क्या आप विश्वास करेंगे कि एक या दो दिन नहीं वरन् संपूर्ण वर्षायोग में लगभग छह मास तक जत्थ के जत्थ लोंग नियमित उनकी प्रवचन-सभाओं में सम्मिलित हुए और उनके रसास्वादन से कृतकृत्य हुए। भगवान् राम के जीवन पर हुआ मुनिश्री का प्रवचन इन्दौर नगर ही नहीं सारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने जैसी घटना है । वैष्णव विद्यालय के प्रांगण में हुई इस सभा में एक लाख से अधिक लोग पूरे तीन घंटे तक बैठे इस तरह मौन कि ओस की बूंद के गिरने की आवाज भी सुनी • सके । अनुशासन में कठोर, मुमुक्षुओं के लिए विश्वकोश और विद्वज्जनों के स्वातिनक्षत्र पूज्य मुनिश्री के इक्यावनवें जन्मदिन पर उन्हें मेरे कोटि-कोटि प्रणाम !
मुनिश्री विद्यानन्द - विशेषांक
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