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का भी ध्यान जैन-साहित्य की विभिन्न विधाओं पर गया और एक के पश्चात् दूसरे विद्वान् शोध के क्षेत्र में प्रवृत हो गये । अब तक २०० से भी अधिक विद्वान् जैन-साहित्य के विभिन्न पक्षों पर या तो कार्य समाप्त कर चुके हैं अथवा शोध की और प्रवृत्त हैं। इस सबका श्रेय देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों को है। अब तक की प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालयों में स्वीकृत शोध-प्रबन्ध अथवा शोध के लिये पंजीयत शोध-प्रबन्धों की संख्या निम्न प्रकार है --
स्वीकृत
पंजीयत
कुल
१८
३७
m
आगरा विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय अलीगढ़ विश्वविद्यालय भागलपुर विश्वविद्यालय बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर) बम्बई विश्वविद्यालय कलकत्ता विश्वविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय गुजरात विश्वविद्यालय गुरुकुल कांगड़ी इन्दौर विश्वविद्यालय जबलपुर विश्वविद्यालय कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय मगध विश्वविद्यालय, गयाजी मेरठ विश्वविद्यालय नागपुर विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर राजस्थान विश्वविद्यालय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी सागर विश्वविद्यालय, सागर उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
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मुनिश्री विद्यानन्द-विशेषांक
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